Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 19 मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भार
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RBSE Class 8 Social Science मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भार Intext Questions and Answers
पृष्ठ – 126
परिचर्चा करें
प्रश्न 1.
मुगल साम्राज्य का पतन किन-किन कारणों से हुआ?
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण थे:
- औरंगजेब की विभिन्न धर्मों के प्रति अनुदार नीति का होना।
- मुगल शासकों का अयोग्य एवं विलासी होना।
- अमीरों (सरदारों) का पतन होना और आपसी फूट होना।
- अधिक खर्चे एवं विलासी जीवन जीने के कारण आर्थिक पतन होना।
- उत्तराधिकार के नियमों का अभाव होना।
- मुगलों पर बाह्य आक्रमण प्रारम्भ होना।
- मुगल शासकों में राष्ट्रीयता की कमी का होना।
- यूरोपीय जातियों का भारत में आगमन।
गतिविधि
प्रश्न 1.
18वीं सदी के प्रमुख नायकों के चित्रों का संकलन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
भारत के मानचित्र में 18वीं सदी के प्रमुख राज्यों को दर्शाइए।
उत्तर:
RBSE Class 8 Social Science मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भारत Text Book Questions and Answers
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मराठों में सर्वप्रथम राष्ट्रीय भावना को किस शासक ने भरा था?
उत्तर:
मराठों में सर्वप्रथम राष्ट्रीय भावना को शिवाजी ने भरा था।
प्रश्न 2.
यशवंतराव होल्कर की सहायता राजस्थान के किस शासक ने की थी?
उत्तर:
भरतपुर के शासक रणजीत सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज उठाने वाले मराठा यशवंतराव होल्कर की सहायता की थी।
प्रश्न 3.
गन्धर्व बाईसी किसके दरबार में रहते थे?
उत्तर:
‘गन्धर्व बाईसी’ सवाई प्रताप सिंह के दरबार में रहते थे।
प्रश्न 4.
मुगलों में उत्तराधिकार किस प्रकार प्राप्त होता था?
उत्तर:
मुगलों में उत्तराधिकार का निर्णय तलवार के बल पर होता था।
प्रश्न 5.
18वीं सदी में मराठों की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में मराठा साम्राज्य में छत्रपति के स्थान पर पेशवा अधिक शक्तिशाली हो गए। पेशवा बाजीराव ने मराठा शक्ति का प्रसार भारत के अन्य प्रान्तों जैसे-मालवा, गुजरात, बुन्देलखण्ड आदि में कर दिया। बालाजी बाजीराव के समय में मराठों ने भारत के अधिकांश भागों पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया। 1752 ई. तक आते – आते मुगल सम्राट व वजीर भी मराठों के नियन्त्रण में आ गए। 1761 ई. में पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठा शक्ति को आघात लगा। इसके बावजूद उस समय भारत की सबसे प्रबल शक्ति मराठा ही थे।
प्रश्न 6.
सवाई जयसिंह की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में जयपुर के सवाई जयसिंह ने मालवा की सूबेदारी प्राप्त की। इनके द्वारा बूंदी के उत्तराधिकार युद्ध में हस्तक्षेप के कारण मराठों का राजस्थान में प्रवेश हुआ। मराठों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सवाई जयसिंह एवं अन्य शासकों ने 1734 ई. में राजपूत राजाओं का हुरडा नामक स्थान पर एक सम्मेलन बुलाया। उन्होंने हुरडा सम्मेलन के द्वारा राजपूतों की एकता का प्रयास किया। इन्होंने जयपुर शहर बसाया व वेधशालाओं का निर्माण करवाया।
प्रश्न 7.
किन – किन मुगल सूबेदारों ने स्वतन्त्र राज्यों की नींव डाली? किन्हीं तीन के नाम लिखिए।
उत्तर:
निम्न मुगल सूबेदारों ने स्वतन्त्र राज्यों की नींव डाली:
- निजाम चिनकिलिच खाँ
- सहादत खाँ
- मुर्शीद कुली खाँ।
प्रश्न 8.
हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था एवं इसके उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
हुरडा सम्मेलन 1734 ई. में हुरडा नामक स्थान पर हुआ। यह सम्मेलन सवाई जयसिंह एवं अन्य शासकों ने आयोजित किया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य राजपूतों में आपसी एकता स्थापित करके मराठों के बढ़ते प्रभाव को रोकना था।
प्रश्न 9.
मुगल साम्राज्य के पतन के किन्हीं चार कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के पतन के चार कारण निम्न हैं:
1. मुगल शासकों की अयोग्यता – औरंगजेब के बाद के सभी मुगल शासक निकम्मे और विलासी थे। उनकी अय्याशियों ने उन्हें अकर्मण्य बना दिया जिससे उनकी वीरता और साहस में कमी आई।
2. अमीरों (सरदारों) का पतन – शाही परिवार के सदस्यों के साथ-साथ उनके अमीरों का भी पतन हो गया था। वे विलासी जीवन व्यतीत करने लगे थे और अपने स्वार्थ के लिए आपस में गुटबाजी करके लड़ने लगे थे। उन्हें अपने राज्य की कोई चिन्ता नहीं थी।
3. उत्तराधिकार नियमों का अभाव – मुगल साम्राज्य में उत्तराधिकार के लिए नियमों का अभाव था। यहाँ कोई निश्चित नियम नहीं था कि शासक की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र ही शासक बनेगा (गद्दी पर बैठेगा)। इसका निर्णय तलवार के बल पर होता था। इससे राज्य को बहुत हानि पहुँचती थी।
4. बाह्य आक्रमण – दुर्बल मुगल साम्राज्य के कारण विदेशी आक्रमणकारियों ने स्थिति का लाभ उठाया। अहमद शाह अब्दाली एवं नादिरशाह के आक्रमणों ने साम्राज्य को बहुत हानि पहुँचाई। इससे मुगलों की सैनिक शक्ति क्षीण हो गई और कई सूबेदार स्वतन्त्र हो गए।
प्रश्न 10.
18वीं सदी में किन्हीं तीन राजपूत रियासतों की राजनैतिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी में राजपूत रियासतों की राजनैतिक स्थिति:
1. आमेर (जयपुर) – सवाई जयसिंह द्वारा बूंदी के उत्तराधिकार युद्ध में हस्तक्षेप के कारण मराठों का राजस्थान में प्रवेश हुआ। मराठों के प्रभाव को रोकने के लिए सवाई जयसिंह एवं अन्य राजपूत राजाओं का सन् 1734 में हुरडा नामक स्थान पर एक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में राजपूतों की एकता का प्रयास किया गया। जयसिंह की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र ईश्वर सिंह व माधोसिंह में संघर्ष हुआ। बाद के सभी शासकों को मराठों के आक्रमण भी झेलने पड़े। जयपुर राज्य की अन्तिम प्रमुख सफलता सवाई प्रताप सिंह द्वारा तुंगा के युद्ध में मराठों को पराजित करना था।
2. जोधपुर – जोधपुर के अजीत सिंह ने जोधपुर को मुगलों से छीन लिया और उस पर अपना अधिकार कर लिया। बाद में मुगल दरबार में अपना प्रभाव बढ़ाया व गुजरात का सूबेदार बना। मुगल सम्राट फर्रुखसियर को गद्दी से हटाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके पश्चात् उत्तरवर्ती शासकों में राजगद्दी को लेकर गृह युद्ध हुए।
3. मेवाड़ – मेवाड़ के शासक अमरसिंह द्वितीय ने जयसिंह को आमेर व अजीत सिंह को जोधपुर प्राप्त कराने में मदद की। कालान्तर में यह राज्य भी गृहयुद्ध में उलझ गया।
RBSE Class 8 Social Science मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भारत Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
Question 1.
औरंगजेब की मृत्यु हुई ……………………
(अ) 1677 ई. में
(ब) 1687 ई. में
(स) 1707 ई. में
(द) 1727 ई. में
उत्तर:
(स) 1707 ई. में
Question 2.
पंजाब में किसके नेतृत्व में सिखों ने अपने आप को स्वतन्त्र घोषित कर दिया?
(अ) शिवाजी के
(ब) बन्दा बहादुर के
(स) अजीत सिंह के
(द) अमर सिंह के
उत्तर:
(ब) बन्दा बहादुर के
Question 3.
मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी ……………………
(अ) शिवाजी ने
(ब) पेशवा बाजीराव ने
(स) महाराजा सूरजमल ने
(द) रणजीत सिंह ने
उत्तर:
(अ) शिवाजी ने
Question 4.
हैदराबाद राज्य की स्थापना किसने की?
(अ) सहादत खाँ
(ब) मुर्शीद खाँ ने
(स) चिनकिलिच खाँ ने
(द) क्लाइव ने
उत्तर:
(स) चिनकिलिच खाँ ने
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ के सुमेलित कीजिए –
उत्तर:
1. (c)
2. (a)
3. (b)
4. (d)
उत्तर:
1. (c)
2. (a)
3. (b)
4. (d)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- मुगल काल के अधिकांश शासक ………………… दृष्टिकोण के शासक नहीं हुए।
- पानीपत का तृतीय युद्ध सन् ………………… में हुआ।
- ………………… ई. तक मुगलों का प्रभाव केवल दिल्ली शहर एवं उसके आस-पास तक रह गया था।
- औरंगजेब हिन्दुओं एवं ………………… मुसलमानों से नफरत करता था।
उत्तर:
- राष्ट्रीय
- 1761
- 1730
- शिया
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
इलाहाबाद की सन्धि से किस मुगल शासक ने अंग्रेजों का प्रभुत्व मान लिया?
उत्तर:
मुगल शासक शाह आलम द्वितीय ने इलाहाबाद की सन्धि से अंग्रेजों का प्रभुत्व मान लिया।
प्रश्न 2.
मुगलों के पतन का प्रमुख कारण क्या माना जाता
उत्तर:
मराठों की शक्ति के उद्भव को मुगलों के पतन का प्रमुख कारण माना जाता है।
प्रश्न 3.
किस सिख शासक ने अलग से सिक्का चलाया?
उत्तर:
बंदा बहादुर नामक सिख शासक ने।
प्रश्न 4.
शहजादियों ने बगावत क्यों की थी?
उत्तर:
मुगल शासन काल के दौरान जब तीन दिनों तक भोजन शाला में चूल्हा नहीं जला तो भूख सहन नहीं कर सकने के कारण शहजादियों ने बगावत की थी।
प्रश्न 5.
औरंगजेब किनसे नफरत करता था?
उत्तर:
औरंगजेब हिन्दुओं तथा शिया मुसलमानों से नफरत करता था।
प्रश्न 6.
मुगलों के पतन का अन्तिम कारण क्या था?
उत्तर:
मुगलों के पतन का अन्तिम कारण अंग्रेजों की ईस्ट इण्डिया कम्पनी थी।
प्रश्न 7.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी का भारत में आने का प्रारम्भिक उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी का भारत में आने का प्रारम्भिक उद्देश्य व्यापार करना था।
प्रश्न 8.
मथुरा में किसने और किसके नेतृत्व में औरंगजेब का विरोध किया?
उत्तर:
मथुरा में जाटों ने गोकुल के नेतृत्व में औरंगजेब की धार्मिक नीतियों के विरोध में विद्रोह किया।
प्रश्न 9.
जाट साम्राज्य की स्थापना किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर:
बदन सिंह के नेतृत्व में।
प्रश्न 10.
जाटों ने कहाँ – कहाँ अधिकार कर लिया था?
उत्तर:
जाटों ने मथुरा, अलीगढ़, दोआब क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था।
प्रश्न 11.
हैदराबाद राज्य की स्थापना किसने की?
उत्तर:
हैदराबाद राज्य की स्थापना मनसबदार निजाम चिनकिलिच खाँ ने दक्षिण के छः मुगल सूबों को मिलाकर की थी।
प्रश्न 12.
प्लासी का युद्ध कब हुआ?
उत्तर:
प्लासी का युद्ध 1757 ई. में हुआ।
प्रश्न 13.
प्लासी का युद्ध किस-किसके मध्य हुआ?
उत्तर:
प्लासी का युद्ध अंग्रेज सेनापति क्लाइव तथा सिराजुद्दौला के बीच हुआ।
प्रश्न 14.
18वीं सदी में किसने जोधपुर को मुगलों से छीन लिया था?
उत्तर:
अजीत सिंह ने।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मुगलों के आर्थिक पतन के क्या कारण थे?
उत्तर:
मुगलों के आर्थिक पतन के निम्न कारण थे:
- शाहजहाँ द्वारा शान – शौकत पर अधिक खर्च किया जाना।
- औरंगजेब का लम्बे समय तक युद्ध करते रहना।
- आक्रमणकारियों द्वारा की गई लूट।
- दस्तक प्रणाली से आय में कमी।
- शासकों व अमीरों का विलासी जीवन।
प्रश्न 2.
उत्तराधिकार की प्रक्रिया बाहरी आक्रमणों में सहायक सिद्ध हई। कैसे?
उत्तर:
मुगलकाल में उत्तराधिकार की प्रक्रिया हेतु कोई निश्चित नियम नहीं था। शासक की मृत्यु के बाद नया शासक तलवार के बल पर बनता था। इस प्रक्रिया के कारण एक ही कुल के लोगों के बीच युद्ध होने से सैनिकों, धन एवं एकता का हनन होता था। अलगाव की इस स्थिति का लाभ बाहरी आक्रमणकारी उठाते थे। ये आक्रमणकारी राज्य की दुर्बल दशा देखकर आक्रमण करते थे। वे सब कुछ लूटकर ले जाते थे।
प्रश्न 3.
“मुगलों के पतन का एक कारण राष्ट्रीयता का अभाव भी था।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
मुगल काल में अधिकांश शासक राष्ट्रीय दृष्टिकोण शासक नहीं हुए। उन्होंने विभिन्न पंथों को मानने वाले लोगों में एकता की भावना का संचार नहीं किया। औरंगजेब हिन्दुओं तथा शिया मुसलमानों से नफरत करता था। यह शासक अपनी प्रजा एवं सूबों के पदाधिकारियों में राष्ट्रीयता की भावना नहीं भर सका। अतः राष्ट्रीयता का अभाव भी मुगलों के पतन का एक कारण था।
प्रश्न 4.
यूरोपीय जातियों के भारत में आगमन से मुगल शासन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मुगल काल में पुर्तगाली, अंग्रेज, फ्रांसीसी एवं डच समुद्र के मार्ग से भारत में व्यापार करने के लिए आए थे। उन्होंने धीरे-धीरे मुगल साम्राज्य की कमजोरियों का लाभ उठाना आरम्भ कर दिया। कुछ समय बाद अंग्रेज एवं फ्रांसीसियों में राजनैतिक सत्ता स्थापित करने के लिए संघर्ष हुआ और अंग्रेजों की विजय हुई। मुगलों के पतन का अन्तिम कारण ईस्ट इण्डिया कम्पनी थी, जो कि भारत में व्यापार के लिए बनी थी। लेकिन अवसर पाकर उसने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया।
प्रश्न 5.
मराठा साम्राज्य का चरमोत्कर्ष किस प्रकार मुगलों के पतन का कारण बना?
उत्तर:
मराठा साम्राज्य की स्थापना शिवाजी ने की थी। यह साम्राज्य आगे चलकर मुगलों के पतन का कारण बना। इसे निम्न बिन्दुओं के द्वारा समझा जा सकता है:
- शिवाजी द्वारा राष्ट्रीयता की भावना पैदा करना जबकि मुगल शासक ऐसा नहीं कर सके।
- पेशवाओं का अधिक शक्तिशाली होना।
- मराठा शक्ति का भारत के अन्य प्रांतों मालवा, गुजरात, बुंदेलखंड आदि में प्रसार।
- अनेक छोटे मुगल सम्राटों एवं वजीरों का मराठाओं के नियंत्रण में आना।
- मराठाओं की एकता एवं कुशल युद्ध प्रणाली।
प्रश्न 6.
18वीं सदी में जाट साम्राज्य की स्थिति का विवरण दीजिए।
उत्तर:
मथुरा में जाटों ने गोकुल के नेतृत्व में औरंगजेब की धार्मिक नीतियों का विरोध किया। कालान्तर में बदन सिंह के नेतृत्व में जाट साम्राज्य की स्थापना हई। जाटों की शक्ति का विकास महाराजा सूरजमल के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने भरतपुर को अपनी राजधानी बनाया। जाटों ने मथुरा, अलीगढ़, दोआब क्षेत्र पर भी अधिकार कर लिया। भरतपुर के शासक रणजीत सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध मराठा यशवंत राव होल्कर की सहायता की। बाद में भरतपुर के शासकों ने अंग्रेजों से सन्धि कर ली।
प्रश्न 7.
18वीं सदी के हैदराबाद राज्य का विवरण लिखिए।
उत्तर:
18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में मुगलों के मनसबदार निजाम चिनकिलिच खाँ ने दक्षिण के छः मुगल सूबों को मिलाकर हैदराबाद राज्य की स्थापना की। निजाम पर मुगल सत्ता का प्रभाव नाम मात्र का था। अब वह एक स्वतन्त्र शासक बन गया था। उसके साम्राज्य विस्तार की योजना को मराठा पेशवा ने तोड़ दिया। मराठों ने उसे पालखेद के युद्ध में पराजित किया। पराजित होने के बावजूद भी हैदराबाद का निजाम शक्तिशाली था। बाद में हैदराबाद के निजाम ने अंग्रेजों से सहायक सन्धि कर ली थी।
प्रश्न 8.
18वीं सदी में अवध एवं बंगाल राज्यों की स्थिति का विवरण दीजिए।
उत्तर:
अवध – अवध में मुगल सूबेदार सहादत खाँ ने स्वतन्त्र व्यवहार आरम्भ कर दिया और नादिरशाह के आक्रमण के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कालान्तर में अवध का शासक शुजाउद्दौला बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों से हार गया तथा अवध पर अंग्रेजों का नियन्त्रण हो गया। बंगाल-बंगाल राज्य की स्थापना मुर्शीद कुली खाँ ने की और बंगाल, बिहार व उड़ीसा के क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया। उसके उत्तराधिकारियों से मराठों ने उड़ीसा को छीन लिया। 1757 ई. में प्लासी के युद्ध में अंग्रेज सेनापति क्लाइव ने सिराजुद्दौला को हराकर बंगाल में अंग्रेजी राज्य की नींव डाली।
प्रश्न 9.
मुगलकालीन मैसूर राज्य का विवरण दीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी के प्रारम्भ में मैसूर पर वाडियार वंश के राजाओं का राज्य था। 18वीं सदी के मध्य में उसके सेनापति हैदरअली ने उस पर अधिकार कर लिया। हैदरअली और उसके पुत्र टीपू सुल्तान का अंग्रेजों से निरन्तर संघर्ष हुआ। चार युद्धों के पश्चात् 18वीं सदी के अन्तिम दशक में अंग्रेजों ने मैसूर पर अपना नियन्त्रण कर लिया।
प्रश्न 10.
18वीं सदी के भारतीय समाज एवं व्यापार का | संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज में हिन्दू एवं मुस्लिम निवास करते थे। इनमें समान रीति-रिवाज प्रचलित थे। जातियाँ व्यवसाय पर आधारित थीं तथा समाज में दो वर्ग थे-अमीर वर्ग एवं जनसाधारण । भारतीय व्यवसाय उन्नत अवस्था में था। बंगाल एवं दक्षिण भारत के वस्त्र सम्पूर्ण दुनिया में प्रसिद्ध थे। भारतीय माल की माँग विदेशी बाजारों में भी बहुत अधिक थी, किन्तु 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में अंग्रेजों की नीतियों ने भारतीय व्यापार को कुप्रभावित किया।
प्रश्न 11.
18वीं सदी की भारत की संस्कृति एवं कला का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के कमजोर होने से कलाकारों ने क्षेत्रीय राज्यों की ओर रुख किया। परिणामस्वरूप देश के विभिन्न हिस्सों में कला का विस्तार तीव्र हुआ। कांगड़ा व राजपूत चित्रकला शैलियों में नई विशेषताएँ आयीं। इसी काल में राजस्थान में जाट शासकों ने डीग के महल बनवाए। सवाई जयसिंह ने जयपुर बसाया एवं भारत में पाँच स्थानों पर वेधशालाएँ (जन्तर – मन्तर) बनवाईं। सवाई प्रताप सिंह ने जयपुर में हवामहल बनवाया। प्रताप सिंह के दरबार में ही राधा – गोविन्द सार ग्रन्थ लिखा गया। इसके दरबार में ‘गन्धर्व बाईसी’ जैसे विद्वान रहते थे। इसी काल में पंजाब में हीर-राँझा लिखा गया।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
औरंगजेब की धार्मिक नीति किस तरह की थी? इसका मुगल शासन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
औरंगजेब की हिन्दू, सिख, शिया मुसलमानों आदि के प्रति अनुदार नीति थी जिसके घातक परिणाम हुए। इस नीति ने मुगल साम्राज्य को प्राप्त होने वाली हिन्दू शासकों की सहायता को कम कर दिया, जिसके बल पर पूर्व में मुगलों ने अपना साम्राज्य विस्तार किया था। इस नीति के कारण जाट, सतनामियों तथा सिखों ने भी मुगलों का विरोध किया तथा मराठों ने स्थानीय शक्तियों को संगठित कर विशाल साम्राज्य को स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।
शिवाजी ने मराठों में राष्ट्रीय भावना इस प्रकार भरी कि औरंगजेब अपनी समस्त शक्ति लगा देने पर भी उन्हें दबा नहीं सका। मराठों से प्रेरणा लेकर उत्तर भारत के शासकों ने भी मुगलों का प्रतिरोध किया। पेशवाओं के समय में तो मराठों की शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने दिल्ली के मुगल बादशाह को अपने हाथ की कठपुतली बना दिया।
मराठों की शक्ति के उद्भव को मुगलों के पतन का प्रमुख कारण माना जाता है। साथ ही आगरा और भरतपुर के क्षेत्र में जाटों ने मुगल प्रभुत्व को मानने से इन्कार कर दिया। पंजाब में बंदा बहादुर के नेतृत्व में सिखों ने अपने आप को स्वतन्त्र घोषित कर दिया। बंदा बहादुर ने तो अलग से सिक्का भी चलाया। मुगल शासकों का इतना प्रभाव नहीं था कि इन विद्रोही शासकों को स्वतन्त्र होने से रोक पाएँ।
प्रश्न 2.
मुगलों की आर्थिक स्थिति क्यों क्षीण हो गई? मुगलों के आर्थिक पतन का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
मुगल शासक शाहजहाँ ने अपनी शान – शौकत के लिए खर्चीली इमारतों का निर्माण किया तथा औरंगजेब लम्बे समय तक युद्ध करता रहा, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी। बाद के शासकों के विलासी होने तथा अहमदशाह अब्दाली एवं नादिरशाह की लूटों से मुगलों के खजाने खाली हो गए। साथ ही इस लूट के सामान के साथ बहुमूल्य हीरा कोहिनूर एवं तख्ते-ताऊस (मुगलों का मयूर सिंहासन) मुगल शासकों के हाथ से निकल गया। मुगल साम्राज्य की आर्थिक स्थिति ऐसी बिगड़ गई थी कि मुगलों के शाही भोजनशाला में तीन दिनों तक चूल्हों में आग तक नहीं जली। जब शहजादियाँ भूख सहन न कर सकी तो उन्होंने पर्दा फेंककर बगावत कर दी।
बड़ी मुश्किल से उन्हें अपने रनिवास में लौटने के लिए राजी किया गया। यह घटना 1755 ई. की है। मुगल साम्राज्य में व्याप्त अशान्ति एवं असुरक्षा के कारण व्यापार में गिरावट आई। राजकीय आय पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा। दस्तक प्रणाली से आय में कमी ने राज्य की आर्थिक दशा को और अधिक खराब कर दिया। इसका ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अनुचित ढंग से लाभ उठाया जिसके कारण मुगल साम्राज्य का पतन होने लगा।
प्रश्न 3.
भारत के शासक अत्यधिक योग्य व कुशल होते हुए भी शासन व्यवस्था में असफल हो गये जिसका लाभ अंग्रेजों ने उठाया। कैसे?
उत्तर:
भारतीय शासकों की असफलता के कारण निम्नवत –
- भारत में राजनीतिक अव्यवस्था फैलना।
- शासकों का स्थानीय होना व आपसी एकजुटता का अभाव होना।
- मराठा साम्राज्य का केवल चौथ व सरदेश मुखी वसूल करने पर ही ध्यान देना।
- आपसी सम्बन्धों का अभाव होना।
- गृहयुद्धों में उलझे रहना।
- अपनी शक्ति का विस्तार नहीं कर पाना।
अंग्रेजों द्वारा लाभ उठाने के कारण –
- स्थानीय शासकों में आपसी मतभेद होना।
- फूट डालो, राज्य करो की नीति को अपनाना।
- शासकों को विश्वास में लेकर पकड़ मजबूत होने पर धोखा देना।
- आधुनिक युद्ध सामग्री का प्रयोग करना आदि।