RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 8 Social Science Solutions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

RBSE Class 8 Social Science महिलाएँ, जाति एवं सुधार InText Questions and Answers

गतिविधि (पृष्ठ 95) 

प्रश्न 1.
क्या आप बता सकते हैं कि जब किताबें, समाचारपत्र और पर्चे आदि छापने की तकनीक नहीं थी उस समय सामाजिक रीति-रिवाजों और व्यवहारों के बारे में किस तरह चर्चा चलती होगी? 
उत्तर:
उस समय सामाजिक रीति-रिवाजों और व्यवहारों के बारे में चर्चा निम्नलिखित रूप में होती होगी-

  • नियमित सामूहिक बैठकें एवं सम्मेलन आयोजित करके। 
  • ताड़पत्रों पर हस्तलिखित चिट्ठियों आदि द्वारा।
  • जनसमूह में भाषणों द्वारा। 
  • विभिन्न क्षेत्रों के बौद्धिक एवं गुणीजनों के बीच चर्चा एवं बहस द्वारा।

गतिविधि (पृष्ठ 97) 

प्रश्न 1.
ये संवाद (स्रोत 1-पाठ्यपुस्तक) 175 साल से भी ज्यादा पहले के हैं। आपने भी अपने आसपास महिलाओं के महत्त्व और क्षमताओं के बारे में तरह-तरह के तर्क सुने होंगे। उन्हें लिखें। देखें कि तब और अब की दलीलों में क्या फर्क आया है? 
उत्तर:
महिलाओं के महत्त्व और क्षमताओं को कम आंकने वाले-औरतें घर तक ही सीमित रहनी चाहिए। वे मर्दो की बराबरी नहीं कर सकतीं। उनमें दुनियादारी की समझ नहीं होती है। वे कोई निर्णय नहीं कर सकतीं। उन्हें ज्यादा पढ़ाना नहीं चाहिए। 

महिलाओं के महत्त्व और क्षमताओं को अधिक आंकने वाले-औरतों और मर्दो में कोई फर्क नहीं है। वे मर्दो के कन्धे से कन्धा मिलाकर काम कर सकती हैं। आज सभी क्षेत्रों में महिलाओं का बोलबाला है। पढ़-लिख कर वे ऊँचे पदों पर भी जाने लगी हैं। उनमें निर्णय क्षमता भी खूब होती है। उन्हें खूब पढ़ाना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

गतिविधि ( पृष्ठ 102)

प्रश्न 1. 
कल्पना कीजिए कि आप स्कूल के बरामदे में बैठकर कक्षा में पढ़ाए जा रहे सबक सुन रहे हैं। तब आपके दिमाग में किस तरह के सवाल पैदा होंगे? 
उत्तर:

  • क्या हम दूसरे बच्चों से अलग हैं। 
  • हमारे साथ ये भेदभाव क्यों? 
  • ऊँची अथवा नीची जाति में जन्म लेना क्या हमारे हाथ में था? 
  • हमें क्या कभी भी बराबरी का दर्जा नहीं मिलेगा? 
  • क्या हमें शिक्षा का कोई अधिकार नहीं।

प्रश्न 2. 
कुछ लोगों को लगता था कि दलितों को शिक्षा से पूरी तरह वंचित रखने के मुकाबले यह स्थिति फिर भी बेहतर थी। क्या आप इस राय से सहमत हैं?
उत्तर:
नहीं, हम इस राय से सहमत नहीं है। इनको भी शिक्षा का पूरा अधिकार मिलना चाहिए।

गतिविधि (पृष्ठ 103) 

प्रश्न 1.
स्रोत 3 (पाठ्यपुस्तक में) को ध्यान से पढ़ें। मैं यहाँ और तुम वहाँ' से ज्योतिराव फुले का क्या आशय था? 
उत्तर:
'मैं यहाँ और तुम वहाँ' से ज्योतिराव फुले का तात्पर्य अस्पृश्यता (छुआछूत) से था। उनका कहना था कि उच्च जातियों के एकता के नारे में एक उद्देश्य छुपा हुआ था। उनके विचार में इस एकता की ताकत द्वारा उच्च जाति के लोग पहले अंग्रेजों पर विजय पाना चाहते थे तथा इसके बाद वे लोग एक बार फिर से छुआछूत की बात करेंगे। इसके सुधार के लिए कुछ नहीं करेंगे।

गतिविधि (पृष्ठ 105) 

प्रश्न 1.
आज भी जाति इतना विवादास्पद मुद्दा क्यों बनी हुई है? औपनिवेशिक काल में जाति के विरुद्ध सबसे महत्त्वपूर्ण आन्दोलन कौनसा था?
उत्तर:

  • जाति आज भी इतना विवादास्पद मुद्दा इसलिए बनी हुई है क्योंकि कुछ राजनेता एवं राजनीतिक दल इसको लेकर राजनीति कर रहे हैं।
  • मेरे विचार में औपनिवेशिक काल में जाति के विरुद्ध सबसे महत्त्वपूर्ण आन्दोलन 'मंदिर प्रवेश आन्दोलन' था।

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RBSE Class 8 Social Science महिलाएँ, जाति एवं सुधार Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें-

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित लोगों ने किन सामाजिक विचारों का समर्थन और प्रसार किया :
राममोहन रॉय 
दयानन्द सरस्वती 
वीरेशलिंगम पंतुलु 
ज्योतिराव फुले 
पंडिता रमाबाई 
पेरियार
मुमताज अली
ईश्वरचंद्र विद्यासागर 
उत्तर:
(1) राजा राममोहन रॉय (1772-1833)-राजा राममोहन रॉय 'ब्रह्मो समाज' के संस्थापक थे। वे देश में पश्चिमी शिक्षा के प्रसार के समर्थक थे। वे महिलाओं के लिए और अधिक स्वतन्त्रता तथा समानता के पक्षधर थे। उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही 1829 में 'सती प्रथा' पर रोक लगा दी गई। इन्होंने जाति व्यवस्था की भी आलोचना की थी। 

(2) स्वामी दयानन्द सरस्वती-इन्होंने 1875 में 'आर्य समाज' की स्थापना की तथा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। 

(3) वीरेशलिंगम पंतुलु-इन्होंने मद्रास प्रेजीडेंसी के तेलुगू भाषी क्षेत्रों में संगठन की स्थापना की तथा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। 

(4) ज्योतिराव फुले-इन्होंने लड़कियों की शिक्षा का समर्थन किया। इन्होंने महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए स्कूलों की स्थापना की। इन्होंने जाति व्यवस्था समेत सभी प्रकार की असमानताओं का विरोध किया। 

(5) पंडिता रमाबाई-इन्होंने पुरुषों के साथ महिलाओं की समानता का समर्थन किया। इन्होंने उच्च जाति की महिलाओं की दयनीय अवस्था का प्रतिकार किया। इन्होंने पुणे में एक विधवा गृह' की भी स्थापना की जहाँ ससुराल वालों के हाथों अत्याचार झेल रही महिलाओं को शरण दी जाती थी।

(6) पेरियार-ई.वी. रामास्वामी नायकर या पेरियार ने सामाजिक समानता की वकालत की। उन्होंने 'स्वाभिमान आन्दोलन' की नींव रखी तथा सत्ता पर ब्राह्मणों के वर्चस्व को ललकारा। 

(7) मुमताज अली-इन्होंने महिला शिक्षा का समर्थन किया। 

(8) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर-इन्होंने विधवा पुनर्विवाह तथा लड़कियों की शिक्षा का समर्थन किया। उन्होंने लड़कियों के लिए स्कूल भी खोले। 

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ-
(क) जब अंग्रेजों ने बंगाल पर कब्जा किया तो उन्होंने विवाह, गोद लेने, सम्पत्ति उत्तराधिकार आदि के बारे में नए कानून बना दिए। 
(ख) समाज सुधारकों को सामाजिक तौर-तरीकों में सुधार के लिए प्राचीन ग्रन्थों से दूर रहना पड़ता था।
(ग) सुधारकों को देश के सभी लोगों का पूरा समर्थन मिलता था। 
(घ) बाल विवाह निषेध अधिनियम 1829 में पारित किया गया था। 
उत्तर:
(क) सही, 
(ख) गलत, 
(ग) गलत, 
(घ) गलत। 

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आइए विचार करें-

प्रश्न 3. 
प्राचीन ग्रन्थों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली? 
उत्तर:
इस रणनीति को पहले राजा राममोहन रॉय तथा बाद में अन्य सुधारकों ने अपनाया। जब कभी वे किसी ऐसे रीति-रिवाज, जो कि नुकसानदेह था, पर प्रहार करना चाहते थे तो वे प्राचीन ग्रन्थों में किसी ऐसे श्लोक या वाक्य की खोज करते थे जो उनके विचारों की पुष्टि करते हों। फिर वे लोगों से कहते थे कि वर्तमान रीति-रिवाज किस तरह परम्परा के विरुद्ध थे। 

प्रश्न 4. 
लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौनसे कारण होते थे? 
उत्तर:
लोग निम्नलिखित कारणों से लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते थे-

  • लोगों को डर था कि स्कूल जाने से लड़कियाँ घरों से दूर भागने लगेंगी। 
  • इससे वे अपना पारम्परिक घरेलू काम नहीं कर पाएंगी। 
  • इससे उनके आचरण पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 
  • उन्हें स्कूल जाने के लिए सार्वजनिक जगहों से होकर गुजरना होगा, जिससे वे बिगड़ जायेंगी। 
  • देश के कई भागों में लोग ऐसा मानते थे कि यदि कोई लड़की शिक्षित है तो वह बहुत जल्दी विधवा हो जाएगी। 

प्रश्न 5. 
ईसाई प्रचारकों की बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे? क्या कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया होगा? यदि हाँ तो किस कारण? उत्तर:
(1) ईसाई प्रचारकों की अनेक लोग आलोचना करते थे क्योंकि वे रूढ़िवादी थे तथा उन्हें डर था कि ये प्रचारक जनजातीय समूहों तथा निम्न जाति के लोगों का धर्म परिवर्तित कर देंगे। 

(2) हाँ, कुछ लोगों ने ईसाई प्रचारकों का समर्थन भी किया होगा। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  • ये प्रचारक जनजातीय लोगों तथा निम्न जाति के लोगों के लिए स्कूलों की स्थापना कर रहे थे। 
  • इन लोगों के बच्चों के पास इससे कुछ ज्ञान एवं निपुणताएँ आ रही थीं, जिनके सहारे वे बदलती दुनिया में अपने लिए रास्ता बना सकते थे। 

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प्रश्न 6. 
अंग्रेजों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौनसे नए अवसर पैदा हुए जो 'निम्न' मानी जाने वाली जातियों से सम्बन्धित थे? 
उत्तर:
अंग्रेजों के काल में ऐसे अनेक अवसर पैदा हुए.जो -'निम्न' मानी जाने वाली जातियों से सम्बन्धित थे-

  • ईसाई प्रचारकों ने जनजातीय तथा निम्न मानी जाने वाली जातियों के बच्चों के लिए स्कूलों की स्थापना की। फलतः इन बच्चों में कुछ ऐसे ज्ञान एवं निपुणताओं का विकास हो रहा था जिनके सहारे ये बदलती दुनिया में अपने लिए रास्ता बना सकते थे। 
  • शहरों में नौकरी के नए-नए अवसर सामने आ रहे थे। नए स्थापित हो रहे कारखानों में तथा नगरपालिकाओं में नौकरियाँ मिल रही थीं।
  • मजदूरों, कुलियों, खुदाई करने वालों, बोझा ढोने वालों, ईंट बनाने वालों, नालों की सफाई करने वालों, जमादारों, रिक्शा खींचने वालों आदि की माँग दिनों-दिन बढ़ती जा रही थी। 
  • असम, मॉरीशस, त्रिनिदाद तथा इंडोनेशिया के बागानों में भी नौकरी के अवसर बन रहे थे। 
  • सेना में भी नौकरियाँ बढ़ गई थीं। दलित माने जाने वाले महार समुदाय के अनेक लोगों को महार रेजीमेंट में नौकरी मिल गई थी। नये स्थानों पर कार्य प्रायः बहुत कठोर था परन्तु गरीबों, दलितों को यह गाँवों में जमींदारों के चंगुल से छूट निकलने का एक मौका था। 

प्रश्न 7. 
ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया? 
उत्तर:
ज्योतिराव फुले ने ब्राह्मणों के इस दावे पर प्रहार किया कि चूँकि वे आर्य थे, अतः वे ही सर्वश्रेष्ठ थे। उन्होंने तर्क दिया कि आर्य लोग विदेशी थे जो इस उपमहाद्वीप के बाहर से आए थे तथा इस देश के असली वारिसों को पराजित कर यहाँ की भूमि पर उन्होंने अधिकार कर लिया था। इन विजेता आर्यों ने पराजित लोगों को निम्न लोगों के रूप में हीन दृष्टि से देखना शुरू कर दिया। फुले के अनुसार, इस धरती पर तथाकथित निम्न जाति के देशी लोगों का ही अधिकार है, ऊँची जातियों का उनकी जमीन और सत्ता पर कोई अधिकार नहीं है। 

प्रश्न 8. 
फुले ने अपनी पुस्तक 'गुलामगीरी' को गुलामों की आजादी के लिए चल रहे अमेरिकी आन्दोलन को समर्पित क्यों किया? 
उत्तर:
फुले ने सन् 1873 में 'गुलामगीरी' नामक किताब लिखी थी। गुलामगीरी का अर्थ होता है गुलामी। इस घटना से करीब 10 वर्ष पहले अमेरिकी गृहयुद्ध हुआ था, जिसमें अंततः अमेरिका में गुलामी प्रथा का अन्त हुआ। यही कारण था कि फुले ने अपनी पुस्तक 'गुलामगीरी' को अमेरिका में गुलामी प्रथा के विरुद्ध आन्दोलन करने वालों को समर्पित किया। इस तरह से उन्होंने भारत की तथाकथित 'निम्न' जातियों और अमरीका के काले गुलामों की दुर्दशा को एक-दूसरे से जोड़ दिया था। 

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प्रश्न 9. 
'मन्दिर प्रवेश आन्दोलन' के जरिए अम्बेडकर क्या हासिल करना चाहते थे? 
उत्तर:
1927 में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने 'मन्दिर प्रवेश आन्दोलन' की शुरुआत की। 1927 से 1935 के बीच मन्दिर प्रवेश के लिए उन्होंने तीन ऐसे आन्दोलनों का नेतृत्व किया जिनमें उनके महार समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। अम्बेडकर पूरे देश को समाज के अन्दर जाति सम्बन्धी पूर्वाग्रहों की जकड़ को दिखलाना चाहते थे।

प्रश्न 10. 
ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आन्दोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह की मदद मिली?
उत्तर:
(1) ज्योतिराव फुले तथा रामास्वामी नायकर उच्च जाति के लोगों की अगुवाई में चलाए जा रहे राष्ट्रीय आन्दोलन की इसलिए आलोचना करते थे क्योंकि उनका मानना था कि अन्ततः यह आन्दोलन उच्च जाति के लोगों के उद्देश्यों की ही पूर्ति करेगा। आन्दोलन की समाप्ति के पश्चात् ये लोग फिर से 'छुआछूत' की बात करेंगे। एक बार फिर से ये लोग कहेंगे-"मैं यहाँ और तुम वहाँ"। 

(2) हाँ, उनकी आलोचना ने राष्ट्रीय संघर्ष में एकता पैदा की। इन नेताओं के भाषणों, लेखन तथा आन्दोलनों ने उच्च जाति के राष्ट्रवादी नेताओं को कुछ आत्म-मंथन तथा आत्मालोचना तथा इस मुद्दे पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया।

admin_rbse
Last Updated on June 1, 2022, 11:55 a.m.
Published May 31, 2022