These comprehensive RBSE Class 11 Business Studies Notes Chapter 2 व्यावसायिक संगठन के स्वरूप will give a brief overview of all the concepts.
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→ व्यावसायिक संगठन के विभिन्न स्वरूप निम्नलिखित हैं
→ एकल स्वामित्व
अर्थ: एकल स्वामित्व उस व्यवसाय को कहते हैं जिसका स्वामित्व, प्रबन्धन एवं नियन्त्रण एक ही व्यक्ति के हाथ में होता है तथा वही सम्पूर्ण लाभ पाने का अधिकारी तथा हानि के लिए उत्तरदायी होता है। यह उन क्षेत्रों में प्रचलन में है जिनमें व्यक्तिगत सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
विशेषताएँ/लक्षण:
गुण:
सीमाएँ:
→ संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय
अर्थ:
यह वह व्यवसाय होता है जिसका स्वामित्व एवं संचालन एक संयुक्त हिन्द परिवार के सदस्य करते हैं। इसका प्रशासन हिन्दू कानून के द्वारा होता है। व्यवसाय पर परिवार के मुखिया का ही नियन्त्रण रहता है और वही 'कर्ता' कहलाता है।
विशेषताएँ/लक्षण:
गुण:
सीमाएँ:
→ साझेदारी
अर्थ:
साझेदारी एक ऐसा संगठन है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर (अपने वित्तीय साधन व प्रबन्धकीय कुशलताओं के साथ) व्यवसाय करते हैं तथा लाभों को आपस में बराबर या पूर्व निश्चित अनुपात में बाँट लेते हैं। यह भारी पूँजी निवेश, विभिन्न प्रकार के कौशल एवं जोखिम में भागीदारी की आवश्यकताओं को पूरा करती
विशेषताएँ/लक्षण:
गुण या लाभ:
सीमाएँ:
साझेदारों के प्रकार:
साझेदारों के प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं
साझेदारी के प्रकार
(1) अवधि के आधार पर साझेदारी
(2) देयता के आधार पर साझेदारी
साझेदारी संलेख:
साझेदारों के बीच वह लिखित समझौता जो साझेदारी को शासित करने के लिए शर्तों व परिस्थितियों का उल्लेख करता है, साझेदारी संलेख कहलाता है।
फर्म का पंजीकरण:
साझेदारी फर्म का पंजीकरण कराना ऐच्छिक होता है किन्तु जिस फर्म का पंजीयन नहीं हुआ होता है वह कई लाभों से वंचित रह जाती है।
भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 के अनुसार फर्म के साझेदार अपनी फर्म का उस राज्य के रजिस्ट्रार के पास पंजीयन करा सकते हैं जिस राज्य में वह स्थित है। फर्म के पंजीयन के लिए एक निश्चित प्रक्रिया अपनानी होती है।
→ सहकारी संगठन
अर्थ:
सहकारी संगठन उन लोगों का स्वैच्छिक संगठन है जो अपने सदस्यों के कल्याण के लिए एकजुट हुए हैं। ये सदस्य अपने आर्थिक हितों की रक्षा से प्रेरित होते हैं।
विशेषताएँ /लक्षण:
गुण/लाभ:
सीमाएँ:
सहकारी समितियों के प्रकार:
प्रचालन (संचालन) की प्रकृति के आधार पर सहकारी समितियों के प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं
→ संयुक्त पूँजी कम्पनी
अर्थ:
कम्पनी एक अदृश्य, अमूर्त कृत्रिम व्यक्तित्व वाली संस्था है जिसका पृथक् वैधानिक अस्तित्व, शाश्वत उत्तराधिकार एवं सार्वमुद्रा होती है। कम्पनी रूपी संगठन कम्पनी अधिनियम, 2013 द्वारा शासित होते हैं। इस अधिनियम की धारा 2(20) के अनुसार कम्पनी से आशय उन कम्पनियों से है जिनका समामेलन कम्पनी अधिनियम, 2013 में या इससे पूर्व के किसी कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत हुआ है।
विशेषताएँ या लक्षण:
लाभ या गुण:
सीमाएँ:
कम्पनियों के प्रकार:
कम्पनियाँ दो प्रकार की हो सकती हैं
व्यावसायिक संगठन के स्वरूप का चयन:
व्यावसायिक संगठन के उचित स्वरूप का चयन निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण घटकों पर निर्भर करता है