RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 18 श्रम प्रभाविकी तथा भीतरी एवं बाहरी स्थानों की सज्जा

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 18 श्रम प्रभाविकी तथा भीतरी एवं बाहरी स्थानों की सज्जा Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Home Science Solutions Chapter 18 श्रम प्रभाविकी तथा भीतरी एवं बाहरी स्थानों की सज्जा

RBSE Class 12 Home Science श्रम प्रभाविकी तथा भीतरी एवं बाहरी स्थानों की सज्जा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
समाज को संवारने में आंतरिक डिजाइनर और लैंडस्केप डिजाइनर की भूमिका की जानकारी दीजिए। 
उत्तर:
समाज को संवारने में आंतरिक डिजाइनर की भूमिका
(1) व्यावसायिक स्थानों की सजा के लिए आंतरिक डिजाइनर की सेवाएं ली जाती हैं क्योंकि उससे भवन की छवि निखारने, कार्य करने के लिए सुव्यवस्थित स्थान प्रदान करके कार्य उत्पादकता बढ़ाने में सहायता मिलती है। यह उसके स्वामी और कर्मचारियों को एक विशिष्ट पहचान और आत्मगौरव की भावना प्रदान करता है।

(2) आवासीय और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निर्माण में आंतरिक डिजाइनर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि उसके पास जानकारी, विशेषज्ञता व मार्गदर्शन होता है, जिससे समय और बचत के संदर्भ में अनेक व्ययकारी त्रुटियों से बचा जा सकता है तथा वह भवन के मालिक या परिवार के लिए एक सुनियोजित, आरामदायक, सौंदर्यबोधक तथा आकर्षक घर निर्मित करता है।

(3) आंतरिक डिजाइनर वास्तुकारों, ठेकेदारों, सुपरवाइजरों और विभिन्न कारीगरों के साथ मिलकर काम करते हैं, ताकि परियोजना को सुचारु रूप से समय पर, निर्धारित बजट में पूरा किया जा सके।
(4) आंतरिक डिजाइनर ग्राहक की सुरक्षा, कार्यक्षमता और सुविधा से कोई समझौता किये बिना उपलब्ध स्थान का सर्वोत्तम उपयोग करते हैं। 
(5) वे व्यावसायिक खरीददारी के अनगिनत घंटों को कम कर सकते हैं क्योंकि वे ऐसे स्थानों की जानकारी रखते हैं, जहाँ ग्राहक की आवश्यकताओं और विभिन्न जलवायु उपक्षेत्रों के अनुकूल सामग्रियाँ मिल जाती हैं। 
(6) किसी स्थान को क्रियाशील, आकर्षक और संतोषजनक बनाने के लिए इंटीरियर डिजाइनर अपने काम में 'अर्गोनोमिक्स उपागम' का प्रयोग करते हैं। 

इस प्रकार एक आंतरिक डिजाइनर परियोजनाओं को डिजाइन करने का दायित्व लेता है। यह परियोजना कोई भवन हो सकता है अथवा ऐसी विद्यमान इमारतें हो सकती हैं, जिनका नवीनीकरण किया जा रहा हो, आवासीय अथवा व्यावसायिक परियोजनाएँ हो सकती हैं, जैसे-एयरपोर्ट, बैंक, आडिटोरियम आदि जिनका फर्श स्थान सूचकांक के अन्तर्गत विस्तार किया जा रहा हो। 

लैंडस्केप डिजाइनर की भूमिका
किसी भी परियोजना में लैंडस्केप डिजाइनर द्वारा किया गया सबसे महत्वपूर्ण योगदान भू-दृश्यीकरण के लिए विचारों का सृजन और छोटे या बड़े खुले स्थानों के सौंदर्यबोध को तकनीकी समझ और रचनात्मकता के साथ बढ़ाता है। इस क्षेत्र में वह निम्न प्रमुख भूमिकाएं निभाता है-

  • वह शहरी और ग्रामीण क्षेत्र, दोनों में डिजाइन करने से लेकर पार्क, बगीचे, आवासीय क्षेत्र से लेकर सिटी सेंटर के डिजाइन करता है, जिसमें खनन अथवा सड़क निर्माण द्वारा प्रभावित भूमि को सुधारना शामिल है। 
  • भू-दृश्य डिजाइनर अनेक परियोजनाओं, जैसे-शहरों में यातायात, द्वीपों के भू-दृश्यीकरण, बंगलों, विला, होटलों, आवासीय परिसरों और कार्यालय भवनों, अस्पतालों, शापिंग कॉम्पलेक्स/मॉल, सार्वजनिक पार्कों, विद्यालयों, विश्वविद्यालय परिसरों, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, सभागार जैसे सार्वजनिक स्थानों पर काम कर सकता है। 
  • अनेक मामलों में वह क्षतिग्रस्त भू-दृश्य जैसे भू-भरण स्थलों तथा खानों का पुनरुद्धार करके उन्हें आकर्षक और सुन्दर स्थानों में परिवर्तित कर देता है। 
  • पर्यावरणीय निम्नीकरण को रोकने और पारिस्थितिक दीर्घकालिता को समेकित करना भी भू-दृश्य डिजाइनर का एक महत्वपूर्ण सरोकार है। 
  • भू-दृश्य डिजाइनर जो मास्टर प्लान बनाता है, वह रचनात्मकता और कल्पनाशीलता से युक्त होता है। 
  • एक भू-दृश्य डिजाइनर, भू-दृश्य ठेकेदारों के साथ-साथ अन्य व्यावसायिकों, विशेष रूप से वास्तुकारों, योजनाकारों, पर्यावरणविदों और सर्वेक्षण तथा अभियांत्रिकी कार्यों में काम कर रहे लोगों के साथ मिलकर काम करता है। ऐसा करते समय वह भू-दृश्य डिजाइन को अनेक कारकों जैसे-जलवायु, सूक्ष्म जलवायु के प्रकार, स्थलाकृति और अभिविन्यास, स्थान की निकासी और भू-जल-पुनर्भरण, मृदा की गुणवत्ता के साथ-साथ मानव व्यवहार पर विचार करता है। 

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प्रश्न 2. 
डिजाइनरों की क्षमताओं पर विस्तार से चर्चा कीजिए। 
उत्तर:
डिजाइनरों की क्षमताएँ
डिजाइनर पेशे के लिए अपरिहार्य रूप से निम्न प्रमुख क्षमताओं का होना चाहिए-

  • उसमें प्रबल अभिरुचि के साथ ही सर्जनात्मक प्रतिभा होनी आवश्यक है। 
  • डिजाइनरों की सफलता ग्राहक को उनकी उम्मीद से बढ़कर आंतरिक सज्जा करके ग्राहक को संतुष्टि देने की क्षमता होना चाहिए। 
  • डिजाइनरों में अपनी कल्पनाशीलता और सर्जनात्मक प्रतिभा के उपयोग के साथ ही कुछ कौशल-कलात्मक, तकनीकी, अन्तर्वैयक्तिकता तथा प्रबंधीय कौशल होने चाहिए। 
  • डिजाइनरों को स्वप्रेरित होना चाहिए, विशेष रूप से जब कोई व्यक्ति स्वतंत्र रूप से डिजाइनर के रूप में काम करता है। 
  • डिजाइनिंग कलात्मक प्रतिभा और सर्जनात्मकता का सम्मिश्रण है। इसमें अनेक क्षेत्र समाविष्ट हैं, जैसे वास्तुकार, आंतरिक डिजाइनर, व्यावसायिक आंतरिक डिजाइनर, ग्राफिक डिजाइन, फैशन डिजाइन, पैकेजिंग डिजाइन आदि। 
  • उसमें अनेक व्यावहारिक कौशलों की प्रतिभा होनी चाहिए। इनमें भाषा, ग्राहक और व्यक्तिगत सेवा शामिल हैं। इससे व्यवसाय और प्रबंधन के सिद्धान्तों, कार्यनीति, आयोजना, संसाधन आवंटन, मानव संसाधन प्रतिरूपण, नेतृत्व तकनीकों, उत्पादन विधियों, जनशक्ति और संसाधनों के समन्वय की जानकारी मिलती है। 

प्रश्न 3. 
एक व्यावसायिक आंतरिक डिजाइनर बनने के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार की जानकारियों के बारे में बताइये। 
उत्तर:
एक व्यावसायिक आंतरिक डिजाइनर बनने के लिए निम्न प्रकार की जानकारियाँ होना आवश्यक है- 
(1) आंतरिक डिजाइनर के मौलिक सिद्धान्त-आंतरिक डिजाइन के मौलिक सिद्धान्त कला के सिद्धान्तों और तत्वों को समझने और आंतरिक डिजाइन में उनके उपयोग को समझने पर जोर देते हैं, जिससे किसी स्थान के आंतरिक डिजाइन को नया रूप प्रदान करके संतु और समन्वय प्राप्त किया जा सके। एक व्यावसायिक आंतरिक डिजाइनर हेतु इसकी जानकारी होना आवश्यक है।

(2) सामग्री और साज-सज्जा की जानकारी-एक व्यावसायिक आंतरिक डिजाइनर बनने के लिए उसमें डिजाइन के अनुसार विभिन्न सामग्रियों के आकार, माप, वजन, रंग और उपयोग में आसानी, उपयुक्त और सुरक्षित होने के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

(3) स्थान की योजना-आंतरिक डिजाइन के विद्यार्थी के रूप में विद्यार्थी डिजाइन किए जाने वाले आंतरिक स्थान में लोगों के व्यवहार का पता लगाते हैं कि किस प्रकार आंतरिक परिवेश लोगों को भावनात्मक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रभावित करता है। नक्शे की योजना उपयोगकर्ता समूह की आवश्यकताओं, किए जाने वाले काम की प्रकृति, कार्य की अवधि, मानव मितीय मापों (मानव शरीर के शारीरिक आयामों) आदि के आधार पर स्थान की आवश्यकता को ध्यान में रखकर बनाई जाती है।

विभिन्न शैलियों की जानकारी-जो लोग सेट डिजाइन अथवा सेवा-क्षेत्र डिजाइन में विशेषज होते हैं उनके लिए कुछ जानकारी और कौशल आवश्यक है, जिससे सेट के थीम अथवा रेस्तराँ या होटल डिजाइन के आधार पर ऐतिहासिक और समकालीन शैली को निर्मित किया जा सके। एक आंतरिक डिजाइनर के रूप में उसे अक्सर अनुसंधान करने की आवश्यकता होती है, ताकि उसे बदलते चलन और प्रवृत्तियों की जानकारी रहे।

(5) दृश्य प्रभाव-पाठ्यक्रम से हमें किसी स्थान की आंतरिक सज्जा की योजना बनाने के दौरान निर्मित होने वाले भिन्न प्रभावों के लिए अन्तर्दष्टि प्राप्त होगी। इंटीरियर डिजाइन में दृश्य प्रभावों के लिए ऑटोकैड, 3-डी मैक्स (त्रिविम) के कम्प्यूटर अनुप्रयोग से ग्राहक को उसके दृश्य प्रभाव दिखाने में डिजाइनर को सहायता मिलती है।

(6) सुरक्षा के नियम-उपयोगकर्ता की सुरक्षा को सुनिश्चित करना अनिवार्य है। आंतरिक डिजाइनर को लागू होने वाले नियमों की जानकारी होनी चाहिए तथा उसे उन नियमों के अनुसार कार्य करना चाहिए।

(7) प्रकाश व्यवस्था-एक व्यावसायिक आंतरिक डिजाइनर के रूप में आपको आंतरिक सज्जा में प्राकृतिक और कृत्रिम प्रकाश के प्रभाव की समझ होनी चाहिए। इसके साथ-साथ आपको बिजली की फिटिंग के चयन को प्रभावित करने वाले कारकों की भी जानकारी होनी चाहिए। एक अच्छे डिजाइनर के पास वांछित परिवेश प्रदान करने के लिए विद्युत अभिन्यास के लिए विवरण के साथ उसे लगाने के लिए उपयुक्त स्थान की योजना होनी चाहिए। प्रकाश स्रोत के सही स्थान पर न होने से सही रूप से देख पाने में कठिनाई होगी, इससे अरुचि और नीरसता पैदा होगी, जिससे कार्य उत्पादकता भी कम होती है। प्रकाश की योजना बनाने वाले, डिजाइन की जरूरतों के आधार पर विशेष प्रभाव भी पैदा करते हैं। 

(8) डिजाइन-डिजाइन तकनीकों, साधनों और यथार्थ तकनीकी योजनाओं के उत्पादन में शामिल सिद्धान्तों, नक्शों, मॉडलों और ड्राइंग आदि की जानकारी होना आवश्यक है। 

(9) भवन और निर्माण-उसे घरों, भवनों और अन्य इमारतों के निर्माण और मरम्मत में सम्मिलित सामग्रियों, विधियों और साधनों की जानकारी होनी आवश्यक है। 

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प्रश्न 4. 
अच्छा व्यावसायिक होने के लिए किसी आंतरिक डिजाइनर में कौन-कौन से कौशल होने चाहिए?
उत्तर:
अच्छा व्यावसायिक होने के लिए किसी भी आंतरिक डिजाइनर में निम्नलिखित कौशल होने चाहिए- 
(1) ग्राहक परियोजना रूपरेखा बनाने का कौशल-आंतरिक डिजाइनर में किसी स्थान के डिजाइन के लिए ग्राहकों से बातचीत करके, उनकी जीवन-शैली, आवश्यकताओं, प्रयोजनों, रुचियों, संभावित बजट तथा निर्मित स्थान के क्षेत्रफल को जानकर ग्राहक परियोजना रूपरेखा' बनाने के कौशल का होना अति आवश्यक है। आंतरिक डिजाइनर के कार्य का यह प्रथम चरण होता है।

(2) रचनात्मक होने, ड्राफ्ट बनाने तथा बातचीत के कौशलों में निपुण होना-एक आंतरिक डिजाइनर को रचनात्मक होना चाहिए और उसको ड्राफ्ट बनाने और बातचीत के कौशलों में निपुण होना चाहिए क्योंकि एक आंतरिक डिजाइनर को मिश्रित स्थान का नक्शा बनाना होता है जिसमें कमरों की लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई के विवरण, उसके अभिविन्यास और स्थान, दरवाजों और खिड़कियों के स्थान और उनके खुलने की दिशा, स्तंभों और बीम कड़ी की अवस्थिति, भवन निर्माता द्वारा बताए गए भीतरी अथवा बाहरी (भारवाही) दीवारों का वर्णन किया जाता है।

आंतरिक डिजाइनर भवन निर्माता से मिलने के बाद, अनेक दौर की वार्ताएँ तथा दोनों पक्षों के बीच चर्चाएँ होती हैं और इस आधार पर 3-4 भिन्न नक्शे बनाए जा सकते हैं, जिनमें से एक नक्शे को अंतिम रूप से स्वीकार किया जाता है।

(3) परियोजना के लिए अनुमानित बजट तैयार करने का कौशल-चयनित या स्वीकृत किए गए नक्शे के आधार पर पूरी परियोजना के लिए अनुमानित बजट तैयार किया जाता है जिसमें सामग्रियों की लागत, श्रमिक लागत, परिवहन लागत आदि के साथ आन्तरिक डिजाइनर द्वारा ली जाने वाली फीस शामिल होती है जिसमें परियोजना के पूर्ण होने की समय सारणी के साथ ही चरण अनुसार भुगतान की शर्ते और नियम शामिल हैं। आंतरिक डिजाइनर में परियोजना का ऐसा अनुमानित बजट बनाने का कौशल होना चाहिए।

(4) कार्य नक्शा तैयार करने का कौशल-जब ग्राहक द्वारा बज़ट को स्वीकृत कर दिया जाता है तो उसके बाद जाता है। एक कुशल व्यावसायिक इंटीरियर डिजाइनर को 'कार्य नक्शा' बनाने में निपुण होना चाहिए।

इस कार्य नक्शा में आयामों के विनिर्देशों के साथ विवरण तैयार किये जाते हैं, ताकि डिजाइनर द्वारा सोची गई और ग्राहक द्वारा पसंद की गई योजना के अनुसार कारीगर स्थान निर्मित कर सके। डिजाइनर में इस हेतु परियोजना के लिए सामग्रियों, डिजाइन, रंगों के चयन आदि के लिए आकर्षित लागत पर ग्राहक द्वारा उचित निर्णय लेने हेतु मार्गदर्शन करने का कौशल होना चाहिए। सामग्री के स्वीकृत हो जाने पर उसके लिए आर्डर दे दिया जाता है और पूर्ण या आंशिक भुगतान के बाद वस्तुओं को कार्यस्थल पर भेज दिया जाता है। 

(5) हिसाब-किताब रखने का कौशल-आंतरिक डिजाइनर में हिसाब-किताब रखने का भी कौशल होना चाहिए क्योंकि आंतरिक डिजाइनर को सेवार्थी और अपने बीच डिजाइनर और कारीगरों, आपूर्तिकर्ता, परिवहन लागत आदि के लिए सभी प्रकार के लेन-देन का हिसाब-किताब रखने की जरूरत होती है।

(6) कम्प्यूटर तथा सॉफ्टवेयर के उपयोग का कौशल-आजकल आंतरिक डिजाइनर कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं क्योंकि इससे ग्राहक वास्तव में निर्मित रचना देख पाते हैं।

(7) अन्य कौशल-उपर्युक्त के अतिरिक्त एक आंतरिक डिजाइनर में अपनी कल्पनाशीलता और क्षमता के साथ ही कुछ कौशल-कलात्मक, तकनीकी, अन्तर्वैयक्तिक तथा प्रबंधकीय होने चाहिए। उन्हें स्वप्रेरित होना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 18 श्रम प्रभाविकी तथा भीतरी एवं बाहरी स्थानों की सज्जा

प्रश्न 5. 
बाह्य स्थानों की सज्जा के लिए भू-दृश्य डिजाइनर द्वारा कौन-कौन सी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जाती है? 
उत्तर:
भू-दृश्य डिजाइन में प्रकृति के साथ संस्कृति का संयोजन होता है जिसके लिए भू-दृश्य डिजाइनर को पहले क्रमिक रूप से मौजूदा स्थितियों तथा स्थलाकृति का सामाजिक, पारिस्थितिक, भौगोलिक, भू-वैज्ञानिक जैसे अनेक परिप्रेक्ष्यों का परीक्षण और मूल्यांकन करना होता है और फिर ग्राहक द्वारा वांछित तरीके से विशिष्ट परिश्रम प्राप्त करने के लिए डिजाइन विकसित किया जाता है। 

भू-दृश्य डिजाइनर का मुख्य ध्यान प्रमुख रूप से बाहरी स्थानों के डिजाइन या सज्जा पर केन्द्रित होता है, जो कि भवनों के आस-पास खुले स्थान अथवा सार्वजनिक स्थानों का भू-दृश्य डिजाइन हो सकता है। इस सम्बन्ध में भू-दृश्य डिजाइनर द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जाती है- 

(1) भू-दृश्य डिजाइनर का मुख्य दायित्व बाहरी स्थानों की सजा के लिए योजना बनाना है और खुले स्थानों का प्रबंधन करना है, जिसमें प्राकृतिक और निर्मित परिप्रेक्ष्य दोनों होते हैं। 

(2) भू-दृश्य डिजाइनर ब्राह्य स्थानों की सज्जा के अन्तर्गत लोगों के लिए नवीन और सौंदर्यबोधी रूप से आकर्षक परिवेश प्रदान करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही वह यह सुनिश्चित भी करता है कि प्राकृतिक परिवेश में परिवर्तन, जो उसके द्वारा किया जा रहा है, वह उपयुक्त संवेदनशील और दीर्घकालिक हो। 

इस प्रकार वह भू-दृश्यीकरण के लिए अपनी कल्पना का सृजन करता है तथा छोटे या बड़े बाहरी (खुले) स्थानों के सौंदर्यबोध को तकनीकी समझ और रचनात्मकता के साथ बढ़ाता है। 

प्रश्न 6. 
एक व्यावसायिक के रूप में भू-दृश्य डिजाइनर द्वारा कौन-कौन से क्रियाकलाप किये जाते हैं?
उत्तर:
एक व्यावसायिक के रूप में भू-दृश्य डिजाइनर के क्रियाकलाप एक व्यावसायिक के रूप में भू-दृश्य डिजाइनर द्वारा निम्नलिखित प्रमुख क्रियाकलाप किए जाते हैं-
(1) परियोजनाओं सम्बन्धी क्रियाकलाप-भू-दृश्य डिजाइनर अनेक परियोजनाओं जैसे-शहरों में यातायात, द्वीपों के भू-दृश्यीकरण, बंगलों, विला, होटलों, आवासीय परिसरों और कार्यालय भवनों, अस्पतालों, बाजार (शॉपिंग काम्पलेक्स/मॉल), सार्वजनिक पार्को, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के परिसरों, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों पर काम कर सकता है। 

(2) क्षतिग्रस्त भू-दृश्य तथा खानों सम्बन्धी क्रियाकलाप-एक व्यावसायिक के रूप में भू-दृश्य डिजाइनर अनेक मामलों में क्षतिग्रस्त भू-दृश्य जैसे भू-भरण स्थलों और खानों का पुनरुद्धार करके उन्हें आकर्षक और सुंदर स्थानों में परिवर्तित करने का कार्य करता है। 

(3) पर्यावरण सम्बन्धी क्रियाकलाप-एक भू-दृश्य डिजाइनर का अन्य कार्य पर्यावरणीय निम्नीकरण को रोकने और पारिस्थितिक दीर्घकालिकता को समेकित करना भी होता है। 

(4) मास्टर प्लान बनाना-भू-दृश्य डिजाइनर मास्टर प्लान भी बनाता है, जिसके लिए रचनात्मकता और कल्पनाशीलता की आवश्यकता होती है, जो विस्तृत ड्राइंग और तकनीकी विनिर्देशों वाला होता है। एक भू-दृश्य डिजाइनर, भू-दृश्य ठेकेदारों के साथ-साथ अन्य व्यवसायियों, विशेष रूप से वास्तुकारों, योजनाकारों, पर्यावरणविदों तथा सर्वेक्षण और अभियांत्रिकी कार्यों में काम कर रहे लोगों के साथ मिलकर काम करता है। ऐसा करते समय उसे अनेक कारक जैसे जलवायु, सूक्ष्म जलवायु के प्रकार, स्थलाकृति और अभिविन्यास, स्थान से जल की निकासी और भू-जल पुनर्भरण, हरियाली को बढ़ाने के लिए मृदा की गुणवत्ता के साथ ही मानव व्यवहार पर विचार करता है। 

(5) पुष्पीय डिजाइन बनाना-भू-दृश्य डिजाइनर बगीचों में पुष्पीय डिजाइन बनाने सम्बन्धी कार्य भी करता है। अनेक बगीचों में उनके द्वारा पुष्पीय डिजाइन बनाए गए हैं, जैसे-राष्ट्रपति भवन और कश्मीर का मुगल गार्डन। कुछ भू दृश्य डिजाइनरों ने इस सम्बन्ध में विशिष्ट विषयों पर काम किया है, जैसे-मैसूर में म्यूजिकल गार्डन, दिल्ली में पंचेन्द्रिय बगीचा जिसमें विविध प्रकार के ऐसे पौधे रखे गए हैं जो पांचों इन्द्रियों को प्रेरित करते हैं, बेंगुलूर का तितली पार्क, भोपाल की ईदगाह हिल्स, मुम्बई में हैंगिंग गार्डन ऐसे ही उदाहरण हैं। 

(6) अपशिष्ट सामग्री आदि का उपयोग कर सुन्दर भू-दृश्य बनाना-कुछ भू-दृश्य डिजाइनर जलाशयों, धातु के कचरे, अपशिष्ट सामग्रियों आदि का प्रयोग करके काम करते हैं। इसका एक उदाहरण चंडीगढ़ का रॉक गार्डन है। इसके लिए भू-दृश्य में पौधों के अतिरिक्त विभिन्न सामग्रियों, जैसे-मूर्तियों, मिट्टी के बर्तन, धातु और बांस का काम, चूड़ियों आदि का उपयोग किया गया है। 

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प्रश्न 7.
आंतरिक डिजाइनर और भू-दृश्य डिजाइनर के लिए उन्नति के क्या अवसर होते हैं?
उत्तर:
(अ) आंतरिक डिजाइनर के लिए उन्नति के अवसर- 
आन्तरिक डिजाइन के अनंत क्षेत्र हैं, जिनमें प्रवेश करके आन्तरिक डिजाइनर कुछ ही वर्षों में विशेषज्ञ बन सकते हैं। उनकी जीविका व उन्नति के अवसर निम्नलिखित हैं-

जीविका के अवसर

कार्य का केन्द्र बिन्दु

आवासीय आंतरिक डिजाइनर

फ्लैट, बंगला, विला

फर्नीचर डिजाइनर

फनीचर की किसी एक वस्तु का डिजाइन बनाना

शोरूम (प्रदर्शन कक्ष) डिजाइनर

विभिन्न प्रकार के शोरूमों में विशेषज्ञता अर्थात् आंतरिक फर्नीचर या रसोई आदि के शोरूमों में विशेषज्ञता

वस्त्र और पोशाक विशेषज्ञ

विभिन्न वस्त्रों की जानकारी वाले विशेषज्ञ और वस्त्र के चयन, विभिन्न प्रकार की पोशाकों आदि की जानकारी में विशेषज्ञता

रसोई और स्नानागार डिजाइनर

रसोई और/अथवा स्नानागार की सज्जा और उनके क्रियान्यन में विशेषज्ञता

ऑटोकैड तकनीशियन/डिजाइन प्रदर्शक

योजना की ड्राईंग, उन्नयन, दृश्य और विभिन्न सॉफ्टवेयर के उपयोग द्वारा ड्राइंग के विवरण बनाना

नक्शा नवीस

ऐसा व्यक्ति जो योजना नियमावली के विवरणों को विस्तार से बनाता है

फर्नीचर कंपनी प्रतिनिधि

बिक्री और विपणन में शामिल व्यक्ति

व्यावसायिक आंतरिक डिजाइनर

बैंक, माल आदि के डिजाइन में विशिष्ट विशेषज्ञता

सेवा-क्षेत्र डिजाइनर

विशेष रूप से रेस्तरां, होटल आदि की नौकरियों को करने वाले लोग

स्वास्थ्य देखभाल डिजाइनर

अस्पताल, स्पा, जिमखाना आदि की सज्जा में शामिल डिजाइनर

शिक्षा और संस्थागत डिजाइनर

शिक्षण व्यवसाय के डिजाइनर

प्रकाश व्यवस्था डिजाइनर

सिर्फ प्रकाश व्यवस्था करने वाले लोग

(ब) भू-दृश्यकार के लिए उन्नति के अवसर-
जो व्यक्ति भू-दृश्य डिजाइनर बनना चाहता है, उसे शहरी व ग्रामीण क्षेत्र, दोनों में डिजाइन करने से लेकर पार्क, बगीचे और आवासीय क्षेत्र से लेकर सिटी सेंटर के डिजाइन शामिल हैं, जिसमें खनन तथा सड़क मार्ग के निर्माण द्वारा प्रभावित भूमि को सुधारना शामिल है। अत: भू-दृश्य डिजाइनर अनेक परियोजनाओं पर काम करने, क्षतिग्रस्त भू-दृश्यों का पुनरुद्धार करने, पर्यावरणीय निम्नीकरण को रोकने, मास्टर प्लान बनाने, बगीचों में पुष्पीय डिजाइन बनाने, बाढ़ के पानी और अपशिष्ट जल का प्रबंधन करने, वनस्पति उद्यान, पौधशालाएँ और प्राकृतिक रूप से संरक्षित क्षेत्र बनाने, खेल के मैदान, थीम पार्क जैसी मनोरंजन सुविधाएं विकसित करने, राजमार्ग, परिवहन साधन व सेतु बनाने, तटीय क्षेत्र, पैदल पथ और गलियारे का पार्किंग क्षेत्र बनाने, प्राकृतिक बगीचे, पर्यटन स्थल, ऐतिहासिक भू-दृश्यों का सौंदीकरण करने तथा पर्यावरण के प्रभाव का आंकलन करने आदि कार्य करते हैं। इनमें से कोई भी भविष्य में रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है।

भू-दृश्य डिजाइनर के लिए रोजगार से संबंधित पद हैं- (i) भू-दृश्य प्रबंधक, (ii) भू-दृश्य माली, (iii) भू-दृश्य वैज्ञानिक, तथा (iv) भू-दृश्य सज्जाकार।

Prasanna
Last Updated on July 23, 2022, 9:21 a.m.
Published July 22, 2022