These comprehensive RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 4 संसाधन प्रबंधन will give a brief overview of all the concepts.
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→ परिचय:
समय, ऊर्जा, धनराशि, ज्ञान, रुचि, कौशल, भौतिक सामग्री, जल, वायु इत्यादि सब संसाधन हैं। संसाधन वे होते हैं जिनका हम किसी कार्यकलाप को करने में उपयोग करते हैं। ये हमें लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करते हैं।
→ संसाधनों का वर्गीकरण:
संसाधनों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं
(अ) मानव और गैरमानव संसाधन
(ब) व्यक्तिगत और साझे संसाधन
(स) प्राकृतिक और सामुदायिक संसाधन। यथा
(अ) मानव और गैर-मानव संसाधन मानव संसाधन-किसी भी कार्यकलाप को करने के लिए मानव संसाधन प्रमुख होते हैं। ये संसाधन प्रशिक्षण और आत्मविकास के माध्यम से विकसित किए जा सकते हैं। मानव संसाधनों में शामिल हैं
(क) ज्ञान-यह किसी भी कार्यकलाप को सफलतापूर्वक करने के लिए पहली आवश्यकता है। अतः व्यक्ति को जीवनपर्यन्त ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
(ख) उत्प्रेरण/रुचि-इसका तात्पर्य है कि किसी भी कार्य को करने के लिए प्रेरित होना अति आवश्यक है और कार्य में रुचि होनी चाहिए।
(ग) कौशल/क्षमताएँ/रुझान-हम अपने रुझान वाले कार्यों को क्षमता के अनुरूप बेहतर ढंग से निष्पादित कर सकते हैं। साथ ही किसी कौशल को सीखकर एवं प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
(घ) समय-यह बहुमूल्य संसाधन है क्योंकि बीता समय वापस नहीं आता। अतः समय का उचित प्रबंधन अति आवश्यक है। समय पर तीन आयामों पर विचार करना चाहिए
(ङ) ऊर्जा-व्यक्तिगत वृद्धि और शारीरिक निष्पादन क्षमता को बनाए रखने के लिए ऊर्जा अनिवार्य है।
→ गैर-मानव संसाधन-इसमें निम्नलिखित शामिल हैं
(क) धन-धन एक सीमित संसाधन है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इसे विवेकपूर्ण ढंग से खर्च करना चाहिए।
(ख) भौतिक संसाधन-स्थान, फर्नीचर, कपड़े, स्टेशनरी, खाद्य वस्तुएँ इत्यादि भौतिक संसाधन हैं।
(ब) व्यक्तिगत और साझे संसाधन
(स) प्राकृतिक और सामुदायिक संसाधन
संसाधनों की विशेषताएँ: संसाधनों की विशेषताओं में शामिल हैं
(क) उपयोगिता-उपयोगिता का अभिप्राय है कि कोई संसाधन व्यक्ति को लक्ष्य प्राप्ति में कितना महत्वपूर्ण (उपयोगी) है, जैसे-गाय के गोबर का उपयोग ईंधन एवं खाद के रूप में होता है।
(ख) सुलभता-कुछ संसाधन सरलता से सुलभ होते हैं तो कुछ संसाधन सिर्फ कुछेक के पास उपलब्ध होते हैं। जबकि संसाधन की उपलब्धता समयानुसार बदलती रहती है।
(ग) विनिमेयता-लगभग सभी संसाधनों के स्थानापन्न या विकल्प होते हैं । अतः एक ही कार्य कई संसाधनों द्वारा किया जाता है।
(घ) प्रबंधनीय-संसाधनों का उपयोग इस प्रकार किया जाना चाहिए कि हमें न्यूनतम संसाधनों के उपयोग से अधिकतम लाभ प्राप्त हों।
→ संसाधनों का प्रबंधन:
(क) नियोजन-इसका अर्थ है उपलब्ध संसाधनों के उपयोग द्वारा निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कार्रवाई करने के लिए योजना बनाना। नियोजन के बुनियादी चरण हैं
(ख) आयोजन-इसमें समुचित संसाधनों को एकत्र और व्यवस्थित किया जाता है।
(ग) कार्यान्वयन-इस अवस्था में तैयार योजना को कार्यान्वित किया जाता है।
(घ) नियंत्रण-नियंत्रण से कार्याकलापों के परिणामों की निगरानी करने में सहायता मिलती है और सुनिश्चित होता है कि योजनाएँ सही ढंग से कार्यान्वित की जा रही हैं।
(ङ) मूल्यांकन-अंततः योजना को कार्यान्वित करने के पश्चात् प्राप्त परिणामों का मूल्यांकन किया जाता है।