RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

RBSE Class 9 Hindi यमराज की दिशा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई? 
उत्तर : 
कवि को बचपन से ही उसकी माँ ने ऐसे संस्कार दिये थे कि वह आस्थावादी बन गया था। इस तरह कवि को माँ ने जो ज्ञान दिया था, उससे उसे दक्षिण दिशा पहचानने में मुश्किल नहीं हुई। 

प्रश्न 2. 
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था? 
उत्तर : 
कवि ने ऐसा इसलिए कहा कि दक्षिण दिशा का ऐसा कोई अन्तिम बिन्दु या अन्तिम छोर नहीं है, जहाँ पर यह दिशा समाप्त होती है। इसलिए दक्षिण दिशा को लाँघ पाना संभव नहीं है। 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

प्रश्न 3. 
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है? 
उत्तर : 
कवि के अनुसार आज समाज की परिस्थितियाँ बदल गयी हैं और सभी दिशाएँ दक्षिण हो गयी हैं, क्योंकि आज शोषण, उत्पीडन, अन्याय, हिंसा-लटपाट आदि आपराधिक कार्य बडे-बडे शानदार भवनों में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा किए जा रहे हैं। इस कारण अब विनाश-विध्वंस की कोई एक निश्चित दिशा नहीं रह गयी है। 

प्रश्न 4. 
भाव स्पष्ट कीजिए-
'सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं 
और वे सभी में एक साथ - अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं' 
उत्तर : 
कवि का मानना है कि बदले जमाने में शोषण करने वाले आज यमराज के समान क्रूर हैं। वे सब जगह आराम और ठाठ-बाट से रहते हैं। वे क्रोध, घृणा और क्रूरता से पूरित हैं और सबके साथ कठोरता से पेश आते हैं। 

रचना और अभिव्यक्ति -

प्रश्न 5. 
कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी 
(क) वह आपको क्या सीख देती हैं? 
उत्तर : 
मेरी माँ मुझे सीख देती है कि अच्छे संस्कारवान् बनो। बड़ों का आदर करो, छोट को प्यार दो। गुरुजनों की आज्ञा मानो। ईश्वर सब पदार्थों एवं समस्त सृष्टि में व्याप्त है। वह हमारे मन की बात भी जानता है। अत: ऐसा कोई भी काम मत करो, जिससे ईश्वर कृपा करना छोड़ दे। गरीबों एवं असहायों की सहायता करो, असत्य मत बोलो तथा सार्वजनिक सम्पत्ति को कभी नुकसान मत पहुँचाओ। सदा सभ्य मानव बनने का प्रयास करो। 

(ख) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं? 
उत्तर : 
माँ की अधिकतर सीख मुझे उचित जान पड़ती है, क्योंकि वह अपनी सन्तान का हित चाहती है, उसे जीवन में बाधाओं से बचाना चाहती है। वह सन्तान को समझदार, सुयोग्य एवं संस्कारवान् बनाना चाहती है। सन्तान की प्रगति एवं सुखमय भविष्य की वह सदा कामना करती है। 

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प्रश्न 6.
कभी-कभी उचित-अनुचित के निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं? 
उत्तर :
ईश्वर का भय दिखाने के ये कारण हो सकते हैं - 

  1. आस्थावादी होने तथा ईश्वर को मानने के संस्कार पनपें
  2. आचरण में पवित्रता आवे 
  3. सामाजिक संवेदना एवं मूल्यों का ज्ञान होता रहे 
  4. अनुचित एवं अवांछित कार्यों से विरत होवें
  5. मर्यादित जीवन जीने का प्रयास करें तथा
  6. बुरी प्रवृत्तियों एवं कुत्सित विचारधाराओं का यथाशक्ति विरोध करने का साहस रखें। 

पाठेतर सक्रियता - 

कवि का मानना है कि आज शोषणकारी ताकतें अधिक हावी हो रही हैं। आज की शोषणकारी शक्तियों' विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए। 
उत्तर : 
आज के भौतिकवादी युग में अर्थोपार्जन अर्थात् धन ही जीवन का मूल- मन्त्र बन गया है। चाहे उचित अनुचित कुछ भी करना पड़े, परन्तु धनार्जन निरन्तर होता रहे। इस निमित्त स्वार्थ प्रबल बन जाता है और शोषण-उत्पीड़न का दौर चल पड़ता है। होटलों एवं ढाबों में उनके मालिक नौकरों का शोषण करते हैं। वहाँ पर बच्चों से काम लिया जाता है और वेतन के बदले मार-पिटाई मिलती है। मिल-मालिक, ठेकेदार आदि पूँजीपति वर्ग श्रमिकों का शोषण करते हैं। 

कार्यालयों में बड़े अफसर अपने मातहतों का अनेक प्रकार से शोषण करते हैं। राजनैतिक भ्रष्टाचार भी शोषण के कारण ही बढ़ रहा है। नारी जाति का शोषण तो हर तरह से किया जाता है। शोषकों के मन में अब ईश्वर का जरा भी भय नहीं रह गया है। शोषित पीड़ित व्यक्ति का एकमात्र सहारा ईश्वर ही है। शोषित लोग इसे अब ईश्वर की इच्छा और भाग्य का खेल मान लेते हैं। इस कारण भी आज शोषक-वर्ग की शक्तियाँ उत्तरोत्तर बढ़ रही हैं और वे अनेक रूपों में जनता को भयभीत बनाकर स्वार्थ साध रही हैं। समाज की यह स्थिति वस्तुतः पूर्णतया चिन्तनीय है।

RBSE Class 9 Hindi यमराज की दिशा Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न : 

प्रश्न 1. 
कवि की माँ जिंदगी जीने के तरीके सीख लेती है 
(क) ईश्वर की कृपा पर 
(ख) ईश्वर की दी सलाह पर 
(ग) पिता द्वारा दी सलाह पर 
(घ) स्वयं के ज्ञान से। 
उत्तर : 
(ख) ईश्वर की दी सलाह पर

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प्रश्न 2. 
कवि की माँ ने उससे एक बार कहा था- 
(क) यमराज को नाराज मत करना 
(ख) उत्तर की ओर पैर करके मत सोना 
(ग) गरीबों का शोषण मत करना। 
(घ) दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी मत सोना। 
उत्तर : 
(घ) दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी मत सोना।

प्रश्न 3. 
यह बुद्धिमानी की बात नहीं 
(क) देर से सो कर उठना 
(ख) यमराज को कृद्ध करना 
(ग) दक्षिण की ओर पैर करना 
(घ) सफेदपोशी पर विश्वास करना। 
उत्तर : 
(ख) यमराज को कृद्ध करना 

प्रश्न 4. 
माँ की समझाइश का कवि को फायदा हुआ 
(क) बड़ों का आदर करने लगा 
(ख) शोषकों को पहचानने लगा 
(ग) गरीबों पर दया करने लगा 
(घ) दक्षिण दिशा पहचानने लगा। 
उत्तर : 
(घ) दक्षिण दिशा पहचानने लगा। 

प्रश्न 5. 
माँ के समय और वर्तमान में अन्तर आ चुका है। 
(क) अब सारी दिशाएँ दक्षिण हो चुकी हैं। 
(ख) अब दक्षिण दिशा की मान्यता नहीं रही। 
(ग) अब सत्य और असत्य में अन्तर नहीं है। 
(घ) अब प्रेम का बोलबाला नहीं रहा। 
उत्तर : 
(क) अब सारी दिशाएँ दक्षिण हो चुकी हैं।

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बोधात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. 
कवि से उसकी माँ ने एक बार क्या कहा था? 
उत्तर : 
कवि से उसकी माँ ने एक बार कहा था कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी मत सोना, क्योंकि वह दिशा यमराज की दिशा है, वहाँ यमराज का घर है। उस दिशा की ओर पैर करके सोने से यमराज नाराज हो जाता है और व्यक्ति की मौत आ जाती है। अतएव यमराज को नाराज करना कोई बुद्धिमानी का काम नहीं है। 

प्रश्न 2. 
माँ की समझाइश के बाद कवि ने क्या किया और उसे क्या ज्ञान हो गया? 
उत्तर : 
माँ की समझाइश के बाद कवि कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोया। वह यमराज की नाराजगी से बचने का सदा प्रयास करता रहा। साथ ही उसे यह लाभ हुआ कि मौत से बचने का प्रयास करता रहा तथा दक्षिण दिशा की पहचान का ज्ञान हो गया। 

प्रश्न 3. 
कवि यमराज का घर देखना चाहता हुआ भी क्यों नहीं देख सका? 
उत्तर : 
कवि माँ की समझाइश के बाद अपनी जिज्ञासा शान्त करने के लिए यमराज का घर देखना चाहता था और इस दृष्टि से वह दक्षिण दिशा की ओर गया, परन्तु उसे दक्षिण दिशा का अन्तिम छोर नहीं मिला। इसलिए वह यमराज को देखना चाहता हुआ भी देख नहीं सका। 

प्रश्न 4.
कवि ने अपनी माँ के किस व्यक्तित्व की व्यंजना की है? बताइए।
उत्तर : 
कवि ने माँ के आस्थावादी व्यक्तित्व की व्यंजना की है। वह कहा करती थी कि वह प्रत्येक काम ईश्वर से' प्राप्त सलाह पर ही करती थी। इस आधार पर कवि की माँ का व्यक्तित्व आस्थावाद्री, संस्कारों से मण्डित, पवित्र आचरण से पूरित, लोकहित की भावना तथा मान्य परम्पराओं के प्रति निष्ठा व्यक्त करने वाला था। 

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प्रश्न 5. 
कवि चन्द्रकान्त देवताले के अनुसार यमराज सभी दिशाओं में किस तरह विराजते हैं? 
उत्तर : 
कवि चन्द्रकान्त देवताले ने बताया कि उसे वैसे तो सभी दिशाओं में यमराज दिखाई देते हैं। यमराज अपने आलीशान महलों में रहते हैं तथा अभिमान के कारण उनकी आँखें सदा दहकती रहती हैं। कवि दक्षिणपंथी एवं आतंकवादी विचारधारा का प्रबल विरोधी है। उसे पहले दक्षिण दिशा में, फिर सभी दिशाओं में यमराज मौज से अपने महलों में बैठे दिखाई देते हैं। वे दक्षिणपंथी लोग सब तरह से सम्पन्न हैं तथा आम जनता का शोषण-उत्पीड़न करते रहते हैं। 

प्रश्न 6. 
क्या बचपन में माँ के द्वारा दी गई सलाह और वर्तमान परिस्थितियों में सामंजस्य दिखाई देता है? 'यमराज की दिशा' कविता के आलोक में उत्तर दीजिए। 
उत्तर : 
बचपन में माँ ने कवि को सलाह दी थी कि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा है। अतः उस ओर कभी पैर न पसारना। वर्तमान में परिस्थतियाँ कुछ बदल गयी हैं। कवि वामपंथी विचारधारा का समर्थक होने से ऐसा मानता है कि दक्षिणपंथी विचारधारा मौत की राह है। अतः उसे वर्तमान में हर दिशा में दक्षिणपंथी विचारधारा का बोलबाला एवं प्रभाव दिखाई दे रहा है। परन्तु कवि की ऐसी मान्यता केवल वैचारिक मतभेद के कारण है। वस्तुतः वर्तमान ने मानव-समाज में उत्पीड़न-शोषण, आतंक एवं विनाश के कई अन्य तत्व उभर रहे हैं। वे सभी यमराज जैसे ही हैं। 

प्रश्न 7.
माँ की कही हुई बातों में और आज के प्रगतिशील युग की सोच में अब क्या अन्तर रह गया है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
माँ द्वारा दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा बताने में आंशिक सत्यता तो थी, परन्तु स्पष्टता नहीं थी। माँ का कथन केवल आस्थावादी चिन्तन पर आधारित था। आज प्रगतिशील युग में हर बात को तर्क से परखा-समझा जाता है और उसके बाद ही अपनाया जाता है। पहले आस्था और विश्वास का युग था, परन्तु अब तर्क, संशय, संवेदना एवं बौद्धिकता का युग है। इसी से अब दोनों की सोच में काफी अन्तर दिखाई देता है। 

प्रश्न 8. 
क्या यमराज की दिशा' कविता प्रतीकात्मक है? सतर्क उत्तर दीजिए। 
उत्तर : 
दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा मानना अन्धविश्वास, कोरी आस्था एवं कपोल कल्पना का परिणाम है। यमराज कहाँ रहता है? यमलोक कहाँ पर अवस्थित है और उसका अस्तित्व किस रूप में माना जाये? यह सब पौराणिक मान्यताओं का विषय है। वर्तमान प्रगतिवादी युग में कवि ने दक्षिणपंथी विचारधारा को ही यमराज की दिशा का प्रतीक बताया है। अपनी वैचारिक चेतना से कवि ने ऐसा प्रतीकात्मक वर्णन किया है कि यमराज की दिशा दक्षिण है तथा वह समाज में मौत का सौदागर है। वस्तुतः सामाजिक बुराइयों, विघटन एवं संन्यास की स्थितियों को यमराज की दिशा का प्रतीक मानना उचित है। 

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प्रश्न 9. 
हर जगह दक्षिण दिशा हो जाने का क्या आशय है? 
उत्तर : 
हर जगह दक्षिण दिशा हो जाने का आशय यह है कि आज चारों ओर शोषण उत्पीड़न, हिंसा, क्रूरता, अव्यवस्था और विध्वंस का बोलबाला है। परिणामस्वरूप आम आदमी जिस भी दिशा की ओर बढ़ता है, उसे वहीं ये सारी बुराइयाँ दिखाई देती हैं और वह खुद भी उनका शिकार होता है।
 
प्रश्न 10. 
'यमराज की दिशा' कविता में कवि ने क्या सन्देश व्यक्त किया है? 
उत्तर : 
प्रस्तुत कविता में कवि ने वर्तमान काल में सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर संकेत कर सन्देश दिया है कि जन-विरोधी शक्तियों का प्रसार रोका जाना अत्यन्त जरूरी है। अब स्वार्थी एवं शोषक लोगों के अनेक रूप सामने आ रहे हैं। कोई आतंकवाद का सहारा ले रहा है, तो कोई कालाबाजारी, मिलावटखोरी, जालसाजी, भ्रष्टाचार आदि कुकृत्यों का सहारा लेकर जनता की मौत का सौदागर बन रहा है। इसलिए इन सब बुराइयों के निराकरण का सशक्त सन्देश व्यक्त किया है। 

प्रश्न 11. 
'यमराज को कुद्ध करना बुद्धिमानी की बात नहीं-'माँ ने ऐसा क्यों कहा? 
उत्तर : 
प्रत्येक माँ अपने पुत्र को जीवन में मिलने वाली अज्ञात कठिनाइयों से बचाना चाहती है। धार्मिक आस्थावादी होने से कवि की माँ ने अपने पुत्र के मंगलमय जीवन को लेकर ऐसा कहा कि यमराज मृत्यु का देवता माना जाता है और उसकी दिशा दक्षिण मानी जाती है। अतः उस ओर पैर करके सोने में यमराज नाराज हो जायेगा। इससे मौत जल्दी आ जायेगी। इसी विचार से माँ ने ऐसा कहा। 

प्रश्न 12. 
'ईश्वर से उसकी बात होती रहती है-''यमराज की दिशा' कविता के आधार पर इसका प्रतीकार्य बताइये। 
उत्तर :
'यमराज की दिशा' कविता में कवि चन्द्रकान्त देवताले ने अपनी माँ को आस्थावादी बताया है। ऐसा व्यक्ति जहाँ ईश्वर पर आस्था रखता है, वहीं वह आत्मा की आवाज भी सुनता है। अगर सच्चे हृदय से कोई कार्य किया जाए, तो उसमें बाधाएँ नहीं आती हैं, ईश्वर से बात करने का प्रतीकार्थ यही है कि आत्मा की आवाज सुनकर तथा सच्चे हृदय को साक्षी मानकर काम करना ईश्वर से सलाह-सहमति प्राप्त करना जैसा है। इस दृष्टि से किया गया कार्य सभी के लिए मंगलमय एवं शुभफलदायी होता है। 

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प्रश्न 13. 
'दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना'-इस समझाइश के प्रति माँ की कौन-सी भावना व्यक्त होती है? 
उत्तर : 
इस समझाइश के प्रति माँ की यह भावना व्यक्त होती है कि सन्तान को ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे उसका अहित हो और उसे जीवन में कष्ट झेलने पडें। माँ अपने बेटे को परेशानियों से बचाना चाहती है और वह उसके भविष्य को लेकर चिन्ता करती है। उसी से वह उसे अच्छे संस्कार और अच्छी सलाह देती है। उससे उसकी ममता एवं आत्मीयता की भावना व्यक्त होती है, साथ ही पुत्र के कल्याणमय जीवन की कामना प्रकट होती है। 

प्रश्न 14. 
'यमराज की दिशा' कविता का मूल भाव या प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर :
'यमराज की दिशा' कविता में कवि सभ्यता और विकास की खतरनाक दिशा की ओर संकेत करते हुए कहना चाहता है कि वर्तमान में सामाजिक जीवन एवं मानवता का अहित करने वाली ताकतें अर्थात् बुरी प्रवृत्तियाँ चारों तरफ फैलती जा रही हैं। सभी तरफ विध्वंस, हिंसा, शोषण, अत्याचार एवं मौत के चिह्न उभर रहे हैं। इन सभी का। सामना करने से ही यमराज से बचा जा सकता है। सभी मानव-विरोधी शक्तियों से लोग सचेत रहें, अपशकुनों एवं अनिष्ट से बचे रहें, इसके लिए सजग रहना जरूरी है। 

यमराज की दिशा Summary in Hindi

कवि-परिचय - कवि चन्द्रकान्त देवताले का जन्म गाँव जौलखेड़ा जिला बैतूल, मध्यप्रदेश में सन् 1936 में हुआ। उच्च शिक्षा इन्दौर एवं सागर विश्वविद्यालय से प्राप्त की। साठोत्तरी हिन्दी कविता के प्रमुख कवि देवताले ने उच्च शिक्षा-क्षेत्र में अध्यापन कार्य किया। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं-'हड्डियों में छिपा ज्वर', 'दीवारों पर खून से', 'लकड़बग्घा हँस रहा है', 'भूखण्ड तप रहा है', 'पत्थर की बैंच', 'इतनी पत्थर रोशनी' आदि। ये अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हुए। इन्होंने निम्न-मध्यवर्गीय जीवन का यथार्थ चित्रण किया है। 

पाठ-परिचय - पाठ में देवतालेजी की 'यम की दिशा' शीर्षक कविता का समावेश हुआ है। इसमें कवि बताता है कि उनकी माँ ने उन्हें यमराज की दिशा के सम्बन्ध में कहा था। तदनुसार दक्षिण दिशा यमराज की दिशा है। परन्तु कवि मानता है कि आज विध्वंस, हिंसा और मृत्यु के साथ ही अनेक जन-विरोधी ताकतें चारों ओर फैल रही हैं, इस कारण मृत्यु की दिशा अब सब ओर हो गई है, हिंसा और शोषण सर्वव्यापक हो गया है। यह बहुत बड़ी विडम्बना है। आज हमारी किसी भी दिशा में सुरक्षा सुनिश्चित नहीं है। 

भावार्थ एवं अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न

यमराज की दिशा 

1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं 
कहना मुश्किल है 
पर वह जताती थी जैसे 
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है 
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार 
जिन्दगी जीने और दुःख बरदाश्त करने के 
रास्ते खोज लेती है। 
माँ ने एक बार मुझसे कहा था 
दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना 
वह मृत्यु की दिशा है 
और यमराज को कुद्ध करना 
बुद्धिमानी की बात नहीं।

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कठिन-शब्दार्थ : 

  • मुलाकात = भेंट। 
  • जताती थी = विश्वास व्यक्त करती थी। 
  • बरदाश्त = सहन। 
  • यमराज = मृत्यु का देवता। 
  • क्रुद्ध करना = नाराज करना। 

भावार्थ - कवि अपनी माँ को याद कर कहता है कि माँ की ईश्वर से कभी मुलाकात हुई थी या नहीं, यह कहना कठिन है, अर्थात् इस सम्बन्ध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। परन्तु बातचीत करते समय माँ ऐसा विश्वास व्यक्त करती थी जैसे ईश्वर से उसकी भेंट होती ही रहती है और वह ईश्वर से प्राप्त सलाह से ही सारा काम करती है। वही ईश्वर उसे जिन्दगी जीने या सांसारिक जीवन में मिलने वाले दुःखों को सहने का उपाय बता देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि माँ ने जीवन का जो मार्ग खोजा है, वह उसे ईश्वर द्वारा ही बताया गया लगता है। 

कवि स्मरण करता हुआ कहता है कि बचपन में माँ ने मुझे एक बार कहा था-समझाया था कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए, क्योंकि वह दिशा मृत्यु अर्थात् यमराज की है। दक्षिण की ओर पैर करके सोना यमराज अपना नाराज हो जाता है। अतएव यमराज को क्रुद्ध करना बुद्धिमानी का काम नहीं है अर्थात् मौत से नाराजी मोल लेना स्वयं मृत्यु को बुलावा देना जैसा है।। 

प्रश्न 1. 'कहना मुश्किल है'-कवि के लिए क्या कहना मुश्किल है? 
प्रश्न 2. कवि को किस बात का भरोसा नहीं है और क्यों? 
प्रश्न 3. दक्षिण दिशा किसकी मानी जाती है? 
प्रश्न 4. कवि की माँ कवि को क्या बतलाती थी? 
उत्तर : 
1. कवि के लिए यह कहना मुश्किल है कि उसकी माँ पता नहीं ईश्वर से कभी मिली भी थी या नहीं मिली थी। 
2. कवि को इस बात का भरोसा नहीं है कि कभी माँ को ईश्वर से बातचीत करते नहीं देखा और न उसका ईश्वर पर उस तरह का विश्वास है कि वह लोगों की समस्याओं पर बात करने के लिए उनके पास आया करता है। 
3. भारतीय आस्थावादी समाज में पुराणों के अनुसार प्रत्येक दिशा का एक देवता माना जाता है। उसी आस्था के अनुसार दक्षिण दिशा यमराज की मानी जाती है। 
4. कवि की माँ कवि को बतलाती थी कि उसकी ईश्वर से बातचीत होती रहती है और वे उसे जीवन के बारे में तथा दुःख सहने के बारे में सलाह देते रहते हैं। 

2. तब मैं छोटा था 
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था 
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में 
माँ की समझाइश के बाद। 
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया 
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ 
दक्षिण दिशा पहचानने में 
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा।

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कठिन-शब्दार्थ : 

समझाइश = सीख। 

भावार्थ - कवि कहता है कि जब माँ ने मुझे यमराज को नाराज न करने के विषय में समझाया था, तब मैं उम्र में काफी छोटा था। मुझे यमराज के बारे में कुछ भी ज्ञान न था। इस कारण जब मैंने यमराज के घर का पता जानना चाहा, तो माँ ने उसे बताया था कि तुम जहाँ भी हो, वहाँ से हमेशा दक्षिण में यमराज रहता है, अर्थात् दक्षिण दिशा ही यमराज का घर है, वह सदा वहीं रहता है। 

कवि कहता है कि माँ ने समझाया था कि दक्षिण की ओर पैर करके सोने में यमराज नाराज हो सकता है, तब से मैं दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी नहीं सोया। इस बात का ध्यान रखने से मुझे दक्षिण दिशा को पहचानने में सदा फायदा जरूर हुआ और जीवन में कभी भी मुझे मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा। 

प्रश्न 1. माँ ने यमराज के निवास के बारे में कवि को क्या बताया? 
प्रश्न 2. माँ की समझाइश का कवि पर क्या प्रभाव पड़ा? 
प्रश्न 3. 'इससे इतना फायदा जरूर हुआ'-इसमें किस फायदे की बात की गई है? स्पष्ट कीजिए। 
प्रश्न 4. क्या दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से यमराज नाराज हो जाता है? क्या आप इससे सहमत 
उत्तर : 
1. कवि की माँ ने उसे बताया कि यमराज सदा दक्षिण दिशा में रहता है, वहीं उसका निवास है। तुम इस धरती पर जहाँ कहीं भी रहो, चाहे जहाँ हो, हमेशा वहाँ से दक्षिण की ओर यमराज की दिशा होती है। 

2. माँ की समझाइश का कवि पर यह प्रभाव पड़ा कि वह उस दिन से कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोया। 

3. माँ द्वारा समझाने पर कवि को यह फायदा हुआ कि कवि दक्षिण दिशा को अच्छी तरह पहचान गया। उसे दिशा पहचानने में मुश्किल का सामना कभी नहीं करना पड़ा। 

4. यमराज की कौन-सी दिशा है और वह कहाँ रहता है, इसका वास्तविक ज्ञान किसी को नहीं है। यमराज जब मृत्यु का देवता है, तो वह हर कहीं रह सकता है, सब ओर मृत्यु के दर्शन हो जाते हैं। मनुष्य द्वारा दक्षिण दिशा की ओर यमराज नाराज होता है-इससे हम सहमत नहीं हैं। मनुष्य को दक्षिण दिशा में पैर करने से नहीं, अपितु बुरे कर्मों से बचना चाहिए। बुरे कर्मों से ही यमराज नाराज होता है और वह अशुभ फल देता है। 

3. मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया 
और मुझे हमेशा माँ याद आई 
दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था। 
होता छोर तक पहुँच पाना 
तो यमराज का घर देख लेता 
पर आज जिधर भी पैर करके सोओ 
वही दिशा दक्षिण हो जाती है
देशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं और वे सभी में एक साथ अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं। माँ अब नहीं है. 
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही 
जो माँ जानती थी। 

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कठिन-शब्दार्थ :

  • लाँघ लेना = पार करना। 
  • छोर = किनारा, अन्तिम सिरा। 
  • आलीशान = भव्य सजावट वाले। 
  • दहकती = जलती। 

भावार्थ - कवि कहता है कि उसने जीवन में दक्षिण दिशा की दूर-दूर तक यात्राएँ की और उसे हमेशा माँ की याद आयी. जो कहती थी कि जहां भी जाओ उससे दक्षिण में यमराज का निवास है। दक्षिण दिशा के अन्तिम छोर को पार करना सम्भव नहीं है, क्योंकि यदि दक्षिण दिशा का छोर मिलता, अर्थात् उसके अन्तिम छोर तक पहुँचता, तो वह यमराज का घर देख लेता, परन्तु ऐसा सम्भव नहीं था। 

कवि सोच - विचार के साथ कहता है कि आज माँ का वह कथन उचित नहीं लग रहा है। आज तो जिधर भी पैर करके सोओ, वही दिशा दक्षिण हो जाती है, उसी में हमारी मौत हो जाती है। इसलिए अब हर दिशा दक्षिण हो गई है। अब तो यमराज जैसे हत्यारे शानदार भवनों में रहते हैं और उनके महल सब जगह बन गये हैं। सभी स्थानों पर उनकी आग की तरह दहकती हुई आँखें दिखाई पड़ती हैं। 

आशय यह है कि जनता का शोषण-उत्पीड़न, हिंसा आदि कुकृत्यों में लगे लोग आलीशान भवनों में रहते हैं, उनकी अराजकता वाली शक्तियाँ चारों ओर फैली हुई हैं तथा उनसे हर कोई भयभीत रहता है। ऐसे लोग आज के युग के यमराज ही हैं, जो कमजोर लोगों को इस तरह से शोषण करने और उनको समाप्त करने में लगे रहते हैं। उनका चिन्तन अपने स्वार्थ भर को पूरा करने ही होता है।
 
कवि अन्त में कहता है कि आज माँ नहीं है और माँ ने यमराज की जो दिशा बतायी थी, वह भी अब उसकी दिशा नहीं रह गई, क्योंकि अब तो सभी दिशाओं में यमराज निवास करने लगा है। आशय यह है कि आज मानवीय मूल्य एवं सामाजिक संवेदना बदल गई है, समय बदल गया है और शोषण-उत्पीड़न करने वाली शक्तियाँ किसी एक क्षेत्र या एक दिशा में ही सीमित न रहकर चारों ओर फैल गई हैं। इसलिए यमराज अब सब ओर रहने लगा है

प्रश्न 1. दक्षिण को लाँघ लेना क्यों कठिन है? 
प्रश्न 2. कवि को हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों लगने लगी है? 
प्रश्न 3. 'अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं'-कवि ने यह किनके लिए और क्यों कहा है? 
प्रश्न 4. 'यमराज के आलीशान महल' से क्या आशय है? 
उत्तर : 
1. कवि कहता है कि दक्षिण दिशा का कोई अन्तिम छोर या अन्तिम बिन्दु नहीं है। यह पृथ्वी गोल है और एक दिशा में चलते रहने पर व्यक्ति अपने प्रारम्भिक स्थान पर लौट आता है। इस कारण भी दक्षिण दिशा को लाँघ लेना अतीव कठिन है। 
2. कवि को हर दिशा दक्षिण दिशा इसलिए लगने लगी है क्योंकि आज जीवन के सभी क्षेत्रों में शोषण-व्यवस्था का विस्तार तेजी से होने लगा है। 
3. कवि ने यह उन लोगों के लिए कहा है, जो यमराज की तरह क्रूर आचरण करते हैं, जनता का शोषण-उत्पीड़न करते हैं और हिंसक कृत्यों को बढ़ावा देते हैं। वे मानवीय संवेदना से रहित होते हैं। 
4. यमराज के आलीशान महल से आशय है-शोषण-उत्पीड़न एवं आपराधिक कृत्य करने वालों की सुनियोजित एवं मजबूत शक्तियाँ। ऐसे लोग इस नये युग के यमराज हैं तथा. स्वयं वैभव-विलास में रहकर दूसरों का अहित करते रहते हैं। जनता उनसे भयभीत रहती है। 

Prasanna
Last Updated on May 16, 2022, 10:55 a.m.
Published May 16, 2022