These comprehensive RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 3 भोजन, पोषण, स्वास्थ्य और स्वस्थता will give a brief overview of all the concepts.
→ परिचय:
पुरानी कहावत "जैसा अन्न वैसा तन" अर्थात् आप वैसे ही बनेंगे जैसा आहार लेंगे, सही प्रतीत होती है। हम विभिन्न प्रकार का भोजन लेते हैं जो कि हमें स्वस्थ और स्फूर्त रखने के लिए पोषक तत्व प्रदान करते हैं। भोजन एवं पोषक तत्वों को हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का विज्ञान 'पोषण' कहलाता है। वस्तुतः पोषण और स्वास्थ्य एक सिक्के के दो पहलू हैं, जिन्हें एक-दूसरे से पृथक् नहीं किया जा सकता है। हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक पोषण पर निर्भर करता है और पोषण हमारे द्वारा खाए गए आहार पर आधारित होता है। इस प्रकार, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य के रख-रखाव का एकमात्र महत्वपूर्ण कारण भोजन ही है।
→ भोजन:
वह ठोस अथवा द्रव पदार्थ जो भीतर निगलने, पचाने और स्वांगीकृत या अवशोषित होने के पश्चात् शरीर को अनिवार्य पोषक तत्व प्रदान करता है एवं इसे स्वस्थ रखता है, भोजन कहलाता है।
→ पोषण:
पोषण एक ऐसा विज्ञान है जिसमें भोजन, पोषक तत्वों और इसमें समाविष्ट अन्य पदार्थों का विवरण शामिल है।
→ पोषक तत्व:
भोजन में विद्यमान वे घटक जिनकी शरीर को पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता होती है. पोषक तत्व कहलाते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, विटामिन, जल तथा रेशा शामिल हैं।
→ संतुलित आहार
संतुलित आहार वह आहार होता है जिसमें दैनिक आवश्यकता के सभी अनिवार्य पोषक तत्वों युक्त खाद्य एवं | पेय पदार्थ समुचित मात्रा और सही अनुपात में शामिल होते हैं। संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य के लिए एवं स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है।
→ आर.डी.ए.:
इसका अर्थ है संस्तुत आहारीय मात्रा। यदि संतुलित आहार व्यक्ति की संस्तुत आहारीय मात्रा (Recommended Dietary Allowance) की पूर्ति करता है तो अतिरिक्त मात्रा भी इसमें पहले से शामिल होती है क्योंकि आर.डी.ए. अतिरिक्त मात्रा को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है।
आर.डी.ए. = आवश्यकता + अतिरिक्त सुरक्षा मात्रा
→ स्वास्थ्य और स्वस्थता
→ स्वस्थता का अर्थ: स्वस्थता (Fitness) का अभिप्राय शरीर का बेहतर होना है, यह नियमित व्यायाम, समुचित आहार और पोषण तथा शारीरिक स्वास्थ्य लाभ हेतु उचित विश्राम से प्राप्त होता है।
वर्तमान में शारीरिक स्वस्थता से अभिप्राय है—कार्य और रुचि सम्बन्धी कार्यकलापों को सक्षम और प्रभावी ढंग से करने की शारीरिक क्षमता, स्वस्थ रहना, रोगों के लिए प्रतिरोधकता तथा आकस्मिक परिस्थितियों का सामना करना।
स्वस्थता को 5 श्रेणियों में बाँटा जा सकता है
तुलनात्मक रूप से स्वास्थ्य पूर्ण मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य कल्याण की स्थिति है जबकि स्वस्थता शारीरिक श्रम के कार्यों को कर सकने की क्षमता है।
→ संतुलित आहार की योजना बनाने में आधारभूत खाद्य वर्गों का उपयोग-संतुलित आहार तैयार करने का सरल तरीका है खाद्य पदार्थों को वर्गों में विभाजित करना और सुनिश्चित करना कि प्रत्येक वर्ग भोजन में सम्मिलित है।
→ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आई.सी.एम.आर.) द्वारा पाँच मूलभूत खाद्य वर्गों का सुझाव दिया गया है, जो कि निम्न हैं
→ मूलभूत खाद्य वर्गों के उपयोग हेतु दिशा-निर्देश:
संतुलित आहार की योजना बनाते समय प्रत्येक खाद्य वर्ग में से खाद्य पदार्थ पर्याप्त मात्रा में चुने जाने चाहिए। अनाज और दालों को पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए। फल और सब्जियाँ भरपूर मात्रा में, मांस आदि आहार सीमित मात्रा में तथा तेल और शर्करा अल्प मात्रा में लेनी चाहिए।
→ शाकाहारी आहार:
शाकाहारी आहार मुख्यतः वनस्पतिजन्य खाद्य पदार्थों पर निर्भर होता है, जैसे-खाद्यान्न, सब्जियाँ, फली, फल, बीज और सूखे मेवे। कुछ शाकाहारी आहारों में अंडा, दूध से बनी वस्तुएँ अथवा दोनों शामिल होते हैं।
→ किशोरावस्था में आहार संबंधी पैटर्न:
किशोरों के आहार पैटर्न को समझने से हमें आहार की पोषण संबंधी पर्याप्तता का बेहतर मूल्यांकन करने में और यह सुनिश्चित करने में कि वे स्वास्थ्य और कुशलता हेतु न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं, सहायता मिलेगी। वर्तमान में आहार पैटर्न के अंतर्गत भोजन में| अनियमितता और एक बार भोजन न करना, स्वल्पाहार, फास्ट फूड व डाइटिंग करने की प्रवृत्तियाँ पाई जाती हैं।
→ आहार संबंधी व्यवहार में परिवर्तत करना:
खान-पान संबंधी आचरण उन माध्यमों में से एक है जिनके द्वारा किशोर वैयक्तिकता को अभिव्यक्त करते हैं। अतः कई बार साथियों के कहे अनुसार घर का नियमित खाना न खाना और बाहर खाना किशोरावस्था में एक सामान्य सी बात है।
→ निम्न तरीकों से किशोर स्वयं के आहार सम्बन्धी व्यवहार में परिवर्तन कर सकता है
→ नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरुपयोग:
किशोरावस्था में मादक पदार्थों का सेवन और दुरुपयोग बहुत महत्वपूर्ण और चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। नशीली दवा और शराब के सेवन से किशोरों के पोषण और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
→ खान:
पान संबंधी आचरण को प्रभावित करने वाले कारक-किशोरावस्था में पहुँचने पर व्यक्ति की खान-पान संबंधी आदतों को कई चीजें प्रभावित करती हैं। किशोरों की बढ़ती हुई स्वतंत्रता, सामाजिक जीवन में बढ़ती भागीदारी और सामान्य तौर पर व्यस्त कार्यक्रम का उनके खान-पान पर निश्चित प्रभाव पड़ता है। हमजोलियों की संगति व विज्ञापनों का प्रभाव भी संवेदी होता है।
→ किशोरावस्था में होने वाली खान-पान संबंधी विकतियाँ