Rajasthan Board RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण Important Questions and Answers.
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I. रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न (Fill in the blanks type questions)
प्रश्न 1.
वर्णक वे पदार्थ हैं जिनमें प्रकाश की विशिष्ट ........................................ को अवशोषित करने की अमता होती है।
उत्तर:
तरंगदैर्घ्य
प्रश्न 2.
........................................ प्रकाश को अवशोषित करने का मुख्य वर्णक है।
उत्तर:
क्लोरोफिल-ए
प्रश्न 3.
प्रकाश संश्लेषण क्रिया में जल अपघटन क्रिया पी एस ........................................ से है।
उत्तर:
II
प्रश्न 4.
ग्राना की झिल्ली या लैमिला में पी एस I एवं ........................................ दोनों ही होते हैं।
उत्तर:
पी एस II
प्रश्न 5.
........................................ के लिये एक झिल्लिका, एक प्रोटोन पम्प, एक प्रोटोन प्रवणता तथा ए टी पी सिन्थेज की आवश्यकता होती है।
उत्तर:
रसोपरासरण
प्रश्न 6.
मेलविन केल्विन ने शैवाल में ........................................ का उपयोग प्रकाश संश्लेषण अध्ययन में किया।
उत्तर:
C14
प्रश्न 7.
C4 पथ में पहला उत्पाद ........................................ बनता है।
उत्तर:
औक्सेलोएसिटिक अम्ल
प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण में CO2 ग्राही अणु ........................................ है।
उत्तर:
रिव्यूलोज 1 - 5 विसफोस्फेट
प्रश्न 9.
केल्विन चक्र के तीन चरण होते हैं - कार्बोक्सिलीकरण, अपचयन तथा ........................................ ।
उत्तर:
पुररुद्भवन
प्रश्न 10.
C4 पथ में CO2 का प्रथम ग्राही ........................................ होता है।
उत्तर:
फोस्फोइनोल पाइरुवेट।
II. सत्य व असत्य प्रकार के प्रश्न (True and False type questions)
प्रश्न 1.
प्रायः जो पौधे शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाये जाते हैं, उनमें C4 पथ पाया जाता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 2.
C4 पौधों में जज शारीर वाली पत्तियाँ होती हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
रूविस्को नामक एंजाइम विश्व में सबसे अधिक प्रचुर है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
C4 पादपों की तुलना में C3 पादप CO2 का कम उपयोग करते हैं किन्तु प्रकाश संश्लेषण हेतु अधिक दक्ष होते हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
प्रकाश संश्लेषण में CO2 एक प्रमुख सीमाकारी कारक है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 6.
C4 पादपों में प्रकाश श्वसन नहीं होता है। (संत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 7.
C4 पौधों की पूलाच्छद कोशिका रूविस्को से भरपूर होती है तथा पेपकेस (PEPcase) से युक्त होती है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 8.
नीले एवं लाल प्रकाश क्षेत्र में प्रकाश संश्लेषण अधिक होता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 9.
क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना की झिल्ली या लैमिला में PS I एवं PS II दोनों ही होते हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 10.
प्रकाश संश्लेषण में ATP का संश्लेषण एक झिल्लिका के आर-पार प्रोटीन प्रवणता के कारण होता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
III. निम्न को सुमेलित कीजिए (Match the following)
स्तम्भ - I में दिये गये पदों का स्तम्भ - II में दिये गये पदों के साथ सही मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. एंजिलमैन |
(i) बैंगनी, हरा जीवाणु |
B. वैन नील |
(ii) पीठिका |
C. अप्रकाशी अभिक्रिया |
(iii) ग्राना |
D. प्रकाश अभिक्रिया |
(iv) क्लैडोफोरा |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. एंजिलमैन |
(iv) क्लैडोफोरा |
B. वैन नील |
(i) बैंगनी, हरा जीवाणु |
C. अप्रकाशी अभिक्रिया |
(ii) पीठिका |
D. प्रकाश अभिक्रिया |
(iii) ग्राना |
प्रश्न 2.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. क्लोरोफिल-ए |
(i) पीला |
B. क्लोरोफिल-बी |
(ii) पीला हरा |
C. जैन्थोफिल |
(iii) नीला हरा |
D. केरोटीनाइड |
(iv) पीला, नारंगी हरा |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. क्लोरोफिल-ए |
(iii) नीला हरा |
B. क्लोरोफिल-बी |
(ii) पीला हरा |
C. जैन्थोफिल |
(i) पीला |
D. केरोटीनाइड |
(iv) पीला, नारंगी हरा |
प्रश्न 3.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. फोटोसिस्टम - I - वर्णक |
(i) चक्रीय इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण |
B. फोटोसिस्टम - II - वर्णक |
(ii) फोटोसिस्टम - II |
C. फोटोलिसस |
(iii) P700 |
D. PS - I |
(iv) P680 |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. फोटोसिस्टम - I - वर्णक |
(iii) P700 |
B. फोटोसिस्टम - II - वर्णक |
(iv) P680 |
C. फोटोलिसस |
(ii) फोटोसिस्टम - II |
D. PS - I |
(i) चक्रीय इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण |
प्रश्न 4.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. 3-फास्फोग्लिसेरिक अम्ल |
(i) CO2 ग्राही |
B. औक्सेलोएसिटिक अम्ल |
(ii) अप्रकाशी अभिक्रिया |
C. RuBP |
(iii) C4 |
D. केल्विन चक्र |
(iv) C3 |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. 3-फास्फोग्लिसेरिक अम्ल |
(iv) C3 |
B. औक्सेलोएसिटिक अम्ल |
(iii) C4 |
C. RuBP |
(i) CO2 ग्राही |
D. केल्विन चक्र |
(ii) अप्रकाशी अभिक्रिया |
प्रश्न 5.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. पुनरुद्भवन |
(i) हैच एवं स्लैथ चक्र |
B. जी शारीर |
(ii) CO2 ग्राही |
C. C4 चक्र |
(iii) केल्विन चक्र |
D. फोस्फोइनोल पाइरुवेट |
(iv)C4 पादप |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. पुनरुद्भवन |
(iii) केल्विन चक्र |
B. जी शारीर |
(iv)C4 पादप |
C. C4 चक्र |
(i) हैच एवं स्लैथ चक्र |
D. फोस्फोइनोल पाइरुवेट |
(ii) CO2 ग्राही |
प्रश्न 6.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. ब्लैकमेन |
(i) एंजाइम |
B. उष्णकटिबंधीय पौधे |
(ii) फोस्फोइनोल पाइरुवेट |
C. रूविस्को |
(iii) सीमाकारी कारक |
D. PEP |
(iv) C4 पादप |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. ब्लैकमेन |
(iii) सीमाकारी कारक |
B. उष्णकटिबंधीय पौधे |
(iv) C4 पादप |
C. रूविस्को |
(i) एंजाइम |
D. PEP |
(ii) फोस्फोइनोल पाइरुवेट |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हरित गंधक जीवाणु व नील लोहित गन्धक जीवाणु में पाये जाने वाले क्लोरोफिल का नाम लिखिए।
उत्तर:
क्लोरोबियम क्लोरोफिल तथा बैक्टीरियो क्लोरोफिल।
प्रश्न 2.
सीमाकारी कारक नियम की परिभाषा दीजिए। इस नियम का प्रतिपादन किसने किया?
उत्तर:
क्लैकमैन ने सीमाकारी कारक नियम बताया था। इसके अनुसार किसी भी क्रिया की गति, उस कारक पर निर्भर करती है जो आपेक्षिक निम्निष्ठ (relative minimum) होता है।
प्रश्न 3.
प्रकाश तन्त्र में प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
Chl. a (P700) के द्वारा।
प्रश्न 4.
प्रकाश श्वसन किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रकाश - संश्लेषण तन्त्र में प्रकाश की उपस्थिति में श्वसन क्रिया द्वारा CO2 का मुक्त होना तथा O2 को ग्रहण करना प्रकाश श्वसन कहलाता है।
प्रश्न 5.
NADP का पूर्ण नाम बताइये।
उत्तर:
निकोटिनामाइड - एडनिन - डाइन्यूक्लियोटाइड फॉस्फेट।
प्रश्न 6.
प्रकाश - संश्लेषण क्रिया का प्रथम स्थायी उत्पाद का नाम लिखिए।
उत्तर:
फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA)।
प्रश्न 7.
अचक्रीय प्रकाश फोस्फोरिलीकरण में कौन - कौन से तन्त्र कार्य करते हैं?
उत्तर:
PS I व PS II दोनों।
प्रश्न 8.
अचक्रीय पथ में क्या होता है?
उत्तर:
NADP.H2 का निर्माण तथा O2 का उत्सर्जन।
प्रश्न 9.
RuBP का प्रकाश - संश्लेषण में कहाँ उपयोग होता है? दो महत्व बताइये।
उत्तर:
प्रकाश - संश्लेषण के केल्विन चक्र में उपयोग होता है। दो महत्त्व:
प्रश्न 10.
अप्रकाशित अभिक्रिया का स्थान बताइये।
उत्तर:
क्लोरोप्लास्ट के मैट्रिक्स (Matrix) में।
प्रश्न 11.
प्रकाश - संश्लेषण का अन्तिम उत्पाद सुक्रोज कहाँ बनता है?
उत्तर:
इसका निर्माण पर्णमध्योतक कोशिका के कोशिकाद्रव्य में होता है।
प्रश्न 12.
प्रकाश - संश्लेषण की दर किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
इसकी दर वातावरणीय कारकों पर निर्भर करती है जिसमें से CO2 की सान्द्रता, प्रकाश की तीव्रता, जल की उपलब्धता व तापमान प्रमुख हैं। इसकी दर पत्ती की आयु तथा क्लोरोफिल व सहायक वर्णकों की मात्रा पर भी निर्भर करती है।
प्रश्न 13.
जैव मण्डल में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन कौन - सा है? यह हरित लवक के प्रोटीन का कितना प्रतिशत होता है?
उत्तर:
रुबिस्को (Rubisco) सर्वाधिक पाया जाने वाला प्रोटीन है। यह हरित लवक के प्रोटीन का 16% भाग होता है।
प्रश्न 14.
पादपों में भोज्य पदार्थों का परिवहन किस रूप में होता है?
उत्तर:
सुक्रोज (Sucrose) के रूप में परिवहन होता है।
प्रश्न 15.
तीन अपचयनकर्ता व तीव्र ऑक्सीकारक का नाम बताइये।
उत्तर:
फीयोफाइटिन तीन अपचयनकर्ता है तथा O2 तीव्र ऑक्सीकारक है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ब्लैकमैन का सीमाकारी कारकों का नियम बताइये। इसकी व्याख्या उपयुक्त उदाहरण की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
पादपों द्वारा होने वाली प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया वातावरणीय व आनुवंशिक कारकों द्वारा प्रभावित होती है। वातावरणीय कारकों का अध्ययन बाहा कारकों व आनुवंशिक कारकों का अध्ययन आन्तरिक कारकों के रूप में करेंगे:
(अ) बाह्य कारक (External Factors):
प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड की उपलब्धता, तापमान, मृदा - जल आदि महत्वपूर्ण बाहा कारक हैं जो प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इन कारकों का अध्ययन करने से पूर्व ब्लैकमेन (Blackman) के सीमाकारी कारकों के नियम (law of limiting factor) का अध्ययन करना आवश्यक है। ब्लैकमेन सीमाकारी कारकों के नियम से पहले प्रकाश - संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारकों के विषय में यह अवधारणा थी, कि किसी कारक की वह मात्रा जिस पर प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया आरम्भ होती है उसे न्यूनतम बिन्दु (minimum point), जिस मात्रा पर अधिकतम होती है उसे अनुकूलतम बिन्दु (optimum point) व वह अधिकतम मात्रा जिस पर प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है उसे अधिकतम या उच्चतम बिन्दु (Maximum Point) कहते हैं। इन तीनों अवस्थाओं को प्रधान बिन्दु (Cardinal Point) कहा जाता है। किसी भी कारकों
का न्यूनतम मान वह बिन्दु है, जिसके नीचे क्रिया प्रारम्भ नहीं हो सकती है। इस प्रकार उच्चतम मान वह बिन्दु है जिसके और ऊपर क्रिया प्रभावहीन हो जाती है। अधिकतम मान वह बिन्दु है जिस पर सम्बन्धित प्रक्रिया लम्बे समय तक उच्चतम दर पर जारी रहती है। ब्लैकमेन के सीमाकारी कारकों के नियम के अनुसार यदि कोई प्रक्रिया अनेक कारकों द्वारा प्रभावित होती है, तो उस प्रक्रिया की दर सबसे कम मात्रा में उपस्थित कारक पर निर्भर करती है। इस सिद्धान्त को स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि एक हरी पत्ती को एक इकाई प्रकाश की मात्रा दी जाती है तथा प्रकाश की यह मात्रा CO2 की 5mg मात्रा का अपचयन करने में सक्षम है परन्तु इस पत्ती को CO2 उपलब्ध नहीं की जाती है। ऐसी स्थिति में प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया नहीं हो सकती। अतः यहाँ CO2 यह कारक है जो प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करता है। अब इस पत्ती को CO2 दी जाती है, तब प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया शीघ्र ही प्रारम्भ हो जाती है। CO2 की मात्रा बढ़ाने पर प्रकाश - संश्लेषण की दर में भी वृद्धि होती जाती है। अतः जब तक पत्ती को CO2 की 5mg, मात्रा प्रदान न कर दी जाए, तब तक प्रत्येक बार CO2 की
मात्रा बढ़ाने पर प्रकाश - संश्लेषण की दर में वृद्धि जारी रहती है। अतः इन सभी अवस्थाओं में CO2 की मात्रा को सीमाकारी कारक माना जाता है। परन्तु जैसे ही CO2 की मात्रा 5mg. से बढ़ाकर 6 mg. अथवा इससे अधिक करते हैं तो अब प्रकाश - संश्लेषण की दर में वृद्धि नहीं होती है क्योंकि अब CO2 की माशा सीमाकारी कारक नहीं रहा बल्कि प्रकाश की मात्रा सीमाकारी कारक बन गया। क्योंकि CO2 की अधिक मात्रा उपलब्ध होने पर भी अब प्रकाश - संश्लेषण की दर में वृद्धि केवल प्रकाश को मात्रा बढ़ाने पर ही संभव है। इस प्रकार समय - समय पर सीमाकारी कारक परिवर्तित होता रहता है।
प्रश्न 2.
क्लोरोप्लास्ट की आंतरिक संरचना को सचित्र समझाइये।
उत्तर:
क्लोरोप्लास्ट गोल या अण्डाकार आकृति के होते हैं तथा लाइपोप्रोटीन से बनी दो झिल्लियों से ढके होते हैं। इसकी संरचना में अन्दर ग्रेना (Grana) व स्ट्रोमा (Stroma) का क्षेत्र होता है। स्ट्रोमा प्रोटीनयुक्त तरल द्रव से भरा होता है तथा इसमें लिपिड की बूंदें होती हैं। ग्रेना रंगीन वर्णकयुक्त तथा स्ट्रोमा रंगहीन व वर्णकहीन होता है। वर्णकों में मुख्यत: Chl. a. Chl. b, जैन्थोफिल व कैरोटिन आदि होते हैं। इनमें से मुख्य वर्णक Chl. a होता है बाकी सहायक वर्णक की श्रेणी के होते हैं। स्ट्रोमा में लाइपोप्रोटीन से बनी दो पररा की लैमीला (Lamellae) होती हैं। प्रत्येक लैमीला एक-दूसरे के ऊपर सिक्कों की गड्डी जैसी आकृति बनाते हैं, इसे ग्रेनम (granum) कहते हैं। ग्रेनम में पाई जाने वाली पटलिकाओं (Lamellae) को ग्रेनम पटलिका या थाइलेकॉइडस (thelakoids) कहते हैं। पास के दो ग्रेनम एक-दूसरे से अन्तराग्रेनम पटलिका या स्ट्रोमा पटलिका से जुड़े होते हैं। ग्रेनम की पटलिकाएँ वर्णक भरे होने से हरे रंग की होती हैं जबकि अन्तराग्रेनम वर्णकों की अनुपस्थिति से रंगहीन होती हैं। स्ट्रोमा में राइबोसोम्स व स्टार्च की कणिकाएँ भी बिखरी होती हैं।
प्रश्न 3.
प्रकाश अभिक्रिया क्या होती है? समझाइये।
उत्तर:
फोटोसिस्टम (प्रकाश तंत्र) में अभिक्रिया केन्द्र में उपस्थित क्लोरोफिल. a 680nm वाले लाल प्रकाश को अवशोषित करता है, जिससे इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर परमाणु नाभिक से दूर चला जाता है। इस इलेक्ट्रॉन को एक इलेक्ट्रॉनग्राही लेकर इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट सिस्टम जिसमें साइटोक्रोम (Cytochrome) होते हैं, पहुँचा दिया जाता है। यह इलेक्ट्रॉन की अधोगामी गति है। जब इलेक्ट्रॉन्स परिवहन श्रृंखला से गुजरते हैं तब उनका उपयोग नहीं होता बल्कि उन्हें फोटोसिस्टम - I (PS - I) के वर्णकों को दे दिया जाता है। इसके साथ ही साथ, PS - I का अभिक्रिया केन्द्र के इलेक्ट्रॉन भी लाल प्रकाश की 700nm तरंगदैय को अवशोषित कर उत्तेजित हो जाता है और यह अन्य ग्राही अणु में स्थानान्तरित हो जाता है जिसका अपचयोपचय विभव (Redox potential) अधिक होता है। ये इलेक्ट्रॉन्स पुन: अधोगामी करते हैं, परन्तु इस बार वे ऊर्जा से प्रचुर NADP+ अणु को ओर जाते हैं। ये इलेक्ट्रॉन NADP+ को अपचयित करके NADPH2 बनाते हैं। इलेक्ट्रॉन के स्थानान्तरण की यह प्रक्रिया फोटोसिस्टम - II से प्रारम्भ होकर शिखरोपरिणाही की ओर इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट सिस्टम से होते हुए फोटोसिस्टम - I तक, इलेक्ट्रॉन उत्तेजना, अन्य ग्राही में स्थानान्तरण और अन्त में अधोगामी होकर NADP को अपचयित कर NADPH2 के बनने तक होती है। यह सम्पूर्ण योजना Z के आकार की होती है, इसलिए इसे Z - स्कीम कहते हैं। यह आकृति तब बनती है जब सभी वाहक क्रमानुसार एक अपचयोपचय विभव माप पर हों।
प्रश्न 4.
प्रकाश - संश्लेषण क्रिया में O2 का निष्कासन कहाँ से होता है? इसे किस प्रकार ज्ञात किया गया?
उत्तर:
प्रकाश - संश्लेषण क्रिया में दो मुख्य कच्चे पदार्थ होते हैं:
CO2 तथा H2O। पौधों में पर्णहरित तथा अन्य वर्णक प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण कर इसका रासायनिक ऊर्जा के रूप में रूपान्तरण कर देते हैं। इस ऊर्जा से CO2 का अपचयन होकर प्रारंभिक प्रकाश संश्लेषी उत्पादों का उत्पादन होता है। जल का अणु अपचयन क्रिया में आवश्यक हाइड्रोजन परमाणु प्रदान करता है।
उपरोक्त समीकरण के अनुसार यहां पर निष्कासित O2 का स्रोत CO2 है या H2O। इसे सुलझाने के लिये रुबेन और कामन ने प्रयोग किया। इन वैज्ञानिकों ने जब पौधे को सामान्य CO2 (जिसके O2 परमाणु 16 परमाणु भार वाले थे) और जल जिसके O2 परमाणु (18 परमाणु भार) समस्थानिक (Radioisotop) थे, दिये, तब निष्कासित O2 के सभी परमाणु 18 परमाणु भार वाले थे। इसके विपरीत जब उन्होंने सामान्य जल तथा ऐसी CO2 दी, जिसके O2 परमाणु समस्थानिक (18 परमाणु भार) थे तब देखा गया कि निष्कासित O2 के परमाणु सामान्य भार वाले थे। अत: सिद्ध होता है कि प्रकाश - संश्लेषण से मुक्त होने वाली O2 की समस्त मात्रा जल से प्राप्त होती है न कि CO2 से। अतः प्रकाशसंश्लेषण के समीकरण को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है
प्रश्न 5.
लाल पतन तथा एमरसन प्रभाव ( Red drop and Emerson effect) से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इमरसन व उनके साथियों ने विभिन्न प्रकाश तरंगों से प्रकाश - संश्लेषण की उत्पादकता का अध्ययन करते हुये पाया कि स्पेक्ट्रम के दूरस्थ लाल छोर के 680 mm (far - red light) पर प्रकाश - संश्लेषण की दर में अचानक गिरावट आती है। इसे लाल पतन कहा गया। एमरसन ने प्रयोग में यह भी देखा कि स्पेक्ट्रम के लाल छोर के 680 mm पर प्रकाश - संश्लेषण में गिरावट के उपरान्त यदि उसी समय 650 nm (red light) तरंगें भी प्रदान की जायें तब प्रकाश - संश्लेषण पुनः पूर्ण क्षमता से हो सकता है अर्थात् दो भिन्न - भिन्न तरंगदैयों वाले प्रकाश को एक साथ देने पर प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया दर में न केवल सुधार होता है बल्कि इसकी कुल मात्रा, दोनों तरंगों के द्वारा प्राप्त पृथक्पृथक् मात्राओं के योग से भी अधिक होती है। अत: भिन्न - भिन्न तरंगदैयों वाली प्रकाश पुंजों के समकालिक प्रयोग से प्रकाश - संश्लेषण की वृद्धिमय सक्रियता को एमरसन प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 6.
एमरसन प्रभाव की खोज से किस ज्ञान की अभिवृद्धि हुई? बताइये।
उत्तर:
एमरसन प्रभाव की खोज से यह ज्ञात हुआ कि प्रकाशसंश्लेषण में दो प्रकाश तंत्र या वर्णक तंत्र प्रयुक्त होते हैं। इन दो वर्णक तन्त्रों को PS I तथा PS II कहते हैं।
वर्णक तंत्र (Pigment System = PS I) में 300 पर्णहरित अणु, 50 केरोटीनॉइड्स, एक P700 का अणु, Cyt. f, एक प्लास्टोसायनिन, दो Cyt. b6, FRS तथा एक या दो झिल्ली से परिबद्ध फेरोडोक्सीन अणु पाये जाते हैं। इसमें Chl. a, आयरन व कॉपर भी होते हैं। PS I का उपयोग चक्रीय तथा अचक्रीय प्रकाश - फास्फेटीकरण में होता है।
वर्णक तन्त्र (PS II) में 200 पर्णहरित, 50 केरोटिनोइड्स, P680 का एक अणु, एक प्राथमिक नाही, प्लास्टोक्विनोन, Mn अणु, दो Cyt. b, एक Cyt. b6 और फ्लोराइड्स पाये जाते हैं। वर्णक तन्त्र द्वारा शक्तिशाली ऑक्सीकारक और कमजोर अपचायक के साथ O2 की उत्पत्ति होती है। वर्णक तन्त्र - I (PS - I) थाइलेकोइड की बाहरी सतह पर तथा PS II थाइलेकोइड की भीतरी सतह पर मिलते हैं।
प्रश्न 7.
C4 चक्र का महत्त्व बताइये।
उत्तर:
C4 चक्र का पौधों में निम्न महत्व है
प्रश्न 8.
प्रकाश - संश्लेषण का महत्त्व बताइये।
उत्तर:
जीवन के निरन्तर अस्तित्व हेतु प्रकाश-संश्लेषण परम आवश्यक है। सजीवों को कार्यनिक भोजन तथा O2 की प्राप्ति इस क्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होती है।
1. हरे पौधे स्वयं ही स्वपोषी नहीं हैं, बल्कि ये विशाल विषमपोषी पौधों एवं समस्त जन्तु समुदाय को भोजन प्रदान करते हैं। जन्तु तथा मानव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भोजन के लिए इस क्रिया पर आश्रित हैं।
2. प्रकाश - संश्लेषी उत्पादन केवल भोजन ही प्रदान नहीं करते अपितु इनमें विभिन्न उपापचयी क्रियाओं तथा गतियों के लिए भी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
3. खनिज कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस अतीत के भूगर्भीय युगों की प्रकाश - संश्लेषी पूँजी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
4. कार्बनिक जगत के अनेक पदार्थ हमारे दैनिक जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। जैसे: प्राकृतिक रेशे, औषधियाँ, विटामिन, वर्णक, तेल आदि।
5. जन्तुओं तथा पेड़ - पौधों की श्वसन क्रिया के अन्तर्गत O2 का निरन्तर उपभोग तथा CO2 का विकास होता है। इसके अतिरिक्त कार्बनिक पदार्थों के जलने से भारी मात्रा में CO2 की उत्पत्ति होती है। वायुमण्डल में CO2 की अधिकता विषाक्त होती है। इसी प्रकार CO2 की कमी भी घातक है। हरे पौधे इन क्रियाओं में उत्पन्न CO2 का प्रकाश - संश्लेषण में निरन्तर उपयोग कर इसके स्थान पर O2 निष्कासित करते हैं, जिससे वायुमण्डल जीवधारियों के लिए जीवित रहने के अनुकूल बना रहता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कैल्विन चक्र को विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
कैल्विन - बैन्सन चक्र (Calvin - Bernson Cycle):
प्रकाश - संश्लेषण की प्रक्रिया में CO2 का कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तन का पथ रेडियोएक्टिव ट्रेसर तकनीक (radioactive tracer technique) द्वारा कैल्विन, बैन्सन व साथियों ने बताया था। इस कार्य के लिए उन्होंने शैवालों (क्लोरेला व सिनडेसमस) का संवर्धन किया व इन संवर्धित शैवालों को प्रकाश - संश्लेषण के लिए रेडियोधर्मिता युक्त (radioactive labelled) कार्बन डाइऑक्साइड (14CO2) प्रदान की गई। इस प्रकार प्रदान की गई CO2 से बनने वाले यौगिकों को थोड़े - थोड़े अन्तराल पर रेडियोधर्मिता के आधार पर पहचान की गई। इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम बनने वाला स्थिर यौगिक तीन कार्बन परमाणु युक्त 3 - फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) था, इस कारण इस चक्र को C3 चक्र भी कहा जाता है। उन्होंने रेडियोएक्टिव कार्बन (14C) युक्त यौगिकों की रेखीय श्रृंखला बनाकर यह बताया कि किस तरह से 14CO2 के प्रवेश से लेकर कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण होता है। केल्विन चक्र उन सभी पौधों में होता है जो प्रकाश - संश्लेषण करते हैं। इसमें कोई अन्तर नहीं पड़ता कि उनमें चाहे पथ C3 अथवा C4
हो। केल्विन चक्र को सरलता से समझने के लिए इसको तीन चरणों - कार्बोक्सिलीकरण (कार्बोक्सीलेशन), अपचयन या रिडक्शन तथा पुनर्योजी या पुनरुद्भवन या रिजनरेशन में वर्णन करते हैं।
(अ) काबॉक्सिलीकरण अवस्था (Carboxylative Phase): मुख्य रूप से इस अवस्था या चरण में राइबुलोज डाइफॉस्फेट या राइबुलोज 1, 5 विसफॉस्फेट (Ribulose diphosphate = RuDP) कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर फॉस्फोग्लिसरिक आम्ल (PGA) बनाता है। यह प्रतिक्रिया एंजाइम RuDP काबोक्सिलेज के द्वारा उत्प्रेरित होती है, जिसके कारण 3 - PGA के अणु बनते हैं। कि इस एंजाइम में ऑक्सीजिनेशन (ऑक्सीकरण) क्षमता भी होती है। अतः इस एंजाइम को RuDP कार्बोक्सीलेज - ऑक्सीजिनेज या रुबिस्को (Rubisco) कहना ज्यादा उचित है।
(ब) अपचयन अबस्था (Reductive Phase): इस चरण में दो प्रतिक्रियाएँ होती हैं:
इस प्रकार बनने वाले 3 - फॉस्फोग्लिसरलडिहाइड के 6 अणुओं में से एक अणु मिलकर हेक्सोज (ग्लुकोज) शर्करा का निर्माण करते हैं। जो बाद में सुक्रोज अथवा स्टार्च में रूपान्तरित हो जाते हैं तथा शेष बचे 5 अणु पुनः कई क्रमबद्ध जैवरासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा 3 अणु राइबुलोज मोनो फॉस्फेट का निर्माण करते हैं, इस प्रकार इस चक्र को निरन्तरता प्रदान करते हैं।
(स) पुनर्योजी अवस्था (Regenerative Phase): अपचयन अवस्था में 6 अणु 3 - PGAL के बनते हैं, जिनमें से एक अणु 3 PGAL के प्रकाश - संश्लेषण के नेट लाभ (Net gain) के रूप में रहते हैं व शेष 5 अणु जटिल क्रमिक क्रियाओं से गुजरते हैं जिनमें अनेक बार अणुओं का स्थानान्तरण होता है। इस तरह के पुनः अभिविन्यास में ऊर्जा की खपत होती है जो प्रकाश अभिक्रिया में निर्मित ATP से मिलती है। अन्त में राइबुलोज डाइफॉस्फेट के तीन अणुओं का निर्माण होता है, जो पुनः केल्विन चक्र की प्रथम अवस्था को आरम्भ करते हैं।
प्रकाश - संश्लेषण के अन्त में निर्मित फॉस्फोग्लिसरिलडिहाइड (PGAL) एक खाद्य पदार्थ है। यदि पादपों को PGAL मिलता रहे तो ये बिना प्रकाश - संश्लेषण के जीवित रह सकते हैं। PGAL के अत्यधिक क्रियाशील होने के कारण इसका दूसरी कोशिका अंगों में निर्यात ग्लूकोज, फ्रक्टोज तथा सुकरोज के रूप में होता है। ग्लूकोज में परिवर्तन हेतु PGAL के दो अणु आपस में मिलकर एक अणु ग्लूकोज बनाते हैं। अप्रकाशिक अभिक्रिया (dark reaction) में CO2 के 6 अणुओं के स्वांगीकरण (assimilation) के फलस्वरूप हैक्सोस का एक अणु बनता है तथा इसमें 18 अणु ATP ऊर्जा तथा 12 अणु अपचायक NADP की आवश्यकता होती है।
प्रकाश - संश्लेषण को निम्न समीकरणों में संक्षेप में दर्शाया गया है:
प्रकाश अभिक्रिया (Light Reaction)
अप्रकाशिक अभिक्रिया (Dark Reaction)
12 NADP (H2) + 18 ATP + 6CO2 → (CH2O)6 + 18 ADP + 18 Pi + 12 NADP + 6H2O
इसी प्रकार केल्विन चक्र में 6CO2, 18ATP, 12 NADPH2 अन्दर जाते हैं तो एक अणु ग्लुकोज, 18 ADP व 12 NADP बाहर आते हैं।
प्रश्न 2.
प्रकाश - संश्लेषण के हैच - स्लेक चक्र को विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
इस चक्र का प्रथम स्थायी उत्पाद एक चार कार्बन परमाणु ऑकोलोएसिटिक अम्ल (डाइकाबोक्सिलिक अम्ल) बनता है। इस कारण इस चक्र को C4 चक्र या पथ भी कहा जाता है। शुष्क उष्ण कटिबंधी क्षेत्र में उगने वाले पौधों में C4 पथ होता है। हैच - स्लैक ने इसे खोजा था, इसी कारण इसे हैच - स्लैक चक्र (Hatch Slack Cycle) भी कहते हैं। यह चक्र एकबीजपत्री पादपों (मक्का , गन्ना , बाजरा) के अतिरिक्त कुछ द्विबीजपत्री पादपों जैसे- अमरेंथस (Amaranthus), यूफोर्षिया (Euphorbia) व अनेक खरपतवारों (Weeds) में पाया जाता है। C4 पथ पाये जाने वाले पादपों को C4 पौधे कहते हैं।
C4 पौधों की पत्तियों में दो प्रकार की प्रकाश - संश्लेषी कोशिकाएँ पायी जाती हैं जिन्हें क्रमश: मध्योतक कोशिकाएँ (Mesophyll Cells) व पूल आच्छद (Bundle Sheath) कोशिकाएँ कहते हैं। पूल आच्छद कोशिकाएँ, संवहन बंडल पर छल्ला या घेरा या माला (Wreath) रूपी रचना में आच्छद रहती हैं। जर्मन भाषा में रीथ (Wreath - Kranz) को ऊज कहा जाता है। अतः पत्तियों की इस प्रकार की शारीरिकी केंज शारीरिकी (Kranz anatomy) कहलाती हैं। C4 पौधों की पत्तियों में पाये जाने वाले हरितलवक दो प्रकार के होते हैं। पर्णमध्योतक कोशिकाओं में पाये जाने वाले हरितलवक छोटे व सुविकसित ग्रेना युक्त होते हैं, जबकि पूल - आच्छद कोशिकाओं में पाये जाने वाले हरितलवक आकार में बड़े व इनमें ग्रेना सामान्यतः अनुपस्थित होते हैं तथा थाइलेकॉइड केवल स्ट्रोमा पट्टलिकाओं के रूप में पाये जाते हैं। पूल आच्छाद कोशिकाओं में प्रकाश तन्त्र - II (PS - II) अनुपस्थित होता
है। C4 पौधों में प्रकाशिक अभिक्रियाएँ पर्णमध्योतक कोशिकाओं में सम्पन्न होती हैं जबकि CO2 स्वांगीकरण (assimilation) पूल - आच्छद कोशिकाओं में सम्पन्न होता है।
C4 चक्र की क्रियाविधि (Mechanism of C4 Cycle): C4 चक्र में वायुमण्डल से CO2 रंधों के द्वारा पर्णमध्योतक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में प्रवेश करती है, जहाँ यह तीन कार्बन युक्त फास्फोइनोल पाइरुविक अम्ल (Phosphoenol Pyruvic Acid = PEP) द्वारा ग्रहण कर ली जाती है। परिणामस्वरूप 4 कार्बन यौगिक ऑक्जेलोएसिटिक अम्ल का निर्माण होता है। यह इस प्रक्रिया का प्रथम स्थायी उत्पाद है। यह अभिक्रिया फॉस्फोइनोल पाइल्वेट कार्योक्सीलेज एंजाइम (PEP Carboxylase = PEPCO) द्वारा उत्प्रेरित होती है। यह प्रक्रिया CO2 स्थिरीकरण अथवा काबोंक्सिलीकरण कहलाती है। ऑक्जेलोएसिटिक अम्ल के अपचयन के पश्चात् मैलिक अम्ल प्राप्त होता है। इस चरण में NADPH + H+ का ऑक्सीकरण होता है। यह मैलिक अम्ल पर्णमध्योतक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य से पूल - आच्छद कोशिका में प्रवेश करता है जहाँ डीकार्बोक्सिलीकरण (decarboxylation) के पश्चात् CO2 मुक्त होती है। अत: पूल - आच्छद कोशिकाओं में CO2 की सांद्रता बढ़ जाती है तथा बनने वाला 3 कार्बन परमाणु युक्त यौगिक (पाइरुविक एसिड) पुन: पर्णमध्योतक कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है। पर्णमध्योतक कोशिकाओं में पाइरुविक अम्ल, फॉस्फोइनोल पाइरविक अम्ल का निर्माण करता है जो इस चक्र को सततता प्रदान करता है।
C4 पथ का महत्त्व (Importance of C4 Path):
C4 चक्र C3 चक्र से अधिक दक्ष है क्योंकि
• C4 पौधों की उत्पादकता C3 पौधों की तुलना में 3 से 4 गुना तक बढ़ जाती है क्योंकि C4 पौधों में प्रकाश श्वसन अनुपस्थित होता है।
इस चक्र का मुख्य एंजाइम (PEPCO) CO2 की कम सांद्रता पर भी क्रियाशील रहता है।
यह चक्र उच्च तापक्रम (30 - 45°C) पर भी क्रियाशील रहता है।
प्रश्न 3.
प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया पर प्रभाव डालने वाले कारकों का उल्लेख करें। ब्लैकमेन का सीमाकारक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पादपों द्वारा होने वाली प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया वातावरणीय व आनुवंशिक कारकों द्वारा प्रभावित होती है। वातावरणीय कारकों का अध्ययन बाहा कारकों व आनुवंशिक कारकों का अध्ययन आन्तरिक कारकों के रूप में करेंगे:
(अ) बाह्य कारक (External Factors): प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड की उपलब्धता, तापमान, मृदा - जल आदि महत्वपूर्ण बाहा कारक हैं जो प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इन कारकों का अध्ययन करने से पूर्व ब्लैकमेन (Blackman) के सीमाकारी कारकों के नियम (law of limiting factor) का अध्ययन करना आवश्यक है। ब्लैकमेन सीमाकारी कारकों के नियम से पहले प्रकाश - संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारकों के विषय में यह अवधारणा थी, कि किसी कारक की वह मात्रा जिस पर प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया आरम्भ होती है उसे न्यूनतम बिन्दु (minimum point), जिस मात्रा पर अधिकतम होती है उसे अनुकूलतम बिन्दु (optimum point) व वह अधिकतम मात्रा जिस पर प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है उसे अधिकतम या उच्चतम बिन्दु (Maximum Point) कहते हैं। इन तीनों अवस्थाओं को प्रधान बिन्दु (Cardinal Point) कहा जाता है। किसी भी कारकों
का न्यूनतम मान वह बिन्दु है, जिसके नीचे क्रिया प्रारम्भ नहीं हो सकती है। इस प्रकार उच्चतम मान वह बिन्दु है जिसके और ऊपर क्रिया प्रभावहीन हो जाती है। अधिकतम मान वह बिन्दु है जिस पर सम्बन्धित प्रक्रिया लम्बे समय तक उच्चतम दर पर जारी रहती है। ब्लैकमेन के सीमाकारी कारकों के नियम के अनुसार यदि कोई प्रक्रिया अनेक कारकों द्वारा प्रभावित होती है, तो उस प्रक्रिया की दर सबसे कम मात्रा में उपस्थित कारक पर निर्भर करती है। इस सिद्धान्त को स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि एक हरी पत्ती को एक इकाई प्रकाश की मात्रा दी जाती है तथा प्रकाश की यह मात्रा CO2 की 5mg मात्रा का अपचयन करने में सक्षम है परन्तु इस पत्ती को CO2 उपलब्ध नहीं की जाती है। ऐसी स्थिति में प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया नहीं हो सकती। अतः यहाँ CO2 यह कारक है जो प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करता है। अब इस पत्ती को CO2 दी जाती है, तब प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया शीघ्र ही प्रारम्भ हो जाती है। CO2 की मात्रा बढ़ाने पर प्रकाश - संश्लेषण की दर में भी वृद्धि होती जाती है। अतः जब तक पत्ती को CO2 की 5mg, मात्रा प्रदान न कर दी जाए, तब तक प्रत्येक बार CO2 की
मात्रा बढ़ाने पर प्रकाश - संश्लेषण की दर में वृद्धि जारी रहती है। अतः इन सभी अवस्थाओं में CO2 की मात्रा को सीमाकारी कारक माना जाता है। परन्तु जैसे ही CO2 की मात्रा 5mg. से बढ़ाकर 6 mg. अथवा इससे अधिक करते हैं तो अब प्रकाश - संश्लेषण की दर में वृद्धि नहीं होती है क्योंकि अब CO2 की माशा सीमाकारी कारक नहीं रहा बल्कि प्रकाश की मात्रा सीमाकारी कारक बन गया। क्योंकि CO2 की अधिक मात्रा उपलब्ध होने पर भी अब प्रकाश - संश्लेषण की दर में वृद्धि केवल प्रकाश को मात्रा बढ़ाने पर ही संभव है। इस प्रकार समय - समय पर सीमाकारी कारक परिवर्तित होता रहता है।
प्रकाश (Light):
प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया प्रकाश स्पेक्ट्रम के दृश्य भाग (400nm से 700mm) में ही सम्पन्न होती है जिसे PAR कहते हैं। यह क्रिया प्रकाश के प्रकार व उसकी तीव्रता द्वारा प्रभावित होती है। प्रकाश - संश्लेषण की अधिकतम दर दृश्य स्पेक्ट्रम के लाल भाग में व उससे कम नीले रंग में होती है। हरे रंग में प्रकाश - संश्लेषण नहीं होता है। ज्यों - ज्यों प्रकाश की तीव्रता बढ़ती है प्रकाश - संश्लेषण की दर प्रारम्भ में बढ़ती है परन्तु उच्च प्रकाश तीव्रता पर इस क्रिया की दर घट जाती है क्योंकि या तो प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया में भाग लेने वाले अन्य कारक सीमाकारी हो जाते हैं या क्लोरोफिल वर्णकों का विनाश हो जाता है।
क्लोरोफिल का विनाश ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, अत: इसे क्लोरोफिल का प्रकाशिक ऑक्सीकरण (Photo - oxidation) कहते हैं। प्रकाश तीव्रता के प्रति विभिन्न जातियों के पौधों की सहिष्णुता भी अलग-अलग होती है। उसके आधार पर कुछ पौधे तीव्र सूर्य के प्रकाश के आदी होते हैं जिन्हें प्रकाशानुरागी व कुछ पौधे छाया में वृद्धि करते हैं जिन्हें छायानुरागी पौधे कहते हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता (Concentration of CO2):
वायुमण्डल में CO2 की मात्रा 0.03 प्रतिशत तक होती है जो अन्य गैसों की तुलना में बहुत कम है। C3 व C4 पादपों की उपलब्ध CO2 की मात्रा के प्रति अनुक्रिया भिन्न - भिन्न होती है। पादपों में जब दूसरे कारक सीमाकारी नहीं हों तब CO2 की सांद्रता 0.05 प्रतिशत तक बढ़ने के साथ - साथ प्रकाश - संश्लेषण की दर बढ़ती है जबकि C4 पादपों में प्रकाश - संश्लेषण की दर 0.03 प्रतिशत तक CO2 की सांद्रता तक ही बढ़ती है।
सत्य यह है कि C3 पौधे उच्चतर CO2 सांद्रता में अनुक्रिया करते हैं और इससे प्रकाश - संश्लेषण की दर में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप उत्पादन अधिक होता है। इस सिद्धान्त का उपयोग ग्रीन हाउस फसलों, जैसे टमाटर एवं बेल मिर्च में किया गया है। इन्हें CO2 से भरपूर वातावरण में बढ़ने का अवसर दिया जाता है ताकि उच्च पैदावार प्राप्त हो।
तापक्रम (Temperature):
प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया तापक्रम की विविध सीमाओं में सम्पन्न होती है। कोनीफेरस में 35°C, मरुद्भिद् पादपों में 55°C पर भी प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया सम्पन्न होती है। अत्यधिक तापक्रम पर प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया की दर में कमी आती है, क्योंकि
(i) उच्च ताप पर प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया में भाग लेने वाले एंजाइम निष्क्रिय हो जाते हैं तथा
(ii)C3 - चक्र में भाग लेने वाले एन्जाइम RUBISCO की CO2 से बंधुता घट जाती है। C4 पौधे कम तापक्रम के प्रति संवेदी होते हैं, क्योंकि इस क्रिया में भाग लेने वाला एन्जाइम पाइस्वेट फॉस्फेट काइनेज निम्न तापक्रम के लिए संवेदी होता है। अलग - अलग वातावरण में पाये जाने वाले पौधे तापक्रम के प्रति भिन्नात्मक संवेदी होते हैं। उष्ण कटिबंधी पौधों के लिए इष्टतम ताप उच्च होता है। समशीतोष्ण जलवायु - में उगने वाले पौधों के लिए एक अपेक्षाकृत कम तापमान की आवश्यकता होती है।
जल (Water):
पौधों द्वारा मृदा से अवशोषित जल के केवल एक प्रतिशत भाग का ही प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया में उपयोग होता है। अत: यह प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया में सीधे प्रयोग में आने वाले पदार्थ के रूप में सीमाकारी कारक नहीं होता है। यह अप्रत्यक्ष रूप से ही प्रभावशाली होता है। मृदा - जल की अधिक कमी होने के कारण जल सीमाकारी कारक बन जाता है तथा प्रकाश - संश्लेषण की दर को अप्रत्यक्ष रूप से दो प्रकार से प्रभावित करता है:
1. जल की कमी के कारण पौधों की पत्तियों में पाये जाने वाले रंध्र बन्द हो जाते हैं, जिससे CO2 की सांद्रता कम हो जाती है।
2. पत्ती का जल विभव कम हो जाता है।
(ब) आन्तरिक कारक (Internal Factors): प्रकाश - संश्लेषण की दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख आन्तरिक कारक निम्न हैं:
प्रश्न 4.
प्रकाश - संश्लेषण क्रिया में रसोपरासरणी परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रसोपरासरणी परिकल्पना (Chemiosmotic Hypothesis):
क्लोरोप्लास्ट में ATP के संश्लेषण को रसोपरासरणी परिकल्पना के द्वारा समझा जा सकता है। इस परिकल्पना को पीटर मिटचेल (Peter Mitchell) ने बताया था। श्वसन क्रिया की जैसे ही प्रकाश - संश्लेषण में भी ATP का संश्लेषण एक झिल्लिका के आर - पार प्रोटीन प्रवणता के कारण होता है। यहां पर ये झिल्लिकार्ये थाइलेकोइड की होती हैं। इसमें प्रोटोन झिरिननका के अन्दर की ओर अर्थात् अवकोशिका (lumen) में साँचत होता है। श्वसन क्रिया में जब इलेक्ट्रॉन ETS (Electron Transport System) से गुजरते हैं तो ये प्रोटोन माइटोकॉण्डिया की अंतरा झिल्ली अवकोशिका में सचित होते हैं। इलेक्ट्रॉन के सक्रियता और उनके परिवहन के समय प्रोटोन प्रवणता झिल्लिका के आर - पार होती है। प्रोटोन प्रवणता के विकास को निम्न बिन्दुओं के आधार पर समझा जा सकता है:
क्योंकि जल के अणु का विघटन झिल्लिका के अन्दर की ओर होता है। जल के विघटन से उत्पन्न हाइड्रोजन आयन अथवा प्रोटोन थाइलेकोइड अवकाशिका (lumen) में संचित होता है।
जब प्रकाश तंत्र (Photosystem) के माध्यम से इलेक्ट्रॉन गति करते हैं तो प्रोटोन झिल्लिका के पार चला जाता है, क्योंकि झिल्लिका के बाहर स्थित इलेक्ट्रॉन ग्राही इलेक्ट्रॉन का स्थानान्तरण हाइड्रोजन वाहक को करता है न कि इलेक्ट्रॉन वाहक को। अतः इलेक्ट्रॉन प्रवाह के समय यह अणु स्ट्रोमा (stroma) से एक प्रोटोन को ले लेता है, जब यह अणु अपने इलेक्ट्रॉन के झिल्ली के भीतरी ओर स्थित इलेक्ट्रॉन वाहक को देता है, तब प्रोटोन झिल्लिका के अन्दर की ओर मुक्त होता है।
NADP रिडक्टेज एंजाइम झिल्ली के स्ट्रोमा की ओर होता है। फोटोसिस्टम I के इलेक्ट्रॉन ग्राही से आने वाले इलेक्ट्रॉन के साथ - साथ प्रोटोन भी NADP को NADPH + H+ में अपचयित करने के लिए आवश्यक होते हैं। ये प्रोटोन स्ट्रोमा पीठिका से आते हैं।
अतः क्लोरोप्लास्ट के स्ट्रोमा में प्रोटोन की संख्या घटती है, जबकि अवकाशिका (lumen) में प्रोटोन का संचयन होता है। इस प्रकार थाइलेकोइड झिल्ली के आर - पार एक प्रोटोन प्रवणता उत्पन्न होती है और इसी के साथ ल्यूमेन में pH कम हो जाता है।
प्रोटोन प्रवणता महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि प्रवणता टूटने पर ऊर्जा मुक्त होती है। यह प्रवणता इस कारण टूटती है क्योंकि प्रोटोन झिल्लिका में उपस्थित
एटीपीएज (ATPase) के पारगमन वाहिका (F0) के माध्यम से स्ट्रोमा में गतिशील होता है। एटीपीएज एंजाइम के दो भाग होते हैं:
रसोपरासरण हेतु एक झिल्लिका, एक प्रोटोन पम्प, एक प्रोटोन प्रवणता तथा एटीपीएज की आवश्यकता होती है। प्रोटोन को झिल्लिका के आर-पार पम्म करने के लिए ऊर्जा का उपयोग होता है, जिसमें थाइलेकोइड ल्यूमेन में एक प्रवणता या प्रोटोन की उच्च सांद्रता उत्पन्न हो सके। एटीपीएज के पास एक चैनला या नलिका होती है, जो झिल्लिका के आर - पार प्रोटोन का विसरण का अवसर देता है। यहाँ एटीपीएज एंजाइम को सक्रिय करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा छोड़ता है जो एटीपी संश्लेषण को उत्प्रेरित करता है। स्ट्रोमा में होने वाले जैव संश्लेषण में NADPH व ATP का उपयोग हो जाता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में अन्तर बताइए
(अ) प्रकाश तंत्र - I तथा प्रकाश तंत्र - II
(ब) प्रकाशीय श्वसन तथा प्रकाश - संश्लेषण।
उत्तर:
(अ) प्रकाश तंत्र - I तथा प्रकाश तंत्र - II
प्रकाश - तन्त्र - I (PS - I) |
प्रकाश - तन्त्र - II (PS - II) |
1. इसमें 200 - 400 क्लोरोफिल, 50 केरोटीनॉइड्स, एक अणु प्रतिक्रिया केन्द्र (P700) होता है, एक अणु Cy.f, प्लास्टोसायनिन (PC), अपचयन पदार्थ, दो अणु Cyt. b6 तथा एक अथवा दो अणु फेरोडॉक्सिन (Fd) तथा Fe व Cu होते हैं। |
इसमें 200 क्लोरोफिल, 50 केरोटीनॉइड्स, एक अणु प्रतिक्रिया केन्द्र (P680), प्लास्टोक्योनोन (PQ), Mn++, Cl- तथा Cyt. b6 पाया जाता हैं। |
2. PS - I थाइलेकोइड (thylakoid) की बाहरी सतह पर मिलता है। |
PS - II थाइलेकोइड (thylakoid) की भीतरी सतह पर मिलता है। |
3. इसमें तीव्र अपचयन पदार्थ निकलता है जो NADP+ को NADPH + H+ में अपचयित करता है। |
PS - II में इलेक्ट्रॉन को अन्त में PSI को दे देता है, जो NADP को अपचयित करता है। |
4. PS I से आण्विक O2 नहीं निकलती है। |
PS - II द्वारा जल का अपघटन होकर आण्विक O2 निकलती है। |
5. यह दोनों चक्रिय तथा अचक्रीय फॉस्फेटीकरण में भाग लेता है। |
केवल अचक्रीय फॉस्फेटीकरण में भाग लेता है। |
(ब) प्रकाशीय श्वसन तथा प्रकाश - संश्लेषण
प्रकाशीय श्वसन (Photorespiration) |
प्रकाश - संश्लेषण (Photosynthesis) |
1. प्रकाश की आवश्यकता होती है। |
प्रकाश की आवश्यकता होती है। |
2. ग्लाइकोलेट (glycolate) का उपयोग होता है। |
CO2 तथा H2O का उपयोग होता है। |
3. कुछ पौधों में होता है, जैसे गेहूं, चावल आदि। |
सभी हरे पौधों में होता है। |
4. यह क्रिया परऑक्सीसोम (perosisome), क्लोरोप्लास्ट तथा माइटोकॉण्ड्यिा तीनों में मिलकर पूरी होती है। |
यह क्रिया केवल हरितलवक (Chloroplast) में होती है। |
5. O2 की सांद्रता बढ़ने के साथ - साथ प्रकाशीय श्वसन तीव्र होता है। |
अधिक O2 से क्रिया निरुद्ध (inhibit) होती है। |
6. इस क्रिया में हाइड्रोजन परऑक्साइड (H2O) बनती है। |
H2O2 नहीं बनती है। |
7. फॉस्फेंटीकरण की क्रिया नहीं होती है। |
प्रकाशीय फॉस्फेटीकरण (photophosphorylation) होता है। |
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न
प्रश्न 1.
इमर्सन दीर्धीकरण प्रभाव और लाल बूंद (रेड ड्रॉप) किसी खोज में प्रमुख यन्त्र रहे हैं
(a) फोटोफॉस्फोरिलेशन और अचक्रीय इलेक्ट्रॉन अभिगमन
(b) दो प्रकाश तन्त्रों का एक साथ कार्य करना
(c) प्रकाश फॉस्फोरिलेशन और चक्रीय इलेक्ट्रॉन अभिगमन
(d) ऑक्सीडेटिव फॉस्फोरिलेशन
उत्तर:
(b) दो प्रकाश तन्त्रों का एक साथ कार्य करना
प्रश्न 2.
फोटोसिन्थेसिस एक्टिव रेडियेशन (PAR) में निम्न तरंगदैर्घ्य पायी जाती है
(a) 340 - 450 nm
(b) 400 - 700 nm
(c) 500 - 600 nm
(d) 450 - 950 nm
उत्तर:
(b) 400 - 700 nm
प्रश्न 3.
निम्न में से कौन प्रकाश-संश्लेषण के पहले प्रयोगों से सम्बन्धित गलत सुमेलित है
(a) जोसेफ प्रिस्टले - इन्होंने दर्शाया कि पौधे O2 मुक्त करते हैं
(b) जेन इंगेनहॉउज - इन्होंने दर्शाया कि प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य का प्रकाश आवश्यक होता है
(c) जूलियस वॉन सेच - सिद्ध किया कि पौधे जब वृद्धि करते हैं तो ग्लूकोज का उत्पादन होता है
(d) टी.डब्ल्यू. एंगलमेन - दर्शाया कि हरा पदार्थ पौधों के विशिष्ट काय में स्थित होते
(e) कोर्नेलियस वेन नील - दर्शाया कि हाइड्रोजन CO2 को कार्बोहाइड्रेट्स में अपचयित करता है
उत्तर:
(d) टी.डब्ल्यू. एंगलमेन - दर्शाया कि हरा पदार्थ पौधों के विशिष्ट काय में स्थित होते
प्रश्न 4.
निम्न को सुमेलित कीजिए तथा दिये गये विकल्पों में से सही संयोग को चुनिये
कॉलम - I |
कॉलम - II |
A. दृश्य प्रकाश |
1.0.1 से 1 nm |
B. पराबैंगनी |
2. 400 से 700 nm |
C. X - किरण |
3.749 nm से लम्बी |
D. अवरक्त |
4. 100 से 400 nm |
|
5. <0.1 nm |
(a) A - 1, B - 3, C - 4, D - 5
(b) A - 3, B - 2, C - 1, D - 5
(c) A - 4, B - 3, C - 2, D - 1
(d) A - 2, B - 4, C - 1, D - 3
(e) A - 5, B - 4,C - 3, D - 2
उत्तर:
(d) A - 2, B - 4, C - 1, D - 3
प्रश्न 5.
चीमोआस्मैटिक विधि में ATP का निर्माण का आधार है
(a) झिल्ली की क्षमता
(b) पोटैशियम आयन की क्षमता
(c) प्रोटोनों की सान्द्रता
(d) सोडियम आयन की सांद्रता
उत्तर:
(d) सोडियम आयन की सांद्रता
प्रश्न 6.
मैंगनीज तथा क्लोरीन की आवश्यकता किस प्रक्रिया में होती है
(a) न्यूक्लिक अम्ल के संश्लेषण में
(b) पादप कोशिका भित्ति के निर्माण में
(c) प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल के प्रकाश - अपघटन में
(d) क्लोरोफिल के संश्लेषण में
उत्तर:
(c) प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल के प्रकाश - अपघटन में
प्रश्न 7.
निम्न में से कौन दिए गए चित्र के लिए सही नामांकन है
(a) A: PS II; B : PS I; C: इलेक्ट्रॉन ग्राही; D: LHC
(b) A: LHC; B : इलेक्ट्रॉन ग्राही; C: PS I; D: PS II
(c) A PS I; B : PS II; C: इलेक्ट्रॉन ग्राही; D: LHC
(d) A: इलेक्ट्रॉन ग्राही; B: LHC; C : PS II; D: PSI
उत्तर:
(a) A: PS II; B : PS I; C: इलेक्ट्रॉन ग्राही; D: LHC
प्रश्न 8.
निम्नलिखित चार कथनों A, B,C तथा D को पढ़िये तथा वह एक विकल्प चुनिए जिसमें दोनों कथन सही दिये गए हैंकचन:
(A) प्रकाश प्रक्रिया की 7 स्कीम केवल PS I की उपस्थिति में ही होती है
(B) चक्रीय फोटोफॉस्फोराइलेशन में केवल PS I ही क्रियाशील होता है
(C) चक्रीय फोटोफॉस्फोराइलेशन के फलस्वरूप ATP तथा NADPH2 का निर्माण होता है
(D) स्ट्रोमा लैमीली में PS II तथा NADP दोनों ही नहीं होते हैं
विकल्प:
(a) (B) तथा (D)
(b) (A) तथा (B)
(c) (B) तथा (C)
(d) (C) तथा (D)
उत्तर:
(a) (B) तथा (D)
प्रश्न 9.
आइसोलेटेड क्लोरोप्लास्ट के द्वारा जल का प्रकाशीय अपघटन किसने प्रदर्शित किया-
(a) रॉबिन हिल
(b) वान नील
(c) लीबिग
(d) कैल्विन
उत्तर:
(a) रॉबिन हिल
प्रश्न 10.
O2 उत्पन्न होना सीधे किससे सम्बन्धित है?
(a) PS I
(b) PS II
(c) फायटोक्रोम
(d) फायकोसायनिन
उत्तर:
(b) PS II
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौनसा एक प्रकाश - संश्लेषण की अभिक्रिया का उत्पाद नहीं है?
(a) ATP
(b) NADH
(c) NADPH
(d) ऑक्सीजन
उत्तर:
(b) NADH
प्रश्न 12.
PGA को प्रथम CO2 स्थिरीकरण उत्पाद के रूप में किसके प्रकाश - संश्लेषण में खोजा गया था?
(a) शैवाल
(b) ब्रायोफाइट
(c) अनावृतबीजी
(d) आवृतबीजी
उत्तर:
(a) शैवाल
प्रश्न 13.
नीचे दर्शाये गए पाथवे (दिशामार्ग) का अध्ययन कीजिए:
निम्नलिखित में से किस विकल्प में सभी तीनों A, B तथा C रिक्त स्थानों के लिए सही शब्द दर्शाये गए हैं
A |
B |
C |
(a) डीकार्बोक्सिलेशन |
अपचयन |
पुनरुद्भवन |
(b) यौगिकीकरण |
ट्रांसऐमीनेशन |
पुनरुद्भवन |
(c) यौगिकीकरण |
डीकार्बोक्सिलेशन |
पुनरुद् भवन |
(d) कार्बोक्सिलेशन |
डोकार्बोकिसलेशन |
अपचयन |
उत्तर:
(c) यौगिकीकरण |
डीकार्बोक्सिलेशन |
पुनरुद् भवन |
प्रश्न 14.
प्रकाश - संश्लेषण की दृष्टि से C4 - पौधे, C3 - पौधों की अपेक्षा अधिक कार्यकुशल होते हैं, क्योंकि
(a) CO2 बहिर्वाह नहीं रुक पाता
(b) उनमें क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक) ज्यादा संख्या में होते हैं
(c) CO2 प्रतिकारी बिन्दु ज्यादा होता है।
(d) प्रकाश श्वसन के दौरान उत्पन्न हुई CO2, PEP कार्बोक्सीलेस द्वारा पकड़ ली जाती एवं पुनः चक्रित कर दी जाती है
उत्तर:
(b) उनमें क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक) ज्यादा संख्या में होते हैं
प्रश्न 15.
C4 पौधों में CO2 ग्राही होता है
(a) फॉस्फोइनोल पाइरवेट (PEP)
(b) रिव्यूलोज 1,5 डाइफॉस्फेट (RuDP)
(c) ऑक्जेलोएसीटिक एसिड (OAA)
(d) फॉस्फोग्लिसरिक एसिड (PGA)
उत्तर:
(a) फॉस्फोइनोल पाइरवेट (PEP)
प्रश्न 16.
क्रेन्ज प्रकार की शारीरिकी किसमें पाई जाती है?
(a) C2 पौधे
(b) C3 पौधे
(c) C4 पौधे (गन्ना)
(d) CAM पौधे (मक्का)
उत्तर:
(c) C4 पौधे (गन्ना)
प्रश्न 17.
आपके उद्यान में एक पादप प्रकाश श्वसन से होने वाली हानि से बचता है, उसकी जन उपयोग की क्षमता उन्नत है, वह उच्च ताप पर प्रकाश संश्लेषण की उच्च दर को दर्शाता है और उसकी नाइट्रोजन उपयोग की दक्षता उन्नत है। आप इस पादप को निम्नलिखित में से किस एक कार्यिकी समूह में रखेंगे?
(a) C3
(b) C4
(c) CAM
(d) नाइट्रोजन स्थिरीकारक
उत्तर:
(b) C4
प्रश्न 18.
पौधों में CAM किसमें सहायक है?
(a) प्रजनन
(b) जल संरक्षण
(c) द्वितीयक वृद्धि
(d) रोग प्रतिरोध
उत्तर:
(b) जल संरक्षण
प्रश्न 19.
C3 तथा C4 पौधों में एक प्रमुख अन्तर करने वाली प्रक्रिया क्या
(a) वाष्पोत्सर्जन
(b) ग्लाइकोलाइसिस
(c) प्रकाश संश्लेषण
(d) प्रकाश - श्वसन
उत्तर:
(d) प्रकाश - श्वसन
प्रश्न 20.
निम्न में से किस श्रेणी के जीवों के द्वारा प्रकाश संश्लेषण के दौरान O2 को निष्कासित नहीं किया जाता?
(a) लाल शैवाल
(b) प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया
(c) केंज शारीरिकी वाले C4 पादप
(d) नील - हरित शैवाल
उत्तर:
(b) प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया
प्रश्न 21.
निम्नलिखित चार कथनों (A - D) को पढ़िए
(A) फोटोफॉस्फोरिलेशन तथा ऑक्सीडेटिव फॉस्फोरिलेशन, दोनों में कला.के आर - पार प्रोटोनों का श्रमसाध्य अभिगमन होता
(B) द्वि - बीजपत्री तनों में नई ऐधा द्वितीयक वृद्धि के समय परिरम्भ की कोशिकाओं से बनती है
(C) ग्लोरीओसा तथा पीट्रनिया के पुष्पों में पुंकेसर पृथक होते हैं
(D) सहजीवी नाइट्रोजन यौगिकीकार मृदा में स्वतंत्र अवस्था में भी पाये जाते हैं
उपरोक्त कथनों में कितने कथन सही हैं:
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) एक
उत्तर:
(a) दो
प्रश्न 22.
हरित लवक में प्रोटॉन की अधिकतम संख्या कहाँ पायी जाती है?
(a) स्ट्रोमा में
(b) थाइलेकॉइड की अवकाशिका में
(c) अन्तरा कला स्थान में
(d) ऐन्टेना समुच्च में
उत्तर:
(b) थाइलेकॉइड की अवकाशिका में