These comprehensive RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 8 कोशिका : जीवन की इकाई will give a brief overview of all the concepts.
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→ एन्टोनवान लिवेनहॉक (Anton Von Leeuwenhock): ने पहली बार जीवित कोशिका को देखा। कोशिकीय जीवधारी
→ कोशिका सिद्धान्त (Cell Theory) :
स्लाइडेन व श्वान ने संयुक्त रूप से कोशिका सिद्धान्त प्रतिपादित किया। वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में कोशिका सिद्धान्त निम्नवत् हैं :
→ कोशिकाओं का माप : कोशिकाएँ माप, आकार व कार्य की दृष्टि से काफी भिन्न होती हैं। उदाहरणार्थ : सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा 0.3 μm लम्बाई की जबकि जीवाणु में 3 से 5μm की होती है। सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अण्डे की है। तंत्रिका कोशिकायें सबसे लम्बी कोशिका होती हैं।
→ झिल्ली युक्त केन्द्रक व अन्य अंगकों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर कोशिका या जीव दो प्रकार के होते हैं :
→ प्रोकैरियोटिक कोशिका : ऐसी कोशिका जिसमें झिल्ली युक्त केन्द्रक नहीं पाया जाता है उसे प्रोकैरियोटिक कोशिका भी कहते हैं। सामान्यतः आकार में छोटी होती है। इसमें झिल्ली युक्त अंगक नहीं पाये जाते हैं। उदाहरण : माइकोप्लाज्मा, जीवाणु एवं नील हरित शैवाल।
→ यूकैरियोटिक कोशिका : ऐसी कोशिका जिसमें झिल्ली युक्त केन्द्रक पाया जाता है। उस कोशिका को यूकैरियोटिक कोशिका कहते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य झिल्ली युक्त विभिन्न संरचनाएँ मिलती हैं, जिन्हें कोशिकांग कहते हैं। जैसे अंत:प्रद्रव्यी जालिका, सूत्र कणिकाएँ, गॉल्जीकाय, लयनकाय रसधानी, सूक्ष्मकाय आदि।
→ अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum) : नलिकाओं व कुंडों से बनी होती है। ये दो प्रकार की होती हैं :
→ गॉल्जीकाय (Golgibody) : झिल्ली युक्त अंगक है जो चपटे थैलीनुमा संरचना से बने होते हैं। इनमें कोशिकाओं का स्रवण संविष्ट होता है जिनमें सभी प्रकार के वृहद् अणुओं के पाचन हेतु एंजाइम मिलते हैं।
→ राइबोसोम (Ribosome) :
ये कोशिकाद्रव्य में स्वतंत्र रूप में या अंतर्द्रव्यी जालिका से संबद्ध होते हैं। ये प्रोटीन-संश्लेषण (Protein Synthesis) में भाग लेते हैं।
→ सूत्रकणिका/माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) :
यह द्विक झिल्ली क्रिस्टी में अंतरवलित होती है। ऑक्सीकारी फास्फोरिलीकरण तथा एडीनोसीन ट्राई फॉस्फेट के निर्माण में सहायक होती है। इसे कोशिका का शक्ति गृह (Power House) कहते हैं।
→ कोशिका झिल्ली (Plasma Membrane) :
प्रत्येक कोशिका एक महीन झिल्ली द्वारा घिरी होती है जो कोशिकाद्रव्य को सीमित तथा बाह्य वातावरण को पृथक् करती है। यह जीव कला कोशिका झिल्ली कहलाती है। यह चयनित पारगम्य होती है और बहुत सारे अणुओं के परिवहन में भाग लेते हैं।
→ परिवहन दो प्रकार का होता है :
→ पादप कोशिका (Plant Cell) :
पादप कोशिका एक कठोर मोटी तथा दृढ़ भित्ति से घिरी होती है जिसे कोशिका भित्ति (Cell Wall) कहते हैं। यह जीवद्रव्य झिल्ली के बाहर स्थित होती है। यह जीवद्रव्य का स्रावित भाग है जो कोशिका की रक्षा करता है। यह सेल्यूलोज से बनी सजीव संरचना होती है। पादप कोशिका में हरित लवक प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक प्रकाशीय ऊर्जा को संचित रखने का कार्य करते हैं।
→ हरित लवक (Chloroplast) : ये द्विक झिल्ली युक्त संरचनाएँ होती हैं। लवक के ग्रेना में प्रकाशीय अभिक्रिया (Light Reaction) तथा पीठिका (Stroma) में अप्रकाशिक अभिक्रिया (Dark Reaction) सम्पन्न होती है।
→ तारककाय (Centrosome) : तारककाय जन्तु कोशिका में मिलते हैं। प्रत्येक तारककाय दो तारक केन्द्रों का बना होता है, इसे डिप्लोसोम कहते हैं। यह कोशिका विभाजन के समय दोनों ध्रुवों से तर्कु (Spindle) तन्तुओं का निर्माण करता है।
→ केन्द्रक (Nucleus) : केन्द्रक में केन्द्रिक व क्रोमेटिन का तंत्र मिलता है। यह अंगकों के कार्य को ही नियन्त्रित नहीं करता, बल्कि आनुवंशिकी में प्रमुख भूमिका अदा करता है।
→ पक्ष्माभ तथा कशाभिका (Cilia and Flagella) : ये कोशिका की गति में सहायक हैं। कशाभिका पक्ष्माभ से लम्बे होते हैं। कशाभिका तरंग गति से चलती है जबकि पक्ष्माभ डोलमोदन द्वारा गति करते हैं।
→ गुणसूत्र (Chromosome) : मनुष्य में 23 जोड़े गुणसूत्र पाये जाते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में एक प्राथमिक संकीर्णन पाया जाता है जिसे गुणसूत्र बिन्दु कहते हैं। इस पर बिम्ब के आकार की संरचना मिलती है जिसे काइनेटोकोर कहते हैं।
गुणसूत्र बिन्दु (सेन्ट्रोमीयर) की स्थिति के आधार पर गुणसूत्रों को चार प्रकारों में विभाजित किया गया है :
→ साइटोपंजर : प्रोटीन युक्त विस्तृत जालिकावत तंतु जो कोशिकाद्रव्य में मिलता है उसे साइटोपंजर कहते हैं। कोशिका में मिलने वाले साइटोपंजर के निम्न कार्य हैं :
→ सूक्ष्मकाय (Microbodies) : बहुत सारी झिल्ली आवरित सूक्ष्म थैलियाँ जिनमें विभिन्न प्रकार के एंजाइम मिलते हैं। ये पौधे व जन्तु कोशिकाओं में पायी जाती हैं।
→ सजीव कोशिका को सर्वप्रथम ल्युवेनहॉक (Leeuwenhock, 1674) ने देखा।
→ लाइसोसोम को आत्मघाती थैलियाँ (Suicidal bags) तथा बहरूपी कोशिकांग (Polymorphic body) भी कहते हैं।
→ WBC में सर्वाधिक तथा सबसे बड़े लाइसोसोम्स पाए जाते हैं।
→ राइबोसोम सबसे छोटा कोशिकांग होता है। इसके चारों तरफ झिल्ली का अभाव होता है।
→ माइटोकॉन्ड्रिया को अर्ध-स्वायत्त कोशिकांग भी कहते हैं। यीस्ट कोशिका में सबसे छोटे माइटोकॉन्ड्रिया पाये जाते हैं।
→ सर्वाधिक माइटोकॉन्ड्रिया पीलोमिक्सा (Pelomyxa) अमीबा में पायी जाती है जिनकी संख्या 5 × 105 होती है।
→ प्रत्येक सेन्ट्रिओल कार्ट व्हील संरचना दर्शाता है तथा इसके चारों तरफ झिल्ली का अभाव होता है।
→ सेन्ट्रोसोम में दो सेन्ट्रिओल्स या तारककाय समकोण पर स्थित रहते हैं। बहुकेन्द्रीय जन्तु कोशिका को सिन्सिशियम (syntitium) तथा बहुकेन्द्रीय पादप कोशिका को सीनोसाइटिक (coenocytic) कहते हैं।
→ प्रोकैरियोटिक गुणसूत्रों को न्यूक्लीऑड (Nucleoid) कहते है।
→ एस्केरिस मेगेलोसीफेला (Ascaris Megalocephala) में द्विगुणित गुणसूत्रों की संख्या 2 होती है जो न्यूनतम है।
→ एन्टो केन्था नामक रेडियोलेरियन (Acantacantha Radiolarian) में गुणसूत्रों की संख्या 1600 होती है जिसको अधिकतम मानते हैं।
→ गुणसूत्र में प्राथमिक संकुचन को सेन्ट्रोमीयर या काइनेटोकोर कहते हैं। कुछ गुणसूत्रों में द्वितीयक संकीर्णन से एक गोल सिरे का निर्माण होता है जिसको सैटेलाइट (Satellite) कहते हैं।
→ ऐसे गुणसूत्रों को सैट गुणसूत्र (SAT Chromosome) कहते हैं। कीटों की उड़न पेशियों में माइटोकॉन्ड्रिया को सारकासोम (Sarcasome) भी कहते हैं।
→ स्पोरोजोइट (Sporozoite) में केवल एक माइटोकॉन्ड्रिया पाया जाता है।
→ ग्लाइऑक्सीसोम (Glyoxysomes) बीजपत्रों तथा एन्डोस्पर्म (Endosperm) में पाये जाते हैं।
→ गाउट (Gout) रोग में ऊतक शोध लाइसोसोम्स के फटने से होता है।
→ सुकरण विसरण (Faciliated Diffusion) में वाहक प्रोटीन की आवश्यकता होती है।