RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 7 Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

RBSE Class 7 Social Science ईश्वर से अनुराग InText Questions and Answers

पृष्ठ संख्या 105

प्रश्न 1. 
आज भी आप स्थानीय मिथक तथा किस्सेकहानियों की इस प्रक्रिया को व्यापक स्वीकृति पाते हुए देख सकते हैं। क्या आप अपने आस-पास कुछ ऐसे उदाहरण ढूँढ़ सकते हैं? 
उत्तर:
जैन धर्म में अन्जना कुमारी तथा मैना सुन्दरी की कहानियाँ प्रचलित हैं जिसमें ये परमेश्वर में भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करती हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कुछ उदाहरण ये हैं-

  • राजस्थान में बाबा रामदेवजी, 
  • दुर्गादेवी के रूप 
  • हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रागिनियाँ तथा 
  • बुंदेलखण्ड में आल्हा-ऊदल की कहानियाँ। 

पृष्ठ संख्या 106

प्रश्न 1. 
कवि ने भगवान के साथ अपने संबंध का कैसा वर्णन किया है? 
उत्तर:
कवि ने कहा है कि भगवान के आशीर्वाद से, उसके यहाँ शरण लेने से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई है अर्थात् सांसारिक जन्म-मृत्यु के कष्ट तथा माया-मोह से मुक्ति मिली है।

पृष्ठ संख्या 107 

प्रश्न 1. 
शंकर या रामानुज के विचारों के बारे में कुछ और पता लगाने का प्रयत्न करें। 
उत्तर:
शंकर ने अद्वैतवाद के विचार को प्रतिपादित किया जिसके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा (निर्गुण ब्रह्म) दोनों एक ही हैं। उसने हिन्दू मत और बौद्ध मत के मूल अन्तर को स्पष्ट करते हुए कहा कि हिन्दू मत का मानना है कि आत्मा का अस्तित्व है जबकि बौद्ध मत के अनुसार आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं है। 

रामानुज ने विशिष्टाद्वैत के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है। उसने यह भी बताया कि सभी आत्माओं में एकत्व है और व्यक्ति की आत्मा में ब्रह्म के साथ अपनी पहचान को जानने की क्षमता है। 

RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

पृष्ठ संख्या 108

प्रश्न 1. 
बसवन्ना, ईश्वर को कौनसा मंदिर अर्पित कर रहा है? 
उत्तर:
बसवन्ना, अपने शरीर रूपी मंदिर को ईश्वर को अर्पित कर रहा है। 

पृष्ठ संख्या 109 

प्रश्न 1. 
सन्त तुकाराम की रचनाओं में अभिव्यक्त सामाजिक व्यवस्था के विचारों के बारे में चर्चा करें। 
उत्तर:
सन्त तुकाराम की रचनाओं में अभिव्यक्त सामाजिक व्यवस्था के विचार निम्नलिखित हैं-

  • ईश्वर सभी के हृदय में निवास करता है, चाहे वह ऊँचा हो या नीचा, दलित हो या राजा। 
  • ईश्वर दीन-दुखियों, पीड़ितों, परित्यक्त तथा दास के साथ अपने पुत्र व पुत्री जैसा व्यवहार करता है। 
  • जो दीन-दुखियों, पीड़ितों को अपना समझता है, वही सन्त है और ऐसा व्यक्ति स्वयं ईश्वर है। 
  • यदि कोई व्यक्ति दीन-दुखियों के साथ बुरा व्यवहार करता है, तो उसे अपने व्यवहार पर शर्म आनी चाहिए। 

पृष्ठ संख्या 115

प्रश्न 1. 
आपके विचार से मीरा ने राणा का राजमहल क्यों छोड़ा? 
उत्तर:
मीरा ने राणा का राजमहल इसलिए छोड़ा क्योंकि वह राजमहल की चारदीवारी में अपने आपको असहज महसूस कर रही थी और मीरा ने अपने आपको भगवान कृष्ण को समर्पित कर दिया था। 

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पृष्ठ संख्या 116

प्रश्न 1. 
इन दोहों में दिए गए विचार किस रूप में बसवन्ना और जलालुद्दीन रूमी के विचारों से समानता या भिन्नता रखते हैं? 
उत्तर:
जिस प्रकार बसक्ना और जलालुद्दीन रूमी ने ईश्वर का निवास मनुष्य के हृदय में बताया है, उसी प्रकार कबीर ने भी मनुष्य के दिल के भीतर ईश्वर का निवास बताया है।

RBSE Class 7 Social Science ईश्वर से अनुराग Textbook Questions and Answers

कल्पना करें-

प्रश्न 1.
आप एक बैठक में भाग ले रहे हैं, जहाँ एक सन्त जाति व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। इस बातचीत का वर्णन करें। 
उत्तर:
बातचीत के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं-

  • जाति व्यवस्था समाज को ऊँच-नीच के स्तरों में वर्गीकृत कर देती है। 
  • समाज को ऊँच-नीच समुदायों में बाँटना उपयोगी नहीं
  • जाति-व्यवस्था के अनेक दुष्प्रभाव हो रहे हैं। 
  • कुछ नियम कुछ प्रभावी लोगों ने अपने हितों को बनाए रखने के लिए बनाए हैं। इन्हें समाज' में सद्भाव बढ़ाने के लिए समाप्त किया जाना चाहिए। 

फिर से याद करें-

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित में मेल बैठाएँ : 

बुद्ध 

नामधर 

शंकरदेव

विष्णु की पूजा

निजामुद्दीन औलिया

सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए 

नयनार

सूफी सन्त

अलवार

शिव की पूजा 

उत्तर:

बुद्ध 

सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए

शंकरदेव

नामधर

निजामुद्दीन औलिया

सूफी सन्त

नयनार

शिव की पूजा 

अलवार

विष्णु की पूजा

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प्रश्न 2. 
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें : 
(क) शंकर ............ के समर्थक थे। 
(ख) रामानुज ............... के द्वारा प्रभावित हुए थे। 
(ग) .........., ............ और ............. वीर शैव मत के समर्थक थे। 
(घ) .............., महाराष्ट्र में भक्ति परम्परा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र था। 
उत्तर:
(क) अद्वैत 
(ख) अलवार 
(ग) बसवन्ना, अल्लमा प्रभु, अक्कमहादेवी 
(घ) पंढरपुर।

प्रश्न 3. 
नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन निम्न प्रकार किया गया है-

  • उन्होंने साधारण तर्क-वितर्क के आधार पर रूढ़िवादी धार्मिक कर्मकांडों एवं सामाजिक व्यवस्था का विरोध किया।
  • उन्होंने संसार का परित्याग करने और संन्यास लेने का समर्थन किया। 
  • उनके विचार से निराकार परम सत्य का चिंतन-मनन और उसके साथ एक हो जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है। 
  • उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिंतन-मनन जैसी| क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया। 
  • उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना। 

प्रश्न 4. 
कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया? 
उत्तर:
कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार-

  • प्रमुख धार्मिक परम्पराओं और आडंबरपूर्ण धर्म का खंडन किया। 
  • उन्होंने, 'हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म दोनों की बाह्य आडंबरपूर्ण पूजा के सभी रूपों का खंडन किया। 
  • वे निराकार परमेश्वर में विश्वास रखते थे। 
  • उन्होंने यह उपदेश दिया कि भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती है।

उन्होंने. इन विचारों को आम आदमियों द्वारा आसानी से समझी जा सकने वाली बोलचाल की हिन्दी भाषा में काव्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया। उन्होंने कभी-कभी रहस्यमयी भाषा का भी प्रयोग किया, जिसे समझना कठिन होता है।

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आइये समझें-

प्रश्न 5. 
सूफियों के प्रमुख आचार-विचार क्या थे? 
उत्तर:

  • सूफी मुसलमान धर्म के बाहरी आडंबरों को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे। वे नैतिकता पर बल देते थे। 
  • वे ईश्वर के प्रति ठीक उसी प्रकार से जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार एक प्रेमी, दुनिया की परवाह किए बिना अपनी प्रियतमा के साथ जुड़े रहना चाहता है। वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए काव्य रचना किया करते थे।
  • उन्होंने किसी औलिया या पीर की देखरेख में जिक्र (नाम का जाप), चिंतन, समा (गाना), रक्स (नृत्य), नीति चर्चा, साँस पर नियंत्रण आदि के जरिए विस्तृत रीतियों का विकास किया। इस प्रकार आध्यात्मिक सूफी उस्तादों की पीढ़ियों, सिलसिलाओं का प्रादुर्भाव हुआ। 
  • सूफी संत अपने खानकाहों में विशेष बैठकों का आयोजन करते थे। जहाँ सभी प्रकार के भक्तगण आते थे। वे आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते थे। 
  • सूफी संत की दरगाह एक तीर्थ स्थल बन जाता था, जहाँ सभी धर्म के लोग हजारों की संख्या में उपस्थित होते थे।

प्रश्न 6. 
आपके विचार से बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया? 
उत्तर:
हमारे विचार से बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि-

  • विश्वास और प्रथाएँ रूढ़ियों से ग्रस्त हो चुकी थीं। 
  • इनसे जातिगत विभाजन जटिल होता जा रहा था। 
  • अवतारवाद तथा विभिन्न धार्मिक कर्मकांडों से साधारण जनता भ्रम का शिकार हो चुकी थी। 
  • वे जनता को इन रूढ़ियों से ऊपर उठकर नैतिक धर्म पर बल दे रहे थे ताकि जनता में सौहार्द्र बढे। 

प्रश्न 7. 
बाबा गुरु नानक की शिक्षाएँ क्या थीं?
उत्तर-बाबा गुरु नानक की शिक्षाएँ-
(i) गुरु नानक ने एक ईश्वर की उपासना के महत्त्व पर जोर दिया। 
(ii) उन्होंने कहा कि जाति, धर्म अथवा लिंग भेद मुक्ति प्राप्ति के लिए कोई मायने नहीं रखती। 
(iii) उनके लिए मुक्ति सक्रिय जीवन व्यतीत करने के साथ-साथ सामाजिक प्रतिबद्धता की निरन्तर कोशिशों में निहित थे। 
(iv) अपनी शिक्षाओं में उन्होंने तीन शब्दों का प्रयोग किया
(अ) नाम-नाम से उनका तात्पर्य सही उपासना से था। 
(ब) दान-दान का तात्पर्य था-दूसरों का भला करना।
(स) इस्नान-इस्नान का तात्पर्य था-आचार-विचार की पवित्रता। 
(v) आज उनके उपदेशों को नाम जपना, किर्त करना और वंड-छकना के रूप में याद किया जाता है। इनका आशय है-उचित विश्वास और उपासना, ईमानदारीपूर्ण निर्वाह और संसाधनों का मिल-बाँटकर प्रयोग करना अर्थात् दूसरों की मदद करना। 
(vi) उन्होंने धार्मिक कर्मकांडों और रीतिरिवाजों तथा जातिपांति का विरोध किया।

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आइये विचार करें-

प्रश्न 8. 
जाति के प्रति वीर शैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें। 
उत्तर:
जाति के प्रति वीर शैवों के विचार-वीर शैवों ने सभी प्राणियों की समानता के पक्ष में और जाति तथा नारी के प्रति व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध प्रबल तर्क प्रस्तुत किए। 

जाति के प्रति महाराष्ट्र के संतों के विचार-महाराष्ट्र के सन्त कवियों ने जन्म में आधारित सामाजिक अन्तरों का विरोध किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली भक्ति दीन-दुखियों, पीड़ितों के दुःखों को बाँटना है। इस प्रकार उन्होंने मानवतावादी विचारों को रखते हुए जातिगत भेदभाव का विरोध किया। 

प्रश्न 9. 
आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा? 
उत्तर:
मीराबाई की याद को जनसाधारण ने इसलिए सुरक्षित रखा क्योंकि-

  • मीराबाई ने अपने गीतों द्वारा उच्च जातियों की रूढियोंरीतियों को खुली चुनौती दी। 
  • उन्होंने राजपूत राजपरिवार से संबंधित होते हुए भी अस्पृश्य जाति से संबंधित रविदास को अपना गुरु बनाया।
  • उन्होंने भगवान कृष्ण की उपासना में अपने आप को समर्पित करते हुए भक्ति के प्रेम मार्ग को जनता के समक्ष रखा।
admin_rbse
Last Updated on June 9, 2022, 8:24 p.m.
Published June 9, 2022