These comprehensive RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 5 खनिज एवं शैल will give a brief overview of all the concepts.
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→ geait aht THT (Composition of The Earth):
→ खनिज (Minerals):
→ खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals):
→ शैलें (Rocks):
→ आग्नेय शैल (Igneous Rocks) :
→ अवसादी शैल (Sedimentary Rocks):
→ कायान्तरित शैल (Metamorphic Rocks):
→ शैल चक्र (Rock Cycle) :
शैलें अस्थिर होती हैं। इनका निर्माण शैल चक्रों द्वारा होता है। शैल चक्र एक सतत् प्रक्रिया होती है जिसमें पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन रूप धारण कर लेती हैं। आग्नेय शैलों को कायान्तरित शैलों में परिवर्तित किया जा सकता है। आग्नेय एवं कायान्तरित शैलों से प्राप्त अंशों से अवसादी शैलों का निर्माण होता है।
→ खनिज (Minerals): एक ऐसा प्राकृतिक, कार्बनिक एवं अकार्बनिक तत्व जिसकी एक क्रमबद्ध परमाणविक संरचना, निश्चित रासायनिक संघटन एवं भौतिक गुणधर्म होते हैं, खनिज कहलाता है।
दूसरे शब्दों में, खनिज प्राकृतिक रूप से उत्पन्न ऐसा तत्व है जिसकी अपनी भौतिक विशेषताएँ होती हैं तथा जिसकी बनावट को रासायनिक गुणों द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
→ शैल (Rock)-खनिज कणों के संगृहीत होने से निर्मित ठोस पदार्थ, जिससे भूपर्पटी की रचना हुई है।
→ भूपर्पटी (Earth's crust)-महाद्वीपों एवं महासागरों सहित पृथ्वी का बाह्य खोल भूपर्पटी या भूपटल कहलाता है।
→ स्थलमंडल (Lithosphere)-भू-पर्पटी का सबसे ऊपरी भाग जो सामान्यतया 200 किमी. की मोटाई में मिलता है।
→ मैग्मा (Magma)-धरातल के नीचे तप्त, पिघली अवस्था में लाल रंग के तरल पदार्थ को मैग्मा कहते हैं।
→ क्रिस्टल (Crystal)-एक ठोस, बहुआयामी रूप जो आपस में बंधों द्वारा बँधे होते हैं। इसे रवा भी कहते हैं।
→ विदलन (Cleavage)-कमजोर तल के सहारे अणु ढाँचे में खनिज के विभक्त होने की प्रवृत्ति को विदलन कहते हैं। दूसरे शब्दों में, सापेक्षिक रूप से समतल सतह बनाने के लिए खनिजों के निश्चित दिशा में टूटने की प्रवृत्ति को विदलन कहते हैं।
→ पारभासी (Translucent)-जब किसी वस्तु या पदार्थ से प्रकाश किरणें आर-पार होती हैं लेकिन उनके विसरित हो जाने के कारण वस्तु देखी नहीं जा सकती, वह पारभासी होता है।
→ कोयला (Coal)- भूगर्भ के आन्तरिक भाग में मिलने वाला ठोस कार्बनिक खनिज जिसका निर्माण विवर्तनिक प्रक्रियाओं के कारण जीवों, पादपों व जन्तुओं के भूगर्भ में दब जाने एवं ताप, दबाव व घनत्व बढ़ने की प्रक्रिया से हुआ है।
→ पेट्रोलियम (Petroleum)-अवसादी चट्टानों से प्राप्त तेल जो जीवावशेषों के तरल रूप में परिवर्तित होने से बना
→ उल्का पिण्ड (Meteroid)-अंतरिक्ष में मिलने वाले छोटे चट्टानी व धात्विक पदार्थ जो कभी-कभी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी की ओर आते हैं किन्तु अधिकांशतः घर्षण के कारण रास्ते में ही जल जाते हैं।
→ धात्विक खनिज (Metallic Mineral)-ऐसे खनिज जिनमें किसी धातु का अंश पाया जाता है।
→ अधात्विक खनिज (Non-Metallic Mineral)-ऐसे खनिज जिनमें किसी भी धातु का अंश नहीं मिलता। ये प्रायः रासायनिक संरचना को दर्शाते हैं।
→ पृथ्वी The Earth): सौरमंडल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह जिस पर जीवन सम्भव है, यह नीला ग्रह भी कहलाता है।
→ पेट्रोलॉजी (Petrology)-शैलों (चट्टानों) का विज्ञान। इस विषय के अन्तर्गत शैलों के विभिन्न स्वरूपों का अध्ययन किया जाता है; जैसे-खनिज की संरचना, गठन, बनावट, स्रोत, प्राप्ति-स्थान, परिवर्तन एवं दूसरी शैलों के साथ सम्बन्ध।
→ आग्नेय शैल (Igneous Rock)-Igneous शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के इग्निस शब्द से हुई है जिसका अर्थ है-अग्नि। आग्नेय शैल की रचना धरातल के नीचे स्थित तप्त एवं तरल मैग्मा के शीतलन के परिणामस्वरूप उसके ठोस हो जाने पर होती है। पृथ्वी की उत्पत्ति के पश्चात् सर्वप्रथम इनका ही निर्माण होने के कारण इन्हें प्राथमिक शैलें भी कहा जाता है।
→ ग्रेनाइट (Granite)-एक प्रकार की घटिया आग्नेय शैल जो कि धरातल पर फैल्सपार, पैलियोक्लेज व क्वार्ट्ज़ से मिलकर बनी होती है तथा जिसमें थोड़ी मात्रा में लौह-मैग्नीशियम खनिज भी पाये जाते हैं।
→ गेब्रो (Gabbro)-एक गहरे रंग की घटिया दानेदार शैल, जो कैल्सियम, पैलियोक्लेज, पाइरोजीन व ओलीवीन से मिलकर बनी होती है, लेकिन इसमें क्वार्ट्स नहीं पाया जाता है।
→ बेसाल्ट (Basalt)-गहरे रंग वाली सूक्ष्म कणों से युक्त आग्नेय शैल। इसमें 45 से 52 प्रतिशत सिलिका पाया जाता है। इसका निर्माण ज्वालामुखी व दरारी उद्भेदन से निकलने वाले लावा से होता है।
→ ज्वालामुखीय ब्रेशिया (Volcanic breccia)-मृत्तिका जैसे बारीक पदार्थों द्वारा ज्वालामुखी उद्गार के समय निकली विभिन्न शैलों के कोणीय टुकड़ों के परस्पर जुड़कर कठोर होने से निर्मित शैल ज्वालामुखीय ब्रेशिया या संकोणश्म कहते हैं।
→ टफ (Tuff)-ज्वालामुखी राख से निर्मित बारीक कणीय आग्नेय शैल को टफ कहा जाता है।
→ अवसादी शैल (Sedimentary Rock)-अवसादी अर्थात् Sedimentary शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द सेडिमेंटस से हुई है, जिसका अर्थ है, व्यवस्थित होना। अपक्षय व अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा मौलिक चट्टानों के विघटन, वियोजन एवं चट्टान चूर्ण के परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के फलस्वरूप उसके अवसादों से निर्मित शैल को अवसादी शैल कहा जाता है। इसकी रचना परतों के रूप में होने के कारण इसे परतदार शैल भी कहते हैं।
→ शिलीभवन (Lithification)-वह प्रक्रिया जिसके द्वारा असंगठित अवसाद कठोर शैल में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया में अवसाद से वायु का निकलना होता है।
→ बालुकाश्म (Sand stone)-बालू के कणों से निर्मित कठोर अवसादी शैल जिसमें मुख्यतया सिलिकेट, सिलिका व लौह ऑक्साइड पाये जाते हैं।
→ पिंडशिला (Conglomerate)-गोलाकार कंकड़, पत्थर, बालू मृत्तिका आदि के मिश्रण से निर्मित अवसादी चट्टान।
→ चूना प्रस्तर (Lime stone)-एक अवसादी चट्टान जो कि मुख्यतया कैल्सियम कार्बोनेट से बनी होती है।
→ शैल (Shale)- एक बारीक एवं चिकने कणों से निर्मित अवसादी चट्टान जो कि मृत्तिका एवं पंक के ठोस होने से बनती है।
→ विमृदा (Loess)-वायु द्वारा असंगठित रूप से जमा की गयी सिल्ट एवं धूल।
→ श्रृंग प्रस्तर (Chert)-एक अवसादी शैल, जो दानेदार बालुका से बनी होती है।
→ हैलाइट (Halite)-सोडियम क्लोराइड से निर्मित वाष्पीकृत खनिज। ।
→ कायान्तरित शैल (Metamorphic Rock)-कायान्तरित का अर्थ है-स्वरूप में परिवर्तन। अवसादी एवं आग्नेय शैलों में ताप एवं दबाव के कारण परिवर्तन या रूपान्तरण हो जाने से रूपान्तरित या कायान्तरित शैलों का निर्माण होता है।
→ विवर्तनिक प्रक्रिया (Tectonic Processes)-पृथ्वी के भीतर आंतरिक ऊर्जा से संचालित होने वाली क्रियाएँ विवर्तनिक प्रक्रियाएँ कहलाती हैं। इसमें बड़े पैमाने पर गतिविधियाँ होती हैं तथा पृथ्वी के क्रस्ट का विरूपण हो जाता है।
→ कायान्तरण (Metamorphism)-एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें समेकित शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक शैलों में पदार्थ पुनः संगठित हो जाते हैं।
→ गतिशील कायान्तरण (Dynamic metamorphism)-बिना किसी विशेष रासायनिक परिवर्तनों के टूटने एवं पिसने के कारण वास्तविक शैलों में यांत्रिकी व्यवधान व उनका पुनः संगठित होना गतिशील कायांतरित कहलाता है। अथवा चट्टानों में अत्यधिक दबाव के कारण होने वाले परिवर्तन को गतिक कायान्तरण कहते हैं।
→ ऊष्मीय कायान्तरण (Thermal metamorphism)-इस प्रकार के कायान्तरण में अत्यधिक ऊष्मा के प्रभाव से आग्नेय और अवसादी चट्टानों के खनिजों में रवों का पुनर्निर्माण और रूप परिवर्तन हो जाता है।
→ सम्पर्क कायान्तरण (Contact metamorphism)-इस प्रकार के कायान्तरण में शैलें गर्म, ऊपर आते हुए मैग्मा व लावा के सम्पर्क में आती हैं और उच्च तापमान में शैल के पदार्थों का पुनः क्रिस्टलीकरण होता है।
→ प्रादेशिक कायान्तरण (Regional metamorphism)-इस प्रकार के कायान्तरणं में ताप और दबाव दोनों का प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव एक बहुत बड़े क्षेत्र पर होता है। इससे पूरे क्षेत्र की शैलों का कायान्तरण हो जाता है।
→ पत्रण (Foliation)-कायान्तरित शैलों में खनिज कणों के फैलने की प्रक्रिया को पत्रण या रेखांकन कहते हैं।
→ बैंडेड शैल (Banded rocks)-कभी-कभी खनिज या विभिन्न समूहों के कण पतली से मोटी सतह में इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि वे हल्के एवं गहरे रंगों में दिखाई देते हैं। कायान्तरित शैलों में ऐसी संरचनाओं को बैंडिंग कहते हैं तथा बैंडिंग प्रदर्शित करने वाली शैलों को बैंडेड शैलें कहते हैं।
→ पट्टिताश्मीय (Gneissoid)-बड़े व मोटे कणों वाली कायान्तरित शैल। इनका निर्माण कांग्लोमेरेट, बेसाल्ट व ग्रेनाइट शैलों में रूपान्तरण से होता है। इसमें फेल्सपार की अधिकता होती है तथा यह अपारगम्य होती है। इसमें हल्के तथा भारी खनिजों का जमाव होता है जिसके कारण इसमें पट्टीनुमा संरचनाएँ पायी जाती हैं।
→ शिस्ट (Schist)-बारीक कणों वाली रूपान्तरित शैल, जिसमें प्रायः पतली-पतली परतें पायी जाती हैं। अत्यधिक ताप व दाब के कारण कुछ आग्नेय शैलें व अवसादी शैलें कायान्तरित होकर शिस्ट में परिवर्तित हो जाती हैं।
→ संगमरमर (Marble)-एक कायान्तरित शैल जो कि कायान्तरित चूने के पत्थर या डोलोमाइट से बनी होती है।
→ क्वार्ट्ज (Quartz)-एक रूपान्तरित शैल, जिसका निर्माण सिलिकेट खनिज से होता है। इसकी कठोरता एवं विशेष संरचना के आधार पर इसकी पहचान की जाती है।
→ शैली चक्र (Rock cycle)- एक प्रकार की शैलों के दूसरे प्रकार की शैलों में बदलने की प्रक्रिया को शैली चक्र या चट्टान चक्र कहते हैं। अथवा पुरानी शैलों का परिवर्तित होकर नवीन रूप लेना।
→ भूपृष्ठीय पत्रक (Crustal Plates)-पृथ्वी के आन्तरिक भाग में पायी जाने वाली रवेदार प्लेटें।
→ संस्करण पत्रक (Plate Convergence)-पृथ्वी के आंतरिक भाग में प्लेटों का अभिसरण।