RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप (वाक्येषु क्रियाप्रयोगः) Questions and Answers, Notes Pdf.

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RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप (वाक्येषु क्रियाप्रयोगः)

धातु-रूप-परिचय -

परिभाषा - क्रिया का निर्माण जिससे होता है, उसके मूल रूप को संस्कृत में 'धातु' कहा जाता है। जैसे पठ् या लिख् धातु है और इनसे पठति, लिखतु आदि क्रियापद बनते हैं। सैकण्डरी के नवीन पाठ्यक्रम में जो धातुएँ निर्धारित हैं, उनके पाँच लकारों में रूपों का ज्ञान आवश्यक है। वे पाँच लकार अर्थात् क्रिया के काल इस प्रकार हैं - 
1. लट् लकार-वर्तमान काल की क्रिया में लट् लकार आता है। अर्थात् जिस क्रिया से वर्तमान काल का बोध होता है, उसमें लट् लकार आता है। जैसे - छात्र: पठति, त्वं लिखसि, आवां क्रीडाव: आदि।
2. लोट् लकार-आज्ञा काल या आज्ञा देने के अर्थ में क्रिया के रूप लोट् लकार में चलते हैं। जैसे - सः पठतु, त्वम् पठ, अहं पठानि आदि।
3. लङ् लकार-भूतकाल के लिए यह लकार आता है। इसमें धातु से पहले सर्वत्र 'अ' जुड़कर क्रिया-पद बनता है। जैसे - अपठत्, अपठः आदि।
4. विधिलिङ्ल कार-'चाहिए' अर्थ में, प्रार्थना या निवेदन करने के अर्थ में विधिलिङ् लकार प्रयक्त होता है।
5. लृट् लकार-भविष्यत् काल की क्रिया में लृट् लकार आता है। इसमें सेट् धातुओं में 'स्य' तथा अनिट् धातुओं में 'इस्य' लगता है। जैसे - पठिष्यति, भविष्यति, दास्यामि, वक्ष्यसि आदि।

लकार के पुरुष - प्रत्येक लकार के तीन पुरुष होते हैं - (1) प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष, (2) मध्यम पुरुष और (3) उत्तम पुरुष।

1. जिसके विषय में कहा जाता है, वह प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष होता है। जैसे - सः गच्छति (प्रथम पुरुष एकवचन), तौ पठतः (प्रथम पुरुष द्विवचन), ते लिखन्ति (प्रथम पुरुष बहुवचन)।

2. जिसे सामने कहा जाता है, वह मध्यम पुरुष होता है। जैसे - त्वं पठसि (मध्यम पुरुष एकवचन), युवाम् गच्छथः (मध्यम पुरुष द्विवचन), यूयम् क्रीडथ (मध्यम पुरुष बहुवचन)।

3. जो कहने वाला होता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे - अहं गच्छामि (उत्तम पुरुष एकवचन), आवाम् पठावः (उत्तम पुरुष द्विवचन), वयम् लिखामः (उत्तम पुरुष बहुवचन)। इस प्रकार प्रत्येक लकार में तीनों पुरुषों के रूप बनते हैं।

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परस्मैपदिनः धातवः 

1. भू (होना) धातु

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2. पठ् धातु के रूप 

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3. हस् धातुः, लट्लकारः = वर्तमान कालः

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4. इष (इच्छा करना) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकालः)

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5. प्रच्छ (पूछना) धातुः

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6. अस् धातुः, लट्लकारः

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7. हन् (मारना) धातु

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8. गम् (गच्छ) धातुः 

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 8

9. कथ् (कहना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 9

10. नृत् (गात्रविक्षेपे) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकालः)

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RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप

11. भक्षु (खाना) धातुः
लट्लकारः

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12. आप (प्राप्त करना) धातुः
लट्लकारः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 12

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13. श्रु (सुनना) धातुः
लट्लकारः

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14. शक् (सकना) धातुः लट्लकारः

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15. कुध् (क्रोध करना) धातुः

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16. कृ (करना) धातुः

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17. ज्ञा (जानना) धातुः लट्लकारः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 17

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18. नम् (नमस्कार करना, झुकना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 18

19. नश् (नष्ट होना) धातुः लट्लकारः (वर्तमान काल)

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 19

20. चिन्त् (स्मृत्याम्) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकालः)

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आत्मनेपदिनः धातवः 

1. सेव् (सेवा करना) धातु

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2. लभ् (पाना) धातु

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3. मुद् (प्रसन्न होना) धातु

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4. याच् (माँगना) धातु

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5. रुच् (रुचना, चमकना) धातु

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 25

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उभयपदिनः धातवः 

1. परस्मैपदम् 'नी' (ले जाना) धातुः लट्लकारः

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2. परस्मैपदम् 'ह' (हरणे) धातुः
लट्लकारः

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3. परस्मैपदम् 'भज्' (सेवा करना) धातुः

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4. पच् धातुः, परस्मैपदम्, लट्लकारः = वर्तमानकाल:

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कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण धातु-रूप 

1. भी (डरना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 30

2. दा (देना) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकालः)

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 31

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप

3. क्री (द्रव्यविनिमये) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकालः)

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 32

4. क्रीड् (विहारे) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकालः)

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 33

5. त्यज् (हानौ) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकालः)

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 34

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6. रक्ष (रक्षा करना) धातुः
लट् लकार

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7. दृश् (देखना) धातुः (दृश् का लट्, लोद, लङ् एवं विधिलिङ् में 'पश्य' हो जाता है।)

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 36

8. स्था (बैठना) धातुः (स्था का लट्, लोट्, लङ् और विधिलिङ् में तिष्ठ हो जाता है।)

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9. स्वप् (सोना, शयन करना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 38

10. स्पृश् (स्पर्श करना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 39

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11. स्मृ (स्मरण करना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 40

12. परस्पैपदम् यज् (यज्ञ करना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 41

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13. परस्मैपदम् चुर् (चुराना, चोरी करना) धातुः
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 42

14. परस्मैपदम् याच् (माँगना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 43

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15. अद् (खाना) धातु (क) लट्लकारः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 44

16. ब्रू (कहना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 45

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17. दुह् (दुहना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 46

18. शीङ् (सोना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 47

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19. हु (हवन करना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 48

20. दा-यच्छ (देना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 49

21. दिव् (चमकना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 50

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22. सु (नहाना, मथना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 51

23. तुद् (दुःख देना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 52

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24. रुध् (रोकना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 53

25. तन् (फैलाना) धातु (क) लट् लकार

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 54

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कुछ महत्त्वपूर्ण धातुओं के संक्षिप्त रूप
(पाँचों लकारों के प्रथम पुरुष एकवचन में)

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आत्मनेपदी धातुएँ 

1. भाष् (कहना) धातुः

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2. वृत् (होना) धातुः

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3. शी (सोना) धातुः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 58

4. जन् ( पैदा होना) धातुः (क) लट्लकारः

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातु-रूप 58

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5. एध् (चाहना) धातुः लट्लकारः

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अभ्यासार्थ-प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
अधोलिखितानां क्रियापदानां वाक्येषु प्रयोगः करणीयः
उत्तर :
क्रियापदम् - वाक्यम् 

1. भवन्ति - अत्र कार्याणि सफलानि भवन्ति। 
2. भवतु - भवान् दीर्घायुः भवतु। 
3. अभवन् - तत्र छात्राः क्रीडारताः अभवन्। 
4. भवेयम् - अहं चतुरः भवेयम्। 
5. भविष्यथ: - युवां श्वः कुत्र भविष्यथ:? 
6. पठसि - त्वम् पुस्तकं सम्यक् पठसि। 
7. अपठम् - अहं पत्रम् अपठम्। 
8. पठिष्याव: - आवां संस्कृतस्य पुस्तकं पठिष्यावः। 
9. पठेयुः - छात्राः संस्कृतं पठेयुः। 
10. पठानि - अहं संस्कृतं पठानि। 
11. हसन्ति - बालकाः तत्र हसन्ति। 
12. हसिष्यतः - तौ चित्रमिदं दृष्ट्वा हसिष्यतः। 
13. अहसत् - सः चित्रं दृष्ट्वा अहसत्। 
14. हसेम - वयं निर्धनेषु न हसेम। 
15. वाचयति - रमेशः पत्रं वाचयति।
16. वाचयन्तु - बालकाः पत्रमिदं वाचयन्तु।
17. अवाचयत् - रमा संस्कृतपत्रिकाम् अवाचयत्।
18. लिखथ - यूयं लेखं लिखथ।
19. अलिखत् - बालिका पत्रम् अलिखत्।
20. लेखिष्यन्ति - छात्राः निबन्ध लेखिष्यन्ति।
21. लिखाम - वयं पत्र लिखाम। 
22. लिखेयुः - ते प्रश्नान् लिखेयुः।
23. सन्ति - तत्र बहवः छात्राः सन्ति। 
24. भविष्यति - रामः तत्र भविष्यति।
25. आसीत् - वने एकः सिंहः आसीत्।
26. स्युः - बालकाः तत्र स्युः। 
27. हन्ति - सः चौरं हन्ति। 
28. अहताम् - तौ दुष्टम् अहताम्।
29. हनिष्यामि - अहं त्वाम् हनिष्यामि।
30. पिबन्ति - पशव: जल पिबन्ति। 
31. पिबानि - अहं दुग्धं पिबानि।
32. अपिबत् - बालकः आम्ररसम् अपिबत्।
33. पिबेयुः - ते दुग्धं पिबेयुः।
34. पास्यति - सः जलं पास्यति। 
35. नृत्यन्ति - बलिकाः अत्र नृत्यन्ति।
36. नृत्यामि - अहं तत्र न नृत्यामि।
37. नृत्यतु - गीता अत्र नृत्यतु। 
38. नर्तिष्यथ - यूर्य कदा नर्तिष्यथ? 
39. नृत्याम - वयं अत्रैव नृत्याम। 
40. अनृत्यन् - छात्रा: विद्यालये अनृत्यन्।
41. नृत्येयम् - अहमपि तत्र नृत्येयम्।
42. आप्नोति - धनिकः परिश्रमेण धनम् आप्नोति।
43. आप्स्यन्ति - सज्जना श्रेष्ठफलं आत्यन्ति।
44. आप्नुवन्तु - भवन्तः धनम् आप्नुवन्तु।
45. आप्नवम् - अहं पुस्तकम् आप्नवम्।
46. आप्नुयुः - ते वस्त्राणि आप्नुयुः। 
47. शक्नोषि - त्वं किं कर्तुं शक्नोषि?
48. शक्ष्यन्ति - छात्रा: कार्यमिदं कर्तुं शक्ष्यन्ति। 
49. शक्नोतु। - भवान् पठितुं शक्नोतु। 
50. अशक्नुवन् - जनाः तत्र गन्तुम् अशक्नुवन्।
51. शक्नुयात् - रमेश: कार्यकर्तुं शक्नुयात्।
52. करोमि - अहं तस्यैव कार्य करोमि।
53. कुरुतम् - युवां कार्यमिदं कुरुतम्।
54. अकुर्वन् - मनुष्याः तत्र वार्तालापम् अकुर्वन्। 
55. कुर्यात् - मया कार्यमिदं न कुर्यात्।
56. करिष्यतः - तौ नृत्यं करिष्यतः।
57. जानाति - सः सर्वं जानाति।
58. ज्ञास्यसि - त्वं किम् ज्ञास्यसि।
59. जानन्तु - बालकाः सम्यक्तया जानन्तु। 
60. अजानाम् - अहं किमपि न अजानाम्।
61. चिन्तयावः - आवां तद्विषये चिन्तयावः। 
62. चिन्तयिष्यसि - त्वम् किम् चिन्तयिष्यसि।
63. चिन्तयन्तु - भवन्तः मम कथनविषये चिन्तयन्तु।
64. अचिन्तयत् - राधा तस्मिन् विषये अचिन्तयत्।
65. चिन्तयेम - वयं सम्यक् चिन्तयेम।
66. सेवते - शिष्यः गुरुं सेवते।
67. सेवन्ताम् - ते सदाचार सेवन्ताम्। 
68. लभसे - त्वम् धनं लभसे।
69. लप्स्यन्ते - जनाः ज्ञानं लप्स्यन्ते।
70. मोदे - अहं चित्रं दृष्ट्वा मोदे। 
71. मोदन्ताम् - भवन्तः सदैव मोदन्ताम्।
72. अमोदामहि - अहम् अमोदामहि।
73. मोदेरन् - ते तत्र गत्वा मोदेरन्।
74. याचते - भिक्षुकः नृपं धनं याचते।
75. याचन्ताम् - ते नृपं धनं याचन्ताम्।
76. रोचते - मह्यम पठनं रोचते।
77. रोचन्ते - अस्मभ्यम् फलानि रोचन्ते।
78. नयतः - तौ गां नयतः। 
79. नेष्यसि - त्वम् फलानि नेष्यसि। 
80. अनयन् - ते वस्त्राणि अनयन्। 
81. नयेम - वयं पुस्तकानि नयेम। 
82. नयते - सः अजां नयते।
83. नेष्यन्ते - ते धान्यानि नेष्यन्ते। 
84. हरसि - त्वम् धनं हरसि। 
85. हरन्तु - जना: दुराचरणं हरन्तु।
86. अहरत् - कृष्णः ताम् अहरत्। 
87. हरेयुः - छात्रा: आलस्यं हरेयुः। 
88. हरते - माया शान्तिं हरते।
89. भजन्ति - जनाः ईश्वरं भजन्ति।
90. भजतु - भवान् देवं भजतु।
91. अभजाव - आवां कृष्णम् अभजाव। 
92. भजेः - त्वम् सदैव भजे।
93. भजन्ते - वृद्धाः ईश्वरं भजन्ते।
94. भजन्ताम् - ते नृपं भजन्ताम्।
95. भजेरन् - वीराः मातृभूमिं भजेरन्।
96. पचति - महेशः ओदनं पचति।
97. पक्ष्यामि - अहम् ओदनं पक्ष्यामि। 
98. पचताम् - तौ ओदनं पचताम्।
99. अपचन् - ते ओदनम् अपचन्।
100. पचेत् - सः ओदनं पचेत्।
101. पचते - बालकः ओदनं पचते।

Prasanna
Last Updated on Aug. 20, 2022, 9:10 a.m.
Published Aug. 17, 2022