These comprehensive RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 22 रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण will give a brief overview of all the concepts.
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→ कशेरुकियों में तीन प्रकार की ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं
→ अन्तःस्रावी विज्ञान-अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के अध्ययन को अन्तःस्रावी विज्ञान (Endocrinology) कहते हैं। थॉमस एडीसन (Thomas Addison) को अन्तःस्राविकी का जनक (Father of Endocrinology) कहते हैं।
→ अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ—ये ग्रन्थियाँ अपना स्राव सीधे रक्त में छोड़ती हैं क्योंकि इनमें नलिका का अभाव होता है, इसीलिये इन्हें नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ कहते हैं । इन ग्रन्थियों के स्राव को हार्मोन कहते हैं।
→ हार्मोन-अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित रासायनिक पदार्थ जिसे सीधा रक्त में स्रावित किया जाता है। यह शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचकर कार्यों को प्रभावित करते हैं, इन्हें हार्मोन या रासायनिक उत्प्रेरक (Hormone or Chemical Messenger) कहते हैं। अधिकतर हार्मोन प्रोटीन प्रकृति के होते हैं, किन्तु ये अमीन, पॉली पेप्टाइड्स व स्टीरायड प्रकृति के स्रावित किये जाते हैं।
→ हार्मोन कि याविधि (Mechanism of Hormonal Action)-हार्मोन निम्न प्रकार से क्रिया करते हैं
→ मनुष्य की अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ
→ इनके अतिरिक्त कुछ अन्य अंग जैसे जठर आन्त्रीय मार्ग, यकृत, वृक्क, हृदय आदि भी हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
→ पीयूष ग्रन्थि या हाइपोफाइसिस-यह दूसरी सभी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के स्रावों का नियमन करती है। अतः इसे मास्टर ग्रन्थि कहते हैं । पर आधुनिक खोजों से ज्ञात हुआ कि पीयूष का नियन्त्रण हाइपोथेलेमस के द्वारा होता है। इसलिए अब इसे मास्टर ग्रन्थि या अन्तःस्रावी तन्त्र का प्रमुख प्रशासक या अन्तःस्रावी वाद्य मण्डल का बैण्ड मास्टर नहीं कहते हैं। अब पीयूष को हाइपोथेलेमोहाइपोफाइसियल ग्रन्थि या हाइपोफाइसिस सेरीबाई भी कहते
→ पीयूष ग्रन्थि दो पालियों से मिलकर बनी होती हैएडीनो-हाइपोफाइसिस एवं न्यूरोहाइपोफाइसिस।
→ एडीनोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रावित हार्मोन
→ अपसामान्य कार्य
वृद्धि हार्मोन के अल्प सावण से होने वाले रोग
क्र.सं. रोग |
अवस्था |
बौनापन या मिजेट्स (Dwarfism or Midgets) |
बाल्यावस्था |
साइमण्ड रोग (Simond Disease) |
वयस्क अवस्था |
→ वृद्धि हार्मोन (GH ) के अतिस्रावण से रोग
बाल्यावस्था में |
महाकायता (Gigantism) |
वयस्क अवस्था में |
अग्रातिकायता (Acromegaly) |
→ न्यूरोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रावित हार्मोन
→ थाइरॉइड ग्रन्थि-थाइरॉइड एक द्विपालिक ग्रन्थि होती है जो कंठ के नीचे श्वास नली के दोनों ओर स्थित रहती है।
→ थायरोक्सिन के अल्प व अति स्त्रावण से उत्पन्न रोग
अल्पस्त्रावण के रोग (Hypersecretion) |
अतिस्त्रावण के रोग (Hyposecretion) |
1. क्रिटिनिज्म (Critinism) |
एक्सोप्थेल्मिक गायटर (बाल्यावस्था में) (Exopthalmic Goiter) |
2. मिक्सोडेमा (Myxodema) (वयस्क अवस्था में) |
ग्रेव का रोग (Grave's Disease) |
3. सामान्य घेघा (Simple Goitre) |
प्लूमर का रोग (Plumer's Disease) |
→ एड्रीनल ग्रन्थि:
प्रत्येक ग्रन्थि के दो भाग होते हैं। ये दोनों भाग संरचनात्मक, क्रियात्मक तथा भौतिक दृष्टि से भिन्न होते हैं । ये दो भाग निम्नलिखित हैं
→ अपसामान्य कार्य-एड्रीनल ग्रन्थि के कार्टेक्स भाग के हार्मोनों के कम स्रावण से एडीसन रोग एवं कॉन्स का रोग हो जाता है। एड्रीनल ग्रन्थि के अतिस्रावण से निम्न रोग हो जाते हैं
→ थायमस ग्रन्थि:
यह ग्रन्थि हृदय के ठीक आगे ट्रेकिया के समीप स्थित होती है। इससे स्रावित हार्मोन थाइमोसिन है। थाइमोसिन जनन अंगों की परिपक्वता में सहायक है। थाइमोसिन लिम्फोसाइट्स को जीवाणुओं को नष्ट करने हेतु प्रेरित करता है।
→ पीनियल काय-इस ग्रन्थि को एपीफाइसिस सेरेब्राई भी कहते हैं। यह ग्रन्थि जैविक घड़ी (Biological Clock) की तरह कार्य करती है क्योंकि प्रकाश की विभिन्नताओं के अनुसार लैंगिक आचरण में परिवर्तन लाती है।
→ लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ-अग्न्याशय बाह्यस्रावी व अन्तःस्रावी दोनों कार्य करता है। अन्तःस्रावी कोशिकायें जिन्हें लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ कहते हैं, इसमें दो प्रकार की कोशिकाएँ पाई जाती हैं
→ इन्सुलिन की कमी से डायबिटीज मैलिटस नामक रोग हो जाता है। लैंगरहैन्स की द्वीपिकाओं का दूसरा हार्मोन ग्लूकैगोन है। यह हार्मोन हाइपर ग्लाइसिमिक तथा ग्लाइको जिनोलाइटिक कारक है।
→ वृषण की शुक्रजनन नलिकाओं के बीच में संयोजी ऊतकों में स्थित अन्तराली कोशिकाएँ या लैडिग की कोशिकाओं से एण्ड्रोजन (नर हार्मोन) का स्रावण होता है। नर हार्मोन में प्रमुख टेस्टोस्टेरॉन तथा एण्ड्रोस्टेरोन होते हैं। ये नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी होते हैं।
→ अण्डाशय-एस्ट्रोजन हार्मोन अण्डाशय की प्रैफियन पुटिकाओं की थीका इन्टरना से स्रावित होता है। यह हार्मोन मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है। ऐस्ट्रोजन के अतिरिक्त दो हार्मोन कार्पस ल्यूटियम से भी स्रावित होते हैं। ये हैं-प्रोजेस्ट्रॉन तथा रिलिक्सिन।
→ प्रोजेस्ट्रॉन गर्भधारण व गर्भावस्था के लिए आवश्यक हार्मोन है अतः इसे गर्भावस्था हार्मोन (Pregnancy Hormone) कहते हैं। प्रोजेस्ट्रॉन की कमी से गर्भपात (Abortion) हो जाता है।
→ रिलैक्सीन-यह प्रसव के समय श्रोणि मेखला के प्यूबिक सिम्फाइसिस को शिथिल करता है। इससे जन्मनाल या वेजाइना चौड़ी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप शिशु का जन्म आसानी से हो जाता है।
→ एट्रियल नेट्रियूरेटिक कारक (एएनएफ) हृदय की आलिन्द भित्ति द्वारा पेप्पटाइड हार्मोन का स्राव किया जाता है जिसे एट्रियल नेट्रियूरेटिक कारक (एएनएफ) कहते हैं। यह रक्त दाब को कम करता है।
→ जठर आंत्रीय पथ के विभिन्न भागों में उपस्थित अन्तःस्रावी कोशिकाएँ चार पेप्पटाइड हार्मोन स्रावित करती हैं
→ इरिथ्रोपोइटिन-वृक्क की जक्स्टाग्लोमेरुलर कोशिकाएँ इरिथ्रोपोइटिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती हैं। यह हार्मोन रक्ताणु उत्पत्ति (RBC का निर्माण) को प्रेरित करता है।
→ वृद्धिकारक-अनेक अन्य ऊतक, जो अन्तःस्रावी नहीं हैं, कई हार्मोन का स्राव करते हैं जिन्हें वृद्धिकारक कहते हैं ।
→ वृद्धिकारक, ऊतकों की सामान्य वृद्धि और उनकी मरम्मत और पुनर्जनन के लिए आवश्यक है।
→ शब्द एण्डोक्राइन एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है मैं इनमें पृथक् करता हूँ।
→ थॉमस एडीसन एन्डोक्राइनोलॉजी के जनक कहलाते हैं। सबसे पहले ज्ञात किया गया अन्तःस्रावी रोग 'एडीसन रोग' था जो कि एड्रीनल कार्टेक्स या ग्लूकोकार्टिकॉइड्स के नष्ट होने से उत्पन्न होता है।
→ जब दो हार्मोन एक ही क्रिया के नियंत्रण में एक-दूसरे से विपरीत कार्य करते हैं तो इसे एण्टागोनिज्म कहते हैं । उदाहरण—इंसुलिन व ग्लूकेगॉन, कैल्सीटोनिन व पैराथार्मोन।
→ कुछ पदार्थ हार्मोन जैसे होते हैं लेकिन ये अंतःस्रावी ग्रन्थियों से उत्पन्न नहीं होते। इन्हें पैराहार्मोन कहते हैं। उदाहरण—इन्सुलिन व ग्लूकेगॉन, कैल्सीटोनिन व पैराथार्मोन। हार्मोन भोजन में उपस्थित नहीं होते बल्कि शरीर में संश्लेषित होते
→ तंत्रिकीय सिरों द्वारा स्रावित होने वाले हार्मोन्स न्यूरोहार्मोन्स या न्यूरोह्यूमर्स कहलाते हैं।
→ द्वितीयक संदेशवाहक एक माध्यमिक यौगिक है जो हार्मोन संकेतों को बढ़ाता है।
→ कोशिकाओं में इंसुलिन व ग्लूकेगॉन के लिए रिसेप्टर्स होते हैं | जिनका प्रभाव भी एक-दूसरे के विपरीत होता है।
→ हाइपोथैलेमस का प्राथमिक लक्ष्य अंग पीयूष ग्रन्थि है।
→ मनुष्य में पीयूष का मध्य पिण्ड भ्रूण में क्रियाशील व वयस्कों में क्रियाविहीन होता है।
→ वृद्धि हार्मोन अग्र पीयूष का एकमात्र हार्मोन है जो शरीर कोशिकाओं पर सीधा प्रभाव डालता है।
→ स्थानीय हार्मोन्स को पैरा हार्मोन या ऊतक हार्मोन कहते हैं।
→ सबसे पहले खोजा गया हार्मोन सीक्रेटिन तथा सबसे पहले पृथक् किया गया हार्मोन इन्सुलिन था, जिसे बैटिंग व मेकलियो द्वारा कुत्ते के अग्न्याशय से पृथक् किया गया था।
→ हार्मोन ग्राही सदैव प्रोटीन होते हैं जो कि लक्ष्य कोशिका की मेम्ब्रेन या कोशिका द्रव में स्थित होते हैं। हमारे रुधिर में हार्मोन्स की मात्रा रेडियो इम्यूनो ऐसे द्वारा मापी जाती है।
→ प्लीहा से किसी हार्मोन का स्रावण नहीं होता है।
→ थाइरॉइड एकमात्र अंतःस्रावी ग्रन्थि है जो अपने स्राव संचित करती है।
→ लगातार तनाव से एड्रीनल ग्रन्थि (मुख्यतया कॉर्टेक्स) का आकार बढ़ जाता है।
→ यदि इन्सुलिन तभी प्रभावी होता है जब इसे इन्जेक्शन द्वारा दिया जाता है।
→ अग्न्याशय, अण्डाशय व वृषण नलिकायुक्त अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ
→ ADH, पिट्रोसिन व वेसोप्रेसिन एक हार्मोन के नाम हैं।
→ हाइपोथेलेमस से 10 कारकों का स्रावण होता है। इनमें 7 हार्मोन के स्राव को बढाते हैं व तीन हार्मोन के स्राव को घटाते हैं।
→ गठिया रोग के उपचार में कॉर्टिसोल हार्मोन का उपयोग किया जाता है।
→ Fight या Flight से सम्बन्धित हार्मोन का स्रावण एड्रीनल मेड्यूला द्वारा होता है।
→ सीरम में Ca++ स्तर का नियमन PTH व थायरोकेल्सिटोनिन करता है।
→ वृक्कों द्वारा ऐरिथ्रोजेनिन (Erythrogenin) का स्रावण होता है।
→ अस्थिमज्जा (Bone marrow) में RBC का निर्माण करवाता है।
→ पीनियल काय (Pineal body) शरीर में एक जैविक घड़ी (Biological clock) की तरह कार्य करती है।
→ मूत्र में CGH की उपस्थिति में गर्भाधान की जाँच (pregnancy test) की जाती है।
→ थाइमस ग्रन्थि यौवनावस्था के पश्चात् माप में छोटी हो जाती है।