RBSE Class 11 Accountancy Important Questions Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

Rajasthan Board RBSE Class 11 Accountancy Important Questions Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग Important Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Accountancy Chapter 12 Important Questions लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

  बहुचयनात्मक प्रश्न:
 
प्रश्न 1. 
निम्नलिखित उपकरणों में से निवेश युक्ति (Input Device) है: 
(अ) की-बोर्ड 
(ब) मॉनिटर 
(स) हार्ड डिस्क 
(द) प्रिन्टर 
उत्तर:
(अ) की-बोर्ड 

प्रश्न 2. 
कम्प्यूटर में मेमोरी (Memory) का मुख्य कार्य है: 
(अ) प्रोग्राम को चलाना 
(ब) हार्डवेयर को नियंत्रित करना 
(स) स्टोरेज करना 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(स) स्टोरेज करना 

RBSE Class 11 Accountancy Important Questions Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोगे  

प्रश्न 3. 
कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के लाभ हैं: 
(अ) गति 
(ब) विश्वसनीयता 
(स) सुपाठ्य 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 4. 
लेखांकन प्रक्रिया सामग्री प्राप्त करने से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें हैं: 
(अ) लचीलापन 
(ब) संगठन का आकार 
(स) अपेक्षित गोपनीयता 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 5. 
किसी संस्था के व्यापारिक खाता, लाभ-हानि खाता आदि कार्यों का प्रतिवेदन होता है: 
(अ) अपवाद प्रतिवेदन 
(ब) प्रतिवेदन का ढाँचा 
(स) उत्तरदायित्व प्रतिवेदन 
(द) संक्षिप्त प्रतिवेदन 
उत्तर:
(द) संक्षिप्त प्रतिवेदन 

प्रश्न 6. 
निम्नलिखित में से प्रबन्धकीय प्रक्रिया है: 
(अ) योजना बनाना 
(ब) निर्देश देना 
(स) नियंत्रण 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 7. 
प्रक्रिया सामग्री (Software) है: 
(अ) भाषा 
(ब) क्रमादेश 
(स) कम्प्यूटर के भौतिक भाग 
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर:
(ब) क्रमादेश 

प्रश्न 8. 
यांत्रिक यंत्र (Hardware) है: 
(अ) भाषा 
(ब) क्रमादेश 
(स) कम्प्यूटर के भौतिक भाग 
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर:
(स) कम्प्यूटर के भौतिक भाग 

प्रश्न 9. 
निम्नलिखित में से कौनसा निवेश युक्ति है: 
(अ) प्रिन्टर 
(ब) माउस 
(स) मॉनीटर 
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर:
(ब) माउस 

प्रश्न 10. 
निम्नलिखित में से कौनसा यांत्रिक यंत्र (Hardware) है: 
(अ) सी.पी.यू.
(ब) माउस 
(स) की-बोर्ड 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

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प्रश्न 11. 
निम्नलिखित में से निर्गत युक्ति है: 
(अ) एम.आई.सी.आर. 
(ब) ओ.सी.आर. 
(स) ओ.एम.आर. 
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं 

प्रश्न 12. 
कम्प्यूटर का दिमाग होता है: 
(अ) सी.पी.यू. 
(ब) मेमोरी 
(स) हार्ड डिस्क 
(द) फ्लॉपी डिस्क 
उत्तर:
(अ) सी.पी.यू. 

प्रश्न 13. 
नियंत्रण इकाई (Control Unit) रहती है: 
(अ) निवेश इकाई में 
(ब) निर्गत इकाई में 
(स) सी.पी.यू. में 
(द) संचयन इकाई में 
उत्तर:
(स) सी.पी.यू. में 

प्रश्न 14. 
निम्नलिखित में से कौनसी भाषा को कम्प्यूटर सीधा समझ लेता है: 
(अ) मशीन भाषा 
(ब) असेम्बली भाषा 
(स) अंग्रेजी भाषा 
(द) उच्च स्तरीय भाषा 
उत्तर:
(अ) मशीन भाषा 

प्रश्न 15. 
कम्प्यूटर के मुख्य अंग हैं: 
(अ) निवेश युक्ति 
(ब) केन्द्रीय प्रक्रम एकक 
(स) निर्गम एकक 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 16. 
प्रतिवेदन की विशेषताएँ हैं: 
(अ) प्रासंगिकता 
(ब) समयाभाव 
(स) अशुद्धता 
(द) अपूर्णता 
उत्तर:
(अ) प्रासंगिकता 

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
 
प्रश्न 1. 
निर्देशों के समूह को ..................... कहा जाता है। 
उत्तर:
कम्प्यूटर प्रोग्राम

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प्रश्न 2. 
एक कम्प्यूटर द्वारा डाटाओं को एकत्र कर एवं उन तक पहुँचने को .................. कहते हैं। 
उत्तर:
संचयन

प्रश्न 3. 
................... में सामान्य चेतना का अभाव होता है। 
उत्तर:
कम्प्यूटर

प्रश्न 4. 
कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली को लागू करने के लिए लेखांकन ... ........" का प्रयोग किया जाता है। 
उत्तर:
सॉफ्टवेयर। 

सत्य/असत्य बताइए:
 
प्रश्न 1. 
एक कम्प्यूटर प्रणाली के छ: घटक होते हैं। 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2. 
किसी कार्य को मनुष्य आज भी कम्प्यूटर से अधिक गति से कर सकता है। 
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3. 
कम्प्यूटर एक बहुत उच्च स्तर के आई.क्यू. वाली युक्ति है। 
उत्तर:
असत्य

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प्रश्न 4. 
केन्द्रीय प्रक्रम एकक (सी.पी.यू.) कम्प्यूटर हार्डवेयर का एक प्रमुख अंग है। 
उत्तर:
सत्य। 

सही मिलान कीजिए:

प्रश्न 1. 

कॉलम - 1 

कॉलम - 2 

1. दूरभाष लाइन 

(अ) इनपुट युक्ति 

2. की-बोर्ड 

(ब) संयुक्तिकरण का अंग 

3. प्रिन्टर 

(स) कम्प्यूटर की सामर्थ्य 

4. भण्डारण 

(द) निर्गत युक्ति 

उत्तर:

कॉलम - 1 

कॉलम - 2 

1. दूरभाष लाइन 

(ब) संयुक्तिकरण का अंग 

2. की-बोर्ड 

(अ) इनपुट युक्ति 

3. प्रिन्टर 

(द) निर्गत युक्ति 

4. भण्डारण 

(स) कम्प्यूटर की सामर्थ्य 


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
कम्प्यूटर से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:
कम्प्यूटर एक विद्युत युक्ति है जो कि निर्देशों के एक समूह के आदेश पर विभिन्न प्रकार के कार्य करने में सक्षम है। 

प्रश्न 2. 
कम्प्यूटर प्रोग्राम किसे कहते हैं? 
उत्तर:
निर्देशों के समूह को कम्प्यूटर प्रोग्राम कहते हैं। 

प्रश्न 3. 
कम्प्यूटर की यंत्र सामग्री के प्रमुख अंगों के नाम बताइए। 
उत्तर:

  • की-बोर्ड 
  • माउस 
  • मॉनीटर 
  • प्रोसेसर। 

प्रश्न 4. 
प्रक्रिया यंत्र सामग्री (फर्मवेयर) किसे कहते हैं? 
उत्तर:
कूट निर्देशों का समूह जो परिपथ के रूप में एकत्र किया जाता है, उसे प्रक्रिया यंत्र सामग्री (firmware) कहते हैं। 

प्रश्न 5. 
प्रणाली विश्लेषक कौन होते हैं? 
उत्तर:
प्रणाली विश्लेषक वे लोग होते हैं जो डाटा प्रक्रम प्रणालियों की रचना करते हैं। 

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प्रश्न 6. 
क्रमादेशक (Programmer) किसे कहते हैं? 
उत्तर:
डाटा प्रक्रम प्रणाली की रचना को क्रियान्वित करने के लिए प्रोग्रामों को लिखने वाले को क्रमादेशक (Programmer) कहते हैं। 
प्रश्न 7. 
प्रचालक (Operator) किसे कहते हैं? 
उत्तर:
कम्प्यूटर चलाने वाले को प्रचालक (Operator) कहते हैं। 

प्रश्न 8. 
कम्प्यूटर प्रणाली की दो क्षमतायें लिखिए। 
उत्तर:

  • तीव्र गति 
  • परिशुद्धता। 

प्रश्न 9. 
कम्प्यूटर के अंगों के नाम बताइए। 
उत्तर:

  • निवेश एकक 
  • केन्द्रीय प्रक्रम प्रणाली 
  • निर्गम एकक। 

प्रश्न 10. 
की-बोर्ड किसे कहते हैं? 
उत्तर:
कम्प्यूटर को Input देने वाली यांत्रिक मशीन, जो विभिन्न प्रकार की Keys का समूह है, को की-बोर्ड कहते हैं। 

प्रश्न 11. 
किसी संगठन में पायी जाने वाली दो सूचना प्रणालियों के नाम लिखिये। 
उत्तर:

  • प्रबन्ध सूचना प्रणाली 
  • लेखांकन सूचना प्रणाली। 

प्रश्न 12. 
लेखांकन सूचना प्रणाली के दो लक्षण लिखिए। 
उत्तर:

  • व्यापारिक लेन-देनों के समूह बनाने में सहायक होता है। 
  • खरीद-बिक्री के बीजक बना सकते हैं। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न:
 
प्रश्न 1. 
वर्तमान में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी की उपयोगिता समझाइये। 
उत्तर:
वर्तमान में लगभग पिछले तीन दशकों में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण विकास किया है और इसकी उपयोगिता बढ़ी है। कम्यूटर ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जटिल गणनायें एवं तर्कसंगत समस्याओं का कारगर समाधान किया है। आर्थिक योजनायें बनाने एवं उनके पूर्वानुमान में भी इसका उपयोग किया गया है। हाल ही में आधुनिक कम्प्यूटर ने व्यवसाय एवं उद्योगों में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है। कम्प्यूटर का सर्वाधिक असर कार्यालयों एवं संस्थानों में डाटा के भण्डारण एवं उसकी प्रक्रिया पर पड़ा है। पहले प्रबन्धन सूचना प्रणाली के डाटा को मानवीय तौर पर तैयार कराया जाता था। किन्तु आधुनिक युग में प्रबंधन सूचना प्रणाली कम्प्यूटर के बिना संभव नहीं है। लेखांकन में भी कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का उपयोग अत्यधिक बढ़ गया है। 

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प्रश्न 2. 
यंत्र सामग्री (Hardware) तथा प्रक्रिया सामग्री (Software) में अन्तर बताइए। 
उत्तर:

यांत्रिक मशीन (Hardware)

प्रक्रिया सामग्री (Software)

ये सभी विद्युत एवं विद्युत यांत्रिकीय स्विचन तंत्र के अंग होते हैं।

ये प्रोग्रामों के समूह होते हैं।

इनको छूकर महसूस किया जा सकता है। ये कम्प्यूटर के तकनीकी उपकरण होते हैं।

प्रक्रिया सामग्री को छूकर महसूस नहीं किया जा सकता है।

इन्हें Compressed नहीं किया जा सकता है।

यह उन तकनीकी उपकरणों को कार्य योग्य बनाने वाले दिशा-निर्देशों का समूह है।


प्रश्न 3. 
लेखांकन में कम्प्यूटर का क्या योगदान है? 
उत्तर:
लेखांकन में कम्प्यूटर का योगदान निम्नलिखित है:

  1. शद्धता-इसके द्वारा शुद्ध आँकड़ों का आकलन होता है। 
  2. समय की बचत-समय की अतुलनीय बचत होती है। 
  3. गति-अति तीव्र गति से कार्य होता है। 
  4. संक्षिप्तता-एक बार दिशा-निर्देश देने के बाद बार-बार गणनाएँ नहीं करनी पड़ती हैं। 
  5. समझने में सहायक-आँकड़ों का आकलन समझने में आसानी होती है। 

प्रश्न 4. 
प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली किसे कहते हैं? 
उत्तर:
प्रबन्धकीय सूचना वह प्रणाली होती है जो संस्था की बाकी प्रणालियों का आधार तैयार करती है। जैसे-लेखांकन सूचना प्रणाली, निर्माण सूचना प्रणाली एवं मानव संसाधन सूचना प्रणाली। इस सूचना प्रणाली में ऐसी सूचनाएँ एकत्रित रहती हैं जो समयानुकूल, सटीक तथा व्यवस्थित होती हैं। इनके आधार पर संस्था के प्रबन्धकों को नियंत्रण करने, व्यापारिक गतिविधियों को जाँचने, विकास की गति मापने तथा निर्णय लेने में आसानी रहती है। 

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प्रश्न 5. 
विभिन्न सूचना प्रणालियों के नाम बताइये। 
उत्तर:
सूचना प्रणाली ऐसी व्यवस्था है जो किसी संस्था के विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार बनायी जाती है, जिनसे उन क्षेत्रों में आ रही या आने वाली मुश्किलों से बचा जा सकता है। 
विभिन्न सूचना प्रणालियों के नाम निम्नलिखित हैं:

  1. प्रबन्ध सूचना प्रणाली 
  2. लेखांकन सूचना प्रणाली 
  3. निर्माण सूचना प्रणाली 
  4. मानव संसाधन सूचना प्रणाली 
  5. विपणन सूचना प्रणाली, आदि। 

प्रश्न 6. 
लेखांकन सूचना प्रणाली तथा विपणन सूचना प्रणाली का परस्पर सम्बन्ध बताइये। 
उत्तर:
विपणन सूचना प्रणाली किसी भी संस्था के क्रय - विक्रय के नियम होते हैं जिनके आधार पर वह संस्था व्यवसाय करती है। जैसे - किसी वस्तु का विक्रय मूल्य। लेखांकन सूचना प्रणाली में संस्था द्वारा किये गये व्यवसाय का सामूहिक, क्रमबद्ध लेखा - जोखा होता है। जैसे-संस्था द्वारा किसी वस्तु के विक्रय पर उसका बीजक बनाना। 

प्रश्न 7. 
कम्प्यूटर प्रणाली की सीमाएँ बतलाइये। 
उत्तर:
कम्प्यूटर प्रणाली की सीमाएँ: कम्प्यूटर प्रणाली की प्रमुख सीमाएँ निम्न हैं 
(1) व्यावहारिक ज्ञान का अभाव: कम्प्यूटर उसमें डाले गये निर्धारित क्रमादेशों (Programmes) के अनुसार काम करता रहता है। इसमें यह ज्ञान नहीं होता कि यह कार्य तर्कपूर्ण है या तर्कपूर्ण नहीं है। अत: इस प्रणाली में व्यावहारिक ज्ञान का अभाव होता है। 

(2) निर्णय लेने का अभाव: कम्प्यूटर मानव को निर्णय लेने में सहायता प्रदान कर सकता है परन्तु स्वयं कोई निर्णय नहीं ले सकता। निर्णयन कार्य में बहुत ज्यादा सूझ-बूझ, जानकारी, समझ एवं विलक्षणता की आवश्यकता होती है और कम्प्यूटर में ये सभी गुण न होने से वह निर्णय नहीं ले सकता। यदि कम्प्यूटर में किसी विशेष स्थिति में निर्णय लेने के लिए कोई क्रमादेश निर्धारित नहीं किया गया है तो वह स्वज्ञान के अभाव में निर्णय नहीं ले सकता। यह क्षमता मानव में ही होती है। 

(3) भावनाशून्य: कम्प्यूटर में कोई स्वाभाविक प्रवृत्ति नहीं होती। वे विचारों को सोचकर दृष्टिगत नहीं कर सकते हैं कि उन्हें क्या करना है? उन्हें छोटे से छोटे कार्य के लिए आदेश देना पड़ता है तथा उसके लिए क्रमादेश होना चाहिए, अत: वे भावनाशून्य होते हैं। 

(4) शून्य आई.क्यू: कम्प्यूटर में आई.क्यू. का अभाव होता है। वे अपने आप कुछ भी नहीं कर सकते। इसे हर कदम पर निर्देश की आवश्यकता होती है। इसकी विशेषता यही है कि यह मानव द्वारा जितने अच्छे तरीके से प्रयोग में लाया जाये उतने ही अच्छे परिणाम प्रदान करता है। 

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प्रश्न 8. 
कम्प्यूटरीकृत लेखांकन का उद्भव कैसे हुआ? समझाइये। 
उत्तर:
मानवीय लेखा प्रणाली में पाये जाने वाले कई दोषों जैसे त्रुटियों की उपलब्धता, विश्वसनीयता तथा भण्डारण क्षमता का अभाव, अधिक समय, अधिक व्यय तथा अन्य कई कारणों से ऐसी प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जाने लगी जो कि उपर्युक्त दोषों को दूर कर सके। कम्प्यूटरीकत लेखा प्रणाली आधनिक समय में तीव्र प्रतिस्पर्धा के इस यग में बढ़ते वित्तीय सौदों, व्यापार के आकार आदि के कारण अत्यन्त प्रभावी प्रणाली है तथा आज के समय में वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।

कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के अन्तर्गत अत्यन्त कम समय में अधिक से अधिक सौदों को दर्ज किया जा सकता है। परिशुद्धता के स्तर का निर्वाह पूर्ण रूप से किया जाता है। भण्डारण की उचित व्यवस्था होने के साथ-साथ आवश्यकता पड़ने पर आवश्यक डाटा को प्राप्त किया जा सकता है। लेखा प्रणाली का इस प्रकार उपयोग तथा लाभों को केवल कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली के माध्यम से प्राप्त करना ही सम्भव हो सकता है। 

प्रश्न 9. 
लेखा सॉफ्टवेयर में डाटाओं का संवर्धन किस प्रकार सम्पन्न होता है? 
उत्तर:
लेखा सॉफ्टवेयर में डाटाओं का संवर्धन निम्न संसाधन द्वारा पूरा किया जाता है: 

  1. प्रचय प्रक्रम (Batch Processing): यह बड़े आकार के डाटों के साथ लागू होता है जो विविध इकाइयों, शाखा या विभाग के लाइनेतर जमा रहता है। सम्पूर्ण जमा डाटा एक ही बार में प्रक्रमित हो जाता है ताकि निर्णय की जरूरत के अनुसार इच्छित विवरण प्राप्त किया जा सके। 
  2. संद्य अनुक्रिया प्रक्रम (Real Time Processing): यह सूचना एवं प्रतिवेदन के रूप में लेन-देन और प्रक्रम के बीच बिना समयान्तराल के ऑनलाइन निष्कर्ष प्रदान करता है। 
  3. संरचना पृच्छा भाषा (Structured Query Language): इसके द्वारा लेखा प्रतिवेदन तैयार किया जाता है। यह उपभोक्ता को प्रतिवेदन एवं उससे सम्बद्ध सूचना प्राप्त करने में मदद करता है जिसे पूर्व निर्धारित लेखा विवरण में शामिल करना सम्भव है। लेखा सॉफ्टवेयर को ऐसे अवयवों के साथ तैयार किया जाता है जो कि क्रय-विक्रय तालिका समान आदि की विस्तृत सूची, वेतन रजिस्टर एवं अन्य वित्तीय सौदों से सम्बन्धित डाटाओं का भण्डारण एवं प्रक्रिया में सहयोग करता है। 

प्रश्न 10. 
कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली की सामान्य विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:
कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली की सामान्य विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं:

  1. लेखांकन डाटों का ऑनलाइन निवेश एवं भण्डारण। 
  2. क्रय एवं विक्रय रसीद की प्रिंटआउट। 
  3. लेखा और लेन-देन के कूटीकरण के लिए तर्कसंगत योजना। प्रत्येक सौदे को एक विशेष कोड दिया जाता है। 
  4. खातों का समूहीकरण प्रारंभ से ही किया जाता है। 
  5. प्रबंधन के लिए तत्काल प्रतिवेदन, जैसे-आयु वर्णन, संग्रह विवरण, पेशगी बकाया, व्यापार और लाभ व हानि लेखा, तुलन पत्र, संग्रह मूल्यांकन, वस्तु एवं सेवा कर रिटर्न, वेतन रजिस्टर के विवरण आदि। 

प्रश्न 11. 
लेखांकन प्रणाली द्वारा तैयार किया गया विवरण किस प्रकार उपयोगी है? 
उत्तर:
लेखांकन प्रणाली द्वारा तैयार किया गया विवरण संस्था के अंदर व बाहर विभिन्न उपभोक्ताओं को सम्प्रेषित किया जाता है। बाहरी उपभोक्ताओं में कंपनी के मालिक, निवेशक, लेनदार, पूँजीपति, सरकारी अपूर्तिकर्ता एवं विक्रेता और सामान्यतः समाज भी शामिल है। इन पार्टियों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला विवरण रोज के कार्यों जैसा है। हालांकि आन्तरिक उपभोक्ता-कर्मचारी, प्रबंधक आदि लेखा सचना का उपयोग निर्णय लेने एवं नियंत्रण के लिये करते हैं। 

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प्रश्न 12. 
लेन-देन संसाधन प्रणाली संस्था की गतिविधियों को प्रभावित करने वाले व्यवहारों का प्रक्रम किस प्रकार करती है ? 
उत्तर:
लेन-देन संसाधन प्रणाली संस्था की गतिविधियों को प्रभावित करने वाले व्यवहारों का प्रक्रम निम्न प्रकार से करती है: 

  1. समंकों का संग्रहण-लेन-देन के लिए आवश्यक आँकड़ों को इकट्ठा करना इसके अन्तर्गत आता है। 
  2. समंकों का सम्पादन-प्राप्त आँकड़ों की जाँच होती है। 
  3. समंकों का मान्यकरण-जाँच के दौरान आवश्यक परिवर्तन इसके अन्तर्गत किये जाते हैं। 
  4. समंक परिचालन-इसके अन्तर्गत वैध आँकड़ों पर प्रस्तावित गणनाएँ होती हैं। 
  5. समंक भंडारण-समंकों का संग्रहण भण्डारण कहलाता है। 
  6. तैयार समंकों की उत्पत्ति-यह प्रतिवेदन बनाने की क्रिया है। 
  7. संदेह की पुष्टि करना-इसके अन्तर्गत उपभोक्ता अलग-अलग तरह से आवश्यकतानुसार समंकों का प्रयोग कर भिन्न प्रतिवेदन प्राप्त कर सकता है। 

प्रश्न 13. 
प्रबन्ध सूचना प्रणाली में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रतिवेदनों का उल्लेख करें। 
उत्तर:
प्रबन्ध सूचना प्रणाली में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रतिवेदन निम्न प्रकार हैं: 

  1. संक्षिप्त प्रतिवेदन: इसमें संस्था के विभिन्न भागों का परिणाम प्रतिवेदित होता है जिनको उचित रूप से समायोजित कर इसे प्राप्त किया जाता है। जैसे - लाभ - हानि खाता। 
  2. माँग प्रतिवेदन: यह संस्था प्रबन्धन की माँग पर बना प्रतिवेदन होता है। जैसे-अचानक माँगी गई सूची। 
  3. ग्राहक या आपूर्तिकर्ता का प्रतिवेदन: यह भी आवश्यकतानुसार ही तैयार होने वाला प्रतिवेदन है किन्तु अलग-अलग स्वरूपों की। जैसे - बकाया न चुकाने वाले ग्राहकों की सूची। 
  4. अपवाद प्रतिवेदन: यह योजना के उलट परिस्थिति आने पर बनाया जाने वाला प्रतिवेदन है। जैसे - कम आपूर्ति की वस्तुओं का विवरण। 
  5. उत्तरदायित्व का प्रतिवेदन: यह अधिकांशतः संस्था के विभिन्न भागों के अध्यक्षों द्वारा सम्बन्धित विभाग का लेखा-जोखा होता है। जैसे - वित्त एवं लेखा विभाग के अध्यक्ष द्वारा बनाया गया रोकड़ की स्थिति का प्रतिवेदन। 

प्रश्न 14. 
लेखासमंकों से प्रतिवेदन बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

  1. उद्देश्यों को परिभाषित करना: उद्देश्य स्पष्ट रूप से विभाजित होने चाहिए जिनसे विभिन्न भागों और उनमें काम करने वालों का उचित वर्गीकरण हो सके। 
  2. प्रतिवेदन का ढाँचा: प्रतिवेदन सदैव सम्पूर्ण एवं आकर्षक शैली में होना चाहिए। 
  3. आधार समंकों की पूछताछ करना: आधार रूप में उपयोग किये जाने वाले समंक प्रतिवेदन में पूर्ण रूप से स्पष्ट होने चाहिए जिनसे मिलने वाली सूचनाएँ उचित हों। 
  4. प्रतिवेदन को अंतिम रूप देना: प्रतिवेदन पूर्ण तथा तथ्यों का स्पष्ट उपयोग लिये हुए होना चाहिए। 

निबन्धात्मक प्रश्न:
 
प्रश्न 1. 
कम्प्यूटर प्रणाली की वे क्षमताएँ कौनसी हैं जो इसे मनुष्य से अधिक सामर्थ्यवान बनाती हैं? वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
कम्प्यूटर प्रणाली की क्षमतायें (Capabilities): कम्प्यूटर प्रणाली की कुछ ऐसी क्षमताएँ होती हैं जो इसे मनुष्य से अधिक सामर्थ्यवान बनाती हैं। इनका वर्णन निम्न प्रकार है 
1. गति (Speed): कम्प्यूटर की कार्य करने की गति बहुत तीव्र होती है। किसी काम को पूरा करने में मनुष्य जितना समय लेता है कम्प्यूटर उससे काफी कम समय में ही वह कार्य कर लेता है। आमतौर पर मनुष्य समय की गणना मिनट या सेकण्ड में करता है किन्तु कम्प्यूटर समय की गणना सेकण्ड के कई अंशों तक करने की क्षमता रखता है। अत्याधुनिक कम्प्यूटर की क्षमता सौ मिलयन प्रति सेकेण्ड की दर से गणना करने की होती है। इसी कारण उद्योगों में विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटरों को उनकी गति के अनुसार वर्गीकृत करने के लिए दस लाख आदेश प्रति सेकण्ड तक का सिद्धांत लागू होता है। 

2. परिशुद्धता (Accuracy): कम्प्यूटर द्वारा की गई संक्रिया एवं गणनाओं में परिशुद्धता पाई जाती है। अशुद्ध अभिलेख को शुद्ध करने तथा कम्प्यूटरीकृत गणनाओं में अशुद्धि ढूंढ़ने में कई वर्षों का समय लग जाता है जो कम्प्यूटर आधारित सूचना तंत्र में अधिकतर अशुद्धियाँ त्रुटिपूर्ण प्रोग्रामिंग, अशुद्ध डाटों एवं क्रियाविधि से विचलन के कारण होती हैं। ये सारी अशुद्धियां मनुष्य जाति द्वारा की जाती हैं। वे अशुद्धियां जिनके लिये हार्डवेयर उत्तरदायी होता है उन्हें कम्प्यूटर प्रणाली द्वारा स्वतः ढूंढकर सही कर लिया जाता है। कम्प्यूटर द्वारा कदाचित ही अशुद्धियाँ होती हैं एवं वे सभी प्रकार के जटिल से जटिल कार्य भी पूरी परिशुद्धता से पूर्ण करते हैं। 

3. विश्वसनीयता (Reliability): उपयोगकर्ता की सेवा में कम्प्यटर जिस निपणता से क्रियाशील रहता है वह उसकी विश्वसनीयता कहलाती है। कम्प्यूटर प्रणाली पुनरावृत्ति कार्यों को करने के अनुकूल होती है। इन्हें थकान भी नहीं होती है। इसलिए ये मनुष्य जाति की तुलना में अधिक विश्वसनीय होते हैं फिर भी आन्तरिक एवं बाहरी कारणों से कम्प्यूटर प्रणाली भी असफल हो सकती है। कम्प्यूटर की किसी भी प्रकार की असफलता को उच्च स्वचालित उद्योगों में स्वीकार नहीं किया जा सकता, इसलिए कम्पनियां ऐसी स्थिति में पूर्तिकर सुविधा की मदद से बिना समय नष्ट किए तत्परता से संक्रिया को पूरा करती हैं। 

4. बहुआयामी (Versatility): कम्प्यूटर के कार्यों में बहुआयामता अर्थात् विविधता पाई जाती है। कम्प्यूटर सामान्यतः अनेक कार्य करते हैं जब तक कि वे किसी विशिष्ट अनुप्रयोग के लिये न बनाये जायें। एक साधारण कम्प्यूटर का उपयोग व्यवसाय, उद्योग, विज्ञान, सांख्यिकीय, तकनीक, संचार आदि जैसे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है। एक संस्था में जब एक साधारण कम्प्यूटर प्रतिस्थापित किया जाता है तो वह अपनी बहुआयामी क्षमता के कारण कई विशेषज्ञों के बराबर काम कर सकता है। कम्प्यूटर प्रतिस्थापित करने पर वह सभी विषयों के काम अपनी उच्च बहुआयामी क्षमता के कारण कर सकता है। यह अपनी क्षमता को पूर्ण रूप से प्रयोग करता है। 

5. संचयन (Storage): एक कम्प्यूटर द्वारा डाटों को एकत्र कर एवं उन तक पहुँचने को संचयन कहते हैं। डाटा पर अपनी अविलंब पहुँच होने के अलावा कम्प्यूटर प्रणाली में डाटा को बहुत छोटी जगह में रखने की विशाल क्षमता होती है। 4.7" व्यास के CD - ROM में 1,000 पृष्ठ प्रति किताब के हिसाब से बहुत अधिक मात्रा में किताबों का संचय करने के बाद भी अन्य सामग्री का संचय करने के लिये काफी जगह खाली रह जाती है। एक प्रारूपिक वृहत अभिकलित्र कम्प्यूटर (typical mainframe computer) प्रणाली करोड़ों अक्षरों और हजारों चित्रों को ऑनलाइन प्रदान कर सकती है और उनका संचय भी कर सकती है। इस प्रकार कम्प्यूटर की क्षमताएँ उसे मनुष्य से अधिक सामर्थ्यवान बनाती हैं। 

प्रश्न 2. 
कम्प्यूटर के प्रमुख अंगों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
कम्प्यूटर के अंग (Components of a Computer):
कम्प्यूटर के तीन क्रियाशील अंग हैं:

  1. निवेश एकक (Input Unit) 
  2. केन्द्रीय प्रक्रम एकक/प्रणाली (Central Processing Unit) 
  3. निर्गम एकक (Output Unit)। इनका वर्णन निम्न प्रकार है 

1. निवेश एकक (Input Unit): उपयोगकर्ता द्वारा निर्देशों तथा आदेशों को निवेश एकक के माध्यम से कम्प्यूटर को उपलब्ध कराया जाता है। की-बोर्ड, चुंबकीय टेप, चुंबकीय डिस्क, लाइट पेन, ऑप्टिकल स्केनर, चुंबकीय स्याही अक्षर, पहचान, प्रकाशित संप्रतीक अभिज्ञान रेखिका कूट पठित्र, स्मार्ट कार्ड पठित्र आदि निवेश युक्ति के अंग होते हैं। इनमें की-बोर्ड प्रायः सबसे अधिक उपयोग में आने वाली युक्ति है। इनके अलावा और भी अंग हैं जो कि ध्वनि एवं भौतिक संपर्क होने पर कार्य करते हैं। एक मेन्यू लेआउट स्पर्श संवेदी स्क्रीन पर दर्शाया जाता है। जब भी उपयोगकर्ता मेन्यू आइटम को स्पर्श स्क्रीन पर छूता है तब कम्प्यूटर आदेश को समझ लेता है और उसके अनुसार उस मेन्यू से जुड़े सारे कार्य पूर्ण हो जाते हैं। इस प्रकार की स्पर्श स्क्रीन को रेलवे स्टेशनों पर गाड़ियों के आने-जाने की ऑनलाइन जानकारी प्राप्त करने में लाया जाता है। 

2. केन्द्रीय प्रक्रम एकक (Central Processing Unit): यह कम्प्यूटर हार्डवेयर का एक प्रमुख अंग है जो आदेश प्राप्त होने पर तुरन्त ही डाटों को संसाधित करता है। यह उन डाटों की प्रणाली में प्रविष्ट कराके डाटों को नियंत्रित करता है। साथ ही डाटों को अपनी जानकारी में सुरक्षित रखता है एवं आवश्यकता पड़ने पर उन डाटों को पुनः प्रस्तुत करता है और भण्डार आदेशों के समूह के अनुसार डाटों को निर्गत करता है। 

इसकी प्रमुख तीन इकाइयाँ निम्न प्रकार हैं: 

  1. अंकगणित एवं तर्क एकक [Arithmetic and Logic Unit (ALU)]: यह सभी प्रकार की अंकगणितीय गणनाओं को करता है, जैसे-जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना, और घातांकों में। इसके साथ ही यह तार्किक कार्य करने में भी सक्षम है जिसमें परिवर्ती संख्या एवं डाटा मद के मध्य तलना भी शामिल है। 
  2. स्मृति एकक (Memory Unit): इस एकक में डाटा, उनकी प्रक्रिया होने से पहले एकत्र होते हैं। इन डाटों को इनपुट युक्ति द्वारा मेमोरी में संचारित करने से पूर्व कम्प्यूटर की स्मरण एकक में भण्डारित आदेशों के अनुसार उन्हें जाँच कर संसाधित किया जाता है। 
  3. नियंत्रण एकक (Control Unit): कम्प्यूटर प्रणाली की अन्य इकाइयों के क्रियाकलापों को नियंत्रित रखना एवं उनमें समन्वय बनाये रखने की जिम्मेदारी नियंत्रण एकक की होती है। 

यह निम्नलिखित कार्यों को पूर्ण करता है: 

  1. स्मरण एकक में एकत्रित आदेशों को पढ़ना। 
  2. आदेशों को क्रमानुसार करना। 
  3. डाटों को आन्तरिक परिपथ द्वारा सही समय व स्थान पर पहुँचाना। 
  4. वर्तमान आदेश को पूर्ण करने के बाद अगला आदेश कहाँ से प्राप्त करना है इसके लिए इनपुट युक्ति को निर्धारित करना। 

3. निर्गम एकक (Output Unit): निर्गत युक्ति मशीन के सांकेतिक डाटों को प्रक्रियात्मक डाटों में रूपांतरित करके लोगों द्वारा पढ़ने योग्य प्रस्तुत करता है। आमतौर पर प्रयोग में आने वाले बाह्य यंत्र जैसे मॉनिटर जिसे दृश्यात्मक इकाई भी कहते हैं। प्रिंटर, ग्राफिक प्लॉटर जो ग्राफ बनाता है, तकनीकी चित्र, चार्ट एवं आंतरिक यंत्र जैसे चुंबकीय भण्डारण यंत्र, निर्गम यंत्र हैं। इन दिनों एक नया यंत्र तैयार हुआ है जिसे वाक् संश्लेषक (Speech synthesiser) कहते हैं। यह मौखिक आउटपुट उत्पन्न करता है जो मानवीय भाषा विज्ञान की तरह होता है। 

RBSE Class 11 Accountancy Important Questions Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोगे

प्रश्न 3. 
लेन-देन प्रक्रम प्रणाली में बैंक के एक ग्राहक द्वारा ए.टी.एम. से पैसे निकालने के लेन-देन प्रक्रम के क्रमों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के सौदे में बैंक के ग्राहक द्वारा ए.टी.एम. से पैसे निकालने के प्रक्रम के क्रम निम्न प्रकार हैं 
1. डाटा प्रविष्टि (Data Entry): सबसे पहले कार्य संबंधित डाटों को मशीन में प्रविष्टि करना होता है। डाटों को मशीन में प्रविष्ट कराने के लिये विभिन्न प्रकार की युक्तियाँ उपलब्ध हैं जैसे की-बोर्ड, माउस आदि। उदाहरण के तौर पर एक बैंक ग्राहक ए.टी.एम. का प्रयोग धन राशि निकालने के लिये करता है। इस कार्य को करने के लिए ग्राहक जो विभिन्न क्रियाएं करता है, उस क्रिया वैधता की जाँच कम्प्यूटरीकृत निजी बैंकिंग सेवा द्वारा की जाती है। 

2. डाटों की वैधता (Data Validation): यह निवेश डाटा का कुछ पूर्वनिर्धारित मानक ज्ञात डाटों के साथ तुलना करते हुए उसकी शुद्धता एवं विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है। यह वैधता अशुद्धि की खोज एवं सुधार प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न की जाती है। नियंत्रण मशीनी यंत्र, जहाँ वास्तविक निवेश को मानक के साथ तुलना किया जाता है, को अशुद्धियों को पकड़ने के लिये बनाया जाता है। यदि कोई अशुद्धि हो तो अशुद्धि सुधार प्रक्रिया सही डाटा निवेश दर्ज करने के लिये सुझाव देता है। ग्राहक का पिन ज्ञात डाटा द्वारा विधिमान्य किया जाता है। यदि यह गलत है तो यह सुझाव दिया जाता है कि पिन अमान्य है। पिन को मान्य करने के बाद ग्राहक द्वारा निकाली जाने वाली राशि की भी जाँच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक निश्चित सीमा का उल्लंघन न हो। 

3. प्रक्रम एवं पुनः वैधता (Processing and Revalidation): डाटों का प्रक्रम, ए.टी.एम. उपभोक्ता के क्रिया-कलापों को बताते हुए ओ एल टी पी (Online Transaction Processing) प्रणाली की स्थिति में, लगभग उसी वक्त घटित होता है जबकि उपभोक्ता की क्रियाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक मान्य आँकड़े का प्रक्रम चलता है। इसे जाँच निवेश वैधता कहते हैं । पुनः वैधता इस बात को सुनिश्चित करने के लिए होती है कि ए.टी.एम. द्वारा मुद्रा प्राप्ति का कार्य-संपादन पूरा हो गया। इसे जाँच निर्गम वैधता कहते हैं। 

4. संचयन (Storage): ऊपर वर्णित संसाधित क्रियाओं की परिणति वित्तीय सौदा डाटों में होती है जो एक निश्चित ग्राहक द्वारा आहरण (Withdrawal) को वर्णित करते हैं। ये संसाधित क्रियाएँ कम्प्यूटरीकृत व्यक्तिगत बैंकिंग प्रणाली के लेन-देन डाटाबेस में जमा होती हैं। इसका यह मतलब है कि केवल मान्य लेन-देन ही डाटाबेस में संग्रहित हैं। 

5. सूचना (Information): संग्रहित डाटों को प्रश्न सुविधा का उपयोग करते हुए इच्छित सूचना प्राप्त करने के लिए संवर्धित किया जाता है। एक डाटाबेस जो कि डी.बी.एम.एस. द्वारा समर्थित होता है, का मानक संरचना पृच्छा भाषा (SQL) से बँधा होना अत्यावश्यक है। 

6. प्रतिवेदन (Reporting): अन्ततः प्रतिवेदन की निर्णय उपयोगिता के अनुसार अपेक्षित सूचना अन्तर्वस्तु के आधार पर अनेक प्रतिवेदन तैयार किये जाते हैं। 

प्रश्न 4. 
कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली सॉफ्टवेयर के तत्त्वों को एक रेखांकित चित्र द्वारा दर्शाइये। 
उत्तर: 
RBSE Class 11 Accountancy Important Questions Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग 1

Prasanna
Last Updated on Sept. 20, 2022, 5:52 p.m.
Published Sept. 20, 2022