RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 9 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 9 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here is अनौपचारिक पत्र कक्षा 9 in hindi to learn grammar effectively and quickly.

RBSE Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

RBSE Class 9 Hindi मेरे बचपन के दिन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
"मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।" इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - 
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी? 
उत्तर : 
उस समय अर्थात् सन् 1900 के आसपास लड़कियों के प्रति लोगों का दृष्टिकोण अच्छा नहीं था। उस समय परिवार में लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अधिक महत्त्व दिया जाता था। प्रायः लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। उनके पैदा होते ही घर में मातम छा जाता था। अतः लेखिका के परिवार में दो सौ वर्ष तक कोई लड़की पैदा नहीं हुई थी। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

(ख) लड़कियों के जन्म के सम्बन्ध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं? 
उत्तर : 
आज लड़कियों के जन्म के संबंध में कुछ परिस्थितियाँ बदली हैं। पढ़े-लिखे लोग लड़का-लड़की के अन्तर को धीरे-धीरे कम करते जा रहे हैं। बहुत-से जागरूक लोग लड़का-लड़की को समान दृष्टि से देखते हैं और लड़कियों का अच्छी तरह से पालन-पोषण के साथ खूब पढ़ाते-लिखाते भी हैं लेकिन संकीर्ण मानसिकता की आज भी कमी नहीं है। भ्रूण-हत्या इसका उदाहरण है। जन्म के बाद उनके साथ भेदभाव किया जाता है। परिणामस्वरूप आज लड़कियों की संख्या घटती जा रही है। 

प्रश्न 2. 
लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाई? 
उत्तर : 
लेखिका महादेवी वर्मा की उर्दू-फारसी सीखने में रुचि नहीं थी। परन्तु उसके बाबा चाहते थे कि वह उर्दू फारसी सीखे, इसलिए एक मौलवी साहब को भी उन्होंने लगाया था, परन्तु लेखिका उसके आते ही चारपाई के नीचे छिप जाती थी। परिणामस्वरूप वह उर्दू-फारसी नहीं सीख पायी। 

प्रश्न 3. 
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है? 
उत्तर : 
लेखिका ने अपनी माँ की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है - 

  1. लेखिका की माँ हिन्दी और संस्कृत की ज्ञाता थीं।
  2. वह धार्मिक विचारों वाली महिला थीं और पूजा-पाठ किया करती थीं।
  3. गीत लिखने के अलावा वह मीरां के पदों को गाया करती थीं।
  4. वह साम्प्रदायिक सद्भाव रखती थीं। नवाब साहब के परिवार से उनका पारिवारिक जैसा सम्बन्ध था।
  5. बच्चों को शिक्षित एवं संस्कार-युक्त करने के प्रति वह विशेष जागरूक थीं।

प्रश्न 4.
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक सम्बन्धों को लेखिका ने आज के सन्दर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है? 
उत्तर : 
जवारा के नवाब के साथ लेखिका के पारिवारिक संबंध बिना किसी भेदभाव के घनिष्ठ थे। दोनों परिवारों के लोग सुख-दुःख, पर्व-त्योहार, जन्मदिन आदि सभी मौकों पर आपस में आत्मीयता रखकर सम्मिलित होते थे। उनमें साम्प्रदायिक कट्टरता तो जरा भी नहीं थी। महादेवी से नवाब साहब का लड़का राखी बंधवाता था और मुहर्रम पर उनके यहाँ से सभी बच्चों के कपड़े आते थे। इस प्रकार का स्नेह-भाव आज के सन्दर्भ में स्वप्न जैसा लगता है, क्योंकि आज साम्प्रदायिकता एवं धार्मिक कट्टरता ने लोगों में अलगाववाद को बढ़ावा दिया है।

रचना और अभिव्यक्ति - 

प्रश्न 5. 
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती? 
उत्तर : 
जेबुन्निसा के स्थान पर यदि मैं लेखिका के लिए कुछ काम करता, तो मैं भी उनसे कुछ अपेक्षाएँ रखता। मैं उनसे बराबरी, प्रेम और आदर की अपेक्षा करता। महादेवी कविता लिखती थीं, तो उनसे कविता कैसे रची जाती है इसकी जानकारी हासिल करता। साथ ही पढ़ाई के सम्बन्ध में उचित सहायता-सहयोग की अपेक्षा रखता। 

देवी वर्मा को काव्य-प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनमान लगाइए कि आपको इस तरह का पुरस्कार मिला हो और वह देश-हित में या किसी आपदा-निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी? 
उत्तर :
मुझे भी यदि ऐसा पुरस्कार मिले, तो मैं उसे जरूरत पड़ने पर देश-हित या आपदा-निवारण में देने में संकोच नहीं करूँगा। मैं ऐसे कार्य से स्वयं को गौरवान्वित मानूँगा। देश या समाज के हित को व्यक्तिगत हित से श्रेष्ठ मानना वस्तुतः महान् कर्त्तव्य होता है। इससे सभी को खुशी होती है। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 7. 
लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है, उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए। 
उत्तर : 
महादेवी वर्मा जिस क्रास्थवेट गर्ल्स कालेज में पढ़ती थी, उसमें देश के विभिन्न भागों की छात्राएँ पढ़ती थीं। उनके साथ छात्रावास में रहने वाली छात्राएँ अवधी, बुन्देली, बघेली आदि बोलियों का प्रयोग करती थीं। जेबुन्निसा मराठी शब्दों का प्रयोग करती थी, तो कुछ लड़कियाँ खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग करती थीं। इस प्रकार वहाँ पढ़ने वाली सभी छात्राएँ परस्पर व्यवहार में अपनी-अपनी मातृभाषा का प्रयोग कर सुन्दर वातावरण बना देती थीं। 

प्रश्न 8. 
महादेवीजी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आयी होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए। 
उत्तर : 
मनुष्य को अपने बचपन की कई बातें एवं घटनाएँ सदैव याद रहती हैं और वह उनका जब-तब संस्मरण कर रोमांचित हो जाता है। मेरे बचपन में पाकिस्तान से शरणार्थी बनकर आये लोगों के लिए सरकार ने नई बस्तियों का निर्माण किया। जयपुर शहर के आदर्श नगर तथा सिन्धी कैम्प आदि क्षेत्रों में उन लोगों को बसाया गया था। यद्यपि भारत में उस समय माहौल कुछ अशान्त था, परन्तु इन शरणार्थी बसेरों में अनुपम शान्ति एवं भाईचारा विद्यमान था। 

वे लोग आपस में बढ़ चढ़कर सहयोग करते थे और मेल-मिलाप रखकर उद्यमी बन रहे थे। उनमें ऊँच-नीच या जाति-पाँति का जरा भी भेदभाव नहीं था। वे केवल मानवता और मानवीय संवेदना जानते थे तथा सदा एक-दूसरे से स्नेहपूर्ण भाषा में वार्तालाप करते थे। इस प्रकार के वातावरण को देखकर हमें काफी प्रसन्नता होती थी और हमारे परिवार भी उनसे एकदम घुल-मिल कर रहने लगे थे। 

प्रश्न 9. 
महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस डायरी का एक पृष्ठ लिखिए। 
उत्तर : 
15 अगस्त, 2019। हमारे विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया था। मुझे उसमें महाराणा प्रताप के शौर्य पर आधारित एक कविता पढ़नी थी। मैंने अपनी कक्षा में और अन्त:कक्षा प्रतियोगिताओं में अनेक बार कविता पाठ किया था, परन्तु सांस्कृतिक मंच से कविता पढ़ने का यह पहला ही अवसर था। कार्यक्रम प्रारम्भ होने पर मंच संचालक ने ज्यों-ज्यों वक्ताओं के नामों की घोषणा की, मेरी बेचैनी बढ़ती गयी। मन धक-धक करने लगा था। मन में घबराहट होने लगी थी कि कहीं कविता भूल नहीं जाऊँ। 

हथेलियों पर पसीना आ गया तथा गला सूखने-सा लगा। परन्तु मैं मन को सान्त्वना भी देता रहा। उद्घोषक महोदय ने ज्यों ही मेरा नाम पुकारा, मैं स्वयं को संयमित करके माइक पर पहुंचा, फिर बड़ी सावधानी और धैर्य से कविता-पाठ करने लगा। मेरा कविता-पाठ समाप्त होते ही सभी ने तालियाँ बजायीं और आचार्यजी ने मुझे शाबाशी दी। इस तरह कविता-पाठ की सफलता से मुझे काफी प्रसन्नता हुई। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

भाषा-अध्ययन - 

प्रश्न 10. 
पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए -
विद्वान्, अनन्त, निरपराधी, दण्ड, शान्ति। 
उत्तर :  
RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन 1

प्रश्न 11. 
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए। 
उत्तर :  
RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन 2

प्रश्न 12. 
निम्नलिखित उपसर्गों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए 
उपसर्ग - अन्, अ, सत्, स्व, दुर् 
प्रत्यय - दार, हार, वाला, अनीय। 
उत्तर : 
RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन 3

प्रश्न 13. 
पाठ में आये सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए। 
उत्तर :  
RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन 4

पाठेतर सक्रियता - 

बचपन पर केन्द्रित मैक्सिम गोर्की की रचना मेरा बचपन' पुस्तकालय से लेकर पढ़िए। 
उत्तर : 
छात्र स्वयं करें। 

'मातृभूमि : ए विलेज विदआउट विमेन' (2005) फिल्म में देखें। 
मनीष झा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में कन्या-भ्रूण हत्या की त्रासदी को अत्यन्त बारीकी से दिखाया गया है। 
उत्तर :
फिल्म स्वयं देखें। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

कल्पना के आधार पर बताइए कि लड़कियों की संख्या कम होने पर भारतीय समाज का रूप कैसा होगा? 
उत्तर : 
भारत में लड़कियों की संख्या कम होने पर समाज का रूप बिखर जायेगा। यदि लड़कियों का जन्म नहीं होगा, तो अनेक युवक बिना विवाह किये रह जायेंगे। समाचार में लड़कियों की खरीद-फरोख्त का दुराचार चल पड़ेगा। एक लड़की के लिए तीन चार लड़के वर-रूप में सामने आ जायेंगे। तब लड़की वालों से दहेज की मांग भी कोई नहीं करेगा, उल्टे लड़के वालों को लड़की के गरीब पिता की आर्थिक सहायता करनी पड़ेगी। 

लड़कियों की संख्या कम होने से परिवार एवं समाज में मधुर स्नेह-सम्बन्ध कम हो जायेंगे। भैया-दूज, राखी आदि त्योहार की रौनक फीकी पड़ जायेगी। लड़की कोमलता, मधुरता, त्याग भावना, स्नेह-भाव एवं सेवा-भावना आदि से मण्डित रहती है। लड़कियों के न होने या कम होने से परिवारों में इन मधुर भावनाओं का लोप हो जायेगा। इस तरह समाज की दशा एकदम नीरस, दयनीय तथा चिन्तनीय बन जायेगी। 

RBSE Class 9 Hindi मेरे बचपन के दिन Important Questions and Answers

प्रश्न 1. 
महादेवी वर्मा से पूर्व उनके परिवार में वातावरण नहीं था 
(क) अंग्रेजी भाषा का 
(ख) हिन्दी भाषा का 
(ग) उर्दू भाषा का 
(घ) फारसी भाषा का 
उत्तर :
(ख) हिन्दी भाषा का 

प्रश्न 2.
महादेवी के मन ही मन प्रसन्न होने का प्रमुख कारण था - 
(क) कविता-पाठ में चाँदी का कटोरा मिलना। 
(ख) सुभद्राजी को मिले कटोरे में खीर खिलाना।
(ग) पुरस्कार में मिले कटोरे को बापू को देना। 
(घ) मिले कटोरे को सुभद्राजी को दिखाना। 
उत्तर :
(ग) पुरस्कार में मिले कटोरे को बापू को देना।

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 3. 
बेगम साहिबा के घर में बोली जाती थी - 
(क) बुंदेली भाषा 
(ख) उर्दू भाषा
(ग) अवधी भाषा 
(घ) मराठी भाषा 
उत्तर :
(ग) अवधी भाषा 

प्रश्न 4. 
महादेवी वर्मा के भाई का नाम 'मनमोहन' रखा था -  
(क) उनकी माताजी ने 
(ख) उनके दादाजी ने 
(ग) बेगम साहिबा ने 
(घ) उनके चाचा ने 
उत्तर :
(ग) बेगम साहिबा ने 

प्रश्न 5. 
महादेवी के बचपन में देशगत वातावरण था - 
(क) जातिगत एकता का 
(ख) सरलता तथा अपनेपन का 
(ग) साम्प्रदायिक मेलजोल का 
(घ) विश्वास और प्रेम का 
उत्तर :
(ग) साम्प्रदायिक मेलजोल का 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न :

निर्देश-निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उनसे सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 

बचपन की स्मृतियों में एक विचित्र-सा आकर्षण होता है। कभी-कभी लगता है, जैसे सपने में सब देखा होगा। परिस्थितियाँ बहुत बदल जाती हैं। अपने परिवार में मैं कई पीढ़ियों के बाद उत्पन्न हुई। मेरे परिवार में प्राय: दो सौ वर्ष तक कोई लड़की थी ही नहीं। सुना है, उसके पहले लड़कियों को पैदा होते ही परमधाम भेज देते थे। फिर मेरे बाबा ने बहुत दुर्गा-पूजा की। हमारी कुलदेवी दुर्गा थी। मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। परिवार में बाबा फारसी और उर्दू जानते थे। पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी। हिन्दी का कोई वातावरण नहीं था। 

प्रश्न 1. बचपन में लेखिका के परिवार का शैक्षिक वातावरण कैसा था? 
प्रश्न 2. लेखिका के बाबा ने दुर्गा-पूजा क्यों की? 
प्रश्न 3. पहले लड़कियों को पैदा होने पर क्या करते थे और क्यों? 
प्रश्न 4. "मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।"-से लेखिका का क्या आशय है? 
उत्तर : 
1. बचपन में लेखिका के परिवार में बाबा उर्दू और फारसी के जानकार थे। पिताजी अंग्रेजी के ज्ञाता थे। लेखिका की माता को संस्कृत पढ़नी आती थी, परन्तु परिवार में हिन्दी का कोई वातावरण नहीं था। 

2. दो सौ वर्ष से महादेवी के परिवार में लड़की नहीं थी इसलिए परिवार में लड़की का जन्म हो, इस अभिलाषा से पूरित होकर लेखिका के बाबा.ने दुर्गा-पूजा की। 

3. पहले लड़कियों को पैदा होने पर बोझ समझ कर मार दिया जाता था। समझा जाता था कि लड़की होने पर उसके बिवाह आदि में दूसरे के सामने सिर झुकाना पड़ेगा। अगर लड़की में कुलक्षण आ गये, तो परिवार की नाक कट जायेगी। विधवा होगी तो आफत लगेगी अथवा उसके कारण परिवार को समाज में नीचा देखना पड़ेगा। 

4. लेखिका के बचपन के समय लड़कियों को पैदा होते ही परम धाम पहुँचा दिया जाता था, क्योंकि उस समय परिवार के लिए लड़कियों का जन्म अशुभ एवं विपत्ति बढ़ाने वाला माना जाता था और लड़कों के जन्म को महत्त्व दिया जाता था। पर लेखिका के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया गया और उसे पूरे परिवार का प्यार मिला। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

2. मेरे सम्बन्ध में उनका विचार बहुत ऊँचा रहा। इसलिए 'पंचतन्त्र' भी पढ़ा मैंने, संस्कृत भी पढ़ी। ये अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी। तब पण्डितजी आये संस्कृत पढ़ाने। माँ थोड़ी संस्कृत जानती थीं। गीता में उन्हें विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय मैं भी बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी। उसके उपरान्त उन्होंने मिशन स्कूल में रख दिया मुझको। मिशन स्कूल का वातावरण दूसरा था, प्रार्थना दूसरी थी। मेरा मन नहीं लगा। वहाँ जाना बन्द कर दिया। जाने में रोने-धोने लगी। तब उन्होंने मुझे क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में भेजा। 

प्रश्न 1. मिशन स्कूल में लेखिका का मन क्यों नहीं लगा?
प्रश्न 2. मौलवी साहब लेखिका के घर क्यों आए थे? उन्हें देखकर लेखिका ने क्या किया? 
प्रश्न 3. लेखिका ने अपनी माँ के विषय में क्या बताया? 
प्रश्न 4. लेखिका का मन मिशन स्कूल में क्यों नहीं लगा? 
उत्तर : 
1. मिशन स्कूल का वातावरण दूसरा था। वहाँ पर प्रार्थना भी दूसरी तरह की थी। कोई सहेली भी नहीं थी। इस कारण लेखिका का मन वहाँ नहीं लगा। 

2. मौलवी साहब लेखिका के बाबा की आज्ञानुसार लेखिका को उर्दू-फारसी पढ़ाने के लिए आए थे। उन्हें देखकर लेखिका चारपाई के नीचे जा छिपी थी। 

3. लेखिका ने बताया कि उसकी माँ धार्मिक विचारों की थी। वह हिन्दी और संस्कृत जानती थी। उसकी गीता में विशेष रुचि थी तथा महादेवी को भी संस्कृत पढ़ाना चाहती थी। पूजा-पाठ के समय वह प्रायः मीरां के भजन गाया करती थी। 

4. मिशन स्कूल का वातावरण और प्रार्थना अलग होने के कारण लेखिका का मन मिशन स्कूल में नहीं लगा। 

3. हिन्दी का उस समय प्रचार-प्रसार था। मैं सन् 1917 में यहाँ आई थी। उसके उपरांत गाँधीजी का सत्याग्रह आरम्भ हो गया और आनन्द भवन स्वतंत्रता के संघर्ष का केन्द्र हो गया। जहाँ-तहाँ हिन्दी का प्रचार भी चलता था। कवि सम्मेलन होते थे तो क्रास्थवेट से मैडम हमको साथ लेकर जाती थी। हम कविता सुनाते थे। कभी हरिऔधजी अध्यक्ष होते थे, कभी श्रीधर पाठक होते थे, कभी रत्नाकरजी होते थे। कभी कोई होता था। कब हमारा नाम पुकारा जाए, बेचैनी से सुनते रहते थे। मुझको प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। सौ से कम पदक नहीं मिले होंगे उसमें।
 
प्रश्न 1. सन् 1917 में हिन्दी की क्या स्थिति थी? 
प्रश्न 2. इलाहाबाद का आनन्द भवन किसका केन्द्र बन चुका था? 
प्रश्न 3. महादेवी के साथ कवि सम्मेलनों में कौन जाया करता था और क्यों? 
प्रश्न 4. सन् 1917 में महादेवी कहाँ आयी थी और क्या करती थी? 
उत्तर : 
1. सन 1917 में हिन्दी की स्थिति सामान्य थी। कांग्रेस के नेतत्व में हिन्दी का प्रचार-प्रसार चल रहा था। जगह-जगह हिन्दी के कवि सम्मेलन होते थे। कवि सम्मेलनों की अध्यक्षता हरिऔधजी, श्रीधर पाठक और रत्नाकरजी किया करते थे। महादेवी भी अपनी कविताएँ सुनाया करती थी। 

2. इलाहाबाद का आनन्द-भवन स्वतन्त्रता संग्राम प्रारम्भ हो जाने के कारण स्वतन्त्रता संग्राम का केन्द्र बन चुका था। 

3. महादेवी के साथ कवि सम्मेलनों में क्रास्थवेट की मैडम साथ जाया करती थी, क्योंकि लेखिका उस समय उसी कॉलेज में अध्ययनरत छात्रा थी। 

4. महादेवी वर्मा सन् 1917 में इलाहाबाद में क्रास्थवेट कॉलेज में पढ़ने आई थी। पांचवीं कक्षा में पढ़ते हुए कवि सम्मेलनों में भाग लेकर पुरस्कार जीतती थी। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

4. उसी बीच आनन्द भवन में बापू आये। हम लोग तब अपने जेब-खर्च में से हमेशा एक-एक दो-दो आने देश के लिए बचाते थे और जब बापू आते थे तो वह पैसा उन्हें दे देते थे। उस दिन जब बापू के पास मैं गई तो अपना कटोरा भी लेती गई। मैंने निकालकर बाबू को दिखाया। मैंने कहा, 'कविता सुनाने पर मुझको यह कटोरा मिला है।' कहने लगे, 'अच्छा, दिखा तो मुझको'।मैंने कटोरा उनकी ओर बढ़ा दिया तो उसे हाथ में लेकर बोले, 'तू देती है इसे? अब मैं क्या कहती? मैंने दे दिया और लौट आई। दुःख यह हुआ कि कटोरा लेकर कहते, कविता क्या है पर कविता सुनाने को उन्होंने नहीं कहा। लौटकर अब मैंने सुभद्राजी से कहा कि कटोरा तो चला गया। सुभदाजी ने कहा, 'और जाओ दिखाने! फिर बोलीं, देखो भाई, खीर तो तुमको बनानी ही पड़ेगी।'
 
प्रश्न 1. गाँधीजी आनन्द भवन में किस निमित्त आये थे? 
प्रश्न 2. 'मेरे बचपन के दिन' पाठ में बापू ने लेखिका की कौनसी वस्तु माँग ली थी और क्यों? 
प्रश्न 3. सभद्राजी ने कटोरा दे आने पर लेखिका से क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की? 
प्रश्न 4. गाँधीजी को कटोरा देकर लेखिका को दुःख क्यों हुआ? 
उत्तर : 
1. गाँधीजी ने देश को आजादी दिलाने के लिए सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया था। इसी निमित्त वे आनन्द भवन में आये थे। .. 

2. महात्मा गाँधी ने लेखिका से कविता-पाठ में पुरस्कारस्वरूप प्राप्त चाँदी का कटोरा माँग लिया था, क्योंकि सत्याग्रह आन्दोलन के संचालन के लिए गाँधीजी को धन की जरूरत भी थी। 

3. लेखिका द्वारा चाँदी का कटोरा गाँधीजी को दे आने पर सुभद्राजी ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की कि, "और जाओ कटोरा दिखाने! देखो भाई, पहले लगाई गई शर्त के अनुसार तुम्हें खीर बनाकर तो खिलानी ही पड़ेगी।" 

4. जिस कविता-पाठ से लेखिका को पुरस्कार में चाँदी का कटोरा मिला था, गाँधीजी ने उस कविता को सुनाने के लिए नहीं कहा और कटोरा सहज भाव से ले लिया। कविता के बारे में कुछ न पूछने से लेखिका को दुःख हुआ। 

5. उस समय यह देखा मैंने कि साम्प्रदायिकता नहीं थी। जो अवध की लड़कियाँ थीं, वे आपस में अवधी बोलती थीं.बन्देलखण्ड की आती थीं. वे बन्देली बोलती थीं। कोई अन्तर नहीं आता था और हम पढ़ते भी हमको पढ़ाई जाती थी, परन्तु आपस में हम अपनी भाषा में ही बोलती थीं। यह बहुत बड़ी बात थी। हम एक मेस में खाते थे, एक प्रार्थना में खड़े होते थे; कोई विवाद नहीं होता था। मैं जब विद्यापीठ आयी, तब तक मेरे बचपन का वही क्रम चला जो आज तक चलता आ रहा है। कभी कभी बचपन के संस्कार ऐसे होते हैं कि हम बड़े हो जाते हैं, तब तक चलते हैं। 

प्रश्न 1. लेखिका के बचपन में साम्प्रदायिक वातावरण कैसा था? बताइए। 
प्रश्न 2. 'मेरे बचपन का क्रम वही चला' इसमें लेखिका ने किस क्रम का उल्लेख किया है? 
प्रश्न 3. 'यह बहुत बड़ी बात थी'-लेखिका ने किसे बहुत बड़ी बात कहा? प्रश्न 4. बचपन के संस्कारों की क्या विशेषता होती है? 
उत्तर : 
1. लेखिका के बचपन में सभी जातियों एवं सभी धर्मों के लोगों में परस्पर सद्भाव एवं मेल-मिलाप था। सब एक-साथ रहते थे और उस समय साम्प्रदायिकता नहीं थी। 

2. इसमें लेखिका ने उस क्रम का उल्लेख किया है, जिसमें एक-साथ रहने वाले लोग क्षेत्रीय भाषा में बातें करते थे, उन्हें इस बात पर कोई विवाद नहीं होता था। हिन्दी में वार्तालाप करने में सभी सुविधा का अनुभव करते थे। उस समय लेखिका विद्यालय में जिस भाषा का प्रयोग करती रही, आगे भी उसने वही किया। 

3. लेखिका ने बताया कि उस समय अवध की लड़कियाँ अवधी और बुन्देलखण्ड की लड़कियाँ आपस में बुन्देली बोलती थीं। परन्तु वे सब हिन्दी पढ़ती थीं तथा उन्हें उर्दू भी पढ़ाई जाती थी। परन्तु आपस में वे सब अपनी भाषा में ही बोलती थीं। यही विशेषता या सद्भावना बहुत बड़ी बात थी। 

4. बचपन के संस्कार कोमल मानस-पटल पर मजबूती से जम जाते हैं और बड़े हो जाने पर भी वे भुलाये नहीं जाते हैं। बचपन के संस्कारों की यह विशेषता होती है कि वे आजीवन व्यक्ति के आचार-व्यवहार आदि को प्रभावित करते हुए साथ रहते हैं। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

6. वही प्रोफेसर मनमोहन वर्मा आगे चलकर जम्मू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे, गोरखपुर यूनिवर्सिटी के भी रहे। कहने का तात्पर्य यह कि मेरे छोटे भाई का नाम वही चला जो ताई साहिबा ने दिया। उनके यहाँ भी हिन्दी चलती थी, उर्दू भी चलती थी।यों, अपने घर में वे अवधी बोलते थे। वातावरण ऐसा था उस समय कि हम लोग बहुत निकट थे। आज की स्थिति देखकर लगता है, जैसे वह सपना ही था। आज वह सपना खो गया। 

प्रश्न 1. प्रोफेसर वर्मा कौन थे? उनका नामकरण किसने किया था?
प्रश्न 2. बेगम साहिबा के घर में कौन-कौन सी भाषाएँ बोली जाती थीं? 
प्रश्न 3. महादेवी के बचपन और वर्तमान स्थिति में क्या अन्तर आ चुका है? 
प्रश्न 4. 'जैसे वह सपना ही था, आज वह सपना खो गया।' यहाँ लेखिका ने किस सपने की बात कही है और क्यों? 
उत्तर : 
1. प्रोफेसर वर्मा महादेवीजी के छोटे भाई थे। जो जम्मू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और गोरखपुर यूनिवर्सिटी के भी वाइस चांसलर रहे थे। उनका नामकरण महादेवी वर्मा के पड़ोस में रहने वाली बेगम साहिबा ने किया था। जिन्हें वह ताई साहिबा कहती थी। 
2. बेगम साहिबा के घर में हिन्दी, उर्दू तथा अवधी तीनों भाषाएँ बोली जाती थीं। लेकिन बेगम साहिबा के घर में अवधी भाषा का ही अधिकतर प्रयोग होता था। 
3. महादेवी के बचपन में सांप्रदायिक मेलजोल का वातावरण था। हिन्दू और मुसलमान बिना भेदभाव के आपस में मिलकर रहते थे। धीरे-धीरे इस सांप्रदायिक मेल-जोल में अन्तर आता चला गया। परिणामस्वरूप हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे को द्वेषता पूरित नजरों से देखने लगे.थे। 
4. यहाँ लेखिका ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के सपने की बात कही है जो समय और परिस्थितियों के आधार पर टूट गया और दोनों ही संप्रदायों में वैमनस्यता का भाव बढ़ गया। यदि हिन्दू और मुसलमान पूर्व की तरह भाई-भाई की तरह रहते तो आज दुनिया की नजरों में उनकी तस्वीर दूसरी ही होती। 

बोधात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
लेखिका के जन्म पर उसकी खातिर क्यों की गई? 'मेरे बचपन के दिन' पाठ के आधार पर लिखिए। 
उत्तर : 
लेखिका ने बताया कि उनके घर-परिवार में पिछले दो सौ वर्षों से कोई कन्या का जन्म नहीं हुआ था। उनके बाबा ने अपनी कुलदेवी दुर्गा की विशेष आराधना कर कन्या-जन्म की प्रार्थना की थी। इस तरह दुर्गा पूजा के बाद कन्या रूप में लेखिका का जन्म हुआ था। इसी कारण उसकी बड़ी आस्था के साथ खातिर की गई और उसे अन्य लड़कियों की तरह कोई कष्ट नहीं झेलना पड़ा था। 

प्रश्न 2. 
महादेवी वर्मा के जन्म पर लड़कियों की स्थिति-परिवर्तन के क्या कारण रहे होंगे? 
उत्तर : 
महादेवी वर्मा के जन्म से पहले समाज में लड़कियों को जन्म लेते ही परमधाम भेज देते थे। उस समय लड़कियाँ पैदा होना अच्छा नहीं मानते थे। इस तरह तब कन्या-जन्म पर रोक लगी हुई थी। परन्तु समाज में प्रचलित इस बुराई के प्रति विरोध की आवाज उठने लगी तथा कन्या-हत्या को अपराध माना जाने लगा। समाज-सुधारकों ने इस कुप्रथा को मिटाने के प्रयास किये। फलस्वरूप कन्या-जन्म को शुभ माना जाने लगा और लड़कियों की लड़कों की तरह ही परवरिश होने लगी। नारी-जागरण की भावना का प्रसार होने लगा। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 3. 
महादेवी वर्मा के लिखने-पढ़ने के संस्कार किस तरह विकसित हुए? 
उत्तर : 
महादेवी का जन्म होने पर उनके बाबा ने उन्हें विदुषी बनाने का निश्चय व्यक्त किया। इसी कारण उन्हें बचपन में संस्कृत के साथ उर्दू-फारसी का भी ज्ञान कराया। वे अपनी माँ से गीता का पाठ सुनती थीं। फिर क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में जाने पर लेखिका में लिखने-पढ़ने के संस्कार विकसित होने लगे। वे वहाँ पर सुभद्राजी का अनुसरण कर कविताएँ लिखने का अभ्यास करने लगीं और उनके साथ कवि-सम्मेलनों में जाने लगीं। कॉलेज की सहपाठिनी लड़कियों के साथ रहने से उनकी प्रतिभा का विकास हुआ। इस तरह उनमें सुशिक्षा के संस्कार विकसित होते रहे। 

प्रश्न 4. 
हमारे समाज में महादेवी वर्मा के बचपन और वर्तमान स्थिति में क्या परिवर्तन आ गया है? 
उत्तर : 
महादेवी वर्मा के बचपन में हिन्दुओं एवं मुसलमानों में आपसी भेदभाव कम ही था। उस समय दोनों सम्प्रदाय भाई-चारे का व्यवहार रखते थे। परन्तु अब राजनीतिक कुचक्र के कारण हिन्दू-मुसलमानों में वैसा प्यार और भाईचारा नहीं रह गया है। महादेवी वर्मा के जन्म-काल में लड़कियों को अनेक कष्ट सहने पड़ते थे, नारी-सम्मान की कमी थी, परन्तु अब वैसी स्थिति नहीं है। अब कन्याओं की सुख-सुविधा एवं शिक्षा आदि को लेकर काफी परिवर्तन आ गया है। फिर भी पिछड़े वर्गों में स्थिति कुछ चिन्तनीय बनी हुई है। 

प्रश्न 5.
स्वतंत्रता आन्दोलन में कवि सम्मेलनों का क्या योगदान था? 
उत्तर : 
स्वतन्त्रता आन्दोलन में कांग्रेस पार्टी आजादी प्राप्त करने की आकांक्षा के साथ-साथ देश को एकता के सूत्र में भी बाँधना चाहती थी, इसके लिए वह हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार कर रही थी। इस दृष्टि से जगह-जगह पर हिन्दी कवि सम्मेलन आयोजित किए जाते थे जिनकी अध्यक्षता हिन्दी के शीर्षस्थ कवि किया करते थे। इन्हीं के प्रयासों से देश में हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार और स्वदेश प्रेम की भावना का जागरण हुआ। 

प्रश्न 6. 
लेखिका की शिक्षा की शुरूआत किस तरह हुई? 
उत्तर : 
लेखिका के परिवार में हिन्दी का कोई वातावरण नहीं था। परिवार में हिन्दी की शुरूआत इनकी माँ से हुई। लेखिका को उनकी माँ ने 'पंचतन्त्र' पढ़ना सिखाया, कुछ संस्कृत भी पढ़ी। इनके बाबा इन्हें विदुषी बनाना चाहते थे, इसलिए वे चाहते थे कि बालिका महादेवी संस्कृत के साथ उर्दू-फारसी भी सीख ले। परन्तु लेखिका ने उर्दू-फारसी नहीं सीखी। फिर इन्हें मिशन स्कूल में प्रवेश दिलाया। वहाँ इनका मन नहीं लगा तो क्रास्थवेट गर्ल्स कालेज में भेजा गया, जहाँ उन्हें पाँचवीं में प्रवेश मिला। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 7. 
लेखिका की सुभदाजी से किस तरह मित्रता हुई? 
उत्तर : 
छात्रावास के एक कमरे में चार लड़कियाँ रहती थीं। उस कमरे में लेखिका की पहली साथिन सुभद्रा कुमारी थी। वे लेखिका से दो कक्षा सीनियर अर्थात् सातवीं कक्षा में पढ़ती थीं। वे कविता लिखती थीं। लेखिका भी बचपन से तुकबन्दी किया करती थी। सुभद्राजी कविता-रचना में प्रतिष्ठित हो गई थीं, इसलिए लेखिका उनसे छिप छिपकर लिखती थी। सुभद्राजी के पूछने पर लेखिका ने कविता-रचना की बात नकार दी, परन्तु तलाशी लेने पर उनकी किताबों से देर-सारी कविताएँ निकलीं। फिर तो सुभद्राजी ने छात्रावास में सबसे लेखिका का परिचय कवयित्री के रूप में कराया। इस प्रकार दोनों में मित्रता हो गई।

प्रश्न 8. 
लेखिका ने ब्रजभाषा में कविता लिखना क्यों प्रारम्भ किया? 
उत्तर : 
बचपन में लेखिका की माँ स्वयं गीत लिखती थीं और विशेषकर मीरां के भक्ति-पद गाया करती थीं। वे प्रभात काल में 'जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले' यह गाती थीं। इस प्रकार वे ब्रजभाषा के पद मधुर स्वर में गाती थीं, जिसे सुन-सुनकर लेखिका ने भी ब्रजभाषा में लिखना प्रारम्भ किया। 

प्रश्न 9. 
लेखिका को कवि-सम्मेलनों में भाग लेने से क्या लाभ रहा? 
उत्तर : 
उस समय हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो रहा था। अतएव जहाँ-जहाँ हिन्दी का प्रचार-कार्यक्रम होता एवं कवि-सम्मेलन होते थे, वहाँ-वहाँ जाकर लेखिका कविता-पाठ करती थीं। उन सम्मेलनों में उन्हें पुरस्कार मिलता था। इससे उन्हें सौ से अधिक पदक मिले होंगे। एक बार उन्हें चाँदी का नक्काशीदार सुन्दर कटोरा मिला था। इस प्रकार सम्मेलनों में भाग लेने से लेखिका को प्रतिभा निखारने एवं शिक्षित समाज में प्रतिष्ठा बढ़ने का लाभ रहा। 

प्रश्न 10. 
पुरस्कार में चाँदी का कटोरा मिलने पर सुभद्राजी ने लेखिका से क्या कहा? 
उत्तर : 
लेखिका ने कवि-सम्मेलन से लौटकर सुभद्राजी को पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा दिखाया। तब सुभद्राजी ने कहा कि ठीक है, अब तुम एक दिन खीर बनाओ और मुझको इस कटोरे में खिलाओ। 

प्रश्न 11. 
'मेरे बचपन के दिन' संस्मरण के आधार पर बताइए कि जेबुन्निसा कौन थी? वह महादेवी की क्या मदद करती थी? 
उत्तर : 
जेबन्निसा एक मराठी लडकी थी. जो सभद्राजी के जाने के बाद उनकी जगह पर छात्रावास में आयी थी। वह महादेवी के साथ रहकर उनका बहुत-सा काम कर देती थी। वह उनकी डेस्क साफ कर देती थी, किताबें ठीक से रख देती थी, जिससे लेखिका को कविता लिखने का भी समय मिल जाता था। वह मराठी शब्दों से मिश्रित हिन्दी बोलती थी। लेखिका भी उससे कुछ-कुछ मराठी सीखने लगी थी।

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन
 
प्रश्न 12. 
महादेवी की हिन्दी के प्रति रुचि कैसे जागी? 
उत्तर : 
महादेवी के घर हिन्दी का वातावरण नहीं था। उनकी माता हिन्दी अवश्य जानती थी। उन्होंने ही महादेवी को पंचतन्त्र पढ़ना सिखाया, फिर क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में सुभद्रा कुमारी चौहान आदि सहपाठिनों के सम्पर्क से हिन्दी भाषा का परिष्कार होने लगा। तभी से महादेवी की हिन्दी के प्रति रुचि जागी। 

प्रश्न 13.
"शायद वह सपना सत्य हो जाता तो भारत की कथा कुछ और होती।" इस कथन से लेखिका ने क्या व्यंजना की है? 
उत्तर : 
इस कथन से लेखिका ने यह व्यंजना की है कि उन्होंने अपने बचपन में हिन्दू-मुसलमान परिवारों में पारस्परिक प्रेम, मित्रता, उदारता एवं आत्मीयता का जो सपना देखा था, यदि वह सत्य हो जाता; तो आज सारे भारत में दोनों ही सम्प्रदायों में भाईचारे का प्रसार होता। दोनों सम्प्रदायों के मेल-मिलाप से देश में सर्वत्र शान्ति स्थापित हो प्रगति का मार्ग प्रशस्त रहता। तब भारत की कथा कुछ और ही होती। 

प्रश्न 14. 
'मेरे बचपन के दिन' संस्मरण के आधार पर बताइए कि महादेवी वर्मा के जीवन पर किन-किन लोगों का अधिक प्रभाव पड़ा? 
उत्तर : 
महादेवी वर्मा ने संस्मरण में बताया कि उनके बाबा उन्हें विदुषी बनाना चाहते थे। फिर माँ ने 'पंचतन्त्र' पढ़ना सिखाया, भजन के पदों से प्रभावित किया। इस प्रकार महादेवी वर्मा के जीवन पर पहले बाबा और माँ का प्रभाव पड़ा। फिर सहपाठिन रूप में सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रभाव पड़ा और वे कविता-रचना करने लगी और कवि-सम्मेलनों में भाग लेने लगीं। गाँधीजी का महादेवी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा, इससे वे देशसेवा के कार्य में लग गईं। जवारा की बेगम साहिबा का भी साम्प्रदायिक सद्भाव रखने का प्रभाव पड़ा।

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 15. 
'जवारा की बेगम साहिबा' के प्रसंग का स्मरण कर महादेवी वर्मा ने क्या सन्देश दिया है? 
उत्तर : 
जवारा की बेगम साहिबा के मन में हिन्दू-मुसलमान का भेद नहीं था। धार्मिक कट्टरता से भी वह मुक्त थी। वह महादेवी वर्मा के परिवार से भाईचारा रखती थी। इसी से वह महादेवी आदि को अपने पुत्र को राखी बँधवाती थी और मुहर्रम पर उन सभी को आमन्त्रित करती थी। महादेवी वर्मा उसे 'ताई साहिबा' कहती थी तो उनके बच्चे ची जान' कहते थे। महादेवी के भाई का नामकरण भी उन्हीं ने किया था। लेखिका ने जवारा की बेगम साहिबा के प्रसंग का स्मरण कर धार्मिक सद्भाव रखने तथा साम्प्रदायिक भेद-भाव न रखने का सन्देश दिया है।

प्रश्न 16. 
महादेवी वर्मा ने मिशन स्कूल में जाना क्यों बन्द किया? 
उत्तर : 
महादेवी वर्मा की माँ ने उसे 'पंचतन्त्र' पढ़ाया था, गीता के श्लोक एवं मीरा के पद सुनाये थे। जब माँ पूजा-पाठ करती तो लेखिका भी वहीं पर बैठ जाती थी। इस प्रकार घर का वातावरण बहुत अच्छा था। महादेवी वर्मा को जब मिशन स्कूल में दाखिला कराया, तो वहाँ का वातावरण एकदम भिन्न था। वहाँ प्रार्थना भी दूसरी थी। इस कारण उनका मन नहीं लगा और लेखिका ने उस स्कूल में जाना बन्द कर दिया। 

प्रश्न 17. 
लेखिका बापू से मिलने जाते समय अपने साथ पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा क्यों ले गई थीं? कटोरा खोने पर भी लेखिका क्यों प्रसन्न थीं? 
उत्तर : 
लेखिका को कविता-पाठ में प्रथम पुरस्कार के रूप में चाँदी का नक्काशीदार कटोरा मिला था। गाँधीजी से मिलने जाते समय लेखिका उन्हें दिखाने के लिए तथा उनकी प्रशंसा पाने के लिए कटोरा साथ ले गई थीं। बापू ने वह कटोरा हाथ में लिया और अपने पास रख लिया। तब कटोरा खोने पर लेखिका मन-ही-मन प्रसन्न थीं कि पुरस्कार में मिला कटोरा देशहित में काम आयेगा। उसने अपना कटोरा बापू को देकर बड़ा त्याग किया है। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 18. 
साम्प्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज का वातावरण कितना अच्छा था? लिखिए। 
उत्तर : 
क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में हिन्दू-मुस्लिम और ईसाई लड़कियाँ साथ-साथ पढ़ती थीं। वहाँ छात्रावास में अलग-अलग प्रान्तों से आयी हुई लड़कियाँ अपनी-अपनी भाषा में बोलती थीं, परन्तु सभी हिन्दी-उर्दू पढ़ती थीं। सभी एक साथ प्रार्थना करती थीं और सभी के लिए एक मेस था, जिसमें प्याज का प्रयोग नहीं होता था। उन लड़कियों में जाति-धर्म अथवा साम्प्रदायिकता की भावना नहीं थी, भाषा एवं प्रान्तीयता का भेद-भाव नहीं था। इस प्रकार वहाँ साम्प्रदायिक सद्भाव एवं राष्ट्रीय एकता के आदर्श विद्यमान थे।

मेरे बचपन के दिन Summary in Hindi

लेखिका परिचय - छायावाद की प्रमुख कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 में उत्तर प्रदेश के फ़र्रुखाबाद शहर में हुआ। इन्होंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. करने के बाद प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्या पद का कार्यभार संभाला। उन्हें सरकार से 'पद्मभूषण' तथा 'यामा' काव्य-संग्रह पर 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ। संस्मरण एवं रेखाचित्र लेखन में उनका अग्रणी स्थान रहा है। इन्होंने काव्य एवं गद्य में पर्याप्त साहित्य-सृजन किया है।

पाठ-सार - प्रस्तुत पाठ 'मेरे बचपन के दिन' में महादेवी वर्मा ने अपने बचपन का मधुर शब्दों में वर्णन किया है। उनका जन्म ऐसे परिवार में हुआ था, जिसमें लगभग दो सौ वर्षों से कोई कन्या नहीं हुई थी। उनके बाबा द्वारा कुल-देवी दुर्गा की पूजा करने के बाद जन्म होने से इनका खूब सत्कार हुआ। माँ के प्रयासों से लेखिका ने हिन्दी, संस्कृत पढ़ना सीख लिया था। 

पहले मिशन स्कूल में प्रवेश लिया, फिर क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में भेजा गया। वहाँ छात्रावास के एक कमरे में चार छात्राओं में से एक सुभद्रा कुमारी भी थी। सुभद्राजी द्वारा गीत-रचना करने का प्रभाव लेखिका पर भी पड़ा और वे भी कविता-रचना करने लगीं। फिर कवि-सम्मेलनों में भाग लेने लगी और एक बार पुरस्कार में चाँदी का एक कटोरा प्राप्त किया। वह कटोरा सत्याग्रह आन्दोलन के निमित्त इलाहाबाद आये गाँधी को उन्होंने भेंट कर दिया था। 

कॉलेज के छात्रावास में साम्प्रदायिकता नहीं थी। वहाँ पर अलग धर्मों एवं विभिन्न प्रान्तों की लड़कियाँ मिलकर रहती थीं। लेखिका का परिवार जहाँ पर रहता था, वहाँ पर जवारा के नवाब साहब का परिवार भी रहता था। उन परिवारों में अत्यन्त आत्मीयता थी और वे सभी त्योहार आपस में मिलकर मनाते थे। नवाब साहब की बेगम ने ही लेखिका के छोटे भाई का नाम मनमोहन रखा था। उस समय की सामाजिक स्थिति अतीव सहज थी, लगता है वह समय अंब खो गया। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

कठिन-शब्दार्थ : 

  • स्मृतियाँ = यादें। 
  • आकर्षण = खिंचाव। 
  • विदुषी = बुद्धिमती। 
  • दर्जा = कक्षा।
  • मेस = भोजनालय। 
  • प्रभाती = सुबह के समय गाया जाने वाला गीत। 
  • कम्पाउंड = क्षेत्र। 
  • निराहार = बिना भोजन के। 
  • वाइस चांसलर = उप कुलपति।
Prasanna
Last Updated on May 12, 2022, 3:42 p.m.
Published May 12, 2022