These comprehensive RBSE Class 10 Social Science Notes Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन will give a brief overview of all the concepts.
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→ खनिज - भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आन्तरिक संरचना होती है।
→ खनिजों की उपलब्धता - सामान्य रूप से खनिज आग्नेय तथा कायान्तरित चट्टानों, खनिज दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व विदरों, अवसादी चट्टानों के खनिज संस्तरों, धरातलीय चट्टानों के विघटन होने, पहाड़ियों के आधार तथा घाटी तली के रेत में, महासागरीय जल में पाए जाते हैं।
→ लौह खनिज - लौह खनिज धात्विक खनिजों के कुल उत्पादन मूल्य के तीन-चौथाई भाग का योगदान करते हैं। | ये धातु शोधन उद्योगों के विकास को मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
→ लौह अयस्क - लौह अयस्क एक आधारभूत खनिज है तथा औद्योगिक विकास की रीढ़ है। मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है जिसमें 70 प्रतिशत लोहांश होता है।
→ मैंगनीज - मैंगनीज मुख्य रूप से इस्पात के विनिर्माण में प्रयोग किया जाता है। भारत में सबसे अधिक मैंगनीज उत्पादन उड़ीसा में होता है।
→ अलौह खनिज - भारत में अलौह खनिजों की संचित राशि व उत्पादन अधिक सन्तोषजनक नहीं है। अलौह खनिज धातु-शोधन, इंजीनियरिंग व विद्युत उद्योगों में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। . ताँबा-भारत में ताँबे के भण्डार न्यून हैं । इसका मुख्य रूप से बिजली के तार बनाने, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन उद्योगों में उपयोग किया जाता है।
→ बॉक्साइट - बॉक्साइट अयस्क में एल्यूमिनियम धातु मिलती है। हल्की, मजबूत तथा जंगरोधी होने के कारण यह बहुत उपयोगी है।
→ अभ्रक - अभ्रक एक ऐसा खनिज है जो कि प्लेटों अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है। अभ्रक पारदर्शी, काले, हरे, लाल, पीले अथवा भूरे रंग का हो सकता है।
→ चना-पत्थर - चूना-पत्थर कैल्शियम या कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से निर्मित चट्टानों में पाया जाता है। सीमेण्ट उद्योग का आधारभूत कच्चा माल चूना-पत्थर होता है।
→ खनिजों का संरक्षण - भूपर्पटी का एक प्रतिशत खनन योग्य निक्षेप की कुल राशि है। खनिज निर्माण की भूगर्भिक प्रक्रियाएँ इतनी धीमी हैं कि उनके वर्तमान उपभोग की दर की तुलना में उनके पुनर्भरण की दर बहुत कम है। इसी कारण खनिज संसाधन सीमित तथा अनवीकरण योग्य है। अतः धातुओं का पुनः चक्रण, रद्दी धातुओं का प्रयोग तथा अन्य प्रतिस्थापनों का उपयोग भविष्य में खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय हैं।
→ ऊर्जा संसाधन - ऊर्जा का उत्पादन ईंधन खनिजों, यथा--कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम तथा विद्युत से किया जाता है।
→ परम्परागत ऊर्जा के स्रोत, यथा
कोयला - भारत में कोयला का उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा उद्योगों और घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है।
→ पेट्रोलियम - पेट्रोलियम या खनिज तेल का उपयोग ताप व प्रकाश के लिए ईंधन, मशीनों को स्नेहक और अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है।
→ प्राकृतिक गैस - प्राकृतिक गैस एक महत्त्वपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा संसाधन है। इसे ऊर्जा के एक साधन के रूप में तथा पेट्रो-रसायन उद्योग के एक औद्योगिक कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है।
→ विद्युत - विद्युत मुख्य रूप से दो प्रकार से उत्पन्न की जाती है-
→ गैर-परम्परागत ऊर्जा के साधन - सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ जनित ऊर्जा के उपयोग की देश में अधिक आवश्यकता है। ये ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधन कहलाते हैं।
→ परमाणु अथवा आणविक ऊर्जा-परमाणु अथवा आणविक ऊर्जा अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त की जाती है। यूरेनियम तथा थोरियम झारखण्ड, राजस्थान तथा केरल में पाए जाते हैं।
→ ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक सेक्टर कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता है।