RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 5 शासक और इमारतें

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 5 शासक और इमारतें Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 7. Students can also read RBSE Class 7 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 7 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. Go through these प्लेट क्यों घूमती है and get deep explanations provided by our experts.

RBSE Class 7 Social Science Solutions History Chapter 5 शासक और इमारतें

RBSE Class 7 Social Science शासक और इमारतें InText Questions and Answers

पृष्ठ संख्या 62 

प्रश्न 1. 
चित्र 3 (क) और चित्र-4 में दिखाये गए दो मंदिरों के शिखरों में आप क्या अन्तर देखते हैं? 
उत्तर:
इन दो मंदिरों के शिखरों में हम ऊँचाई का अन्तर देखते हैं। 

प्रश्न 2. 
क्या आप यह समझ सकते हैं कि राजराजेश्वर मंदिर का शिखर, कंदरिया महादेव मंदिर के शिखर से दो गुना ऊँचा है? 
उत्तर:
हाँ, हम आसानी से यह समझ सकते हैं कि राजराजेश्वर मंदिर का शिखर कंदरिया महादेव मंदिर के शिखर से दो गुना ऊँचा है।

पृष्ठ संख्या 63

प्रश्न 1. 
पृष्ठ 61 पर दिखाए गए चित्र 2 क व 2 ख की तुलना पृष्ठ 63 पर दिखाए गए चित्र 5 क और 5 ख से करें। 
उत्तर:
चित्र 2 क तथा 2 ख की वास्तु में मध्य भाग नुकीला है। यह वास्तुकला की अनुप्रस्थ टोडा तकनीक है। दूसरी तरफ चित्र 5 क और 5 ख की वास्तु में मध्य भाग गोलाकार है। इसमें मध्य में एक केन्द्रीय पत्थर होता है। ये चित्र वास्तुकला की चापाकार शैली से बने हैं। 

प्रश्न 2. 
पृष्ठ 63 के चित्र-6 को देखकर बताइए कि मजदूर क्या कर रहे हैं, कौन-से औजार दिखाए गए हैं तथा पत्थरों को ढोने के लिए किन साधनों का प्रयोग किया गया है? 
उत्तर:
इस चित्र में मजदूर मुख्यतः इमारत के एक बड़े दरवाजे को बनाने में लगे हुए हैं। वे पुराने किस्म के हथौड़े लिए हुए पत्थरों को तोड़ते हुए दिखाए गए हैं तथा पत्थरों को मनुष्यों द्वारा ढोया जा रहा है। 

RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 5 शासक और इमारतें

पृष्ठ संख्या 66 

प्रश्न 1. 
राजेन्द्र प्रथम तथा महमूद गजनवी की नीतियाँ किन रूपों में समकालीन समय की देन थीं और किन रूपों में ये एक-दूसरे से भिन्न थीं? 
उत्तर:
किसी भी राज्य के शासक के लिए मंदिर आत्माभिमान के केन्द्र थे। मध्ययुगीन राजनीतिक संस्कृति में ज्यादातर शासक अपने राजनैतिक बल व सैनिक सफलता का प्रदर्शन पराजित शासकों के उपासना स्थलों पर आक्रमण करके और उन्हें लूट लेने के रूप में करते थे। इस रूप में राजेन्द्र प्रथम और महमूद गजनबी की नीतियाँ समान थीं और समकालीन समय की देन थीं। 

लेकिन दोनों के मध्य नीतियों में अन्तर यह है कि महमूद गजनवी ने इस्लाम का नायक बनने हेतु हिन्दू मंदिरों को बार-बार ध्वस्त किया जबकि राजेन्द्र प्रथम ने मंदिरों को दूसरे राज्यों में ध्वस्त किया और अपने राज्य में उन मूर्तियों को मंदिरों में प्रतिस्थापित किया। उसके कार्यों में साम्प्रदायिकता की भावना नहीं थी, जबकि महमूद गजनवी के कार्यों में साम्प्रदायिकता की भावना निहित थी। 

पृष्ठ संख्या 72

प्रश्न 1. 
चित्र पर नजर डालें और घंटी वाले बुर्जी को पहचानने की कोशिश करें। 
उत्तर:
घंटी वाले बुर्ज वे हैं जो पतली फर्श पर निर्मित किए गए हैं और इमारत में सबसे ऊँचे स्थापित हैं।

RBSE Class 7 Social Science शासक और इमारतें Textbook Questions and Answers

कल्पना करें-

प्रश्न 1.
आप एक शिल्पकार हैं और जमीन से पचास मीटर की ऊंचाई पर बाँस और रस्सी की सहायता से बनाए गए लकड़ी के एक छोटे से प्लेटफॉर्म पर खड़े हैं। आपको कुतुबमीनार के पहले छज्जे पर नीचे एक अभिलेख लगाना है। आप यह कार्य कैसे करेंगे? 
उत्तर:
सबसे पहले मैं दीवार में एक ढाँचा स्थित करूँगा। इसके चारों किनारों पर अभिलेख लिखने के लिए एक पट्टी का उपयोग करूँगा। अब बालकॉनी के नीचे दीवार पर अभिलेख को स्थित कर दूंगा। ऐसे सतह पर अभिलेख लिखने के लिए काफी परिशुद्धता तथा योग्य कारीगर की आवश्यकता होती है। 

RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 5 शासक और इमारतें

फिर से याद करें 

प्रश्न 1. 
वास्तुकला का अनुप्रस्थ टोडा निर्माण' सिद्धान्त "चापाकार' सिद्धान्त से किस तरह भिन्न है?
उत्तर:
भवनों में जब छत, दरवाजे और खिड़कियाँ दो ऊर्ध्वाकार खंभों के आर-पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाए जाते हैं, तो वास्तुकला की यह शैली 'अनुप्रस्थ टोडा निर्माण शैली' कही जाती है। 

दूसरी तरफ, वास्तुकला की जिस शैली में दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अधिरचना का भार मेहराबों पर होता है, उसे 'चापाकार शैली' (सिद्धान्त) कहते हैं। इसमें मेहराब के मध्य में 'डाट' अधिरचना के भार को मेहराब की आधारशिला पर डाल देते हैं। 

प्रश्न 2. 
'शिखर' से आपका क्या तात्पर्य है? 
उत्तर:
शिखर-मंदिर की सबसे ऊँची चोटी जिसके नीचे गर्भगृह स्थित होता है, मंदिर का शिखर कहलाती है। 

प्रश्न 3. 
'पितरा-दूरा' क्या है? 
उत्तर:
मुगल काल में उत्कीर्णित संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर रंगीन ठोस पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुंदर तथा अलंकृत नमूनों को पितरा-दूरा कहा जाता था। उदाहरण के लिए शाहजहाँ के सिंहासन के पीछे पितरा-दूरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गयी थी, जिसमें पौराणिक यूनानी देवता आर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था। 

प्रश्न 4. 
एक मुगल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
एक मुगल चारबाग की विशेषताएँ-

  • यह बाग चार समान हिस्सों में विभाजित होते थे। 
  • अक्सर ये बाग दीवार से घिरे होते थे। 
  • ये बाग कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित होते थे। 
  • बाग के सभी भाग समान रूप से आयताकार होते थे। 

RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 5 शासक और इमारतें

आइये समझें-

प्रश्न 5. 
किसी मंदिर से एक राजा की महत्ता की सूचना कैसे मिलती थी? 
उत्तर:
मंदिर एक राजा की महत्ता की सूचना निम्न तरीकों से देते थे-

  • मंदिर अपने संरक्षक राजा की शक्ति, धन-वैभव तथा भक्ति भाव का प्रदर्शन करते थे।
  • कभी-कभी राजा अपना नाम देवता के नाम से काफी मिलता-जुलता रख लेते थे क्योंकि वह स्वयं को ईश्वर के रूप में दिखाना चाहता था। धार्मिक अनुष्ठान के जरिए मंदिर में एक देवता (राजा) दूसरे देवता (ईश्वर) का सम्मान करता था। 

प्रश्न 6. 
दिल्ली में शाहजहाँ के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है 'अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।' यह धारणा कैसे बनी?
उत्तर:
शाहजहाँ के 'दीवान-ए-खास' के वास्तु की डिजाइन ईश्वर के स्वर्ग की कल्पना पर आधारित की गई थी। उसका सिंहासन जिस मंच पर रखा था, उसे प्रायः 'किबला' कहा जाता था क्योंकि जिस समय दरबार चलता था, उस समय प्रत्येक व्यक्ति उस ओर ही मुंह करके बैठता था। इन वास्तुकलात्मक अभिलक्षणों का इस ओर इशारा था कि राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि था। 

इसी आधार पर यह धारणा बनी कि अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है। 

प्रश्न 7. 
मुगल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को समान न्याय मिलेगा? 
उत्तर:
शाहजहाँ ने दिल्ली के लाल किले के अपने नवनिर्मित दरबार में राजकीय न्याय और शाही दरबार के अन्तःसम्बन्ध पर बहुत बल दिया था। यथा-
(i) बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा-दूरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गई थी, जिसमें पौराणिक यूनानी देवता आर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था। ऐसा माना जाता था कि आर्फियस का संगीत आक्रामक जानवरों को भी शांत कर सकता है और वे शांतिपूर्वक एक-दूसरे के साथ रहने लगते हैं। 

(ii) शाहजहाँ के सार्वजनिक सभा भवन का निर्माण यह सूचित करता था कि न्याय करते समय राजा ऊँचे और निम्न सभी प्रकार के लोगों के साथ समान व्यवहार करेगा और सभी सद्भाव के साथ रह सकेंगे। 

दिल्ली के लाल किले के अपने नव-निर्मित दरबार में प्रयुक्त किए गए प्रतीकों से संकेत मिलता था कि बादशाह सभी के साथ समान रूप से न्याय करेगा। 

प्रश्न 8. 
शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी? 
उत्तर:
नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की भूमिका-दिल्ली में शाहजहाँबाद में शाहजहाँ ने शाहजहांनाबाद में नया शहर निर्मित करवाया उसमें शाही महल यमुना नदी पर स्थिात था। नदी पर अभिजातों की पहुँच पर नियंत्रण कर दिया गया। केवल विशिष्ट कृपा पात्र अभिजातों, जैसे-उसके बड़े बेटे दाराशिकोह को ही नदी तक पहुँच मिली थी। अन्य सभी को अपने घरों का निर्माण नदी से दूर शहर में करवाना पड़ता था। 

RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 5 शासक और इमारतें

आइये विचार करें-

प्रश्न 9. 
आज धनी और शक्तिशाली लोग विशाल घरों का निर्माण करवाते हैं। अतीत में राजाओं तथा उनके दरबारियों के निर्माण किन मायनों में इनसे भिन्न थे? 
उत्तर:
अतीत में राजाओं और उनके दरबारियों के निर्माण आज के धनी और शक्तिशाली लोगों के विशाल घरों के निर्माण से वास्तुकला की दृष्टि से भिन्न थे। राजाओं और दरबारियों के घर बागों, खंभों, छतों तथा रूम की साजसज्जा में आज.के धनी लोगों के घरों से भिन्न थे। राजाओं और उनके दरबारियों के निर्माण में विशाल आँगन तथा सार्वजनिक सभागार होते थे, जो वर्तमान के धनी लोगों के विशाल घरों में नहीं होते हैं।

दूसरे, राजाओं और दरबारियों के निर्माण प्रायः नदी के किनारे ऊँचे स्थल पर बनाये जाते थे, उनमें सुरक्षा को विशेष महत्त्व दिया जाता था, जबकि आज के धनी और शक्तिशाली लोगों के विशाल भवन शहरों के मध्य में बने हुए हैं। 

प्रश्न 10. 
चित्र-4 (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 62) पर नजर डालें। यह इमारत आज कैसे तेजी से बनवाई जा सकती है? 
उत्तर:
आज यह इमारत आधुनिक मशीनों तथा मैटेरियल की सहायता से तेजी से बनवाई जा सकती है। इंजीनियर तथा आर्कीटेक्चर भी अपने हुनर तथा तकनीकों से इसको - शीघ्र बनवाने में सहायक हो सकते हैं।

admin_rbse
Last Updated on June 8, 2022, 8:25 p.m.
Published June 8, 2022