These comprehensive RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 4 जलवायु will give a brief overview of all the concepts.
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→ भारतीय जलवायु (Indian Climate) :
→ मानसून जलवायु में एकरूपता व विविधता (Similarities and Diversities in Monsoon Climate):
→ भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting of Indian Climate):
→ शीत ऋतु में मौसम की क्रियाविधि (Weather Condition During Winter Season) :
→ ग्रीष्म ऋतु में मौसम की क्रियाविधि (Weather Condition During Summer Season) :
→ भारतीय मानसून की प्रकृति (Nature of Indian Monsoon) :
→ प्रमुख ऋतुएँ (Major Seasons) :
मौसम वैज्ञानिक भारतीय जलवायवीय दशाओं को उनके वार्षिक ऋतु चक्र के आधार पर निम्न चार ऋतुओं में विभक्त करते हैं
→ शीत ऋतु (Winter Season) :
→ ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) :
→ दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की ऋतु या वर्षा ऋतु (Rainy Season) :
→ मानसूनी वर्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Monsoon) :
→ मानसून के लौटने की ऋतु (Season of Monsoon Retreating) :
→ भारत की परम्परागत ऋतुएँ (Traditional Seasons in India):
→ वर्षा का वितरण तथा वर्षा की परिवर्तिता (Distribution and Changes in Rainfall) :
→ भारत के जलवायु प्रदेश (Climatic Regions of India):
→ मानसून और भारत का आर्थिक जीवन (Monsoon and Economic System of India) :
→ भूमण्डलीय तापन (Global Warming):
→ जलवायु (Climate): किसी विस्तृत क्षेत्र में एक लम्बी अवधि तक पाई जाने वाली औसत या मौसमी अवस्था जलवायु कहलाती है।
→ मौसम (Weather): वायुमण्डलीय दशाओं की क्षणिक अवस्था मौसम कहलाती है।
→ वायुदाब (Air Pressure): भूतल के किसी क्षेत्रीय इकाई पर वायुमण्डल की समस्त वायु परतों के पड़ने वाले दबाव को वायुदाब कहते हैं।
→ आर्द्रता (Humidity): किसी निश्चित तापमान पर वायु में विद्यमान नमी की मात्रा।
→ वर्षण (Precipitation): जब वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प संघनन द्वारा तरल या ठोस अवस्था में परिवर्तित होकर धरातल पर गिरती है तो इसे वृष्टि या वर्षण कहते हैं।
→ वायुमंडल (Atmosphere): पृथ्वी के चारों ओर कई सौ किमी. की मोटाई में व्याप्त गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहते हैं।
→ मानसून (Monsoon): ऐसी जलवायु जिसमें ऋतु के अनुसार पवनों की दिशा में उत्क्रमण हो जाता है।
→ वर्षा (Rain): एक निश्चित समयावधि में किसी स्थान पर होने वाली वर्षा की मात्रा जिसे वर्षामापी यंत्र से मापा जाता है।
→ मरुस्थल (Desert): वह वीरान क्षेत्र जहाँ नमी के अभाव में वनस्पतियों का विकास नहीं हो पाता है यद्यपि यत्र-तत्र छोटी घासें तथा छोटी-छोटी झाड़ियाँ पायी जा सकती हैं।
→ हिमपात (Icefall): वर्षण की प्रक्रिया के दौरान संघनित जल के ठोस रूप में बदलकर वर्षण होने की प्रक्रिया।
→ डेल्टा (Delta): नदी के मुहाने पर पर्याप्त जलोढ़ के निक्षेप से निर्मित त्रिभुजाकार या पंखाकार निचली भूमि।
→ तूफान (Storm): भयंकर वायुमण्डलीय विक्षोभ जिसमें अत्यधिक वेग वाली प्रबल पवनें चलती हैं।
→ मूसलाधार (Heavy Rain): अल्प समय में तीव्र बौछारों के रूप में अत्यधिक वर्षा का होना।
→ उच्चावच (Relief): पृथ्वी की ऊपरी सतह की भौतिक आकृति जिसमें पर्वत, पठार व मैदानों तथा महाद्वीप व महासागरों के रूप में स्थलाकृतियाँ दृष्टिगत होती हैं।
→ अक्षांश (Latitude): भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण भूतल पर स्थित किसी बिन्दु के पृथ्वी के केन्द्र से मापी गयी कोणिक दूरी।
→ देशांतर (Longitude): भूतल के किसी बिन्दु से गुजरने वाली मध्याह्न रेखा तथा प्रधान मध्याह्न रेखा के मध्य की कोणिक दूरी उक्त बिन्दु की देशांतर होती है।
→ शीतोष्ण कटिबंध (Temperate Zone): पृथ्वी पर उष्ण कटिबंध और शीत कटिबंध के मध्य स्थित कटिबंध।
→ कर्क रेखा (Tropic of Cancer): 23°32' उत्तरी अक्षांश उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की लम्बवत् स्थिति की वह अन्तिम सीमा है जिसके उत्तर में सूर्य की किरणें कभी भी लम्बवत् नहीं पड़ती हैं।
→ उष्ण कटिबंध (Tropical Zone): भूमध्य रेखा के दोनों ओर अयनवृत्तों के मध्य स्थित पृथ्वी का भाग।
→ भूमध्य रेखा (Equator): ग्लोब के मध्य से गुजरने वाली काल्पनिक रेखा जो ग्लोब को दो समान भागों में विभक्त करती है।
→ तापांतर (Range of Temperature): किसी स्थान के उच्चतम और न्यूनतम तापमानों का अंतर।
→ उपमहाद्वीप (Sub-Continent): किसी महाद्वीप के अन्दर अत्यधिक विविधताओं वाला भू-भाग।
→ महासागर (Ocean): भूमण्डलीय भाग को घेरे हुए उपस्थित लवणीय जल की विशाल जल संहति को महासागर कहते हैं।
→ पवनाभिमुखी ढाल (Windward Slope): प्रचलित पवन के सम्मुख या सामने का भाग अथवा दिशा। इस ढाल के सहारे पवनें पर्वत के ऊपरी भाग की ओर चढ़ती हैं।
→ पवनाविमुखी ढाल (Leeward slope): प्रवाहित पवन के विपरीत या पीछे की ओर पड़ने वाला भू-भाग।
→ जेट प्रवाह (Jet stream): अत्यन्त प्रबल एवं अचर पछुआ पवन जो क्षोभ सीमा के नीचे बहती है जेट प्रवाह कहलाती है।
→ पश्चिमी विक्षोभ (Western disturbances): भूमध्य सागर से उत्पन्न होकर भारतीय उपमहाद्वीप में शीतऋतु में पश्चिम व उत्तर पश्चिम से प्रवेश करने वाले चक्रवात अथवा शीतऋतु में उत्तर-पश्चिम भारत में होने वाली वर्षा को सम्पन्न करने की मौसमी क्रियाविधि।
→ व्यापार (Trade): एक आर्थिक क्रिया जिसके द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं का आदान-प्रदान या हस्तांतरण होता है
→ पवन (Wind): भूतल के ऊपर किसी दिशा में किसी गति से होने वाला वायु का संचार। .
→ क्षोभमंडल (Troposphere): पृथ्वी के ऊपर वायुमंडल की सबसे निचली परत जिसका विस्तार भूतल से औसत 13 किमी. ऊँचाई तक माना गया है।
→ पछुआ पवनें (Westerlies or West Wind): उत्तरी तथा दक्षिणी दोनों गोलार्डों में उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब पेटी से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी की ओर चलने वाली स्थायी या नियतवाही पवनें जो उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है।
→ उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात (Tropical cyclone): निम्न वायुमण्डलीय दाब का एक मौसमी तन्त्र जिसके आस-पास पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा में घूमती हैं। इसकी उत्पत्ति उष्ण क्षेत्र में स्थल वायु संहति से होती है।
→ चक्रवात (Cyclone): एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र जहाँ बाहर से हवाएँ भीतर की ओर चक्कर काटती हुई चलती हैं।
→ भूमध्य सागर (Mediterranean): चारों ओर से स्थल से घिरा हुआ आंतरिक सागर जो जिब्राल्टर जल संयोजक द्वारा अटलांटिक महासागर से जुड़ा हुआ है।
→ खाड़ी (Bay): स्थलीय भाग में भीतर की ओर घुसा हुआ विस्तृत सागरीय भाग अथवा विस्तृत निवेशिका जिसके तीन ओर विस्तृत तटरेखा पायी जाती है।
→ अन्त: उष्णकटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (Inter tropical convergence zone): विषुवत् वृत्त पर स्थित निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र अन्त: उष्णकटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (I.T.C.Z) कहलाता है।
→ प्रायद्वीप (Peninsula): किसी महाद्वीप या मुख्य स्थल का वह भाग जो जलाशय या सागर की ओर निकला रहता है और तीन या अधिकांश ओर से जल से घिरा होता है।
→ कॉरियोलिस बल (Coriolis force): पृथ्वी के घूर्णन से उत्पन्न होने वाला बल।
→ एलनिनो (EInino): एलनिनो एक जटिल मौसम तन्त्र है जो प्रत्येक पाँच या दस वर्ष के बाद प्रकट होता है।
→ सूखा (Drought): असामान्य मौसम वाली समयावधि जिसमें वर्षा का पूर्ण या लगभग अभाव होता है, जिसमें वनस्पतियाँ सूखने लगती हैं।
→ बाढ़ (Flood): सामान्यत: किसी शुष्क भूमि पर आकस्मिक रूप से अत्यधिक जलराशि के पहुँच जाने से उत्पन्न धरातलीय जल प्रवाह जिससे विस्तृत भूक्षेत्र जलाच्छादित हो जाता है।
→ मानसून का प्रस्फोट (Burst of monsoon): दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की ऋतु में आर्द्रतायुक्त पवनों से जब अचानक प्रचण्ड गर्जन एवं बिजली की कड़क के साथ भारी वर्षा होती है तो उसे मानसून का प्रस्फोट कहते हैं।
→ मानसून विच्छेद (Break in the monsoon); मानसून अवधि में एक-दो या कई सप्ताह तक वर्षा का न होना मानसून विच्छेद कहलाता है।
→ मानसून का निवर्तन (Retreating of monsoon): मानसून के पीछे हटने या लौटने की स्थिति को मानसून का निवर्तन कहते हैं।
→ हिमांक (Freezing Point): वह तापमान जिस पर कोई तरल पदार्थ ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है। (46) पोलिनेशिया (Polynessia)-पूर्वी प्रशान्त महासागरीय क्षेत्र में द्वीपों का एक समूह।
→ मकर रेखा (Tropic of Capricorn): 23°32' दक्षिण अक्षांश वृत्त। जिसके दक्षिण में सूर्य कभी भी लम्बवत् नहीं होता है।
→ मिलीबार (Milibar): वायुदाब के माप की इकाई जो 1 बार के एक हजारवें भाग अथवा 1000 डाइन के बराबर होती है।
→ दाब प्रवणता (Barometric Gradient): भूतल पर दो बिन्दुओं के बीच वायुदाब के अन्तर को दाब प्रवणता कहते हैं।
→ समदाब रेखा (Isobar): किसी मानचित्र या चार्ट पर दिखाई गयी वह रेखा जो समान वायुमंडलीय दाब वाले स्थानों को मिलाती हुई खींची जाती है।
→ लू (Loo)-ग्रीष्म ऋतु में भारत के उत्तर-पश्चिमी शुष्क भागों में चलने वाली अत्यन्त गर्म व शुष्क हवा लू कहलाती है।
→ आम्र वर्षा (Mango Shower): मानसून के आने से पूर्व केरल तथा पश्चिमी तट पर होने वाली वर्षा आम्र वर्षा कहलाती है।
→ काल वैशाखी (Norwesters): असम और पश्चिम बंगाल में वैशाख के महीने में शाम को चलने वाली भयंकर व विनाशकारी वर्षायुक्त पवनें काल वैशाखी कहलाती हैं।
→ मानचित्र (Map): किसी मापनी से लघुकृत हुए आयामों के आधार पर सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भाग का चयनित संकेतात्मक एवं सामान्य प्रदर्शन मानचित्र कहलाता है।
→ जलवायू प्रदेश (Climatic region): धरातल का वह भाग जिसमें जलवायवी दशाओं की समरूपता जो कि जलवायु के कारका के सयुक्त प्रभाव से उत्पन्न होती है जलवायु प्रदेश कहलाता है।
→ सिंबाई (trrigation): शुष्क मौसम में फसलों को उगाने तथा उत्पादन वृद्धि के लिए खेतों पर जल पहुँचाने की कृत्रिम व्यवस्था।
→ मृदा अपरदन (Soil erosion): अपरदन के कारकों द्वारा किसी स्थान से होने वाला मिट्टी का कटाव तथा स्थानांतरण जो यांत्रिक अथवा रासायनिक किसी प्रकार से हो सकता है।
→ भूमण्डलीय तापन (Global warming): कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, ओजोन एवं नाइट्रस ऑक्साइड आदि गैसों के वायुमण्डल में बढ़ते प्रतिशत से वायु के तापमान में वृद्धि हो रही है जिसे भूमण्डलीय तापन कहा जाता है।
→ प्रदूषण (Pollution): वायु, जल एवं मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक लक्षणों में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन जो मानव तथा अन्य जीवों को क्षति पहुँचाता है।
→ हरित-गृह प्रभाव (Green House Effect): हरित गृह गैसों के कारण उत्पन्न होने वाली एक दशा।
→ जीवाश्मी ईंधन (Fossil Fuel): पादपों तथा प्राणियों के जीवाश्मी अवशेषों से निर्मित ज्वलनशील पदार्थ जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है; जैसे-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
→ हरितगृह (Green House): शीशे या पारदर्शी प्लास्टिक की दीवारों तथा छत वाला घर जिसके भीतर आवश्यकतानुसार कृत्रिम तापमान निर्धारित किया जाता है।
→ गैस (Gas): द्रव और ठोस के बीच का पदार्थ जो रखे जाने वाले पात्र की पूरी जगह में भर जाता है। इसका आयतन तथा आकृति अनिश्चित होती है और धारक पात्र के अनुसार बदलती रहती है।