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Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठ से
उच्चारण के लिए –
प्रश्न 1.
अरावली पर्वतमाला का जन्म कौनसे युग में हुआ?
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला का जन्म पुरा केंब्रियन युग में हुआ।
प्रश्न 2.
अरावली पर्वतमाला की ऊँचाई क्यों घट रही है?
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला में घर्षण व खनन होने से इसकी ऊँचाई घट रही है।
प्रश्न 3.
‘आडावल’ किस भाषा का शब्द है?
उत्तर:
‘आड़ावल’ शब्द राजस्थानी भाषा का है।
लिखें –
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
गुरुशिखर किस जिले में स्थित है –
(क) दूंगरपुर
(ख) सिरोही
(ग) उदयपुर
(घ) जालौर।
उत्तर:
(ख) सिरोही
प्रश्न 2.
खनिजों का अजायबघर कहलाता है –
(क) राजस्थान
(ख) गुजरात
(ग) पंजाब
(घ) हरियाणा।
उत्तर:
(क) राजस्थान
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ताजमहल का निर्माण किस पत्थर से हुआ है?
उत्तर:
ताजमहल का निर्माण मकराना के सफेद संगमरमर पत्थर से हआ है।
प्रश्न 2.
जरगा पहाड़ियों की ऊँचाई कितनी है?
उत्तर:
उदयपुर के निकट जरगा पहाड़ियों की ऊँचाई 1431 मीटर है।
प्रश्न 3.
अरावली की चौड़ाई तथा ऊँचाई किस दिशा में अधिक है?
उत्तर:
अरावली की चौड़ाई तथा ऊँचाई दक्षिण दिशा में अधिक है।
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अरावली का प्राचीन नाम ‘आड़ावल’ क्यों पड़ा?
उत्तर:
अरावली का प्राचीन नाम ‘आड़ावल’ इसलिए पड़ा कि इस पर्वतमाला में आड़े चट्टानों के घेरे हैं। यह चट्टानों के आड़े वलयों से बना है। इन ‘आड़े वलय’ को ही राजस्थानी ‘आड़ावल’ कहा गया। वैसे इसका मूल नाम आर्यों की अवली या घाटी था।
प्रश्न 2.
दक्षिणी अरावली का विस्तार कौन-कौनसे जिलों में है?
उत्तर:
दक्षिणी अरावली का विस्तार खेड़ब्रह्म से लेकर दक्षिणी राजस्थान के कई जिलों में है। डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़ तथा प्रतापगढ़ जिले में इसका विस्तार अधिक है। अर्थात् ये जिले अरावली के विस्तार के प्रमुख क्षेत्र हैं।
प्रश्न 3.
अरावली पर्वत में कौनसे खनिज मिलते हैं?
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला में लोहा, जस्ता, ताँबा, चाँदी, कोयला, एस्बेस्टस, टंगस्टन आदि अनेक खनिज मिलते हैं। इसी प्रकार ग्रेनाइट, काले, लाल, पीले और सफेद संगमरमर के अलावा चूना-पत्थर सर्वाधिक मात्रा में मिलता है।
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अरावली क्या देखकर प्रसन्न होती थी? पाठ के आधार पर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन समय में अरावली पर्वतमाला वाले क्षेत्र में सघन वन थे। उनमें अनेक चिड़ियाएँ चहकती थीं तथा मोर नाचते थे। वहाँ पर शेरों की बहुतायत थी, उनकी दहाड़ें सुनी जाती थीं। हरिणों के झुण्ड कुलाचे भरते थे। उस समय सारा क्षेत्र प्राकृतिक सुन्दरता और हरियाली से भरा रहता था। पर्वतमाला के मध्य में अनेक तीर्थस्थल और मनोरम स्थान थे। उस समय को लेकर अरावली कहती है कि तब मैं कितनी प्रफुल्ल रहती थी और कितनी आनन्द की अनुभूति होती थी, इसका आप अनुमान नहीं लगा सकते।
प्रश्न 2.
“किन्तु मित्रो! मेरे मन में एक पीड़ा है।” अरावली पर्वतमाला की पीड़ा को विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला में अनेक खनिज पदार्थ मिलते हैं। यहाँ पर जस्ता, ताँबा, चाँदी, टंगस्टन आदि खनिजों की खुदाई की जा रही है। यहाँ पर संगमरमर की हजारों खाने हैं, जहाँ से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में इमारती पत्थर निकाला। जाता है। इसी प्रकार सीमेंट के कारखानों के लिए चूनापत्थर भी बड़ी मात्रा में निकाला जाता है। भवनों, कारखानों एवं सड़कों को बनाने के लिए अरावली की धरती की खुदाई लगातार की जा रही है। दिन-रात पर्वतों को काटा। जा रहा है, चट्टानों को तोड़ा जा रहा है, रेत-मिट्टी भी खोदी जा रही है। इससे अरावली का भूभाग खोखला हो रहा है। इसी बात को लेकर अरावली के मन में पीड़ा है।
भाषा की बात –
प्रश्न 1.
चिड़ियाएँ चहकती हैं। शेर दहाड़ते हैं। इसी प्रकार अन्य पशु-पक्षियों की आवाजों को क्या कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
कौआ – काँव-काँव। मोर – केकारव। कोयल – कुहु-कुहु। सारस – टें – टें। जंगली भैंसे – रंभाना आदि।
प्रश्न 2.
पाठ में आये व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्दों कछाँटिए।
उत्तर:
अरावली, आग्नेय, आडावल, भारत, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, खेड़ब्रह्म, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़, प्रतापगढ़, गुरुशिखर, राजसमन्द, भीलवाड़ा, अजमेर, पाली, सागवान, शीशम, नीम, आम, सागवाड़ा, आबू, रणथम्भौर, सरिस्का, सीकर, जयपुर, संगमरमर, ताजमहल, हथौड़े, कुल्हाड़ी आदि।
प्रश्न 3.
‘यहाँ बहने वाली हवाओं ने यह मेरे कान में कहा है।’ हवा का कान में कहना भाषा का विशिष्ट प्रयोग है। प्राकृतिक उपादानों को लेकर ऐसे ही कुछ अन्य वाक्य बनाइए।
उत्तर:
- अरावली पर्वतमाला अपना दुःख प्रकट करती है।
- यहाँ की रेतीली धरती हमसे पानी माँगती है।
- हरी-भरी वनावली को देखकर धरती प्रसन्न होती है।
- यहाँ की पहाड़ियाँ हमारे मार्ग को रोकती हैं।
- खेजड़ी का वृक्ष हमें देखकर रोता है।
प्रश्न 4.
इस पाठ में हिन्दी भाषा के साथ अंग्रेजी, राजस्थानी तथा उर्दू के शब्द भी आए हैं; जैसे-‘जमाना’ उर्दू भाषा का शब्द है। ऐसी ही उर्दू, अंग्रेजी तथा राजस्थानी के शब्द छाँटिए व सूची बनाइए।
उत्तर:
राजस्थानी के शब्द-आड़ावल। अंग्रेजी के शब्द-आर्यान वैली, किलोमीटर, मीटर, टंगस्टन, एस्बेस्टस, ग्रेनाइट। उर्दू के शब्द-जिला, निकट, शायद, बहुतायत, जस्ता।
पाठ से आगे –
प्रश्न 1.
‘अरावली की आत्मकथा’ में आपने पढ़ा कि अन्धे स्वार्थ के कारण आज पहाड़ों का प्राकृतिक सौन्दर्य नष्ट हो रहा है। पहाड़ों के प्राकृतिक सन्तुलन को बिगड़ने से बचाने के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
हम अरावली के प्राकृतिक सन्तुलन को बचाये रखने के लिए ये उपाय या कार्य कर सकते हैं –
- अरावली के गर्भ से खनिजों का खनन वैज्ञानिक ढंग से किया जा सकता है।
- भूगर्भ के खनन पर कुछ सीमा तक रोक लगाई जा सकती है।
- अरावली पर्वतमाला में अधिक से अधिक वृक्ष रोपने का काम और हरियाली बढ़ाने का काम किया जा सकता है।
- प्राकृतिक क्षेत्रों के विस्तार के उपाय किये जा सकते
प्रश्न 2.
आदिवासी समाज प्रकृति के अत्यन्त समीप रहा है।। आदिवासियों ने प्रकृति को बचाने में कैसे मदद की है?
उत्तर:
आदिवासी लोग पेड़ों को समूल नहीं काटते हैं। खनन भी सीमित मात्रा में करते हैं। वे जल के स्रोत की सुरक्षा और वर्षा के जल के भण्डारण की पुरानी तकनीक अपनाते हैं। वे काला हिरण, मोर आदि को नहीं मारते हैं।। इस तरह उन्होंने प्रकृति को बचाने में मदद की है। शिक्षक के लिएबच्चों को 3 या 6 समूह में बाँटें। उन्हें नीचे लिखे अनुसार कार्य बाँटें।
प्रश्न 3.
(1) अरावली पर्वतमाला किन-किन राज्यों में फैला हुआ है? लिखिए।
(2) अरावली पर्वतमाला की गोद में बसे शहरों के नाम लिखिए।
(3) अरावली पर्वतमाला में बने अभयारण्य व उनकी विशेषताएँ लिखिए। अब इन्हें मानचित्र में दिखाते हुए प्रस्तुत कराएँ।
उत्तर:
नोट – मानचित्र बनाकर लिखें।
(1) अरावली पर्वतमाला गुजरात, राजस्थान, हरियाणा एवं दिल्ली राज्यों में।
(2) अरावली पर्वतमाला की गोद में बसे शहर – डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, प्रतापगढ़, पाली, ब्यावर, अजमेर, जयपुर, अलवर, सीकर, भीलवाड़ा, राजसमन्द।
(3) आबू अभयारण्य, कुम्भलगढ़ अभयारण्य, रणथम्भौर, सरिस्का अभयारण्य और घना पक्षी विहार। ये सभी अभयारण्य अरावली पर्वतमाला की गोद में तथा घने जंगलों से घिरे हुए हैं। यहाँ जंगली जीवों के लिए पानी आदि की उचित व्यवस्था भी है और पर्यटकों के घूमने की सुविधा
यह भी करें –
प्रश्न 1.
आपने ‘अरावली की आत्मकथा’ पढ़ी।आत्मकथा हिन्दी की एक महत्त्वपूर्ण विधा है जिसमें लेखक स्वयं अपनी कहानी कहता है। आप भी अपने बारे में कुछ लिखकर कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
शिक्षक की सहायता से स्वयं लिखकर सुनाइए।
प्रश्न 2.
अरावली से जुड़ी कोई कविता तलाशिए और भित्ति पत्रिका में प्रकाशन हेतु शिक्षक / शिक्षिका को दीजिए।
उत्तर:
शिक्षक / शिक्षिका की सहायता लीजिए।
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
अरावली पर्वतमाला का शरीर कैसी चट्टानों से बना है?
(क) गैरिक
(ख) आग्नेय
(ग) क्षारीय
(घ) जलीय।
उत्तर:
(ख) आग्नेय
प्रश्न 2.
‘आडावल’ शब्द किनके मुख से सुना जाता था?
(क) आर्यों के
(ख) अंग्रेजों के
(ग) आदिवासियों के
(घ) आदिमानवों के।
उत्तर:
(ग) आदिवासियों के
प्रश्न 3.
अरावली पर्वतमाला का दक्षिणी भाग कहाँ से |शुरू होता है?
(क) सिरोही से
(ख) डूंगरपुर से
(ग) सागवाड़ा से
(घ) खेड़ब्रह्म से।
उत्तर:
(घ) खेड़ब्रह्म से।
प्रश्न 4.
गुरुशिखर की ऊँचाई है –
(क) 1722 मीटर
(ख) 1522 मीटर
(ग) 700 मीटर
(घ) 400 मीटर।
उत्तर:
(क) 1722 मीटर
प्रश्न 5.
ताजमहल कहाँ के संगमरमर से बना है?
(क) राजसमन्द के
(ख) मकराना के
(ग) किशनगढ़ के
(घ) फतेहपुर के।
उत्तर:
(ख) मकराना के
रिक्त स्थानों की पूर्ति
प्रश्न 6.
निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिये गये सही शब्दों से कीजिए –
(क) बाँसवाड़ा में किसी जमाने में ………. अधिक होते (बेंत / बाँस)
(ख) सभी रमणीय स्थानों को …………. स्थल बना दिया (तीर्थ / पर्यटन)
(ग) राजस्थान को खनिजों का………..कहा जाता है। (अजायबघर / भण्डारघर)
(घ) प्रकृति के साथ होते इस ……. को रोको। (न्याय / अन्याय)
उत्तर:
(क) बाँस
(ख) पर्यटन
(ग) अजायबघर
(घ) अन्याय।
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 7.
धरती का घूर्णन तथा घर्षण किसे कहते हैं?
उत्तर;
जब पृथ्वी अन्तरिक्ष के अक्ष में घूमती है तो उसे घूर्णन और अपने कक्ष में घूमती है तो घर्षण कहते हैं।
प्रश्न 8.
अरावली शब्द किससे बना है?
उत्तर:
अरावली शब्द राजस्थानी भाषा के ‘आडावल’ तथा अंग्रेजी के ‘आर्यान वैली’ से बना है।
प्रश्न 9.
अरावली का विस्तार कहाँ से कहाँ तक है?
उत्तर:
अरावली का विस्तार गुजरात के खेड़ब्रह्म से दिल्ली की सीमा तक है।
प्रश्न 10.
अरावली पर्वतमाला की दक्षिण से उत्तर तक कितनी लम्बाई है?
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला की दक्षिण से उत्तर तक कुल लम्बाई 692 किलोमीटर है।
प्रश्न 11.
अरावली पर्वतमाला के प्रमुख क्षेत्र कौनसे हैं?
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला के प्रमुख क्षेत्र डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले हैं।
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
अरावली के भौतिक स्वरूप का परिचय दीजिए।
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला गुजरात के खेडब्रह्म से दिल्ली तक फैली हुई है। मध्य भाग में इसकी चौड़ाई तथा ऊँचाई अधिक है। अध्ययन सुविधा की दृष्टि से इसे दक्षिणी अरावली, मध्य अरावली तथा उत्तरी अरावली कह सकते हैं। इसकी सबसे ऊँची चोटी आबू पर्वत पर गुरुशिखर है जो कि सिरोही जिले में स्थित है।
प्रश्न 13.
अरावली का मध्य एवं उत्तरी क्षेत्र किसे कहते
उत्तर:
उदयपुर से उत्तर की ओर राजसमन्द, भीलवाड़ा, अजमेर तथा पाली जिलों में फैली हुई अरावली पर्वतमाला को मध्य क्षेत्र कहते हैं। अजमेर से आगे जयपुर, अलवर और हरियाणा से दिल्ली तक की पर्वतमाला को अरावली का उत्तरी क्षेत्र कहते हैं।
प्रश्न 14.
अरावली पर्वतमाला का प्राकृतिक सन्तुलन क्यों बिगड़ रहा है?
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला से वृक्ष काटे जा रहे हैं, इमारती पत्थरों का बड़ी मात्रा में खनन हो रहा है। इसके आसपास खनिज पदार्थों के आधार पर बड़े-बड़े कारखाने खड़े किये जा रहे हैं। इससे वन्य जीवों का जीना कठिन हो गया है। प्रदूषण बड़ी मात्रा में फैल रहा है। इससे प्राकृतिक सौन्दर्य नष्ट हो रहा है और उसका सन्तुलन बिगड़ रहा है।
प्रश्न 15.
राजस्थान में किसके कारखाने सर्वाधिक हैं और क्यों?
उत्तर:
राजस्थान में चूना पत्थर के भण्डार हैं। इससे सीमेंट बनता है। इस कारण राजस्थान में सीमेंट के सर्वाधिक कारखाने हैं। अरावली के दक्षिण एवं मध्य क्षेत्र में ऐसे कारखाने स्थापित हैं। इनके साथ ही संगमरमर खनन से सम्बन्धित उद्योग भी बड़ी मात्रा में चल रहे हैं।
RBSE Class 7 Hindi अरावली की आत्मकथा निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
“यह प्रलय को निमन्त्रण है।” किसे प्रलय के लिए निमन्त्रण बताया गया है?
उत्तर:
वर्तमान काल में अरावली पर्वतमाला में दिन-रात पत्थर निकाला जा रहा है। बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हो रहे हैं और नयी बस्तियाँ बसाई जा रही हैं। इनके कारण जंगल काटे जा रहे हैं, सड़कें बनायी जा रही हैं और वन्य जीवों का जीना मुश्किल हो रहा है। इस तरह पर्यावरण को बिगाड़ा जा रहा है, प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ रहा है। प्रदूषण के फैलने से प्राकृतिक सौन्दर्य भी नष्ट हो रहा है। हरीभरी अरावली पहाड़ियाँ एकदम नंगी हो गई हैं। यह सब धरती पर प्रलय अर्थात् महाविनाश को निमन्त्रण देना जैसा है।
प्रश्न 17.
“मुझे भाग्य पर गर्व रहा है।” अरावली ने किस कारण ऐसा कहा?
उत्तर:
अरावली पर्वतमाला को प्रकृति ने खनिज सम्पदा से समृद्ध बनाया है। यहाँ पर धरती के गर्भ में चाँदी, जस्ता, लोहा, ताँबा, टंगस्टन आदि कीमती खनिज पदार्थ भरे पड़े हैं। अरावली की चट्टानों से सुन्दर इमारती पत्थर निकलता है। सीमेंट के कारखानों के लिए चना-पत्थर निकलता है। संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थर तो अनेक रंगों में बड़ी मात्रा में पाया जाता है। अच्छी किस्म का संगमरमर तो बाहर भी भेजा जाता है। इस प्रकार अरावली पर्वतमाला का भाग खनिज पदार्थों का भण्डार है। इससे राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है। इसी बात से अरावली ने अपने भाग्य पर गर्व प्रकट किया है।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए मेरा शरीर आग्नेय चट्टानों के आड़े वलय से बना है। अतः मुझे आड़ावल’ कहा जाता है। यह राजस्थानी भाषा का शब्द मुझे बहुत प्रिय है। क्योंकि मानव सभ्यता के आदिकाल में मैंने यह शब्द आदिवासियों के मुख से सुना था। यह बहुत प्राचीन शब्द है। उस समय आदिमानव की भाषा विकसित हो रही थी। मुझे आज आप अरावली कहते हो।
प्रसंग – यह गद्यांश ‘अरावली की आत्मकथा’ से लिया गया है। इस आत्मकथा के लेखक शिव मृदुल हैं। इसमें अरावली के नामकरण का वर्णन है।
व्याख्या – अरावली पर्वतमाला स्वयं अपने मुख से अपनी कथा कहती है कि मेरा शरीर आग्नेय चट्टानों के आड़े घेरों से बना है।
आड़े घेरों के पहाड़ों के कारण ही मुझे ‘आडावल’ कहा जाता है। ‘आड़ावल’ शब्द राजस्थानी भाषा का है। यह शब्द अर्थात् मेरा यह नाम वाला शब्द मुझे अधिक प्रिय है। राजस्थान की धरती पर आदिकाल से जो लोग रहने लगे, उन्हें ही आदिवासी कहा जाता है। उन आदिवासियों के द्वारा ‘आडावल’ नाम का प्रयोग मानव सभ्यता के काल से ही किया जा रहा है। इस कारण यह शब्द काफी प्राचीन है। उस आदिकाल में मानव सभ्यता का विकास हो रहा था और आदिमानव की भाषा विकसित हो रही थी। वर्तमान में आडावल को लोग अरावली कहते हैं। यही मेरा नया नाम है।
प्रश्न 19.
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) उस समय मैं कितना प्रफुल्ल था, आप अनुमान नहीं लगा सकते। उस आनंद की अनुभूति में ही तो आपने मेरे क्षेत्र के आबू, कुंभलगढ़, रणथम्भौर, सरिस्का आदि क्षेत्रों को अभयारण्य घोषित किया है। घना पक्षी विहार’ तो मेरे प्रांगण के प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चाँद लगाता है। यहाँ सर्दी की ऋतु में विदेशों से पक्षी आते हैं।
प्रश्न – (क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(ख) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(ग) “घना पक्षी विहार’ कहाँ पर स्थित है?
(घ) ‘उस समय मैं कितना प्रफुल्ल था’-यह किस समय के लिए कहा गया है?
उत्तर:
(क) यह गद्यांश ‘अरावली की आत्मकथा’ पाठ से लिया गया है।
(ख) प्रफुल्ल = खुश, प्रसन्न। अभयारण्य = वह वन-क्षेत्र जहाँ पर पशु – पक्षी निर्भय रहते हैं।
(ग) ‘घना पक्षी विहार’ राजस्थान में भरतपुर के पास है।
(घ) जब अरावली पर्वत का भूभाग हरा-भरा था। वहाँ पर शेर, हरिण आदि जंगली जीव बड़ी मात्रा में निर्भय रहते थे और प्राकृतिक सौन्दर्य भरपूर था, उसी प्राचीन समय के लिए कहा गया है।
(ख) सारा प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ रहा है। यह प्रलय को निमन्त्रण है दोस्तो! कहाँ गया है आपका विवेक? ऐसा न हो कि मेरा हरा-भरा प्रांगण रेगिस्तान में बदल जाए! रोको, प्रकृति के साथ होते इस अन्याय को रोको। आप स्वयं के पाँवों पर कुल्हाड़ी मत मारो। वरना एक दिन आपको पछताना पड़ेगा।
प्रश्न – (क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(ख) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(ग) प्राकृतिक सन्तुलन कैसे बिगड़ रहा है?
(घ) यह किसका कथन है?
उत्तर:
(क) यह गद्यांश ‘अरावली की आत्मकथा’ पाठ से लिया गया है।
(ख) प्रलय = महाविनाश विवेक = भले-बुरे को परखने की बुद्धि या ज्ञान।
(ग) अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है, धरती को उजाड़ा जा रहा है। इससे प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ रहा है।
(घ) यह अरावली पर्वत का कथन है।
पाठ-परिचय:
इस पाठ के लेखक शिव मृदुल हैं। इसमें अरावली स्वयं आत्मकथा कह रही है कि मेरा शरीर कब बना, मेरा आकार कितना फैला हुआ है और मेरी धरती से क्या-क्या खनिज मिलता है। इसमें समूचे राजस्थान का संक्षिप्त परिचय दिया गया है।
कठिन-शब्दार्थ:
पर्वतमाला = पर्वतों की कतार। प्रतिपल = हर क्षण। अक्ष = केन्द्रीय स्थान, धुरी। घूर्णन = घूमना । घर्षण = रगड़ खाना । आग्नेय = अग्नि से सम्बन्धित । वलय = घेरा, कंकण । सघन = घना। झुण्ड = समूह । प्रफुल्ल = प्रसन्न, खुश। कुलाँचें भरना = आनन्दमग्न होकर छलाँग लगाना। भव्य = विशाल। निर्यात = व्यापार द्वारा वस्तुएँ बाहर भेजना। रमणीय = सुन्दर। प्रलय = महाविनाश। निमन्त्रण = बुलावा। आपत्ति = एतराज, विपदा। बहुतायत = अधिकता, अधिक मात्रा में। अभयारण्य = भय से रहित वन-भाग। खनिज = जमीन के अन्दर से निकलने वाला पदार्थ । नवाजा = शोभा बढ़ाना।