These comprehensive RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 19 वैयक्तिक दायित्व और अधिकार will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 Home Science Chapter 19 Notes वैयक्तिक दायित्व और अधिकार
→ व्यक्तियों के अधिकार
- सभी व्यक्तियों को जीवन, स्वतंत्रता, सुरक्षा, समानता और सम्मान पाने का अधिकार है।
- ये अधिकार जाति, नस्ल, रंग, लिंग, धर्म, राष्ट्र, उत्पत्ति या निवास स्थान, ग्रामीण-शहरी अन्तरों या सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि में भिन्नताओं की परवाह न करते हुए प्रत्येक पुरुष, महिला, युवा और बच्चे को ये अधिकार प्रदान किए गए है।
- इन अधिकारों को या तो वैयक्तिक अथवा सामूहिक शक्ति द्वारा या परस्पर बातचीत के द्वारा लागू किया जाता है।
- ये अधिकार लिखित अथवा अलिखित सामाजिक अनुबंधों के रूप में सहायता करते हैं।
- स्वतंत्र रूप से उपयोग में लाए जाने वाले सभी अधिकार व स्वतंत्रताएँ इस बात पर निर्भर करते हैं कि लोग उनको पहचाने और उन्हें लागू करने में मदद करें।
→ वैयक्तिक दायित्व
- प्रत्येक अधिकार के साथ हमारा दायित्व भी जुड़ा हुआ है। इस प्रकार अधिकार और दायित्व एक दूसरे के उपसिद्धान्त हैं । अर्थात् वयस्कों को मिलने वाले प्रत्येक अधिकार के साथ दायित्व भी जुड़े होते हैं। अधिकार और कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
- व्यक्ति अपने दायित्वों को उचित रूप से पूरा करके एक मनुष्य के रूप में अपने अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
- यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि एक व्यक्ति अपने अधिकारों का दावा करने की प्रक्रिया में दूसरे के अधिकारों का हनन तो नहीं कर रहा। प्रत्येक व्यक्ति को शादी-विवाह के अवसर पर संगीत बजाने का अधिकार है लेकिन इसके साथ हमारा यह दायित्व भी है कि बैंड-बाजे के तेज संगीत से पड़ौसियों के सोने के अधिकार का हनन न हो।
- दायित्व का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का हनन होता देखकर प्रश्न उठाना और हस्तक्षेप करना भी है।
→ एक वयस्क के दायित्व स्वयं के प्रति दायित्व
- किसी भी कार्य के पीछे के सच को पहचानने के लिए निष्ठापूर्वक और ईमानदारी से प्रयास करें।
- अंधविश्वास और झूठी कल्पनाओं से छुटकारा पाएँ।
- ऊँचे नैतिक मूल्य विकसित करें और अपने चरित्र में सुधार लाएँ।
- सम्मानित जीविकोपार्जन की क्षमता विकसित करने के कौशल सीखें।
- अपने संसाधनों का उपभोग भावी पीढ़ियों को ध्यान में रखकर करें।
- सभी जातियों, नस्लों, भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों के लोगों के लिए आदर भाव विकसित करें।
→ अपने परिवार के प्रति दायित्व
- अपने परिवार और बच्चों को वित्तीय, भौतिक तथा भावनात्मक समर्थन देना।
- सुशिक्षित तथा जानकार बनना और अपने बच्चों को सुशिक्षित बनाना।
- अपने बच्चों में अच्छे मानवीय मूल्य विकसित करना।
- एक मजबूत पारिवारिक संबंध बनाना तथा प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों का आदर करना।
- एक संतुष्ट और स्नेहिल पारिवारिक परिवेश का विकास करना।
→ अपने समुदाय या समाज के प्रति दायित्व
- अपने राष्ट्र, समुदाय और परिवार के प्रति ईमानदार तथा प्रतिबद्ध होना।
- मानव जाति की सेवा का भाव विकसित करना।
- वैश्विक समुदाय और नागरिकता की भावना का विकास करना।
- ऐसे सचेत प्रयास करना कि आपके किसी कार्य से किसी अन्य के अधिकारों का हनन न हो।
- वैश्विक समन्वय, एकता और शान्ति में योगदान देना।
- सभी जातियों, नस्लों, भाषाओं, धर्मों, संस्कृतियों के लोगों के लिए समान अधिकारों के प्रोत्साहन हेतु कार्य करना।
- पारिस्थितिकी मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता सुनिश्चित करना।
→ क्या एक व्यक्ति के अधिकार और दायित्व दूसरे से भिन्न होते हैं?
अधिकार और दायित्व राष्ट्र-राज्यों और अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सियों, सरकार और नागरिकों, नियोक्ता और कर्मचारियों, शिक्षक और छात्रों, माता-पिता और बच्चों, पुरुषों और महिलाओं, चिकित्सक और रोगी, उपभोक्ता और उत्पादक, पति-पत्नी तथा अन्य अनेक के बीच हो सकते हैं। प्रत्येक सम्बन्ध में दायित्वों के विभिन्न समूह होते हैं। यही बात अधिकारों पर लागू होती है। अधिकार और दायित्व मिलजुलकर निभाये जाते हैं। यद्यपि इनकी मध्यस्थता सांस्कृतिक मानक, मान्यताओं, भाईचारे, पदानुक्रमी संबंधों और स्त्री या पुरुष के रूप में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका द्वारा निभाये जाते हैं।
→ अधिकारों की सुरक्षा कैसे की जाए और दायित्व की भावना को कैसे बढ़ावा दिया जाए?
जीवन की विभिन्न अवस्थाओं और परिस्थितियों के अनुसार हमारे अधिकार और दायित्व बदलते हैं।
- नवजातों और शिशुओं के स्वाभाविक रूप से कोई दायित्व नहीं होते परन्तु वे सभी मानवाधिकारों का लाभ उठाते हैं।
- जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता है, उसके दायित्व बढ़ते हैं।
- यह अनिवार्य है कि छोटे बच्चों को बहुत छोटी उम्र से ही उनके दायित्व उन्हें बताए जाएँ ताकि वे अपने अधिकारों का दावा करने के साथ दायित्वों का महत्व भी सीख लें। ऐसा करने पर वे समय के साथ परिवार, समुदाय और समाज के सदस्यों के रूप में अपने दायित्वों को पूरा करने के बारे में सचेत हो जाएंगे।