These comprehensive RBSE Class 10 Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास will give a brief overview of all the concepts.
→ संसाधन पर्यावरण में उपलब्ध. वह प्रत्येक वस्तु जो कि मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है, जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है एवं जो आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, संसाधन कहलाती है।
→ संसाधनों के प्रकार-संसाधनों के प्रकारों का वर्गीकरण निम्न आधारों पर किया जा सकता है
(अ) उत्पत्ति के आधार पर
(ब) समाप्यता के आधार पर
(स) स्वामित्व के आधार पर
(द) विकास के स्तर के आधार पर
→ सतत पोषणीय विकास सतत पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे।
→ संसाधन नियोजन - संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए उनका नियोजन किया जाना चाहिए। इसके निम्नलिखित सोपान हैं
→ संसाधनों का संरक्षण संसाधनों के विवेकहीन उपभोग और अति उपयोग के कारण उत्पन्न सामाजिकआर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं से बचाव के लिए विभिन्न स्तरों पर संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है।
→ भूमि संसाधन-मनुष्य की समस्त प्रारम्भिक आवश्यकताओं का आधार भूमि संसाधन है। भूमि जिस पर हम रहते हैं तथा इसी पर अनेकों आर्थिक क्रियाकलाप करते हैं और विभिन्न रूपों में इसका उपयोग करते हैं। अतः भूमि एक अति महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है।
→ भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्व भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्वों में भौतिक कारक यथा भू-आकृति, जलवायु और मृदा के प्रकार तथा मानवीय कारक यथा जनसंख्या घनत्व, प्रौद्योगिक क्षमता, संस्कृति और परम्पराएँ आदि शामिल हैं।
→ भूमि निम्नीकरण मानवीय कार्यकलापों के कारण भूमि की गुणवत्ता का कम हो जाना भूमि निम्नीकरण कहा जाता है। एक लम्बे समय तक निरन्तर भूमि संरक्षण एवं प्रबन्ध की अवहेलना तथा निरन्तर भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है जो एक गम्भीर समस्या है।
→ मृदा संसाधन - मिट्टी अथवा मृदा सबसे महत्वपूर्ण नवीकरण योग्य प्राकृतिक संसाधन है।
→ मृदाओं का वर्गीकरण - भारत में उच्चावच, भू-आकृतियाँ, जलवायु व वनस्पति की विविधता के कारण अनेक प्रकार की मृदाओं का विकास हुआ है। यथा
→ मृदा अपरदन - मृदा के कटाव व बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है । मृदा अपरदन मृदा की सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या है। इससे मृदा की उर्वर-शक्ति का निरन्तर ह्रास होता है।
→ मदा के संरक्षण हेतु उपाय मृदा के संरक्षण हेतु कई उपाय किये जा सकते हैं। इनमें समोच्च रेखीय जुताई, पट्टीनुमा कृषि, सीढ़ीदार कृषि आदि प्रमुख हैं।