RBSE Solutions for Class 6 Hindi
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 1 हे मातृभूमि! हमको वर दो
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
सोचें और बताएँ –
प्रश्न 1.
‘लकीर का फकीर’ बनने से क्या आशय है?
उत्तर:
पुरानी गलत विचारधारा, रूढ़िवादी परम्परा और रीति रिवाजों का अन्धानुकरण करना।।
प्रश्न 2.
हम वीरानों को चमन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
हम वीरानों को ज्ञान, प्रेम, सहयोग और अपनत्व प्रदान कर खुशहाली से भर सकते हैं।
प्रश्न 3.
दूसरों के दुःख को दूर करने के लिए हम क्याक्या कर सकते हैं?
उत्तर:
दूसरों के दुःख को दूर करने के लिए हम उनके दुःख को अपना दुःख समझकर उनका हर तरह से सहयोग कर सकते हैं। ईश्वर से उनकी भलाई की प्रार्थना कर सकते हैं।
लिखें
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि वर माँग रहा है –
(क) भगवान से
(ख) संन्यासी से
(ग) मातृभूमि से
(घ) आकाश से।
उत्तर:
(ग) मातृभूमि से
प्रश्न 2.
कवि जग रूपी बगिया से चुनना चाहता है –
(क) कंकड़-पत्थर
(ख) सार-सुमन
(ग) सोना-चाँदी
(घ) हीरे-मोती।
उत्तर:
(ख) सार-सुमन
निम्नलिखित शब्दों में से उचित शब्द छाँटकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(सपन, सतपथ, शिखरों)
- विघ्नों से कभी न घबराएँ. को कभी न छोड़ें हम।
- हम रुकें नहीं, हम झुकें नहीं, गिरि …….. पर चढ़ते जाएँ।
- क्यों बनें फकीर लकीरों के, नित नए …….. बुनना सीखें।
उत्तर:
- सत्पथ
- शिखरों
- सपन।
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जीवन में विघ्न आने पर क्या करना चाहिए?
उत्तर:
जीवन में विघ्न आने पर घबराना नहीं चाहिए और किसी भी स्थिति में सत्पथ नहीं छोड़ना चाहिए। पूरी हिम्मत से बाधाओं का सामना करना चाहिए।
प्रश्न 2.
कवि मातृभूमि से क्या वरदान माँगता है ?
उत्तर:
कवि मातृभूमि से वरदान माँगता है कि हम संसार में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति में अपनापन देखें और विश्व कल्याण में अपना योगदान देवें।
प्रश्न 3.
‘गूगों को स्वर देने’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
गूगों को स्वर देने से कवि का आशय है कि जो भी जन किसी भी कारण से असहाय, निराश और हताश है, उसको सहयोग और अपनत्व प्रदान कर उनमें अपनी बात सही ढंग से कहने की क्षमता पैदा कर सकें।
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बाधाओं का रुख हम कैसे मोड़ सकते हैं? लिखिए।
उत्तर:
इस संसार में जो व्यक्ति आता है, उसके सामने कई प्रकार की बाधाएँ आती हैं। जीवन-पथ पर आने वाली उन बाधाओं का रुख हम उनके कारणों को जानकर दृढ़ निश्चय | के साथ सत्पथ पर चलकर सकारात्मक ढंग से प्रयास करके मोड़ सकते हैं।
प्रश्न 2.
मन से विद्वेष मिटाने के लिए हमें क्या प्रयास करने चाहिए?
उत्तर:
मन से विद्वेष मिटाने के लिए हमें आपसी सहयोग, प्रेम और आत्मीय भाव से प्रयास करने चाहिए। इसके लिए हमें सभी लोगों में अपनापन देखना चाहिए तथा सभी के दुःखों को अपना दुःख मान कर उन्हें दूर करने में हाथ बँटना चाहिए व सभी के सुखों को अपना ही सुख मानना चाहिए।
प्रश्न 3.
पढ़ने-लिखने के साथ ‘गुनना’ क्यों जरूरी है?
उत्तर:
पढ़ने-लिखने से व्यक्ति में ज्ञान की वृद्धि तो हो जाती है लेकिन समझ अर्थात् व्यावहारिक ज्ञान की वृद्धि नहीं हो पाती है, इसलिए पढ़ाई-लिखाई का उचित उपयोग पठित ज्ञान को भली प्रकार समझकर उसे व्यावहारिक रूप में प्रयोग में लाना है। इसलिए पढ़ने-लिखने के साथ गुनना जरूरी है।
भाषा की बात –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़िए –
बुरा-अच्छा, वीरान-चमन, अपना-पराया, नए-पुराने। इन शब्द युग्मों के अर्थ में परस्पर विरोध प्रकट हो रहा है। ऐसे शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं। आप भी निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
चढ़ना – सुख
वरदान – सुंदर
आलोक
उत्तर:
शब्द – विलोम शब्द
चढ़ना – उतरना
सुख – दु:ख
वरदान – अभिशाप
सुंदर – असुन्दर, कुरूप
आलोक – अंधकार।
प्रश्न 2.
पाठ में धरती माता के लिए मातृभूमि शब्द का प्रयोग हुआ है अतः धरती व भूमि शब्द का एक ही अर्थ है अर्थात् एक ही वस्तु के अनेक नाम होते हैं, जिन्हें पर्यायवाची कहते हैं। आप भी निम्नलिखित –
शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
सुमन, चमन, गिरि
उत्तर:
शब्द – पर्यायवाची
सुमन – फूल, पुष्प
चमन – बाग, बगीचा
गिरि – पहाड़, पर्वत
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
पाठ में कवि मातृभूमि से वरदान माँग रहा है। आप जब प्रार्थना करते हो तो किससे वरदान माँगते हैं?
उत्तर:
प्रार्थना करते समय मैं परमेश्वर और माँ सरस्वती से वरदान माँगता हूँ।
प्रश्न 2.
आपके आस-पास अनेक ऐसे असहाय लोग हो सकते हैं जिनको मदद की आवश्यकता होती है। ऐसे पाँच कार्यों की सूची बनाइए जिनसे हम जरूरतमंद लोगों की सहायता कर सकते हैं।
उत्तर:
हम जरूरतमंद लोगों की निम्नलिखित कार्य करके सहायता कर सकते हैं –
- भूखे लोगों को भोजन देकर।
- बीमार लोगों को यथाशक्ति दवाइयाँ वितरण करके।
- गरीबों को सर्दियों में गर्म कपड़े व कंबल देकर।
- गरीब बच्चों को पाठ्यसामग्री देकर।
- गरीब बच्चों को स्कूल-पोशाक देकर।
यह भी करें –
प्रश्न 1.
इस कविता में कवि ने मातृभूमि के प्रति अपने अनुराग को अभिव्यक्त किया है। ऐसे ही भावों से भरी अन्य कविताओं का संकलन कर कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र / छात्रा अपने कक्षाध्यापक की सहायता से कविताओं का संकलन कर कक्षा में सुनाएँ।
प्रश्न 2.
आजादी की लड़ाई में देश के अनगिनत सपूतों ने मातृभूमि के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे पाँच देशभक्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पाँच देशभक्तों के नाम हैं –
- सुभाष चन्द्र बोस
- भगत सिंह
- चन्द्रशेखर आजाद’
- वीर सावरकर
- रामप्रसाद ‘बिस्मिल’।
यह भी जानें –
1. वाल्मीकि कृत ‘रामायण’ में कहा गया है ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ इसका अभिप्राय है कि माता एवं मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं। अच्छे विचारों व सत्कर्मों से मातृभूमि का मान बढ़ाया जा सकता है।
2. ये “बन्दर’ हमें कुछ संदेश दे रहे हैं। संदेशों की जानकारी कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के ये तीनों बन्दर हमें संदेश दे रहे हैं –
- बुरा न बोलो।
- बुरा न सुनो।
- बुरा न देखो।
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
पढ़-लिखकर हमें सीखना चाहिए –
(क) सुनना
(ख) गुनना
(ग) बुनना
(घ) कुछ नया करने की सोचना।
उत्तर:
(ख) गुनना
प्रश्न 2.
गाँधीजी के बन्दरों की शिक्षा का सन्देश नहीं है –
(क) बुरा न बोलना
(ख) बुरा न देखना
(ग) बुरा न सुनना
(घ) बुरा न मानना।
उत्तर:
(घ) बुरा न मानना।
प्रश्न 3.
हमें घबराना नहीं चाहिए –
(क) विघ्नों से
(ख) बाधाओं से
(ग) दुःखों से.
(घ) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी से।
प्रश्न 4.
‘सपन बुनना’ से अभिप्राय है –
(क) लकीर के फकीर बनना
(ख) सोते हुए सपने देखना
(ग) सच्चाई को समझना
(घ) चुनना।
उत्तर:
(घ) चुनना।
प्रश्न 5.
संसार को बताया गया है –
(क) सार-सुमन
(ख) आलोचक जगत
(ग) सुन्दर बगिया
(घ) मान मन्दिर।
उत्तर:
(घ) मान मन्दिर।
रिक्त स्थानों की पूर्ति –
प्रश्न 6.
उचित शब्द से रिक्त स्थानों की पूर्ति करें –
- हम रुकें नहीं, हम झुकें नहीं, गिरि शिखरों| पर …………”जाएँ। (चढ़ते / बढ़ते)
- बाधाओं पर बाधा आएँ, बाधाओं का रुख ………… हम। (छोड़ें / मोड़ें)
- क्यों बनें फकीर लकीरों के, नित नए सपन ……………सीखें। (बुनना / लिखना)
- पाकर आशीष तुम्हारा माँ, आलोक……….में हम भर दें। (गगन / जगत)
- अपनापन सब में देखें हम, मन से……….. मिटाएँ हम। (विद्वेष / क्लेश)
उत्तर:
- चढ़ते
- मोड़ें
- बुनना
- जगत
- विद्वेष
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 7.
विघ्नों को देखकर हमें क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर:
विघ्नों को देखकर हमें सत्पथ या सत्य के पथ को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
प्रश्न 8.
लकीर का फकीर बनने का क्या अर्थ है?
उत्तर:
लकीर का फकीर बनने का अर्थ है-पुरानी परम्पराओं एवं रूढ़ियों के अनुसार चलना।
प्रश्न 9.
हमें गाँधीजी की किन-किन शिक्षाओं का अनुकरण करना चाहिए?
उत्तर:
हम किसी से भी बुरा न बोलें, कभी बुरा न सुनें और बुरा न देखें।
प्रश्न 10.
हमें जीवन-पथ पर आने वाली कठिनाइयों को देखकर क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर:
हमें जीवन-पथ पर आने वाली कठिनाइयों को देखकर न रुकना चाहिए और न झकना चाहिए।
प्रश्न 11.
हम सबके दुःख-सुख में क्या करें?
उत्तर:
हम सबके दु:ख में हाथ बँटाएँ और सबके सुख को अपना सुख मानें।
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
आप मातृभूमि से क्या वरदान माँगना पसन्द करेंगे?
उत्तर:
हम पढ़-लिखकर मातृभूमि से वरदान माँगना पसन्द करेंगे कि हम जीवन में बाधाओं का बिना घबराये सामना करें, सत्य-मार्ग पर चलकर देश का मान-सम्मान बढ़ायें और कर्त्तव्य का पालन कर श्रेष्ठ नागरिक बनें।
प्रश्न 13.
यदि जीवन-पथ पर बाधाएँ आएँ तो हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
यदि हमारे जीवन-पथ पर बाधाएँ आएँ तो हमें घबराना नहीं चाहिए, न रुकना चाहिए और न उनके सामने झुकना चाहिए बल्कि साहस से उनका सामना कर बाधाओं की दिशाओं को बदल देना चाहिए।
RBSE Class 6 Hindi हे मातृभूमि! हमको वर दो निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 14.
कल्पना कीजिए कि आप एक बालिका हैं। आप अपनी मातृभूमि से प्रार्थना करते हुए क्या वरदान माँगना चाहेंगी?
उत्तर:
मैं मातृभूमि से प्रार्थना कर वरदान माँगना चाहूँगी कि मेरे देश की सभी बालिकाएँ पढ़-लिखकर सीता, सावित्री और गार्गी जैसी विदुषी बनें और भारतीय सांस्कृतिक गुणों से सम्पन्न हों। वे वीरांगना बनें, रूढ़िवादी न बनें। वे वैज्ञानिक साधनों का उपयोग करती हुई स्वावलम्बी बनें और भावी संतानों को पढ़ाने-लिखाने के साथ ही उन्हें देशभक्ति की शिक्षा दें।
पाठ-परिचय:
विद्यार्थी अपनी मातृभूमि से प्रार्थना करते हैं कि हम पढ़-लिख कर समझदारी का व्यवहार करते हुए जीवन में आगे बढ़ना सीखें । हम किसी के सामने न झुकें और न रुकें । जीवन-पथ में आने वाली बाधाओं से न घबराएँ और न सत्य का रास्ता कभी छोड़ें। हम लकीर के फकीर न बनकर अच्छे विचारों से पूरित होकर जीवन-पथ पर बढ़ते जाएँ और असहाय, निराश व हताश जनों के मन में उनका सहयोग कर खुशियाँ भर दें।
सप्रसंग व्याख्याएँ:
(1) हे मातृभूमि ! हमको वर दो ………. शिखरों पर चढ़ते जाएँ।
कठिन-शब्दार्थ:
मातृभूमि = जन्मभूमि, भारतमाता। वर = वरदान। गिरि = पहाड़। शिखर = चोटी।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘हे मातृभूमि! हमको वर दो’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसमें कवि या विद्यार्थी मातृभूमि से वरदान देने के लिए प्रार्थना करते हैं।
व्याख्या / भावार्थ – विद्यार्थी प्रार्थना कर रहे हैं कि हे मातृभूमि! (भारत माता) हमें ऐसा वरदान दो कि हम पढ़लिख कर, विचार कर व्यवहार करना सीखें। हम किसी से भी बुरा न बोलें, बुरा न देखें और बुरा न सुनें। हम खेल-खेल में पढ़ते जाएँ तथा पढ़ते-लिखते हुए हमेशा आगे बढ़ते जाएँ। हम जीवन-पथ पर आने वाली कठिनाइयों को देखकर कभी रुकें नहीं, कभी डर कर झुकें नहीं, बल्कि पर्वतों की चोटियों पर चढ़ते जाएँ, अर्थात् बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करें।
(2) विनों से कभी …………. हम गुनना सीखें॥
कठिन-शब्दार्थ:
विघ्न = बाधा। न घबराएँ = भयभीत न होवें। सत्पथ = अच्छा, सही रास्ता। रुख = रास्ता, दिशा। सपन = सपना। गुनना = समझना, विचार करना।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘हे मातृभूमि! हमको वर दो’ नामक कविता से ली गई हैं। यहाँ कवि या विद्यार्थी मातृभूमि से वरदान देने के लिए प्रार्थना करते हैं।
व्याख्या / भावार्थ – हे मातृभूमि भारत माता! हमें ऐसा वरदान दो कि हम जीवन-पथ पर आने वाली बाधाओं से कभी भयभीत न होवें और न ही कभी सन्मार्ग को अर्थात् सही और अच्छे रास्ते को छोड़ें।
हमारे जीवन-पथ पर चाहे कितनी बाधाओं पर बाधाएँ आएँ, हम घबराए बिना उनका मार्ग ही बदल दें। हम परम्परागत रूप से चली आ रही अनुपयोगी परम्पराओं का अनुसरण न करें बल्कि जीवन में प्रतिदिन कुछ नया कार्य करना सीखें। अर्थात् विकास के लिए प्रतिदिन नए स्वप्नों का ताना-बाना बनाएँ। हे मातृभूमि! हमें ऐसा वरदान दो कि हम पढ़-लिख कर विचार करना अर्थात् अच्छी तरह से समझकर व्यवहार करना सीखें।
(3) पाकर आशीष तुम्हारा माँ ………. हम गुनना सीखें।
कठिन-शब्दार्थ:
आशीष = आशीर्वाद। माँ = भारत माता। आलोक = प्रकाश। वीरान = उजाड़। चमन = बगीचा, खुशहाल। विद्वेष = ईर्ष्या। सुमन = फूल।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘हे मातृभूमि! हमको वर दो’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। यहाँ छात्र/छात्राएँ मातृभूमि से प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें सच्चे मानव बनने का वरदान दें।
व्याख्या / भावार्थ – हे मातृभूमि भारत माता ! तुम्हारा आशीर्वाद प्राप्त कर हम इस संसार को ज्ञान के प्रकाश से भर दें। हम उजाड़ भूमि को हरी-भरी कर दें अर्थात् खुशहाल बना दें। जो बोल नहीं पाते हैं अर्थात् जो असहाय, हताश, निराश हैं तथा जिनमें बोलने की ताकत नहीं है, जिनकी आवाज दबी है, उन्हें बोलना सिखा दें। हम आपसी ईर्ष्या-द्वेष की भावना को समाप्त करके सभी में अपनेपन का ही भाव देखें। दूसरों के दुःखों में हम हाथ बँटाएँ और दूसरों के सुखों को अपना सुख मानें।
हे मातृभूमि! हमें वरदान दो कि हम इस संसाररूपी बगिया से सार-सुमन अर्थात् गुणरूपी फूलों का चयन करना सीखें। साथ ही हम जो कुछ भी पढ़ें उसे अच्छी तरह से समझें और उससे अपना व मानव जीवन का कल्याण करें। हम पढ़-लिख कर समझदारी के साथ आगे बढ़ना सीखें।