RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 4 कानूनों की समझ Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 8 Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

RBSE Class 8 Social Science कानूनों की समझ InText Questions and Answers

पृष्ठ 43

प्रश्न 1. 
इस स्थिति को पढ़ें और उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें-
एक सरकारी अधिकारी के बेटे को जिला अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है। इस वजह से वह सरकारी अधिकारी अपने बेटे को भाग निकलने में मदद करता है। 
(i) क्या आपको लगता है कि उस सरकारी अधिकारी ने सही काम किया? 
(ii) क्या उसके बेटे को केवल इसलिए कानून से माफी मिल जानी चाहिए कि उसका बाप आर्थिक और राजनैतिक रूप से ताकतवर है? 
उत्तर:
(i) नहीं, उस सरकारी अधिकारी ने सही काम नहीं किया।
(ii) नहीं, सरकारी अधिकारी के बेटे को इस आधार पर कानून से माफी नहीं मिलनी चाहिए कि उसका बाप आर्थिक और राजनैतिक रूप से ताकतवर है। 

पृष्ठ 45 

प्रश्न 2. 
आप एक कारण बताइये कि आप 1870 के राजद्रोह कानून को मनमाना क्यों मानते हैं? 1870 का राजद्रोह कानून किस प्रकार कानून के शासन का उल्लंघन करता है? 
उत्तर:
1870 के राजद्रोह कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति ब्रिटिश सरकार का विरोध या आलोचना करता था तो उसे मुकदमा चलाए बिना ही गिरफ्तार किया जा सकता था। बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तार करना मनमानापन है। 1870 का राजद्रोह कानून 'कानून के शासन' का उल्लंघन इस रूप में करता है कि यह न्याय तथा समानता के विचार पर आधारित नहीं था। 

RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

पृष्ठ 48 

प्रश्न 3. 
घरेलू हिंसा से आप क्या समझते हैं? हिंसा की शिकार महिलाओं को नए कानून से कौनसे दो मुख्य अधिकार प्राप्त हुए हैं? 
उत्तर:
घरेलू हिंसा से अभिप्राय-जब परिवार का कोई पुरुष सदस्य (आमतौर पर पति) घर की किसी औरत (आमतौर पर पत्नी) के साथ मारपीट करता है, उसे चोट पहुंचाता है, या मारपीट अथवा चोट की धमकी देता है तो इसे घरेलू हिंसा कहा जाता है। औरत को यह नुकसान शारीरिक मारपीट या भावनात्मक शोषण के कारण पहुंच सकता है। यह शोषण मौखिक, यौन या फिर आर्थिक शोषण भी हो सकता है। घरेलू हिंसा कानून, 2005 में महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में घरेलू शब्द के अर्थ को और व्यापक बना दिया है। अब ऐसी महिलाएँ भी घरेलू दायरे का हिस्सा मानी जाएंगी जो हिंसा करने वाले पुरुष के साथ एक ही मकान में रहती हैं' या 'रह चुकी हैं। 

हिंसा की शिकार महिलाओं को नए कानून से निम्नलिखित दो मुख्य अधिकार प्राप्त हुए हैं-

  • यह कानून साझे मकान में रहने के महिलाओं के अधिकार को मान्यता देता है। महिलाएँ किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ सुरक्षा का आदेश प्राप्त कर सकती हैं। 
  • महिलाएं अपने इलाज और अन्य खर्चों के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकती हैं। 

पृष्ठ 48

प्रश्न 4. 
क्या आप एक ऐसी प्रक्रिया बता सकते हैं जिसका इस्तेमाल इस कानून की जरूरत के बारे में लोगों को अवगत कराने के लिए किया गया हो? 
उत्तर:
इस कानून की जरूरत के बारे में लोगों को अवगत कराने के लिए निम्न प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया गया है-

  • विभिन्न महिला संगठनों द्वारा सुनी गई शिकायतों के आधार पर सुझाव। 
  • जनसभाएँ। 
  • अखबारों के संपादकीय। 
  • टेलीविजन रिपोर्ट। 
  • संवाददाता सम्मेलन। 
  • वकीलों, कानून के विद्यार्थियों तथा समाज वैज्ञानिकों द्वारा विधेयक का मसौदा तैयार कर लोगों को पढ़ाना। 
  • रेडियो प्रसारण आदि। 

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प्रश्न 5. 
चित्रकथा में लोगों ने कौनसे दो तरीकों से संसद पर दबाव बनाया? 
उत्तर:
इस चित्रकथा में 2002 के विधेयक का विरोध करते हुए नये विधेयक के लिए निम्नलिखित दो तरीकों से संसद पर दबाव बनाया-

  • संवाददाता सम्मेलन बुलाकर इस विधेयक की कमियों को प्रेस के सम्मुख स्पष्ट किया। 
  • कम्प्यूटर पर एक ऑन लाइन याचिका भी शुरू की ताकि इंटरनेट पर लोग तुरन्त अपनी राय दे सकें।

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RBSE Class 8 Social Science कानूनों की समझ Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
'कानून का शासन' पद से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में लिखिये। अपना जवाब देते हुए कानून के उल्लंघन का कोई वास्तविक या काल्पनिक उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
कानून का शासन-कानून के शासन से अभिप्राय है कि कानून सबके लिए समान है। कानून के समक्ष सभी व्यक्ति समान हैं और कानून सभी नागरिकों को समान संरक्षण प्रदान करेगा। वह जाति, धर्म तथा लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। सभी कानून देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे तथा कानून के ऊपर कोई व्यक्ति नहीं है, चाहे वह किसी भी पद पर आसीन हो। किसी भी अपराध या कानून के उल्लंघन की एक निश्चित सजा होती है तथा सजा तक पहुंचने की भी एक निश्चित प्रक्रिया होती है जिसमें व्यक्ति का अपराध साबित किया जाता है। उदाहरण के लिए, किसी बड़े सरकारी अधिकारी का किसी मंत्री के पुत्र के हाथों कोई अपराध होने पर पुलिस द्वारा उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही न करना कानून का उल्लंघन है।

प्रश्न 2. 
इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं कि भारत में कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरू किया था। इसके कारणों में से दो कारण बताइये। 
उत्तर:
कुछ लोगों की मान्यता है कि भारत में कानून के शासन का प्रारम्भ अंग्रेजों ने किया था। लेकिन इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं। इसके दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) औपनिवेशिक कानून मनमानेपन पर आधारित था1870 का राजद्रोह का एक्ट अंग्रेजी शासन के मनमानेपन की मिसाल था। इसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति ब्रिटिश सरकार का विरोध या आलोचना करता था तो उसे मुकदमा चलाए बिना ही गिरफ्तार किया जा सकता था। 

(2) भारतीय राष्ट्रवादियों का कानून के शासन के विकास में योगदान-ब्रिटिश भारत में भारतीय राष्ट्रवादियों ने कानून के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय राष्ट्रवादी अंग्रेजों द्वारा सत्ता के इस मनमाने इस्तेमाल का विरोध और उसकी आलोचना करते थे। उनका संघर्ष समानता का संघर्ष था। वे कानून को उससे अलग ऐसी व्यवस्था के रूप में देखना चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित हो। 

19वीं सदी के अन्त में कानूनी पेशे में लगे भारतीयों ने मांग की कि औपनिवेशिक अदालतों में उन्हें सम्मान की नजर से देखा जाए। ऐसे भारतीय कानून विशेषज्ञ अपने देश के लोगों के अधिकारों की हिफाजत के लिए कानून का इस्तेमाल करने लगे। भारतीय न्यायाधीश भी फैसले लेने में पहले से ज्यादा भूमिका निभाने लगे। इस प्रकार औपनिवेशिक शासन के दौरान कानून के शासन के विकासक्रम में यहाँ के लोग भी कई तरह से अपना योगदान दे रहे थे।

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प्रश्न 3. 
घरेलू हिंसा पर नया कानून किस तरह बना, महिला संगठनों ने इस प्रक्रिया में अलग-अलग तरीके से क्या भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखिये। 
उत्तर:
घरेलू हिंसा पर नये कानून के निर्माण की प्रक्रिया-1990 के दशक में विभिन्न मंचों से घरेलू हिंसा को रोकने हेतु एक नये कानून की मांग उठने लगी क्योंकि महिलाओं ने विभिन्न मंचों को अपनी आपबीती सुनाई और इस बात पर बल दिया कि वे मारपीट से बचाव चाहती हैं, अपने मकान में रहना चाहती हैं। इससे निपटने के लिए एक नया नागरिक कानून होना चाहिए। 

1999 में वकीलों, कानून के विद्यार्थियों और समाज वैज्ञानिकों के संगठन 'लॉयर्स कलेक्टिव' ने राष्ट्रव्यापी चर्चा के बाद घरेलू हिंसा (रोकथाम एवं सुरक्षा) विधेयक का मसौदा तैयार किया। इसमें घरेलू हिंसा की परिभाषा में शारीरिक, आर्थिक, यौन और मौखिक तथा भावनात्मक दुर्व्यवहार को शामिल करने तथा साझा घरेलू दायरे में रहने वाली किसी भी महिला को इस कानून के तहत रखा गया। 

इस पर विचार-विमर्श के लिए अलग-अलग संस्थानों के साथ बैठकें की गईं तथा सरकार के समक्ष यह मांग रखी गई कि महिला आन्दोलन घरेलू हिंसा पर एक नया कानून चाहता है। सरकार को यह प्रस्ताव जल्दी से जल्दी संसद में पेश करना चाहिए। 

विधेयक का संसद में प्रस्तुतीकरण-सन 2002 में घरेलू हिंसा विधेयक संसद में पेश कर दिया गया लेकिन इस विधेयक में उन बातों को शामिल नहीं किया गया जो सरकार को सुझाई गयी थीं। फलतः महिला संगठनों ने इस विधेयक का विरोध किया। कई महिला संगठनों और राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसद की स्थायी समिति को अपने ये सुझाव भी सौंपे कि वर्तमान प्रस्तावित विधेयक को बदलना जरूरी है। वे घरेलू हिंसा की प्रस्तावित परिभाषा से सहमत नहीं हैं। 

स्थायी समिति की सिफारिशें तथा नये विधेयक का प्रस्तुतीकरण एवं मंजूरी-दिसम्बर, 2002 में स्थायी समिति ने अपनी सिफारिशें राज्यसभा को सौंप दीं। इन सिफारिशों को लोकसभा में भी पेश किया गया। कमेटी की रिपोर्ट में महिला संगठनों की ज्यादातर मांगों को स्वीकार कर लिया गया था। 2005 में संसद के सामने एक नया विधेयक पेश किया गया। 

दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद विधेयक कानून बन गया। 2006 से घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा कानून लागू हुआ। 

इस कानून में महिलाओं के हिंसा-मुक्त परिवार के अधिकार को मान्यता दी गयी है और घरेलू हिंसा की एक व्यापक परिभाषा पेश की गयी है।

RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

प्रश्न 4. 
अपने शब्दों में लिखिये कि इस अध्याय में आए निम्नलिखित वाक्य (पृष्ठ-44-45) से आप क्या समझते हैं : 'अपनी बातों को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया। यह समानता का संघर्ष था। उनके लिए कानून का मतलब ऐसे नियम नहीं थे जिनका पालन करना उनकी मजबूरी हो। वे कानून को उससे अलग ऐसी व्यवस्था के रूप में देखना चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित हो।' 
उत्तर:
भारत में औपनिवेशिक कानून मनमानेपन पर आधारित था। भारत के राष्ट्रवादियों ने अंग्रेजों द्वारा सत्ता के इस मनमाने इस्तेमाल का विरोध किया तथा न्याय तथा समानता पर आधारित कानून के शासन की स्थापना के लिए उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया।

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Last Updated on June 4, 2022, 7:29 p.m.
Published June 4, 2022