Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Hindi Vyakaran सन्धि Questions and Answers, Notes Pdf.
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दो या दो से अधिक वर्षों (ध्वनियों या अक्षरों) के मेल को सन्धि कहते हैं। परस्पर ध्वनियों के मिलन को सन्धि कहा जाता है। वर्णों या ध्वनियों के मेल से मिलने वाले अक्षरों या वर्गों में विकार या परिवर्तन आ जाता है। जैसे -
छात्र + आवास = छात्रावास
सु = आगत = स्वागत
सत् + जन = सज्जन
इन उदाहरणों में स्वर या व्यंजन वर्गों के मेल से सन्धि हुई है।
सन्धि के प्रकार:
सन्धि करते समय कहीं पर स्वर, कहीं पर व्यंजन और कहीं पर विसर्ग परस्पर मिलते हैं। इस कारण सन्धि के मुख्य तीन प्रकार माने जाते हैं -
1. स्वर सन्धि
2. व्यंजन सन्धि
3. विसर्ग सन्धि।
स्वर सन्धि-जब दो स्वरों का मेल होकर एक नया स्वर बनता है, तब उसे स्वर सन्धि कहते हैं। स्वर-सन्धि के पाँच भेद होते हैं -
दीर्घ स्वर-सन्धि-जब दो समान स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं, अर्थात् अ, इ, उ, ऋ या दीर्घ आ, ई, ऊ, ऋ परस्पर मिलकर एक हो जाते हैं, तो उसे दीर्घ स्वर सन्धि कहते हैं। जैसे -
अ + अ = आ - धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
अ + अ = आ - राम + अनुज = रामानुज
अ + अ = आ - वेद + अन्त = वेदान्त
अ + अ = आ - दीप + अवली = दीपावली
अ + अ = आ - धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
अ + आ = आ - देव + आलय = देवालय
अ + आ = आ - हिम + आलय = हिमालय
अ + आ = आ - सचिव + आलय = सचिवालय
अ + आ = आ - शिव + आलय = शिवालय
आ + अ = आ - युवा + अवस्था = युवावस्था
आ + आ = आ - विद्या + आलय = विद्यालय
इ + इ = ई - रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
इ + ई = इ - हरि + ईश = हरीश
ई + इ = ई - मही + इन्द्र = महीन्द्र
ई + ई = ई - योगी + ईश्वर = योगीश्वर
उ + उ = ऊ - गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
उ + ऊ = ऊ - सिन्धु + ऊर्मि = सिन्धूर्मि
ऊ + उ = ऊ - वधू + उत्सव = वधूत्सव
ऊ + ऊ = ऊ - भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
ऋ + ऋ = ऋ - होतृ + ऋकार = होतृकार
गुण सन्धि-अ या आ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ नामक स्वर. हो, तो उनका परिवर्तित रूप क्रमशः ए, ओ तथा अर् हो जाता है। इसे गुण सन्धि कहते हैं। जैसे -
अ + इ = ए - देव + इन्द्र, = देवेन्द्र
अ + इ = ए - सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
अ + ई = ए - नर + ईश = नरेश
आ + इ = ए - राजा + इन्द्र = राजेन्द्र
आ + ई = ए - मिथिला + ईश = मिथिलेश
आ + ई = ए - रमा + ईश = रमेश
अ + उ = ओ - चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
अ + ऊ = ओ - नव + ऊढा = नवोढा
आ + उ = ओ - महा + उत्सव = महोत्सव
आ + ऊ = ओ - दया + ऊर्मि = दयोर्मि
अ + ऋ = अर् - देव + ऋषि = देवर्षि
आ + ऋ = अर् - महा + ऋषि = महर्षि
वृद्धि सन्धि-जब अ, आ स्वर के बाद ए, ऐ आए तो ओ, औ हों तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ऐ, औ हो जाते हैं। इसे ही वृद्धि-सन्धि कहते हैं। जैसे -
अ + ए = ऐ - एक + एक = एकैक
अ + ऐ = ऐ - परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
आ + ए = ऐ - सदा + एव = सदैव
आ + ऐ = ऐ - महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
अ + ओ = औ - जल + ओघ = जलौघ
अं + औ = औ - परम + औदार्य = परमौदार्य
आ + ओ = औ - महा + ओज = महौज।
आ + औ = औ - महा + औषधि = महौषधि
यण सन्धि-जब ह्रस्व या दीर्घ इ, ई के बाद कोई असमान स्वर आए, तो इ का इ, ई का 'य', उ, ऊ के स्थान पर 'व्' और ऋ के स्थान पर 'र' हो जाता है। इसे यण् सन्धि कहते हैं। जैसे -
(क) इ, ई का य
इ + अ = य - अति + अन्त = अत्यन्त
इ + अ = य - यदि + अपि = यद्यपि
इ + अ = य - गति + अवरोध = गत्यवरोध
इ + अ = य - अति + अधिक = अत्यधिक
इ + आ = या - अति + आचार = अत्याचार
इ + आ = या - इति + आदि = इत्यादि
इ + आ = या - अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
इ + आ = या - अभि + आगत = अभ्यागत
इ + उ = यु - प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
इ + उ = यु - प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
इ + ए = ये - प्रति + एक = प्रत्येक
ई + अ = य - देवी + अर्पण = देव्यर्पण
ई + आ = या - नदी + आगमन = नद्यागमन
(ख) उ + अ = व
उ + अ = व - अनु + अय = अन्वय
उ + अ = व - सु + अच्छ = स्वच्छ
उ + अ = व - मधु + अरि = मध्वरि
उ + आ = वा - सु + आगत = स्वागत
उ + इ = वि - अनु + इति = अन्विति
उ + ए = वे - अनु + एषण = अन्वेषण
ऊ + आ = वा - वधू + आगमन = वध्वागमन
(ग) + आ = रॉ
ऋ + आ = रॉ - पितृ + आलय = पित्रालय
ऋ + आ = रॉ - पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
ऋ + उ = रु - पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश
ऋ + उ = रु - मात्र + उपदेश = मात्रुपदेश
ऋ + इ = रि - पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा।
अयादि सन्धि-ए, ऐ, ओ, औ के बाद जब कोई असमान स्वर आए तो ए का 'अय्', ऐ का 'आय', ओ का 'अव्' हो जाता है। इसे अयादि सन्धि कहते हैं। जैसे -
(क) ए, अ = अय
ए + अ = अय् - चे + अन = चयन
ए + अ = अय् - शे + अन = शयन
ए + अ = अय् - ने + अन = नयन
(ख) ऐ + अ = आय
ऐ + अ = आय् - गै + अक = गायक
ऐ + अ = आय् - नै + क = नायक
ऐ + अ = आय् - विनै + अक = विनायक
(ग) ओ + अ = अव
ओ + अ = अव् - प + अन = पवन
ओ + अ = अव् - भो + अन = भवन
ओ + अ = अव् - हो + अन = हवन
औ + अ = अव - पो + अक = पावक
औ + अ = अव् - पो + अन = पावन
ओ + इ = अवि - भो + इष्य = भविष्य
ओ + इ = अवि - पो + इत्र = पवित्र
औ + इ = अवि - नौ + इक = नाविक
औ + उ = अवि - भौ + उक = भावुक
व्यंजन सन्धि - व्यंजन का स्वर से या व्यंजन से योग होने को व्यंजन सन्धि कहते हैं। व्यंजन सन्धि के अनेक भेद होते हैं। यहाँ कुछ नियम और भेद सोदाहरण दिये जा रहे हैं -
कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग
किसी वर्ग (जैसे - कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग) के पहले वर्ण के बाद यदि कोई स्वर या वर्ग का तीसरा, चौथा अथवा या, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण आए, तो पहला वर्ण उसी वर्ग का तीसरा वर्ण बन जाता है। जैसे -
वाक् + ईश = वागीश - वाक् + देवता = वाग्देवता
दिक् + गज = दिग्गज - दिक् + अम्बर = दिगम्बर
जगत् + ईश = जगदीश - सत् + उपदेश = सदुपदेश
अच् + अन्त = अजन्त - सत् + आचार = सदाचार
षट् + आनन = षडानन - अप् + ज = अब्ज
किसी वर्ग के पहले या तीसरे वर्ण के बाद यदि किसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण आए, तो पहला या तीसरा वर्ण पाँचवाँ वर्ण अर्थात् अनुनासिक बन जाता है। जैसे -
वाक् + मय (क् + म) = वाङ्म
याच् + ना (च् + न) = याना
षट् + मास (ट् + म) = षण्मास
उत् + नति (त् + न) = उन्नति
अप् + मय (प् + म) = अम्मय
त् या द् के बाद यदि च या छ हो तो च्; ज या झ हो तो ज्; ट या ठ हो तो ट; ड या ढ हो तो ड् और ल हो तो ल हो जाता हैं। जैसे -
त् + च = च्च - शरत + चन्द्र = शरच्चन्द्र
त् + च = च्च - उत् + चारण = उच्चारण
त् + छ = च्छ - जगत् + छाया = जगच्छाया
त् + ज = ज्ज - सत् + जन = सज्जन
त् + ज = ज्ज - उत् + ज्वल = उज्वल
द् + ज = ज्ज - विपद् + जाल - विपज्जाल
त् + ट = ट्ट - वृहत् + टीका = वृहट्टीका
द् + ड = ड्ड - उद् + ड्यन = उड्डयन
त् + ल = ल्ल - तत् + लीन = तल्लीन
त् + ल = ल्ल - उत् + लेख = उल्लेख
यदि त् या द् के बाद श हो तो त् या द् का 'च' और 'श' का 'छ्' हो जाता है। जैसे -
त् + श = च्छ - सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
त् + श = च्छ - उत् + श्वास = उच्छ्वास
त् + श = च्छ - उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
त् + श = च्छ - उत् + श्रृंखल = उच्छृखल
यदि त् या द् के बाद ह हो तो उनके स्थान पर 'द्ध हो जाता है। जैसे -
त् + ह = द्ध - उत् + हार = उद्धार
त् + ह = द्ध - उत् + हरण = उद्धरण
त् + ह = द्ध - पद् + हति = पद्धति
त् + ह = द्ध - तद् + हित = तद्धित
म् के बाद यदि क से म तक का कोई वर्ण हो तो म् का अनुस्वार अथवा बाद के वर्ण का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है। इसे अनुस्वार सन्धि कहते हैं। जैसे -
म् + क = ङ् - सम् + कल्प = संकल्प अथवा सङ्कल्प
म् + च = ञ् - सम् + चार = संचार अथवा सञ्चार
म् + त = न् - सम् + तोष = संतोष अथवा सन्तोष
म् + प = म् - सम् + पूर्ण = संपूर्ण अथवा सम्पूर्ण
म् के बाद यदि क से म तक के वर्णों को छोड़कर अन्य कोई व्यंजन हो तो म् का अनुस्वार हो जाता है। जैसे -
म् + ह - सम् + हार = संहार
म् + ह - सम् + शय = संशय
म् + ह - सम् + योग = संयोग
म् + ह - सम् + क्षेप = संक्षेप
म् + ह - सम् + त्रास = संत्रास
किसी भी स्वर के बाद छ आये तो च्छ हो जाता है। जैसे -
आ + अ - आ + छादन = आच्छादन
अ + छ - तरु + छाया = तरुच्छाया
इ + छ - परि + छेद - परिच्छेद
उ + छ - अनु + छेद = अनुच्छेद
ऋ + छ - मातृ + छाया = मातृच्छाया
कवर्ग-पवर्ग
ऋ, र् और ष् के बाद स्वर, कवर्ग, पवर्ग, अनुस्वार य, व, ह में से कोई वर्ण यदि बीच में आ जाए तो न . का ण हो जाता है। जैसे -
राम + अयन = रामायण
प्र + मान = प्रमाण
परि + नति = परिणति
उत्तर + अयन = उत्तरायण
मृत् + मय = मृण्मय
10. यदि स से पूर्व अ, आ से भिन्न कोई स्वर हो तो स का ष हो जाता है। जैसे -
नि + सेध = निषेध
वि + सम = विषम
अभि + सेक = अभिषेक
विसर्ग सन्धि-जहाँ पर विसर्ग (:) का लोप हो जाता है, अथवा विसर्ग के स्थान पर नया वर्ण आ जाता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। विसर्ग सन्धि के अनेक भेद होते हैं, जिनके नियम इस प्रकार हैं -
विसर्ग के बाद यदि च या छ आए तो श्; ट या ठ आए तो ष् और त या थ आए तो स् हो जाता है। जैसे -
निः + चल = निश्चल
निः + छल = निश्छल
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
निः + ठुर = निष्ठुर
मनः + ताप = मनस्ताप
निः + तार = निस्तार
यदि विसर्ग के पश्चात् श, ष, स हों, तो विकल्प से विसर्ग के बाद का ही वर्ण हो जाता है। जैसे -
दुः + शील = दुश्शील, दुःशील
दुः + शासन = दुश्शासन, दुःशासन।
निः + संदेह = निस्संदेह, नि:संदेह
निः + शुल्क = निश्शुल्क, निःशुल्क
यदि अ के बाद विसर्ग हो और उसके बाद अ से भिन्न कोई स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है और फिर पास आए हुए स्वरों में सन्धि नहीं होती है। जैसे -
अतः + एव = अत एव
रजः + उद्गम = रज उद्गम
पयः + आदि = पय आदि।
यदि विसर्ग के उपरान्त य, र, ल, व या ह हो तो विसर्ग का 'ओ' हो जाता है। जैसे -
मनः + योग = मनोयोग
मनः + रथ = मनोरथ
मनः + विकार = मनोविकार
मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + बल = मनोबल
तपः + बल = तपोबल
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
मनः + हर = मनोहर
मनः + नीत = मनोनीत
यशः + गान = यशोगान।
तपः + वन = तपोवन
रजः + गुण = रजोगुण
अधः + गति = अधोगति
अधः + लिखित = अधोलिखित
विसर्ग से पूर्व यदि अ, आ से भिन्न कोई स्वर या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण अथवा य, र, ल, व में कोई वर्ण हो, तो विसर्ग का र् हो जाता है। जैसे -
पुनः + ईक्षण = पुनरीक्षण
निः + गुण = निर्गुण
निः + जल = निर्जल
निः + मम = निर्मम
दु: + उपयोग = दुरुपयोग
निः + भय = निर्भय
दु: + बल = दुर्बल
निः + अर्थक = निरर्थक
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म
पुनः + उक्ति = पुनरुक्ति
यदि विसर्ग से पूर्व इ या उ हो और बाद में क, ज, प, फ हो तो विसर्ग का 'ष' हो जाता है। जैसे -
निः + कपट = निष्कपट
निः + पाप = निष्पाप
दुः + कर्म = दुष्कर्म
दुः + प्रकृति = दुष्प्रकृति
विसर्ग के बाद क, ख, प, फ होने पर विसर्ग का लोप नहीं होता है और उसका 'ओ' भी नहीं होता है। जैसे -
अन्तः + करण = अन्तःकरण
प्रातः + कालं = प्रातःकाल
रजः + कण = रजःकण
अधः + पतन = अधःपतन
अन्तः + पुर = अन्तःपुर
पयः + पानं = पयःपान
यदि विसर्ग से पहले और पीछे अ हो तो पहला अ और विसर्ग मिलकर 'ओऽ' या 'ओ' हो जाते हैं तथा पिछले 'अ' का लोप हो जाता है। जैसे -
यशः + अभिलाषी = यशोऽभिलाषी (यशोभिलाषी)
यशः + अर्थी = यशोऽर्थी (यशो )
मनः + अनुकूल = मनोऽनुकूल (मनोनुकूल)
मनः + अभिराम = मनोऽभिराम (मनोभिराम)
यदि विसर्ग (:) के पहले 'आ' को छोड़कर कोई दूसरा स्वर हो और विसर्ग के बाद र हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है और पूर्ववर्ती ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। जैसे -
निः + रोग = नीरोग
निः + रस = नीरस
अभ्यास प्रश्न
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
'उज्वल' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
उज्वल-उत् + ज्वल।
प्रश्न 2.
'पयोद' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
पयोद-पयः + द।
प्रश्न 3.
'उदय' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
उद् + अय।
प्रश्न 4.
'स्वच्छ' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
सु + अच्छ।
प्रश्न 5.
'रामायण' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
राम + अयन।
प्रश्न 6.
'इत्यादि' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
इत्यादि-इति + आदि।
प्रश्न 7.
'वागीश्वर' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए तथा इसमें निहित सन्धि का नाम भी लिखिए।
उत्तर:
वागीश्वर–वाक् + ईश्वर–व्यंजन सन्धि।
प्रश्न 8.
'सुरेन्द्र' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
सुरेन्द्र - सुर + इन्द्र।
प्रश्न 9.
'उन्नति' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए तथा इसमें हुई सन्धि का नाम भी लिखिए।
उत्तर:
उन्नति-उत् + नति–व्यंजन सन्धि।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित शब्द का सन्धि-विच्छेद कर सन्धि का नाम लिखिए जगदम्बा।
उत्तर:
(i) सन्धि - विच्छेद - जगत् + अम्बा।
(ii) सन्धि का नाम - व्यंजन सन्धि।
प्रश्न 11.
विसर्ग सन्धि की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जहाँ पर विसर्ग (:) का लोप हो जाता है, अथवा विसर्ग के स्थान पर नया वर्ण आ जाता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं।
उदाहरण-निः + चल = निश्चल।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विग्रह कीजिए -
उत्तर:
प्रश्न 13.
निम्नलिखित शब्दों की सन्धि कीजिए
उत्तर:
प्रश्न 14.
'दिगम्बर' शब्द में सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
दिक् + अम्बर।
प्रश्न 15.
'निर्गुण' शब्द का सन्धि-विच्छेद कीजिए तथा इसमें हुई सन्धि का नाम भी लिखिए।
उत्तर:
निर्गण-निः + गण-विसर्ग सन्धि।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित शब्दों में सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम भी लिखिए - संत्रास, मनोयोग, नयन।
उत्तर:
संत्रास - सम् + त्रास - व्यंजन सन्धि
मनोयोग - मनः + योग - विसर्ग सन्धि
नयन - ने + अन - अयादि सन्धि
प्रश्न 17.
निम्नलिखित में सन्धि कीजिए और उसका नाम भी बताइए सर्व + उदय, जगत् + नाथ, सु + आगत।
उत्तर:
सर्व + उदय = सर्वोदय - गुण सन्धि
जगत् + नाथ = जगन्नाथ - व्यंजन सन्धि
सु + आगत = स्वागत - यण् सन्धि
प्रश्न 18.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद कीजिए
उत्तर: