These comprehensive RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 1 जीव जगत will give a brief overview of all the concepts.
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→ जीव जगत में अत्यधिक विविधता होती है। अनेक पादप व प्राणियों की पहचान हो जाने के बावजूद भी अनेक जातियों को खोजा जाना शेष है।
→ जीवों की अधिक विविधता को देखते हुए, इसके अध्ययन को सरल बनाने के लिए जीवविज्ञानियों ने कुछ सिद्धान्त व नियम बनाये हैं। इससे जीवों की पहचान, नामकरण व वर्गीकरण सम्भव हो सके।
→ वर्गिकी का मूलभूत आधार जीवों की पहचान, उनका नामकरण तथा वर्गीकरण है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय कोड के अन्तर्गत विकसित किया गया है।
→ समरूपता तथा विभिन्नताओं को आधार मानकर प्रत्येक जीव को पहचाना गया है व उसे द्विपद नाम दिया गया है।
→ द्विपद नाम में प्रत्येक जीव के नाम के दो शब्द, वंश तथा जाति होती है। वर्गिकी में अनेक संवर्ग होते हैं जिन्हें संवर्ग या टैक्सा कहते हैं। यह सभी संवर्ग वर्गिकी पदानुक्रम बनाते हैं।
→ वर्गिकी वैज्ञानिकों ने पहचान, नामकरण व वर्गीकरण को सुगम बनाने के लिए वर्गिकी साधन सामग्री विकसित की है। ये अध्ययन वास्तविक नमूनों से किये जाते हैं, जिन्हें भिन्न क्षेत्रों से एकत्रित किया जाता है। इन साधनों में हरबेरियम, म्यूजियम, वनस्पति उद्यान, प्राणी उपवन व चिड़ियाघर होते है।
→ हरबेरियम तथा म्यूजियम में नमूनों को एकत्रित कर परिरक्षित किया जाता है व समय-समय पर उपयोग किया जाता है। वनस्पति उद्यान, प्राणी उपवन व चिड़ियाघरों में जीवित नमूने होते हैं।
→ वर्गिकी अध्ययन तथा सूचनाओं को प्रसारित करने के लिए मैनुअल व मोनोग्राफ तैयार किये जाते हैं। लक्षणों के आधार पर वर्गिकी कुंजी जीवों के पहचानने में सहायक होती है।
→ वनस्पति विज्ञान के जनक थियोफ्रेस्टस हैं तथा प्राणि विज्ञान के जनक अरस्तू हैं।
→ वर्गिकी का जनक अरस्तू तथा आधुनिक वर्गिकी का जनक केरोलस लिनियस है।
→ द्विपदनाम पद्धति के अतिरिक्त त्रिपदनाम पद्धति भी है जिसका प्रतिपादन स्ट्रीकलैण्ड ने किया था।
→ वर्गीकरण की मूल इकाई जाति है।
→ सर्वप्रथम जॉन रे ने जाति शब्द दिया था।