These comprehensive RBSE Class 10 Social Science Notes Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता will give a brief overview of all the concepts.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 10. Students can also read RBSE Class 10 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 10 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. The class 10 economics chapter 2 intext questions are curated with the aim of boosting confidence among students.
→ सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति
सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बडे हो जाते हैं, जैसे—गरीब और अमीर का अन्तर तथा गरीब का अन्याय का शिकार होना। उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के बीच क्रमशः गरीब और अमीर का भेदभाव होने से दोनों समुदायों के बीच भारी मारकाट चलती है, जबकि नीदरलैंड में गरीब-अमीर का ऐसा भेद नहीं है। इसलिए वहाँ ऐसी मारकाट नहीं है।
→ सामाजिक विभाजनों की राजनीति
→ तीन आयाम - सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम तीन चीजों पर निर्भर करता है
(1) लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना-अगर लोग खुद को सबसे विशिष्ट और अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन अगर लोग अपनी बहु-स्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा मानते हैं तब कोई समस्या नहीं होती। भारत में अधिकतर लोग अपनी पहचान को लेकर ऐसा ही नजरिया रखते हुए अपने को पहले भारतीय मानते हैं और किसी प्रदेश, क्षेत्र, भाषा समूह या धार्मिक सामाजिक समुदाय का सदस्य बाद में।
(2) किसी समुदाय की माँगों को राजनीतिक दल कैसे उठा रहे हैं - संविधान के दायरे में आने वाली तथा दूसरे समुदाय को हानि न पहुँचाने वाली माँगों को मान लेना आसान होता है। लेकिन संविधान की सीमा से बाहर और दूसरे समुदाय को हानि पहुँचाने वाली माँगों का पूरा करना असंभव होता है।
(3) सरकार का रुख--सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है। यदि शासन सत्ता में साझेदारी तथा अल्पसंख्यकों की उचित माँगों को ईमानदारी से पूरा करने के प्रयास किये जाएँ तो सामाजिक विभाजन देश के लिए। खतरा नहीं बनते। ऐसी माँगों को यदि राष्ट्रीय हित के नाम पर दबाया जायेगा तो यह रुख विभाजन की ओर ले जायेगा।
अतः लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है। इसे छोटे सामाजिक समूह, हाशियायी जरूरतों और परेशानियों को जाहिर करके अपनी ओर सरकार का ध्यान खींचते हैं। राजनीति में विभिन्न तरह के सामाजिक विभाजनों की अभिव्यक्ति ऐसे विभाजनों के बीच संतुलन पैदा करने का काम भी करती है। इससे लोकतंत्र मजबूत होता है। अतः लोकतंत्र सारी सामाजिक विभिन्नताओं, अंतरों और असमानताओं के बीच सामंजस्य बैठाकर उनका सर्वमान्य समाधान देने की कोशिश करता है। जो लोग खुद को वंचित, उपेक्षित और भेदभाव का शिकार मानते हैं, उन्हें अन्याय से संघर्ष भी करना होता है। ऐसी लड़ाई प्रायः लोकतांत्रिक रास्ता ही अख्तियार करती है। कई बार गैर-बराबरी और अन्याय के खिलाफ होने वाला संघर्ष हिंसा का रास्ता भी अपना लेता है, लेकिन ऐसी सभी गड़बड़ियों की पहचान करने और विविधता को समाहित | करने का लोकतांत्रिक रास्ता ही सबसे अच्छा है।