RBSE Solutions for Class 8 Our Rajasthan Chapter 10 राजस्थान में कला एवं संस्कृति

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Our Rajasthan Chapter 10 राजस्थान में कला एवं संस्कृति Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 8 Our Rajasthan Solutions Chapter 10 राजस्थान में कला एवं संस्कृति

RBSE Class 8 Our Rajasthan राजस्थान में कला एवं संस्कृति Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर के विकल्प को कोष्ठक में लिखिए -

प्रश्न 1. 
निम्न में से कौनसा जोड़ा सुमेलित नहीं है? 
मंदिर - स्थान 
(अ) देलवाड़ा का जैन मंदिर - आबू पर्वत (सिरोही) 
(ब) रणकपुर के जैन मंदिर - पाली 
(स) श्री एकलिंगजी का मंदिर - जयपुर 
(द) खाटूश्याम जी का मंदिर - सीकर 
उत्तर:
(स) श्री एकलिंगजी का मंदिर - जयपुर 

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प्रश्न 2. 
निम्न में से किस दुर्ग का सर्वाधिक उच्च भाग कटारगढ़ कहलाता है? 
(अ) आमेर दुर्ग 
(ब) कुंभलगढ़ का दुर्ग 
(स) रणथंभौर दुर्ग 
(द) जालौर दुर्ग 
उत्तर:
(ब) कुंभलगढ़ का दुर्ग 

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -

1. बूंदी में ................. खंभों की छतरी स्थापत्य कला का महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। 
2. बनी-ठनी चित्र शैली ............... की प्रसिद्ध शैली है। 
उत्तर:
1. चौरासी 
2. किशनगढ़ 

III. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
मंदिरों का विकास किस काल से प्रारंभ हुआ? 
उत्तर:
मंदिरों का विकास गुप्तकाल से प्रारंभ हुआ। 

प्रश्न 2. 
मूसी महारानी की छतरी कहाँ स्थित है? 
उत्तर:
मूसी महारानी की छतरी अलवर में स्थित है। 

प्रश्न 3. 
विजय स्तम्भ का निर्माण किस शासक ने करवाया था? 
उत्तर:
विजय स्तंभ का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था। 

IV. लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
राजस्थान के प्रमुख दुर्गों के नाम बताइए एवं किन्हीं दो दुर्गों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग-राजस्थान के प्रमुख दुर्ग ये हैं -

  1. बूंदी दुर्ग 
  2. लोहागढ़ दुर्ग 
  3. रणथंभौर दुर्ग 
  4. जालौर दुर्ग 
  5. चित्तौड़गढ़ दुर्ग 
  6. कुंभलगढ़ दुर्ग 
  7. आमेर दुर्ग 
  8. गागरोन का जलदुर्ग 
  9. जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग 
  10. बीकानेर का जूनागढ़ दुर्ग तथा 
  11. जैसलमेर का सोनारगढ़ दुर्ग। 

यथा -
(1) बूंदी दुर्ग-बूंदी शहर के उत्तरी छोर की पहाड़ी पर 1354 ई. में राव बरसिंह ने बूंदी दुर्ग को बनवाया था। दुर्ग के चारों तरफ सुदृढ़ परकोटा बना हुआ है। इसमें बने छत्रशाल महल, यंत्रशाला, बादल महल, अनरुद्ध महल के भित्ति चित्र देखते ही बनते हैं। भवनों की छतरियाँ, दरबार हॉल के अलंकृत स्तंभ की स्थापत्य कला अनुपम है। 

(2) लोहागढ़ दुर्ग-इस दुर्ग का निर्माण भरतपुर के जाट वंश के महाराजा सूरजमल ने करवाया था। इसके चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर बनी है, इसलिए इसे मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं। इस पर कई आक्रमण हुए, लेकिन इसे कोई जीत नहीं पाया। अत: इसे अजेय दुर्ग भी कहते हैं।

प्रश्न 2. 
राजस्थान में संगीत कला पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान में संगीत कला-राजस्थान में प्राचीन काल से ही संगीत का प्रचलन रहा है। युद्ध के समय उत्साहवर्धक संगीत की ध्वनियाँ एवं वाद्य यंत्रों की गर्जना से वातावरण उत्तेजित हो जाता था। यहाँ विविध रंगों से युक्त संगीत के साथ-साथ, श्रृंगार से युक्त मांड राग भी उल्लेखनीय रहा यहाँ के शासकों ने संगीतज्ञों एवं गायिकी का सदैव सम्मान किया है। यहाँ भक्तों ने भी संगीत की विभिन्न राग-रागिनियों को प्रचलित एवं प्रसारित किया जिसमें मीरांबाई, दादू, चरणदास, दयाबाई, सहजोबाई के नाम विशिष्ट रहे। संगीत के विविध घराने भी राजस्थान में विकसित हुए हैं। वहीं जनसामान्य के बीच लोकसंगीत में संस्कार, उत्सव पर्व, देवी-देवताओं के जागरण किए जाते हैं तथा वैवाहिक गीत भी गाये जाते हैं।

RBSE Class 8 Our Rajasthan राजस्थान में कला एवं संस्कृति Important Questions and Answer 

वस्तुनिष्ठ 

प्रश्न 1. 
भरतपुर के जाट वंश के महाराजा सूरजमल ने जिस दुर्ग का निर्माण करवाया, वह है -
(अ) लोहागढ़ दुर्ग 
(ब) मेहरानगढ़ दुर्ग 
(स) सोनारगढ़ दुर्ग 
(द) जल दुर्ग 
उत्तर:
(अ) लोहागढ़ दुर्ग 

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प्रश्न 2. 
10वीं शताब्दी में परमार राजाओं धारावर्ष और मुंज ने किस दुर्ग का निर्माण करवाया था -
(अ) रणथंभौर दुर्ग 
(ब) जालोर दुर्ग 
(स) चित्तौड़गढ़ दुर्ग 
(द) बूंदी दुर्ग 
उत्तर:
(ब) जालोर दुर्ग 

प्रश्न 3.
आभानेरी मंदिर स्थित है -
(अ) जयपुर में 
(ब) सीकर में 
(स) दौसा में 
(द) कोटा में 
उत्तर:
(स) दौसा में 

प्रश्न 4. 
गोपालसिंह की छतरी स्थित है -
(अ) अलवर में 
(ब) बूंदी में 
(स) रामगढ़ में 
(द) करौली में। 
उत्तर:
(द) करौली में।

प्रश्न 5. 
बीकानेर के चित्रों में निम्न में से किस रंग का विशेष प्रयोग हुआ है? 
(अ) हरे रंग का 
(ब) पीले रंग का 
(स) लाल रंग का 
(द) नीले रंग का 
उत्तर:
(ब) पीले रंग का

प्रश्न 6. 
राजस्थान की किस चित्रशैली में चित्रों की पृष्ठभूमि में कदम्ब वृक्ष अधिक मिलते हैं? 
(अ) उदयपुर शैली में 
(ब) किशनगढ़ शैली में 
(स) कोटा-बूंदी शैली में 
(द) जयपुर-अलवर शैली में। 
उत्तर:
(अ) उदयपुर शैली में 

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. ................. प्रायः सामरिक दृष्टि से और सुरक्षा के लिए बनाये जाते थे। 
2. लोहागढ़ दुर्ग पर कई आक्रमण हुए लेकिन इसे कोई भी जीत नहीं पाया। अत: इसे ............... दुर्ग भी कहा जाता 
3. रणथंभौर दुर्ग का निर्माण ............... वंशीय शासकों ने करवाया। 
4. चित्तौड़गढ़ दुर्ग के विजय स्तंभ को भारतीय मूर्तिकला का .............. भी कहा जाता है। 
5. कुंभलगढ़ दुर्ग के कटारगढ़ में ................ का जन्म हुआ था।
6. ................ जल दुर्ग दो नदियों काली सिंध और आहु नदी के संगम पर स्थित है। 
उत्तर:
1. दुर्ग 
2. अजेय 
3. चौहान 
4. शब्दकोष 
5. महाराणा प्रताप 
6. गागरोन का। 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
मारवाड़ के चार प्रमुख मंदिरों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
मारवाड़ के प्रमुख मंदिर हैं -

  1. देलवाड़ा जैन मंदिर (आबू-पर्वत, सिरोही)
  2. रणकपुर जैन मंदिर (पाली)
  3. किराडू के मंदिर (बाड़मेर)
  4. ओसिया के मंदिर (जोधपुर)। 

प्रश्न 2. 
शेखावाटी-जयपुर के दो प्रमुख मंदिरों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. खाटूश्याम जी का मंदिर (सीकर) 
  2. गोविन्ददेव जी का मंदिर (जयपुर) 

प्रश्न 3. 
मोलेला मूर्तिकला को किसने विश्व स्तर पर पहचान दिलवाई है? 
उत्तर:
राजसमंद जिले के मोलेला गाँव के कुम्हारों ने मोलेला मूर्तिकला को विश्व स्तर पर पहचान दिलवाई है। 

प्रश्न 4. 
मिट्टी की मूर्तियों को आग में पकाकर बनाने की कला को क्या कहते हैं? 
उत्तर:
मिट्टी की मूर्तियों को आग में पकाकर बनाने की कला को टेराकोटा कहते हैं। 

प्रश्न 5. 
छतरियाँ तथा देवल से क्या आशय है? 
उत्तर:
राजस्थान के शासकों, सामन्तों, श्रेष्ठि वर्ग आदि ने अपने पूर्वजों की स्मृति में जो स्मारक बनाए वे छतरियाँ या देवल के नाम से जाने जाते हैं। 

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प्रश्न 6. 
राजस्थान की चित्रकला की किन्हीं चार शैलियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. यपुर शैली 
  2. किशनगढ़ शैली 
  3. कोटाबूंदी शैली तथा 
  4. बीकानेर व जोधपुर शैली। 

प्रश्न 7. 
सुरक्षा एवं जीवनोपयोगी साधनों को ध्यान में रखते हुए गाँव कहाँ बसाये जाते थे? 
उत्तर:
सुरक्षा एवं जीवनोपयोगी साधनों को ध्यान में रखते हुए गाँव प्राय: नदियों, तालाबों व पहाड़ियों या उनके बीच बसाये जाते थे। 

प्रश्न 8. 
सुरक्षा की दृष्टि से दुर्ग कहाँ बनाए जाते थे? 
उत्तर:
सुरक्षा की दृष्टि से दुर्ग ऊँची पहाड़ियों पर, गहरी नदियों के किनारे अथवा मैदानी भागों में बनाए जाते थे। 

प्रश्न 9. 
चित्तौड़गढ़ दुर्ग कहाँ पर स्थित है? 
उत्तर:
चित्तौड़गढ़ दुर्ग मत्स्याकार पहाड़ी पर स्थित है, जो दो सुदृढ़ प्राचीरों से घिरा हुआ है। 

प्रश्न 10. 
कुंभलगढ़ के नवीन परिवर्तित दुर्ग को किसने और कब बनवाया?
उत्तर:
कुंभलगढ़ के नवीन परिवर्तित दुर्ग को महाराणा कुंभा ने अपने प्रसिद्ध शिल्प सूत्रधार मंडन के नेतृत्व में 1458 ई. में बनवाया। 

प्रश्न 11. 
मेवाड़ के दो प्रमुख मंदिरों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
मेवाड़ के दो प्रमुख मंदिर ये हैं -

  1. श्री एकलिंगजी का मंदिर (उदयपुर) 
  2. श्रीनाथजी का मंदिर (नाथद्वारा)। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
गाँव तथा नगर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। 
उत्तर:
गाँव-सुरक्षा एवं जीवनोपयोगी साधनों को ध्यान में रखते हुए प्राय: नदियों, तालाबों व पहाड़ियों या उनके बीच गाँव बसाये जाते थे। मकान प्रायः केलू या घास-फूस से ढके कच्चे मकान होते थे। समृद्ध व्यक्तियों के घर में पट्टशाला, ढालिया, पशुओं का छप्पर, अन्न के कोठे आदि होते थे। नगर-नगर की बसावट सुनियोजित होती थी। नागदा, चीरवा, कल्याणपुर आदि कस्बे, घाटियों, पहाड़ियों या जंगल से घिरे स्थान में बसाए गए। नगर में मन्दिर, महल, भवन, परकोटा, जलाशय, सड़कों की व्यवस्था होती थी, जैसेदेलवाड़ा, इंगोद आदि। सुरक्षार्थ बसाए गए नगरों में आमेर, बूंदी, अजमेर, उदयपुर, जैसलमेर व कुंभलगढ़ आदि उल्लेखनीय हैं। 

प्रश्न 2. 
दुर्ग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
दुर्ग -

  1. दुर्ग प्रायः सामरिक दृष्टि से और सुरक्षा के लिए बनाए जाते थे। सुरक्षा की दृष्टि से दुर्ग ऊँची पहाड़ियों पर, गहरी नदियों के किनारे अथवा मैदानी भागों में बनाए जाते थे।
  2. दुर्ग के निकट प्रायः गहरी खाइयाँ बनाई जाती थीं, जिनमें पानी भर कर जहरीले जानवर छोड़कर शत्रु को रोका जाता था। ये परिखा कही जाती थी। 
  3. दुर्ग शासकों के आवास, सेना व जनसामान्य के लोगों के रहने के लिए सुरक्षित स्थल थे। दुर्ग में कृषि खाद्य भण्डारण, वापी, कुण्ड, जलाशय इत्यादि की पर्याप्त व्यवस्था होने के कारण सैनिक, योद्धा कई महीनों तक दुर्ग के सभी मार्ग बन्द कर शत्र सेना को छकाते रहते थे। 

प्रश्न 3. 
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए -
(अ) रणथंभौर दुर्ग 
(ब) जालोर दुर्ग 
(स) आमेर दुर्ग 
(द) गागरोन का जल दुर्ग 
उत्तर:
(अ) रणथंभौर दुर्ग-ऊँची पहाड़ी के शिखर पर रणथंभौर का दुर्गम व दुर्भेद्य दुर्ग स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण चौहान वंशीय शासकों ने करवाया। इस दुर्ग में नौलखा दरवाजा, हम्मीर महल, 32 खंभों की छतरी आदि प्रमुख ऐतिहासिक स्थान हैं। यहाँ त्रिनेत्र गणेश का प्रसिद्ध मंदिर है। वर्तमान में यह दुर्ग तथा आस-पास का वन क्षेत्र जैन मंदिर (पाली), किराडू के मंदिर (बाड़मेर), ओसिया के मंदिर (जोधपुर)। (3) हाड़ौती के प्रमुख मंदिर-हाड़ौती के प्रमुख मंदिर हैं-हिन्दू मंदिर बाडौली (रावतभाटा), शिवमंदिर मण्डदेवरा (बारां), कंसवा मंदिर (कोटा), कमलेश्वर महादेव (बूंदी), सूर्य मंदिर झालरापाटन (झालावाड़) आदि। (4) शेखावाटी-जयपुर के प्रमुख मंदिर-शेखावाटी-जयपुर के प्रमुख मंदिर हैं—आभानेरी मंदिर (दौसा), खाटूश्याम जी का मंदिर (सीकर) तथा गोविन्ददेवजी का मंदिर (जयपुर) आदि। 

प्रश्न 6. 
मोलेला मूर्तिकला पर टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
मोलेला मूर्तिकला-राजसमंद जिले के मोलेला गांव के कुम्हारों ने मोलेला कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। ये शिव-पर्वती, पणिहारी, भैरुजी, हाथी, गणेश, ऊँटा, घोड़ा, पुतली, हनुमान, तोता, चिड़िया, मोर, बांसुरी वाला, शेर, मगरमच्छ, मूषक आदि लोक देवी-देवताओं एवं जानवरों से सज्जित मिट्टी की फड़ बनाते हैं। यह मोलेला मूर्ति कला के नाम से विख्यात है। मिट्टी की मूर्तियों को आग में पका कर बनाने की कला को टेराकोटा कहते हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए -
(अ) चित्तौड़गढ़ दुर्ग 
(ब) कुंभलगढ़ दुर्ग 
उत्तर:
(अ) चित्तौड़गढ़ दुर्ग मध्यमिका नगरी के पतन के बाद चित्रकूट पहाड़ी पर 7वीं सदी में चित्तौड़गढ़ दुर्ग की नींव रखी गई। कालान्तर में प्रतिहार, चालुक्य, परमार तथा सिसोदिया शासकों द्वारा इसका समय-समय पर विकास और आगे विस्तार होता रहा। जिस शासन के अधीन यह दुर्ग रहा उसके शासन के काल के स्थापत्य को यहाँ देखा जा सकता है। 
(1) दुर्ग की स्थिति-यह दुर्ग मत्स्याकार पहाड़ी पर स्थित है, जो दो सुदृढ़ प्राचीरों से घिरा हुआ रहा है। 
(2) स्थापत्य-दुर्ग में सात प्रवेश द्वार है तथा राजमहल, कलात्मक मंदिर, जलाशय आदि बने हुए हैं। 
(3) विजय स्तंभ-दुर्ग पर बने प्राचीन तीर्थ-स्थल गौमुख कुण्ड के उत्तर-पूर्वी कोण पर कुंभा ने कीर्ति (विजय) स्तंभ बनवाया जो 47 फीट वर्गाकार व 10 फीट ऊँची जगती (चबूतरा), 122 फीट की ऊँचाई लिए नौ खंडों (मंजिलों) का स्मारक अपने स्थापत्य में बेजोड़ है। नौ खण्डों के विजय स्तंभ में असंख्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं। इसलिए इसे 'भारतीय मूर्तिकला का शब्दकोष' भी कहा जाता है।

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(ब) कुंभलगढ़ दुर्ग:
कुंभलगढ़ दुर्ग का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है -

  1. दुर्ग का स्थान-कुंभलगढ़ का दुर्ग छोटी-बड़ी पहाड़ियों से मिलकर बना तथा घाटियों एवं बीहड़ जंगलों से घिरा  होने के कारण एकाएक नजर नहीं आता। यह सर्वाधिक सुरक्षित दुर्ग है। इसे कुम्भलमेर भी कहा जाता है। 
  2. दुर्ग का पुनः निर्माण-दुर्ग के प्राचीन अवशेष पर इसका पुनः निर्माण हुआ। नवीन परिवर्तित स्वरूप प्रदान करने वाले राणा कुंभा थे। इन्होंने अपने प्रसिद्ध शिल्पी सूत्रधार मंडन के नेतृत्व में 1458 ई. में इसे निर्मित करवाया। 
  3. दुर्ग का स्थापत्य -
    •  नौ पोलों (दरवाजों) से युक्त दुर्ग के चारों ओर घुमावदार सुदृढ़ एवं चौड़ी दीवार बनी हुई
    • दीवारों के नीचे गहरी खाइयाँ व खड्डे बने हुए हैं जो इसे और अधिक दुर्गम बनाते हैं। 
    • दुर्ग में समतल भूमि पर निर्मित स्थापत्य कला के नमूने अनूठे हैं, जैसे-नीलकंठ महादेव का मंदिर, यज्ञ वेदी के साथ ही कई जैन मंदिर, झालीबाव (बावड़ी), मामादेव (महादेव) का कुण्ड, कुंभस्वामी नामक विष्णु मंदिर, रायमल के पुत्र पृथ्वीराज का स्मारक आदि। 
    • दुर्ग का सर्वाधिक उच्च भाग कटारगढ़ कहलाता है, यहीं महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। सीमा और सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का बड़ा महत्त्व रहा है। 

प्रश्न 2. 
राजस्थान में मूर्तिकला पर एक लेख लिखिए। 
उत्तर:
राजस्थान में मूर्तिकला गुप्तयुगीन मूर्तिकला-परम्परा का प्रभाव राजस्थान में भी रहा है। राजस्थान में वैष्णव, शैव, शाक्त आदि के साथ जैन धर्म को भी राजकीय संरक्षण प्राप्त था। अतः इनके मंदिर एवं मूर्तियाँ बहुत बनाए गए। 
यथा -
(अ) मूर्तियों का प्रकार

  1. शैव मूर्तियाँ-शैव धर्म की प्राचीन परम्परा में शिव के लिंग-विग्रह व मानवीय प्रतिमाएँ पर्याप्त मात्रा में बनाई गई। इन मूर्तियों में महेश मूर्ति, अर्द्धनारीश्वर, उमा-महेश्वर, हरिहर, अनुग्रह मूर्तियों को अधिक उत्कीर्ण किया है। प्रतिमाओं की सुन्दरता अनुपम है। 
  2. वैष्णव मूर्तियाँ-वैष्णव मूर्तियों में दशावतार, लक्ष्मीनारायण, गजलक्ष्मी, गरुड़ासीन विष्णु आदि की मूर्तियों में वैकुण्ठ, अनन्त त्रैलोक्य मोहन को खूबसूरती से उत्कीर्ण किया गया है। 
  3. शाक्त मूर्तियां-शाक्त देवालयों में महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियों की प्रधानता है। ओसियाँ, वरमाण (सिरोही), झालरापाटन, चित्तौड़गढ़ आदि में सूर्य प्रतिमाएँ देखी जा सकती हैं। 
  4. जैन मूर्तियाँ-सिरोही क्षेत्र में बसन्तगढ़ और आहड़ क्षेत्र से प्राप्त धातु की जैन प्रतिमाएँ, मीरपुर, आबू, देलवाड़ा जैन मंदिर, रणकपुर, चित्तौड़गढ़, ओसियां की जैन मूर्तियाँ विशेष उल्लेखनीय हैं। 

(ब) मूर्तिकला की विशेषताएँ:
मूर्तियों में परिधान, आभूषण, केश-विन्यास तथा विभिन मुद्राओं में उत्कीर्णता इस युग की मूर्तिकला की विशेषताएँ हैं। 

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प्रश्न 3. 
राजस्थान की चित्रकला की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर:
राजस्थान की चित्रकला का विकास-राजस्थान में मेवाड़ की चित्रांकन परम्परा शैलाश्रयों से चली आ रही है। कागज पर चित्रांकन परम्परा के क्रम में मोकल के समय देलवाड़ा में चित्रित 'सुपासनाह चरित्रम' ग्रन्थ विशेष उल्लेखनीय है। यह कला राजदरबारों तक ही सीमित थी, परन्तु सल्तनतों के पतन के साथ ही चित्रकार राज्य संरक्षण प्राप्ति के लिए इधर-उधर चले गए। तब राजस्थानी शासकों ने उन्हें प्रश्रय दिया। मुगल चित्रकारों ने स्थानीय कलाकारों व चित्र परम्परा के साथ काम कर एक नूतन चित्र-शैली की जन्म दिया जो स्थानीय विशेषताओं के कारण स्वतंत्र शैली के रूप में विकसित हुई। विभिन्न चित्र-शैलियाँविभिन्न रियासतों में विकसित चित्रकला अपनी स्थानीय विशेषताओं के कारण शैली बन गई। इन विभिन्न शैलियों को रंग, पृष्ठभूमि, विभिन्न पशु-पक्षियों आदि की दृष्टि से पहचाना जा सकता है। यथा

  1. जयपुर-अलवर चित्र शैली की विशेषताएं-जयपुरअलवर शैली के चित्रों की विशेषताएँ हैं-हरे रंग का विशेष प्रयोग, चित्रों की पृष्ठभूमि में पीपल अथवा वटवृक्षों का अधिक मिलना तथा पशु-पक्षियों में मोर व घोड़े का अधिक चित्रण किया गया है। 
  2. उदयपुर चित्र शैली की विशेषताएँ-उदयपुर चित्र शैली में चित्रों में लाल रंग का विशेष रूप से प्रयोग हुआ है तथा चित्रों की पृष्ठभूमि में कदम्ब वृक्ष अधिक मिलते हैं। उदयपुर शैली में हाथी और चकोर पक्षी अधिक चित्रित किए गए हैं। 
  3. किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ-किशनगढ़ चित्र शैली के चित्रों में सफेद या गुलाबी रंग का विशेष प्रयोग हुआ है। यहाँ के चित्रों की पृष्ठभूमि में केले के पौधे को अधिक चित्रित किया गया है। 
  4. कोटा-बूंदी शैली की विशेषताएँ-कोटा-बूंदी शैली के चित्रों में नीले-सुनहरे रंगों का विशेष प्रयोग हुआ है। चित्रों की पृष्ठभूमि में लम्बे खजूर के वृक्ष अधिक दर्शाए गए
  5. अन्य विशेषताएँ -
    • विभिन्न शैलियों में स्त्री-पुरुषों की आकृतियाँ भी अलग-अलग हैं। 
    • आमेर (जयपुर), जोधपुर व बीकनेर की शैली पर मुगल प्रभाव स्पष्ट झलकता है। प्रायः शिकार, मनोरंजन की क्रीड़ाओं व उत्सवों के चित्रों के साथ-साथ प्राकृतिक, दैनिक जीवन, रीति-रिवाज एवं परम्पराओं से संबंधित चित्र भी बनाए जाते थे।
Prasanna
Last Updated on July 20, 2022, 9:59 a.m.
Published July 19, 2022