RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 4 मानचित्र प्रक्षेप

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RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 4 मानचित्र प्रक्षेप

→ मानचित्र प्रक्षेप परिचय (Introduction of Map Projection) :

  • अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं के जाल को समतल पृष्ठ पर उतारना मानचित्र प्रक्षेप कहलाता है। इसके द्वारा पृथ्वी की त्रिविम आकृति को द्विविम कागज पर प्रस्तुत किया जाता है।
  • ग्लोब पर अक्षांश-देशान्तर रेखाओं के जाल को रेखाजाल के नाम से भी जाना जाता है।
  • प्रक्षेप में क्षैतिज रेखाएँ अक्षांशों के समानान्तरों एवं ऊर्ध्वाधर रेखाएँ देशान्तरों के याम्योत्तरों को दर्शाती हैं।
  • ग्लोब पर याम्योत्तर, अर्द्धवृत्त एवं समांतर पूर्णवृत्त होते हैं। जब उन्हें समतल सतह पर स्थानांतरित किया जाता है, तब वे सीधी या वक्र प्रतिच्छेदी रेखाएँ बनाते हैं।

→ मानचित्र प्रक्षेप की आवश्यकता (Neccesity of Map Projection) :

  • मानचित्र प्रक्षेप से हम पृथ्वी के किसी भी भाग का सही आकार व विस्तार प्रदर्शित कर सकते हैं।
  • छोटे स्थानों के विस्तृत विवरण देखने व प्राकृतिक प्रदेशों की तुलना हेतु मानचित्र प्रक्षेप आवश्यक है।

→ मानचित्र प्रक्षेप के तत्व (Elements of Map Projection) :
मानचित्र प्रक्षेप के निम्नलिखित तत्व होते हैं

  • पृथ्वी का छोटा रूप,
  • अक्षांश के समांतर,
  • देशांतर के याम्योत्तर,
  • ग्लोब के गुण।

→ मानचित्र प्रक्षेप का वर्गीकरण (Classification of Map Projection) :
बनाने की विधि के आधार पर मानचित्र प्रक्षेपों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है

  • संदर्श प्रक्षेप,
  • असंदर्श प्रक्षेप,
  • रूढ़ अथवा गणितीय प्रक्षेप। संदर्भ प्रक्षेप प्रकाश की सहायता से, असंदर्श प्रक्षेप बिना प्रकाश की सहायता से व रूढ़ प्रक्षेप गणितीय विधि से बनाए जाते हैं। 

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 4 मानचित्र प्रक्षेप 

→ विकासनीय पृष्ठ के आधार पर-मानचित्र प्रक्षेप के तीन प्रकार होते हैं

  • बेलनाकार प्रक्षेप,
  • शंकु आकार प्रक्षेप,
  • समतल या खमध्य प्रक्षेप।

बेलनाकार प्रक्षेप में कागज बेलन पर लपेटा जाता है, शंक्वाकार में ग्लोब के चारों ओर शंकु को लपेट कर खींचा जाता है, खमध्य प्रक्षेप समतल सतह पर सीधे प्राप्त किया जाता है।

  • भूमण्डलीय गुण के आधार पर-मानचित्र प्रक्षेप तीन प्रकार के होते हैं
    • समक्षेत्र प्रक्षेप,
    • यथाकृतिक प्रक्षेप,
    • समदूरस्थ प्रक्षेप।
  • समक्षेत्र प्रक्षेप को होमोलोग्राफीय प्रक्षेप भी कहते हैं।

→ प्रकाश के स्रोत के आधार पर:

  • तीन प्रकार के प्रक्षेप होते हैं
    • नोमॉनिक प्रक्षेप,
    • त्रिविम प्रक्षेप,
    • लंबकोणीय प्रक्षेप। नोमॉनिक प्रक्षेप में प्रकाश को ग्लोब के केन्द्र में, त्रिविम प्रक्षेप में प्रकाश ग्लोब के विपरीत भाग व लम्बकोणीय प्रक्षेप में प्रकाश अनंत दूरी से डाला जाता है।
  • एकमानक अक्षांश वाले शंक्वाकार प्रक्षेप में एक आधार अक्षांश माना जाता है।
  • बेलनाकार समक्षेप प्रक्षेप को लैम्बर्ट प्रक्षेप के नाम से भी जाना जाता है।
  • मर्केटर प्रक्षेप के आविष्कारक जेरार्डस मर्केटर हैं। इस प्रक्षेप में दो बिंदु को जोड़ने वाली सीधी रेखा रंब रेखा या लेक्सोड्रोम कहलाती है।

→ मानचित्र प्रक्षेप-ग्लोब पर अक्षांश व देशांतर रेखाओं के जाल को समतल सतह पर प्रदर्शित करने की विधि को मानचित्र प्रक्षेप कहते हैं।

→ अक्षांश-भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण भूतल पर स्थित किसी बिन्दु की पृथ्वी के केन्द्र से मापी गयी कोणिक दूरी है।

→ देशान्तर-ग्रीनविच रेखा से पूर्व या पश्चिम में रेखाओं की कोणीय स्थिति।

→ ग्लोब-पृथ्वी का छोटा प्रतिरूप या नमूना ग्लोब कहलाता है।

→ महासागर-पृथ्वी पर स्थित अति विशाल खुले जलीय भाग जिनमें जल भरा रहता है।

→ महाद्वीप-विस्तृत स्थलीय भूभाग को महाद्वीप कहते हैं। सामान्यतः यह भौगोलिक सीमाओं से आवृत्त विलग क्षेत्र होता है।

→ वृहत् वृत्त-दो बिन्दुओं के बीच की लघुतम दूरी को दर्शाने वाले विषुवतीय वृत्त को वृहत् वृत्त कहा जाता है। इसका उपयोग वायु परिवहन व नौसंचालन में होता है।

→ रेखा जाल-ग्लोब अक्षांश व देशांतर रेखाओं के द्वारा विभिन्न खण्डों में विभाजित होता है। क्षैतिज रेखाएँ अक्षांश के समान्तरों एवं ऊर्ध्वाधर रेखाएँ देशांतर के याम्योत्तरों को दर्शाती हैं। इस जाल को रेखा जाल कहते हैं।

→ विषुवत वृत्त-ग्लोब पर दोनों ध्रुवों के मध्य से गुजरने वाला काल्पनिक वृत्त जो ग्लोब को दो समान भागों में विभाजित करता है।

→ संदर्श प्रक्षेप-ऐसे प्रक्षेप जिनकी रचना प्रकाश की सहायता से की जाती है।

→ असंदर्श प्रक्षेप-ऐसे प्रक्षेप जिनकी रचना गणितीय विधियों के द्वारा की जाती है।

→ रूढ़ प्रक्षेप-किन्हीं निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु इच्छानुसार निर्धारित किये गये सिद्धान्तों पर बनाये गए प्रक्षेप को रूढ़ प्रक्षेप कहते हैं।

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 4 मानचित्र प्रक्षेप

→ बेलनाकार प्रक्षेप-इस प्रक्षेप की रचना के लिए समतल कागज को ग्लोब पर बेलन की तरह लपेटकर प्रक्षेपण लिया जाता है। यह कागज का बेलन ग्लोब पर भूमध्य रेखा को स्पर्श करता है। प्रक्षेपण के पश्चात् कागज के बेलन को फैला दिया जाता है। प्रक्षेपण के द्वारा अक्षांश व देशांतर के रेखाजाल को बेलनी या बेलनाकार प्रक्षेप कहते हैं।

→ शंकु प्रक्षेप-इस प्रक्षेप की रचना के लिए एक कागज का शंकु बनाकर ग्लोब के ऊपर रख दिया जाता है। कागज का यह शंकु ग्लोब पर जिस अक्षांश रेखा पर स्पर्श करता है उसे प्रधान अक्षांश रेखा माना जाता है। शंकु का शीर्ष ठीक ध्रुव के ऊपर रहता है। ग्लोब पर अंकित अक्षांश व देशांतर रेखाओं को कागज के शंकु पर प्रक्षेपित किया जाता है। कागज के शंकु को समतल सतह पर फैलाने से बने रेखा जाल को शंकु या शंक्वाकार क्षेत्र कहते हैं।

→ खमध्य प्रक्षेप-ग्लोब पर किसी एक बिन्दु पर स्पर्श करती हुई समतल सतह पर प्रक्षेपित अक्षांश व देशांतरों के रेखा जाल को खमध्य या शिरोबिंदु प्रक्षेप कहते हैं।

→ अभिलंब प्रक्षेप-यदि खमध्य प्रक्षेप में विकासनीय पृष्ठ ग्लोब पर विषुवत वृत्त पर स्पर्श करता है तो उसे विषुवतीय या अभिलंब प्रक्षेप कहा जाता है।

→ तिर्यक प्रक्षेप-यदि खमध्य प्रक्षेप में विकासनीय पृष्ठ ग्लोब पर विषुवत वृत्त या ध्रुव के बीच किसी बिंदु पर स्पर्श रेखीय होता है तो इसे तिर्यक प्रक्षेप कहा जाता है।

→ ध्रुवीय प्रक्षेप-यदि खमध्य प्रक्षेप में विकासनीय पृष्ठ ग्लोब पर ध्रुव पर स्पर्श रेखीय होता है तो इसे ध्रुवीय प्रक्षेप कहते हैं।

→ यथाकृतिक प्रक्षेप-वह प्रक्षेप जिसमें धरातल के किसी क्षेत्र की यथार्थ आकृति बनाए रखी जाती है, यथाकृतिक प्रक्षेप कहलाता है।

→ समक्षेत्र प्रक्षेप-ऐसा प्रक्षेप जिसमें अक्षांश व देशांतर रेखाओं का रेखाजाल इस प्रकार निर्मित किया जाता है कि मानचित्र का प्रत्येक चतुर्भुज क्षेत्रफल के ग्लोब पर स्थित समलम्ब चतुर्भुज के ठीक बराबर हो, समक्षेत्रफल प्रक्षेप कहलाता है।

→ समदूरस्थ प्रक्षेप-समान दूरी को दर्शाने वाला प्रक्षेप जिसमें अक्षांश, देशान्तरों या किसी एक की दूरी समान हो।

→ नोमॉनिक प्रक्षेप-यदि नेत्र स्थान की स्थिति ग्लोब के केन्द्र पर हो तो उसे नोमॉनिक या केन्द्रक प्रक्षेप कहते हैं।

→ त्रिविम प्रक्षेप-यदि नेत्र स्थान, प्रक्षेप केन्द्र के व्यास के विपरीत बिंदु पर स्थित हो तो उसे त्रिविम प्रक्षेप कहा जाता

→ लम्बकोणीय प्रक्षेप-यदि नेत्र स्थान प्रक्षेप केन्द्र के सीध में अनन्त दूरी पर स्थित हो तो उसे लम्बकोण प्रक्षेप कहा जाता है।

→ मर्केटर प्रक्षेप-गिरार्डस मर्केटर द्वारा निर्मित इस प्रक्षेप में देशांतर रेखाएँ समान अंतराल पर बनी होती हैं परन्तु अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर बढ़ती जाती है।

→ लेक्सोड्रोम या रंब रेखा-मर्केटर प्रक्षेप पर खींची गई वह सीधी रेखा जो एक स्थिर दिक्मान वाले दो बिन्दुओं को जोड़ती है, लेक्सोड्रोम या रंब रेखा कहलाती है। नौसंचालन के दौरान दिशा निर्धारण में यह अत्यन्त उपयोगी होती है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 10:34 a.m.
Published Aug. 4, 2022