RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
Rajasthan Board RBSE Class 8 Sanskrit Chapter 16 कर्तव्यपालनम्
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम् पाठ्यपुस्तकस्य प्रश्नोत्तराणि
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम् मौखिकप्रश्नाः
प्रश्न: 1.
अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत –
(नीचे लिखे हुए पदों का उच्चारण कीजिए-)
राजतन्त्रज्ञः, दरिद्रेभ्यः, उटजं, अपहर्तु, प्रबोधितवन्तः, राशिरेवास्ति, दातव्याः, इत्यपृच्छन्, महामात्याः, चाणक्याय, कम्बलाः, मातृवत्, लोष्ठवत्, त्यक्तवन्तः।
नोट:
छात्रगण अपने आप उच्चारण करें।
प्रश्न: 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखिए-)
(क) मगधदेशस्य नृपः कः आसीत्
(मगधदेश का राजा कौन था?)
(ख) एकस्मिन् उटजे कः निवसति स्म?
(एक कुटिया में कौन रहता था?)
(ग) चाणक्यस्य उटजंके प्राविशन्?
(चाणक्य की कुटिया में कौन घुस गये?)
(घ) चौराः केन कारणेन आश्चर्यचकिताः अभवन्?
(चोर किस कारण आश्चर्यचकित हो गये?)
(ङ) परद्रव्यं कीदृशं भवति?
(दूसरे का धन कैसा होता | है?)
उत्तराणि:
(क) चन्द्रगुप्तः
(ख) मन्त्री चाणक्यः
(ग) चौराः
(घ) जीर्णकम्बलेन
(ङ) लोष्ठवत्।
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम्लि खितप्रश्नाः
प्रश्न: 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखिए-)
(क) चन्द्रगुप्तस्य मन्त्री कः आसीत्?
(चन्द्रगुप्त का मन्त्री कौन था?)
(ख) एकदा नृपेण चाणक्याय किं समर्पितम्?
(एक बार राजा ने चाणक्य को क्या दिया?)
(ग) के कम्बलान् अपहर्तुं चिन्तितवन्तः?
(कौन कम्बलों को चुराने के लिए सोच रहे थे?)
(घ) “तेषां उपयोगं कर्तुं मम न अधिकारः” इति कः कथयति?
( “तेषां उपयोगं कर्तुं मम न अधिकारः” यह किसने कहा?)
उत्तराणि:
(क) चाणक्यः
(ख) कम्बलम्
(ग) चौराः
(घ) चाणक्यः
प्रश्न: 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानां उत्तराणि एकवाक्येन लिखत –
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए-)
(क) मन्त्री कुत्र निवसति स्म?
(मन्त्री कहाँ रहता था?)
(ख) नृपः कम्बलान् केभ्यः दातुं सूचितवान्?
(राजा ने कम्बलों को किन्हें देने के लिए आदेश दिया?)
(ग) कम्बलान् अपहर्तुं के चिन्तितवन्तः?
(कम्बलों को चुराने को लिए किन्होंने विचार किया?)
(घ) चौरा: चाणक्यं किम् अपृच्छन्?
(चोरों ने चाणक्य से क्या पूछा?)
उत्तराणि:
(क) मन्त्री उटजे निवसति स्म।
(मन्त्री कुटिया में रहता था।)
(ख) नृपः कम्बलान् दरिद्रेभ्यः दातुं सूचितवान्।
(राजा ने कम्बलों को गरीबों को देने के लिए आदेश दिया)
(ग) कम्बलान् अपहर्तुं चौराः चिन्तितवन्तः।
(कम्बलों को चुराने के लिए चोरों ने विचार किया)
(घ) चौराः चाणक्यं अपृच्छन्-महोदयः तव पार्वे नूतनकम्बलानां राशिः अस्ति तथापि जीर्णकम्बलं धृत्वा किमर्थ शयनं करोति।
(चोरों ने चाणक्य से पूछा-महोदय! तुम्हारे बगल में नये कम्बलों का ढेर है फिर भी फटे कम्बल को धारण करके शयन करते हो।)
प्रश्न: 3.
निम्नलिखितवाक्यानि निर्देशानुसारं काल (लकार) परिवर्तनं कृत्वा पुनः लिखत –
(नीचे लिखे हुए वाक्यों में निर्देशानुसार (काल) लकार परिवर्तन करके पुनः लिखिए।)
उदाहरणम् – चन्द्रगुप्तः मगधदेशस्य नृपः अस्ति। (लङ्लकार)
चन्द्रगुप्त: मगधदेशस्य नृपः आसीत्।
(क) मन्त्री एकस्मिन् उटजे निवसति (लङ् लकार)
(ख) प्रभाते वितरणं करोमि। (लृट् लकार)
(ग) अन्येषां द्रव्यस्य उपयोगेन अधर्मः भविष्यति। (लट् लकार)
(घ) अन्यस्य द्रव्यं न अपहरिष्यामः (लट् लकार)
(ङ) चाणक्यः कम्बलं विना निद्रां करिष्यति। (लट् लकार)
उत्तराणि:
(क) मन्त्री एकस्मिन् उटजे निवसति स्म।
(ख) प्रभाते वितरणं करिष्यामि।
(ग) अन्येषां द्रव्यस्य उपयोगेन अधर्मः भवति।
(घ) अन्यस्य द्रव्य न अपहरामः।
(ङ) चाणक्यः कम्बलं बिना निद्रां करोति।
प्रश्न: 4.
निम्नपदान् स्वीकृत्य वाक्यरचनां कुरुत-(नीचे लिखे पदों के आधार पर वाक्य रचना कीजिए)
- उजटे
- निवसति
- भावनया
- समर्पिता:
- दातुम्
- अपहर्तुम्
- प्रबोधितः
- स्वः
- प्रतिदिनम्।
उत्तराणि:
- उजटे चाणक्यः निवसति स्म।
- चाणक्यः उटजे निवसति।
- स: वैराग्यभावनया पूर्णः आसीत्।
- वयम् देशसेवायै समर्पिताः।
- एकदा नृपेण चाणक्याय दातुं नृपः सूचितवान्।
- चौराः कम्बलान् अपहर्तुं चिन्तितवन्तः।
- चौराः कम्बलान् अपहर्तुं चिन्तितवन्तः।
- चौर: चाणक्यम् प्रबोधितः।
- श्वः प्रभाते वितरणं करिष्यामि।
- वयं जीवने प्रतिदिनम् अन्यस्य द्रव्यमेव अपहरामः।
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम् अन्य महत्वपूर्णः प्रश्नाः
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम् वस्तुनिष्ठप्रश्नोत्तराणि
प्रश्न: 1.
मगधदेशस्य नृपः आसीत्
(अ) चाणक्यः
(ब) समुद्रदत्त
(स) समुद्रगुप्तः
(द) चन्द्रगुप्त।
उत्तराणि:
(स) समुद्रगुप्तः
प्रश्न: 2.
चाणक्यः कः आसीत् –
(अ) नृपः
(ब) अमात्यः
(स) पुरोहितः
(द) कर्मकरः।
उत्तराणि:
(ब) अमात्यः
प्रश्न: 3.
उटजं कुत्र आसीत् –
(अ) नगरस्य अन्तः
(ब) नगराद् बहिः
(स) नगरस्य समीपं
(द) नातिदूरं।।
उत्तराणि:
(ब) नगराद् बहिः
प्रश्न: 4.
कम्बलाः केन दत्ता:
(अ) चौरैः
(ब) चाणक्येन
(स) नृपेण
(द) दरिद्रेण।
उत्तराणि:
(स) नृपेण
प्रश्न: 5.
‘कर्तुम्’ इति पदे प्रत्ययः अस्ति।
(अ) क्त
(ब) क्त्वा
(स) ल्यप्
(द) तुमुन्।
उत्तराणि:
(द) तुमुन्।
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम् अतिलघूत्तरीयाः प्रश्नाः
प्रश्न: 1.
एकदा चाणक्यस्य उटजं के प्राविशन् ?
उत्तराणि:
एकदा चाणक्यस्य उटजं चौराः प्राविशन्।
प्रश्न: 2.
कस्य पार्वे नूतनकम्बलानां राशिः आसीत् ?
उत्तराणि:
चाणक्यस्य पार्वे नूतनकम्बलानां राशिः आसीत्।
प्रश्न: 3.
कम्बलानां वितरणं कः करिष्यति?
उत्तराणि:
कम्बलानां वितरणं चाणक्यः करिष्यति।
प्रश्न: 4.
कम्बलानाम् उपयोगं कर्तुं कस्य न अधिकारः?
उत्तराणि:
कम्बलानाम् उपयोगं कर्तुं चाणक्यस्य न अधिकारः।
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम् लघूत्तरीयाः प्रश्नाः
प्रश्न: 1.
अस्य पाठस्य किं नाम ?
उत्तराणि:
अस्य पाठस्य नाम ‘कर्तव्यपालनम्’ अस्ति।
प्रश्न: 2.
अस्मिन् पाठे कस्य देशस्य नृपस्य वर्णनम् ?
उत्तराणि:
अस्मिन् पाठे मगधदेशस्य नृपस्य वर्णनम् अस्ति।
प्रश्न: 3.
चाणक्यः कस्य राज्ञः अमात्यः आसीत् ?
उत्तराणि:
चाणक्य: चन्द्रगुप्तराज्ञः अमात्यः आसीत्।
प्रश्न: 4.
चन्द्रगुप्तः किमर्थं कम्बलान् समर्पयति?
उत्तराणि:
चन्द्रगुप्तः वितरणार्थं कम्बलान् समर्पयति।
RBSE Class 8 Sanskrit कर्तव्यपालनम् निबन्धात्मक प्रश्नोत्तरः
प्रश्न: 1.
‘कर्तव्यपालनम्’ इति पाठस्य सारं हिन्दीभाषायां लिखत। उत्तरम् मगध देश के राजा चन्द्रगुप्त का मन्त्री तपस्वी और राजतन्त्र का ज्ञाता चाणक्य था। एक दिन राजा ने गरीबों में बाँटने हेतु चाणक्य को कम्बल सौंपे। उन कम्बलों को लेकर मन्त्री अपनी कुटिया में सो रहा था। चुराने के उद्देश्य से आए चोरों ने देखा कि यह मन्त्री तो फटे कम्बल में सो रहा है जबकि बगल में नये कम्बल रखे हैं। मन्त्री से पूछने पर कहा कि इन कम्बलों का उपयोग करने का मेरा अधिकार नहीं है। ये तो गरीबों के लिए हैं। इसे सुनकर चोर अत्यन्त लज्जित हुए। उन्होंने चाणक्य के विचार जानकर चोरी करना बन्द कर दिया।
योग्यता-विस्तारः
चाणक्य के विषय में दूसरी कथा- एक बार मुसलमान सेनानायक चाणक्य की कुटिया में आया। रात का समय था। चाणक्य कुछ राजकीय कार्य कर रहा था। उसने उठकर पहले दीपक को बुझाया। उसके बाद उसने दूसरा दीपक जलाकर सेनानायक के साथ बातचीत की। सेनानायक ने उसका कारण पूछा। चाणक्य बोला – ‘महोदय पहले मैं राजकीय कार्य सम्पादित कर रहा था। इसलिए मैंने राज्य के तेल का उपयोग किया। अब मैं आपके साथ बातचीत के लिए राज्य के तेल का उपयोग नहीं कर सकता। अरे ! ऐसे थे महामन्त्री चाणक्य।
महत्त्वपूर्णानां शब्दार्थानां सूची –
पाठ-परिचयः
जिस देश में हम निवास करते हैं, जीवनयापन करते हैं, उसके प्रति हमारा कर्तव्य है कि देशवासियों के | लिए पूर्ण मनोयोग तथा सत्यनिष्ठा के साथ सेवा करें। कर्तव्यनिष्ठा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और उपयोगी है। कर्तव्यनिष्ठ मनुष्य अन्य लोगों को सही रास्ता दिखा सकता है। जैसे मगध देश के राजा चन्द्रगुप्त के अमात्य चाणक्य ने अपने कर्म से |चोरों को प्रभावित किया। अन्त में उन चोरों ने महामात्य चाणक्य से क्षमा माँगी।
मूल अंश, शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर
(1) चन्द्रगुप्त: मगधदेशस्य नृपः आसीत्। तस्य मन्त्री चाणक्यः तपोधनः राजतन्त्रज्ञः च आसीत्। मन्त्री अपि स एकस्मिन् उटजे निवसति स्म। वैराग्यभावनया सः पूर्णः आसीत्। एकदा नृपेण चाणक्याय कम्बलाः समर्पिताः। तान् कम्बलान् दरिद्रेभ्यः दातुं नृपः सूचितवान्।
शब्दार्थः
नृपः = राजा। तपोधन = तपस्वी। राजतन्त्रज्ञः = राजतन्त्र का ज्ञानी। उटजे = कुटिया में। निवसति स्म = रहता था। वैराग्य = विरक्ति। नृपेण = राजा के द्वारा। चाणक्याय = चाणक्य को। समर्पिताः = समर्पित कर दिये। दरिद्रेभ्यः = गरीबों को। सूचितवान् = आदेश दिया। मगधदेशस्य = मगध देश का। तस्य = उसका। भावनया = भावना से। एकदा = एक बार । नपेण = राजा ने, राजा के द्वारा। तान् = उन। दातुं = देने के लिए।
हिन्दी अनुवादः
चन्द्रगुप्त मगध देश का राजा था। उसका मन्त्री चाणक्य तपस्वी तथा राजतन्त्र का ज्ञाता था। मन्त्री होकर भी वह एक कुटिया में रहता था। विरक्ति की भावना से वह परिपूर्ण था। एक दिन राजा ने चाणक्य को बहुत सारे कम्बल दिये। उन कम्बलों को गरीबों को देने के लिए राजा ने आदेश दिया।
(क) चन्द्रगुप्तः कस्य देशस्य नृपः आसीत्?
उत्तरम्:
चन्द्रगुप्त: मगधदेशस्य नृपः आसीत्।
(ख) मगधदेशस्य नृपः कः आसीत्?
उत्तरम्:
मगधदेशस्य नृपः चन्द्रगुप्तः आसीत्।
(ग) चन्द्रगुप्तस्य मन्त्री कः आसीत्?
उत्तर:
चन्द्रगुप्तस्य मन्त्री चाणक्यः आसीत्।
(घ) राजतन्त्रज्ञः कः आसीत्?
उत्तर:
राजतन्त्रज्ञः चाणक्यः आसीत्।
(ङ) चाणक्यः कुत्र निवसति स्म?
उत्तरम्:
चाणक्यः एकस्मिन् उटजे निवसति स्म।
(च) ‘दातुं’ इति पदे कः प्रत्ययः?
उत्तरम्:
‘दातुं’ इति पदे तुमुन् प्रत्ययः।
(छ) ‘एकस्मिन् उटजे’ अत्र किं विशेषणपदम्?
उत्तर:
‘एकस्मिन् उटजे’ अत्र एकस्मिन् विशेषणपदम्।
(2) चाणक्यस्य उटजं नगराद् बहिः आसीत्। केचन चौराः कम्बलान् अपहर्तुं चिन्तितवन्तः। ते एकदा रात्रौ चाणक्यस्य उटज प्राविशन्। मध्यरात्रिसमये शीतकाले अतीव शैत्यम् आसीत् तथापि चाणक्यः जीर्णकम्बलेन सह सुप्तः आसीत्। पाश्र्वे नूतनकम्बलानां राशिः एव आसीत्। चौराणाम् आश्चर्य जातं यत् पार्वे नतूनकम्बलानां राशिरेवास्ति तथापि चाणक्यः जीर्णकम्बलं धृत्वा शेते।
चौरा: चौर्यं न अकुर्वन् ते चाणक्यं प्रबोधितवन्तः। चौरा:- “महोदय तव पार्वे नूतनकम्बलानां राशिः अस्ति तथापि जीर्णकम्बलं धृत्वा किमर्थं शयनं करोति?” इत्यपृच्छन्। चाणक्यः उक्तवान्, “कम्बलाः नृपेण दत्ताः। ते दरिद्रेभ्यः दातव्याः। अतः श्वः प्रभाते वितरणं करिष्यामि। तेषां उपयोगं कर्तुं मम न अधिकारः। अहं विरक्तः सदा तृप्तः इति।”
शब्दार्थः
नगरात् = शहर से। केचन चौराः = कुछ चोर। अपहर्तुं = चोरी करने के लिए। चिन्तितवन्तः = विचार किया। रात्रौ = रात में। प्राविशन् = प्रवेश कर गये। शैत्यम् = सर्दी। जीर्णकम्बलेन सह = पुराने कम्बल से। सुप्तः = सोया हुआ। पार्वे = बगल में। नूतनकम्बलानां = नए कम्बलों का। जाता = हुआ। धृत्वा = धारण करके। शेते = सो रहा था। प्रबोधितवन्तः = जगाया। अपृच्छन् = पूछा। दत्ताः = दिये हैं। दातव्याः = देने हैं। श्व:प्रभाते = कल सवेरे। करिष्यामि = करूँगा। उपयोगकर्तु = उपयोग करना। उटजं = कुटिया। बहिः = बाहर। ते = वे। एकदा = एक बार। मध्यरात्रिसमये = आधी रात के समय। शीतकाले = सर्दी में, ठण्ड के समय। चाणकस्य उटजं = चाणक्य की कुटिया में। अतीव = बहुत।
अनुवादः
चाणक्य की कुटिया शहर से बाहर थी। कुछ चोरों ने कम्बलों को चोरी करने के लिए विचार किया। वे एक बार रात में चाणक्य की कुटिया में घुस गये। मध्यरात्रि को ठण्ड के समय अत्यन्त सर्दी थी। फिर भी चाणक्य पुराने कम्बल सहित सोया हुआ था। बगल में नये कम्बलों का ढेर था। चोरों को अचम्भा हुआ कि बगल में नये कम्बलों का ढेर है फिर भी पुराना कम्बल धारण करके सो रहा है।
चोरों ने चोरी नहीं की उन्होंने चाणक्य को जगाया। चोर-“महोदय तुम्हारे पास नये कम्बलों का ढेर है फिर भी पुराने कम्बल को धारण कर किसलिए शयन कर रहे हो?” ऐसा पूछा। चाणक्य बोला, “कम्बल राजा ने दिये हैं। वे गरीबों के लिए दिये जाने हैं। इसलिए कल सबेरे वितरण करूँगा। उनका उपयोग करना मेरा अधिकार नहीं है। मैं विरक्त हूँ और हमेशा तृप्त हूँ।”
(क) कम्बलान् अपहर्तुं के विचारम् अकुर्वन्?
उत्तरम्:
कम्बलान् अपहर्तुं चौराः विचारम् अकुर्वन्।
(ख) उटजं कुत्र आसीत्?
उत्तरम्:
उटजं नगराद् बहिः आसीत्।
(ग) चाणक्यस्य उटजं के कदा प्राविशन्?
उत्तर:
चाणक्यस्य उटजं चौरा: रात्रौ प्राविशन्।
(घ) चाणक्यः शीतकाले केन सहसुप्तः आसीत्?
उत्तर:
चाणक्य:शीतकाले जीर्णकम्बलेन सह सुप्तः आसीत्।
(ङ) चाणक्य के प्रबोधितवन्तः?
उत्तरम्:
चाणक्यं चौरा: प्रबोधितवन्तः।
(च) “श्वः प्रभाते वितरणं करिष्यामि”इत्यस्य वाक्यस्य कर्ता कः?
उत्तरम्:
‘श्व प्रभाते वितरणं करिष्यामि’ इत्यस्य वाक्यस्य कर्ता अहम् अस्ति।
(छ) ‘इत्यपृच्छन्’ पदस्य सन्धिविच्छेदः भविष्यति।
उत्तर:
‘इति + अपृच्छन्।
(3) इदं श्रुत्वा चौरा: लज्जीभूताः अन्येषां द्रव्यस्य उपयोगेन अधर्मः भवति इति चाणकस्य विचारः अस्ति। वयं जीवने प्रतिदिनम् अन्यस्य द्रव्यमेव अपहरामः अधर्म कुर्मः। पापस्य संग्रहः भवति इति चिन्तयित्वा ते चाणक्यमहामात्यात् क्षमा प्रार्थितवन्तः। ततः ते चौरकार्यं त्यक्तवन्तः। मातृवत्परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत्। आत्मवत् सर्वभूतेषु, यः पश्यति स पण्डितः।
शब्दार्थः
इदं श्रुत्वा = यह सुनकर। लज्जाभूताः = लज्जाशील। अन्येषां = दूसरों के। उपयोगेन = उपयोग से। अपहरामः = चुराते हैं। कुर्मः = करते हैं। चिन्तयित्वा = विचार करके। प्रार्थितवन्तः = प्रार्थना की। त्यक्तवन्तः = त्याग कर दिया। परदारेषु = दूसरों की पत्नी को। लोष्ठवत् = मिट्टी के ढेले की तरह। आत्मवत् = अपने समान।
अनुवादः
यह सुनकर चोर लज्जाशील हो गये। दूसरों के धन के उपयोग से अधर्म होता है, ऐसा चाणक्य का विचार है। हम जीवन में प्रत्येक दिन दूसरे का धन ही चुराते हैं। अधर्म करते हैं। पाप इकट्ठा होता है, ऐसा विचार कर उन्होंने चाणक्य अमात्य से क्षमा माँगी। उसके बाद उन्होंने चोरी करना त्याग दिया। “दूसरे की पत्नी माता के समान है, दूसरे का धन के समान है सभी प्राणियों को अपने समान जो देखता है, वही पण्डित है।”
(क) केन अधर्मः भवति?
उत्तराणि:
अन्येषां द्रव्यस्य उपयोगेन अधर्मः भवति।
(ख) के अन्यस्य द्रव्यमेव अपहरन्ति?
उत्तराणि:
चौराः अन्यस्य द्रव्यमेव अपहरन्ति।
(ग) के अधर्म कुर्वन्ति?
उत्तराणि:
चौरा: अधर्म कुर्वन्ति।
(घ) अधर्मेण किं भवति?
उत्तराणि:
अधर्मेण पापस्य संग्रहः भवति।
(ङ) चाणक्यात् के क्षमाप्रार्थितवन्तः?
उत्तराणि:
चाणक्यात् चौराः क्षमा प्रार्थितवन्तः।
(च) ‘पश्यति’ इति पदे कः लकारः?
उत्तरम्:
‘पश्यति’ इति पदे लट्लकारः।
(छ) ‘श्रुत्वा इति पदे का प्रत्ययः प्रयुक्ताः?
उत्तराणि:
श्रुत्वा इति पदे क्त्वा’ प्रत्ययः प्रयुक्ताः।