RBSE Solutions for Class 7 Hindi
Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता (निबंध)
RBSE Class 7 Hindi मित्रता पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठ से
सोचें और बताएँ –
प्रश्न 1.
छात्रावस्था में किसकी धुन सवार रहती है?
उत्तर:
छात्रावस्था में मित्रता बढ़ाने की धुन सवार रहती है।।
प्रश्न 2.
लेखक ने कौनसे ज्वर को सबसे भयानक बताया|
उत्तर:
लेखक ने कुसंग रूपी ज्वर को सबसे भयानक बताया है।
प्रश्न 3.
हमारे आचरण पर किसका प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
हमारे आचरण पर संगति एवं मित्रता का गहरा प्रभाव पड़ता है।
लिखें –
RBSE Class 7 Hindi मित्रता बहुविकल्पी
प्रश्न 1.
जीवन की औषध है
(क) अकूत धन
(ख) उच्च पद
(ग) सुन्दर रूप
(घ) विश्वासपात्र मित्र
उत्तर:
(घ) विश्वासपात्र मित्र
प्रश्न 2.
सुग्रीव ने मित्र के रूप में चुना
(क) राम को
(ख) बालि को
(ग) रावण को
(घ) अंगद को।
उत्तर:
(क) राम को
प्रश्न 3.
हृदय को उज्वल और निष्कलंक रखने का उपाय है
(क) खूब सोना
(ख) भरपूर भोजन
(ग) एकाकी रहना
(घ) बुरी संगति से बचना।
उत्तर:
(घ) बुरी संगति से बचना।
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(क) युवा पुरुष प्रायः ……… से कम काम लेते हैं।
(ख) सच्ची मित्रता में उत्तम ……… की-सी निपुणता और परख होती है।
(ग) आजकल ……… बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है।
(घ) मित्र सच्चा ………. के समान होना चाहिए, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें।।
उत्तर:
(क) विवेक
(ख) वैद्य
(ग) जान-पहचान
(घ) पथ-प्रदर्शक।
RBSE Class 7 Hindi मित्रता अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जीवन में सफलता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
जीवन में सफलता अच्छी संगति करने तथा अच्छे आचरण पर निर्भर करती है।
प्रश्न 2.
कुसंग के ज्वर को सबसे भयानक क्यों कहा गया है?
उत्तर:
कसंग का ज्वर केवल नीति और सदाचरण का ही नाश नहीं करता, बल्कि विवेक-बुद्धि का भी क्षय करता है, इसीलिए उसे सबसे भयानक कहा गया है।
प्रश्न 3.
पाठ के अनुसार किस प्रकार की बातें जल्दी ध्यान पर चढ़ जाती हैं?
उत्तर:
बुरी बातें, भद्दे और फूहड़ गीत बहुत जल्दी हमारे ध्यान पर चढ़ जाते हैं।
RBSE Class 7 Hindi मित्रता लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सच्ची मित्रता की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
सच्ची मित्रता की यह विशेषता होती है कि उसमें उत्तम वैद्य के समान निपुणता और परख होती है। उसमें अच्छी से अच्छी माता का-सा धैर्य और कोमलता होती है तथा उत्तमता से जीवन-निर्वाह में सहायता भी मिलती है।
प्रश्न 2.
मित्र बनाने में कैसी सावचेती जरूरी है?
उत्तर:
मित्र बनाने में इस तरह की सावधानी जरूरी है कि उसकी प्रतिभा व आचरण कैसा है, उसका स्वभाव कैसा है, उसमें गुणों और प्रेम-भाव का स्तर कितना है? वह विश्वास पात्र भी है या नहीं, केवल काम निकालने वाला है या सच्चा सहयोगी है। इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 3.
हमें अपने मित्रों से क्या आशा रखनी चाहिए?
उत्तर:
हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे विश्वास करने योग्य, भाई के समान स्नेही और सच्चे पथप्रदर्शक हों। वे पूरी सहानुभूति रखने वाले और हानि-लाभ का विचार किये बिना सदा मित्रता निभाने वाले हों। वे विवेक एवं सदाचार से युक्त हों।
RBSE Class 7 Hindi मित्रता दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मित्रता का क्या कर्त्तव्य बताया गया है?
उत्तर:
लेखक के अनुसार मित्रता का कर्तव्य यह बताया गया है कि वह उच्च और महान् कार्यों में सच्चे मन से सहायता दे, मित्र को प्रेरणा दे और साहस बढ़ावे, ताकि वह अपनी सामर्थ्य से भी अधिक बड़ा काम आसानी से कर सके। वह दृढ़ चित्त एवं सत्य संकल्प वाला हो और मित्र के कर्त्तव्य को पूरा करने की सामर्थ्य रखता हो। मित्र को अच्छे मार्ग पर चलाना, शुद्ध आचरण की ओर प्रेरित करना तथा पुरुषार्थी बनाना भी मित्रता का कर्तव्य है। उसमें सत्यनिष्ठा और विश्वासपात्रता भी होनी चाहिए।
प्रश्न 2.
हम बुराई के भक्त कैसे बन जाते हैं?
उत्तर:
अश्लील, अपवित्र और फूहड़ बातों से मन पर जल्दी असर पड़ता है। ऐसी बातों से धीरे-धीरे चरित्र बल पर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वह उनका अभ्यस्त-सा हो जाता है। जैसे मनुष्य जब कीचड़ में चलने लगता है, तब वह यह नहीं देखता है कि वह कहाँ और कैसी जगह पैर रख रहा है। उसे कीचड़ से घृणा नहीं होती है। इसी प्रकार बुरी बातें सुनने का आदी व्यक्ति उससे घृणा नहीं करता है। तब उसकी बुद्धि विवेक से रहित हो जाती है, उसे भले-बुरे की पहचान नहीं रहती है और व्यक्ति बुराई का भक्त या आदी बन जाता है।
प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए
“काजर की कोठरी में कैसो हु सयानो जाय,
एक लीक काजर की लागि है पे लागि है।”
उत्तर:
इस कहावत का आशय यह है कि व्यक्ति जब एक बार काजल की कोठरी में चला जाता है, तब वह चाहे कितना ही समझदार या चतुर हो, तो भी उसके शरीर पर काजल की काली लकीर लग ही जाती है, वह उसके काले कलंक से नहीं बच सकता है। इसी प्रकार जब व्यक्ति बुरे लोगों से जान-पहचान बढ़ाता है, उनसे मित्रता करता है और बुरी बातों को सुनने का आदी बन जाता है, तब वह लाख कोशिश करने पर भी कलंक और अवगुणों से नहीं बच पाता है। उसका हृदय तब बुराइयों से भर जाता है।
भाषा की बात –
प्रश्न 1.
कम खर्च करने वाला = मितव्ययी।
आप भी नीचे दिए गए वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए –
(क) जो नीति का ज्ञाता हो
(ख) जिस पर विश्वास किया जाए
(ग) जिसका उत्साह नष्ट हो गया हो
(घ) दूसरों को राह दिखाने वाला
(ङ) जो पका हुआ न हो
(च) जो मन को अच्छा लगता हो
उत्तर:
(क) नीतिज्ञ
(ख) विश्वसनीय
(ग) अनुत्साही
(घ) पथ-प्रदर्शक
(ङ) अपक्व
(च) मनोरम।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कर वाक्यों में प्रयोग कीजिए-कच्ची मिट्टी, जीवन निर्वाह, स्नेह| बन्धन, उथल-पुथल, जीवन-संग्राम।
उत्तर:
कच्ची मिट्टी-कच्ची है जो मिट्टी।
प्रयोग – बच्चों का मन कच्ची मिट्टी के समान होता है।
जीवन – निर्वाह-जीवन का निर्वाह।
प्रयोग – कुछ काम करने से ही जीवन-निर्वाह हो सकेगा। स्नेह-बन्धन-स्नेह रूपी बन्धन या स्नेह है बन्धन जैसा।
प्रयोग – उन दोनों भाई-बहिन में स्नेह-बन्धन अटूट है।
उथल – पुथल-उथल और पुथल।
प्रयोग – भयानक भूकम्प आने से धरती पर उथल – पुथल मच गयी।
जीवन-संग्राम – जीवन रूपी संग्राम या जीवन है संग्राम जैसा।
प्रयोग – जीवन – संग्राम में सफलता पाने के लिए कठोर श्रम करना पड़ता है।
प्रश्न 3.
‘अपरिपक्व’ शब्द में मूल शब्द परिपक्व है।’अ’ उपसर्ग जुड़ने से नया शब्द बन गया-‘अपरिपक्व’।
आप नीचे दिए गए शब्दों को पढ़कर मूल शब्द व उपसर्ग पहचान कर लिखिए।
उत्तर:
‘अ’ उपसर्ग जोड़ कर नए शब्द बनाइए-शिक्षा, चल, योग्य, कारण, सय, सफल, शुद्ध।
उत्तर:
अ + शिक्षा = अशिक्षा। अ + चल = अचल। अ + योग्य = अयोग्य। अ + कारण = अकारण। अ + सह्य = असह्य। अ + सफल = असफल। अ + शुद्ध = अशुद्ध।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिएअवनति, मित्र, प्रशंसा, शुद्ध, कमाना, रूठना, बुराई, दूर।
उत्तर:
अवनति – उन्नति, मित्र – शत्रु, प्रशंसा – निन्दा, शुद्ध – अशुद्ध, कमाना – गवाना, रूठना – मनाना, बुराई – भलाई, दूर – नजदीक।
प्रश्न 5.
नीचे दिए गए रेखांकित पदों के कारक पहचानकर उनके नाम लिखिए –
(क) वे उत्तम संकल्पों से हमें दृढ़ करेंगे।
(ख) वह अपने भाग्य को सराहता रहा।
(ग) एक बार एक मित्र ने मुझसे यह बात कही।
(घ) वह धरती पर गिर पड़ा। उक्त कारक चिह्न लगाकर आप भी एक – एक नया वाक्य बनाइए।
उत्तर:
(क) करण कारक। वाक्य-उत्तम विचारों से ज्ञान की वृद्धि होती है।
(ख) कर्म कारक। वाक्य-वह बस्ते को सँभालता है।
(ग) कर्ता कारक। वाक्य-रमा ने लता से घर जाने को कहा।
(घ) अधिकरण कारक। वाक्य-रोगी पलंग पर लेट रहा है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
‘मेरा प्रिय मित्र’ विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
नोट-आगे ‘निबन्ध-लेखन’ भाग में यह निबन्ध दिया गया है। वहाँ देखिए।
प्रश्न 2.
जीवन में अच्छे लोग भी मिलते हैं और बुरे भी। ऐसी किसी घटना का वर्णन कीजिए, जिसमें आपके किसी मित्र ने आपको अच्छा कार्य करने हेतु प्रेरित किया हो।
उत्तर:
एक बार मैं अपने मित्र के साथ पुष्कर घूमने गया। वहाँ पर एक अन्धा व्यक्ति सड़क पार नहीं कर पा रहा था। मेरे मित्र ने उस अन्धे का हाथ पकड़ा और उसे सड़क के पार पहुँचाया। अपने मित्र के उस अच्छे कार्य से मुझे यह प्रेरणा मिली कि जब कभी कोई अन्धा दिखाई देता है, तो मैं उसकी पूरी सहायता करता हूँ।
प्रश्न 3.
पाठ में सुग्रीव एवं श्रीराम की मित्रता का सन्दर्भ आया है। ऐसे ही अन्य उदाहरण तलाशिये, जिसमें मित्रता का आदर्श प्रस्तुत किया गया हो।
उत्तर:
ऐसी मित्रता के अनेक उदाहरण हैं, जैसे –
दुर्योधन और कर्ण की मित्रता, श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता आदि।
प्रश्न 4.
ऐसी दस विशेषताओं की सूची बनाइए, जिनको आप अपने मित्र में पाना चाहते हैं। इस बात पर भी मनन करें कि क्या अपने मित्रों के प्रति आप इन मानकों पर खरा उतरते हैं?
उत्तर:
दस विशेषताएँ –
- स्नेही
- विवेकयुक्त
- धैर्ययुक्त
- विश्वास-योग्य
- सत्यनिष्ठ
- पुरुषार्थी
- ईमानदार
- सुशील
- कर्त्तव्यपरायण और
- आत्मबल वाला।
यह भी करें –
प्रश्न 1.
आपके कई मित्र होंगे जिनके साथ आप रोज पढ़ते-खेलते हैं। कुछ मित्र ऐसे भी होंगे जो अन्य शहरोंगाँवों में रहते हैं। ऐसे मित्रों से आप पत्र, दूरभाष अथवा नवीन तकनीकी साधन; जैसे –
एसएमएस, ईमेल, सोशल नेटवर्क आदि के माध्यम से सम्पर्क में रहते होंगे। कहीं दूर रहने वाले ऐसे ही किसी मित्र को पत्र लिखकर उसे मित्रता। के महत्त्व से अवगत करवाइए।
उत्तर:
शास्त्रीनगर,
अजमेर।
दिनांक 25 जुलाई, 2016
प्रिय मित्र मयंक,
सप्रेम नमस्ते।
काफी दिनों के बाद आपका पत्र मिला। समाचार पढ़कर प्रसन्नता हुई कि आपका चयन विद्यालय की क्रिकेट टीम में हुआ है। आपको वहाँ पर अच्छे खिलाड़ियों से मित्रता करनी चाहिए। साथ ही सुशील, सत्यवादी, परिश्रमी एवं समझदार छात्रों के साथ मित्रता रखकर अध्ययनशील रहना चाहिए। जीवन में मित्रता का अत्यधिक महत्त्व रहता है। इससे भविष्य का निर्माण करने में तथा चरित्र को उज्ज्वल बनाने में सहायता मिलती है। अच्छा मित्र कुशल कारीगर की तरह अपने मित्र के व्यक्तित्व को निखारता या तराशता है। अतः मित्रता का महत्त्व समझ कर अच्छे मित्र की संगति करने का प्रयास करें। शेष आप स्वयं समझदार हैं। सलाह देना मेरा कर्त्तव्य बनता है। अपने परिवार के सभी लोगों को मेरी यथायोग्य सेवा कहें। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
शुभाकांक्षी,
रवीन्द्र चौधरी
प्रश्न 2.
मित्रता से सम्बन्धित किसी रोचक कविता अथवा कहानी की तलाश कर उसे बाल-सभा में सुनाएँ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें। यह भी जानें प्रश्न-आपने दैनिक पत्रों व बाल पत्रिकाओं में बाल पत्र मित्र क्लब’ के बारे में पढ़ा होगा। यह मित्रता पत्रों के माध्यम से दूर रहने वाले दो बच्चों को जोड़ देती है। आप भी ऐसे ही किसी ‘बाल पत्र मित्र क्लब’ के सदस्य बनकर पत्रों के माध्यम से अपने विचारों-अनुभवों को साझा करें।
उत्तर:
अपने छात्र-साथियों या मोहल्ले के मित्रों के साथ मिलकर यह कार्य स्वयं करें।
RBSE Class 7 Hindi मित्रता अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 7 Hindi मित्रता वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
‘मित्रता’ (निबन्ध) पाठ के लेखक हैं –
(क) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ख) रामचन्द्र शुक्ल
(ग) भवानीप्रसाद मिश्र
(घ) ओमप्रकाश आदित्य।
उत्तर:
(ख) रामचन्द्र शुक्ल
प्रश्न 2.
प्रायः विवेक से कम काम लेते हैं –
(क) वृद्ध पुरुष
(ख) प्रौढ़ पुरुष
(ग) युवा पुरुष
(घ) शिक्षित पुरुष।
उत्तर:
(ग) युवा पुरुष
प्रश्न 3.
जान-पहचान कैसे लोगों से ठीक रहती है?
(क) जो मनोरंजन में साथ दे सकें।
(ख) जो भोजन का निमन्त्रण स्वीकार करें।
(ग) जो सैर-सपाटे पर सदा साथ निभायें।
(घ) जो जीवन को उज्वल बनाने में सहायता दें।
उत्तर:
(घ) जो जीवन को उज्वल बनाने में सहायता दें।
प्रश्न 4.
सद्वृत्ति और बुद्धि का नाश कौन करता है?
(क) अविवेक
(ख) संगति
(ग) कुसंग
(घ) नाच-रंग।
उत्तर:
(ग) कुसंग
प्रश्न 5.
कैसा मित्र जीवन की एक औषध बताया गया
(क) विश्वासपात्र मित्र
(ख) मर्यादारहित मित्र
(ग) गप्पबाज मित्र
(घ) स्वच्छन्द प्रकृति का मित्र
उत्तर:
(क) विश्वासपात्र मित्र
रिक्त स्थानों की पूर्ति
प्रश्न 6.
नीचे लिखे रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिये गये सही शब्दों से कीजिए हैं।
(क) संगति का गुप्त ……….. हमारे आचरण पर पड़ता (प्रभाव/परिणाम)
(ख) मित्र ………. के समान होना चाहिए। (शिक्षक/भाई)
(ग) बाल मैत्री में मग्न करने वाला ………… होता है। (आनन्द / आचरण)
(घ) बुरी बातें हमारी धारणा में ………. दिनों तक टिकती (बहुत / कम)
उत्तर:
(क) प्रभाव
(ख) भाई
(ग) आनन्द
(घ) बहुत।
RBSE Class 7 Hindi मित्रता अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 7.
कैसे व्यक्ति की जान-पहचान के लोग धड़ाधड़ बढ़ जाते हैं?
उत्तर:
जो व्यक्ति एकदम एकान्त और निराली प्रकृति का नहीं होता है, अर्थात् मिलनसार होता है, उसकी जान| पहचान शीघ्र बढ़ जाती है।
प्रश्न 8.
विश्वासपात्र मित्र को क्या बताया गया है?
उत्तर:
विश्वासपात्र मित्र को जीवन की एक औषध और बड़ा भारी रक्षा-साधन बताया गया है।
प्रश्न 9.
किस उक्ति में हृदय की उथल-पुथल का भाव रहता है?
उत्तर:
‘सहपाठी की मित्रता’ इस उक्ति में हृदय के सुन्दर भावों की भारी उथल-पुथल रहती है।
प्रश्न 10.
कुसंग का असर किस तरह का होता है?
उत्तर:
कुसंग का असर ज्वर के समान भयानक और हानिकारी होता है।
प्रश्न 11.
व्यक्ति का विवेक कब कुण्ठित हो जाता है?
उत्तर:
कुसंगति करने, गन्दी बातें सुनने का आदी होने व बुराई का पक्ष लेने से व्यक्ति का विवेक कुण्ठित हो जाता है।
RBSE Class 7 Hindi मित्रता लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
मित्रों से हमें क्या आशा रखनी चाहिए? बताइये।
उत्तर:
‘मित्रता’ पाठ में बताया गया है कि हमें मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों से हमें दृढ़ करेंगे। वे हमें दोषों से बचायेंगे तथा हमारी गलतियों या कमियों को दूर करेंगे। वे हमें सत्यता, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम से पुष्ट करेंगे और हमें बुरे मार्ग पर जाने से सचेत करेंगे। वे हमें अच्छे कार्यों के लिए उत्साहित करेंगे।
प्रश्न 13.
अच्छा मित्र किसे माना गया है? लिखिए।
उत्तर:
जो सच्चा पथ-प्रदर्शक हो, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें, जो भाई के समान हो और हमें अपना प्रेम-पात्र माने और हमारे प्रति सच्ची सहानुभूति रखे, ऐसा अच्छा मित्र माना गया है। वस्तुतः हमारे दोषों या कमियों को दूर करने वाला और गुणों की प्रशंसा कर जो जीवन में आगे बढ़ने में सहयोग करे, ऐसा व्यक्ति अच्छा मित्र माना गया है।
प्रश्न 14.
ईश्वर हमें कैसे लोगों से दूर रखे? लिखिए।
उत्तर:
जो व्यक्ति न तो बुद्धिमानी या मनोविनोद द्वारा हमें ढाढस बँधा सकते हैं, न हमारे आनन्द-उल्लास में सम्मिलित हो सकते हैं, न हमें कर्त्तव्य-पालन का ध्यान दिला सकते हैं और न किसी तरह का सहयोग कर सकते हैं, ऐसे लोगों से ईश्वर हमें दूर ही रखे। प्रश्न 15. संगति बुरी या अच्छी होने का क्या परिणाम रहता है? उत्तर-यदि किसी व्यक्ति की संगति बुरी रहेगी, तो वह पैरों में बँधी हुई चक्की के समान होगी और दिन-रात अवनति के गड्ढे में ले जायेगी। यदि संगति अच्छी होगी, तो वह सहारा देने वाली होगी और निरन्तर उन्नति की ओर ले जायेगी। यही बुरी अथवा अच्छी संगति का परिणाम रहता है।
RBSE Class 7 Hindi मित्रता निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
जान-पहचान कैसे लोगों से बढ़ानी चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जान-पहचान ऐसे लोगों से बढ़ानी चाहिए, जो हमसे अधिक आत्मबल वाले हों, जिनसे हम कुछ लाभ उठा सकें। ऐसे लोग पवित्र हृदय और कोमल स्वभाव के हों, पुरुषार्थी एवं सत्यनिष्ठा वाले भी हों, ताकि वे हमारे जीवन को उत्तम और आनन्दमय बनाने में कुछ सहायक हो सकें। जान-पहचान के लोग स्वयं भी उच्च एवं महान् कार्य करने वाले तथा अनेक श्रेष्ठ गुणों से सम्पन्न हों। उनसे जानपहचान करने से हमारा विश्वास बढ़े और हमें किसी प्रकार का धोखा भी नहीं होवे।
प्रश्न 17.
‘मित्रता’ शीर्षक पाठ से क्या सन्देश दिया गया
उत्तर:
‘मित्रता’ शीर्षक पाठ से यह सन्देश दिया गया है कि जीवन में अनेक लोगों से काम पड़ता है, जान-पहचान होती है, परन्तु हमें ऐसे लोगों से ही जान-पहचान बढ़ाकर गहरी मित्रता रखनी चाहिए, जो पूरे विश्वास-पात्र, सरल प्रेमी, सत्यवादी, सदाचारी हों और सभी बुराइयों से मुक्त हों। मित्रता की परख सावधानी से करनी चाहिए। उत्तम वैद्य की तरह निपुणता और समझ वाले से, माता की तरह धैर्य और कोमलता रखने वाले से तथा भाई की तरह स्नेही और शुभचिन्तक व्यक्ति से मित्रता करनी चाहिए।
प्रश्न 18.
छात्रावस्था की मित्रता कैसी होती है? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
छात्रावस्था में मित्रता करने की धुन सवार रहती है। उस अवस्था में मित्रता हृदय से उमड़ पड़ती है। उस मित्रता में स्नेह-बन्धन होते हैं, परन्तु उनमें खिन्नता नहीं रहती है। उस मित्रता में हृदय को मग्न करने वाला आनन्द रहता है। उसमें अत्यन्त मिठास और परस्पर मेल-मिलाप रहता है तथा हृदय से अनेक मनोरम उद्गार निकलते रहते हैं। छात्रावस्था की मित्रता में वर्तमान आनन्दमय लगता है तथा भविष्य की सुन्दर कल्पनाएँ उभरती हैं। उस मित्रता मे प्रगाढ़ता ओर प्रखरता होती है।
प्रश्न 19.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(क) युवा पुरुष प्रायः विवेक से कम काम लेते हैं। कितने आश्चर्य की बात है कि लोग एक घड़ा लेते हैं तो उसके सौ गुण-दोषों को परख कर लेते हैं, पर किसी को मित्र बनाने में उसके पूर्व आचरण और स्वभाव आदि का कुछ भी विचार और अनुसन्धान नहीं करते। वे उसमें सब बातें अच्छी-ही-अच्छी मानकर अपना पूरा विश्वास जमा देते हैं। हँसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, थोड़ी चतुराई या साहस-ये ही दो-चार बातें किसी में देखकर लोग चटपट उसे अपना बना लेते हैं।
प्रसंग – यह गद्यांश आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखे गये ‘मित्रता’ निबन्ध पाठ से लिया गया है। इसमें युवाओं को बिना सोचे-समझे मित्रता करने का वर्णन किया गया है।
व्याख्या – लेखक बताता है कि विवेक अर्थात् भले-बुरे का विचार करने के बाद किसी भी अपरिचित से मित्रता करने या जान-पहचान बनाने में भय नहीं रहता है। परन्तु प्रायः यह देखा जाता है कि युवा लोग विवेक से काम नहीं लेते हैं या कम लेते हैं। साधारण लोग भी मिट्टी का एक घड़ा लेते हैं, तो उसे ठोक-बजाकर लेते हैं, उसके गुण-दोषों को अच्छी तरह देखकर ही लेते हैं, परन्तु युवा लोग किसी को मित्र बनाने में न उसके पहले के व्यवहार,
आचरण या इतिहास को देखते हैं, न उसके स्वभाव आदि पर सही ढंग से विचार करते हैं और न इन सब बातों की गहराई में जाते हैं। वे उसमें सब बातें अच्छी-ही-अच्छी मानकर सहसा उस पर विश्वास कर लेते हैं। वे यही देखते इसका चेहरा हँसमुख है, बातचीत का ढंग अच्छा है, चतुर-चालाक भी हैं, बस ये दो-चार बातें देखकर चटपट उसे अपना मित्र बना लेते हैं। आशय यह है कि मित्रता करने में कुछ सावधानी बरतने की जरूरत रहती है, परन्तु प्रायः युवा लोग ऐसी सावधानी कम ही बरतते हैं। ऐसी मित्रता आगे चलकर कमजोर या व्यवहारहीन हो जाती है।
(ख) मित्र का कर्त्तव्य इस प्रकार बताया गया है, “उच्च और महान कार्यों में इस प्रकार सहायता देना, मान बढ़ाना और साहस दिलाना कि तुम अपनी सामर्थ्य से बाहर काम कर जाओ।” यह कर्त्तव्य उसी से पूरा होगा, जो दृढ़ चित्त और सत्य संकल्प का हो। इससे हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो। हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना चाहिए, जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था।
प्रसंग – यह गद्यांश ‘मित्रता’ शीर्षक पाठ से लिया गया है।। इसके लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं। इसमें मित्र के कर्त्तव्य के सम्बन्ध में बताया गया है।
व्याख्या – मित्र का क्या कर्त्तव्य है, इस सम्बन्ध में लेखक बताता है कि वह अपने मित्र के उच्च और महान कार्यों में इस तरह सहायता दे, उसका उत्साह बढ़ावे, उसका साहस और विश्वास बढ़ावे कि अपनी सामर्थ्य से बढ़कर तुम अपना काम कर सको तथा इसमें सफल बनो।
लेखक बताता है कि यह कर्त्तव्य वही मित्र पूरा कर सकता है, जो दृढ़ हृदय वाला और सच्चे संकल्प वाला होगा। अतः सदा ऐसे मित्रों की खोज करनी चाहिए, अर्थात् ऐसे लोगों को अपना मित्र बनाना चाहिए, जिनमें हमसे अधिक आत्मबल अर्थात् आन्तरिक शक्ति हो, विचारों की दृढ़ता हो। हमें ऐसे शक्तिशाली लोगों का ही पल्ला पकड़ना चाहिए, उनसे ही मित्रता करनी चाहिए। जिस प्रकार सुग्रीव ने अपने से अधिक बलशाली एवं तेजस्वी श्रीराम से मित्रता का हाथ बढ़ाया था, उसी प्रकार हमें भी समर्थ लोगों से मित्रता बनानी चाहिए।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों से हमें दृढ़ करेंगे, दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएँगे, हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साह होंगे, तब हमें उत्साहित करेंगे। सारांश यह है कि हमें उत्तमतापूर्वक जीवन-निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंगे।
प्रश्न – (क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(ख) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(ग) सच्ची मित्रता की क्या विशेषता होती है?
(घ) विश्वासपात्र मित्र को ‘औषध’ क्यों बताया गया है?
उत्तर:
(क) यह गद्यांश ‘मित्रता’ शीर्षक पाठ से लिया गया है।
(ख) मर्यादा = सीमा, नीतियक्त। हतोत्साह = जिसमें उत्साह न रहे।
(ग) सच्ची मित्रता की यह विशेषता होती है कि वह उत्तम वैद्य की तरह बड़ी चतुराई और परख से सारे दोषों को मिटा देती है।
(घ) औषध से रोग शान्त हो जाते हैं, इसी प्रकार विश्वासपात्र मित्र के द्वारा सारी कमियाँ दूर होकर चरित्र उज्ज्वल बनता
(ख) जब एक बार मनुष्य अपना पैर कीचड़ में डाल देता है, तब यह नहीं देखता कि वह कहाँ और कैसी जगह पैर रखता है। धीरे-धीरे उन बुरी बातों में अभ्यस्त होते-होते तुम्हारी घृणा कम हो जाएगी। पीछे तुम्हें उनसे चिढ़ न मालूम होगी, क्योंकि तुम यह सोचने लगोगे कि चिढ़ने की बात ही क्या है। तुम्हारा विवेक कुण्ठित हो जाएगा और तुम्हें भले-बुरे की पहचान न रह जाएगी।
प्रश्न – (क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(ख) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(ग) किनसे चिढ़ नहीं होती है और क्यों?
(घ) भले-बुरे की पहचान कब नहीं रहती है?
उत्तर:
(क) यह गद्यांश ‘मित्रता’ शीर्षक पाठ से लिया गया है।
(ख) अभ्यस्त = आदी। विवेक = अच्छे-बुरे का ज्ञान।
(ग) बुरे लोगों से मेल-जोल रखने से बुरी बातें सुनकर चिढ़ नहीं होती है, क्योंकि वे तब उन बुरी बातों के अभ्यस्त हो जाते हैं।
(घ) जब व्यक्ति की भले-बुरे को परखने की बुद्धि कमजोर पड़ जाती है, अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं रहता है, तब यह स्थिति आती है।
पाठ-परिचय:
‘मित्रता’ पाठ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित निबन्ध है। इसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि जीवन में मित्रता एवं जान-पहचान बढ़ानी चाहिए, परन्तु सदा अच्छे आचरण वालों से मित्रता रखनी चाहिए। गलत लोगों से मित्रता रखने से हानि उठानी पड़ती है।
कठिन-शब्दार्थ:
एकान्त = केवल एक, अकेला। परिणत = बदल जाना। अपरिमार्जित = साफ-सुधरे नहीं हुए। अपरिपक्व = कच्चे। विवेक = अच्छे-बुरे की पहचान। अनुसंधान = खोज, चिन्तन। सुगम = आसान। आत्मशिक्षा = स्वयं को शिक्षित करना। औषध = दवा। हतोत्साह = उत्साह से रहित । धुन = लगन। खिन्नता = दु:ख। मधुरता = मिठास। उद्गार = हृदय के विचार। कल्पित = सोचे गये। आदर्श = उच्च विचार। संग्राम = युद्ध।
पथ-प्रदर्शक = रास्ता दिखाने वाला। प्रकृति = स्वभाव, आदत। प्रतिष्ठित = इज्जत वाला। मृदुल = कोमल। शिष्ट = सभ्य। निष्कलंक = बेदाग, निर्दोष। सत्यनिष्ठ = एकदम सच्चा। थियेटर = नाटकघर या सिनेमा घर। सद्वृत्ति = अच्छा आचरण। अवनति = पतन, नीचे गिरना। आध्यात्मिक = आत्मा से सम्बन्धित। अश्लील = गन्दी। अभ्यस्त = आदी होना। कुण्ठित = दब जाना, कमजोर होना। सयानो = समझदार। लीक = लकीर।