Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Chapter 20 भक्ति व सूफी आंदोलन
RBSE Solutions for Class 7 Social Science
RBSE Class 7 Social Science भक्ति व सूफी आंदोलन Intext Questions and Answers
गतिविधि
पृष्ठ संख्या – 176
प्रश्न 1.
इस पाठ में यथास्थान उत्तर भारत के कुछ भक्त सन्तों के पद दिए गए हैं। उन्हें पढ़ें और समझने की कोशिश करें कि उनमें क्या कहा गया है? सभी सन्तों ने किन बातों पर जोर दिया है? इन्हें समझने के लिए अपने घर के बड़ों व गुरुजनों की मदद ले सकते हैं।
उत्तर:
1. भक्ति आन्दोलन के सभी सन्तों ने ईश्वर की भक्ति पर बल दिया। उनका कहना था कि परमात्मा और मानव एक हैं और मानव को परमात्मा के साथ मिलने का प्रयत्न करना चाहिए।
2. भक्त सन्तों ने हर किसी से प्रेम करने पर जोर दिया। उन्होंने उपदेश दिया कि हमें किसी से शत्रुता नहीं करनी चाहिए।
3. सभी भक्त सन्तों ने सामाजिक समानता पर बल दिया। उनका कहना था कि न कोई ऊँचा है न कोई नीचा है, सभी मनुष्य बराबर हैं।
4. रामानन्द ने राम की भक्ति पर बल दिया। उन्होंने जाति प्रथा का विरोध करते हुए सामाजिक समानता पर बल दिया।
5. कबीर ने जातीय असमानता का विरोध किया। उनका कहना था कि सभी व्यक्ति जन्म से समान हैं, उन्होंने हिन्दू – मुस्लिम एकता पर बल दिया। उन्होंने बाहरी आडम्बरों का विरोध किया। पाठ में दिए गए कबीर के पद में कबीरदास जी कहते हैं कि मेरे गुरु और ईश्वर दोनों एक साथ खड़े हों तो मैं पहले गुरु के चरण स्पर्श करूँगा क्योंकि उन्होंने ही मेरी ईश्वर की पहचान कराई है। इस प्रकार उन्होंने गुरु को ईश्वर से भी अधिक महत्त्व दिया।
6. गुरु नानक ने अन्धविश्वासों और गलत मान्यताओं का विरोध किया। उन्होंने जाति प्रथा तथा ऊँच-नीच के भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया।
7. रैदास ने मानव – समानता पर बल दिया। पाठ में दिए गए उनके पद का आशय यह है कि राज्य ऐसा होना चाहिए जहाँ कोई भूखा न रहे अर्थात् सभी को भोजन मिले। वहाँ छोटे-बड़े बराबर हों। ऐसी स्थिति ही सुखसमृद्धि और प्रसन्नता की होती है।
8. दादूदयाल ने ईश्वर की भक्ति को समाज सेवा तथा मानववादी दृष्टि से जोड़ा। दादू ने गुरु के महत्त्व पर बल दिया। उन्होंने बताया कि ब्रह्म एक है और वह सब जगह
9. मीराबाई ने अपने भजनों में कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव प्रकट किया है। पाठ में दिए गए उनके पद का आशय यही है. कि इस संसार में उनका श्रीकृष्ण के अतिरिक्त कोई नहीं है।
RBSE Class 7 Social Science भक्ति व सूफी आंदोलन Text Book Questions and Answers
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
संख्या एक व दो के सही उत्तर कोष्ठक में लिखें –
(i) ननकाना साहब किस सन्त का जन्म स्थान है?
(अ) कबीर
(ब) नानक
(स) दादूदयाल
(द) रामानन्द
उत्तर:
(ब) नानक
(ii) चैतन्य महाप्रभु का सम्बन्ध कहाँ से था?
(अ) बंगाल
(ब) राजस्थान
(स) गुजरात
(द) महाराष्ट्र
उत्तर:
(अ) बंगाल
प्रश्न 2.
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित करें –
उत्तर:
प्रश्न 3.
भक्ति में किस पर अधिक जोर दिया जाता है?
उत्तर:
भक्ति में सांसारिक कार्यों से विरक्त होकर एकान्त में पूरी लगन के साथ ईश्वर का स्मरण करने पर बल दिया जाता है।
प्रश्न 4.
महाराष्ट्र के प्रमुख सन्तों के नाम बताइये।
उत्तर:
महाराष्ट्र के प्रमुख सन्त हैं –
- ज्ञानेश्वर
- नामदेव
- एकनाथ
- तुकाराम
- समर्थ
- गुरु रामदास
प्रश्न 5.
भक्ति आन्दोलन के सन्तों के उपदेशों की भाषा कैसी थी?
उत्तर:
भक्ति आन्दोलन के सन्तों के उपदेशों की भाषा सीधी, सरल और बोलचाल की थी।
प्रश्न 6.
मीरा बाई का संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर:
1. मीरा बाई का प्रारम्भिक जीवन – राजस्थान के भक्त सन्तों में मीराबाई का नाम सर्वप्रमुख है। मीरा बाई का जन्म 16वीं सदी में मेड़ता में हुआ था। इनके पिता रतनसिंह मेड़ता के शासक दूदाजी के चौथे पुत्र थे। मीरा बाई अपने पिता की इकलौती पुत्री थी। मीरा के दादा-दादी भगवान कृष्ण के परम भक्त थे और मीरा बचपन से ही कृष्ण – भक्ति के गीत गाया करती थी। मीरा ने अपना सम्पूर्ण जीवन कृष्ण – भक्ति में समर्पित कर दिया था।
2. मीरा का विवाह – मीरा का विवाह मेवाड़ के महाराणा ‘कुम्भा के बड़े पुत्र भोजराज से हुआ। विवाह के सात वर्ष बाद ही भोजराज की मृत्यु हो गई और शीघ्र ही मीरा के ससुर राणा सांगा व पिता रतन सिंह का भी देहान्त हो गया। मीरा ने समस्त विपत्तियों का मुकाबला धैर्य और साहस के साथ किया। अब वह पूर्ण रूप से कृष्ण-भक्ति में डूब गई।
3. वृन्दावन और द्वारिका की यात्रा – मीरा ने वृन्दावन और द्वारिका में काफी समय भजन-कीर्तन और साधु-संगति में व्यतीत किया। मीरा वृन्दावन से द्वारिका चली गई। द्वारिका में कृष्ण-भक्ति में तल्लीन रहते हुए एक दिन रणछोड़जी की मूर्ति के आगे नृत्य करती हुई मीरा संसार से चल बसी।
4. सगुण भक्ति – मीरा सगुण भक्ति की उपासिका थी। उसने अपने भजनों में भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित भाव से भक्ति की।
“मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।”
5. मीरा बाई की रचनाएँ-मीरा बाई की काव्य रचनाएँ आज भी लोकप्रिय हैं। मीरा बाई के लगभग 250 पद निजी हैं, जो उन्हें अमर भक्त कवयित्री बना देते हैं। मीरा ने महिलाओं के सुधार और जागृति पर बल दिया।
प्रश्न 7.
कबीर की प्रमुख शिक्षाएँ बताइये।
उत्तर:
कबीर की प्रमुख शिक्षाएँ कबीर भक्ति आन्दोलन के एक प्रमुख सन्त थे। उनकी प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं –
1. सामाजिक कुरीतियों का विरोध – कबीर मात्र भक्त सन्त न होकर बड़े समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज में फैली हुई कुरीतियों का प्रबल विरोध किया।
2. प्रभु पर सबका अधिकार – कबीर धार्मिक क्षेत्र में सच्ची भक्ति का सन्देश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने बताया कि प्रभु पर सबका अधिकार है, उन पर किसी वर्ग, व्यक्ति तथा धर्म-जाति का अधिकार नहीं है।
3. जातीय असमानता का विरोध – कबीर ने जातीय असमानता का विरोध किया और. सामाजिक समानता पर बल दिया। कबीर का कहना था कि सभी व्यक्ति जन्म से समान हैं। जिस व्यक्ति ने अपने पवित्र कर्मों से भक्ति को अपनाया है, उसकी जाति का सम्बन्ध पूछना अनुचित है।
4. कर्म की श्रेष्ठता पर बल – कबीर कर्म की श्रेष्ठता पर भी बल देते थे।
5. हिन्दू – मुस्लिम एकता पर बल-कबीर ने हिन्दूमुस्लिम एकता पर बल दिया। ईश्वरीय एकता के सन्देश के कारण हिन्दू व मुसलमान सभी उनके अनुयायी बनने लगे।।
6. बाह्य आडम्बरों का विरोध – कबीर ने बाहरी आडम्बरों का प्रबल विरोध किया और हृदय की शुद्धता तथा पवित्र आचरण पर बल दिया। कबीर के उपदेश हमें उनकी ‘साखियों’ एवं ‘पदों’ में मिलते हैं।
7. गुरु के महत्त्व पर बल – कबीर ने गुरु को ईश्वर से भी अधिक महत्त्व दिया। उन्होंने कहा कि “गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागँ पाँय। – बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो बताय”
प्रश्न 8.
सूफी व भक्ति सन्तों के उपदेशों में क्या समानताएँ थीं?
उत्तर:
सूफी व भक्त सन्तों के उपदेशों में समानताएँ सूफी व भक्त सन्तों के उपदेशों में निम्नलिखित समानताएँ पाई जाती हैं –
1. सूफी व भक्त सन्तों के उपदेशों में गुरु का महत्त्व, नाम स्मरण, प्रार्थना, ईश्वर के प्रति प्रेम, व्याकुलता एवं विरह की स्थिति, संसार की क्षणभंगुरता, जीवन की सरलता, सच्ची साधना, मानवता से प्रेम, ईश्वर की एकता तथा व्यापकता आदि समानताएँ थीं।
2. भक्ति आन्दोलन एवं सूफी मत दोनों ने ही ईश्वरीय प्रेम के द्वारा मानवता का मार्ग प्रशस्त किया।
3. भक्त सन्तों की भाँति सूफी सन्त भी अपनी बात कविता के द्वारा कहते थे।
प्रश्न 9.
गुरु नानक के उपदेशों को लिखिए।
उत्तर:
गुरु नानक के उपदेश गुरु नानक के उपदेश निम्नलिखित हैं –
- गुरु नानक ने अंधविश्वासों और गलत मान्यताओं को दूर करने का प्रयास किया।
- गुरु नानक ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया। वे हिन्दू – मुसलमानों को समान दृष्टि से देखते थे। वे मुस्लिम सन्तों का सत्संग भी करते थे।
- गुरु नानक के मत में सच्चा समन्वय वही है, जो ईश्वर की मौलिक एकता और उसके प्रभाव से मानव की एकता को पहचानने में सहायता दे।
- गुरु नानक ने जाति प्रथा तथा ऊँच-नीच के भेद-भाव का विरोध किया और सामाजिक समानता पर बल दिया।
- गुरु नानक ने समानता, बंधुता, ईमानदारी और सृजनात्मक श्रम के द्वारा जीविकोपार्जन पर आधारित नई समाज व्यवस्था की स्थापना की।
प्रश्न 10.
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का परिचयं लिखिए।
उत्तर:
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का परिचय – ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भारत के प्रमुख सूफी संत थे। वे 1192 ई. में भारत आये थे और बाद में इन्होंने ही भारत में सूफी मत में चिश्ती सिलसिला की स्थापना की। उन्होंने भारत में अनेक स्थानों की यात्रा की और बाद में वे अजमेर में स्थाई रूप से बस गये। अजमेर में संत मोईनुद्दीन चिश्ती की प्रसिद्ध दरगाह ‘अजमेर शरीफ’ के नाम से जानी जाती है। इनके मुरीद या चाहने वाले इन्हें ‘ख्वाजा साहब’ या ‘गरीब नवाज’ के नामों से भी याद करते हैं। इनके एक शिष्य शेख हमीदुद्दीन नागौरी ने नागौर के पास सुवल गाँव में अपना केन्द्र बनाकर इस्लाम का प्रचार किया। चिश्ती सिलसिला संगीत को ईश्वर प्रेम का महत्त्वपूर्ण साधन मानता है।
प्रश्न 11.
समर्थ गुरु रामदास के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
समर्थ गुरु स्वामी रामदास का जीवन भक्ति और वैराग्य से ओत – प्रोत था। वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध सन्त थे। वे संगीत के उत्तम जानकार थे। वे प्रतिदिन एक हजार दो सौ सूर्य नमस्कार करते थे। इसलिए उनका शरीर अत्यन्त बलवान था। वे अद्वैत वेदान्ती और भक्ति मार्गी सन्त थे। उन्होंने अपने शिष्यों की सहायता से समाज में एक चेतनादायी संगठन खड़ा किया तथा कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक 1100 मठ तथा अखाड़े स्थापित कर स्वराज्य की स्थापना के लिए जनमत तैयार किया। वे छत्रपति शिवाजी के गुरु तथा हनुमानजी के उपासक थे। उनका ग्रंथ ‘दास बोध’ एक गुरु-शिष्य के संवाद के रूप में है।
RBSE Class 7 Social Science भक्ति व सूफी आंदोलन Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
Question 1.
नयनार सन्त थे ……………..
(अ) कबीर के अनुयायी
(ब) बुद्धिजीवी
(स) शिवभक्त
(द) रामभक्त
उत्तर:
(स) शिवभक्त
Question 2.
उत्तरी भारत में भक्ति आन्दोलन के प्रवर्तक थे ……………..
(अ) रामानुज
(ब) रामानन्द
(स) कबीर
(द) नानक
उत्तर:
(ब) रामानन्द
Question 3.
किस भक्ति सन्त ने गुरु को ईश्वर से भी अधिक महत्त्व दिया?
(अ) गुरु नानक
(ब) रामानन्द
(स) रामानुज
(द) कबीर
उत्तर:
(द) कबीर
Question 4.
मीरा बाई का जन्म 16वीं सदी में हुआ था ……………..
(अ) जयपुर में
(ब) मेड़ता में
(स) जोधपुर में
(द) उदयपुर में
उत्तर:
(ब) मेड़ता में
Question 5.
पंढरपुर में किसकी पूजा की जाती थी?
(अ) दुर्गा की
(ब) शिव की
(स) गणेश की
(द) विट्रल की
उत्तर:
(द) विट्रल की
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- भक्ति धारा की सबसे पहली बार लोकप्रियता ………………. में सातवीं और नौवीं सदी के बीच देखने को मिलती है।
- विष्णु भक्त सन्त ………………. कहलाते थे।
- रामानन्द ने संस्कृत की बजाय ………………. उपदेश दिया।
- कबीर का पालन-पोषण बनारस या आस-पास रहने वाले ………………. में हुआ था।
- रैदास ………………. के परम शिष्य थे।
उत्तर:
- दक्षिण भारत
- अलवार
- बोलचाल की भाषा
- जुलाहे परिवार
- रामानन्द
निम्नलिखित प्रश्नों में सत्य अथवा असत्य कथन बताइये
- शिव भक्त सन्त नयनार तथा विष्णु भक्त अलवार कहलाते थे।
- रामानन्द ने कृष्ण की भक्ति पर बल दिया।
- चैतन्य ने कृष्ण की उपासना पर बल दिया।
- दादू की मृत्यु नरायणा नामक गाँव में हुई।
- उदयपुर में कृष्ण भक्ति करते हुए रणछोड़जी की मूर्ति के आगे मीरा बाई ने संसार त्याग दिया।
उत्तर:
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित करें
उत्तर:
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भक्ति का अर्थ बताइये।
उत्तर:
जब व्यक्ति सांसारिक कार्यों से विरक्त होकर एकान्त में तन्मयता के साथ ईश्वर का स्मरण करता है, उसे ‘भक्ति’ कहा जाता है।
प्रश्न 2.
भक्ति सन्देश का क्या तरीका था?
उत्तर:
अधिकांश भक्त सन्त अपनी बात काव्य के द्वारा कहते थे?
प्रश्न 3.
दक्षिण भारत में भक्ति आन्दोलन का प्रचार करने वाले कौन थे?
उत्तर:
दक्षिण भारत में नयनार तथा अलवार नामक सन्तों ने भक्ति आन्दोलन का प्रचार किया।
प्रश्न 4.
प्रमुख नयनार सन्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख नयनार सन्त थे –
- अप्पार
- संबंदर
- सुन्दरार
- माणिक्कवसागार
प्रश्न 5.
प्रमुखं अलवार सन्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख अलवार सन्त थे –
- पेरिय अलवार
- अंडाल
- नम्मालवार
- तोंडरडिप्पोडी
प्रश्न 6.
दक्षिण भारत में अलवार सन्त किसे कहा जाता था?
उत्तर:
विष्णु भक्त संतों को।
प्रश्न 7.
दक्षिण भारत में नयनार सन्त किसे कहा जाता था?
उत्तर:
शिवभक्त संतों को।
प्रश्न 8.
दक्षिण की मीरा किसे कहा जाता है?
उत्तर:
भक्त कवयित्री अंडाल को।
प्रश्न 9.
रामानन्द ने किसकी भक्ति पर बल दिया?
उत्तर:
रामानन्द ने राम की भक्ति पर बल दिया।
प्रश्न 10.
रामानन्द के प्रमुख शिष्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- रैदास
- कबीर
- धन्ना
- पीपा
प्रश्न 11.
कबीर के उपदेश किनमें मिलते हैं?
उत्तर:
कबीर के उपदेश उनकी ‘साखियों’ तथा ‘पदों’ में मिलते हैं?
प्रश्न 12.
गुरु नानक का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
गुरु नानक का जन्म 1469 ई. में ननकाना साहिब में हुआ था।
प्रश्न 13.
‘धर्मसाल’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
गुरु नानकदेव ने उपासना से संबंधित कार्य के लिए. जो जगह निश्चित की, उसे ‘धर्मसाल’ कहते हैं।
प्रश्न 14.
सिक्ख धर्म के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
गुरु नानक सिक्ख धर्म के संस्थापक थे।
प्रश्न 15.
दादू की शिक्षाएँ किनमें संगृहीत हैं?
उत्तर:
दादू की शिक्षाएँ ‘दादूदयाल की वाणी’ तथा ‘दादू दयाल रा दूहा’ में संगृहीत हैं।
प्रश्न 16.
मीरा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
मीरा का जन्म 16वीं सदी में मेड़ता में हुआ था।
प्रश्न 17.
रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
रामचरणजी रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक थे।
प्रश्न 18.
पंढरपुर क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
महाराष्ट्र के पंढरपुर नामक स्थान पर भक्तगण विट्ठल नामक देवता की पूजा करते हैं। विट्ठल को विष्णु का स्वरूप माना जाता है।
प्रश्न 19.
भारत के वंचित वर्ग का पहला कवि किसे कहा जाता है?
उत्तर:
चोखामेला को।
प्रश्न 20.
सूफी कौन थे?
उत्तर:
सूफी लोग सरल वस्त्र धारण करते थे, सीधी-सरल जिन्दगी बिताते थे और लोगों को प्रेमपूर्वक रहने को प्रेरित करते थे।
प्रश्न 21.
सूफी सन्तों ने किस धर्म का पालन किया?
उत्तर:
सूफी सन्तों ने इस्लाम के एकेश्वरवाद का पालन किया।
प्रश्न 22.
चिश्ती सम्प्रदाय के प्रमुख औलियाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती
- दिल्ली के कुतुबद्दीन बख्तियार काकी
- पंजाब के बाबा फरीद
- दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन औलिया।
प्रश्न 23.
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह कहाँ स्थित है? वह किस नाम से जानी जाती है?
उत्तर:
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर में स्थित है। वह ‘अजमेर शरीफ’ के नाम से जानी जाती है।
प्रश्न 24.
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के समर्थक इन्हें किन नामों से याद करते हैं?
उत्तर:
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के समर्थक इन्हें ‘ख्वाजा साहब’ या ‘गरीब नवाज’ के नाम से याद करते हैं।
प्रश्न 25.
सूफी मत के प्रमुख सम्प्रदायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सूफी मत के प्रमुख सम्प्रदाय हैं –
- कादरी
- चिश्ती
- सुहरावर्दी तथा
- नक्शबन्दी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भक्ति आन्दोलन के उद्भव के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भारत में भक्ति की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहा जाता है कि भक्ति की परम्परा का प्रचलन – महाभारत के समय में भी था। जब गीता में अर्जुन से भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि वह सभी धर्मों को छोड़ कर कृष्ण की शरण में आ जाए, तब अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण भक्ति मार्ग पर चलने का उपदेश दे रहे हैं।
प्रश्न 2.
भक्ति आन्दोलन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- भक्त सन्तों की एक विशेषता यह थी कि ये स्थापित जाति व्यवस्था व समाज में फैली असमानताओं पर सवाल उठाते थे।
- इन सन्तों का कहना था कि ईश्वर से प्रेम करना चाहिए एवं लोगों के साथ मिल-बैठकर रहना चाहिए।
- भक्त सन्तों का कहना था कि परमात्मा और मानव एक ही हैं और मानव को परमात्मा के साथ मिलने का प्रयत्न करना चाहिए।
- इन सन्तों का कहना था कि किसी से भी बैर नहीं करना चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति से प्रेम करना चाहिए।
- भक्त सन्तों का कहना था कि न कोई ऊँचा है, न कोई नीचा, सभी बराबर हैं।
प्रश्न 3.
भक्त सन्देश के तरीके का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
भक्त सन्त अपनी बात सीधी-सरल और बोलचाल की भाषा में कहते थे। अधिकांश भक्त-सन्त अपनी बात काव्य के द्वारा कहते थे। इनके काव्य भगवान के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करते थे तथा ईश्वर के अनेक रूपों की कहानियों का वर्णन करते थे। इनमें सामाजिक बुराइयों की कटु आलोचना की जाती थी, धार्मिक आडम्बरों को समाप्त करने पर बल दिया जाता था तथा जाति व्यवस्था का प्रबल विरोध किया जाता था।
प्रश्न 4.
भक्ति आन्दोलन में योगियों के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
योगी लोगों ने तर्क के आधार पर रूढ़िवादी परम्पराओं का विरोध किया। इन्होंने कहा कि मोक्ष का मार्ग योगासन, प्राणायाम और चिन्तन-मनन जैसी प्रक्रियाओं से प्राप्त किया जा सकता है। इन्होंने शरीर पर नियन्त्रण करने पर बल दिया।
प्रश्न 5.
दक्षिणी भारत में भक्ति आन्दोलन के प्रचार-प्रसार में नयनार तथा अलवार सन्तों की भूमिका का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
भक्तिधारा की सबसे पहली बार लोकप्रियता दक्षिण भारत में सातवीं और नौवीं सदी के बीच देखने को मिलती। है। इसका श्रेय वहाँ के घुमक्कड़ी साधुओं को जाता है। इन घुमक्कड़ों में कुछ शिव भक्त थे जो नयनार कहलाते थे तथा कुछ विष्णु भक्त थे, जो अलवार कहलाते थे। ये घुमक्कड़ साधु गाँव-गाँव जाते थे तथा गाँवों के देवी-देवताओं की प्रशंसा में काव्य लिखते थे तथा उन्हें संगीतबद्ध करते थे। नयनार और अलवार सन्तों में कुम्हार, ब्राह्मण, मुखिया, शिकारी आदि अनेक जातियों के लोग सम्मिलित थे। ये अपने उच्च विचारों व नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने के कारण समाज तथा देश में प्रसिद्ध थे। अप्पार, संबंदर, सुन्दरार तथा मणिक्कव सागार आदि प्रसिद्ध नयनार सन्त थे तथा पेरिय अलवार, अंडाल, नम्मालवार, तोंडरडिप्पोडी अलवार सन्त थे।
प्रश्न 6.
महाराष्ट्र के भक्ति आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
महाराष्ट्र में ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम तथा समर्थगुरु रामदास प्रसिद्ध भक्त-सन्त थे। यहीं पर सखूबाई नामक महिला तथा चोखामेला के परिवार भी लोकप्रिय थे। महाराष्ट्र में इस काल में पंढरपुर नामक स्थान की बड़ीमान्यता थी। पंढरपुर का नाम विट्ठल नामक स्थानीय देवता के साथ जुड़ा हुआ था। यहाँ भक्त लोग विट्ठल की पूजा करते थे। विट्ठल को विष्णु का स्वरूप माना जाता था। यहाँ भी अनेक जातियों और समुदायों के लोग इकट्ठे होकर अपने आराध्य की उपासना करते थे। आजकल पंढरपुर की यात्रा पर हजारों लोग हर वर्ष पैदल चलकर जाते हैं। इन सन्तों के विचार आज भी समाज में लोकप्रिय हैं।
प्रश्न 7.
रामचरणजी एवं रामस्नेही सम्प्रदाय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मध्यकालीन राजस्थान में रामस्नेही सम्प्रदाय काफी लोकप्रिय था। इस सम्प्रदाय की स्थापना रामचरणजी ने की थी। इस सम्प्रदाय के अनेक केन्द्र राजस्थान में स्थापित हुए जैसे शाहपुरा (भीलवाड़ा) में सन्त रामचरणजी, रेण (नागौर) में सन्त दरियावजी, सिंहथल (बीकानेर) में सन्त हरिदासजी तथा खेड़ापा (जोधपुर) में सन्त रामदासजी आदि। रामचरणजी निर्गुण भक्ति में विश्वास करते थे। इन्होंने मोक्ष प्राप्ति के लिए गुरु को अत्यधिक महत्त्व दिया। उनका कहना था कि गुरु ब्रह्म के समान होता है और गुरु ही मनुष्य को संसार रूपी सागर से पार उतार सकता है। इस सम्प्रदाय में राम की उपासना पर बल दिया गया है। राम से उनका अभिप्राय निर्गुण-निराकार ब्रह्म से है। इस सम्प्रदाय के सन्तों ने मूर्ति पूजा व बाह्य आडम्बरों का विरोध किया।
प्रश्न 8.
सूफी सन्त कौन थे?
उत्तर:
सूफी वे कहलाए जो सफ अर्थात् सफेद ऊन का कपड़ा पहनते थे। उनके सीधे, सस्ते कपड़े पहनने का अभिप्राय यह था कि ये वे लोग थे जो सीधे सरल वस्त्र धारण करते थे, सीधा सरल जीवन व्यतीत करते थे और लोगों को सीधे सरल इस्लाम के एकेश्वरवाद का पालन किया। ये आमतौर पर वे थे परम्परा की जटिलताओं और आचार-संहिताओं का विरोध किया। सूफी संतों ने धर्म के बाहरी आडम्बरों को त्याग कर भक्ति और सभी मनुष्यों के प्रति दया तथा प्रेम भाव पर बल दिया। ये लोग अपनी बात कविता के द्वारा कहते थे। ये लोग अपना सन्देश कहानी सुनाकर भी पहुँचाते थे।
प्रश्न 9.
हजरत निजामुद्दीन औलिया का परिचय दीजिए।
उत्तर:
भारत के सूफी संतों में हजरत निजामुद्दीन औलिया का नाम प्रमुख है जिनके नेतृत्व में चिश्ती सिलसिले का भारत भर में विकास हुआ। एक विशेष धर्म का अनुयायी होते हुए भी औलियो में धार्मिक और सामाजिक कट्टरता लेशमात्र भी नहीं थी। इन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता तथा समाज-सुधार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। वे मनुष्य मात्र की एकता के सच्चे प्रतीक थे। हजरत निजामुद्दीन औलिया के विचार में संगीत ईश्वरीय प्रेम और सौंदर्य से साक्षात्कार करने का अनुपम माध्यम है। अमीर खुसरो भी निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। नई दिल्ली स्थित दरगाह परिसर में हजरत निजामुद्दीन औलिया की मजार के पास ही अमीर खुसरो की भी मजार है।
प्रश्न 10.
सूफी सन्तों की शिक्षाओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सूफी संतों की शिक्षाएँ – सूफी संतों की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं –
- सूफी संतों ने इस्लाम के एकेश्वरवाद पर बल दिया।
- सूफी सन्तों ने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों द्वारा स्थापित इस्लामिक परम्परा की जटिलताओं और आचार – संहिताओं का विरोध किया।
- सूफी संतों ने धर्म के बाह्य आडम्बरों को त्याग कर – भक्ति और सभी मनुष्यों के प्रति दया तथा प्रेम भाव पर बल दिया।
- सूफी सन्तों ने हिन्दू – मुस्लिम एकता पर बल दिया।
- चिश्ती सिलसिला के अनुसार संगीत ईश्वर प्रेम का महत्त्वपूर्ण साधन है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्तों की शिक्षाओं का वर्णन कीजिए। अथवा भक्ति आन्दोलन में प्रमुख सन्तों के योगदान का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्तों की शिक्षाएँ (भक्ति आन्दोलन में प्रमुख सन्तों का योगदान)। भक्ति आन्दोलन में प्रमुख सन्तों के योगदान का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है –
1. रामानन्द – रामानन्द उत्तरी भारत में भक्ति आन्दोलन के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने भक्ति के द्वारा जन-जन को नया मार्ग दिखाया। उन्होंने एकेश्वरवाद पर जोर देकर राम की भक्ति पर बल दिया। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया। उन्होंने जाति प्रथा का विरोध करते हुए सामाजिक समानता पर जोर दिया। उन्होंने बोलचाल की भाषा में उपदेश दिए, जिससे जन-साहित्य का विकास हुआ।
2. कबीर –
- कंबीर ने समाज में फैली हुई कुरीतियों का प्रबल विरोध किया। उनका कहना था कि प्रभु सबके हैं। उनमें किसी वर्ग, व्यक्ति तथा धर्म, जाति का अधिकार नहीं है।
- कबीर ने जातीय असमानता का विरोध किया। उनका कहना था कि सभी व्यक्ति जन्म से समान हैं।
- कबीर ने कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया।
- कबीर ने हिदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया तथा – बाहरी आडम्बरों का कड़ा विरोध किया।
3. गुरु नानक –
- गुरु नानक ने अन्धविश्वासों और गलत मान्यताओं का विरोध किया।
- गुरु नानक ने हिन्दू – मुस्लिम एकता पर बल दिया।
- गुरु नानक का कहना था कि सच्चा समन्वय वही है जो ईश्वर की मौलिक एकता और उसके प्रभाव से मानव की एकता को पहचाने में सहायक हो।
- उन्होंने समानता, बन्धुत्व तथा श्रम के द्वारा जीविकोपार्जन पर बल दिया।
- उन्होंने अंधविश्वासों और गलत मान्यताओं को दूर करने का प्रयास किया।
4. चैतन्य महाप्रभु –
- चैतन्य ने भगवान कृष्ण की उपासना पर बल दिया।
- उनका कहना था कि यदि कोई व्यक्ति भगवान कृष्ण की उपासना करता है और गुरु की सेवा करता है, तो वह माया के जाल से मुक्त हो जाता है और ईश्वर से एकाकार हो जाता है।
- चैतन्य महाप्रभु ने कर्मकाण्डों की निन्दा की।
- उन्होंने ईश्वर की भक्ति पर बल देते हुए कहा कि भक्त भक्ति में लीन होकर संकुचित भावना से मुक्त हो जाता है।
- रैदास – रैदास ने जाति प्रथा तथा ऊँच-नीच के भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने बाह्याडम्बरों की निन्दा की और मन की शुद्धता पर बल दिया। उन्होंने मानव-समानता पर बल दिया।
- समर्थ गुरु रामदास – समर्थ गुरु रामदास का जीवन भक्ति व वैराग्य से ओत-प्रोत था। वे अद्वैत वेदान्ती और भक्तिमार्गी सन्त थे। उन्होंने समाज में स्वराज्य स्थापना के लिए जनमत तैयार किया।
- चोखा मेला – चोखा मेला ने भक्ति काव्य के दौर में सामाजिक गैर-बराबरी को समाज के सामने रखा। अपनी रचनाओं में वे वंचित समाज के लिए खासे चिंतित दिखाई पड़ते हैं।
- दादूदयाल –
(i) दादूदयाल ने लिखित रूप से संत वाणियों की रक्षा पर बल दिया।
(ii) दादू ने ईश्वर की भक्ति को समाज सेवा एवं मानवता की दृष्टि से जोड़ा।
(iii) दादू ने अहंकार से दूर रहकर विनम्रता से ईश्वर के प्रति समर्पित रहने की शिक्षा दी।
(iv) दादू का कहना था कि ईश्वर की प्राप्ति न केवल प्रेम और भक्ति के माध्यम से ही सम्भव है, बल्कि मानवता के प्रति सेवा से भी संभव हो सकती है।
(v) दादू ने गुरु के महत्त्व पर भी बल दिया।
9. मीराबाई –
- मीराबाई ने कृष्ण-भक्ति पर बल दिया। उन्होंने अपने भजनों में कृष्ण के प्रति समर्पित भाव से भक्ति की।
- मीरा बाई ने महिला वर्ग के सुधार और जागृति पर भी बल दिया।
- मीराबाई द्वारा रचित काव्य प्रेम भाव से परिपूर्ण हैं।