Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में से कौनसी लुप्त जाति है-
(अ) एशियाई चीता
(ब) निकोबारी कबूतर
(स) एशियाई हाथी
(द) काला हिरण
उत्तर:
(अ) एशियाई चीता
प्रश्न 2.
भारत के जिस राज्य में स्थायी वनों के अन्तर्गत सबसे अधिक क्षेत्र है, वह है-
(अ) पंजाब
(ब) अरुणाचल प्रदेश
(स) मध्य प्रदेश
(द) गुजरात
उत्तर:
(स) मध्य प्रदेश
प्रश्न 3.
चिपको आन्दोलन का सम्बन्ध किस क्षेत्र से है-
(अ) हिमालय क्षेत्र
(ब) प्रायद्वीपीय क्षेत्र
(स) मरुस्थलीय क्षेत्र
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) हिमालय क्षेत्र
प्रश्न 4.
सरिस्का बाघ रिजर्व किस राज्य में स्थित है?
(अ) उत्तर प्रदेश
(ब) पंजाब
(स) राजस्थान
(द) हरियाणा
उत्तर:
(स) राजस्थान
प्रश्न 5.
बक्सा टाइगर रिजर्व भारत के जिस राज्य में है, उसका नाम है-
(अ) पश्चिमी बंगाल
(ब) उड़ीसा
(स) उत्तराखण्ड
(द) राजस्थान
उत्तर:
(अ) पश्चिमी बंगाल
प्रश्न 6.
निम्न में से स्थानिक जाति का उदाहरण है-
(अ) गंगा नदी की डॉल्फिन
(ब) निकोबारी कबूतर
(स) एशियाई चीता
(द) कृन्तक (रोडेंट्स)
उत्तर:
(ब) निकोबारी कबूतर
प्रश्न 7.
वनों से हमें क्या प्राप्तः होता है?
(अ) लकड़ी
(ब) भोजन
(स) दवाइयाँ
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8.
हिमालयन यव किस प्रकार का वृक्ष है?
(अ) इमारती लकड़ी देने वाला
(ब) ईंधन की लकडी देने वाला
(स) औषधीय
(द) भोजन प्रदान करने वाला
उत्तर:
(स) औषधीय
प्रश्न 9.
केरल में स्थित बाघ रिजर्व कौनसा है?
(अ) बक्सा टाइगर रिजर्व
(ब) पेरियार बाघ रिजर्व
(स) मानस बाघ रिजर्व
(द) वॉरबेट राष्ट्रीय उद्यान
उत्तर:
(ब) पेरियार बाघ रिजर्व
प्रश्न 10.
भारत में प्रोजेक्ट टाईगर कब शुरू किया गया?
(अ) 1947 में
(ब) 1952 में
(स) 1973 में
(द) 1986 में
उत्तर:
(स) 1973 में
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. भारत में विश्व की सारी जैव उपजातियों की ........... संख्या पाई जाती है।
2. शेर-पूंछ वाला बन्दर एक ....... जाति है।
3. ........... के एकल रोपण से दक्षिण भारत में अन्य प्राकृतिक वन बर्बाद हो गए।
4. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान .......... राज्य में स्थित है।
5. ......... में ओडिशा राज्य ने संयुक्त वन प्रबंधन का पहला प्रस्ताव पास किया।
उत्तरमाला:
1. 8 प्रतिशत
2. संकटग्रस्त
3. सागवान
4. मध्यप्रदेश
5. 1988
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव और दूसरे जीवधारी मिलकर एक जटिल तंत्र का निर्माण करते हैं, जिसे पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं।
प्रश्न 2.
संकटग्रस्त वन्य जीव प्रजातियों के दो नाम बताइये।
अथवा
किन्हीं दो संकटग्रस्त जातियों के नाम बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 3.
किन्हीं दो लुप्त जातियों के नाम बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 4.
भूमि पर रहने वाले विश्व के सबसे तेज स्तनधारी प्राणी का नाम बताइये।
उत्तर:
चीता।
प्रश्न 5.
उस वृक्ष का नाम बताइये जिसके रसायन का उपयोग कैन्सर की औषधि बनाने में किया जाता है।
उत्तर:
हिमालयन यव।
प्रश्न 6.
विश्व के दो-तिहाई बाघों को आवास उपलब्ध करवाने वाले देशों के नाम बताइये।
उत्तर:
भारत और नेपाल।
प्रश्न 7.
विश्व की बेहतरीन वन्य जीव परियोजनाओं में से एक परियोजना का नाम बताइये।
उत्तर:
प्रोजेक्ट टाइगर।
प्रश्न 8.
सरिस्का बाघ रिजर्व कहाँ है?
उत्तर:
सरिस्का बाघ रिजर्व राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है।
प्रश्न 9.
मैंग्रोव वन कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
मैंग्रोव वन समुद्र तट के सहारे तथा डेल्टाई भागों में पाये जाते हैं।
प्रश्न 10.
भारत के उस राज्य का नाम बताइये जिसने सर्वप्रथम वन प्रबन्धन का प्रस्ताव पास किया।
उत्तर:
उड़ीसा।
प्रश्न 11.
जैव विविधता की दृष्टि से भारत धनी देश है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत जैव विविधता की दृष्टि से धनी देश है क्योंकि यहाँ लगभग 16 लाख जैव उपजातियाँ पाई जाती हैं।
प्रश्न 12.
भारत में वनस्पतिजात और स्तनधारियों की कौन-कौनसी उपजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं?
उत्तर:
भारत में चीता, गुलाबी सिर वाली बतख, पहाड़ी कोयल और जंगली चित्तीदार उल्लू और मधुका इनसिगनिस (जंगली महुआ), हुबरड़िया हेप्टान्यूरोन (घास की प्रजाति) आदि इनमें मुख्य हैं।
प्रश्न 13.
संकटग्रस्त जातियों से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वे जातियाँ जिनके लुप्त होने का खतरा है तथा जिनका जीवित रहना कठिन हो रहा है, संकटग्रस्त जातियाँ कहलाती हैं।
प्रश्न 14.
भारत में उपनिवेश काल में वनों के ह्रास के कारण बताइये।
उत्तर:
भारत में उपनिवेश काल में रेल लाइनों के विस्तार, कृषि, व्यवसाय, वाणिज्य, वानिकी और खनन क्रियाओं में वृद्धि के कारण वनों का ह्रास हुआ है।
प्रश्न 15.
हिमालयन यव किस प्रकार का पौधा है? यह कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
हिमालयन यव एक सदाबहार औषधीय वृक्ष है जो कि हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में पाया जाता है।
प्रश्न 16.
भारत में जैव विविधता को कम करने वाले दो कारक बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 17.
वनों की कटाई के दो अप्रत्यक्ष परिणाम बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 18.
भारतीय वन्य जीवन (रक्षण) अधिनियम कब लागू किया गया?
उत्तर:
भारतीय वन्य जीवन (रक्षण) अधिनियम सन् 1972 में लागू किया।
प्रश्न 19.
भारत में किन्हीं दो बाघ आरक्षित परियोजनाओं के नाम बताइये।
उत्तर:
भारत में बाघ आरक्षित दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं-
प्रश्न 20.
भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों में वन क्षेत्रों के उच्च प्रतिशत होने के दो कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 21.
नीलगिरी आरक्षित क्षेत्र किन राज्यों में स्थित है?
उत्तर:
नीलगिरी आरक्षित क्षेत्र कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल राज्यों में स्थित है।
प्रश्न 22.
भारत में दो बाघ आरक्षित क्षेत्रों के नाम बताइये जिनमें से एक उत्तरी-पूर्वी भारत तथा दूसरा दक्षिणी भारत से सम्बन्धित हो।
उत्तर:
प्रश्न 23.
चिपको आन्दोलन का महत्त्व बताइये।
उत्तर:
हिमालय प्रदेश में वनों की कटाई रोकना तथा सामुदायिक वनीकरण करना आदि कार्य चिपको आन्दोलन के अन्तर्गत शामिल किए गये हैं।
प्रश्न 24.
राजस्थान में बिश्नोई जाति के गाँवों के आस-पास दिखलाई देने वाले वन्य प्राणियों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में बिश्नोई जाति के गाँवों के आस-पास काले हिरण, चिंकारा, नीलगाय और मोरों के झुण्ड आसानी से देखे जा सकते हैं।
प्रश्न 25.
भारत के उन राज्यों के नाम बताइये जिनमें कुल वनों के अन्तर्गत आरक्षित वनों का एक बड़ा अनुपात पाया जाता है।
उत्तर:
मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, आन्ध्रप्रदेश, उत्तराखण्ड, केरल, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल और महाराष्ट्र।
प्रश्न 26.
अवर्गीकृत वन से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
आरक्षित एवं रक्षित वनों के अलावा अन्य सभी प्रकार के वन और बंजर भूमि अवर्गीकृत वन कहलाते हैं।
प्रश्न 27.
संयुक्त वन प्रबन्धन क्या है?
उत्तर:
वन विभाग के अन्तर्गत संयुक्त वन प्रबन्धन क्षरित वनों के बचाव के लिए कार्य करता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)
प्रश्न 1.
वनों एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्रश्न 2.
भारत में जैव विविधता को कम करने वाले चार कारकों को लिखिए।
उत्तर:
भारत में जैव विविधता को कम करने वाले चार कारक निम्न प्रकार हैं-
प्रश्न 3.
वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं । स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
मानव, दूसरे जीवधारी तथा पेड़-पौधे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। वायु, जल, अनाज के बिना व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता तथा पौधे, पशु और सूक्ष्मजीवी इनका पुनः सजन करते हैं। वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं क्योंकि ये प्राथमिक उत्पादक हैं जिन पर दूसरे सभी जीव निर्भर करते हैं।
प्रश्न 4.
वन्य प्राणियों की संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने हेतु दो सझाव दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
एशियाई चीते की संक्षिप्त जानकारी दीजिये। यह विलुप्त क्यों हो गया है?
उत्तर:
एशियाई चीता स्थल पर रहने वाला विश्व का सबसे तेज स्तनधारी प्राणी है। यह बिल्ली परिवार का एक अजूबा और विशिष्ट सदस्य है जो कि 112 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से दौड़ सकता है। इनके आवासीय क्षेत्र और शिकार की उपलब्धता कम होने के कारण ये लगभग लुप्त हो चुके हैं।
प्रश्न 6.
भारत में प्रोजेक्ट टाइगर' को शुरू करने के दो उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
भारत में प्रोजेक्ट टाइगर को शुरू करने के दो प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे-
प्रश्न 7.
संकटग्रस्त एवं लुप्त जातियों में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
संकटग्रस्त एवं लुप्त जातियों में अन्तर
प्रश्न 8.
भारत में संवर्द्धन वृक्षारोपण के प्रभाव बतलाइये।
उत्तर:
भारत में संवर्द्धन वृक्षारोपण के प्रभाव-पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार भारत के अनेक क्षेत्रों में संवर्द्धन वृक्षारोपण से पेड़ों की दूसरी जातियाँ खत्म हो गईं। यथा सागवान के एकल रोपण से दक्षिण भारत में अन्य प्राकृतिक वन नष्ट हो गये और हिमालय में चीड़ पाईन के रोपण से हिमालयन ओक तथा रोडोडेंड्रोन वनों का नुकसान हुआ।
प्रश्न 9.
भारत में हिमालयन यव प्रजाति कहाँ पाई जाती है? इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
हिमालयन यव भारत में हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में पाया जाता है। हिमालयन यव पेड़ की छाल, पत्तियों, टहनियों और जड़ों से टकसोल नामक रसायन निकाला जाता है तथा इसको कुछ कैंसर रोगों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे बनाई गई औषधि विश्व में सबसे अधिक बिकने वाली कैंसर औषधि है।
प्रश्न 10.
“भारत के प्राकृतिक वनों की स्थिति चिन्ताजनक है।" स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक वनों की स्थिति चिन्ताजनक है क्योंकि इन्हें बहुत तीव्र गति से सफाया किया जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में वन आवरण के अंतर्गत अनुमानित 79.42 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल है। यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.16 प्रतिशत हिस्सा है। स्टेट ऑफ फोरेस्ट रिपोर्ट (2015) के अनुसार वर्ष 2013 से सघन वनों के क्षेत्र में 3,775 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है। परंतु वन क्षेत्र में यह वृद्धि वन संरक्षण उपायों, प्रबंधन की भागीदारी तथा वृक्षारोपण से हुई है।
प्रश्न 11.
भारत में चिपको आन्दोलन तथा बीज बचाओ आन्दोलन का महत्त्व स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत में चिपको आन्दोलन ने अनेक क्षेत्रों में वन कटाई रोकी एवं स्थानीय पौधों की जातियों को प्रयोग करके सामुदायिक वनीकरण अभियान को सफल बनाया। टिहरी में किसानों के बीज बचाओ आन्दोलन ने दिखा दिया है कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना भी विविध फसल उत्पादन द्वारा आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन संभव है।
प्रश्न 12.
संयुक्त वन प्रबंधन पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
वन विभाग के अन्तर्गत 'संयुक्त वन प्रबंधन' क्षरित वनों के बचाव के लिए कार्य करता है और इसमें गाव के स्तर पर संस्थाएँ बनाई जाती हैं जिसमें ग्रामीण और वन विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं। इसके बदले में ये गैर-इमारती वन उत्पादों के हकदार होते हैं तथा सफल संरक्षण से प्राप्त इमारती लकड़ी में भी भागीदार होते हैं।
प्रश्न 13.
वनों से प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होने वाले चार संसाधन लिखिए।
उत्तर:
वनों से प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होने वाले चार संसाधन निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 14.
भारत की प्रमुख बाघ संरक्षण परियोजनाओं एवं सम्बन्धित राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत की प्रमुख बाघ संरक्षण परियोजनाएँ एवं सम्बन्धित राज्य निम्न प्रकार हैं-
प्रश्न 15.
भारत में बाघों की घटती संख्या के मुख्य कारण दीजिए।
उत्तर:
भारत में बाघों की घटती संख्या के मुख्य कारण निम्न हैं-
प्रश्न 16.
स्थायी वन क्षेत्र क्या हैं? समझाइए।
उत्तर:
स्थायी वन क्षेत्र वे हैं जिन्हें सरकार ने आरक्षित वन तथा रक्षित वन में बाँट रखा है। दूसरे शब्दों में, आरक्षित तथा रक्षित वन क्षेत्रों को स्थायी वन क्षेत्र कहा जाता है। ये ऐसे वन क्षेत्र होते हैं जिनका रखरखाव इमारती लकड़ी, अन्य वन पदार्थों तथा उनके बचाव के लिए किया जाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)
प्रश्न 1.
वर्तमान समय में भारत की जैव विविधता खतरे में है। उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
पर्यावरणविदों द्वारा लगाये गये अनुमानों से ज्ञात होता है कि भारत में कम से कम 10 प्रतिशत जंगली पेड़-पौधे तथा 20 प्रतिशत स्तनधारी खतरे में हैं। इनमें से अनेक प्रजातियों को वर्तमान में संकटापन्न प्रजातियों की श्रेणी में रखा जा सकता है, जो बिल्कुल लुप्त होने के कगार पर हैं। इनमें चीता, गुलाबी सिर वाली बतख, पहाड़ी कोयल, जंगली चित्तीदार उल्लू शामिल हैं। चीता को 1952 में लुप्त घोषित कर दिया गया। पौधों की भी अनेक प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, जैसे-मधुका इनसिगनिस (महुआ की जंगली किस्म) और हुबरडिया हेप्टान्यूरोन (घास की प्रजाति) आदि। अनेक प्रजातियाँ तो पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं। आज हमारा ध्यान अधिक बड़े और दिखाई देने वाले प्राणियों और पौधे के लुप्त होने पर अधिक केंद्रित है परंतु छोटे प्राणी जैसे कीट और पौधे भी महत्वपूर्ण होते हैं। वास्तव में कोई भी नहीं बता सकता कि अब तक कितनी प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं।
प्रश्न 2.
भारत में बाघों का संरक्षण किस कारण आवश्यक है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वन्य जीवन संरचना में बाघ एक महत्त्वपूर्ण जंगली जाति है। सन् 1973 में ज्ञात हुआ कि देश में 20वीं शताब्दी के आरंभ में बाघों की संख्या अनुमानित संख्या 55,000 से घटकर केवल 1827 रह गई। बाघों को मारकर उनको व्यापार के लिए चोरी करना, उनके आवासीय स्थलों का सिकुड़ना, भोजन के लिए आवश्यक जंगली उपजातियों की संख्या कम होना और जनसंख्या में वृद्धि बाघों की घटती संख्या के मुख्य कारण हैं । बाघों की खाल का व्यापार और उनकी हड्डियों का एशियाई देशों में परम्परागत औषधियों में प्रयोग के कारण यह जाति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गई है। अतः भारत में बाघों का संरक्षण वर्तमान समय की आवश्यकता है। एक बहुत बड़े आकार की जैवजाति को बचाने हेतु भी बाघ संरक्षण आवश्यक है।
प्रश्न 3.
भारत में संचालित की जा रही बाघ परियोजना की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
उत्तर:
भारत में संचालित की जा रही बाघ परियोजना अर्थात् प्रोजेक्ट टाइगर विश्व की बेहतरीन वन्य जीव परियोजनाओं में से एक है। प्रोजेक्ट टाइगर, को 1973 में प्रारम्भ किया गया। बाघ संरक्षण केवल मात्र एक संकटग्रस्त जाति को बचाने का प्रयास नहीं है अपितु इसका उद्देश्य बहुत बड़े आकार में जैव जाति को भी बचाना है। भारत में मुख्य बाघ संरक्षण परियोजनाओं में उत्तराखण्ड में कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिमी बंगाल में सुन्दरबन राष्ट्रीय उद्यान, मध्यप्रदेश में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान में सरिस्का वन्यजीव पशु विहार, असम में मानस बाघ रिजर्व तथा केरल में पेरियार बाघ रिजर्व आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 4.
वनों के अत्यधिक उपयोग से पारिस्थितिक तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस समस्या को किस प्रकार सुलझाया जा सकता है?
उत्तर:
वनों के अत्यधिक उपयोग से पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव वनों के अत्यधिक उपयोग से पारिस्थितिक तंत्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। वनों की अत्यधिक कटाई के फलस्वरूप मिट्टी के क्षरण में वृद्धि होती है और जल का प्रवाह भी अबाध होता है। इसके अलावा वनों के विनाश से वन्य जीव तथा वन्य पौधों की अनेक प्रजातियाँ भी विलुप्त हो जाती हैं। इससे वनस्पति का मूल रूप नष्ट हो जाता है।
समस्या के निवारण के उपाय- इस समस्या के निवारण के लिए यदि इमारती लकड़ी का स्थानापन्न ढूँढ़ लिया जाये तो वनों पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सकता है। सामाजिक वानिकी, कृषि वानिकी से ग्रामीण समुदायों के लिए चारे तथा ईंधन की आपूर्ति को सुलभ बनाया जा सकता है।
प्रश्न 5.
जैव संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से कैसे जुड़ा हुआ है? समझाइए।
उत्तर:
अतः कहा जा सकता है कि जैविक संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से सम्बन्धित है।
प्रश्न 6.
"वन एवं वन्य जीवों के ह्रास से वनों पर आश्रित समुदायों की महिलाओं की स्थिति अधिक प्रभावित हुई है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वनों पर आश्रित अधिकांश समुदायों में भोजन, पानी, चारा एवं अन्य आवश्यकताओं की वस्तुओं को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। ऐसे समुदायों की महिलाएँ वन एवं वन्य-जीवों के ह्रास से अत्यधिक प्रभावित हुई हैं। यह निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट है-
प्रश्न 7.
वनों को संरक्षित करने के लिए उपाय बताइए।
उत्तर:
वन संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-
प्रश्न 8.
भारत के विभिन्न राज्यों की आरक्षित वन, रक्षित वन तथा अवर्गीकृत वनों के आधार पर स्थिति बताइए।
अथवा
स्थायी वन क्षेत्र क्या हैं? भारत के राज्यों में वनों की स्थिति दर्शाइए।
उत्तर:
स्थायी वन क्षेत्र- आरक्षित और रक्षित वन स्थायी वन क्षेत्र होते हैं। ये वे वन क्षेत्र होते हैं जिनका रखरखाव इमारती लकड़ी, अन्य वन पदार्थों और उनके बचाव के लिए किया जाता है। मध्य प्रदेश में स्थायी वनों के अन्तर्गत सर्वाधिक क्षेत्र है जो कि प्रदेश के कुल वन क्षेत्र का भी 75 प्रतिशत है।
जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, उत्तराखण्ड, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कुल वनों में एक बड़ा अनुपात आरक्षित वनों का है।
बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा और राजस्थान में कुल वनों में रक्षित वनों का एक बड़ा अनुपात है।
पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में और गुजरात में अधिकतर वन क्षेत्र अवर्गीकृत वन हैं तथा स्थानीय समुदायों के प्रबंधन में हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ के अनुसार पौधे एवं प्राणियों की जातियों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर:
पौधों और जातियों का वर्गीकरण
अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ के अनुसार पौधे और प्राणियों की जातियों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
(1) सामान्य जातियाँ वे जातियाँ जिनकी संख्या जीवित रहने के लिए सामान्य मानी जाती है, सामान्य जातियाँ कहलाती हैं। यथा पशु, साल, चीड़ और कृन्तक (रोडेंट्स) आदि।
(2) संकटग्रस्त जातियाँ-वे जातियाँ जिनके लुप्त होने का खतरा है, संकटग्रस्त जातियाँ कहलाती हैं। जिन विषम परिस्थितियों के कारण इनकी संख्या में कमी हो रही है, यदि वे परिस्थितियाँ अभी भी जारी रहती हैं तो इन जातियों का जीवित रहना कठिन है। यथा काला हिरण, मगरमच्छ, भारतीय जंगली गधा, गैंडा, शेर-पूंछ वाला बन्दर, संगाई अर्थात् मणिपुरी हिरण इत्यादि।
(3) सुभेद्य जातियाँ- वे जातियाँ जिनकी संख्या घट रही है, सुभेद्य जातियाँ कहलाती हैं। यदि इनकी संख्या पर विपरीत प्रभाव डालने वाली परिस्थितियाँ नहीं बदली जातीं और इनकी संख्या घटती रहती है तो यह संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में शामिल हो जायेंगी। यथा-नीली भेड़, एशियाई हाथी, गंगा नदी की डॉल्फिन आदि। .
(4) दुर्लभ जातियाँ- इन जातियों की संख्या बहुत कम है और यदि इनको प्रभावित करने वाली विषम परिस्थितियाँ परिवर्तित नहीं होती हैं तो ये संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में आ जायेंगी।
(5) स्थानिक जातियाँ- ये विशेष क्षेत्रों में पाई जाने वाली स्थानीय जातियाँ होती हैं। अण्डमानी टील (teal), निकोबारी कबूतर, अण्डमानी जंगली सूअर और अरुणाचल के मिथुन इन जातियों के उदाहरण हैं।
(6) लुप्त जातियाँ- वे जातियाँ जो स्थानीय क्षेत्र, प्रदेश, देश, महाद्वीप या सम्पूर्ण पृथ्वी से ही लुप्त हो गई हैं, लुप्त जातियों के नाम से जानी जाती हैं। यथा एशियाई चीता और गुलाबी सिर वाली बतख आदि।
प्रश्न 2.
भारत में वनों के प्रकार एवं उनके क्षेत्र बताइये।
उत्तर:
भारत में वनों के प्रकार भारत में अधिकतर वन और वन्य जीवन या तो प्रत्यक्ष रूप से सरकार के अधिकार क्षेत्र में है या वन विभाग अथवा अन्य विभागों के माध्यम से सरकार के प्रबन्धन में है। प्रशासनिक आधार पर भारत में वनों को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा गया है-
(1) आरक्षित वन- ये वे वन हैं जो इमारती लकड़ी या वन उत्पादों को प्राप्त करने के लिए पूर्णतः सुरक्षित कर लिए गए हैं। इन वनों में पशुओं को चराने या खेती करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
भारत के कुल वन क्षेत्र के आधे से अधिक वन क्षेत्र आरक्षित वन घोषित किये गये हैं। आरक्षित वनों को सर्वाधिक मूल्यवान माना जाता है। मध्य प्रदेश में स्थायी वनों के अन्तर्गत सर्वाधिक क्षेत्र है जो कि प्रदेश के कुल वन क्षेत्र का 75 प्रतिशत है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, उत्तराखण्ड, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी कुल वनों में एक बड़ा अनुपात आरक्षित वनों का है।
(2) रक्षित वन- वन विभाग के अनुसार देश के कुल वन क्षेत्र का लगभग एक-तिहाई हिस्सा रक्षित वनों का है। इन वनों को और अधिक नष्ट होने से बचाने के लिए इनकी सुरक्षा की जाती है। इनका रख-रखाव इमारती लकड़ी और अन्य पदार्थों और उनके बचाव के लिए किया जाता है। इन वनों में पशुओं को चराने व खेती करने की अनुमति कुछ विशिष्ट प्रतिबन्धों के साथ प्रदान की जाती है। बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में कुल वनों में रक्षित वनों का एक बड़ा अनुपात है।
(3) अवर्गीकत वन- देश में अन्य सभी प्रकार के वन और बंजर भूमि जो कि सरकार. व्यक्तियों और समदायों के स्वामित्व में होते हैं, अवर्गीकृत वन कहलाते हैं। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में और गुजरात में अधिकतर वन क्षेत्र अवर्गीकृत वन हैं तथा स्थानीय समुदायों के प्रबंधन में हैं।
प्रश्न 3.
भारत में वन और वन्य जीवन संरक्षण पर भौगोलिक निबंध लिखिये।
अथवा
वन और वन्य जीवन संरक्षण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का वर्णन कीजिए। उत्तर भारत में वन और वन्य जीव संरक्षण हेतु सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाये हैं-
(1) भारतीय वन्य जीवन ( रक्षण) अधिनियम 1972-भारत में 1960 और 1970 के दशकों के दौरान पर्यावरण संरक्षकों की मांग पर भारतीय वन्य जीवन (रक्षण) अधिनियम, 1972 में लागू किया गया जिसमें वन्य जीवों के आवास रक्षण के अनेक प्रावधान किये गये। सम्पूर्ण भारत में रक्षित जातियों की सूची भी प्रकाशित की गई है। इस कार्यक्रम के तहत शेष बची हुई संकटग्रस्त जातियों के बचाव, शिकार प्रतिबंधन, वन्य जीव आवासों के कानूनी रक्षण तथा जंगली जीवों के व्यापार पर रोक लगाने आदि पर प्रबल जोर दिया गया है।
(2) राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव पशु विहार केन्द्रीय सरकार व अनेक राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव पशु विहार स्थापित किए।
(3) विशेष प्राणियों की सुरक्षा के लिए विशेष परियोजनाएँ-केन्द्रीय सरकार ने अनेक परियोजनाओं की भी घोषणा की, जिनका उद्देश्य गंभीर खतरे में पड़े कुछ विशेष वन प्राणियों को रक्षण प्रदान करना था। इन प्राणियों में बाघ, एक सींग वाला गैंडा, कश्मीरी हिरण अथवा हंगुल, तीन प्रकार के मगरमच्छ यथा-स्वच्छ जल मगरमच्छ, लवणीय जल मगरमच्छ, घड़ियाल, एशियाई शेर और अन्य प्राणी शामिल हैं।
(4) बाघ परियोजना विश्व की बेहतरीन वन्य जीव परियोजनाओं में से एक बाघ परियोजना अथवा प्रोजेक्ट टाइगर है। देश में इसकी शुरुआत सन् 1973 में हुई। बाघ संरक्षण मात्र एक संकटग्रस्त जाति को बचाने का प्रयास नहीं है, अपितु इसका उद्देश्य बहुत बड़े आकार के जैवजाति को भी बचाना है। उत्तराखण्ड में कॉरबेट राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल में सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश में बाधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान में सरिस्का वन्य जीव पशुविहार (sanctuary), असम में मानस बाघ रिजर्व (reserve) और केरल में पेरियार बाघ रिजर्व (reserve) भारत में बाघ संरक्षण परियोजनाओं के उदाहरण हैं।
(5) वन्य जीव अधिनियम 1980 तथा 1986-वन्य जीव अधिनियम 1980 तथा 1986 में सैकड़ों तितलियाँ, पतंगों, भृगों तथा एक ड्रैगनफ्लाई को भी संरक्षित जातियों में शामिल किया गया। 1991 में पौधों की भी 6 जातियाँ पहली बार इस सूची में रखी गईं।
प्रश्न 4.
भारत में वन्य जीवन के ह्रास पर भौगोलिक निबंध लिखिये।
उत्तर:
भारत में वन और वन्य जीवन का ह्रास-भारत में वन और वन्य जीवन के ह्रास के उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं-
(1) औपनिवेशिक काल की क्रियाएँ- भारत में वनों को सबसे बड़ा नुकसान उपनिवेश काल में रेल लाइनों के विस्तार, कृषि, व्यवसाय, वाणिज्य, वानिकी और खनन क्रियाओं में वृद्धि के फलस्वरूप हुआ।
(2) कृषि का विस्तार- देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त वन संसाधनों के सिकुड़ने में कृषि का फैलाव महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक रहा है। वन सर्वेक्षण के अनुसार देश में 1951 और 1980 के मध्य लगभग 26,200 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र कृषि भूमि में परिवर्तित किया गया।
(3) स्थानांतरी (झम) खेती- अधिकतर जनजातीय क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर भारत एवं मध्य भारत में स्थानांतरी (झूम) खेती अथवा 'स्लैश और बर्न' खेती के कारण वनों की कटाई अथवा वन निम्नीकरण हुआ है।
(4) विकास परियोजनाएँ- देश में बड़ी विकास परियोजनाओं ने भी वनों को बहुत अधिक हानि पहुँचाई है। 1952 से नदी घाटी परियोजनाओं के कारण 5000 वर्ग किमी. से अधिक वन क्षेत्रों को साफ करना पड़ा है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। मध्यप्रदेश में 4,00,000 हैक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र नर्मदा सागर परियोजना के पूर्ण हो जाने पर जलमग्न हो जायेगा।
(5) खनन क्रियाएँ-देश में वनों के ह्रास में खनन ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। पश्चिमी बंगाल में बक्सा टाइगर रिजर्व डोलोमाइट के खनन के कारण गंभीर खतरे में है।
(6) पशुचारण और ईंधन की लकड़ी-अनेक वन अधिकारी और पर्यावरणविद् यह मानते हैं कि वन संसाधनों की बर्बादी में पशुचारण और ईंधन के लिए लकड़ी की कटाई मुख्य भूमिका निभाते हैं। यद्यपि इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है किन्तु चारे और ईंधन हेतु लकड़ी की आवश्यकता की पूर्ति मुख्य रूप से पेड़ों की टहनियाँ काटकर की जाती है न कि पूरे पेड़ काटकर।
प्रश्न 5.
भारत में वन और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सही नीति की आवश्यकता पर भौगोलिक निबंध लिखिये।
उत्तर:
भारत में वन और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सही नीति की आवश्यकता होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) जैव विविधता कम होना-भारत में जैव विविधता को कम करने वाले कारकों में वन्य जीव के आवास का विनाश, जंगली जानवरों को मारना व आखेटन, पर्यावरणीय प्रदूषण व विषाक्तिकरण तथा दावानल आदि शामिल हैं। पर्यावरण विनाश के अन्य मुख्य कारकों में संसाधनों का असमान बंटवारा व उनका असमान उपभोग और पर्यावरण के रख-रखाव की जिम्मेदारी में असमानता शामिल है।
(2) जनसंख्या वृद्धि-आमतौर पर विकासशील देशों में पर्यावरण विनाश का मुख्य दोषी अत्यधिक जनसंख्या को माना जाता है। यद्यपि यह सही नहीं है। विकसित देशों में प्रति नागरिक औसत संसाधन उपभोग विकासशील देशों के प्रति नागरिक औसत संसाधन उपभोग से अधिक है।
(3) प्राकृतिक वनों का ह्रास-वर्तमान समय में भारत के आधे से अधिक प्राकृतिक वन लगभग खत्म हो चुके हैं । एक-तिहाई जलमग्न भूमि सूख चुकी है, 70 प्रतिशत धरातलीय जल क्षेत्र प्रदूषित है, 40 प्रतिशत मैंग्रोव क्षेत्र लुप्त हो चुका है और जंगली जानवरों के शिकार और व्यापार तथा वाणिज्य की दृष्टि से मूल्यवान पेड़-पौधों की कटाई के कारण हजारों की संख्या में वनस्पति और वन्य जीव जातियाँ लुप्त होने के कगार पर पहुँच गई हैं।
(4) सांस्कृतिक विविधता का विनाश होना-जैव संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से भी जुड़ा हुआ है। जैव विनाश के कारण अनेक मूल जातियाँ और वनों पर आधारित समुदाय निर्धन होते जा रहे हैं तथा आर्थिक रूप से हाशिये पर पहुँच गये हैं। ये समुदाय खाने, पीने, संस्कृति, अध्यात्म इत्यादि के लिए वनों और वन्य जीवों पर निर्भर हैं।
(5) प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न होना वनों की कटाई के परोक्ष परिणाम यथा सूखा और बाढ़ भी गरीब वर्ग के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। इस स्थिति में गरीबी, पर्यावरणं निम्नीकरण का सीधा परिणाम होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में वन और वन्य जीवन मानव जीवन के लिए बहुत कल्याणकारी है।।
उपर्युक्त कारणों से यह बहुत आवश्यक है कि भारत में वन और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सही नीति अपनाई जावे।