Rajasthan Board RBSE Class 11 Accountancy Important Questions Chapter 1 लेखांकन-एक परिचय Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
व्यापार प्रारम्भ करते समय व्यापार का स्वामी जो धन-राशि लाता है, उसे कहते हैं:
(अ) सम्पत्ति
(ब) दायित्व
(स) आहरण
(द) पूँजी
उत्तर:
(द) पूँजी
प्रश्न 2.
लेखांकन का मुख्य उद्देश्य है:
(अ) व्यापार की पूँजी जानना
(ब) लेन-देनों का लेखा नहीं करना
(स) स्टॉक की स्थिति का ज्ञान नहीं करना
(द) आर्थिक स्थिति की जानकारी देना
उत्तर:
(द) आर्थिक स्थिति की जानकारी देना
प्रश्न 3.
वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री से प्राप्त कुल आगम कहलाती है:
(अ) विक्रय
(ब) पूँजी
(स) लाभ
(द) व्यय
उत्तर:
(अ) विक्रय
प्रश्न 4.
स्वामी द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए निकाली गई धन-राशि कहलाती है:
(अ) स्टॉक
(ब) लाभ
(स) पूँजी
(द) आहरण
उत्तर:
(द) आहरण
प्रश्न 5.
निम्न में से चालू सम्पत्ति है:
(अ) भवन
(ब) कम्प्यूटर
(स) फर्नीचर
(द) रोकड़
उत्तर:
(द) रोकड़
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से अमूर्त सम्पत्ति है:
(अ) ख्याति
(ब) स्टॉक
(स) भवन
(द) फर्नीचर
उत्तर:
(अ) ख्याति
प्रश्न 7.
विक्रय की गई वस्तुओं के मूल्य में कटौती को कहते हैं:
(अ) हानि
(ब) व्यय
(स) लाभ
(द) बट्टा
उत्तर:
(द) बट्टा
प्रश्न 8.
भारत में लेखांकन का प्रचलन कितनी शताब्दी पूर्व माना जाता है?
(अ) 23 शताब्दी
(ब) 21 शताब्दी
(स) 25 शताब्दी
(द) 27 शताब्दी
उत्तर:
(अ) 23 शताब्दी
प्रश्न 9.
प्राप्य विपत्र किस प्रकार की सम्पत्ति है:
(अ) दृश्य
(ब) स्थायी
(स) चालू
(द) काल्पनिक
उत्तर:
(स) चालू
प्रश्न 10.
वह उत्पाद जिनसे व्यवसायी कारोबार करता है, कहलाता है:
(अ) माल
(ब) पूँजी
(स) आगम
(द) क्रय
उत्तर:
(अ) माल
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
प्रश्न 1.
लाभ ......................... को बढ़ाता है।
उत्तर:
पूँजी,
प्रश्न 2.
दोहरा लेखा प्रणाली के जन्मदाता ........................
उत्तर:
लूकस पेसियोली
प्रश्न 3.
व्यापारी जिन वस्तुओं का व्यापार करता है, उसे ....................... कहते हैं।
उत्तर:
माल
प्रश्न 4.
व्यावसायिक संगठनों का सम्बन्ध ...................... से होता है।
उत्तर:
आर्थिक घटनाओं
प्रश्न 5. ..................... का अर्थ है कि उपयोगकर्ता सूचना पर निर्भर रह सके।
उत्तर:
विश्वसनीयता।
सत्य/असत्य बताइये:
प्रश्न 1.
लेखांकन व्यवसाय के गुणात्मक पक्ष का लेखा करता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 2.
देनदार ऋण लेता है और लेनदार ऋण देता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
व्यापार के लिए पूँजी सम्पत्ति होती है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 4.
उधार बिक्री का जो भाग वसूल नहीं हो पाता है उसे डूबत ऋण कहते हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 5.
नकद बिक्री व उधार बिक्री के योग को कुल विक्रय कहते हैं।
उत्तर:
सत्य।
सही मिलान कीजिए:
प्रश्न 1.
कॉलम-1 |
कॉलम-2 |
1. आगम अर्जित करने की प्रक्रिया में आने वाली लागत |
(अ) पूँजीगत व्यय |
2. ऐसे व्यय जिनका लाभ कई वर्षों तक प्राप्त होता है। |
(ब) आहरण |
3. व्यापार से निजी प्रयोग के लिए माल निकालने को कहते हैं। |
(स) व्यय |
4. देनदार |
(द) देयता |
5. लेनदार |
(य) परिसम्पत्ति |
उत्तर:
कॉलम-1 |
कॉलम-2 |
1. आगम अर्जित करने की प्रक्रिया में आने वाली लागत |
(स) व्यय |
2. ऐसे व्यय जिनका लाभ कई वर्षों तक प्राप्त होता है। |
(अ) पूँजीगत व्यय |
3. व्यापार से निजी प्रयोग के लिए माल निकालने को कहते हैं। |
(ब) आहरण |
4. देनदार |
(य) परिसम्पत्ति |
5. लेनदार |
(द) देयता |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
लेखांकन का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
लेखांकन व्यावसायिक लेन-देनों की पहचान करने, मापने, अभिलेखन करने एवं आवश्यक सूचना को उनके उपयोगकर्ता को सम्प्रेषण की प्रक्रिया है।
प्रश्न 2.
'अर्थशास्त्र' पुस्तक के लेखक का नाम बताइए। उत्तर-कौटिल्य। प्रश्न 3. सूचना के स्रोत के रूप में लेखांकन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
लेखांकन सूचना के स्रोत के रूप में किसी संगठन की आर्थिक घटनाओं की सूचनाओं के पहचानने, मापने, अभिलेखन करने एवं सूचनाओं के उपयोगकर्ताओं को सम्प्रेषण की प्रक्रिया है।
प्रश्न 4.
आर्थिक घटना से क्या आशय है?
उत्तर:
आर्थिक घटना से तात्पर्य किसी व्यावसायिक संगठन में होने वाले ऐसे आर्थिक लेन-देनों से है, जिसके परिणामों को मुद्रा रूप में मापा जा सकता हो।
प्रश्न 5.
लेखांकन सूचनाओं के कोई दो बाह्य उपयोगकर्ता बतलाइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
लेखांकन की कोई दो शाखाओं के नाम दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
आहरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
व्यवसाय में स्वामी द्वारा अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए निकाली गई नकद धन-राशि या वस्तुएँ आहरण कहलाती हैं।
प्रश्न 8.
लेखांकन की कोई दो गुणात्मक विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
लघुउत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
लेखांकन की चार विशेषताएँ लिखो।
उत्तर:
लेखांकन की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 2.
लेखांकन के प्रमुख कार्य लिखो।
उत्तर:
लेखांकन के प्रमुख कार्य निम्न हैं:
प्रश्न 3.
लेखांकन सूचना को उपयोगी बनाने हेतु सुनिश्चित किये जाने वाले प्रमुख बिन्दु बतलाइए।
उत्तर:
लेखांकन सूचना को उपयोगी बनाने के लिए प्रबन्ध द्वारा निम्न सुनिश्चितताएँ की जानी आवश्यक हैं:
प्रश्न 4.
लेखांकन की प्रमुख शाखाएँ कौनसी हैं? वर्णन कीजिए। .
उत्तर:
लेखांकन की प्रमुख शाखाएँ: आर्थिक विकास एवं तकनीकी सुधार के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर प्रचालन एवं व्यवसाय के कम्पनी स्वरूप का प्रादुर्भाव हुआ है। इसके कारण प्रबन्ध कार्य और अधिक जटिल हो गया है तथा इससे लेखांकन सूचना का महत्त्व बढ़ गया है। लेखांकन सूचना की आन्तरिक एवं बाह्य उपयोगकर्ताओं के एक-दूसरे से भिन्न रखने वाली आवश्यकता के परिणामस्वरूप लेखांकन की विशिष्ट शाखाओं का जन्म हुआ है। इनका वर्णन संक्षेप में आगे किया गया है:
1. वित्तीय लेखांकन-लेखांकन की इस शाखा का उद्देश्य प्रत्येक वित्तीय लेन-देन का ब्यौरा रखना है, जिससे कि
2. लागत लेखांकन लागत लेखांकन का उद्देश्य खर्चों का विश्लेषण करना है जिससे कि व्यावसायिक इकाई द्वारा विनिर्मित विभिन्न उत्पादों की लागत निर्धारित की जा सके एवं मूल्य निश्चित किये जा सकें। यह लागत निर्धारण एवं निर्णय लेने के लिए प्रबन्धकों को आवश्यक लागत की सूचना प्रदान करने में सहायक होती है।
3. प्रबन्ध लेखांकन-प्रबन्ध लेखांकन का उद्देश्य प्रबन्ध को नीति सम्बन्धित विवेकपूर्ण निर्णय लेने एवं इसके नियमित कार्यवाही के प्रभाव का मूल्यांकन करने में सहायक होता है। उपर्युक्त के अतिरिक्त मानव संसाधन लेखांकन, सामाजिक लेखांकन, उत्तरदायित्व लेखांकन भी महत्त्वपूर्ण शाखाएँ
प्रश्न 5.
देयताओं (Liabilities) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
देयताएँ (Liabilities): वे देनदारियाँ या ऋण हैं जिनका भुगतान व्यावसायिक इकाई को भविष्य में किसी समय पर करना है। यह लेनदारों का फर्म की परिसम्पत्तियों पर दावे का प्रतिनिधित्व करती है। व्यवसाय चाहे छोटा हो या बड़ा कभी न कभी उसे धन उधार लेने और उधार पर वस्तुएँ खरीदने की आवश्यकता पड़ती है। जैसे 25 मार्च, 2020 को सुपर बाजार ने फास्ट फूड प्रोडक्ट्स कम्पनी से 10,000 ₹ का माल उधार क्रय किया।
यदि 31 मार्च, 2020 को सुपर बाजार का तुलन-पत्र तैयार किया जाए तो फास्ट फूड प्रोडक्ट्स कम्पनी को उसके स्थिति विवरण के देयता पक्ष में लेनदार (खाते देय) के रूप में दर्शाया जायेगा। यदि सुपर बाजार दिल्ली स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लि. से तीन वर्ष की अवधि के लिए. ऋण लेती है तो इसे भी सुपर बाजार के तुलन-पत्र में देयता के रूप में दर्शाया जायेगा। देयताएँ दो प्रकार की होती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
लेखांकन के इतिहास एवं विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लेखांकन का इतिहास एवं विकास । लेखांकन का इतिहास बहुत पुराना है। यह उतना ही पुराना है जितनी कि सभ्यता। सबसे पहले लेखांकन का उपयोग शायद ईसा के 4000 वर्ष पूर्व बेबीलोनिया एवं इजिप्ट में हुआ था जहाँ मजदूरी एवं करों के भुगतान सम्बन्धी लेन-देनों का लेखा मिट्टी की एक पट्टी पर किया जाता था। इतिहास गवाह है कि इजिप्ट के लोग अपने खजाने, जिनमें सोना एवं अन्य दूसरी कीमती वस्तुएँ रखी जाती थीं, के लिए एक प्रकार के लेखांकन का प्रयोग करते थे और वे उसका माहवार ब्यौरा राजा को भेजते थे। बेबीलोनिया में वाणिज्य के लेखांकन का उपयोग धोखाधड़ी एवं अक्षमता के कारण होने वाली हानि को उजागर करने के लिए किया जाता था। यह वाणिज्य नगरी कहलाती थी।
ग्रीस में लेखांकन का प्रयोग प्राप्त आगम को खजानों में आबंटन, कुल प्राप्तियों, कुल भुगतानों एवं सरकारी वित्तीय लेन-देनों के शेष का ब्यौरा रखने के लिए किया जाता था। रोमवासी विवरण-पत्र अथवा दैनिक बही का प्रयोग करते थे, जिनमें प्राप्ति एवं भुगतान का अभिलेखन किया जाता था तथा उनसे प्रतिमाह खाताबही में खतौनी की जाती थी। (700 वर्ष ईसा पूर्व से 400 ई.) चीन में तो 2000 वर्ष ईसवी पूर्व में ही बहुत ही परिष्कृत रूप में राजकीय लेखांकन का उपयोग होता था। भारत में लेखांकन का प्रचलन 23 शताब्दी पूर्व कौटिल्य के समय से माना जा सकता है, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य में एक मन्त्री था तथा जिसने अर्थशास्त्र के नाम से एक पुस्तक लिखी थी जिसमें लेखांकन अभिलेखों को कैसे रखा जाये, का वर्णन किया गया था।
लूकस पेसिओली (Luca Pacioli) जो व्यापारी श्रेणी से सम्बन्ध रखते थे, की पुस्तक सुमा-डे-अरिथमट्रिका, जयोमेट्रिका, प्रोपोरशनालिटि पर प्रोपोरशन (अंकगणित एवं रेखा गणित के पुनरावलोकन के अंश) को दोहरा लेखन पुस्त-पालन पर पहली पुस्तक माना गया है। इस पुस्तक के एक भाग में व्यवसाय एवं पुस्त-पालन के सम्बन्ध में लिखा है। पेसियोली ने यह दावा कभी नहीं किया कि वह दोहरा लेखन. पस्त-पालन का आविष्कार तो इसके ज्ञान का विस्तार किया था।
इससे ऐसा लगता है कि शायद उसने समकालीन पुस्त-पालन ग्रन्थों को अपनी इस उत्तम रचना का आधार बनाया। अपनी इस पुस्तक में उसने आज के लेखांकन के सर्वप्रचलित शब्द नाम (Dr.) तथा जमा (Cr.) का उपयोग किया। इन संकल्पनाओं को इटली की शब्दावली में प्रयुक्त किया गया था। डेबिट (Debit) शब्द इटली के शब्द debito से निकला है जो लैटिन शब्द debita एवं debeo शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है स्वामी का ऋणी होना। क्रेडिट (Credit) शब्द इटली के Credito शब्द से निकला है जो लैटिन शब्द Creda से निकला है जिसका अर्थ होता है (स्वामी में विश्वास या स्वामी की देनदारी)।
दोहरा लेखा प्रणाली को समझाते हुए पेसियोली ने लिखा कि सभी प्रविष्टियाँ दो बार अंकित की जाती हैं अर्थात् यदि आप एक लेनदार बनाते हैं तो आपको एक देनदार बनाना होगा। उसका कहना था कि एक व्यापारी के उत्तरदायित्वों में अपने व्यवसाय में ईश्वर की महत्ता को बढ़ाना, व्यवसाय के कार्यों में नैतिकता तथा लाभ कमाना सम्मिलित है। उसने विवरण-पत्र, रोजनामचा, खाताबही एवं विशिष्ट लेखांकन प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की है। उसके बाद अनेक विद्वानों के प्रयासों से लेखांकन का उत्तरोत्तर विकास होता गया। आज लेखांकन की अनेक शाखाओं का भी विकास हो चुका है तथा प्रत्येक क्षेत्र में इसकी आवश्यकता महसूस की जाने लगी है।
प्रश्न 2.
लेखांकन की प्रकृति को समझने के लिए किन पहलुओं को समझना आवश्यक है?
उत्तर:
लेखांकन की प्रकृति के पहलू लेखांकन संगठन की आर्थिक घटनाओं को पहचानने, मापने और लिखकर रखने की ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से सूचनाओं से सम्बन्धित आँकड़े उपयोगकर्ताओं तक सम्प्रेषित किये जा सकें।
इस प्रकार लेखांकन की प्रकृति को समझने के लिए हमें इसके निम्न सम्बन्धित पहलुओं को समझना आवश्यक
इनका वर्णन निम्न प्रकार है:
1. आर्थिक घटनाएँ आर्थिक घटना से तात्पर्य किसी व्यावसायिक संगठन में होने वाले ऐसे आर्थिक लेन-देनों से है जिसके परिणामों को मुद्रा रूप में मापा जा सकता हो, जैसे - मशीन का क्रय, उसके स्थापना एवं विनिर्माण के लिए तैयार करना एक घटना है जिसमें कुछ वित्तीय लेन-देन समाहित हैं, जैसे - मशीन का क्रय, मशीन का परिवहन, मशीन स्थापना स्थल को तैयार करना, स्थापना पर व्यय एवं परीक्षण संचालन। आर्थिक घटना दो प्रकार की हो सकती है।
1. बाह्य घटना किसी घटना में संगठन एवं किसी बाहर के व्यक्ति के बीच लेन-देन है तो इसे बाह्य घटना कहेंगे।
जैसे:
2. आन्तरिक घटना आन्तरिक घटना एक ऐसी वित्तीय घटना है, जो पूर्णतः किसी उद्यम के आन्तरिक विभागों के बीच घटित होती है। जैसे - संग्रहण विभाग द्वारा कच्चे माल अथवा कल-पुों की विनिर्माण विभाग को आपूर्ति, कर्मचारियों को मजदूरी का भुगतान आदि।
2. पहचान, मापन, अभिलेखन एवं सम्प्रेषण:
(i) पहचान: इसका अर्थ यह निर्धारित करना है कि किन लेन-देनों का अभिलेखन किया जाए अर्थात् इसमें उन घटनाओं की पहचान करना, जिनका अभिलेखन किया जाना है। इसमें संगठन से सम्बन्धित सभी क्रियाओं का अवलोकन कर केवल उन्हीं क्रियाओं का चयन किया जाता है जो वित्तीय प्रकृति की हैं। लेखा पुस्तकों में लिखने का निर्णय लेने से पहले व्यावसायिक लेन-देन एवं दूसरी आर्थिक घटनाओं का मूल्यांकन किया जाता है।
जैसे - मानव एवं संसाधनों का मूल्य, प्रबन्धकीय नीतियों में परिवर्तन अथवा कर्मचारियों की नियुक्ति महत्त्वपूर्ण घटनाएँ हैं लेकिन इनमें से किसी को भी लेखा-पुस्तकों में नहीं लिखा जाता। किन्तु जब भी कम्पनी नकद अथवा उधार क्रय अथवा विक्रय करती है अथवा वेतन का भुगतान करती है तो इसे लेखा पुस्तकों में लिखा जाता है।
(ii) मापन-इसका अर्थ है मौद्रिक इकाई के द्वारा व्यावसायिक लेन-देनों का वित्तीय प्रमापीकरण अर्थात् मापन की इकाई के रूप में रुपये-पैसे। यदि किसी घटना का मौद्रिक रूप में प्रमापीकरण सम्भव नहीं है तो इसका वित्तीय लेखों में लेखन नहीं किया जाएगा।
(ii) अभिलेखन: जब एक बार आर्थिक घटनाओं की पहचान व मापन वित्तीय रूप में हो जाती है तो इन्हें मौद्रिक इकाइयों में लेखा पुस्तकों में कालक्रमानुसार (तिथिवार) अभिलिखित कर लिया जाता है। अभिलेखन इस प्रकार से किया जाता है कि आवश्यक वित्तीय सूचना का स्थापित परम्परा के अनुसार सारांश निकाला जा सके एवं जब भी आवश्यकता हो उसे उपलब्ध किया जा सके।
(iv) सम्प्रेषण उपर्युक्त कार्यों के उपरान्त एक प्रसंगानुकूल सूचना तैयार होती है जिसका प्रबन्धकों एवं दूसरे आन्तरिक एवं बाह्य उपयोगकर्ताओं को, एक विशिष्ट रूप में सम्प्रेषण होता है। सूचना को लेखा-प्रलेखों के माध्यम से नियमित रूप से सम्प्रेषित किया जाता है। इन प्रलेखों द्वारा दी गई सूचना उन विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोगी होती है जो उद्यम की वित्तीय स्थिति एवं प्रदर्शन के आकलन, व्यावसायिक क्रियाओं के नियोजन एवं नियन्त्रण तथा समय-समय पर आवश्यक निर्णय लेने में रुचि रखते हैं।
3. संगठन संगठन से अभिप्राय किसी व्यावसायिक उद्यम से है, जिनका उद्देश्य लाभ कमाना हो सकता है अथवा नहीं। क्रियाओं के आकार एवं व्यवसाय के परिचालन स्तर के आधार पर यह एकल स्वामित्व इकाई, साझेदारी फर्म, सहकारी समिति या कम्पनी, स्थानीय निकाय, नगरपालिका अथवा कोई अन्य संगठन हो सकता है।
4. सूचना से सम्बन्धित उपयोगकर्ता अनेक उपयोगकर्ताओं को महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए वित्तीय सूचना की आवश्यकता होती है।
इन उपयोगकर्ताओं को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:
आन्तरिक उपयोगकर्ता में सम्मिलित हैं: मुख्य कार्यकारी, वित्तीय प्राधिकारी, उपप्रधान, व्यावसायिक इकाई प्रबन्धक, संयन्त्र प्रबन्धक, स्टोर प्रबन्धक, लाइन पर्यवेक्षक आदि। बाह्य उपयोगकर्ता में शामिल हैं वर्तमान एवं भावी निवेशक (शेयर धारक), लेनदार (बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थान, ऋण-पत्र धारक एवं दूसरे ऋणदाता), कर अधिकारी, नियमन एजेन्सी (कम्पनी मामलों का विभाग, कम्पनी रजिस्ट्रार, भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड), श्रम-संगठन, व्यापारिक संघ, स्टॉक एक्सचेंज एवं ग्राहक आदि। लेखांकन का मूल उद्देश्य निर्णय लेने के लिए उपयोगी सूचना उपलब्ध कराना है। सम्बन्धित उपयोगकर्ता लेखांकन सूचनाओं का अपने निर्णयों के लिए उपयोग करते हैं।