These comprehensive RBSE Class 10 Social Science Notes Civics Chapter 2 संघवाद will give a brief overview of all the concepts.
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→ संघवाद क्या है?
आधुनिक लोकतंत्रों में सत्ता की साझेदारी का एक आम रूप है - शासन के विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता का ऊर्ध्वाधर बँटवारा। इसे आमतौर पर संघवाद कहा जाता है। आमतौर पर संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। इसमें एक सरकार पूरे देश के लिए होती है जिसके जिम्मे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय होते हैं और दूसरी सरकार, राज्य या प्रांतों के स्तर की सरकारें होती हैं जिनके जिम्मे स्थानीय महत्त्व के विषय होते हैं । सत्ता के इन दोनों स्तरों की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतंत्र होकर काम करती हैं।
→ संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ
→ संघीय व्यवस्था का गठन - संघीय व्यवस्था के गठन और कामकाज के लिए दो चीजें आवश्यक हैं
(1) केन्द्र और प्रान्तों के समान अधिकार - जहाँ अलग-अलग स्वतंत्र राज्य मिलकर एक संघीय सरकार का गठन करते हैं, वहाँ प्रायः प्रान्तों को समान अधिकार प्राप्त होते हैं तथा वे केन्द्र की तुलना में ज्यादा शक्ति लिए होते हैं । संयुक्त राज्य अमरीका, स्विट्जरलैण्ड, आस्ट्रेलिया में ऐसी ही संघीय व्यवस्था है।
(2) केन्द्र के प्रान्तों से अधिक अधिकार - जहाँ एक बड़ा देश अपनी आंतरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन करता है और फिर राज्य सरकार और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा किया जाता है। ऐसी संघीय व्यवस्था में राज्यों की तुलना में केन्द्र सरकार अधिक ताकतवर होती है।
→ भारत में संघीय व्यवस्था-
→ संघीय व्यवस्था का क्रियान्वयन
भारत में संघीय व्यवस्था की सफलता का मुख्य श्रेय यहाँ की लोकतांत्रिक राजनीति के चरित्र को है। भाषायी राज्यों का गठन, भाषायी नीति तथा केन्द्र-राज्य सम्बन्धों में लगातार आए बदलाव ने संघीय व्यवस्था को मजबूत बनाया है। यथा
→ भाषायी राज्य - 1950 के दशक में देश में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ।
इसके बाद कुछ राज्यों का गठन भाषा के आधार पर नहीं बल्कि संस्कृति, भूगोल अथवा जातीयताओं की विभिन्नताओं को रेखांकित करने व उन्हें आदर देने के लिए किया गया। जैसे-नागालैण्ड, उत्तराखण्ड, झारखण्ड आदि ।
भाषावार राज्य बनाने से देश अधिक एकीकृत तथा मजबूत हुआ तथा प्रशासन सुविधाजनक हो गया।
→ भाषायी नीति - संविधान में किसी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया। हिन्दी को राजभाषा बनाया गया | तथा अन्य भाषाओं को भी अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया। राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं । राजभाषा के रूप में अंग्रेजी के प्रयोग को भी जारी रखा गया है। राजभाषा के रूप में हिन्दी को बढ़ावा देने की केन्द्र सरकार की नीति बनी हुई है लेकिन किसी राज्य पर हिन्दी को थोपा नहीं जायेगा।
→ केन्द्र-राज्य सम्बन्ध-केन्द्र-राज्य सम्बन्धों में लगातार बदलाव आया है, लेकिन इससे संघवाद मजबूत हुआ है। इस सम्बन्ध में हम एक दलीय प्रभुत्व की व्यवस्था से प्रारंभ करके बहुदलीय व्यवस्था की तरफ बढ़े हैं। 1990 के बाद से देश में अनेक राज्यों में क्षेत्रीय दलों के उदय से केन्द्र और राज्यों में 'गठबंधन सरकारों का दौर वर्तमान में जारी है। इससे सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी। इसे सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने बल दिया कि केन्द्र सरकार मनमाने ढंग से राज्य सरकारों को भंग नहीं कर सकती।
→ भारत में भाषायी विविधता - भारत में 1300 से ज्यादा भाषाएँ हैं। इन्हें कुछ प्रमुख भाषाओं के साथ समूहबद्ध किये जाने के बावजूद जनगणना में 121 प्रमुख भाषाएँ पायी गयी हैं। इनमें 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में रखा गया है। इसमें सबसे बड़ी भाषा हिंदी भी सिर्फ 44% लोगों की ही मातृभाषा है। समूहबद्ध करने के बावजूद 2011 में यह संख्या 50 प्रतिशत से कम ही थी।
→ भारत में विकेन्द्रीकरण - भारत में संघीय सत्ता की साझेदारी तीन स्तरों पर की गई है
→ जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो | इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं । अनेक मुद्दों और समस्याओं का निपटारा स्थानीय स्तर पर अधिक बढ़िया ढंग से हो सकता है। इससे स्थानीय स्तर पर लोग सीधे फैसलों में भागीदार भी बनते हैं।