RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
Rajasthan Board RBSE Class 8 Sanskrit Chapter 17 धेनुमहिमा
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा पाठ्यपुस्तकस्य प्रश्नोत्तराणि
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा मौखिकप्रश्नाः
प्रश्न: 1.
अधोलिखितानांपदानाम् उच्चारणं कुरुत –
(नीचे लिखे हुए पदों का उच्चारण कीजिए)
स्वदुग्धेन पञ्चगव्यस्य, पौष्टिकम्, मिष्ठान्नम्, उच्चारयति, अनपत्यतायाः विचर्चिकारोगस्य।
नोट:
छात्रगण अपने आप उच्चारण करें।
प्रश्न: 2.
अधोलिखितानां पदानाम् उत्तराणि वदत् –
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर बताइये-)
नोट:
छात्रगण अपने आप उच्चारण करें।
प्रश्न: 3.
अधोलिखितानां पदानाम् उत्तराणि वदत् –
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर बताइये-)
(क) धेनुः माता कथम् अस्ति?(
धेनु माता कैसे है ?)
(ख) वशिष्ठस्य धेनोः नाम किम् अस्ति?
(वशिष्ठ की गाय का नाम क्या है ?)
(ग) गोरक्षार्थ कानि कार्याणि प्रचलन्ति ?
(गाय की रक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य चल रहे हैं ?)
(घ) गोमूत्रस्य प्रयोगः कुत्र भवति ?
(गाय के पेशाब का प्रयोग कहाँ होता है ?)
(ङ) पाठात् का शिक्षा मिलति ?
(पाठ से क्या शिक्षा मिलती है?)
उत्तराणि:
(क) धेनुः स्वदुग्धेन मानवान् पोषयति अत: सा माता अस्ति।
(गाय अपने दूध से लोगों का पालन करती है इसलिए वह माता है।)
(ख) वशिष्ठस्य धेनोः नाम नन्दिनी अस्ति।
(वशिष्ठ की गाय का नाम नन्दनी है।)
(ग) गोरक्षार्थ स्थान-स्थाने गौशालाः निर्मीयन्ते तत्र तासां भोजनार्थ व्यवस्थाक्रियते।
(गायों की रक्षा के लिए जगह-जगह गौशालायें बनाई जा रही हैं, जहाँ उनके भोजन की व्यवस्था की जाती है।)
(घ) गोमूत्रं अनेकासु औषधिषु प्रयुक्त भवति।
(गाय का पेशाब अनेक दवाइयों में प्रयोग होता है।)
(ङ) पाठात् एषा शिक्षा मिलति यत् गौमाता अस्माकं सर्वप्रकारेण मातृवत् रक्षां करोति। अतः वयमपि तासाम् कुते किमपि कुर्याम्।
(पाठ से यह शिक्षा मिलती है कि गाय माता हमारी सब प्रकार से माता के समान रक्षा करती है। इसलिए हमें भी उनके लिए कुछ करना चाहिए।)
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा लिखितप्रश्नाः
प्रश्न: 1.
अधोलिखितानां पदानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखिए-)
(क) शस्यानां वृद्धि केन जायते ?
(अन्नों की वृद्धि किससे होती है ?)
(ख) शिवस्य वाहनः कः अस्ति?
(शिव की सवारी कौन है?)
(ग) गावो कस्य मातरः?
(गायें किसकी माताएँ हैं?)
(घ) कः धेनूः अचारयत्?
(गायों को कौन चराता था?)
(ङ) भवगतः ऋषभदेवस्य चिह्नं किम् ?
(भगवान ऋषभदेव की पहचान क्या है?)
उत्तराणि:
(क) गोमयेन
(ख) नन्दी वृषभः
(ग) विश्वस्य
(घ) श्रीकृष्णः
(ङ) वृषभः।
प्रश्न: 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत –
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए-)
(क) कस्याः धेनोः महत्त्वं अधिकम् अस्ति ?
(किस गाय का महत्त्व अधिक है।)
(ख) पञ्चगव्यस्य नामानि लिखत।
(पञ्चगव्य के नामों को लिखिए।)
(ग) दुग्धात् कानि जायन्ते?
(दूध से क्या पैदा होते हैं?)
(घ) गोमयस्य उपयोगः कुत्र भवति ?
(गोबर का उपयोग -कहाँ होता है?)
(ङ) दिलीपः पुत्रं कथं प्राप्तवान् ?
(दिलीप को पुत्र कैसे प्राप्त हुआ?)
उत्तराणि:
(क) कपिलायाः धेनोः महत्त्वं अधिकम् अस्ति।
(कपिला गाय का महत्त्व अधिक है।)
(ख) पञ्चगव्यस्य नामानि सन्ति-मूत्रं पुरीषं, दुग्धं दधि घृतं च।
(पंचगव्य के नाम हैं मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी।)
(ग) दुग्धात् दधिः नवनीतं घृतं तक्रं मिष्ठान्नं च जायन्ते।
(दूध से दही, मक्खन, घी, छाछ और मिष्ठान्न बनते हैं।)
(घ) गोमयस्य उपयोग: जैविको ऊर्वरकरूपे क्रियते।
(गोबर का उपयोग जीवों से उत्पन्न प्राकृतिक खाद में किया जाता है।)
(ङ) दिलीपः पुत्र नन्दिन्याः सेवया प्राप्तवान्।
(दिलीप ने पुत्र नन्दिनी की सेवा से प्राप्त किया।)
प्रश्न: 3.
अधोलिखितशब्दानांसाहाय्येन रिक्तस्थानानि पूरयत(नीचे लिखे हुए शब्दों की सहायता से रिक्त स्थानों को पूरा कीजिए-) |श्रीकृष्णः, मातरः, कपिलायाः, दुग्धम्, गावः, सुपाच्यम्
उत्तराणि:
(क) गावो विश्वस्य मातरः।
(ख) श्रीकृष्णः धेनू: अचारयत्।
(ग) परोपकाराय दुहन्ति गावः।
(घ) धेनूनां दुग्धं शिशुभ्यः पौष्टिकं भवति।
(ङ) तासु कपिलायाः धेनोः महत्त्वम् अधिकं भवति।
प्रश्न: 4.
उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितपदेषु प्रथमा- द्वितीयाषष्ठीविभक्तेः शब्दान् चित्वा लिखत –
(उदाहरण के अनुसार नीचे लिखे हुए पदों में प्रथमा-द्वितीया-षष्ठी विभक्ति के शब्दों को चुनकर लिखिए-)
पूजाम्, अस्माकम्, वृक्षाः, मानवान्, आर्यसमाजस्य, नद्यः, गावः, धेनूमान्, विष्णोः, वशिष्ठस्य, दुग्धू, ताम्, गोशालानाम्, जनाः, कृषकाः।
उत्तराणि:
प्रश्न: 5.
भिन्नप्रकृतिकपदं चिनुत –
(भिन्न प्रकृति पद को छाँटिए-)
(क) दुग्धम्, फलरसम्, दधिः , घृतम्।
(ख) धेनूः, गौः, सुरभिः, अजा।
(ग) तादृक्, खादति, पिबति, यच्छति।
(घ) मधुरम्, सुपाच्यम्, विश्वस्य, बलवर्धकम्।
उत्तराणि:
(क) फलरसम्
(ख) अजा
(ग) तादृक्
(घ) विश्वस्य।
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा अन्य महत्वपूर्णः प्रश्नाः
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा वस्तुनिष्ठप्रश्नोत्तराणि
प्रश्न: 1.
माता ………. स्वदुग्धेन पोषयति
(क) जनान्
(ख) पुत्रान्
(ग) शिक्षकान्
(घ) हरिम्
उत्तराणि:
(ख) पुत्रान्
प्रश्न: 2.
गोपालः इति नाम्ना प्रसिद्धः अभवत् –
(क) श्रीरामः
(ख) भरतः
(ग) गणेशः
(घ) श्रीकृष्णः
उत्तराणि:
(घ) श्रीकृष्णः
प्रश्न: 3.
दधिः नवनीतं घृतं तर्क मिष्ठान्नं च जायन्ते –
(क) वृक्षात्
(ख) जलात्
(ग) दुग्धात्
(घ) पवनात्
उत्तराणि:
(ग) दुग्धात्
प्रश्न: 4.
का अस्माकं मातृवत् रक्षां करोति ?
(क) माता
(ख) धेनुः
(ग) पिता
(घ) हिमालयः
उत्तराणि:
(ख) धेनुः
प्रश्न: 6.
प्राणरक्षकाः अनेकाः औषधयः केन निर्मिताः भवन्ति ?
(क) तक्रेण
(ख) जलेन
(ग) वृक्षण
(घ) फलेन
उत्तराणि:
(क) तक्रेण
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा अतिलघूत्तरीयाः प्रश्नाः
प्रश्न: 1.
भारतीयाः जनाः कां मातरम् कथयन्ति ?
उत्तराणि:
भारतीयाः जनाः धेनुं मातरम् कथयन्ति।
प्रश्न: 2.
गोमूत्रं कासु प्रयुक्तं भवति ?
उत्तरम्:
गोमूत्रं अनेकासु औषधिषु प्रयुक्तं भवति।
प्रश्न: 3.
दिलीपः कस्य ऋषेः आश्रमं गतः ?
उत्तराणि:
दिलीप: वसिष्ठस्य ऋषेः आश्रमं गतः।
प्रश्नः 4.
किं सुपाच्यं भवति ?
उत्तराणि:
धेनुदुग्धं सुपाच्यं भवति।
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा लघूत्तरीयाः प्रश्नाः
प्रश्न: 1.
अस्मिन् पाठे कस्याः महिमा वर्णिता?
उत्तराणि:
अस्मिन् पाठे धेनोः महिमा वर्णिता।
प्रश्न: 2.
केन कारणेन श्रीकृष्ण: गोपालः इति नाम्ना प्रसिद्धः अभवत् ?
उत्तराणि:
यतः श्रीकृष्ण: गाव: अपालयत् अतः सः गोपाल: इति नाम्ना प्रसिद्धः अभवत्।
प्रश्न: 3.
मानवस्य सकलानां मनोरथानां केन पूर्तिर्जायते?
उत्तराणि:
कामधेनोः आराधनमात्रेण मानवस्य सकलानां मनोरथानां पूर्तिर्जायते।
प्रश्न: 4.
धेनु किं खादति किं च लोकेभ्यः यच्छति ?
उत्तराणि:
धेनुः तृणं खादति लोकेभ्यः च दुग्धं यच्छति।
RBSE Class 8 Sanskrit धेनुमहिमा निबन्धात्मक प्रश्नोत्तरः
प्रश्न:
धेनु महिमा’ इति पाठाधारे धेनोः महिमां हिन्दी भाषायां लिखत।
उत्तरम्:
गाय पूजनीय एवं परम पवित्र पशु है जिसे भारतीय लोग गौमाता कहते हैं। भारतीय शास्त्र और वेदों में इसका महत्व है। ऋग्वेद में तो इसका 66 बार वर्णन मिलता है। यह रुद्रों की माता, वसुगणों की पुत्री एवं अमृत की नाभि है। गौ के पेट में बी विटामिन मिलता है। गाय का दूध माता के दूध के बाद सुपाच्य, पौष्टिक एवं बलवर्धक होता है। गाय के सभी पदार्थ मूत्र, गोबर, दूध आदि काम आते हैं। गोबर से घर के लीपने से दुष्ट कीटाणु, मच्छर, कीड़े नष्ट हो जाते हैं। गोबर की कण्डी जलाकर लगातार एक वर्ष तक दातुन करने से मुँह में सुगन्ध आने लगती है। गोमूत्र के पीने से तिल्ली का रोग नष्ट हो जाता है।
गाय के दूध में विशेष गुण है। शरीर को बढ़ाने की शक्ति होती है तथा पुत्र जनन शक्ति होती है। आयुर्वेदिक औषधि के साथ गाय के दूध के पीने से पुत्र का जन्म होता है। यह अनुभव सिद्ध प्रयोग है। महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में राजा दिलीप ने नन्दिनी गाय की इक्कीस दिन सेवा की थी। फलस्वरूप रघु नामक पुत्र का जन्म हुआ था। गायों के प्रति लगातार कम हो रहे श्रद्धा भाव के पीछे एक कारण है कि चारागाह और जंगल अब शहर से बहुत दूर हो गये हैं। गायों के प्रति अगर लोगों ने अपना श्रद्धाभाव नहीं बढ़ाया तो गौसेवा, गौदान, गौपालन के अर्थ लोप हो जायेंगे।
योग्यता-विस्तारः
(क) पाठ विस्तार – भारतीय जन जीवन में गायों में स्नेह और आदर था। पुराने राज्यों में गौशाला विभाग के खर्चे का अलग से प्रावधान था। अब भी राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार के द्वारा समय-समय पर गौशाला के लिए अनुदान दिया जाता है। अनेक राज्यों में गौवंशवध के ऊपर प्रतिबन्ध लगे हुए हैं। भारतीय संविधान में भी राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों में गौरक्षा का प्रावधान है।
मध्यकालीन समय से ही गौहत्या प्रतिबन्ध के लिए अनेक आन्दोलन चल रहे हैं। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा ‘गो करुणानिधि ग्रन्थ’ लिखा गया है। उसमें गायों की उपयोगिता के विषय में विस्तार से वर्णन किया गया है। गोरक्षा के लिए हस्ताक्षर अभियान, गौशालाओं की स्थापना, विश्वमङ्गलगोग्राम यात्रा आदि बहुत से अभियान चल रहे हैं।) राजस्थान में वर्तमान समय में अनेक गौशालाएँ सञ्चालित हैं। जैसे –
- श्री गोधाम महातीर्थ आनन्दवन पथमेडा सांचौर (जालौर।)
- श्री मनोरमा गोलोक तीर्थ नन्दगाँव रेवदर (सिरोही)।
- परमपूज्यमाधव गौ विज्ञान अनुसन्धान केन्द्र गौगावाँ (भीलवाड़ा)।
संस्कृत साहित्य में धेनु, गो, सुरभि, कामधेनु, अर्ध्या (पूज्या) विश्वायु, रुद्रों की माता, वसुगणों की पुत्री, अदितिपुत्रों की बहन और सर्वदेव पूज्या बोलते हैं। हम भी गायों के उपकारों को स्मरण करके उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं।
(ख) भाषा-विस्तार –
दा (देना) उभयपदी (परस्मैपदस्य रूपाणि)
लट्लकारः
लोट्लकारः
लङ्लकारः
विधिलिङ्लकारः
लुट्लकारः
धेनु (उकारान्त स्त्रीलिङ्गशब्दः)
(ग) धेनोः विषये दशवाक्यानि लिखत –
(गाय विषय पर दस वाक्य लिखिए।)
उत्तराणि:
धेनुः
- धेनुः अस्मभ्यं महदुपयोगी पशुः अस्ति।
- भारतीया: तु इमां मातृवत् मन्यन्ते।
- यथा माता बालकान् पालयति तथैव धेनुरपि स्वदुग्धेन अस्मान् पोषयति।
- अस्याः दुग्धेन नानाविध मिष्टान्नानि पच्यन्ते।
- अस्याः दुग्धम् अन्ये च दुग्धोत्पादाः पुष्टिकराः भवन्ति।
- अस्याः गोमयेन अद्यापि ग्रामेषु गृहाणि लिम्प्यन्ते शुध्यन्ते च।
- गोमूत्रेण नानाविधरोगाणाम् उपचार चतुर्थी क्रियते।
- अस्याः वत्साः क्षेत्रेषु हलं कर्षन्ति।
- अस्याः महत्त्वं शास्त्रेषु अपि वर्णितम्।
- अस्माभिः सर्वैरपि धेनुः सर्वदा पूज्येत।
महत्त्वपूर्णानां शब्दार्थानां सूची शब्दः सरलार्थः
पाठ-परिचयः
गाय पूजनीया और परम पवित्र है। भारतीय संस्कृति के आधार भारतीय शास्त्र और वेद हैं। ऋग्वेद में गाय के 66 वर्णन हैं। यह गाय रुद्रों की माता, वसुगणों की पुत्री और अमृत की नाभि है। गाय के पेट में ‘बी’ विटामिन है। गाय के सभी पदार्थ दूध, गोबर और गौमूत्र भी उपयोगी हैं। इस पाठ में ऐसी गाय माता की महिमा का वर्णन किया गया है।
मूल अंश, शब्दार्थ, अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर
(1) माता पुत्रान् स्वदुग्धेन पोषयति तथा धेनुः अपि स्वदुग्धेन मानवान् पोषयति अत एव भारतीयाः जनाः तां धेनुं| मातरम् इति कथयन्ति। गावो विश्वस्य मातरः। श्रीकृष्णः धेनू: अचारयत्। अतः सः गोपालः इति नाम्ना प्रसिद्धः अभवत्।
शब्दार्थः
पुत्रान् = पुत्रों को। स्वदुग्धेन = अपने दूध से। पोषयति = पालन करती है। धेनुः = गाय। मानवान् = मनुष्यों को। अत एव = इसीलिए। भारतीयः जनाः = भारतवासी, भारत के लोग। तां = उसे। धेनु मातरम् = गाय माता। गावो = गायें। विश्वस्य = संसार की। मातरः = मातायें। नाम्ना = नाम से। कथयन्ति = कहते हैं। गावः = गायें। विश्वस्य = संसार की। धेनूः = गायों को। अचारयत् = चराया। अभवत् = हुए।
हिन्दी अनुवादः
माता पुत्रों को अपने दूध से पालन करती है तथा गाय भी अपने दूध से लोगों का पालन करती है। इसलिए भारतीय लोग उसको गाय माता कहते हैं। गायें संसार की माताएँ हैं। श्रीकृष्ण ने गायों को चराया था। इसलिए वह ‘गोपाल’ नाम से प्रसिद्ध हो गये।
(क) माता पुत्रान् केन पोषयति ?
उत्तराणि:
माता पुत्रान् स्वदुग्धेन पोषयति।
(ख) मानवान् का स्वदुग्धेन पोषयति?
उत्तराणि:
मानवान् धेनुः स्वदुग्धेन पोषयति।
(ग) भारतीयाः जनाः तां किं कथयन्ति ?
उत्तराणि:
भारतीयाः जनाः तां धेनुं मातरम् कथयन्ति।
(ख) मानवान् का स्वदुग्धेन पोषयति ?
उत्तराणि:
मानवान् धेनुः स्वदुग्धेन पोषयति।
(ग) भारतीयाः जनाः तां किं कथयन्ति ?
उत्तराणि:
भारतीयाः जनाः तां धेनुं मातरम् कथयन्ति।
(घ) गावः कस्य मातरः ?
उत्तरम्:
गाव: विश्वस्य मातरः।
(ङ) श्रीकृष्णः केन नाम्ना प्रसिद्धः अभवत् ?
उत्तराणि:
श्रीकृष्णः गोपालः इति नाम्ना प्रसिद्धः अभवत्।
(च) ‘अभवत्’ इति पदे कः लकार: ?
उत्तरम्:
‘अभवत्’ इति पदे लङ्लकार।
(छ) ‘नाम्ना’ इति पदे का विभक्तिः ?
उत्तराणि:
‘नाम्ना’ पदे तृतीया विभक्तिः
(2) भारतीयाः धेनवः अनेकवर्णीयाः भवन्ति। तासु कपिलायाः धेनोः महत्त्वम् अधिकं भवति। मातृदुग्धानन्तरं धेनुदुग्धम् एव सर्वाधिकं सुपाच्यं, पौष्टिकं, बलवर्धकं च भवति। अतएव धेनुभिः सह मातृतुलना कृता। दुग्धात् दधिः, नवनीतं, घृतं, तर्क, मिष्ठान्नं च जायन्ते।
शब्दार्थ:
धेनवः = गायें। अनेकवर्णीयाः = अनेक रंगों वाली। भवन्ति = होती हैं। तासु = उनमें। मातृदुग्धानन्तरं = माता के दूध के बाद। सुपाच्यं = अच्छी तरह से पचने योग्य। पौष्टिकं = पुष्ट करने वाला। बलवर्धकं = शक्ति बढ़ाने वाला। भारतीयाः = भारत की। कपिलायाः = भूरे रंग की। धेनोः = गाय का। भवति = होता है। धेनुदुग्धम् = गाय का दूध। एव = ही। सर्वाधिक = सबसे अधिक। सुपाच्य = अच्छी तरह से पचने योग्य। मातृतुलना = माता की तुलना। कृता = की गई है। धेनुभिः सह = गायों के साथ। दुग्धात् = दूध से। दधिः = दही। नवनीतं = मक्खन। घृतं = घी। तक्रं = मट्ठा। जायन्ते = पैदा होते हैं।
हिन्दी अनुवादः
भारतीय गायें अनेक रंगों वाली होती हैं। उनमें से भूरे रंग की गाय का महत्त्व अधिक होता है। माता के दूध के बाद गाय का दूध ही सबसे अधिक अच्छी तरह से पचने योग्य, पुष्ट करने वाला और शक्ति बढ़ाने वाला होता है। इसीलिए गायों के साथ माता की तुलना की गई है। दूध से दही, मक्खन, घी, छाछ और मिठाइयाँ बनती हैं।
(क) अनेकवर्णीयाः काः भवन्ति ?
उत्तराणि:
भारतीयाः धेनवः अनेकवर्णीयाः भवन्ति।।
(ख) कस्याः धेनोः महत्त्वम् अधिकं भवति ?
उत्तराणि:
कपिलायाः धेनोः महत्त्वम् अधिकं भवति।
(ग) सर्वाधिकं सुपाच्यं पौष्टिकं च किं भवति ?
उत्तराणि:
धेनुदुग्धम् सर्वाधिकं सुपाच्यं पौष्टिकं च भवति।
(घ) बलवर्धकं किं भवति?
उत्तराणि:
धेनुदुग्धम् बलवर्धकं भवति।
(ङ) दुग्धात् कानि कानि जायन्ते ?
उत्तराणि:
दुग्धात् दधिः नवजनीतं, घृतं, तर्क, मिष्ठान्नं च जायन्ते।
(च) ‘जायन्ते’ इति पदे कः लकारः ?
उत्तराणि:
‘जायन्ते’ इति पदे लट्लकारः।
(छ) ‘सर्वाधिकं’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदः भविष्यति।
उत्तराणि:
सर्व + अधिकं इति सन्धिविच्छेदः भविष्यति।
(3) तक्रण घृतेन च प्राणरक्षकाः अनेकाः औषधयः निर्मिताः भवन्ति। भारतीयचिकित्साग्रन्थेषु धेनोः मूत्रं, पुरीषं, दुग्धं, दधि, घृतं पञ्चगव्यरूपेण वर्णितम्। गोमूत्रं अनेकासु औषधिषु अपि प्रयुक्तं भवति। गोमयेन वयं स्वगृहान् पवित्रीकुर्मः। गोमयस्य उपयोगः जैविको ऊर्वरकरूपे अधुनाऽपि क्रियते तेन शस्यानां वृद्धिः जायते। पञ्चगव्यस्य उपयोगः मानसिकव्याधिषु, कीटनाशकरूपे गृहव्यवस्थायां, पाण्डुरोगस्य, विचर्चिकारोगस्य, प्रमेह रोगस्य, क्षयरोगस्य च निवारणार्थं भवति। अनेन सिद्धयति यत् गौः अनेकेन प्रकारेण अस्माकं मातृवत् रक्षां करोति। शब्दार्थः-तक्रेण = छाछ से। प्राणरक्षकाः = प्राणों की रक्षा करने वाली। औषधयः = दवाइयाँ। धेनोः = गाय। पुरीषम् = गोबर। गोमूत्रम् = गाय का पेशाब। प्रयुक्तं भवति = प्रयोग होता है।
गोमयेन = गोबर से। स्वगृहान् = अपने घरों को। पत्रित्रीकुर्मः = पवित्र करते हैं। जैविकः = जीवों से उत्पन्न प्राकृतिक खाद। ऊर्वरक रूपे = खाद के रूप में। क्रियते = किया जाता है। शस्यानां = अन्नों की। मानसिकव्याधिषु = मनोरोगों में। कीटनाशकरूपे = कीड़ों को नष्ट करने में। पाण्डुरोगस्य = पीलिया के। विचर्चिका = चेचक। क्षय = टी बी। निवारणार्थं = दूर करने के लिए। घृतेन = घी से/घृत से। अनेकाः औषधयः = अनेकों औषधियाँ (दवाइयाँ) निर्मिताः भवन्ति = बनती हैं। ग्रन्थेषु = ग्रन्थों में। धेनोः = गाय के। वर्णितम् = वर्णन किया गया है। औषधिषु = दवाइयों में। गोमयस्य = गोबर का। अधुनाऽपि = अब भी। वृद्धिः जायते = वृद्धि होती है। अनेन = इससे। सिद्धयति = सिद्ध होता है।
हिन्दी अनुवादः
छाछ और घी से प्राणों की रक्षा करने वाली अनेक प्रकार की दवाइयाँ बनती हैं। भारतीय चिकित्सा ग्रन्थों में गाय के पेशाब, गोबर, दूध, दही, घी का पञ्चगव्य के रूप में वर्णन किया गया है। गाय का पेशाब अनेक दवाइयों में भी प्रयोग होता है। गोबर से हम अपने घरों को पवित्र करते हैं। गोबर का उपयोग जीवों से उत्पन्न प्राकृतिक खाद के रूप में आज भी किया जाता है, जिससे अन्नों की वृद्धि होती है। पञ्चगव्य का उपयोग मनोरोगों में, कीड़ों को नष्ट करने सम्बन्धी घर की व्यवस्था में, पीलिया, चेचक, प्रमेह और टी बी रोगों को दूर करने के लिए होता है। इससे सिद्ध होता है कि गाय अनेक प्रकार से हमारी माता के समान रक्षा करती है।
(क) प्राणरक्षकाः औषधयः केन निर्मिताः भवन्ति ?
उत्तराणि:
प्राणरक्षकाः औषधयः तक्रेण घृतेन च निर्मिताः भवन्ति।
(ख) धेनोः मूत्रं, पुरीषं, दुग्धं, दधिः, घृतं पञ्चगव्यरूपेण कुत्र वर्णितम् ?
उत्तराणि:
धेनोः मूत्रं, पुरीषं, दुग्धं, दधिः, घृतं पञ्चगव्यरूपेण भारतीयचिकित्साग्रन्थेषु वर्णितम्।
(ग) गोमयेन वयं कान् पवित्रीकुर्मः?
उत्तराणि:
गोमयेन वयं स्वगृहान् पवित्रीकुर्मः।
(घ) पञ्चगव्यस्य उपयोगः केषां निवारणार्थं भवति?
उत्तराणि:
पञ्चगव्यस्य उपयोगः पाण्डुरोगस्य, विचर्चिकारोगस्य प्रमेहरोगस्य क्षयरोगस्य च निवारणार्थं भवति।
(ङ) अस्माकं रक्षां का करोति?
उत्तराणि:
गौ अस्माकं रक्षां मातृवत् करोति।
(च) ‘अधुनाऽपि’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदः भविष्यति।
उत्तराणि:
अधुना + अपि इति सन्धिविच्छेदः भविष्यति।
(छ) ‘करोति’ पदे कः लकारः अस्ति?
उत्तराणि:
करोति’ पदे लट्लकारः अस्ति।
(4) विष्णोः परमधाम्नि भूरिश्रृङ्गा धेनवः न्यवसन्। भगवतः ऋषभेदवस्य चिह्नम् अपि धेनोः अपत्यं वृषभः एव। भगवतः शिवस्य वाहनोऽपि नन्दी वृषभः एव। भूपतेः दिलीपस्य अनपत्यतायाः निराकरणमपि महर्षेः वशिष्ठस्य धेनुना नन्दिन्या एव कृतम्। कामधेनुः एतादृशी गौ-रूपेण वर्णिता यस्याराधनमात्रेण मानवस्य सकलानां मनोरथानां पूर्तिर्जायते। धेनूनां गाथामाकर्ण्य वयमपि चिन्तयाम तासां कृते किमपि कुर्याम। तस्याः कृते समाजस्य उपेक्षावृत्तिः निराकरणीयाः। तद्वंशजासु धेनुषु स्वं श्रद्धां प्रदर्शयाम। उक्तञ्च तृणं खादति केदारे, जलं पिबति पल्वले। दुग्धं यच्छति लोकेभ्यः, धेनुर्नो जननी प्रिया॥
शब्दार्थः
विष्णोः = विष्णु के। परमधाम्नि = परम धाम में। भूरिश्रृङ्गा = अधिक सींग वाली। न्यवसन् = रहती थी। अपत्यं = सन्तान। वृषभः = बैल। अनपत्यतायाः = सन्तान न होने का। नन्दिन्या = नन्दिनी के द्वारा। आराधनमात्रेण = सेवा मात्र से। मनोरथानां = मन की इच्छाओं की। केदारे = क्यारी में। यच्छति = देती है। भगवतः = भगवान्। मानवस्य = मनुष्य के। सकलानां = सभी। पूर्तिर्जायते = पूर्ति करता है। गाथामाकर्ण्य = गाथा सुनकर। वयमपि = हम भी। चिन्तयाम = विचार करें, सोचें। तासां कृते = उसके लिए। कुर्याम = करें। निराकरणीय = निराकरण किया जाना चाहिए। प्रदर्शयाम = प्रदर्शित करनी चाहिए।
हिन्दी अनुवादः
विष्णु के परम धाम में अधिक सींग वाली गायें रहती थीं। भगवान् ऋषभ देव की पहचान भी गाय की सन्तान बैल ही है। भगवान् शिव की सवारी भी नन्दी नामक बैल ही है। राजा दिलीप के सन्तान न होने का निराकरण भी महर्षि वशिष्ठ की गाय नन्दिनी के द्वारा ही किया गया। कामधेनु ऐसी गाय के रूप में वर्णित है जिसकी सेवा मात्र से मानव के सम्पूर्ण मन की इच्छाओं की पूर्ति होती है। गायों की गाथा सुनकर हम भी सोचें, उनके लिए कुछ भी करें। उसके लिए समाज की उपेक्षा वृद्धि का निराकरण किया जाना चाहिए। उनके वंशज गायों में हमें अपनी श्रद्धा प्रदर्शित करनी चाहिए। कहा भी गया है— क्यारी में घास खाती हैं, सरोवर में पानी पीती हैं। संसार को दूध देती हैं। ऐसी हमारी प्रिय गाय माता हैं।
(क) भूरिश्रृङ्गा धेनवः कुत्र न्यवसन् ?
उत्तराणि:
भूरिश्रृङ्गा धेनवः विष्णोः परमधाम्नि न्यवसन्।
(ख) धेनोः अपत्यं वृषभः कस्य चिह्नम् आसीत् ?
उत्तराणि:
धेनोः अपत्यं वृषभः भगवतः ऋषभदेवस्य चिह्नम् आसीत्।
(ग) भगवतः शिवस्य वाहनः कः ?
उत्तराणि:
भगवतः शिवस्य वाहनः नन्दी वृषभः।
(घ) महर्षेः वशिष्ठस्य धेनोः नाम किम् आसीत् ?
उत्तराणि:
महर्षेः वशिष्ठस्य धेनोः नाम नन्दिनी आसीत्।
(ङ) कस्याः आराधनमात्रेण मानवस्य सकलानांमनोरथानां पूर्तिः जायते ?
उत्तराणि:
कामधेनोः आराधनमात्रेण मानवस्य सकलानां मनोरथानां पूर्तिर्जायते।
(च) ‘गाथामाकर्ण्य’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदः भविष्यति।
उत्तराणि:
‘गाथाम् + आकर्ण्य’ इति सन्धिविच्छेदः भविष्यति।
(छ) ‘पिबति’ इति पदे कः लकारः?
उत्तराणि:
‘पिबति’ इति पदे लट्लकारः।