These comprehensive RBSE Class 11 Economics Studies Notes Chapter 9 सांख्यिकीय विधियों के उपयोग will give a brief overview of all the concepts.
→ प्रस्तावना:
विभिन्न सांख्यिकीय विधियाँ हमारे दैनिक जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं तथा साथ ही आर्थिक गतिविधियों जैसे उत्पादन, उपभोग, वितरण, बैंकिंग, बीमा, व्यापार एवं परिवहन आदि से सम्बन्धित आँकड़ों के विश्लेषण में उपयोगी होती हैं । विभिन्न सांख्यिकीय विधियों के आधार पर हम एकत्रित आँकड़ों का विश्लेषण कर उनसे एक परियोजना तैयार करते हैं। सर्वेक्षण द्वारा किसी उत्पाद या प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सूचनाएँ एकत्र कर रिपोर्ट तैयार करने में सहायता मिलती है।
→ परियोजना के चरण:
किसी परियोजना के विभिन्न चरणों को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) अध्ययन के क्षेत्र या समस्या की पहचान: परियोजना के पहले चरण में हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि हमारे अध्ययन का उद्देश्य क्या है अर्थात् हमें अध्ययन के क्षेत्र अथवा समस्या की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए।
(2) लक्ष्य समूह का चुनाव: अध्ययन क्षेत्र अथवा समस्या की पहचान के पश्चात् हमें लक्षित समूह का चुनाव करना पड़ता है। अध्ययन के लिए उपयुक्त प्रश्नों की एक प्रश्नावली बनाने के लिए लक्षित समूह का चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण होता है । उस समूह की पहचान करना जिस पर हमें ध्यान केन्द्रित करना है, किसी भी परियोजना की रिपोर्ट तैयार करने के क्रम में बहुत महत्त्वपूर्ण चरण है।
(3) आँकड़ों का संकलन: हम आँकड़ों का संकलन प्राथमिक आँकड़ों तथा द्वितीयक आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं। सर्वेक्षण का उद्देश्य यह तय करने में सहायक होता है कि प्राथमिक आँकड़ों का उपयोग किया जाए अथवा द्वितीयक आँकड़ों का अथवा दोनों प्रकार के आँकड़ों का। प्राथमिक आँकड़े पहली बार एकत्र किए जाते हैं तथा इनकी अनेक विधियाँ हैं, जबकि द्वितीयक आँकड़े पहले से एकत्र रहते हैं अथवा पहले से प्रकाशित रहते हैं।
(4) आँकड़ों का संगठन एवं प्रस्तुतीकरण: आँकड़ों को संग्रहित करने के पश्चात् प्राप्त सूचनाओं को संसाधित करने की जरूरत होती है, जिसे सारणीयन एवं उपयुक्त आरेखों जैसे दंड आरेख, वृत्त आरेख आदि द्वारा संगठित एवं प्रस्तुत किया जाता है।
(5) विश्लेषण एवं व्याख्या: आँकड़ों के संगठन एवं प्रस्तुतीकरण के पश्चात् केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप, परिक्षेपण के माप तथा सहसम्बन्ध हमें औसत प्रसरणशीलता तथा सहसंबंधों के परिकलन के योग्य बनाते हैं।
(6) उपसंहार: परियोजना के आखिरी चरण में विश्लेषण के बाद परिणामों की व्याख्या की जाती है तथा संभव होने पर विकास एवं सरकारी नीतियों आदि के विषय में संकलित आँकड़ों के आधार पर भावी परिदृश्य के पूर्वानुमान तथा सुझाव प्रदान किए जाते हैं।
(7) ग्रंथ सची: इन सूची में द्वितीयक समंकों के स्रोतों की जानकारी दी जाती है।
→ परियोजना की प्रस्तावित सूची
परियोजनाओं की प्रस्तावित सूची में अनेक विषयों को शामिल किया जा सकता है, इसका क्षेत्र काफी विस्तृत होता है। इसमें हम अपनी इच्छा अथवा अध्ययन क्षेत्र अथवा समस्या के आधार पर विषय अथवा शीर्षक का चुनाव करते हैं। उदाहरण के लिए स्वयं को परिवहन मंत्री का सलाहकार मानकर, जिसका उद्देश्य बेहतर एवं समन्वित परिवहन व्यवस्था को लाने का है, एक परियोजना रिपोर्ट तैयार करना, अन्य उदाहरण के लिए किसी क्षेत्र विशेष में पोलियो प्रतिरक्षा कार्यक्रम पर एक रिपोर्ट तैयार करना।
→ प्रतिदर्श परियोजना:
किसी परियोजना को तैयार करने हेतु मार्गदर्शन के लिए नीचे एक प्रतिदर्श परियोजना का उदाहरण दिया जा रहा है । इसके अन्तर्गत एक उद्यमी है जो टूथपेस्ट बनाने के लिए एक कारखाना डालना चाहता है। इस हेतु हम लोगों की टूथपेस्ट के प्रति रुचियों, टूथपेस्ट पर उनके मासिक व्यय तथा अन्य प्रासंगिक प्राथमिक समंकों को एक प्रश्न सूची की सहायता से संग्रहित कर उनका अध्ययन एवं विश्लेषण करेंगे। आवश्यक सूचनाएं। एकत्रित करने के पश्चात् उन आँकड़ों को संगठित एवं वर्गीकृत करते हैं। इसके लिए हम विभिन्न सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करते हैं तथा उनके आधार पर आँकड़ों का विश्लेषण कर परियोजना रिपोर्ट तैयार करते हैं।