Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 3 रणथम्भौर की यात्रा (यात्रा वृत्तान्त)
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RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा (यात्रा वृत्तान्त) पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पपाठ से
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
रणथंभौर कौन-कौनसी पर्वतमालाओं के मध्य
उत्तर:
रणथंभार अरावली एवं विंध्याचल की सुरम्य पर्वतारण के मध्य स्थित है।
प्रश्न 2.
अभयारण्य में कितने प्रकार के पक्षी हैं ?
उत्तर:
अभयारण्य में लगभग 300 प्रकार के पक्षी हैं।
प्रश्न 3.
क्या कारण है कि लेखक घोड़े के खुर देखकर आश्चर्यचकित रह गया ?
उत्तर:
लेखक घोड़े के खुर के निशान को देखकर इसलिए आश्चर्यचकित रह गया क्योंकि जहाँ से घोड़ा हम्मीर को लेकर सीधे दुर्ग पर चढ़ा था। वहाँ से दुर्ग की दीवार बिल्कुल सीधी थी, इतनी दूर घोड़े का एक बार में छलाँग लगाना असंभव-सा लगता था।
लिखें
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
रेलमार्ग से जयपुर से सवाईमाधोपुर की दूरी है –
(क) 140 कि.मी.
(ख) 165 कि.मी.
(ग) 132 कि.मी.
(घ) 150 कि.मी.
उत्तर:
(ग) 132 कि.मी.
प्रश्न 2.
घने जंगल की शुरुआत होती है –
(क) गणेशधाम तिराहे के बाद
(ख) सवाईमाधोपुर नगर के बाद
(ग) मिश्रदरा से
(घ) कहीं से नहीं।
उत्तर:
(क) गणेशधाम तिराहे के बाद
कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- सर्वप्रथम हमने ……….. दरवाजा देखा। (मिश्रदरा/नोलखा)
- सबसे पहले हम ………… तालाब पर पहुँचे। (पद्मला/मलिक)
उत्तर:
- मिश्रदरा
- मलिक।
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजा हम्मीर की पुण्य धरा कौनसी है ?
उत्तर:
राजा हम्मीर की पुण्य धरा रणथंभौर है।
प्रश्न 2.
गौमुख में पानी कहाँ से आता है ?
उत्तर:
पहाड़ों के ऊपरी छोर पर एकत्र पानी बहकर गौमुख में आता है।
प्रश्न 3.
बाघ के आने पर अजीब-सी आवाज कौन निकालता है ?
उत्तर:
बाघ के आने पर कोल बंदर अजीब-सी आवाज निकालकर सबको सचेत कर देता है।
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजा हम्मीर कौन थे ?
उत्तर:
राजा हम्मीर चौहान वंशीय शासक जैत्रसिंह के छोटे पुत्र थे। वे प्रतापी एवं शरणागतवत्सल राजा थे। उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी के भगोड़े सैनिक माहिमशाह को शरण दी और मरते दम तक उसकी रक्षा की।
प्रश्न 2.
रणथंभौर बाघ अभयारण्य में लेखक ने कौन-कौन से वन्य प्राणी देखे ?
उत्तर:
रणथंभौर बाघ अभयारण्य में लेखक ने तालाब पर विचरण करते सांभर, नीलगाय देखे। झरने के किनारे धूप सेंकते बाघ और बाघिन को देखा, जिनका नाम सुल्तान और नर था। इसके अतिरिक्त चिंकारा, बघेरा, भालू, बंदर, लंगूर, जंगली बिल्ली आदि वन्य प्राणी देखे।
प्रश्न 3.
रणथंभौर दुर्ग के मुख्य दरवाजे कौन-कौन से हैं ? लिखिए।
उत्तर:
रणथंभौर दुर्ग का मुख्य दरवाजा ‘नोलखा दरवाजा’ है। जिसकी विशालता देखकर लेखक की आँखें आश्चर्य से फटी रह जाती हैं। इसके आगे हाथी पोल दरवाजा है जहाँ से हम्मीर का घोड़ा हम्मीर को लेकर सीधे दुर्ग पर चढ़ा था। इसके बाद ‘अंधेरी दरवाजा’ है, इनकी संख्या तीन है। इन दरवाजों में अंधेरा रहता है।
प्रश्न 4.
बत्तीस खंभों की छतरी की विशेषता बताइए?
उत्तर:
बत्तीस खंभों की छतरी एक किलोमीटर दुर्ग की दुर्गम चढ़ाई पर है, जो दुर्ग के सपाट मैदान पर निर्मित है। यह छतरी राव हम्मीर के शासनकाल में हवाखोरी, सभा, दरबार, विचार-विमर्श, विश्राम व आमोद-प्रमोद के लिए उपयोग में लाई जाती थी। आज भी यहाँ भ्रमण करने वाले लोग इसका उपयोग इन्हीं कामों के लिए करते हैं।
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रणथंभौर दुर्ग का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
रणथंभौर दुर्ग का निर्माण 1300 ई. से पहले हुआ था, ऐसा माना जाता है क्योंकि यहाँ के प्रतापी राजा राव हम्मीर 1300 ई. में हुए थे। यह एक बहुत ही विशाल दुर्ग है जिसके प्रवेश द्वार पर बहुत विशाल ‘नोलखा दरवाजा’ है। इसके आगे ‘हाथी पोल दरवाजे’ से दुर्ग की दीवार बिल्कुल सीधी गई है। कहते हैं कि यहीं से हम्मीर का घोड़ा हम्मीर को लेकर सीधा दुर्ग पर चढ़ा था। दुर्ग का दृश्य बहुत ही मनोहारी है। यहाँ पर तीन दरवाजे हैं जो ‘अंधेरी दरवाजा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।
दुर्ग के चारों ओर हरियाली से ढका हुआ सुंदर जंगल मन को मोहित करने वाला है। यहीं से थोड़ा आगे बढ़ने पर बत्तीस खंभों की बहुत ही कलात्मक छतरी है जहाँ पर ठंडी हवा हमेशा बहती रहती है। यहाँ पहुँचकर थके हुए व्यक्तियों की सारी थकान दूर हो जाती है। ‘पद्मला’ और ‘रानीहोद’ नाम के दो अथाह जल वाले संदर तालाब हैं। पहले तालाब से किले में जल पहँचाया जाता था. दसरे में रानियाँ स्नान करती थीं। यहाँ गणेश जी की त्रिनेत्र वाली मूर्ति बहुत विशाल है तथा अन्य मंदिर भी सुंदर और दर्शनीय हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
आपने पिछली कक्षा में संधि के बारे में पढ़ा है, नीचे कुछ संधि विच्छेद दिए गए हैं, आप संधि कर नए शब्द बनाइए जैसे –
उत्तर:
प्रश्न 2.
(क) हम गाइड के साथ चल रहे थे।
(ख) शेरनी अपने बच्चों के साथ चल रही थी।
उपर्युक्त वाक्यों में लिंग और वचन का भेद है। इसी कारण इनकी क्रिया के रूप में परिवर्तन हआ है। ‘के साथ’ वाक्यांश दोनों में समान है। इसके साथ ही इसके रूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। ऐसे शब्दों को अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं।
अव्यय शब्द पाँच प्रकार के होते हैं –
- क्रियाविशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
- निपात।
प्रश्न 3.
पाठ में आए अविकारी शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आए कुछ अविकारी शब्द निम्नलिखित हैं –
- क्रिया विशेषण – कूदा-फाँदी, ऊबड़-खाबड़, धीरे-धीरे, चलते-चलते आदि।
- संबंधबोधक – के लिए, आगे, पीछे, आसपास, ऐसा, जैसा आदि।
- समुच्चयबोधक – व, तथा, या, और, किन्तु आदि।
- विस्मयादिबोधक – भैया!
- निपात – ही, तो, सा आदि।
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
आप भी कहीं-न-कहीं घूमने अवश्य गए होंगे। एक यात्रा का वर्णन नीचे लिखे बिंदुओं के आधार पर कीजिएस्थान चयन, यात्रा की तैयारी, प्रस्थान, स्थानों का वर्णन, अनुभव, वापसी।
उत्तर:
मेरे द्वारा की गई हरिद्वार यात्रा का वर्णन नीचे लिखे बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित है –
स्थान चयन – हरिद्वार।
यात्रा की तैयारी:
हम लोगों ने अपने कपड़े, खाने का सामान, कुछ मनोरंजक पुस्तकें तथा पानी की बोतल आदि एक दिन पहले ही तैयार कर लिया। हमने अपनी अटैचियों में सामान रख लिया। 12 मई को हम लोग प्रातः अपने निकट के बस स्टैंड पर पहुंचे।
प्रस्थान:
हम लोग रिक्शा करके बस स्टैंड पहुँचे। वहाँ भीड़ बहुत थी। बस आने का समय हो चुका था। बस आकर लाइन में खड़ी हो गई। परिचालक ने हरिद्वारहरिद्वार की आवाज लगाई। हम लोग अपना-अपना सामान उठाकर बस में चढ़ गये थोड़ी ही देर में बस चल दी।
स्थानों का वर्णन:
तरह-तरह के हरे-भरे दृश्यों को देखते हुए हम लगभग बारह बजे हरिद्वार पहुँचे। वहाँ हम लोग ‘नृसिंह’ धर्मशाला में ठहरे। यह धर्मशाला हर की पैड़ी की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित है। हम लोग हर की पैड़ी पर स्नान करने के लिए गए। शाम को हम लोग वहाँ गंगा आरती में शामिल हुए। गंगा आरती में बहुत भीड़ थी। बहुत से लोगों ने दीप जलाकर नदी में प्रवाहित कर दिया था जिससे गंगा में दीपावली-सी प्रतीत हो रही थी। दूसरे दिन हम ऋषिकेश गए। वहाँ पर हमने लक्ष्मण-झूला, राम-झूला आदि देखकर दोपहर तक वापस हरिद्वार आ गये। शाम को हम लोगों ने घर आने के लिए तैयारी कर ली।
अनुभव:
पहले केवल सुने गये इन स्थलों की खूबसूरती को देखकर नए-नए अनुभव हुए। अत: ज्ञान की खोज के लिए भ्रमण आवश्यक है।
वापसी:
दूसरे ही दिन रात में हम लोगों ने घर के लिए बस पकड़ ली। हमारी यात्रा बड़ी आनंदायक रही।
प्रश्न 2.
यदि आपको बाघ दिखाई दे, तो आप बचाव में क्या करेंगे?
उत्तर:
यदि हमें बाघ दिखाई देता है तो हम उस समय जैसी परिस्थिति रहेगी उसके अनुसार कार्य करेंगे। जैसे यदि हमारे आस-पास बड़ा पेड़ है तो हम उस पर चढ़ जायेंगे अथवा किसी छुपने वाले स्थान पर छुप जाएँगे, जहाँ वह हमें न देख सके।
यह भी करें
प्रश्न 1.
रणथंभौर वन्य अभयारण्य है। देश में स्थित अन्य वन्य अभयारण्यों की जानकारी प्राप्त कर सूची बनाइए।
उत्तर:
बाघ वन्य अभयारण्य सम्बन्धित राज्य
1. सुन्दरवन राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम बंगाल
2. कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड
3. मानस राष्ट्रीय उद्यान असम
तब और अब
नीचे लिखे शब्दों के मानक रूप लिखिए –
द्वारा, उद्यान, अभेद्य, पद्मावती, उत्तर प्रचलित रूप
उत्तर:
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाघ अभयारण्य क्षेत्र को कितने वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाया गया है ?
(क) 1700
(ख) 1600
(ग) 1400
(क) 900
उत्तर:
(क) 1700
प्रश्न 2.
गाइड ने हिरणों का नाम बताया –
(क) शीतल
(ख) पीतल
(ग) भूतल
(घ) चीतल।
उत्तर:
(घ) चीतल।
प्रश्न 3.
बाघ और बाघिन का नाम था –
(क) वीर और चारु
(ख) हैदर और मीर
(ग) सुल्तान और नूर
(घ) पठान और शालू।
उत्तर:
(ग) सुल्तान और नूर
प्रश्न 4.
रणथंभौर के दुर्ग का निर्माण कब हुआ था –
(क) 1300 ईस्वी से पूर्व
(ख) 1600 ईस्वी से पूर्व
(ग) 1500 ईस्वी में
(घ) 1400 ईस्वी के बाद।
उत्तर:
(क) 1300 ईस्वी से पूर्व
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- हम रणथंभौर के ऐतिहासिक ………….. के मुख्य द्वार पर पहुँच गए। (वर्ग / दुर्ग)
- बाघ बहुत सावधान और ………… वन्य प्राणी होता है। (चौकन्ना / लापरवाह)
- पक्षियों की ………….. ध्वनि भी मनमोहक थी। (कलराज / कलरव)
- तालाब के पानी से किले में ………… की जाती थी। (जलापूर्ति / खाद्यान्नपूर्ति)
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
छोटी बेटी श्रेया ने गाइड से किसके बारे में पूछा ?
उत्तर:
छोटी बेटी श्रेया ने गाइड से राव हम्मीर के बारे में पूछा।
प्रश्न 2.
राव हम्मीर किसके पुत्र थे ?
उत्तर:
राव हम्मीर चौहानवंशीय शासक जैत्रसिंह के छोटे पुत्र थे।
प्रश्न 3.
किले में लेखक को कितने खंभों की छतरी दिखाई दी ?
उत्तर:
किले में लेखक को बत्तीस खंभों की छतरी दिखाई दी।
प्रश्न 4.
पुजारी ने गणेशजी की मूर्ति की खासियत क्या बताई ?
उत्तर:
पुजारी ने गणेश जी की मूर्ति के बारे में बताया कि यह स्थापित मूर्ति न होकर भूमि से स्वयं प्रकट हुई है।
प्रश्न 5.
राव हम्मीर के एक महल को किसने पर्यटकों के लिए बंद कर रखा है ?
उत्तर:
राव हम्मीर के एक महल को पुरातत्व विभाग ने पर्यटकों के लिए बंद कर रखा है।
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रणथंभौर के लोग विवाह आदि शुभ कार्यों में क्या करते हैं?
उत्तर:
रणथंभौर के लोग विवाह आदि शुभ कार्यों में त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर में सर्वकार्य सिद्धि हेतु न्योता देने आते हैं। जो व्यक्ति स्वयं नहीं आ पाते हैं, उनकी निमंत्रण पाती आती है, जिसे गणेश जी को सुनाया जाता है।
प्रश्न 2.
वन्य क्षेत्र में बाघ के आने का पता कैसे चलता
उत्तर:
वन्य क्षेत्र में पक्षियों की चहचहाहट से पता चल जाता है कि बाघ किस क्षेत्र में दिखाई दे सकता है। इसके अलावा बाघ जिस क्षेत्र में आने वाला होता है उस क्षेत्र में कोल बंदर अजीब प्रकार की आवाज निकालकर सभी को सचेत कर देता है।
प्रश्न 3.
शिवांगी के पूछने पर रणथंभौर बाघ अभयारण्य की क्या विशेषता गाइड ने बताई ?
उत्तर:
शिवांगी के पूछने पर रणथंभौर बाघ अभयारण्य की विशेषता बताते हुए गाइड ने कहा – पहाड़ों के ऊपरी छोर पर एकत्र पानी झरनों के रूप में यहाँ बहकर आ रहा है। इसका विस्तार क्षेत्र पहले 1334 6 वर्ग किलोमीटर था लेकिन बाघों की बढ़ती संख्या एवं बाघों के परस्पर टकराव होने की आशंका के कारण इसका क्षेत्र 1700 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाया गया। वर्तमान में यहाँ बाघों की संख्या 55 से 60 तक है।
प्रश्न 4.
बाघों के परस्पर टकराव के बारे में गाइड ने क्या बताया ?
उत्तर:
गाइड ने बताया कि बाघ अपना एक निर्धारित क्षेत्र बनाते हैं, जिसका क्षेत्रफल लगभग दो वर्ग किलोमीटर होता है। उस क्षेत्र में दूसरे बाघ के प्रवेश करने पर टकराव की स्थिति बन जाती है। अत: बाघों की बढ़ती संख्या से उनमें लड़ाई होने की संभावना बढ़ सकती थी इसलिए बाघ अभयारण्य क्षेत्र को और अधिक विस्तार दिया गया।
RBSE Class 8 Hindi रणथम्भौर की यात्रा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
रणथंभौर दुर्ग तक पहुँचने का रास्ता क्या है ? इस क्षेत्र में स्थित प्रमुख स्थलों के बारे में बताइए।
उत्तर:
रणथंभौर दुर्ग तक जाने के लिए जयपुर से सवाईमाधोपुर जाना पड़ता है। इनके बीच की दूरी लगभग 132 किलोमीटर है। यहाँ पर भ्रमण के लिए टिकट बुकिंग खिड़की है। यहीं से उद्यान में भ्रमण करने के लिए जिप्सी या केंटर मिलते हैं। रणथंभौर बाघ अभयारण्य क्षेत्र की शुरुआत खिलचीपुर ग्राम पंचायत के गणेशधाम तिराहे से होती है, जिसकी दूरी सवाईमाधोपुर रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर है।
यहाँ अभयारण्य में प्रवेश के लिए चेकपोस्ट बना हुआ है। गणेशधाम तिराहे से घने जंगल की शुरुआत होती है। चेकपोस्ट से कुछ आगे जाने पर रणथंभौर बाघ अभयारण्य का मुख्य प्रवेश द्वार है। यहाँ से झरने, नाले एवं मनमोहक जंगली जानवरों एवं दृश्यों के साथ ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होकर रणथंभौर के ऐतिहासिक दुर्ग के मुख्य द्वार पर हम पहुँचते हैं, जो बहुत ही विशाल है। दुर्ग की विशालता बाहर से ही आश्चर्यचकित करने वाली है।
प्रश्न 2.
‘रणथंभौर की यात्रा’ यात्रा वृत्तांत का सबसे सुंदर दृश्य आपको कौन-सा लगा ? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
इस यात्रा वृत्तांत का सबसे सुंदर दृश्य झरने के किनारे धूप में बैठे बाघ और बाघिन का लगा। दोनों प्रात:कालीन धूप में मस्त बैठे थे। बाघिन बाघ के बालों को अपनी जीभ से साफ कर रही थी। गाइड ने बताया कि इस स्थान को चिड़ीखोह कहते हैं तथा ये दोनों बाघ-बाघिन माँ-बेटे हैं। बाघिन का नाम नूर और बाघ का नाम सुल्तान है। धूप उनके बदन की चमक को बढ़ा रही थी।
काली धारियाँ और सफेद रंग की झाँई ने उनके सुनहरे शरीर की शोभा को कई गुना बढ़ा दिया था। लेखक और उसका परिवार लगभग आधे घंटे तक बाघ-बाघिन की अठखेलियाँ निहारता रहा। बहुत ही मनमोहक दृश्य था। कुछ देर बाद वे दोनों आराम से उठे, अपनी रौबीली मुद्रा में पूँछ उठाई और धीरे-धीरे झाड़ियों के झुरमुट में हमारी नजरों से ओझल हो गए।
रणथम्भौर की यात्रा Summary in Hindi
पाठ-परिचय
रणथंभौर, अरावली एवं विंध्याचल की सुंदर पर्वतमाला के बीच राजस्थान में स्थित है। ‘रणथंभौर’ को बाघ अभयारण्य वन्य क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया है। लेखक अपनी पत्नी, दो बेटियों शिवांगी व श्रेया तथा बेटे शुभम के साथ इसी रणथंभौर बाघ अभयारण्य को देखने गए। वहाँ का मनोहारी वर्णन लेखक ने किया है।
कठिन शब्दार्थ-पुण्य = पवित्र। धरा = पृथ्वी। स्वतः = अपने आप। वन्य-क्षेत्र = जंगल। सुरम्य = बहुत सुंदर। बाघ अभयारण्य = बाघों के निर्भय होकर विचरने का वन। उत्कंठा = इच्छा। भ्रमण = घूमना। रवाना हुए = चल दिए। निवृत्त = मुक्त। हरीतिमा = हरियाली। गाइड = रास्ता दिखाने वाला और स्थान के बारे में बताने वाला व्यक्ति। आच्छादित = ढका हुआ। रोमांचित = प्रसन्न। गोमुख = गाय के मुख जैसा। आरक्षित = टकराना, विरोध । निर्धारित = निश्चित। छटा = शोभा, संदर दृश्य। सघन = घना। आश्रय स्थली = रहने का स्थान। मग-छौने = हरिणों के बच्चे।
शृंग= सींग। चौकड़ी भरना = चारों पैरों से दौड़ना। नजारा = दृश्य। मशगूल = लगे हुए। गद्-गद् = बहुत प्रसन्न। कलरव = सुंदर या मधर शब्द। सावचेत = सावधान। पसरे = आराम से बैठे या लेटे। रौबीली मुद्रा = गर्व से पूर्ण रूप। अभेद्य = जिसमें प्रवेश न हो सके। शरणागत वत्सल = शरण में आने वालों के रक्षक। बयार = वायु। सुकून = शांति। उड़न छू = गायब, समाप्त। आमोद-प्रमोद = मनोरंजन। जलापूर्ति = जल पहुँचाना। जल-जौहर = जल में कूद कर प्राण दे देना। आराधना = पूजा, प्रार्थना। स्व उद्भव = अपने आप निकली। जिज्ञासा = इच्छा। स्वच्छंद = स्वतंत्र। विचरण = घूमना-घिरना।
गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ तथा अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
1. गाड़ी आगे बढ़ी। थोड़ा आगे चलकर हमारी गाड़ी अचानक रुक गई। गाड़ी के बिलकुल सामने, झरने के किनारे एक बाघ और बाघिन धूप सेकते दिखाई दिए। प्रातः काल की गुन-गुनी धूप में दोनों मस्त हो बैठे थे। बाघिन बाघ के बालों को अपनी जीभ से साफ कर रही थी। गाइड ने बताया कि इस स्थान का नाम चिड़ीखोह है तथा ये दोनों बाघ बाधिन माँ-बेटे हैं। बाघिन का नाम नूर और बाघ का नाम सुल्तान है।
यहाँ रणथंभौर अभयारण्य में बाघों को नाम व नंबर दिए हुए हैं जिससे इनकी पहचान होती है। बाघ-बाघिन की अठखेलियाँ हमने लगभग आधे घंटे तक निहारी। क्या मनमोहक दृश्य था। संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित रणथंभौर की यात्रा’ नामक यात्रावृत्तांत से लिया गया है। इसमें लेखक ने बताया है कि बाघ अभयारण्य के क्षेत्र में पहुँचकर वह कंकरीले-पथरीले रास्ते से होता हुआ जा रहा था कि अचानक उसे वहाँ बाघ और बाधिन दिखाई दिए।
व्याख्या-लेखक कहता है कि गाइड के कहने से हमारी गाड़ी थोड़ी ही दूर आगे बढ़ी थी कि अचानक रुक गई। गाड़ी के ठीक सामने झरने के किनारे प्रात:कालीन धूप में आनंद लेते हुए बाघ और बाघिन दिखाई दिए। बाघिन अपनी जीभ से बाघ के बालों को सहला रही थी। जानवरों को इतने प्यार से जीवन बिताते देखकर मन में खुशी का एहसास हो रहा था। इतने में गाइड ने बताया कि इस स्थान का नाम चिड़ीखोह है। ये बाघ और बाघिन माँ-बेटे हैं। बाघिन का नाम नर है तथा बाघ का नाम सल्तान है। इस अभयारण्य में सभी बाघों को नाम एवं नंबर से पहचाना जाता है। बाघ और बाघिन को इस तरह मस्ती करते हुए हम लोगों ने आधे घंटे तक देखा। यह मन को मोहित करने वाला बहुत ही सुंदर दृश्य था। प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
रणथंभौर बाघ अभयारण्य की सैर।
प्रश्न 2.
बाघ और बाघिन का क्या संबंध था? उनका नाम भी बताइए।
उत्तर:
बाघिन और बाघ माँ-बेटे थे। बाघिन का नाम नूर और बाघ का नाम सुल्तान था।
प्रश्न 3.
बाघ और बाघिन आपस में क्या कर रहे थे?
उत्तर:
बाघ और बाघिन सुबह की गुनगुनी धूप में मस्त होकर बैठे थे। बाघिन बाघ के बालों को अपनी जीभ से साफ कर रही थी।
प्रश्न 4.
थोड़ा आगे चलकर लेखक की गाड़ी अचानक क्यों रुक गई?
उत्तर:
थोड़ा आगे चलकर लेखक की गाड़ी अचानक इसलिए रुक गई क्योंकि सामने झरने के किनारे एक बाघ और बाघिन का धूप सेंकते हुए सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा था।
2. यहाँ से थोड़े आगे बढ़ने पर हमें बत्तीस खंभ की छतरी दिखाई दी। लगभग एक किलोमीटर की दुर्ग की दुर्गम चढ़ाई चढ़ने के पश्चात् हम इस बत्तीस खंभों की छतरी में जाकर बैठे तो वहाँ शीतल बयार बह रही थी। हमने वहाँ सुकून का अनुभव किया तथा पसीना सुखाया। यहाँ बैठने से हमारी संपूर्ण थकावट उड़न छू हो गई। गाइड ने बताया कि दुर्ग के सपाट मैदान पर निर्मित यह छतरी राव हम्मीर के शासनकाल में चारों ओर से हवाखोरी, सभा, दरबार, विचार-विमर्श, विश्राम व आमोद-प्रमोद की जगह थी जिसका उपयोग अब भी पर्यटक इन कामों के लिए करते हैं। हमने इस छतरी पर लगभग आधे घंटे विश्राम किया।
संदर्भ एवं प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘रणथंभौर की यात्रा’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखक आगे बढ़ते हुए वह एक रमणीय स्थान पर पहुँच गया, जहाँ एक सुंदर छतरी बनी हुई थी। यहाँ लेखक उसी का वर्णन कर रहा है।
व्याख्या:
लेखक किले के अंदर घूमते हुए दुर्ग के ऊपरी छोर पर पहुँचा तो उसे बत्तीस खंभों पर टिकी हुई एक छतरीनुमा खुली हुई बड़ी-सी जगह दिखाई दी। यह एक किलोमीटर की ऊँचाई पर थी। लेखक कहता है कि बड़ी कठिनाई से चढ़ते हए जब हम लोग वहाँ जाकर बैठे तो बहत ही ठंडी हवा चल रही थी। यहाँ पहुँकर सबको बड़ा सुख और शांति मिली। हम लोगों ने अपना पसीना सुखाया। यहाँ बैठने से हम लोगों की सारी थकान दूर हो गई।
लेखक को गाइड ने बताया कि इस छतरी को राव हम्मीर के शासनकाल में हवा लेने तथा घूमने-टहलने के लिए बहुत सुंदर स्थान माना जाता था। यहाँ पर सभा, दरबार, विचार-विमर्श, आराम तथा आनंद-विहार आदि के लिए लोग राजा के साथ आया करते थे। यहाँ घूमने को आने वाले लोग आज भी इन्हीं कामों के लिए इस छतरी का उपयोग करते हैं। लेखक ने भी अपने परिवार सहित उस मनोहर स्थान पर लगभग आधे घंटे बिताए।
प्रश्नोत्तर प्रश्न
प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
रणथम्भौर दुर्ग की यात्रा।
प्रश्न 2.
लेखक ने छतरी में कितने समय तक विश्राम किया?
उत्तर:
लेखक ने छतरी में लगभग आधे घंटे तक विश्राम किया।
प्रश्न 3.
बत्तीस खंभों की छतरी में बैठकर सभी ने क्या अनुभव किया?
उत्तर:
बत्तीस खंभों की छतरी में सब जाकर बैठे तो वहाँ शीतल हवा चल रही थी, सबने वहाँ अपने पसीने सुखाये और सुकून का अनुभव किया।।
प्रश्न 4.
गाइड ने उस छतरी के बारे में लेखक को क्या जानकारी दी?
उत्तर:
गाइड ने बताया कि यह छतरी राव हम्मीर के शासनकाल में चारों ओर से हवाखोरी, सभा, दरबार, विचार-विमर्श, विश्राम व आमोद-प्रमोद के लिए उपयोग में लाई जाती थी।
3. विश्राम पश्चात् हम आगे बढ़े। सपाट मैदान में एक और राव हम्मीर का महल अविचल खड़ा दिखाई दिया। लेकिन हम इस महल को अंदर से नहीं देख पाए क्योंकि पुरातत्व विभाग ने इसे पर्यटकों के लिए बंद कर रखा है। थोड़ा आगे बढ़ने पर हमें दो तालाब दिखाई दिए। रास्ते के बायें ओर ‘पद्मला’ तालाब तथा रास्ते के दायें ओर थोड़ा पीछे आने पर रानीहोद तालाब है। पद्मला तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैला है तथा इसमें अथाह पानी है। कहा जाता है कि राव हम्मीर की पुत्री पद्मावती इस तालाब में पारस पत्थर लेकर कूद गई थी। पद्मावती के आत्मबलिदान के कारण इस तालाब का नाम पद्मला पड़ा। इस तालाब के पानी से किले में जलापूर्ति की जाती थी।
संदर्भ एवं प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘रणथंभौर की यात्रा’ नामक यात्रा वृत्तांत से लिया गया है। इसमें लेखक ने रणथंभौर के किले में स्थित तालाबों की विशेषता बताई है।
व्याख्या:
अपने परिवार के साथ लेखक थोड़ा विश्राम करके आगे बढ़ता है तो समतल मैदान में राव हम्मीर का महल देखता है जिसे पुरातत्व विभाग ने पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है। थोड़ा और आगे जाकर लेखक ने दो बड़े तालाब देखे। एक रास्ते के बायीं ओर था जिसका नाम ‘पद्मला’ था और दूसरा रास्ते के थोड़ा पीछे आने पर दाहिनी ओर ‘रानीहोद’ तालाब था। इनमें पानी की मात्रा बहुत अधिक थी। पद्मला तालाब के बारे में कहा जाता है कि राव हम्मीर की पत्री पदमावती इस तालाब में पारस पत्थर लेकर कद पड़ी थी इसीलिए इसका नाम ‘पद्मला’ पड़ गया। इस तालाब से किले के अंदर पानी पहुँचाया जाता था।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
रानी पद्मावती और पद्मला तालाब।
प्रश्न 2.
‘पद्मला’ तालाब का पानी किस काम आता था?
उत्तर:
‘पद्मला’ तालाब के पानी से किले में जलापूर्ति की जाती थी।
प्रश्न 3.
तालाब का नाम ‘पद्मला’ कैसे पड़ा?
उत्तर:
ऐसा कहा जाता है कि राव हम्मीर की पुत्री पद्मावती इस तालाब में पारस पत्थर लेकर कूद पड़ी थी। पद्मावती के आत्मबलिदान के कारण इस तालाब का नाम पद्मला पड़ा।
प्रश्न 4.
लेखक ने कौन-कौन से तालाब देखे? उनकी क्या विशेषता थी?
उत्तर:
लेखक ने रास्ते के बाठ ओर ‘पद्मला’ तालाब तथा रास्ते के दायीं ओर थोड़ा पीछे आने पर ‘रानीहोद’ तालाब देखा। इसमें से ‘पद्मला’ तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था और इसमें अथाह पानी था।