Rajasthan Board RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 2 लेखन कला और शहरी जीवन Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
Mesopotamia Kahan Sthit Hai प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया की सभ्यता प्रसिद्ध है
(क) समृद्धि व शहरी जीवन के लिए
(ख) विशाल व समृद्ध साहित्य के लिए
(ग) गणित और खगोल विद्या के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(क) समृद्धि व शहरी जीवन के लिए
लेखन कला और शहरी जीवन Important Questions प्रश्न 2.
निम्न में से किस दशक में मेसोपोटामिया में पुरातत्वीय खोजों की शुरुआत हुई
(क) 1810 के दशक में
(ख) 1840 के दशक में
(ग) 1920 के दशक में
(घ) 1990 के दशक में।
उत्तर:
(ख) 1840 के दशक में
Lekhan Kala Aur Shehri Jeevan Important Questions प्रश्न 3.
मेसोपोटामिया में खेती की शुरुआत हुई
(क) 10000 से 5000 ई. पू.
(ख) 9000 से 7000 ई. पू.
(ग) 7000 से 6000 ई. पू.
(घ) 3000 से 2000 ई. पू.।
उत्तर:
(ग) 7000 से 6000 ई. पू.
मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग साक्षर थे स्पष्ट कीजिए प्रश्न 4.
मेसोपोटामिया के किस भाग में सर्वप्रथम नगरों व लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ
(क) उत्तरी भाग
(ख) दक्षिणी भाग
(ग) पूर्वी भाग
(घ) पश्चिमी भाग।
(ख) दक्षिणी भाग
मेसोपोटामिया के लोग बहुत कम साक्षर थे क्यों प्रश्न 5.
वार्का शीर्ष 3000 ई. पू. में सफेद संगमरमर को तराशकर बनाया गया था। यह मेसोपोटामिया के किस नगर में पाया गया?
(क) उरुक में
(ख) बेबीलोन में
(ग) मारी में
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) उरुक में
Mesopotamia Ke Bahut Kam Log Sakshar The प्रश्न 6.
मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पायी गयीं, उनका समय माना गया है, लगभग
(क) 3000 ई. पू.
(ख) 3200 ई. पू.
(ग) 2000 ई.
(ग) 6000 ई. पू.।
उत्तर:
(ख) 3200 ई. पू.
मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार से क्या अभिप्राय था प्रश्न 7.
मेसोपोटामिया की लिपि कहलाती है
(क) कीलाकार लिपि
(ख) संकेताक्षर लिपि
(ग) मोहर लिपि
(घ) देवनागरी लिपि।
उत्तर:
(क) कीलाकार लिपि
वार्का शीर्ष प्रश्न 8.
ज़िमरीलिम का विशाल राजमहल स्थित था
(क) उरुक में
(ख) मारी में
(ग) बेबीलोन में
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) मारी में
कीलाकार लिपि की विशेषताएं प्रश्न 9.
मेसोपोटामिया की विश्व को सबसे बड़ी देन है
(क) गणित व काल गणना के क्षेत्र में
(ख) पर्यावरण के क्षेत्र में
(ग) राजनीतिक सिद्धान्तों के क्षेत्र में
(घ) भूगोल के क्षेत्र में।
उत्तर:
(क) गणित व काल गणना के क्षेत्र में
शिमार से क्या आशय है इतिहास प्रश्न 10.
अन्तिम असीरियाई शासक असुरबनिपाल का प्रसिद्ध पुस्तकालय स्थित था
(क) उरुक नगर में
(ख) बेबीलोन में
(ग) निनवै में
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) निनवै में
अतिलघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
मेसोपोटामिया में लेखन कला की शुरुआत कब हुई प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया का शाब्दिक अर्थ बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस अर्थात् मध्य और पोटैमोस अर्थात् नदी से मिलकर बना है। इस प्रकार मेसोपोटामिया का अर्थ दो नदियों के बीच में स्थित प्रदेश है।
प्रश्न 2.
शहरी जीवन की शुरुआत कहाँ हुई थी ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में।
प्रश्न 3.
मेसोपोटामिया किन-किन नदियों के मध्य स्थित था ?
उत्तर:
दजला व फ़रात नदियों के मध्य।
प्रश्न 4.
वर्तमान में मेसोपोटामिया किस देश का हिस्सा है ?
उत्तर:
इराक का।
प्रश्न 5.
मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी किन-किन विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी सम्पन्नता, विशालता, शहरी जीवन, विशाल समृद्ध साहित्य, गणित तथा खगोल विद्या के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 6.
मेसोपोटामिया में कौन-कौन सी भाषाएँ प्रचलन में थीं ?
उत्तर:
प्रश्न 7.
अरामाइक भाषा किस भाषा से मिलती-जुलती थी?
उत्तर:
हिब्रू भाषा से।
प्रश्न 8.
अक्कदी ने किस भाषा का स्थान ग्रहण किया?
उत्तर:
सुमेरी भाषा का।
प्रश्न 9.
मेसोपोटामिया में पुरातत्वीय खोजों का प्रारम्भ कब हुआ था ?
उत्तर:
1840 के दशक में।
प्रश्न 10.
मेसोपोटामिया के इतिहास के कौन-कौन से स्रोत उपलब्ध हैं ?
उत्तर:
इमारतें, मूर्तियाँ, आभूषण, औजार, कब्रे, मुद्राएँ व लिखित स्रोत।
प्रश्न 11.
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर:
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्वपूर्ण था। क्योंकि बाइबिल के प्रथम भाग ओल्ड टेस्टामेंट में इसका उल्लेख कई संदर्भो में किया गया था।
प्रश्न 12.
बाइबिल के अनुसार जलप्लावन के पश्चात जीवन को पृथ्वी पर सुरक्षित रखने के लिए ईश्वर ने किस नाम के एक मनुष्य को चुना?
उत्तर:
नोआ' नामक मनुष्य को।
प्रश्न 13.
समस्त प्राचीन व्यवस्थाओं में कहाँ की खेती सर्वाधिक उपज देने वाली थी ?
उत्तर:
दक्षिणी मेसोपोटामिया की।
प्रश्न 14.
मेसोपोटामिया में भेड़-बकरियाँ कहाँ पाली जाती थीं ?
उत्तर:
भेड़ व बकरियाँ स्टेपी घास के मैदानों, पूर्वोत्तरीय मैदानों एवं पहाड़ों के ढालों पर पाली जाती थीं।
प्रश्न 15.
मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कब प्रारम्भ हुआ था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कांस्य युग अर्थात् लगभग 3000 ई. पू. में प्रारम्भ हुआ था।
प्रश्न 16.
शहरी जीवन की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
श्रम-विभाजन।
प्रश्न 17.
वार्काशीर्ष क्या था?
उत्तर:
यह 3000 ई. पू. में उरूक नगर में संगमरमर को तराशकर बनाया गया एक स्त्री का सिर था।
प्रश्न 18.
मेसोपोटामिया के किस नगर से वार्का-शीर्ष नामक मूर्तिकला का एक विश्वप्रसिद्ध नमूना प्राप्त हुआ है ?
उत्तर:
उरुक नगर से।
प्रश्न 19. मेसोपोटामिया में किस संसाधन की पर्याप्तता व किसका अभाव था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में खाद्य संसाधन की पर्याप्तता व खनिज संसाधनों का अभाव था।
प्रश्न 20.
मेसोपोटामिया की कौन-सी नदी व्यापार के लिए विश्व मार्ग के रूप में महत्वपूर्ण थी ?
उत्तर:
फरात नदी।
प्रश्न 21.
मौखिक या शाब्दिक भावाभिव्यक्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
समस्त समाजों के पास अपनी एक भाषा होती है जिसमें उच्चरित ध्वनियाँ अपना अर्थ प्रकट करती हैं, उसे मौखिक या शाब्दिक भावाभिव्यक्ति कहते हैं।
प्रश्न 22.
लेखन या लिपि से क्या आशय है ?
उत्तर:
लेखन या लिपि से आशय ,उन ध्वनियों से है जो संकेतों या चिहनों के रूप में लिखी जाती हैं।
प्रश्न 23.
मेसोपोटामिया में पाई गई पहली पट्टिकाएँ कब की हैं ?
उत्तर:
लगभग 3200 ई. प. की।
प्रश्न 24.
मेसोपोटामिया के लोग किस पर लिखा करते थे ?
उत्तर:
मिट्टी की पट्टिकाओं पर।
प्रश्न 25.
मेसोपोटामिया के लोगों की लिपि कौन-सी थी ?
उत्तर:
कीलाकार (क्यूनीफार्म)।
प्रश्न 26.
क्यूनीफार्म शब्द कैसे निर्मित हुआ है ? अथवा क्यूनीफार्म शब्द की उत्पत्ति किन शब्दों से हुई है ?
उत्तर:
क्यूनीफार्म शब्द लातिनी भाषा के शब्द क्यूनियस जिसका अर्थ 'खूटी' और फ़ोर्मा जिसका अर्थ 'आकार' है, से बना है।
प्रश्न 27.
मेसोपोटामिया में लेखन का प्रयोग किन कार्यों में किया जाता था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में लेखन का प्रयोग हिसाब-किताब रखने, शब्दकोष बनाने, राजाओं की उपलब्धियों का उल्लेख करने एवं कानूनों में परिवर्तन करने के कार्यों में किया जाता था।
प्रश्न 28.
मेसोपोटामिया की सबसे पुरानी भाषा कौन-सी थी ?
उत्तर:
सुमेरियन भाषा।
प्रश्न 29.
सुमेरियन भाषा का स्थान किस भाषा ने कब ले लिया था ?
उत्तर:
2400 ई. पू. के पश्चात् सुमेरियन भाषा का स्थान अक्कदी भाषा ने ले लिया।
प्रश्न 30.
मेसोपोटोमिया में लेखन कार्य क्यों महत्वपूर्ण माना जाता था ?
उत्तर:
क्योंकि लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की आवश्यकता होती थी।
प्रश्न 31.
मेसोपोटामिया में साक्षरता कम क्यों थी ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की लिपि में चिह्नों की संख्या सैकड़ों में थी तथा ये चिह्न बहुत ही जटिल भी थे। इस कारण मेसोपोटामिया में साक्षरता दर कम थी।
प्रश्न 32.
सुमेर के व्यापार की पहली घटना को किस व्यक्ति से जोड़ा जाता है ?
उत्तर:
उरुक शहर के प्राचीन शासक एनमर्कर से।
प्रश्न 33.
दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास कब होने लगा था ?
उत्तर:
5000 ई. पू. से।
प्रश्न 34.
प्रारम्भ में दक्षिणी मेसोपोटामिया में विकसित होने वाले शहर कितने प्रकार के थे ?
उत्तर:
प्रश्न 35.
मेसोपोटामिया का सबसे पहला ज्ञात मंदिर कौन सा था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया का सबसे पहला ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था, जो कच्ची ईंटों का बना हुआ था।
प्रश्न 36.
मेसोपोटामिया के किन्हीं दो देवी-देवताओं के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 37.
मेसोपोटामिया के प्रारम्भिक मन्दिरों एवं साधारण घरों में क्या अन्तर था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के प्रारम्भिक मन्दिरों की बाहरी दीवारें भीतर व बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं, परन्तु साधारण घरों की दीवारों में यह विशेषता नहीं थी।
प्रश्न 38.
मेसोपोटामिया में पूजा का केन्द्रबिन्दु कौन होता था ?
उत्तर:
देवता।
प्रश्न 39.
मेसोपोटामिया में खेतों, मत्स्य क्षेत्रों व स्थानीय लोगों के पशुधनं का स्वामी किसे माना जाता था ?
उत्तर:
आराध्य देव को।
प्रश्न 40.
3000 ई. पू. में उरुक नगर का कितने हैक्टेयर भूमि क्षेत्र में विस्तार हुआ था ?
उत्तर:
250 हैक्टेयर भूमि क्षेत्र में।
प्रश्न 41.
शहरी अर्थव्यवस्था के लिए कुम्हार के चाक का क्या महत्व था ?
उत्तर:
कुम्हार द्वारा चाक के प्रयोग से बर्तन बनाने के कार्य ने एक कार्यशाला का रूप ग्रहण कर लिया। अब बड़े स्तर पर एक जैसे बर्तन आसानी से बनाए जाने लगे।
प्रश्न 42
स्टेल क्या है?
उत्तर:
स्टेल पत्थर के ऐसे शिलापट्ट होते हैं, जिन पर अभिलेख उत्कीर्ण किये जाते हैं।
प्रश्न 43.
मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था में धन-सम्पदा के अधिकांश भाग पर किस वर्ग का अधिकार था ?
उत्तर:
उच्च या संभ्रान्त वर्ग का।
प्रश्न 44.
मेसोपोटामिया के समाज में किस तरह के परिवार को आदर्श परिवार माना जाता था? उत्तर-एकल परिवार को।
प्रश्न 45.
मेसोपोटामिया में जल निकासी की क्या व्यवस्था थी ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में वर्षा के पानी को नालियों के माध्यम से भीतरी आँगनों में बने हुए हौजों में ले जाया जाता था।
प्रश्न 46.
उर नगर में घरों की दहलीजों को क्यों ऊँचा उठाना पड़ता था ?
उत्तर:
ताकि वर्षा के पश्चात् कीचड़ बहकर घरों के भीतर न आ सके।
प्रश्न 47.
मारी नगर कहाँ स्थित था ?
उत्तर:
मारी नगर मेसोपोटामिया में फ़रात नदी की ऊर्ध्वधारा पर स्थित था।
प्रश्न 48.
मारी नगर के समृद्ध होने का क्या कारण था?
उत्तर:
मारी नगर के व्यापार का उन्नत होना।
प्रश्न 49.
मारी नगर में कौन-कौन से खानाबदोश समुदायों के लोग आकर बसे थे ?
उत्तर:
अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई व आर्मीनियन समुदायों के लोग।
प्रश्न 50.
मारी का राजा किस समुदाय का था ?
उत्तर:
एमोराइट समुदाय का।
प्रश्न 51.
मारी के राजाओं ने कहाँ एवं किस देवता का मन्दिर बनवाया ?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र में देवता डैगन का।
प्रश्न 52.
राजा ज़िमरीलिम का राजमहल कहाँ स्थित था ?
उत्तर:
मारी नगर में।
प्रश्न 53.
मारी का विशाल राजमहल तत्कालीन समय में किन-किन वस्तुओं का केन्द्र था ?
उत्तर:
मारी का विशाल राजमहल वहाँ के शाही परिवार, प्रशासन, उत्पादन तथा बहुमूल्य धातुओं के आभूषणों के निर्माण का प्रमुख केन्द्र था।
प्रश्न 54.
मारी के राजा के भोजन में प्रतिदिन कौन-कौन से खाद्य पदार्थ प्रस्तुत किये जाते थे ?
उत्तर:
आटा, रोटी, माँस, मछली, फल, मदिरा व बीयर आदि।
प्रश्न 55.
मारी स्थित राजमहल कितने हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ था ?
उत्तर:
2.4 हैक्टेयर क्षेत्र में।
प्रश्न 56.
मारी नगर में साइप्रस के किस द्वीप से किस वस्तु का आयात किया जाता था ?
उत्तर:
अलाशिया से ताँबे का।
प्रश्न 57.
मेसोपोटामिया का प्रसिद्ध महाकाव्य कौन सा था?
उत्तर:
गिल्गेमिश महाकाव्य।
प्रश्न 58.
गिल्गेमिश महाकाव्य से क्या ज्ञात होता है ?
उत्तर:
गिल्गेमिश महाकाव्य से ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया के लोग अपने नगरों पर बहुत अधिक गर्व करते थे।
प्रश्न 59.
गिल्गेमिश कौन था ?
उत्तर:
गिल्गेमिश उरुक नगर का महाप्रतापी राजा था। उसने दूर-दूर तक के अनेक प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था।
प्रश्न 60.
विश्व को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन क्या है ? उत्तर-कालगणना एवं गणित की विद्वत्तापूर्ण परम्परा।
प्रश्न 61.
मेसोपोटामिया के निवासियों ने समय का विभाजन किस प्रकार किया था?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के निवासियों ने एक वर्ष को 12 महीनों में, एक महीने को 4 सप्ताहों में, एक दिन को 24 घण्टों में और एक घण्टे को 60 मिनट में विभाजित किया।
प्रश्न 62.
असुरबनिपाल कौन था ?
उत्तर:
असुरबनिपाल असीरिया का अन्तिम शासक था।
प्रश्न 63.
असुरबनिपाल का पुस्तकालय कहाँ स्थित था ?
उत्तर:
निनवै में।
प्रश्न 64.
असुरबनिपाल के पुस्तकालय में कितने मूल ग्रन्थ थे ? उत्तर-1000 मूल ग्रन्थ। प्रश्न 65. नैबोपोलास्सर कौन था ?
उत्तर:
नैबोपोलास्सर दक्षिणी कछार का एक महान योद्धा था। इसने बेबीलोनिया को 625 ई.पू. में असीरियन लोगों के आधिपत्य से मुक्त कराया था।
प्रश्न 66.
स्वतंत्र बेबिलोन का अन्तिम शासक कौन था ?
उत्तर:
नैबोनिड्स।
प्रश्न 67.
नैबोनिड्स ने अक्कद के राजा सारगोन की टूटी हुई मूर्ति की मरम्मत क्यों करवायी?
उत्तर:
नैबोनिड्स ने देवताओं के प्रति भक्ति और राजा के प्रति अपनी निष्ठा के कारण अक्कद के राजा सारगोन की टूटी हुई मूर्ति की मरम्मत करवाई।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)
प्रश्न 1.
शहरी जीवन का प्रारम्भ कहाँ हुआ था ? उस स्थान की भौगोलिक स्थिति को वर्णित कीजिए।
उत्तर:
शहरी जीवन का प्रारम्भ मेसोपोटामिया में हुआ था। मेसोपोटामिया वर्तमान एशिया महाद्वीप में स्थित इराक देश में फ़रात व दजला नदियों के मध्य स्थित था।
इराक भौगोलिक विविधता का देश है। इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे ऊँचे-नीचे मैदान हैं। उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ स्टेपी घास के मैदान हैं। पूर्व में दजला की सहायक नदियाँ हैं तथा दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है। फ़रात नदी भी । रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में बँटकर बहने लगती है।
प्रश्न 2.
मेसोपोटामियाई सभ्यता की कोई दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामियाई सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
प्रश्न 3.
मेसोपोटामिया में कौन-कौन सी भाषाओं का प्रयोग होता था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरी थी। 2400 ई. पू. जब यहाँ अक्कदी भाषा के लोग आ गये तब अक्कदी भाषा ने सुमेरी भाषा का स्थान ले लिया। 1400 ई. पू. के लगभग यहाँ अरामाइक भाषा का प्रयोग प्रारम्भ हो गया। यह भाषा हिब्रू से मिलती-जुलती थी। वर्तमान समय में भी यह भाषा इराक के कुछ भागों में बोली जाती है।
प्रश्न 4.
मेसोपोटामिया में पुरातत्वीय खोजों की शुरुआत कब हुई ? यहाँ के किन-किन नगरों का उत्खनन कार्य कई दशकों तक चलता रहा? इससे क्या लाभ हुआ है?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में पुरातत्वीय खोजों की शुरुआत 1840 के दशक में हुई। यहाँ स्थित उरुक व मारी नामक नगरों का उत्खनन कार्य कई दशकों तक चलता रहा। इन खुदाइयों के फलस्वरूप आज हम मूर्तियों, आभूषणों, कब्रों, औजारों और मुद्राओं का ही नहीं बल्कि प्राप्त दस्तावेजों का भी अध्ययन कर सकते हैं।
प्रश्न 5.
मेसोपोटामिया के नगरों के उत्खनन कार्य की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के नगरों के उत्खनन कार्य के फलस्वरूप आज हम इतिहास के स्रोतों के रूप में सैकड़ों की संख्या में भवनों, मूर्तियों, आभूषणों, औजारों, मुद्राओं व कब्रों के अतिरिक्त हजारों की संख्या में प्राप्त लिखित दस्तावेजों का भी अध्ययन कर सकते हैं।
प्रश्न 6.
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया क्यों महत्वपूर्ण था ?
उत्तर:
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि बाइबिल के प्रथम भाग 'ओल्ड टेस्टामेंट' में इसका उल्लेख कई सन्दर्भो में किया गया है जैसे कि ओल्ड टेस्टामेंट में 'बुक ऑफ जेनेसिस' में शिमार अर्थात् सुमेर ईंटों से बने शहरों की भूमि का उल्लेख है। यूरोप के लोग मेसोपोटामिया को अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे।
प्रश्न 7.
इराक में पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अच्छा साधन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
यहाँ 'स्टेपी' घास के मैदान हैं। सर्दियों की वर्षा के बाद भेड़-बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी-छोटी झाड़ियों और घास से अपना भरण-पोषण करती हैं। अतः कहा जा सकता है कि इराक में पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अच्छा साधन है।
प्रश्न 8.
बाइबिल में उल्लेखित जलप्लावन की कहानी हमें क्या बताती है ?
उत्तर:
बाइबिल के अनुसार प्राचीनकाल में पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन को नष्ट करने वाला जलप्लावन हुआ था। परन्तु ईश्वर पृथ्वी पर भी जीवन को बनाए रखना चाहता था। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु उसने 'नोआ' नामक व्यक्ति को चुना। नोआ ने एक बहुत बड़ी नाव बनाई और उसमें पृथ्वी पर मौजूद समस्त प्रकार के जीव-जंतुओं का एक-एक जोड़ा रख लिया। जलप्लावन होने पर नाव में रखे सभी जोड़े सुरक्षित बच गए, जबकि शेष सब कुछ नष्ट हो गया।
प्रश्न 9.
मेसोपोटामिया के मरुस्थलों में नगरों का प्रादुर्भाव क्यों हुआ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के मरुस्थलों में नगरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी। फ़रात व दजला नामक नदियाँ जो इस क्षेत्र में बहती थीं, अपने साथ उपजाऊ मिट्टी लाती थीं। फ़रात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में बँटकर प्रवाहित होने लगती है। पुरातन काल में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों का काम करती थीं।
प्रश्न 10.
शहरीकरण की कोई दो प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
उत्तर:
शहरीकरण की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 11.
मेसोपोटामिया के लोग किन-किन वस्तुओं का आयात और निर्यात करते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के लोग लकड़ी, ताँबा, राँगा, चाँदी, सोना, सीपी, पत्थर आदि का आयात करते थे जबकि कपड़े व कृषिजन्य उत्पादों का निर्यात करते थे।
प्रश्न 12.
मेसोपोटामिया के लोग अपने लिए आवश्यक धातुएँ एवं अन्य सामग्री कहाँ से मँगवाते थे। इसके बदले में वे क्या निर्यात करते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के लोग अपने लिए आवश्यक धातुएँ तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी-पार के देशों से मँगवाते थे। इसके बदले में वे कपड़ा एवं कृषि उत्पाद निर्यात करते थे।
प्रश्न 13.
मेसोपोटामिया में पट्टिकाओं का क्या महत्व था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ प्राप्त हुई हैं, वे लगभग 3200 ई. पू. की हैं। उनमें चित्र जैसे चिह्न व संख्याएँ थीं। मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करके, उसे गूंथकर एवं थापकर हाथ में पकड़ने योग्य आकार की मिट्टी का रूप दे देता था। पट्टी का आकार इस प्रकार बनाया जाता था जिससे उसे आसानी से हाथ में पकड़ा जा सके।
प्रश्न 14.
मेसोपोटामिया में लिपिक पट्टिकाओं पर कीलाकार लिपि किस प्रकार लिखते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में लिपिकों द्वारा सरकंडे की तीली की तीखी नोंक से पट्टिकाओं की चिकनी सतह पर कीलाकार चिह्न बनाये जाते थे। ये पट्टिकाएँ धूप में सूखने पर पक्की हो जाती थीं तथा उन पर कोई नया चिह्न नहीं लिखा जा सकता था।
प्रश्न 15.
लिपि का महत्व बताइए।
उत्तर
लिपि भावाभिव्यक्ति का एक साधन है। लिपि के माध्यम से व्यापारिक लेन-देन का लेखा-जोखा रखा जाता था। शासकीय आदेशों को लिखित रूप में जारी किया जाता था। प्रत्येक सभ्यता की अपनी एक भाषा व लिपि होती है।
प्रश्न 16.
मेसोपोटामिया में लेखन कार्य की आवश्यकता कब समझी गई?
उत्तर:
संभवतः लेखन कार्य तभी शुरू हुआ होगा जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की जरूरत पड़ी, क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था।
प्रश्न 17.
मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग क्यों पढ़ और लिख सकते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग पढ़ और लिख सकते थे। उनकी भाषा में न केवल प्रतीकों या चिह्नों की संख्या सैकड़ों में थी वरन् उनको समझना भी अत्यन्त जटिल कार्य था। इसी कारण मेसोपोटामिया में साक्षरता का स्तर बहुत कम देखने को मिलता था।
प्रश्न 18.
मेसोपोटामिया की धर्म सम्बन्धी दो विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की धर्म सम्बन्धी दो विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
प्रश्न 19.
मेसोपोटामिया की भूमि में प्राकृतिक उपजाऊपन होने के बावजूद कृषि को कई बार संकटों का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
इसके निम्नलिखित कारण थे-
प्रश्न 20.
मेसोपोटामिया के गाँवों में भूमि और पानी के लिए बार-बार झगड़े क्यों होते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के गाँवों में भूमि और पानी के लिए बार-बार झगड़े होने के निम्नलिखित कारण थे-
प्रश्न 21.
इस तथ्य की पुष्टि किस बात से होती है कि मेसोपोटामिया शहरी समाज में फल-कपड़ों का अधिकांश भाग एक उच्च वर्ग में केन्द्रित था।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में अधिकांश बहुमूल्य वस्तुएँ; जैसे-आभूषण, सोने के पात्र, सफेद सीपियाँ, लाजवर्द जड़े हुए लकड़ी के वाद्य यंत्र, सोने के सजावटी खंजर आदि विशाल मात्रा में राजा और रानियों की कब्रों व समाधियों में उनके साथ दफनायी हुई मिली हैं। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि मेसोपोटामिया के समाज में धन-सम्पदा का अधिकांश भाग उच्च वर्ग में केन्द्रित था।
प्रश्न 22.
मेसोपोटामिया की पारिवारिक स्थिति को बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के कानूनी दस्तावेजों के अध्ययन से यह पता चलता है कि यहाँ के समाज में एकल परिवार को ही आदर्श माना जाता था। यद्यपि एक शादीशुदा बेटा और उसका परिवार अधिकांशतया अपने माता-पिता के साथ ही रहा करते थे। पिता परिवार का मुखिया होता था।
प्रश्न 23.
मेसोपोटामिया के उर नगर के निवासियों में घरों के बारे में प्रचलित तीन अंधविश्वासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
उर नगर के निवासियों के घरों के बारे में प्रचलित तीन अंधविश्वास निम्नलिखित थ
प्रश्न 24.
मारी नगर के किसानों एवं पशुचारकों के मध्य झगड़े क्यों होते थे ?
उत्तर:
मारी नगर के किसानों एवं पशुचारकों के मध्य झगड़े होने के निम्नलिखित कारण थे
प्रश्न 25.
गिल्गेमिश महाकाव्य क्या है ? यह किस बात के महत्व को प्रदर्शित करता है ?
उत्तर:
गिल्गेमिश महाकाव्य 12 पट्टिकाओं पर लिखा गया एक महाकाव्य है। यह मेसोपोटामिया के नगरों के महत्व को प्रदर्शित करता है। इससे यह पता चलता है कि मेसोपोटामिया के लोगों को अपने नगरों पर बहुत अधिक ग़र्व था।
प्रश्न 26.
मेसोपोटामिया के निवासियों द्वारा किए गए समय के विभाजन को किन-किन लोगों ने अपनाया था?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के निवासियों द्वारा किए गए समय के विभाजन के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए उसे सिकन्दर महान के उत्तराधिकारियों, रोम के शासकों ने तथा मुस्लिम देशों व मध्ययुगीन यूरोप द्वारा अपनाया गया था।
प्रश्न 27.
असुरबनिपाल कौन था ? उसकी दो प्रमुख उपलब्धियों को बताइए।
उत्तर:
असुरबनिपाल असीरिया का अन्तिम राजा था। उसकी दो प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं-
प्रश्न 28.
असुरबनिपाल ने पुस्तकालय की स्थापना कहाँ की? यह पुस्तकालय किस देवता के मन्दिर में केन्द्रित था?
उत्तर:
असुरबनिपाल ने अपने पुस्तकालय की स्थापना निनवै नामक शहर में करवायी। यह पुस्तकालय उसके इष्टदेव नाबू के मन्दिर में केन्द्रित था। यह अपने 1000 मूल ग्रन्थों एवं 3000 पट्टिकाओं के लिए विख्यात था।
प्रश्न 29.
बेबीलोन नगर की कोई चार प्रमुख विशेषताएँ बताइए। उत्तर-बेबीलोन नगर की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
प्रश्न 30.
नैबोनिड्स कौन था? उसके कार्य बताइए।
उत्तर:
नैबोनिड्स स्वतंत्र बेबीलोन का अन्तिम शासक था। इसने 'उर' नामक नगर का कार्यभार संभालने के लिए महिला पुरोहित को नियुक्त किया तथा अक्कद के राज्य सारगोन की खंडित मूर्ति की मरम्मत करवायी थी।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)
प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया की स्थिति एवं इसके प्रारम्भिक इतिहास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की स्थिति एवं उसका प्रारम्भिक इतिहास-मेसोपोटामिया फ़रात और दजला नामक नदियों के मध्य स्थित था। यह प्रदेश वर्तमान इराक गणराज्य का एक भाग है। अभिलिखित इतिहास के आरम्भिक काल में इस प्रदेश को मुख्यतः इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर तथा अक्कद कहा जाता था। 2000 ई. पू. के पश्चात् जब बेबीलोन एक महत्वपूर्ण शहर बन गया तब इसके दक्षिणी क्षेत्र को बेबीलोनिया कहा जाने लगा। 1100 ई. पू. में असीरियाई लोगों ने उत्तर में अपना राज्य स्थापित कर लिया तब इस क्षेत्र को असीरिया कहा जाने लगा। मेसोपोटामिया की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरियन थी जिसे सुमेरी भी कहा जाता था। लगभग 2400 ई. पू. में यहाँ अक्कदी भाषा का प्रचलन हो गया। 1400 ई. पू. से धीरे-धीरे अरामाइक भाषा का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। यह भाषा हिब्रू से मिलती-जुलती थी और 1000 ई. पू. के पश्चात् यह भाषा व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी। आज भी यह भाषा इराक के कुछ भागों में बोली जाती है।
प्रश्न 2.
“इराक भौगोलिक विविधताओं वाला देश है।" कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। . उत्तर–इराक एशिया महाद्वीप में स्थित एक संसाधन सम्पन्न देश है। यह भौगोलिक विविधताओं वाला देश है। इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे, ऊँचे-नीचे मैदान हैं। ये मैदान धीरे-धीरे वृक्षाच्छादित पर्वत श्रृंखला के रूप में फैलते जा रहे हैं। यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा होती है। उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ स्टेपी घास के मैदान हैं। देश का दक्षिणी भाग रेगिस्तान है। पूर्व में दजला की सहायक नदियाँ परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन प्रस्तुत करती हैं। यहाँ बहने वाली दजला और फ़रात नदियाँ इस रेगिस्तानी क्षेत्र को उपजाऊ बनाती हैं।
प्रश्न 3.
मेसोपोटामिया में पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का एक अच्छा साधन था। क्यों?
उत्तर:
मेसोपोटामिया वर्तमान इराक गणराज्य का एक भाग था। यहाँ स्टेपी घास के मैदान हैं। सर्दियों की वर्षा के बाद भेड़-बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी-छोटी झाड़ियों और घास से अपना भरण-पोषण करती थीं। इसके अलावा ये भेड़-बकरियाँ पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालों पर भी पाली जाती थीं। इनसे भारी मात्रा में माँस, दूध, ऊन आदि वस्तुएँ प्राप्त होती थीं। अतः यह कहा जा सकता है कि मेसोपोटामिया में पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का एक अच्छा साधन था।
प्रश्न 4.
मेसोपोटामिया के दक्षिणी रेगिस्तानी भाग में सबसे पहले नगरों एवं लेखन प्रणाली के प्रादुर्भाव के क्या कारण थे? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के दक्षिणी रेगिस्तानी भाग में सबसे पहले नगरों एवं लेखन प्रणाली के प्रादुर्भाव के निम्नलिखित कारण थे
(i) इस रेगिस्तानी भाग में नगरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी क्योंकि दजला और फ़रात नामक नदियाँ उत्तरी पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाऊ बारीक मिट्टी लाती थीं। जब इन दोनों नदियों में बाढ़ आती थी अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया जाता था तब यह उपजाऊ मिट्टी वहाँ जमा हो जाती थी।
(ii) फ़रात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के पश्चात् कई धाराओं में बँटकर बहने लगती है। कभी-कभी इन धाराओं में बाढ़ आ जाती है। प्राचीनकाल में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों के रूप में कार्य करती थीं। आवश्यकता पड़ने पर इनके द्वारा गेहूँ, जौ, मटर, मसूर आदि की कृषि की सिंचाई की जाती थी। इस प्रकार वर्षा की कमी के बावजूद समस्त पुरानी सभ्यताओं में दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे अधिक उपज देती थी।
प्रश्न 5.
"श्रम-विभाजन शहरी जीवन की एक महत्वपूर्ण विशेषता होती है।" कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रम-विभाजन का आशय यह है कि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एक-दूसरे के उत्पादन अथवा सेवा द्वारा करना। शहरी जीवन में श्रम-विभाजन का होना अति आवश्यक होता है क्योंकि शहरी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार एवं विभिन्न प्रकार की सेवाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी भी शहर के लोग आत्मनिर्भर नहीं होते। विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं के लिए उन्हें समीपवर्ती गाँवों व छोटे-छोटे नगरों पर निर्भर रहना पड़ता है। उनमें आपस में निरन्तर लेन-देन चलता रहता है। उदाहरण के रूप में; एक पत्थर की मुद्रा बनाने वाले मिस्त्री को पत्थर पर नक्काशी के लिए काँसे के औजारों की आवश्यकता पड़ती है।
चूँकि वह स्वयं ऐसे औजार नहीं बना सकता तथा वह यह भी नहीं जानता कि उसे मुद्रा निर्माण के लिए आवश्यक रंगीन पत्थर कहाँ से प्राप्त होगा। उसकी विशेषता तो केवल मुद्रा उकेरने तक ही सीमित होती है। वह व्यापार करना नहीं जानता। काँसे के औजार बनाने वाला भी ताँबा या राँगा अथवा ईंधन के लिए लकड़ी का कोयला लाने के लिए स्वयं बाहर नहीं जाता। ये समस्त कार्य एक-दूसरे के सहयोग से ही पूर्ण होते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि श्रमविभाजन शहरी जीवन की एक महत्वपूर्ण विशेषता होती है।
प्रश्न 6.
शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना भी आवश्यक होता है। क्यों ?
उत्तर:
शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन होना भी आवश्यक होता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं
(i) शहरों में निवास करने वाले विनिर्माताओं के लिए विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी, धातु एवं ईंधन आदि आवश्यक सामग्री अलग-अलग स्थानों से आती हैं। इसके लिए संगठित व्यापार एवं भण्डारण की आवश्यकता होती है।
(ii) शहरों में अन्न एवं अन्य खाद्य पदार्थ गाँवों से आते हैं। शहरों में उनके भण्डारण एवं वितरण के लिए व्यवस्था करनी होती है।
(iii) शहरों में अनेक प्रकार की गतिविधियों का संचालन होता रहता है, जिनमें आपसी सामंजस्य स्थापित करना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप; मुद्रा काटने वालों को केवल पत्थर ही नहीं, उन्हें तराशने के लिए औजार व बर्तन भी चाहिए। कुछ लोग आदेश देने वाले होते हैं और कुछ उनका पालन करने वाले होते हैं जिनमें सामंजस्य स्थापना के लिए सामाजिक संगठन स्थापित होना आवश्यक होता है।
(iv) शहरी अर्थव्यवस्था में अपना हिसाब-किताब लिखित रूप में रखना होता है। ये समस्त कार्य आदेश एवं आदेश पालन द्वारा पूर्ण होते हैं, जिसके लिए एक सामाजिक संगठन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7.
वार्का शीर्ष क्या है ? इसके बारे में संक्षेप में बताइए। अथवा "वार्का शीर्ष मेसोपोटामिया की मूर्तिकला का एक विश्व प्रसिद्ध नमूना है।" कथन को सप्रमाण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लगभग 3000 ई. पू. में मेसोपोटामिया के उरुक नगर में सफेद संगमरमर को तराश कर स्त्री के सिर की एक मूर्ति बनायी गयी थी जिसे वार्का शीर्ष के नाम से जाना गया। यह मूर्ति अत्यन्त सुन्दर है। यह मेसोपोटामिया की मूर्ति कला का एक विश्व प्रसिद्ध नमूना है। सम्भवतः इसकी आँखों एवं भौंहों में क्रमशः नीले लाजवर्द, सफेद सीपी एवं काले डामर से जड़ाई की गयी होगी। सिर के ऊपर एक खाँचा बना हुआ है जिसे शायद आभूषण पहनने के लिए बनाया गया था। इस स्त्री मूर्ति का मुख, ठोड़ी एवं गाल सुकोमल सुन्दर बनावट के लिए प्रशंसित किये जा सकते हैं। इस स्त्री मूर्ति का सिर किसी कठोर पत्थर से तराशा गया है जिसे अत्यधिक दूरी से लाया गया होमा।
प्रश्न 8.
कुशल परिवहन व्यवस्था किस प्रकार शहरी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होती है ? बताइए। अथवा कुशल परिवहन व्यवस्था शहरी विकास के लिए आवश्यक शर्त है। क्यों ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुशल परिवहन व्यवस्था शहरी अर्थव्यवस्था के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। अनाज या काठ कोयला, भार खींचने वाले पशुओं की पीठ पर रखकर अथवा बैलगाड़ियों में रखकर शहरों में लाना व ले जाना अत्यन्त जटिल होता है। इसका कारण यह है कि इसमें बहुत अधिक समय लगता है एवं पशुओं के चारे आदि पर भी बहुत अधिक व्यय करना पड़ता है। शहरी अर्थव्यवस्था इतना अधिक व्यय करने में अपने आप को असमर्थ पाती है।
शहरी अर्थव्यवस्था के लिए परिवहन का सबसे सस्ता साधन जल परिवहन ही होता है। अनाज की बोरियों से लदी हुई नावें नदी की धारा की गति अथवा वायु के वेग से चलती हैं, जिस पर कोई खर्चा नहीं आता है। उदाहरण के लिए, प्राचीन मेसोपोटामिया की नदियाँ एवं नहरें छोटी-बड़ी बस्तियों के मध्य माल के परिवहन का एक अच्छा साधन थीं। उस काल में फरात नदी को व्यापार के लिए विश्व मार्ग के रूप में जाना जाता था। इस परिवहन व्यवस्था ने मेसोपोटामिया के शहरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
प्रश्न 9.
मेसोपोटामिया के आयात-निर्यात व्यापार के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में खाद्य संसाधनों की पर्याप्तता होने के बावजूद वहाँ खनिज संसाधनों का अभाव था। दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार, मोहरें (मुद्राएँ) एवं आभूषणों के निर्माण के लिए पत्थरों का अभाव था। इराकी खजूर और पोपलर (चिनार) के वृक्षों की लकड़ी, गाड़ियों के लिए पहिए या नावों के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं थी। औजार, पात्र या गहने बनाने के लिए कोई भी धातु मेसोपोटामिया में उपलब्ध नहीं थी। इसलिए प्राचीनकाल में मेसोपोटामिया के निवासियों को विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ; जैसे-सोना, चाँदी, ताँबा, राँगा, सीपी, लकड़ी तथा विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की, ईरान व खाड़ी-पार के देशों से मँगवाना पड़ता था। ये लोग इन वस्तुओं के बदले में इन देशों को कपड़ा एवं कृषि उत्पाद का निर्यात करते थे। मेसोपोटामिया में आयात-निर्यात की यह व्यवस्था एक लम्बे समय तक जारी रही।
प्रश्न 10.
मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला का विकास किस प्रकार हुआ ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला का विकास-मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोग लेखन कला से पूर्णतः परिचित थे। उनके पास भी अपनी एक लिपि थी। इस सभ्यता के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखते थे। मेसोपोटामिया के उत्खनन से प्राप्त होने वाली पहली पट्टिका (3200 ई. पू.) में चित्र जैसे चिह्न एवं संख्याएँ दी गयी हैं। मेसोपोटामिया में लेखन की शुरुआत तभी हुई जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब-किताब रखने की आवश्यकता पड़ी क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन भिन्न-भिन्न समय पर होते थे और उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे। इसके अतिरिक्त सौदा भी कई प्रकार की वस्तुओं का होता था।
प्रश्न 11.
मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोग लेखन कार्य किस प्रकार करते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। पट्टिका तैयार करने के लिए लिपिक (लेखक) चिकनी मिट्टी को गीला करके गूंथ लेते थे, फिर उसे थापकर एक ऐसी चिकनी सतह वाली पट्टी का रूप प्रदान कर देते थे जिसे वह आसानी से अपने एक हाथ में पकड़ सकें। लिपिक पट्टी की चिकनी सतह पर सरकंडे की तीली की तीखी नोंक से कीलाकार चिह्न बनाकर लिखते थे। लिखने के पश्चात् पट्टिका को धूप में सुखा दिया जाता था। सूखने पर पट्टिका मिट्टी के बर्तनों जैसी मजबूत हो जाती थी। अब उस पर कोई नया चिह्न या अक्षर नहीं लिखा जा सकता था। इस प्रकार मेसोपोटामिया में प्रत्येक सौदे के लिए चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, एक अलग पट्टिका की आवश्यकता होती थी। इस प्रकार मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोग लेखन कार्य करते थे।
प्रश्न 12.
लगभग 2600 ई. पू. से ईसवी सन् की प्रथम शताब्दी तक मेसोपोटामिया के लेखन एवं भाषा में कौन-कौन से परिवर्तन आये ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
लगभग 2600 ई. पू. से ईसवी सन् की प्रथम शताब्दी तक मेसोपोटामिया के लेखन एवं भाषा में निम्नलिखित परिवर्तन आये
प्रश्न 13.
मेसोपोटामिया की लेखन प्रणाली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
अथवा
मेसोपोटामिया में लेखन कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता था। कैसे? समझाइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की लिपि को कीलाकार कहा जाता था। इस लेखन प्रणाली के अन्तर्गत जिस ध्वनि के लिए कीलाकार या कीलाकार चिह्न का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला स्वर या व्यंजन नहीं होता था बल्कि अक्षर होता था। इस प्रकार, मेसोपोटामिया के लोगों को सैकड़ों चिह्न सीखने पड़ते थे तथा उसे गीली पट्टिका पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता था। लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की आवश्यकता होती थी। इसलिए लिखने का कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता था।
प्रश्न 14.
"दक्षिणी मेसोपोटामिया में देवता पूजा का केन्द्रबिन्द होता था।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
5000 ई. पू. से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था। इन बस्तियों में से कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप ले लिया था। बाहर से आकर बसने वाले लोगों ने अपने शहरों व गाँवों में कुछ मन्दिरों का निर्माण करना प्रारम्भ कर दिया। सबसे पहला ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था जो कच्ची ईंटों से बना हुआ था। मन्दिर विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं के निवास स्थान थे। इन देवी-देवताओं में उर (चन्द्र देवता) एवं इन्नाना (प्रेम व युद्ध की देवी) प्रमुख थे। मन्दिरों में देवता पूजा का केन्द्र-बिन्दु होता था। लोग देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए अन्न, दही व मछली आदि भेंट करते थे। देवता सैद्धान्तिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों एवं स्थानीय लोगों की पशु सम्पदा का स्वामी माना जाता था।
प्रश्न 15.
दक्षिणी मेसोपोटामिया में कृषि कई बार संकटों से घिर जाती थी। क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी मेसोपोटामिया में प्राकृतिक उपजाऊपन होने के बावजूद कृषि कई संकटों से घिर जाती थी। इसके निम्नलिखित कारण थे
प्रश्न 16.
लगभग 3000 ई. पू. में उरुक नगर में हुई तकनीकी प्रगति को संक्षेप में बताइए। अथवा उरुक में हुई तकनीकी प्रगति को उल्लेखित कीजिए।
उत्तर:
लगभग 3000 ई. पू. में उरुक नगर में हुई तकनीकी प्रगति को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
प्रश्न 17.
मेसोपोटामिया में पायी गयी मोहरों (मुद्रा) की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
अथवा
मेसोपोटामिया की सभ्यता की मुद्रा निर्माण की प्रक्रिया को बताइए।
अथवा
किस प्रकार मुद्रा सार्वजनिक जीवन में नगरवासियों की भूमिका को दर्शाती थी?
उत्तर:
प्रथम सदी ई. पू. के अन्त तक मेसोपोटामिया में पत्थर की बेलनाकार मोहरें प्रचलित थीं। इन मोहरों के आर-पार छिद्र होते थे। इनमें एक तीली डालकर इन्हें गीली मिट्टी के ऊपर घुमाया जाता था। इस प्रकार इनसे निरन्तर चित्र बनता रहता था। इन्हें अत्यन्त कुशल कारीगरों द्वारा उकेरा जाता था। इन मुद्राओं पर कई प्रकार के लेख लिखे होते थे; जैसे-स्वामी का नाम, उसके इष्टदेव का नाम एवं उसकी पदीय स्थिति आदि। मोहरों पर लेख लिखने की भी एक प्रक्रिया थी, जिस पर कुछ लिखना होता था उसे किसी कपड़े की गठरी में लपेटकर चिकनी मिट्टी से लीप-पोतकर घुमाया जाता था। इस प्रकार उस पर अंकित लिखावट मिट्टी की सतह पर छप लेखन कला और शहरी जीवन 6 जाती थी। जब इस मिट्टी की बनी पट्टिकाओं को लिखे पत्र पर घुमाया जाता था तो वह मोहर उस पत्र की प्रामाणिकता की प्रतीक बन जाती थी। इस प्रकार मुद्रा सार्वजनिक जीवन में नगरवासियों की भूमिका को दर्शाती थी।
प्रश्न 18.
मेसोपोटामिया के निवासियों की विवाह की प्रक्रिया को संक्षेप में बताइए। अथवा मेसोपोटामिया के निवासियों की वैवाहिक प्रणाली का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता से वहाँ के निवासियों की विवाह की प्रक्रिया की जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार विवाह करने की इच्छा के सम्बन्ध में घोषणा की जाती थी और कन्या के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति प्रदान करते थे। उसके पश्चात् वर पक्ष के लोग वधू (कन्या) को कुछ उपहार देते थे। जब विवाह की विभिन्न रस्में पूर्ण हो जाती थीं तब दोनों पक्ष एक-दूसरे को उपहार प्रदान करते थे तथा एक साथ बैठकर भोजन करते थे। इसके पश्चात् वे अपने आराध्य देव के मन्दिर में जाकर उन्हें भेंट चढ़ाते थे। जब नववधू को उसकी सास (वर की माता) लेने आती थी तब वधू को उसके पिता के द्वारा दहेज प्रदान किया जाता था।
प्रश्न 19.
आप कैसे कह सकते हैं कि मेसोपोटामिया के उर नगर में नगर-नियोजन पद्धति का अभाव था?
अथवा
उर नगर के नगर नियोजन को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के उर नगर की खुदाई 1930 के दशक में की गयी। यहाँ खोदे गये साधारण घरों की खुदाई से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि इस नगर में टेढ़ी-मेढ़ी व सँकरी गलियाँ पायी गई हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि पहिए वाली गाड़ियाँ वहाँ के अनेक घरों तक नहीं पहुँच सकती थीं। पतली व घुमावदार गलियों एवं घरों के भूखण्डों का एक जैसा आकार नहीं था। जल निकासी की नालियाँ व मिट्टी की नलिकाएँ इस नगर के घरों के भीतरी आँगन में पायी गयी हैं। घरों की छतों का ढलान भीतर की ओर होता था तथा वर्षा का पानी नालियों के माध्यम से भीतरी आँगन में बने हौज में ले जाया जाता था। इन सब बातों से यह प्रतीत होता है कि मेसोपोटामिया के उर नगर में नगर नियोजन पद्धति का अभाव था।
प्रश्न 20.
मारी नगर एवं पशुचारक' विषय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। अथवा मारी नगर के पशुचारकों की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मारी नगर मेसोपोटामिया की सभ्यता का एक प्रमुख नगर था। 2000 ई. पू. के पश्चात् मारी नगर शाही राजधानी के रूप में विकसित हुआ। यह नगर फ़रात नदी की ऊर्ध्व धारा पर स्थित था। इसके ऊपरी क्षेत्र में कृषि कार्य एवं पशुपालन साथ-साथ चलते थे। इस नगर में किसान व पशुचारक दोनों ही प्रकार के लोग रहते थे लेकिन इस नगर का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही प्रयुक्त होता था। पशुचारकों को जब अन्न, धातु के औजारों आदि की आवश्यकता पड़ती तो वे अपने पशुओं, पनीर, माँस व चमड़े आदि के बदले में इन वस्तुओं को प्राप्त कर लेते थे। कई बार विभिन्न बातों को लेकर किसानों एवं पशुचारकों में झगड़े भी होते रहते थे।
प्रश्न 21.
"मेसोपोटामिया की सभ्यता विभिन्न समुदायों के लोगों एवं संस्कृतियों का मिश्रण थी।" इस कथन को सप्रमाण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के समृद्ध कृषि प्रदेशों में घुमक्कड़ समुदायों की टोलियाँ पश्चिमी मरुस्थल से आती रहती थीं। ये घुमक्कड़ समुदायों के लोग ग्रीष्म ऋतु में अपने साथ इस उपजाऊ क्षेत्र के बोए हुए खेतों में अपनी भेड़-बकरियों के झुंड ले आते थे। वे फसल काटने वाले मजदूरों अथवा भाड़े के सैनिकों के रूप में आते थे तथा समृद्ध होकर यहीं बस जाते थे। उनमें से कुछ शक्तिशाली लोगों ने यहाँ अपना शासन भी स्थापित कर लिया। ये घुमक्कड़ समुदायों के लोग अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई व आर्मीनियन जाति के थे। इस प्रकार मेसोपोटामिया की सभ्यता भिन्न-भिन्न समुदायों के लोगों और संस्कृतियों का मिश्रण थी जिसने वहाँ की सभ्यता को जीवन-शक्ति प्रदान की।
प्रश्न 22.
मेसोपोटामिया के मारी नगर में स्थित राजा ज़िमरीलिम के शाही राजमहल का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के मारी नगर में स्थित राजा ज़िमरीलिम का राजमहल 2.4 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ था। इसमें 260 कक्ष बने हुए थे। यह महल शाही परिवार के निवास स्थान के साथ-साथ प्रशासन व बहुमूल्य धातुओं के आभूषणों के निर्यात का एक प्रमुख केन्द्र भी था। यह महल इतना अधिक सुन्दर था कि इसे देखने दूर-दूर से राजा व आम जनता आती रहती थी। राजा के भोजन की मेज पर प्रतिदिन भारी मात्रा में खाद्य पदार्थ रोटी, माँस, मछली, फल, मदिरा आदि उपलब्ध होता था। राजा अपने साथियों के साथ बड़े आँगन में बैठकर भोजन करता था। इस महल में केवल एक ही प्रवेश द्वार था जो उत्तर की ओर स्थित था। महल के विशाल प्रांगण सुन्दर पत्थरों से जड़े हुए थे। राजा के एक कक्ष में भित्ति चित्र बने हुए थे जिसमें वह विदेशी मेहमानों एवं अपने राज्य के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मिलता था।
प्रश्न 23.
मेसोपोटामिया स्थित मारी राज्य के राजाओं को अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सदैव सतर्क एवं सावधान क्यों रहना पड़ता था ?
उत्तर:
मारी राज्य में किसान और पशुचारक दोनों ही तरह के लोग रहते थे। इस राज्य के अधिकांश भाग को भेड़-बकरी चराने के लिए काम में लिया जाता था। यहाँ बाहर से आने वाले पशुचारकों एवं स्थानीय किसानों के मध्य विभिन्न मुद्दों पर झगड़े चलते रहते थे। यद्यपि मारी राज्य में विभिन्न जनजातियों के पशुचारकों को स्वतंत्रता के साथ सम्पूर्ण राज्य में भ्रमण की अनुमति थी लेकिन शासन द्वारा उनकी गतिविधियों पर कठोर निगरानी रखी जाती थी। मारी राज्य के कर्मचारियों को इन पशुचारकों की गतिविधियों के बारे में अपने राजा को सूचित करना पड़ता था। इन पशुचारकों के सम्बन्ध में राजा के कर्मचारी पत्रों द्वारा अपने राजा को सूचना देते थे। अतः स्पष्ट है कि मारी राज्य के राजाओं को अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सदैव सतर्क एवं सावधान रहना पड़ता था।
प्रश्न 24.
“मेसोपोटामिया स्थित मारी राज्य सैनिक दृष्टि से उतना शक्तिशाली नहीं था परन्तु व्यापार एवं समृद्धि के.मामले में अद्वितीय स्थान रखता था।" उक्त कथन को स्पष्ट कीजिए। अथवा
"मारी नगर एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया स्थित मारी राज्य एक महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल था, जहाँ से ताँबा, राँगा, लकड़ी, तेल, मदिरा एवं अन्य सामग्री को नावों के माध्यम से फरात नदी के मार्ग से दक्षिण और तुर्की, सीरिया व लेबनान के उच्च प्रदेशों के मध्य लाया-ले-जाया जाता था। इस व्यापारिक क्रियाकलाप के कारण ही मारी राज्य अपनी समृद्धि को प्राप्त हो रहा था। दक्षिणी नगरों में घिसाई-पिसाई के पत्थर, चक्कियाँ, लकड़ी, शराब एवं तेल के पीपे ले जाने वाले जलपोत मारी नगर में ही रुकते थे। मारी राज्य के अधिकारी जलपोत पर लदी हुई सामग्री की जाँच करते थे एवं उसमें लदे हुए माल के मूल्य का 10 प्रतिशत प्रभार वसूल करते थे। मारी नगर के उत्खनन से प्राप्त कुछ पट्टिकाओं में साइप्रस के द्वीप 'अलाशिया' से आने वाले ताँबे का उल्लेख मिलता है। उस काल में यह द्वीप ताँबा व टिन के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। यद्यपि मारी राज्य सैनिक दृष्टि से शक्तिशाली नहीं था। इस राज्य में सैनिकों की कमी थी लेकिन व्यापार उन्नति के शिखर पर था। इस प्रकार कहा जा सकता है कि मारी राज्य सैनिक दृष्टि से उतना शक्तिशाली नहीं था परन्तु व्यापार व समृद्धि के मामले में अद्वितीय स्थान रखता था।
प्रश्न 25.
मेसोपोटामिया के अबू सलाबिख नामक कस्बे की खुदाई में पुरातत्वविदों को कौन-कौन सी सामग्री प्राप्त हुई है ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में स्थित अबू सलाबिख एक छोटा-सा कस्बा था। यह कस्बा 2500 ई. पू. में लगभग 10 हैक्टेयर भूमि पर बसा हुआ था। इस कस्बे की जनसंख्या लगभग 10000 थी। पुरातत्वविदों को इस कस्बें की खुदाई से अनेक वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं जिसमें भिन्न-भिन्न रंगों एवं बनावट वाली ईंटों, पौधों एवं पशुओं के अवशेष, जली हुई मछलियों की हड्डियाँ, गोबर के उपलों के जले ईंधन में से निकले हुए पौधों के बीज एवं रेशे, सूअर के बच्चों के दाँत, सूअर की हड्डियों के अवशेष आदि प्रमुख हैं। एक घर के आँगन के नीचे, जहाँ किसी मृतक को दफनाया गया था। वहाँ सूअर की कुछ हड्डियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि व्यक्ति के मरणोपरान्त जीवन में खाने के लिए सूअर का कुछ माँस रखा जाता था।
प्रश्न 26.
“मेसोपोटामिया के लोगों को अपने नगरों पर बहुत अधिक गर्व था।" उक्त कथन की व्याख्या गिल्गेमिश महाकाव्य के आधार पर कीजिए।
अथवा
गिल्गेमिश महाकाव्य से मेसोपोटामिया की संस्कृति में शहरों के महत्व के बारे में क्या जानकारी मिलती है? बताइए।
अथवा
गिल्गेमिश महाकाव्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गिल्गेमिश महाकाव्य से ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया की सभ्यता के निवासी शहरी जीवन को महत्त्व देते थे। गिल्गेमिश महाकाव्य से ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया के लोग अपने नगरों पर बहुत अधिक गर्व करते थे। गिल्गेमिश महाकाव्य 12 पट्टियों पर लिखा गया था। गिल्गेमिश ने राजा एनमर्कर के कुछ समय बाद उरुक नगर पर शासन किया था। वह एक महान योद्धा था। उसने दूर-दूर तक के अनेक प्रदेशों को जीत कर अपने अधीन कर लिया था।
परन्तु जब उसके घनिष्ठ मित्र की अचानक मृत्यु हो गयी तो उसे गहरा आघात पहुँचा। इससे दु:खी होकर वह अमरत्व की खोज में निकल पड़ा। उसने सम्पूर्ण विश्व का चक्कर लगाया, परन्तु उसे अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त नहीं हुई। अन्त में गिल्गेमिश अपने नगर उरुक लौट आया। एक दिन जब वह शहर की चारदीवारी के समीप भ्रमण कर रहा था, तो उसकी दृष्टि उन पकी हुई ईंटों पर पड़ी, जिनसे उनकी नींव डाली गई थी। वह भाव-विभोर हो उठा। यहीं पर ही गिल्गेमिश महाकाव्य की लम्बी वीरतापूर्ण और साहसभरी कहानी का अंत हो गया। इस प्रकार गिल्गेमिश को अपने नगर में ही सांत्वना मिलती है, जिसे उसकी प्रिय प्रजा ने बनाया था।
प्रश्न 27.
विश्व को मेसोपोटामिया की सभ्यता की क्या देन है ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
विश्व को मेसोपोटामिया की सभ्यता की देन-विश्व को मेसोपोटामिया की सभ्यता की सबसे बड़ी देन उसकी कालगणना और गणित की विद्वत्तापूर्ण परम्परा है। विश्व को मेसोपोटामिया की सभ्यता की देन का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है-
प्रश्न 28.
असुरबनिपाल द्वारा स्थापित पुराकालीन पुस्तकालय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
असीरियाई शासक असुरबनिपाल ने उत्तर में स्थित अपनी राजधानी निनवै में एक पुस्तकालय स्थापित किया। इसने अपने पुस्तकालय में इतिहास, महाकाव्य, शकुन साहित्य, ज्योतिष विद्या, स्तुतियों एवं कविताओं की पट्टिकाओं को एकत्रित कर रखवाया। असुरबनिपाल ने पुरानी पट्टिकाओं को निनवै स्थित अपने इष्टदेव नाबू के मन्दिर के पुस्तकालय में भविष्य के उपयोग के लिए रखवाया। इन्होंने गिल्गेमिश के महाकाव्य की भी प्रतियाँ तैयार करवायीं। प्रतियाँ तैयार करने वाले लिपिक इन पर अपना नाम व तिथि लिखते थे। इनके पुस्तकालय में 1000 मूल ग्रन्थ एवं लगभग 30,000 पट्टिकाएँ थीं जिन्हें विषयानुसार वर्गीकृत किया गया था।
प्रश्न 29.
नैबोपोलास्सर एवं उसके उत्तराधिकारियों ने विश्व के प्रमुख नगर के रूप में बेबीलोन का विकास किस प्रकार किया ?
उत्तर:
नैबोपोलास्सर दक्षिणी कछार का एक प्रसिद्ध योद्धा था। उसने 625 ई. पू. में बेबीलोनिया को असीरियाई नियंत्रण से मुक्त कराया था। नैबोपोलास्सर के उत्तराधिकारियों ने अपने राज्यक्षेत्र को बढ़ाया था एवं बेबीलोन में भवन निर्माण परियोजना को बढ़ावा दिया था। 539 ई.पू. में ईरान के एकेमेनिड लोगों द्वारा विजित होने के बाद और 331 ई. पू. में सिकंदर से पराजित होने तक बेबीलोन दुनिया का एक प्रमुख नगर बना रहा। इसका क्षेत्रफल 850 हेक्टेयर से अधिक था। इसकी चारदीवारी तिहरी थी। इसमें विशाल राजमहल और मंदिर बने हुए थे। इसमें एक ज़िगुरात अर्थात सीढ़ीदार मीनार थी और नगर के मुख्य अनुष्ठान केन्द्र तक शोभायात्रा के लिए एक विस्तृत मार्ग बना हुआ था। इसके व्यापारिक घराने दूर-दूर तक व्यापार करते थे। यहाँ के गणितज्ञों और खगोलविदों ने अनेक नवीन खोजें की थीं।
प्रश्न 30.
"नैबोनिड्स ने किस प्रकार मेसोपोटामिया की प्राचीन परम्पराओं का पालन किया ?
अथवा
"नैबोनिड्स मेसोपोटामियाई सभ्यता की प्राचीन परम्पराओं का पालक था।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नैबोनिड्स बेबीलोन का अन्तिम शासक था। उसने लिखा है कि उर के नगर देवता ने उसे सपने में दर्शन देकर उसे सुदूर दक्षिण के उस पुरातन नगर का कार्यभार संभालने के लिए एक महिला पुरोहित को नियुक्त करने का आदेश दिया था। नैबोनिड्स आगे कहता है कि उसे एक बहुत प्राचीन राजा का पट्टलेख प्राप्त हुआ जिसमें उसने एक महिला पुरोहित की आकृति, उनकी वेशभूषा व आभूषणों को ध्यानपूर्वक देखा। इसके पश्चात् उसने अपनी पुत्री को वैसी ही वेशभूषा से सुसज्जित कर महिला पुरोहित के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। एक बार राजा नैबोनिड्स के कर्मचारी उनके पास अक्कद के राजा सारगोन की एक टूटी हुई मूर्ति लेकर आए तो उसने उस मूर्ति की मरम्मत का आदेश प्रदान किया। नैबोनिड्स देवी-देवताओं का बहुत अधिक भक्त था। वह प्राचीन राजाओं के प्रति निष्ठा रखता था। इस प्रकार नैबोनिड्स ने मेसोपोटामिया की प्राचीन परम्पराओं का पालन किया। दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर .
प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया के भूगोल की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
मेसोपोटामिया और उसके भूगोल का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा मेसोपोटामिया की भौगोलिक विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं ? बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया वर्तमान में इराक नामक देश का एक भाग है। इसकी भौगोलिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
प्रश्न 2.
मेसोपोटामिया में शहरी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए कौन-कौन से कारक आवश्यक थे? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में शहरी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए निम्नलिखित कारक आवश्यक थे
(i) आर्थिक गतिविधियों का विकास जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियों का विकास होने लगता है तो किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ने लगता है। फलस्वरूप वहाँ कस्बे बसने लगते हैं। कस्बों में लोगों का इकट्ठा रहना उनके लिए लाभदायक होता है। इसी कारण शहरी अर्थव्यवस्था में खाद्यान्न उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार, उत्पादन एवं अन्य विभिन्न प्रकार की सेवाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
प्रश्न 30.
"नैबोनिड्स ने किस प्रकार मेसोपोटामिया की प्राचीन परम्पराओं का पालन किया ? अथवा "नैबोनिड्स मेसोपोटामियाई सभ्यता की प्राचीन परम्पराओं का पालक था।" स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
नैबोनिड्स बेबीलोन का अन्तिम शासक था। उसने लिखा है कि उर के नगर देवता ने उसे सपने में दर्शन देकर उसे सुदूर दक्षिण के उस पुरातन नगर का कार्यभार संभालने के लिए एक महिला पुरोहित को नियुक्त करने का आदेश दिया था। नैबोनिड्स आगे कहता है कि उसे एक बहुत प्राचीन राजा का पट्टलेख प्राप्त हुआ जिसमें उसने एक महिला पुरोहित की आकृति, उनकी वेशभूषा व आभूषणों को ध्यानपूर्वक देखा। इसके पश्चात् उसने अपनी पुत्री को वैसी ही वेशभूषा से सुसज्जित कर महिला पुरोहित के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। एक बार राजा नैबोनिड्स के कर्मचारी उनके पास अक्कद के राजा सारगोन की एक टूटी हुई मूर्ति लेकर आए तो उसने उस मूर्ति की मरम्मत का आदेश प्रदान किया। नैबोनिड्स देवी-देवताओं का बहुत अधिक भक्त था। वह प्राचीन राजाओं के प्रति निष्ठा रखता था। इस प्रकार नैबोनिड्स ने मेसोपोटामिया की प्राचीन परम्पराओं का पालन किया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया के भूगोल की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
मेसोपोटामिया और उसके भूगोल का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
मेसोपोटामिया की भौगोलिक विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं ? बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया वर्तमान में इराक नामक देश का एक भाग है। इसकी भौगोलिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
प्रश्न 2.
मेसोपोटामिया में शहरी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए कौन-कौन से कारक आवश्यक थे? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में शहरी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए निम्नलिखित कारक आवश्यक थे
(i) आर्थिक गतिविधियों का विकास-जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियों का विकास होने लगता है तो किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ने लगता है। फलस्वरूप वहाँ कस्बे बसने लगते हैं। कस्बों में लोगों का इकट्ठा रहना उनके लिए लाभदायक होता है। इसी कारण शहरी अर्थव्यवस्था में खाद्यान्न उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार, उत्पादन एवं अन्य विभिन्न प्रकार की सेवाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
(ii) शहर के लोगों का अन्य लोगों पर निर्भर होना शहरों के लोग अपने आप में निर्भर नहीं होते हैं। उन्हें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु गाँव या शहर के अन्य लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है। उनमें आपस में बराबर लेन-देन होता रहता है। उदाहरण के रूप में; एक पत्थर की मुद्रा बनाने वाले मिस्त्री को पत्थर उकेरने के लिए काँसे के औजारों की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि वह स्वयं ऐसे औजार नहीं बना सकता और उसे यह भी पता नहीं है कि मुद्राओं के लिए आवश्यक रंगीन पत्थर वह कहाँ से प्राप्त करे। वह तो केवल नक्काशी के कार्य में निपुण होता है। वह व्यापार करना भी नहीं जानता। काँसे के औजार बनाने वाला भी ताँबा या टिन लाने के लिए स्वयं बाहर नहीं जाता। इस प्रकार श्रम-विभाजन शहरी जीवन की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
(iii) सामाजिक संगठन की आवश्यकता होना-शहरी अर्थव्यवस्था में सामाजिक संगठन का होना आवश्यक है। शहरों में उद्योग लगाने वाले लोगों को उद्योगों के लिए आवश्यक वस्तुएँ; जैसे-ईंधन, धातु, पत्थर, लकड़ी आदि अलग-अलग स्थानों से प्राप्त होती हैं। इस हेतु संगठित व्यापार एवं संगठन की आवश्यकता होती है। शहरों में खाद्यान्न व अन्य आवश्यक पदार्थ गाँवों से आते हैं, जिनके संग्रह एवं वितरण के लिए शहरों में व्यवस्था करनी होती है। इसी प्रकार और भी अनेक प्रकार की गतिविधियों में भी तालमेल स्थापित करना पड़ता है।
(iv) वस्तुओं का आयात-निर्यात–जहाँ मेसोपोटामिया खाद्य संसाधनों में समृद्ध था, वहीं खनिज संसाधनों में विपन्न था। दक्षिणी मेसोपोटामिया में औजार, मोहरें और आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की कमी थी। औजार, बर्तन या आभूषण बनाने के लिए वहाँ कोई धातु उपलब्ध नहीं थी। इसलिए यहाँ के निवासी लकड़ी, ताँबा आदि खाड़ी पार के देशों से मँगाते थे तथा वे अपना कपड़ा तथा कृषिजन्य उत्पाद उन्हें निर्यात करते थे। इन समस्त प्रकार की वस्तुओं का नियमित रूप से आदान-प्रदान तभी सम्भव था जब इसके लिए कोई सामाजिक संगठन हो जो विदेशी अभियानों एवं विनिमयों को निर्देशित करने में सक्षम हो। दक्षिणी मेसोपोटामिया के लोगों ने ऐसे संगठन स्थापित करना प्रारम्भ किया।
(v) परिवहन की व्यवस्था शहरी विकास के लिए कुशल परिवहन व्यवस्था अति आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों से अनाज या काठ कोयला शहरों की ओर भारवाही पशुओं की पीठ पर रखकर या बैलगाड़ियों में डालकर लाना ले जाना अत्यन्त कठिन व खर्चीला होता है तथा समय भी अधिक लगता है। इसलिए परिवहन का सबसे अच्छा तरीका सभी स्थानों पर जलमार्ग ही होता है। अनाज के बोरों से लदी हुई नावें नदी की धारा अथवा हवा के वेग से चलती हैं जिसमें कोई खर्चा नहीं लगता। प्राचीन मेसोपोटामिया की नहरें और प्राकृतिक जलधाराएँ छोटे-बड़े शहरों के मध्य परिवहन का एक उपयुक्त माध्यम थीं।
प्रश्न 3.
लेखन क्या है ? मेसोपोटामिया में लेखन कला के विकास को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
लेखन से आशय लेखन को लिपि भी कहते हैं। इसका अर्थ है-उच्चरित ध्वनियाँ जो दृश्य संकेतों के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। मेसोपोटामिया में लेखन कला का विकास
(i) मिट्टी की पद्रिकाओं पर लेखन कार्य मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पाई गई हैं, वे लगभग 3200 ई. पू. की हैं। उनमें चित्र जैसे चिह्न व संख्याएँ दी गई हैं। वहाँ बैलों, मछलियों तथा रोटियों आदि की लगभग 5000 सूचियाँ मिली हैं जो वहाँ के दक्षिणी शहर उरुक के मन्दिरों में आने वाली और वहाँ से बाहर जाने वाली चीजों की होंगी। इससे ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया में लेखन कार्य तभी प्रारम्भ हुआ था जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की आवश्यकता महसूस हुई क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे। उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के वस्तुओं के बारे में होता था।
(ii) मिट्टी की पट्टिकाओं पर कीलाकार चिहन बनाना-मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करता था और फिर उसको गूंथकर और थापकर एक ऐसे आकार की पट्टी का रूप दे देता था जिसे वह सरलता से अपने हाथ में पकड़ सके। वह सावधानी से उसकी सतहों को चिकना कर लेता था। इसके बाद सरकंडे की तीली की तीखी नोंक से वह नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिह्न बना देता था। ये पट्टिकाएँ धूप में सूख जाने के बाद पक्की व सुदृढ़ हो जाती थीं। जब इन पट्टिकाओं पर लिखा हुआ कोई हिसाब अनावश्यक हो जाता था तो उस पट्टिका को फेंक दिया जाता था। पट्टिका के एक बार सूख जाने पर कोई नया चिह्न या अक्षर नहीं लिखा जा सकता था। इसलिए प्रत्येक सौदे के लिए चाहे वह कितना ही छोटा हो, एक अलग पट्टिका की आवश्यकता होती थी। मेसोपोटामिया में खुदाई स्थलों पर सैकड़ों पट्टिका प्राप्त हुई हैं। इस स्रोत-संपदा के कारण ही हम मेसोपोटामिया के बारे में इतनी अधिक जानकारी एकत्रित करने में सफल हो सके।
(iii) लेखन का प्रयोग लगभग 2600 ई. पू. में वर्ण कीलाकार हो गये तथा भाषा सुमेरियन रही। अब लेखन का प्रयोग हिसाब-किताब के लिए ही नहीं वरन् शब्दकोष बनाने, भूमि हस्तांतरण को कानूनी मान्यता देने, राजाओं के कार्यों व उपलब्धियों का वर्णन करने और कानून के उन परिवर्तनों की घोषणा करने के लिए किया जाने लगा जो देश की साधारण जनता के लिए बनाए जाते थे। मेसोपोटामिया की सबसे ज्ञात भाषा सुमेरियन का स्थान 2400 ई. पू. के बाद धीरे-धीरे अक्कदी भाषा ने ले लिया। अक्कदी भाषा में कीलाकार लेखन ईस्वी सन् की प्रथम शताब्दी तक अर्थात् 2000 से अधिक वर्षों तक चलता रहा।
(iv) लेखन प्रणाली मेसोपोटामिया में जिस ध्वनि के लिए कीलाकार चिह्न का प्रयोग किया जाता था, वह एक अकेला स्वर या व्यंजन नहीं होता था परन्तु अक्षर होते थे। इसलिए मेसोपोटामिया के लिपिक को अनेक चिह्न सीखने पड़ते थे जिनकी संख्या सैकड़ों में हो सकती थी। इन चिह्नों को गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता था। लेखन कार्य के लिए अत्यधिक कौशल की आवश्यकता पड़ती थी इसलिए लिखने का कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता था।
(v) साक्षरता-मेसोपोटामिया में साक्षरता अत्यधिक कम थी। यहाँ बहुत ही कम लोग पढ़-लिख सकते थे। इसका कारण लेखन चिह्नों की संख्या का सैकड़ों में होना व उनका जटिल होना था।
प्रश्न 4.
मेसोपोटामिया में लेखन प्रणाली का विकास एवं उसकी विश्व को देन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में लेखन प्रणाली का विकास मेसोपोटामिया में लेखन प्रणाली के विकास को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है ।
(i) मेसोपोटामिया में जिस ध्वनि के लिए कीलाक्षर या कीलाकार चिह्न का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला स्वर या व्यंजन नहीं होता था; जैसे-वर्णमाला में a, b, e, f आदि; बल्कि अक्षर होते थे जैसे अंग्रेजी में out, in, but आदि। इस प्रकार मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिह्नों को सीखना पड़ता था। ये चिह्न उसे गीली मिट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखने होते थे। लेखन कार्य में अत्यन्त कुशलता की आवश्यकता होती थी। इसलिए इस सभ्यता में लिखने का कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता था। अतः किसी भाषा विशेष की ध्वनियों को दृश्य रूप में प्रस्तुत करना एक महान बौद्धिक उपलब्धि माना जाता था।
(ii) मेसोपोटामिया में साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम था। पुरातात्विक खोजों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बहुत कम लोग पढ़ और लिख सकते थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि न केवल प्रतीकों अथवा चिह्नों की संख्या सैकड़ों में थी वरन् ये कहीं अधिक पेचीदे और जटिल होते थे। सामान्यतया राजा स्वयं पढ़ सकने में सक्षम होता था। वह प्रशस्तिपूर्ण अभिलेखों में अपने शासनकाल के तथ्यों का उल्लेख चाहता था, अधिकतर लिखावट बोलने के तरीके दर्शाती थी।
लेखन कला की विश्व को देन-
मेसोपोटामिया की सभ्यता ने लेखन कला के क्षेत्र में विश्व को अनेक महत्वपूर्ण देनें प्रदान की हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(i) मेसोपोटामिया द्वारा विकसित लेखन कला के द्वारा विश्व को सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण देन कालगणना व गणित के क्षेत्र में है।
(ii) लगभग 1800 ई. पू. के समय की पट्टिकाओं पर गुणा और भाग देने की तालिकाओं का वर्णन है। इन पट्टिकाओं पर संख्या के वर्ग एवं वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियाँ दी गई हैं, उनमें 2 का वर्गमूल यहाँ दिया हुआ है। 1 + 24/60 + 51/602 + 10/60% यदि इसे हल करें तो अंतर 1.41421296 होगा जो इसके सही उत्तर 1.41421356 से लगभग मेल खाता है। उस समय के विद्यार्थियों से एक खेत का क्षेत्रफल इतना-इतना है और वह एक अंगुल गहरे पानी में डूबा है तो सम्पूर्ण पानी का आयतन क्या होगा? जैसे प्रश्न पूछे जाते रहे होंगे। यह समस्त ज्ञान हमें लेखन कला से प्राप्त हुआ है।
(iii) मेसोपोटामिया की लेखन कला से यह जानकारी मिलती है कि पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा परिक्रमा करता है तथा इसी के अनुसार वर्ष को विभाजित किया जा सकता है। पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा के अनुसार एक वर्ष का 12 महीनों में विभाजन, 1 महीने का 4 सप्ताह में विभाजन, एक दिन का 24 घण्टों में विभाजन एवं 1 घंटे का 60 मिनटों में विभाजन मेसोपोटामियावासियों से ही हमें प्राप्त हुआ है। .
(iv) मेसोपोटामिया की सभ्यता से प्राप्त पट्टिकाओं से यह जानकारी मिलती है कि ये लोग जब कभी सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण होते थे तो वर्ष, मास और दिन के अनुसार उस घटना
के घटित होने का भी हिसाब-किताब रखते थे।
(v) यहाँ की सभ्यता के लोग रात्रि के समय आकाश में तारों और तारामंडल की स्थिति पर लगातार नजर रखते थे तथा उनका लेखा-जोखा भी रखते थे।
प्रश्न 5.
मेसोपोटामियाई सभ्यता में मंदिर-निर्माण व उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामियाई सभ्यता में मंदिर-निर्माण एवं उसका स्वरूप-
(i) मन्दिरों का निर्माण मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग में बाहर से आकर बसने वाले लोगों ने अपने गाँवों में कुछ चुने हुए स्थानों पर मन्दिर बनाने या उनका पुनर्निर्माण करने का काम प्रारम्भ किया। सर्वप्रथम ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था जो कच्ची ईंटों से निर्मित था। मन्दिर विभिन्न देवी-देवताओं के निवास स्थान थे। इस सभ्यता के लोगों का चन्द्र देवता 'उर' तथा प्रेम व युद्ध की देवी 'इन्नाना' थी।
(ii) मन्दिरों का स्वरूप मेसोपोटामिया में किए गए उत्खननों से यह ज्ञात होता है कि इस सभ्यता के लोगों द्वारा मन्दिरों का निर्माण ईंटों से किया जाता था। समय के साथ इन मन्दिरों का आकार भी बढ़ता चला गया क्योंकि उनके खुले
आँगन के चारों ओर कई कमरे बने होते थे। कुछ प्रारम्भिक मन्दिर साधारण घरों जैसे ही होते थे। परन्तु मन्दिरों की बाहरी दीवारें कुछ विशेष अंतरालों के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं जबकि साधारण घरों की दीवारों में यह विशेषता नहीं पाई जाती थी।
देवता पूजा का केन्द्रबिन्दु होता था। लोग देवी-देवताओं को अन्न, दही तथा मछली आदि अर्पित करते थे। आराध्य देव सैद्धान्तिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों की पशु-सम्पदा का स्वामी माना जाता था।
(iii) मन्दिरों के क्रियाकलापों में परिवर्तन समय के साथ-साथ मेसोपोटामिया की सभ्यता में मन्दिरों के क्रियाकलापों में भी परिवर्तन दिखाई देने लगे। अब मन्दिरों ने अपने क्रियाकलाप बढ़ा लिए थे। इन क्रियाकलापों में निम्नलिखित प्रमुख थे
(अ) कृषि उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया; जैसे-तेल निकालना, अनाज पीसना, सूत कातना एवं ऊनी कपड़ा बुनना आदि।
(ब) घर-परिवार से ऊपर के स्तर के व्यवस्थापकों की नियुक्ति।
(स) व्यापारियों की नियुक्ति।
(द) अन्न, हल जोतने वाले पशुओं, रोटी, जौ की शराब, मछली आदि के आवंटन एवं वितरण का लिखित अभिलेख रखना।
प्रश्न 6.
मेसोपोटामिया की सभ्यता में किस प्रकार राजा के पद का विकास हुआ? उसने अपने प्रभाव और शक्ति में किस प्रकार वृद्धि की ? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता में राजा के पद का विकास मेसोपोटामिया के तत्कालीन ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि और पानी के लिए बार-बार झगड़े हुआ करते थे। जब किसी क्षेत्र में दो समुदायों के बीच लम्बे समय तक युद्ध चलता रहता था तो विजय प्राप्त करने वाले मुखिया अपने साथियों एवं अनुयायियों के बीच लूट का माल बाँटकर उन्हें खुश कर देते थे और हारे हुए समूहों के लोगों को बंदी बनाकर अपने साथ ले जाते थे। वे उन्हें अपने चौकीदार या नौकर बना लेते थे। इस प्रकार वे अपना प्रभाव और अनुयायियों की संख्या बढ़ा लेते थे। परन्तु युद्ध में विजयी होने वाले ये नेता स्थायी रूप से समुदाय के मुखिया नहीं बने रहते थे, समुदाय का नेतृत्व बदलता रहता था। यही मुखिया आगे चलकर राजा कहलाए। राजाओं के प्रभाव एवं शक्ति में वृद्धि राजाओं ने अपने प्रभाव एवं शक्ति में वृद्धि के लिए निम्नलिखित कार्य किये
(i) समुदाय के कल्याण पर बल मेसोपोटामिया की सभ्यता में राजाओं ने कालांतर में समुदाय के कल्याण पर अधिक बल देना प्रारम्भ कर दिया। इसके फलस्वरूप नई-नई संस्थाओं एवं परम्पराओं की स्थापना हुई।
(ii) मन्दिरों के सौन्दीकरण पर बल-इस सभ्यता के राजाओं ने देवताओं को भी बहुमूल्य भेटें अर्पित करना प्रारम्भ कर दिया जिससे सामुदायिक मन्दिरों की सुन्दरता में वृद्धि होने लगी। उन्होंने लोगों को उत्कृष्ट पत्थर और धातुएँ लाने के लिए दूर-दूर भेजा ताकि मन्दिर की शोभा को और अधिक बढ़ाया जा सके। मन्दिर की धन-सम्पदा और मन्दिरों में आने-जाने वाली वस्तुओं का हिसाब-किताब भी रखा जाने लगा। इस व्यवस्था ने समुदाय में राजा को उच्च स्थान दिलवाया। फलस्वरूप समुदाय पर उसका पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया।
(iii) समुदाय की सुरक्षा-मेसोपोटामिया की सभ्यता से प्राप्त अभिलेखों से यह जानकारी प्राप्त होती है कि राजाओं ने ग्रामीणों को अपने निकट ही बसने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे कि वे आवश्यकता पड़ने पर तुरन्त अपनी सेना संगठित कर सकें। इसके अतिरिक्त लोग एक-दूसरे के निकट रहने से स्वयं को अधिक सुरक्षित अनुभव कर सकते थे।
(iv) स्थानीय लोगों एवं युद्धबंदियों से काम लेना—इस सभ्यता के राजा स्थानीय लोगों एवं युद्धबंदियों से कोईन-कोई काम कराते रहते थे। स्थानीय लोगों और युद्धबंदियों के लिए मन्दिर एवं राजा का काम करना अनिवार्य था। उन्हें इस काम के बदले अनाज दिया जाता था। सैकड़ों ऐसी राशन-सूचियाँ मिली हैं जिनमें काम करने वाले लोगों के नामों के आगे उन्हें दिए जाने वाले अनाज, कपड़े और तेल आदि की मात्रा लिखी गई है।
प्रश्न 7.
मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर–मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था-मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है
(i) समाज का वर्गीकरण मेसोपोटामिया के नगरों के उत्खनन से यह जानकारी मिलती है कि निश्चित रूप से यहाँ का समाज कई वर्गों में विभक्त था। समाज में उच्च या सम्भ्रान्त वर्ग का बोलबाला था। समाज की अधिकांश सम्पत्ति पर इसी वर्ग का नियंत्रण था। इस बात की पुष्टि इस बात से होती है कि बहुमूल्य वस्तुएँ; जैसे-सोने के पात्र, आभूषण, सफेद सीपियाँ, लाजवर्द जड़े हुए लकड़ी के वाद्य यंत्र, सोने के सजावटी खंजर आदि विशाल मात्रा में उर नामक नगर में राजाओं और रानियों की कुछ कब्रों या समाधियों में उनके साथ दफनाई गई प्राप्त हुई हैं। परन्तु इस सभ्यता के शहरों में सामान्यजन की स्थिति अच्छी नहीं थी।
(ii) परिवार का स्वरूप इस सभ्यता से प्राप्त विवाह, उत्तराधिकारी आदि के मामलों से सम्बन्धित कानूनी दस्तावेजों से पता चलता है कि मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को आदर्श माना जाता था। एकल परिवार में एक पुरुष, उसकी पत्नी तथा बच्चे सम्मिलित होते थे। इसके बावजूद विवाहित पुत्र एवं उसका परिवार सामान्यतया अपने माता-पिता के साथ ही रहा करता था। परिवार का मुखिया पिता होता था, जिसकी सम्पत्ति पर पुत्र का अधिकार होता था।
(iii) विवाह प्रणाली-विवाह करने की इच्छा के बारे में घोषणा की जाती थी और वधू के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे। उसके बाद वर पक्ष के लोग वधू को कुछ उपहार देते थे। विवाह की रस्म पूरी हो जाने पर दोनों पक्ष उपहारों का आदान-प्रदान करते थे। वे एक साथ बैठकर भोजन करते थे और मन्दिर में जाकर भेंट चढ़ाते थे। जब वर तथा उसकी माँ (वधू की सास) वधू को लेने आती थी तब वधू को उसके पिता द्वारा दान-दहेज दिया जाता था परन्तु पिता का घर, खेत एवं पशु-सम्पदा आदि उसके पुत्रों को ही प्राप्त होते थे।
प्रश्न 8.
मेसोपोटामिया के उर नगर की प्रमुख विशेषताओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उर नगर की प्रमुख विशेषताएँ-उर मेसोपोटामिया की सभ्यता के उन नगरों में से एक प्रमुख नगर था जहाँ सबसे पहले खुदाई की गई थी। यहाँ सन् 1930 के दशक में सुव्यवस्थित ढंग से साधारण घरों की खुदाई की गई, जिसके आधार पर उर नगर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(i) सँकरी एवं टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ उर नगर के उत्खनन में सँकरी एवं टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ पाई गई हैं। इससे यह जानकारी मिलती है कि वहाँ के अनेक घरों तक पहिए वाली गाड़ी नहीं पहुँच सकती थी, अनाज के बोरे और ईंधन के गठे सम्भवतः गधों पर लादकर घरों तक लाए जाते थे। इस नगर के घरों के भूखण्डों का एक जैसा आकार न होने तथा पतली व घुमावदार गलियों से यह पता चलता है कि इस नगर में नगर नियोजन की पद्धति का अभाव था।
(ii) घरों से जल निकासी की व्यवस्था-उर नगर में जल निकासी की नालियाँ एवं मिट्टी की नलिकाएँ घर के भीतरी आँगन में पाई गई हैं। घरों की छतों का ढलान भीतर की ओर होता था तथा वर्षा का पानी निकास नालियों के माध्यम से भीतरी आँगन में बने हुए हौज में ले जाया जाता था। यह सम्भवतः इसलिए किया जाता होगा कि तीव्र गति से वर्षा होने पर घर के बाहर की कच्ची गलियाँ बुरी तरह कीचड़ से न भर जावें।
(iii) घरों में खिड़कियों का अभाव-उर नगर में घरों के कमरों में खिड़कियों नहीं पाई गई हैं। प्रकाश आँगन में खुलने वाले दरवाजे से कमरे में आता था। सम्भवतः यह इसलिए किया जाता होगा कि घरों के परिवारों में गोपनीयता बनी रहे।
(iv) घरों की सफाई व्यवस्था उर नगर के लोग अपने घरों की सफाई करने के पश्चात् सम्पूर्ण कूड़ा-कचरा गलियों में डाल देते थे। यह आने-जाने वाले लोगों के पैरों के नीचे आता रहता था। बाहर कूड़ा डालते रहने से गलियों की सतहें ऊँची उठ जाती थीं। अतः कुछ समय बाद घरों की दहलीजों को भी ऊँचा उठाना पड़ता था ताकि वर्षा के बाद गली का कीचड़ बहकर घरों के भीतर न आ सके।
(v) घरों के बारे में प्रचलित अंधविश्वास-उर नगर के लोगों में घरों के बारे में कई प्रकार के अंधविश्वास प्रचलन में थे। ऐसे अंधविश्वासों से सम्बन्धित जानकारी इस नगर से प्राप्त शकुन-अपशकुन सम्बन्धी पट्टिकाओं से प्राप्त हुई है। कुछ प्रमुख अंधविश्वास निम्नलिखित थे
(अ) यदि सामने का दरवाजा किसी दूसरे के घर की ओर न खुले तो वह सौभाग्य प्रदान करता है।
(ब) यदि घर का मुख्य दरवाजा लकड़ी का बना हुआ हो और भीतर की ओर न खुलकर बाहर की ओर खुले तो पत्नी अपने पति के लिए समस्याओं का कारण बनती है।
(स) यदि घर की दहलीज ऊपर उठी हुई हो तो वह घर में धन-दौलत लाती है।
(vi) मृतकों को दफनाना-उर नगर में यहाँ के निवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था जिसमें राजाओं और सामान्य जनता की समाधियाँ पाई गई हैं परन्तु उत्खनन से कुछ लोगों के अपने घरों के फर्शों के नीचे दफनाए जाने के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 9.
मेसोपोटामिया के मारी नगर की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं ? इनका विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मारी नगर की प्रमुख विशेषताएँ-मारी नगर फरात नदी की ऊर्ध्वधारा पर स्थित था। 2000 ई. पू. के पश्चात् इस नगर का शाही नगर के रूप में बहुत अधिक विकास हुआ। इस नगर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित
र्थी
(i) कृषि एवं पशुपालन-
मारी नगर में कृषि एवं पशुपालन क्रियाएँ साथ-साथ संचालित होती थीं। यद्यपि इस नगर में कृषक और पशुचारक दोनों ही प्रकार के लोग साथ-साथ रहते थे परन्तु इस नगर का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही काम में लिया जाता था।
(ii) वस्तु विनिमय की प्रणाली-
इस नगर में रहने वाले किसानों एवं पशुचारकों के मध्य वस्तु विनिमय होता था। पशुचारकों को जब अनाज व धातु के औजारों आदि की आवश्यकता पड़ती थी, तब वे अपने पशुओं तथा उनके पनीर, चमड़ा, माँस आदि के बदले इन वस्तुओं को प्राप्त करते थे। पशुओं के गोबर से बनी खाद भी किसानों के लिए बड़ी उपयोगी होती थी।
(iii) देवी-देवताओं का आदर-
सम्मान करना-मारी नगर में कई समुदायों के लोग निवास करते थे, जिनमें अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई और आर्मीनियन जाति के लोग प्रमुख थे। मारी के राजा स्वयं एमोराइट समुदाय के थे। उनकी वेशभूषा वहाँ के मूल निवासियों से भिन्न होती थी। वे मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं का आदर-सम्मान करते थे। उन्होंने स्टेपी क्षेत्र के देवता डैगन के लिए मारी नगर में एक मन्दिर का निर्माण करवाया। जिससे यह पता चलता है कि मारी के राजा सभी देवी-देवताओं को समान महत्व देते थे।
(iv) व्यापार का प्रमुख केन्द्र-
मारी नगर एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था। जहाँ से होकर ताँबा, राँगा, तेल, लकड़ी, मदिरा व अन्य सामग्री नावों द्वारा फरात नदी के रास्ते दक्षिण और तुर्की, सीरिया व लेबनान आदि देशों ले जाने वाली नावें मारी नगर में ही रुका करती थीं। मारी नगर के अधिकारी नावों पर लदी हुई सामग्री की जाँच करते थे एवं इस सामग्री के कुल मूल्य का लगभग 10 प्रतिशत कर वसूल करते थे। इस नगर के उत्खनन से प्राप्त कुछ पट्टिकाओं में साइप्रस के द्वीप 'अलाशिया' से आने वाले ताँबे का उल्लेख मिलता है। अलाशिया उन दिनों ताँबे एवं टिन के व्यापार के लिए बहुत प्रसिद्ध था। इस प्रकार व्यापार की उन्नति के कारण मारी नगर एक अत्यन्त समृद्ध नगर बन गया था।
प्रश्न 10.
मेसोपोटामिया में कला के क्षेत्र में हुई उन्नति का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत कीजिए
उत्तर:
मेसोपोटामिया में कला के क्षेत्र में हुई उन्नति का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है
(i) भवन निर्माण कला मेसोपोटामिया के लोग ईंटों से मकान बनाते थे। यहाँ के उत्खनन से साधारण घरों एवं मन्दिरों का ईंटों से बने होने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। भवन निर्माण में स्तम्भों का भी प्रयोग किया जाता था। यहाँ के वास्तुविदों ने ईंटों के स्तम्भों को बनाना सीख लिया था क्योंकि उन दिनों बड़े-बड़े कमरों की छतों के बोझ को सँभालने के लिए शहतीर बनाने के लिए उपयुक्त लकड़ी नहीं मिलती थी। यहाँ बड़े-बड़े राजमहल व मन्दिर बनाए जाते थे। यहाँ से एक ज़िगुरात (सीढ़ीदार मीनार) भी प्राप्त हुई है। इस काल में भवन निर्माण कला अपने उच्च स्तर पर थी।
(ii) मूर्ति कला-
मेसोपोटामिया सभ्यता काल में मूर्ति कला के क्षेत्र में भी पर्याप्त उन्नति हुई। उरुक नगर में एक स्त्री के सिर की मूर्ति (3000 ई. पू. में निर्मित) मिली है जिसका नाम वार्का शीर्ष रखा गया। इस मूर्ति का निर्माण सफेद संगमरमर को तराशकर किया गया था। यह मेसोपोटामिया की मूर्ति कला का विश्व प्रसिद्ध नमूना है। इस सभ्यता के विभिन्न मन्दिरों से भी विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। इसके अतिरिक्त इस सभ्यता काल में हुए कई राजाओं की मूर्तियाँ भी उत्खनन में प्राप्त हुई हैं।
(iii) चित्रकला मेसोपोटामिया की सभ्यता में चित्रकला के क्षेत्र में भी पर्याप्त उन्नति हुई। इस सभ्यता के विभिन्न नगरों के उत्खनन से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहाँ के निवासी मन्दिरों एवं घरों की दीवारों पर चित्रकारी करते थे। वे सशस्त्र वीरों एवं उनके द्वारा मारे गये शत्रुओं के चित्र भी बनाते थे। ये लोग मोहरों पर भी चित्र बनाते थे। ज़िमरीलिम के मारी स्थित राजमहल से अनेक भित्ति चित्र मिले हैं।
प्रश्न 11.
असीरिया के राजा असुरबनिपाल द्वारा स्थापित पुस्तकालय का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
असीरिया के राजा असुरबनिपाल द्वारा स्थापित पुराकालीन पुस्तकालय का वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है-
(i) पुस्तकालय की स्थापना-असीरिया के राजा असुरबनिपाल का शासनकाल 668 से 627 ई. पू. के मध्य रहा। इसने बेबीलोनिया को उच्च संस्कृति का केन्द्र बनाया तथा अपनी राजधानी निनवै में एक विशाल पुस्तकालय की स्थापना की। इसने विभिन्न राज्यों से इतिहास, महाकाव्य, शकुन साहित्य, स्तुतियों, कविताओं एवं ज्योतिष विद्या की पट्टिकाओं को एकत्रित करवाकर अपने पुस्तकालय में रखवाया।
(ii) पुरानी पट्टिकाओं की खोजबीन करना-
असुरबनिपाल ने अपने लिपिकों को दक्षिणी राज्यों में अपने पुस्तकालय हेतु पुरानी पट्टिकाओं की खोजबीन करने के लिए भेजा क्योंकि दक्षिण में लिपिकों को विद्यालयों में पढ़ने-लिखने के अलावा पट्टिकाओं की नकलें भी तैयार करनी होती थीं। बेबीलोनिया में ऐसे भी नगर थे जो पट्टिकाओं के विशाल संग्रह तैयार किए जाने एवं प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध थे। यद्यपि यहाँ 1800 ई. पू. के पश्चात् सुमेरियन भाषा बोली जानी बंद हो गई थी परन्तु विद्यालयों में वह शब्दावलियों, संकेत सूचियों एवं द्विभाषी पट्टिकाओं आदि के माध्यम से अब भी पढ़ाई जाती थी इसलिए 650 ई. पू. में भी, 2000 ई. पू. तक की पुरानी कीलाकार अक्षरों में लिखी पट्टिकाएँ पढ़ी और समझी जा सकती थीं।
(iii) गिल्गेमिश के महाकाव्य की पट्टिकाएँ तैयार करना-राजा असुरबनिपाल ने गिल्गेमिश के महाकाव्य की पट्टिकाओं की प्रतियाँ तैयार करवायीं। इस महाकाव्य की प्रतियाँ तैयार करने वाले उनमें अपना नाम और तिथि अंकित करते थे। कुछ पट्टिकाओं के अन्त में असुरबनिपाल का उल्लेख भी मिलता है।
(iv) पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या-राजा असुरबनिपाल के पुस्तकालय में लगभग 1000 मूल ग्रंथ थे। इसके अतिरिक्त लगभग 30,000 पट्टिकाएँ भी थीं, जिन्हें विषयानुसार वर्गीकृत किया गया था।
प्रश्न 12.
बेबीलोनिया के विकास को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
बेबीलोनिया का विकास—बेबीलोनिया के विकास को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है
मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
विश्व के रेखा मानचित्र में निम्न को दर्शाइए
उत्तर:
प्रश्न 2.
मेसोपोटामिया क्षेत्र के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को दिखाइए-
उत्तर:
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण
प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया द्वारा निर्मित की गई उस वस्तु का नाम बताइए जो अब तक प्रयोग में लाई जाती है।
(क) षड्वार्षिक गिनने की पद्धति
(ख) जलपोत जिसमें पानी में सामान ढोया जा सके
(ग) काँच की बनी वस्तुएँ
(घ) लिखने की कीलाकार पद्धति।
उत्तर:
(क) षड्वार्षिक गिनने की पद्धति
प्रश्न 2.
मेसोपोटामिया का अर्थ है
(क) मेसोपोटामिया की संस्कृति
(ख) एक थैले में मनके आदि रखना
(ग) घोड़ों की एक प्रजाति जो नदी किनारे रहती थी
(घ) नदियों के बीच की भूमि।
उत्तर:
(घ) नदियों के बीच की भूमि।
प्रश्न 3.
अपवाह तंत्र का निर्माण सर्वप्रथम निम्नलिखित में से किसके द्वारा आरम्भ किया गया
(क) मिस्री सभ्यता के लोगों ने
(ख) सिंधु सभ्यता के लोगों ने
(ग) मेसोपोटामिया सभ्यता के लोगों ने
(घ) चीनी सभ्यता के लोगों ने।
उत्तर:
(ग) मेसोपोटामिया सभ्यता के लोगों ने
प्रश्न 4.
323 ई. पू. में सिकन्दर महान् की मृत्यु किस स्थान पर हुई थी
(क) फारस
(ख) बेबीलोन
(ग) मेसोपोटामिया
(घ) तक्षशिला।
उत्तर:
(ख) बेबीलोन
प्रश्न 5.
निम्नलिखित कथनों का अध्ययन कीजिए तथा सही उत्तर कूट से चुनिए-
1. मेसोपोटामिया एक सांस्कृतिक केन्द्र रहा है।
2. मेसोपोटामिया दजला और फरात नदियों का दोआब क्षेत्र रहा है।
3. मेसोपोटामिया ईरान का अभिन्न अंग है। कूट :
(क) 1, 2 व 3
(ख) 1 व 3
(ग) 2 एवं 3
(घ) 1 व 2.
उत्तर:
(घ) 1 व 2.