These comprehensive RBSE Class 10 Maths Notes Chapter 15 प्रायिकता will give a brief overview of all the concepts.
→ एक घटना की प्रायोगिक या आनुभविक प्रायिकता वास्तविक रूप से घटना के घटित होने पर आधारित होती है, जबकि उस घटना की सैद्धान्तिक प्रायिकता में कुछ कल्पनाओं के आधार पर यह प्रागुक्ति की जाती है कि क्या घटना घटेगी? जैसे-जैसे एक प्रयोग में अभिप्रयोगों की संख्या बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे प्रायोगिक और सैद्धान्तिक प्रायिकताओं की लगभग बराबर होने की प्रत्याशा की जा सकती है।
→ घटना E की सैद्धान्तिक (या परम्परागत) प्रायिकता P(E) को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया जाता है।
जहाँ हम कल्पना करते हैं कि प्रयोग के सभी परिणाम समप्रायिक हैं।
→ एक निश्चित (या निर्धारित) घटना की प्रायिकता 1 होती है।
→ एक असम्भव घटना की प्रायिकता 0 होती है।
→ घटना E की प्रायिकता एक ऐसी संख्या P(E) है कि
0 ≤ P(E) ≤ 1
→ वह घटना जिसका केवल एक ही परिणाम हो, एक प्रारम्भिक घटना कहलाती है। किसी प्रयोग की सभी प्रारम्भिक घटनाओं की प्रायिकता का योग 1 होता है।
→ किसी भी घटना E के लिए P(E) + P(\(\overline{\mathrm{E}}\)) = 1 होता है, जहाँ \(\overline{\mathrm{E}}\) घटना 'E नहीं' को व्यक्त करता है। E और E पूरक घटनाएँ कहलाती हैं।
ताश के पत्ते
ताश की गड्डी में कुल पत्तों की संख्या = 52
ये 52 पत्ते 4 समूहों में विभाजित होते हैं
प्रत्येक समूह में तेरह पत्ते होते हैं।
अर्थात् हुकुम के 13, पान के 13, ईंट के 13 और चिड़ी के 13 पत्ते होते हैं।
काले रंग के पत्ते
हुकुम 13 व चिड़ी 13 = कुल 26
लाल रंग के पत्ते-
पान 13 व ईंट 13 = कुल 26.
प्रत्येक समूह में इक्का, बादशाह, बेगम और गुलाम उच्च क्रम के पत्ते होते हैं।
इक्का पहले क्रम का पत्ता है और बादशाह, बेगम तथा गुलाम फेस पत्ते कहलाते हैं।