These comprehensive RBSE Class 10 Social Science Notes History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद will give a brief overview of all the concepts.
→ प्रथम विश्व युद्ध, खिलाफत और असहयोग - 1914 में प्रथम विश्व-युद्ध शुरू हुआ। युद्ध के दौरान कीमतें दोगुनी हो गईं। गाँवों में सिपाहियों को जबरदस्ती भर्ती किया गया। दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120130 लाख लोग मारे गए। इस कारण भारतीयों में आक्रोश व्याप्त था।
→ सत्याग्रह आन्दोलन - गांधीजी ने चम्पारन, खेड़ा तथा अहमदाबाद में सत्याग्रह आन्दोलन चलाए।
→ रॉलट एक्ट-ब्रिटिश सरकार ने 1919 में रॉलट एक्ट पारित किया, जिसके अनुसार सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने तथा राजनीतिक बन्दियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बन्द करने का अधिकार मिल गया था।
→ खिलाफत आन्दोलन - महात्मा गांधी ने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता स्थापित करने के लिए खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।
→ असहयोग के पक्ष में गाँधीजी के विचार - गाँधीजी का कहना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था इसी सहयोग के कारण अंग्रेजों का शासन चल पा रहा है। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ब्रिटिश शासन ढह जायेगा और स्वशासन की स्थापना हो जायेगी।
→ असहयोग आन्दोलन - 1921 में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। इस आन्दोलन के दौरान विदेशी माल का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों पर धरना दिया गया तथा विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गई। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए तथा शिक्षकों ने त्याग-पत्र सौंप दिये। मद्रास के अतिरिक्त अधिकतर प्रान्तों में परिषद चुनावों का बहिष्कार किया गया।
→ साइमन कमीशन–1927 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया। इसमें सात सदस्य थे जो सभी अंग्रेज थे। अतः कांग्रेस ने साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का निश्चय किया। 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा, तो उसका स्वागत 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारों से किया गया।
→ नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आन्दोलन-12 मार्च, 1930 को गांधीजी ने अपने 78 कार्यकर्ताओं के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी। यह यात्रा साबरमती में गांधीजी के आश्रम से 240 किलोमीटर दूर दांडी नामक स्थान पर जाकर समाप्त होनी थी। 6 अप्रेल को गांधीजी दांडी पहुँचे और वहाँ नमक बनाकर सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया। हजारों लोगों ने नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। अनेक स्थानों पर विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गई और शराब की दुकानों पर धरना दिया गया।
→ सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों की भूमिका सम्पन्न किसान समुदायों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रबल समर्थन किया। परन्तु जब 1931 में लगानों को कम किए बिना आन्दोलन वापिस ले लिया गया, तो उन्हें निराशा हुई और 1932 में आन्दोलन पुनः शुरू होने पर उनमें से बहुत से लोगों ने आन्दोलन में भाग लेने से इनकार कर दिया। उद्योगपतियों ने भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन का समर्थन किया और उन्होंने आन्दोलन को आर्थिक सहायता दी। कुछ मजदूरों ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया। 1930 में रेलवे कामगारों की और 1932 में गोदी कामगारों की हड़ताल हुई। महिलाओं ने इस आन्दोलन में बड़ी संख्या में भाग लिया।
→ सविनय अवज्ञा की सीमाएँ - गांधीजी ने अस्पृश्यता (छुआछूत) को समाप्त करने पर बल दिया। अनेक दलित नेताओं ने अछतों को शिक्षा संस्थानों में आरक्षण दिए जाने की माँग की और अलग निर्वाचन क्षेत्रों की बात कही। डॉ. अम्बेडकर ने 1930 में 'दलित वर्ग एसोसिएशन' की स्थापना की। जब ब्रिटिश सरकार ने दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की माँग मान ली, तो गांधीजी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। अन्त में 1932 में गांधीजी तथा डॉ. अम्बेडकर के बीच 'पूना पैक्ट' हो गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन में कुछ मुस्लिम राजनीतिक संगठनों ने भी विशेष उत्साह नहीं दिखाया।
→ सामूहिक अपनेपन का भाव तथा भारतमाता की छवि-
→ स्वतन्त्रता का साझा संघर्ष-अंग्रेज सरकार के विरुद्ध बढ़ता गुस्सा भारतीय समूहों तथा वर्गों के लिए | स्वतन्त्रता का साझा संघर्ष बनता जा रहा था।