These comprehensive RBSE Class 11 Economics Studies Notes Chapter 5 भारत में मानव पूँजी का निर्माण will give a brief overview of all the concepts.
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→ परिचय:
मनुष्य द्वारा कुशलतापूर्वक कार्य करने हेतु अच्छे प्रशिक्षण तथा कौशल की आवश्यकता पड़ती है। शिक्षा का कौशल एवं प्रशिक्षण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शिक्षा के फलस्वरूप लोगों की कार्य उत्पादकता बढ़ती है एवं आर्थिक समृद्धि में उसका योगदान भी अधिक होता है। अतः शिक्षा मानव पूँजी निर्माण का एक आधार है। देश की विकास प्रक्रिया हेतु मानव पूँजी का निर्माण करना आवश्यक है।
→ मानव पूँजी क्या है?:
मानव पूँजी के निर्माण का तात्पर्य मानवीय संसाधनों अथवा मनुष्यों को अधिक कुशल, शिक्षित, प्रशिक्षित एवं अनुभवी बनाना है। उदाहरण हेतु शिक्षा के माध्यम से डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर आदि के रूप में मानवीय पूँजी का निर्माण किया जाता है। अतः मानवीय संसाधनों को मानवीय पूँजी के रूप में परिवर्तित करना ही मानव पूँजी निर्माण है।
→ मानव पँजी के स्त्रोत:
मानवीय पूँजी निर्माण के अनेक स्रोत हैं, जिनमें से शिक्षा में निवेश सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य में निवेश, कार्य के दौरान प्रशिक्षण, प्रबन्धन तथा सूचना आदि मानव पूँजी निर्माण के अन्य महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। उचित शिक्षा, उत्तम स्वास्थ्य, उचित प्रशिक्षण आदि की सहायता से मनुष्य को अधिक कुशल एवं उत्पादक बनाया जा सकता है। प्रशिक्षण के माध्यम से कर्मचारियों की कार्यकुशलता एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है। व्यक्ति अपनी आय में वृद्धि हेतु अधिक आय वाले रोजगार की तलाश में प्रवसन अथवा पलायन करता है जिससे उसकी आय में वृद्धि होती है, अतः प्रवसन पर व्यय भी मानवीय पूँजी निर्माण का स्रोत है। श्रम बाजार तथा अन्य बाजारों के विषय में जानकारी प्राप्त करने पर किया गया व्यय भी मानव पूंजी निर्माण का स्रोत है।
→ मानव पूँजी और आर्थिक संवृद्धि:
मानवीय पूँजी के निर्माण से मानवीय संसाधनों को अधिक कुशल एवं उत्पादक बनाया जाता है, इस कारण वे अधिक धन अर्जित करने योग्य होते हैं। इन सबके फलस्वरूप देश की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। इसी प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति भी राष्ट्रीय आय में एक अस्वस्थ व्यक्ति की तुलना में अधिक योगदान देता है। कर्मचारियों के दिए प्रशिक्षण से उनकी उत्पादकता बढ़ती है जिसका देश की राष्ट्रीय आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतः मानव पूंजी की वृद्धि के कारण आर्थिक संवृद्धि होती है। इसी कारण भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में मानव पूँजी निर्माण के स्रोतों में भारी सार्वजनिक व्यय किया गया है। इन सबका भारतीय अर्थव्यवस्था पर अनेक रूपों से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अनेक वैश्विक स्तर की रिपोर्टों में भारत के तीव्र विकास का अनुमान लगाया गया है तथा बताया गया है कि भारत में आगे चलकर मानव पूँजी निर्माण ही इसकी अर्थव्यवस्था को आर्थिक वृद्धि के उच्च पथ पर ले जायेगा।
→ मानव पूँजी और मानव विकास:
मानव पूँजी और मानव विकास में सकारात्मक सम्बन्ध है। मानवीय पूँजी का निर्माण करने से मानव का स्वतः ही विकास होगा। क्योंकि वे शिक्षा एवं स्वास्थ्य के आधार पर पहले से उत्तम जीवन-यापन करेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में निवेश से चाहे श्रम की उच्च उत्पादकता में सुधार न हो किन्तु इसके माध्यम से मानव कल्याण का संवर्धन अवश्य होगा।
→ भारत में मानव पूँजी निर्माण की स्थिति:
भारत में मानव पूँजी निर्माण हेतु अनेक प्रयास किए गए हैं। भारत में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा स्थानीय निकाय मिलकर मानव पूँजी निर्माण हेतु प्रयास कर रहे हैं। भारत सरकार ने शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार हेतु निजी एवं सार्वजनिक संस्थाओं ने मिलकर प्रयास किए हैं। देश में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की देखरेख हेतु विभिन्न संस्थाओं, परिषदों एवं विभागों की स्थापना की गई है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं पर किए जाने वाले व्यय में वृद्धि की है।
→ शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि:
भारत में शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय में निरन्तर वृद्धि हुई है। वर्ष 1952 से 2014 के बीच कुल सरकारी व्यय में शिक्षा पर व्यय 7.92 प्रतिशत से बढ़कर 15.7 प्रतिशत हो गया है तथा इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद में इसका प्रतिशत 0.64 प्रतिशत से बढ़कर 4.13 प्रतिशत हो गया है। देश में उच्चतर शिक्षा पर व्यय बहुत कम किया जा रहा है तथा प्रति व्यक्ति शिक्षा व्यय के आधार पर राज्यों में काफी अन्तर पाया जाता है। अतः देश की आवश्यकताओं को देखते हुए शिक्षा पर और अधिक व्यय किया जाना चाहिए।
वर्ष 2002 में सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कानून बनाया जिसमें 6-14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी। साथ ही सरकार ने सभी केन्द्रीय करों पर 2 प्रतिशत शिक्षा उपकर लगाना प्रारम्भ किया है। उच्च शिक्षार्थियों हेतु ऋण योजना की घोषणा भी की गई है। अतः सरकार शिक्षा के विकास हेतु अनेक कदम उठा रही है।
→ भविष्य की सम्भावनाएँ:
भारत में साक्षरता दर में निरन्तर सुधार हो रहा है। साक्षरता में पुरुषों और महिलाओं के बीच का अन्तर कम हो रहा है। भारत में स्त्री शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या बहुत कम है तथा शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी की दर भी ऊँची रही है।
भारत में मानव पूँजी निर्माण के अनेक आर्थिक एवं सामाजिक लाभ प्राप्त हुए हैं, अतः देश में मानव पूँजी निर्माण हेतु निरन्तर प्रयास किया जा रहा है।