RBSE Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 सिल्वर बैंडिग

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 सिल्वर बैंडिग Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Hindi Solutions Vitan Chapter 1 सिल्वर बैंडिग

RBSE Class 12 Hindi सिल्वर बैंडिग Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है, लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू और उनकी पत्नी में कुछ वैचारिक मतभेद दिखाई देता है। यशोधर की पत्नी जब अपने पहाड़ी गाँव से उनके साथ दिल्ली आयी थी, तब वह पूरी तरह ग्रामीण थी। उस समय यशोधर का संयुक्त परिवार था, ताऊ और उनकी दो बहुएँ. भी साथ में रहती थीं। उस समय यशोधर की पत्नी को कुमाऊँनी मूल संस्कारों के अनुसार 'आचार-व्यवहार के बन्धनों में जकड़कर रहना पड़ता था। 

बाद में बच्चे बड़े हो गये, तो उनकी तरफदारी करने लगी और बेटी के कहने से वह समय के अनुसार आधुनिका बनने का प्रयास करने लगी। यशोधर की 'सिल्वर वैडिंग' पार्टी के अवसर पर तो उसने होंठों पर लाली और बालों पर खिजाब लगा लिया था, बिना बाँह का ब्लाउज पहन रखा था एवं सिर पर पल्लू नहीं रखा था। इस तरह यशोधर की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल हो जाती है। नी पत्नी की तरह स्वयं को समयानसार ढालने में सफल नहीं रहता है। 

यशोधर का आदर्श किशनदा थे, संयुक्त परिवार था और वंश-परम्परा के अनुसार धर्म-कर्म था, सामाजिक रीति-रिवाजों का भी प्रभाव था। इन सभी बातों के अलावा यशोधर स्वयं को बुजुर्ग मान रहा था, अर्थात् रूढ़ परम्परा का पोषक मानता था। इसी कारण उसका अपने बच्चों एवं पत्नी के साथ मतभेद था। 

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प्रश्न 2. 
पाठ में 'जो हुआ होगा' वाक्य की आप कितनी अर्थ-छवियाँ खोज सकते/सकती हैं? 
उत्तर : 
प्रस्तुत पाठ में जब किसी जाति भाई ने यशोधर से गाँव में हुई किशनदा की मृत्यु का कारण पूछा, तो यशोधर ने जवाब दिया "जो हुआ होगा।" इसका अर्थ यह है कि पता नहीं किस कारण उनकी मृत्यु हुई। किशनदा बिना बाल-बच्चों वाले अर्थात् अविवाहित थे। इसलिए उनकी मृत्यु को लेकर किसी को भी यह जानने की जरूरत नहीं थी कि उनकी देखभाल नहीं हुई। इससे किशनदा के जीवन को लेकर लोगों की उदासीनता व्यंजित हुई है। 

दूसरी बार 'जो हुआ होगा' वाक्य से बाल-बच्चों का न होना, घर-परिवार का न होना और रिटायर होकर गाँव के एक कोने में बैठकर विवश जीवनयापन करना-यह अर्थ व्यक्त हुआ है। तीसरी बार पाठ के अन्त में अपने बेटे के रूखे व्यवहार एवं पत्नी की उदासीनता से यशोधर बाबू को अपनी उपेक्षा का बोध हुआ। तब यशोधर स्वयं को किशनदा की तरह उपेक्षित मानने लगा तथा कहने लगा कि उनकी मौत 'जो हुआ होगा' से हुई होगी। अर्थात् इस तरह की उपेक्षा मिलने से ही हुई होगी। 

प्रश्न 3. 
'समहाउ इंप्रॉपर' वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारम्भ में 'तकिया कलाम' की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या सम्बन्ध बनता है? 
उत्तर : 
प्रस्तुत कहानी में 'समहाउ इंप्रॉपर' वाक्यांश का प्रयोग एक दर्जन से भी अधिक बार हुआ है। यह यशोधर बाबू का तकिया कलाम है और इसका सम्बन्ध यशोधर बाबू के व्यक्तित्व से है। वह पुराने सिद्धान्तों से चिपका हुआ व्यक्ति है। इस कारण नये जमाने के साथ तालमेल न बिठा पाने से वह कुछ असन्तुष्ट होने पर ऐसा कहता है कि वह हर चीज का मूल्यांकन अपनी सोच के आधार पर करता है। उसे किशनदा की परम्परा तथा बुजुर्ग लोगों की मान्यताओं का सदा ध्यान रहता है। 

घर में पत्नी और बच्चों के साथ वह इसी कारण अनफिट लगता है कि वह उनकी बातों को अनुचित मानता है, स्वयं को परिवार का बुजुर्ग मानकर अकड़ा रहता है। इस प्रकार यशोधर बाबू द्वारा बार-बार प्रयुक्त 'समहाउ इंप्रॉपर' वाक्यांश उनके पुराने परम्परावादी व्यक्तित्व पर प्रश्न-चिह्न लगाता,है। लेखक ने व्यंजना की है कि नये युग के अनुसार जीना और नये परिवर्तनों को स्वीकार करना चाहिए। नये जमाने के हिसाब से यशोधर बाबू की तरह 'समहाउ इंप्रापर' नहीं होना चाहिए। 

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प्रश्न 4. 
यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू का जीवन किशनदा के व्यक्तित्व से पूरी तरह प्रभावित था। यशोधर एक प्रकार से किशनदा के शिष्य तथा मानस-पुत्र थे। किशनदा ने ही उन्हें सर्वप्रथम सहारा दिया था, फिर नौकरी पर लगाया था और जीवन के निर्माण की अनेक शिक्षाएँ दी थीं। इसी कारण यशोधर बाबू हर बात पर किशनदा का स्मरण कर उनसे प्रेरणा लेते रहते थे। कार्यालय में अधीनस्थ कर्मचारियों से, अन्य लोगों से, सामाजिक कार्यकलापों एवं घर-गृहस्थी आदि सभी कामों में प्रवृत्त रहने पर वे पूर्णतया किशनदा को अपना आदर्श मानते थे। 

यशोधर बाब की तरह ही मेरे जीवन को दिशा देने में मेरे एक गरुजी का तथा बडे भाई का महत्त्वपर्ण योगदान रहा है। पिताजी की असामयिक मृत्यु हो जाने पर भी बड़े भाई ने मुझे पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाया और गुरुजी ने मुझे सदाचरण, स्वाभिमान तथा मानवीय आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा दी। इसी से मैं अपने व्यक्तित्व को ढाल सका हूँ। 

प्रश्न 5. 
वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं? 
उत्तर : 
नोट-यह प्रश्न प्रत्येक छात्र के पारिवारिक अनुभवों एवं स्थितियों पर आधारित है। अतः अनुभव स्वयं लिख सकते हैं। यहाँ उत्तर इस प्रकार दिया जा रहा है...वर्तमान में शहरों में संयुक्त परिवार की प्रथा समाप्त हो गई है, परन्तु गाँवों में अभी भी यह प्रथा प्रचलित है। शहरी नागरिक होने से मैं एकल परिवार का सदस्य हूँ। परिवार में मेरे माता-पिता, मैं और एक छोटी बहिन-इस प्रकार चार ही सदस्य हैं। पिताजी परिवार के भरण-पोषण का पूरा ध्यान रखते हैं। 

हम दोनों भाई-बहिन को उन्होंने अच्छी शिक्षा देने का निश्चय कर रखा है। इसी कारण पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त अन्य चीजों की जरा-सी फ़रमाइश करने पर वे तुरन्त सारी चीजें ले आते हैं। इस तरह के व्यवहार से हमारा मन पढ़ाई में खूब लगता है। पिताजी कभी-कभी अपने पिछले जीवन, संयुक्त परिवार की परम्पराओं और उनके अन्धविश्वासों का जिक्र करते हैं। 

परन्तु संयुक्त परिवार से अलग होकर अब वे हमारे जीवन को उच्च से उच्चतर बनाने की आकांक्षा रखते प्रस्तुत कहानी का नायक यशोधर अपने जीवन में कुछ कटा हुआ-सा तथा पुराने सिद्धान्तों से चिपका हुआ-सा दिखाई देता है। इसी कारण वह अपने बच्चों एवं पत्नी की बातों से सामंजस्य नहीं रख पाता है। उसके बच्चे भी उसकी भावनाओं से तालमेल नहीं रखते हैं। परन्तु हमारे परिवार में ऐसी स्थिति नहीं है तथा घर के सभी सदस्यों में हर तरह से सामंजस्य रहता है।

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प्रश्न 6. 
निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे/कहेंगी और क्यों? 
(क) हाशिये पर धकेले जाते मानवीय मूल्य 
(ख) पीढ़ी का अन्तराल 
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव 
उत्तर : 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी में यशोधर बाबू के बच्चे एवं पत्नी नये विचारों के समर्थक होने से मानवीय मूल्यों को उतना महत्त्व नहीं देते हैं। वे रिश्तेदारी, सामाजिक कर्त्तव्य, भाईचारा, बुजुर्गों का सम्मान आदि का कम ही ध्यान रखते हैं। यशोधर के बच्चों पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव रहता है, स्वयं यशोधर भी कभी-कभी पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित दिखाई देते हैं, परन्तु प्रस्तुत कहानी की मूल संवेदना में ये दोनों बिन्दु सहायक तत्त्व हैं। 

इस कहानी की मूल संवेदना 'पीढ़ी का अन्तराल' व्यंजित करना है। यशोधर बाबू पुरानी परम्पराओं एवं किशनदा के आदर्शों को अपनाते हैं, परन्तु उनके बेटे-बेटी (तथा पत्नी भी) पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित रहते हैं। उनकी बेटी जीन्स-बाँहरहित टॉप पहनती है, पत्नी भी नये-जमाने के हिसाब से मॉड बनने का प्रयास करती है। इस कारण यशोधर बाबू अपने परिवार से कटे रहते हैं। अतः उपर्युक्त तीन स्थितियों में से पीढ़ी अन्तराल की समस्या ही प्रस्तुत कहानी का केन्द्र है। . 

प्रश्न 7. 
अपने घर और विद्यालय के आसपास हो रहे बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुजुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे? 
उत्तर :
आज के वैज्ञानिक युग में सुख-सुविधा के नये-नये साधन उपलब्ध हैं। लोगों के खान-पान एवं रहन सहन में भी बदलाव आ रहा है। उदाहरण के लिए टी.वी., फ्रिज, टेलीफोन, मोबाइल आदि सभी साधनों से अब संचार क्रान्ति आ गई है, परन्तु बुजुर्ग लोगों को मोबाइल पर हर समय बातें करना अच्छा नहीं लगता है। लड़के-लड़कियों के नये फैशन के कपडे, जीन्स, बालों की स्टाइल आदि का वे परी तरह से विरोध करते हैं। 

पहले घर की बहएँ घुघट में रहती थीं, सबके सामने बोलने में संकोच करती थीं, परन्तु अब बहुएँ आधुनिका बन गई हैं और प्रसाधन सामग्री का खुलकर उपयोग करती हैं। विद्यालयों में पहले के ज़माने में गुरुजी के सामने दण्डवत् होना पड़ता था, टाट-पट्टी पर बैठना पड़ता था, परन्तु अब समय बदलने से पुरानी सभी परम्पराएँ बदल रही हैं। बुजुर्गों को ये सब बातें अच्छी नहीं लगती हैं और अपने बीते हुए समय को ही अच्छा मानते हैं। फलस्वरूप नयी पीढ़ी को वे उपेक्षा एवं शंका की दृष्टि से देखते हैं और 'समहाउ इंप्रॉपर' की स्थिति में रहते हैं। 

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प्रश्न 8. 
यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए - 
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं। 
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वन्द्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है। 
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उचित है। 
उत्तर : 
यशोधर बाबू में एक तरह का द्वन्द्व है। इस कारण उन्हें नये जमाने का रहन-सहन एवं चाल-चलन आदि अपनी ओर खींचता है, तो दूसरी तरफ उन्हें पुरानी परम्पराएँ एवं संस्कार नहीं छोड़ते हैं। इस तरह वे नये और पुराने संस्कारों के द्वन्द्व से घिरे रहते हैं। इस कारण उनके प्रति सहानुभूति रखने की जरूरत है; क्योंकि वे ग्रामीण परिवेश से दिल्ली में आये, किशनदा के परम्परागत आचरण से प्रभावित रहे, संयुक्त परिवार में भी रहे तथा रिश्ते नातों के साथ सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे। 

वे अपने गाँव के नाते-रिश्तों, परम्परागत संस्कारों, धर्म-कर्म तथा समाज-सेवा आदि से जुड़े थे, अपनी बहिन के सुख-दुःख में सहभागी बनते थे। इस तरह वे सिद्धान्तों और मूल्यों को महत्त्व देते थे, परन्तु परिवार में बच्चों के व्यवहार से, 'सिल्वर वैडिंग' के आयोजन से तथा अन्य कारणों से नयेपन की ओर भी कुछ आकर्षित होने लगे थे। इस सम्बन्ध में हमारा मानना है कि पुरानी एवं नयी पीढ़ी के मध्य का यह द्वन्द्व एक ही पात्र में पूर्णतया. सही दिखाई देता है। अतः यशोधर बाबू सहानुभूति के पात्र हैं।

RBSE Class 12 सिल्वर बैंडिग Important Questions and Answers

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. 
यशोधर बाबू को किसकी बातचीत से पता चलता है कि आज उनके विवाह के पच्चीस वर्ष पूरे हो गए हैं? 
उत्तर :
यशोधर बाबू को अपने अधीनस्थ लिपिक चड्ढा की बातचीत से पता चलता है कि आज पच्चीस वर्ष उनके विवाह के पूरे हो गए हैं। 

प्रश्न 2. 
मेनन से मुखातिब होकर यशोधर बाब ने क्या कहा था? 
उत्तर : 
मेनन से मुखातिब होकर उन्होंने कहा था-"नाव लैट मी सी, आई वॉज मैरिड ऑन सिक्स्थ फरवरी नाइन्टिन फोर्टी सेवन।" 

प्रश्न 3. 
यशोधर बाबू की घड़ी की ओर देखकर चड्ढा ने क्या कहा था? 
उत्तर : 
चड्ढा ने घड़ी की ओर देखकर कहा था-"बाबा आदम के जमाने की है, अब तो डिजिटल ले लो एक जापानी। सस्ती मिल जाती है।"

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प्रश्न 4. 
रोजी-रोटी की तलाश में यशोधर पंत दिल्ली में किसकी शरण में आए थे? . 
उत्तर : 
रोजी-रोटी की तलाश में मैट्रिक पास यशोधर पंत-दिल्ली में किशनदा की शरण में आए थे। उन्होंने मैस का रसोइया बनाकर रख लिया।

प्रश्न 5. 
किशनदा ने यशोधर पंत को पचास रुपये उधार क्यों दिए थे? 
उत्तर : 
किशनदा ने यशोधर पंत को पचास रुपये उधार इसलिए दिए थे कि वह अपने लिए कपड़े बनवा सके और गाँव पैसे भेज सके। 

प्रश्न 6.
किशनदा यशोधर पंत की सरकारी नौकरी क्यों नहीं लगवा सके थे? 
उत्तर : 
किशनदा यशोधर पंत की सरकारी नौकरी इसलिए नहीं लगवा सके थे क्योंकि उनकी उम्न उस समय सरकारी नौकरी के लिए कम थी। 

प्रश्न 7. 
यशोधर बाबू ने कौन-सी अदा किशनदा से सीखी थी? 
उत्तर : 
"यशोधर बाबू खुश होते हुए झेंपे और झेंपते हुए खुश हुए।" यह अदा उन्होंने किशनदा से सीखी थी। 

प्रश्न 8. 
आधुनिक युवा बन चलने पर यशोधर बाबू के बच्चे उनसे क्या अपेक्षा करते हैं? 
उत्तर :
बच्चे उनसे अपेक्षा करते हैं कि वे स्कूटर ले लें, क्योंकि साइकिल तो चपरासी चलाते हैं। साइकिल चलाना उन्हें नागवार गुजरता है।

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प्रश्न 9. 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी किस द्वन्द्व पर आधारित है? . 
उत्तर : 
यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं। उनके बच्चे आधुनिक रंग-ढंग और प्रगति के दीवाने हैं। पूरी कहानी इसी द्वन्द्व पर आधारित है। 

प्रश्न 10. 
यशोधर बाबू के अधीनस्थ नए कर्मचारी उनकी उपेक्षा क्यों करते हैं? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू पुरानी परंपराओं को सही तथा नई परंपराओं को 'सम हाउ इंप्रापर' मानते हैं। इस कारण अधीनस्थ कर्मचारी उनकी उपेक्षा करते हैं। . 

प्रश्न 11. 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी में लेखक क्या कहना चाहता है? 
उत्तर : 
लेखक कहना चाहता है कि यदि नित बदलती दुनिया में सम्मान से जीना चाहते हो तो नए परिवर्तनों को अनुचित बताने की बजाय उन्हें स्वीकार करो।। 

प्रश्न 12.
यशोधर बाबू ने किशनदा को अपने घर में जगह क्यों नहीं दी? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू ने अपने घर में उन्हें जगह नहीं दी क्योंकि उनके दो कमरे वाले मकान में पहले से ही तीन परिवार रहते थे। 

प्रश्न 13. 
यशोधर बाबू ने अपने जीवन में मकान क्यों नहीं बनवाया? 
उत्तर : 
किशनदा ने उनसे कहा था-मूर्ख लोग मकान बनवाते हैं, सयाने उसमें रहते हैं। उनकी इस उक्ति से प्रभावित होकर उन्होंने आजीवन सरकारी क्वार्टर में रहने का निश्चय किया। 

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प्रश्न 14. 
यशोधर बाबू की कौन-सी बात उनके पत्नी-बच्चों को अखरती है? 
उत्तर : 
दफ्तर से लौटते हुए रोजाना बिड़ला मन्दिर जाना और उद्यान में बैठकर प्रवचन सुनना यह बात उनके पत्नी बच्चों को अखरती है। 

प्रश्न 15. 
यशोधर बाबू आठ बजे से पहले अपने घर क्यों नहीं पहुँचते हैं? 
उत्तर : 
बिड़ला मन्दिर से वे पहाड़गंज जाते हैं और घर के लिए साग-सब्जी खरीदकर किसी से मिलना हो तो मिलकर आठ बजे से पहले घर नहीं पहुंचते हैं। 

प्रश्न 16. 
यशोधर बाबू किस वजह से घर जल्दी लौटना पसंद नहीं करते हैं? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू का अपनी पत्नी व बच्चों से हर छोटी-छोटी बात में पिछले कई वर्षों से मतभेद होने लगा जिससे वे घर जल्दी लौटना पसंद नहीं करते हैं। 

प्रश्न 17. 
यशोधर बाबू के तीनों बेटे क्या कर रहे हैं? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू के तीनों बेटों में से बड़ा बेटा डेढ़ हजार रुपये में नौकरी करता है। दूसरा बेटा आई.ए.एस. की तैयारी कर रहा है, तीसरा बेटा स्कालरशिप लेकर अमरीका चला गया। 

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प्रश्न 18. 
यशोधर बाबू की एकमात्र बेटी उन्हें किस बात की धमकी देती है? . 
उत्तर : 
उनकी बेटी तमाम प्रस्तावित वर अस्वीकार कर डॉक्टरी की उच्चतम शिक्षा हेतु अमेरिका चले जाने की धमकी देती है। 

प्रश्न 19. 
यशोधर बाबू अपनी पत्नी के बारे में क्या सोचते हैं? 
उत्तर : 
वे सोचते हैं कि वह अपने मूल संस्कारों से किसी भी तरह से आधुनिक नहीं है फिर भी बच्चों की . तरफदारी ने उसे मॉडल बना डाला है। 

प्रश्न 20. 
यशोधर बाबू की घरवाली पति की शिकायत के रूप में अपने बच्चों से क्या कहती है? 
उत्तर : 
वह कहती है कि मुझे परिवार के आचार-व्यवहार के ऐसे बन्धनों में रखा गया मानो मैं जवान नहीं बुढ़िया औरत थी। .. 

प्रश्न 21. 
यशोधर बाबू को अपनी पत्नी की कौन-सी बात पसंद नहीं थी?
उत्तर : 
यशोधर बाबू को अपनी पत्नी का बुढ़ापे में सजना-सँवरना और फैशन वाले कपड़े पहनना पसंद नहीं था। 

प्रश्न 22.
यशोधर बाबू अपने परिवार से क्या अपेक्षा करते थे? 
उत्तर :
वे अपने परिवार से अपेक्षा करते थे कि सभी उनका सम्मान करें, हर बात में उनकी राय ली जाए, बच्चे अपना वेतन लाकर उन्हें ही दें। 

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प्रश्न 23. 
यशोधर बाबू को ऐसा क्यों लगा कि अब उनके क्वार्टर पर उनके बेटे का कब्जा हो गया है? 
उत्तर : 
उन्हें इसलिए ऐसा लगा कि भूषण नौकरी करने के बाद स्वेच्छा से क्वार्टर में पर्दे, कालीन, सोफा, टी.वी., डबल बैड आदि लाने लगा था। 

प्रश्न 24. 
यशोधर बाबू अपनी सिल्वर वैडिंग पर केक क्यों नहीं खाते हैं? 
उत्तर : 
वे मन से संस्कारी हैं। वे विलायती परंपराओं को निभाने में संकोच करते हैं। केक में अंडा होगा, इसलिए केक नहीं खाते हैं। 

प्रश्न 25. 
यशोधर बाबू सिल्वर वैडिंग के दिन असहयोगी रवैया क्यों अपनाते हैं? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू के साथ घर में बेगानों जैसा व्यवहार किया जाता है। इस कारण वे सिल्वर वैडिंग के दिन असहयोगी रवैया अपनाते हैं। 

प्रश्न 26. 
यशोधर बाबू ने क्या कल्पना की थी? 
उत्तर : 
उन्होंने कल्पना की थी कि उनके रिटायर होने से पहले कोई लड़का सरकारी नौकरी में आ जाए और क्वार्टर उनके पास बना रहे। 

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प्रश्न 27. 
"हमें तो अब इस 'व-रल्ड' की नहीं, उसकी, इस 'लाइफ' की नहीं, उसकी चिन्ता करनी है।" यशोधर बाबू इस कथन के माध्यम से किस चिन्ता की ओर संकेत कर रहे हैं? 
उत्तर : 
संस्कारी यशोधर बाबू सोचते हैं कि अब उन्हें आध्यात्मिक जीवन की चिन्ता करनी चाहिए, बच्चे उनका कहा माने या न माने की नहीं। 

प्रश्न 28. 
यशोधर बाबू की पत्नी उनके किस नारे से चिढ़ती है? 
उत्तर : 
"हमारा तो सैप ही ऐसा देखा ठहरा है, हमें तो यही परंपरा विरासत में मिली है।" पत्नी उनके इस नारे से चिढ़ती है। 

प्रश्न 29. 
यशोधर बाबू सुबह-शाम ध्यान लगाने की जब कोशिश करते तब उनका मन किसमें लीन हो जाता था? 
उत्तर : 
ध्यान लगाने की कोशिश में यशोधर बाबू का मन परम सत्ता में नहीं, इसी परिवार में लीन हो जाता है। 

प्रश्न 30. 
यशोधर बाबू को अपने पर गर्व और प्रसन्नता का बोध कब होता है? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू को अपने पर गर्व और प्रसन्नता का बोध तब होता है जब लोग उनके बच्चों की उन्नति देखकर उनसे ईर्ष्या करते हैं। 

प्रश्न 31. 
भूषण बुआ को पैसे भेजने से क्यों इनकार करता है? 
उत्तर : 
आधुनिकता से पूरित भूषण को बुआ से कोई लगाव नहीं है। संबंधहीनता के कारण वह पैसे भेजने से इन्कार करता है। 

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प्रश्न 32. 
यशोधर बाबू अपने घर में देर से क्यों जाते हैं? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू घर में तिरस्कृत और उपेक्षित रहने से तथा छोटी-छोटी बातों पर बच्चों और पत्नी से मतभेद रहने से घर में देर से जाते हैं। 

प्रश्न 33. 
शाम को पन्द्रह मिनट की पूजा को चालीस मिनट तक खींच ले जाने में यशोधर बाबू का क्या उद्देश्य था? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू उस समय चाहते थे कि घर के सारे मेहमान चले जावें, तब वे वहाँ जाएँगे? इसी उद्देश्य से उन्होंने देर तक पूजा की थी। 

प्रश्न 34. 
यशोधर बाबू अपने बच्चों के संबंध में प्रायः किशनदा का कौन सा फ़िकरा दोहराते थे? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू अपने बच्चों के संबंध में किशनदा का यह फ़िकरा दोहराते थे कि जिम्मेदारी सिर पर पड़ेगी तब सब अपने आप ठीक हो जाएगा। 

प्रश्न 35. 
भूषण पिता के लिए गाउन क्यों लाया था? 
उत्तर : 
भूषण को पिता से ज्यादा अपनी इज्जत की चिंता थी। उसके पिता फटा हुआ पुलोवर न पहन कर दूध लेने जाएँ। इसलिए वह गाउन लाया था। 

प्रश्न 36.
'सिल्वर वैडिंग' कहानी में किस प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है? 
उत्तर : 
प्रस्तुत कहानी में आधुनिकता के मोह में पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण और मानव-मूल्यों की ह्रास की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है। 

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प्रश्न 37.
'सिल्वर वैडिंग' कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? 
उत्तर : 
कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जीवन में आधुनिकता का समावेश करें परन्तु पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण नहीं करें। 

प्रश्न 38. 
यशोधर बाबू का धार्मिक प्रवचन में मन क्यों नहीं लग पाता? 
उत्तर : 
उनके मन की उधेड़बुन और मिली उपेक्षा उन्हें चैन से जीने नहीं देती है। इसलिए वे धार्मिक न होकर धार्मिक होने का प्रयत्न करते थे। 

प्रश्न 39. 
यशोधर बाबू लड़की की ड्रेस के मामले में क्या चाहते थे? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू लड़की की ड्रेस के संबंध में यह चाहते थे कि वह जींस, पतलून, बिना बाँह का टॉप आदि न पहना करें। 

प्रश्न 40. 
यशोधर बाबू ने अपने पुत्र के मित्रों से किस प्रकार मुलाकात की? 
उत्तर : 
यशोधर बाबू ने अपने पुत्र भूषण के सभी मित्रों से हाथ मिलाकर तथा अपना नाम और पद बता कर मुलाकात की। 

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प्रश्न 41.
यशोधर बाबू की पत्नी विलायती परंपरा की भी अपने उत्सव-सा क्यों मान लेती है? 
उत्तर : 
उनकी पत्नी को भारतीय-अभारतीय से कुछ सरोकार नहीं है। वह जीवन को उत्साह से जीना चाहती है। इसलिए वह विलायती परंपरा को अपने उत्सव-सा मान लेती है। 

निबन्धात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. 
"नवीन पीढ़ी और नवीन जीवन मूल्य, पुरानी पीढ़ी और प्राचीन जीवन मूल्य, इन दोनों के बीच सदैव टकराहट चलती रहती है।" 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए। 
उत्तर : 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के प्रमुख पात्र यशोधर बाबू संस्कारी व्यक्ति हैं। वे पुरानी पीढ़ी और प्राचीन जीवन मूल्यों को अपनी परंपरावादी सोच के आधार पर श्रेष्ठ मानते हैं, जबकि उनके बेटा-बेटी तथा उनकी ही देखा देखी उनकी पत्नी भी नयी पीढी के जीवन मूल्यों का अनुसरण करती है। फलस्वरूप घर में यशोधर ही नहीं चलता बल्कि हर बात में उनका विरोध होता है। 

उनकी बात न कोई मानने को तैयार होता है और न कोई सुनता है। वे घर में अकेले पड़ जाते हैं। तब वे दफ्तर से देर शाम तक घर पहुँचते हैं तथा किशनदा के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार घर में उनकी सदा टकराहट चलती रहती है और पीढ़ियों का अन्तराल उन्हें परेशान कर देता है। 

प्रश्न 2.
'सिल्वर वैडिंग' कहानी में मानवीय मूल्यों के घिसने तथा सामाजिक विकास में बाधा डालने वाले तत्त्वों की व्यंजना हुई है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 
अथवा 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के उद्देश्य का निरूपण कीजिए। 
उत्तर : 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के कथानक में परानी एवं नयी परम्पराओं व मल्यों के टकराहट का यथार्थ चित्रण किया गया है। कहानी के प्रमुख पात्र यशोधर बाबू संस्कारी व्यक्ति हैं और जो हुआ होगा' कहकर यथास्थितिवाद से ग्रस्त रहते हैं, तो दूसरी ओर 'समहाउ इंप्रापर' कहकर अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं। वे अपने बच्चों की तरक्की से खुश होते हैं लेकिन उनके बच्चे तथा पत्नी का आधुनिकता की ओर बढ़ता झुकाव उन्हें अखरता भी है।

वे अपने को बदलने में असमर्थ पाते हैं। परिणामस्वरूप वे घर में देर से आने लगते हैं। वस्तुतः आज हमारा समाज आधुनिकता की ओर ही बढ़ रहा है, परन्तु दूसरी ओर इससे मानवीय मूल्य भी घट रहे हैं। 'समहाउ इंप्रापर' के कारण देश का विकास बाधित भी हो रहा है। कहानी का उद्देश्य इन्हीं स्थितियों की व्यंजना करना है। 

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प्रश्न 3. 
ग्रामीण परिवेश से आये लोग शहरी जीवन से किस तरह आकृष्ट होते हैं? 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के पात्र यशोधर बाबू की पत्नी के चरित्र के अनुसार बताइए। 
उत्तर : 
यशोधर बाबू ठेठ ग्रामीण परिवेश से मैट्रिक पास कर दिल्ली महानगर में किशनदा के पास नौकरी प्राप्त करने की इच्छा से पूरित होकर आए थे। उनकी पत्नी भी ग्रामीण परिवेश की थी और कम शिक्षित थी। फिर भी उनकी पत्नी उनकी अपेक्षा महानगर के जीवन से अर्थात् आधुनिकता से पूर्ण प्रभावित थी। वे अपने पति के नारे का विरोध करती थी। वे आधुनिक रंग-ढंग से रहना चाहती थी। वे अपनी बेटी के कहे अनुसार नए ढंग के कपड़े पहनना चाहती थी। उन्होंने होंठों पर लाली, बालों पर खिज़ाब लगाना तथा ऊँची ऐड़ी की चप्पल पहनना, सिर पर पल्लू न रखना प्रारम्भ कर दिया था। इस प्रकार वह ग्रामीण परिवेश को भूलकर शहरी जीवन की ओर आकृष्ट हो गयी थी। 

प्रश्न 4. 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी की मूल संवेदना अपने शब्दों में लिखिए। . 
अथवा 
"सिल्वर वैडिंग' कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देने का प्रयास किया है? 
उत्तर : 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी में मुख्य रूप से पुरानी पीढ़ी और नयी पीढ़ी के टकराहट का चित्रण किया गया है। यशोधर बाबू प्राचीन मान्यताओं के समर्थक हैं और किशनदा के मानस-पुत्र हैं। वे किशनदा को आदर्श मार्ग-प्रदर्शक मानते हैं और उन्हीं के दिखाए मार्ग से चिपके रहते हैं जबकि उनके बच्चे अर्थात् नए बच्चे पश्चिमी संस्कृति को अंधाधुंध अपना रहे हैं। इससे उनके पारिवारिक परिवेश में पीढ़ियों का द्वन्द्व रहने लगा है। 

पुरानी पीढ़ी हाशिये पर खड़ी लाचार नज़र आने लगी है। यही कहानी की मूल संवेदना है। लेखक बिना कहे नई पीढ़ी को संदेश देना चाहता है कि वह अपने पूर्वजों का, पारिवारिकता का और परंपराओं का सम्मान करे। उन्हें तिलांजलि न दे तथा नई पीढ़ी नई चुनौतियों के अनुसार ढलना सीखे। 

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प्रश्न 5. 
सिल्वर वैडिंग' कहानी के प्रमुख पात्र यशोधर बाबू समय के साथ ढल सकने में असफल रहते हैं। ऐसा क्यों? लिखिए। 
उत्तर : 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के प्रमुख पात्र यशोधर बाबू ग्रामीण परिवेश से पोषित संस्कारी व्यक्ति हैं। उनके जीवन में किशनदा की सिखाई हुई बातों का महत्त्व अभी तक बना हुआ है। वे किशनदा को अपना आदर्श मानते हैं और वे उन्हीं के आदर्शों के अनुरूप जीना चाहते हैं। इतना ही नहीं वे अपने परिवार को भी उन्हीं आदर्शों पर ढालना चाहते हैं। 

इधर जमाना बहुत बदल चुका है। स्वयं उनकी पत्नी और बच्चे भी जमाने की नई हवा से प्रभावित हैं। यशोधर बाबू के अपने संस्कार, प्रौढ़ आयु तथा नए चलन की व्यर्थता उन्हें ढलने नहीं देती। इस कारण वे नए जमाने की नई परंपराओं की, नए रंग-ढंग की, नई वेशभूषा को बेकार मानते हैं। उन्हें आधुनिक पहनावा, पश्चिमी रंग-ढंग और नया रहन-सहन अपने अनुकूल नहीं लगता, इसलिए वे समय के साथ ढल सकने में असफल रहते हैं। 

प्रश्न 6. 
यशोधर बाबू के बच्चों का कौन-सा पक्ष आपत्तिजनक है? 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर बताइए। 
उत्तर : 
यशोधर बाबू के बच्चे परिश्रमी और प्रतिभाशाली हैं किन्तु उनका व्यवहार आपत्तिजनक है। उनके मन में अपने पिता, रिश्तेदारी, समाज आदि के प्रति नकारात्मकता समायी हुई है। इसी कारण वे पिता तथा समाज की कदम कदम पर उपेक्षा करते हैं। वे पिता को यह बताना भी उचित नहीं समझते कि वे उनकी सिल्वर वैडिंग मनाने जा रहे हैं। इतना ही नहीं भूषण अपनी मनमर्जी से घर में पर्दे, सोफा, डबल बैड, टी.वी. आदि ले आता है। 
वह अपना वेतन भी पिता के हाथों में नहीं सौंपता बल्कि वह पिता से यह भी कहता है कि वे कोई अच्छा सा नौकर रख लें जिसका वेतन वह खुद दे देगा। इसी प्रकार वह 'सिल्वर वैडिंग' पर गाउन का उपहार देकर कहता है कि वे.फटा हुआ पुलोवर पहन कर दूध लेने न जाया करें। उनकी लड़की खुद तो कपड़े ढंग के पहनती नहीं, पिता को उपदेश देते हुए झिड़की देने लगती है। बच्चों के इस प्रकार के व्यवहार से पिता के मन में विक्षोभ ही उत्पन्न होता है। 

प्रश्न 7. 
यशोधर बाबू का व्यवहार आपको कैसा लगा? 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर बताइये। 
उत्तर : 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के नायक यशोधर बाबू चाहे नये जमाने के साथ कदम-दर-कदम चलने वाले अग्रणी, प्रगतिशील न हों किन्तु वे नये जमाने के पीछे-पीछे चलने वाले प्राणी अवश्य हैं। उनके मन में पुराने समय की सरल-सादी जिंदगी का मोह है। वे संस्कारी हैं। उन्होंने जमाने को देखा ही नहीं जिया भी है। वे स्थिति और परिस्थिति से परिचित हैं। वैसे भी अधेड़ होने के कारण उनके जीवन की गति कुछ मंद हो चुकी है। इसलिए वे आराम और शांति के पक्षधर हैं। 

उन्हें नया परिवर्तन बच्चों की आकांक्षाओं के अनुसार मजबूरी में अपनाना पड़ता है। उनके अपनाने से उनके पराने संस्कार टते हैं। फिर भी संकोचपर्वक हर परिवर्तन को अपना लेते हैं। वे उनके प्रति विद्रोह और विरोध नहीं करते हैं। ढलती आयु में मनुष्य से इतने ही परिवर्तन की अपेक्षा की जा सकती है। इस दृष्टि से यशोधर बाबू का व्यवहार सामंजस्यपूर्ण लगा। क्योंकि वे नई जीवन-शैली के अनुसार ढलने की पूरी कोशिश भी करते हैं। 

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प्रश्न 8. 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर यशोधर बाबू के चरित्र की विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर : 
यशोधर बाबू 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के चरित नायक हैं। वे नये परिवेश में मिसफिट होने की त्रासदी झेलते हुए परंपरावादी व्यक्ति हैं। उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं परंपराओं के निर्वाहक-यशोधर बाबू परंपराओं के निर्वाहक हैं। वे रिश्ते-नातों को बहुत अधिक तवज्जो देते हैं। साथ ही वे रामलीला, होली गवाना या 'जन्यो पून्यू' की परंपरा का पालन करना चाहते हैं। वे रोज़ धार्मिक प्रवचन भी सुनने जाते हैं और पूजा-पाठ भी करते हैं। 

आधुनिकता के विरोधी-यशोधर बाबू आधुनिकता के नाम पर मनमानी करने, उच्छृखल होने, कम कपड़े पहनने तथा नए-नए उपकरणों को अपनाने के पक्षधर नहीं हैं। उन्हें शादी की 'सिल्वर वैडिंग' मनाना गैरजरूरी लगता है। इसलिए वे अडियल होकर न विरोध करते हैं और न समर्थन करते हैं। कर्त्तव्यनिष्ठ-यशोधर बाबू कर्त्तव्यनिष्ठ हैं। वे अपने कर्तव्यों को कार्यालय और परिवार में पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं। वे चारों ओर के विरोध के बावजूद पिता का कर्तव्य भी पूरी तरह निभाते हैं। 

प्रश्न 9. 
यशोधर बाबू की पत्नी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर : 
यशोधर की पत्नी एक आम भारतीय नारी है, जो बदलते वक्त के साथ बदलना जानती है। उसके व्यक्तित्व में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ दृष्टिगत होती हैं - 
दबी हुई नारी - यशोधर की पत्नी को विवाह के बाद अनचाहे मन से संयुक्त परिवार में रहना पड़ा। इस कारण जिस तरह से स्वच्छंद होकर वह सुख-भोग लेना चाहती थी, वैसा ले न पाई। इसलिए वह अपने पति से कहती है "किशनदा तो थे ही जन्म के बूढ़े, तुम्हें क्या सुर लगा जो उनका बुढ़ापा खुद ओढ़ने लगे हो।" 

धनिकता की चाह - यशोधर बाब की पत्नी में आधनिक रंग-ढंग की बहत चाह है। इसलिए वह बालों में खिज़ाब, ओठों पर लाली लगाती है और ऊँची एड़ी की चप्पल पहनती है। पर अपने पति को कहती है-"वह सिर पर पल्लू वल्लू मैंने कर लिया बहुत तुम्हारे कहने पर समझे, मेरी बेटी वही करेगी जो दुनिया कर रही है।" 

पति के प्रति विद्रोह - यशोधर की पत्नी के मन में अपने पति के प्रति जरा-भी सहानुभूति नहीं है। वह उनको उबाऊ व्यक्ति मानती है जो समय से पहले ही बूढ़ा हो गया है। अतः वह पूरी तरह अपने बच्चों की तरफदारी करती हैं। 

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प्रश्न 10. 
'वह खुशहाली भी कैसी जो अपनों में परायापन पैदा करे।' यशोधर बाबू की इस सोच के क्या कारण थे? लिखिए। 
उत्तर : 
यशोधर बाबू संस्कारी व्यक्ति हैं। वे किशनदा के मानस-पुत्र हैं और उनके दिखाए रास्ते पर ही चलते हैं। इस कारण वे चाहते हैं कि घर में उनका सम्मान ही न हो, घर-गृहस्थी के हर मामले में उनसे सलाह ली जाए। लेकिन घर में आधुनिकता के छाये कुप्रभाव के कारण सब उलटा होता है। उनकी पत्नी बच्चों की तरफ़दारी करती है। उनका बड़ा बेटा भूषण अपने वेतन को मनमर्जी से खर्च करता है। दूसरा बेटा आई.ए.एस. की तैयारी कर रहा है। 

तीसरा बेटा स्कॉलरशिप लेकर अमेरिका चला गया है। उनकी बेटी डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए स्वयं अमेरिका चले जाने की धमकी देती है। उनकी पत्नी उनकी इच्छा के विरुद्ध बालों में खिज़ाब लगाती है, ओंठों पर लाली लगाती है और फैशन में रहती है। इस तरह यशोधर बाबू को उन सबका व्यवहार परायापन पैदा करने वाला लगता है। 

प्रश्न 11. 
"आधुनिकता की ओर बढ़ता हमारा समाज एक ओर क़ई नयी उपलब्धियों को समेटे हुए है तो दूसरी ओर मनुष्य बनाए रखने वाले मूल्य कहीं घिसते चले गए हैं।" 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के नायक यशोधर बाबू एक ऐसे संस्कारी व्यक्ति हैं, जो ग्रामीण परिवेश एवं पुराने संस्कारों, परंपराओं से चिपके रहते हैं। परन्तु उनके पुत्र-पुत्री एवं पत्नी भी नई पीढ़ी के संस्कारों को अपना कर आधुनिक बन जाते हैं। फलस्वरूप उनके विचार, सोचने का ढंग, उनकी कार्य प्रणाली पूरी तरह से परिवर्तित हो जाती है।

वे आधुनिक सोच के वशीभूत होकर स्वार्थी हो जाते हैं। उन्हें अपने भर से ही मतलब रह जाता है, रिश्तेदारों आदि से नहीं। परन्तु यशोधर बाबू किशनदा के आदर्शों पर चलकर परंपराओं को निभाने की चेष्टा करते हैं। इस कारण उनकी परिवारजनों से टकराहट होती है फिर भी वे सामंजस्य बनाए रखने का प्रयास करते रहते हैं। अतः उक्त कथन पूर्णतया सत्य है। 

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प्रश्न 12. 
यशोधरा बाबू अपने बच्चों से क्या अपेक्षा रखते थे? 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर बताइए। 
उत्तर : 
यशोधर बाबू बच्चों से अपेक्षा रखते थे कि वे उन्हें बुजुर्ग और सांसारिक जीवन का अनुभव-सम्पन्न व्यक्ति मानें, उनका सम्मान करें। घर-गृहस्थी के हर मामले में उनसे सलाह ली जाए। कोई भी काम उनसे बिना पूछे न किया जाए। बच्चे अपना वेतन भी उन्हें लाकर दें। इसके साथ ही वे चाहते हैं कि उनके बेटे घर के रोज़मर्रा के कामों में उनका हाथ बटाएँ उनकी इच्छानुसार उनकी लड़की शालीन कपड़े पहने। साथ ही वे रिश्तेदारी एवं सामाजिक कार्यों में उनका सहयोग करें, परंपराओं को निभायें, धार्मिक कार्यों के प्रति आकर्षित हों। 'सिल्वर वैडिंग' पर बड़े बेटे ने उनसे कहा कि सवेरे ऊनी ड्रेसिंग गाउन पहन कर आप दूध लाने जाया करें। यह बात यशोधर बाबू को अच्छी नहीं लगी, क्योंकि उनकी अपेक्षा थी कि वह स्वयं दूध लाने हेतु कहे। 

प्रश्न 13. 
यशोधर बाबू अपने ही घर में पूरी तरह बेचारे और असहाय हो चुके हैं। सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए। 
उत्तर :
यह सत्य है कि यशोधर बाबू अपने ही घर में लाचार, बेचारे और असहाय हो चुके हैं। उनके बच्चों ने आधुनिकता के दबाव में आकर उन्हें लगभग नकार दिया है। वे न तो उनका सम्मान करते हैं, न उनसे कोई सलाह लेते हैं और न वे उनका किसी प्रकार का सहयोग करते हैं। वे उनकी हर आदत और हर चीज की उपेक्षा करते हैं। बच्चों का मन रखने के कारण उन्हें साइकिल छोड़नी पड़ती है। फ्रिज और गैस अपनानी पड़ती है। यहाँ तक उपहार में मिला ऊनी गाउन भी अपमान से पहनना पड़ता है। उनमें अब इतनी हिम्मत नहीं रही कि वे बच्चों से किसी बात को मनवा सकें। यहाँ तक उनकी ही लड़की उनका तिरस्कार करती है। इस कारण वे अपने ही घर में अकेले और असहाय पड़ चुके हैं। 

प्रश्न 14. 
यशोधर बाबू अपने कार्यालय में अधीनस्थों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? 
उत्तर :
यशोधर बाबू सरकारी कार्यालय में अनुभाग अधिकारी हैं। वे कार्यालय में समय पर पहुँच कर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को नियंत्रण में रखते हैं। वे स्वयं शाम साढ़े पाँच बजे तक कार्यालय में बैठते हैं और ईमानदारी से कार्य का निर्वहन करते हैं। इस कारण अन्य अधीनस्थ कर्मचारियों को भी मजबूरी में बैठना पड़ता है। वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से उचित दूरी बनाये रखते हैं और उनसे पूरा काम लेते हैं। लेकिन चलते-चलते वे अपने अधीनस्थों से कोई मनोरंजक बात कर दिन भर के शुष्क व्यवहार का निराकरण कर जाने की किशनदा की परंपरा का सहज निर्वहन भी करते हैं। 'सिल्वर वैडिंग' पर पार्टी देने के मामले में वे पैसे तो खर्च कर देते हैं किन्तु उनका साथ नहीं निभाते हैं। 

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प्रश्न 15. 
आप कैसे कह सकते हैं कि यशोधर बाबू किशनदा के मानस-पुत्र हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर :
यह बात सत्य है कि यशोधर बाबू किशनदा के मानस पुत्र हैं, क्योंकि वे हर छोटी-छोटी बात में किशनदा का अनुकरण करते हैं। उनको ही अपना आदर्श मानते हैं। यहाँ तक कि चलने में, मुस्कुराने में और शर्माने में वे किशनदा से प्रभावित हैं। किशनदा की तरह ही उनका हाथ मिलाकर हँसना, प्रशंसा पाकर झेंपना, ऑफिस से चलते-चलते जूनियरों से कोई मनोरंजक बात कह कर दिनभर के शुष्क व्यवहार का निराकरण करना, दफ्तर से मन्दिर जाना, सुबह की सैर करना, मकान न बनवाने की सोचना आदि सभी बातों पर उनकी ही छाप है। 

इसके साथ ही उन्हें घर में होली गवाना, जन्यो पून्यूं के समय लोगों को अपने घर बुलाना तथा रामलीला की तैयारी के लिए कमरा देना ये सब आदतें किशनदा ने ही उनमें लगाई हैं। इन सब बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि यशोधर बाबू किशनदा के मानस-पुत्र हैं। 

सिल्वर बैंडिग Summary in Hindi 

लेखक-परिचय - हिन्दी के प्रसिद्ध पत्रकार और टेलीविजन धारावाहिक-लेखक मनोहर श्याम जोशी का जन्म सन् 1935 ई. में कुमाऊँ में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद 'दिनमान' पत्रिका में सहायक संपादक तथा 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' पत्रिका का सम्पादन किया। सन् 1984 में दूरदर्शन के प्रथम धारावाहिक 'हम लोग' के लिए पटकथा का लेखन किया। इसके बाद उन्होंने अनेक धारावाहिकों के पटकथा लेखन एवं निर्देशन का कार्य किया तथा मृत्युपर्यन्त सन् 2006 तक स्वतन्त्र लेखन में लगे रहे। 

इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं - कुरु कुरु स्वाहा, कसम, हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी, हमज़ाद, क्याप (कहानी-संग्रह); एक दुर्लभ व्यक्तित्व, कैसे किस्सागो, मन्दिर घाट की पौड़ियाँ, ट-टा प्रोफेसर षष्ठी वल्लभ पन्त, नेताजी कहिन, इस देश का यारों क्या कहना (व्यंग्य-संग्रह); बातों-बातों में, इक्कीसवीं सदी (साक्षात्कार लेख-संग्रह) तथा लखनऊ मेरा लखनऊ, पश्चिमी जर्मनी पर एक उड़ती नज़र (संस्मरण-संग्रह)। 'क्याप' के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

पाठ-सार - 'सिल्वर वैडिंग' शीर्षक कहानी में मनोहर श्याम जोशी ने एक सेक्शन ऑफिसर वाई.डी. (यशोधर) पन्त के विवाह की पच्चीसवीं वर्षगांठ का रोचक वर्णन किया है। पाठ का सार इस प्रकार है - 

1. यशोधर का कार्यालय-यशोधर पन्त अपने विभाग में सेक्शन आफिसर थे। वे कार्यालय में पूरे समय तक बैठते थे और अपने गुरु कृष्णानन्द पाण्डे (किशनदा) की परम्परा का निर्वाह करते थे। कार्यालय से उठते समय वे अपने अधीनस्थों से थोड़ा-सा हास-परिहास भी कर लेते थे। उस दिन उन्होंने अपने अधीनस्थ क्लर्क चड्ढा की धृष्टता पर ध्यान नहीं दिया। मेनन से बातचीत पर पता चला कि आज के ही दिन पच्चीस वर्ष पूर्व उनकी शादी हुई थी। 

2. ऑफिस-कर्मियों का आग्रह-यशोधर बाबू के अधीनस्थ आफिस-कर्मियों ने उन्हें सिल्वर वैडिंग की बधाई दी तथा इस उपलक्ष्य में चाय-मट्टी-लड्डू की माँग की। यशोधर बाबू ने इस निमित्त तीस रुपये दिये, परन्तु चाय-पार्टी में स्वयं सम्मिलित नहीं हुए। 

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3. ऑफ़िस के बाद यशोधर बाबू का दैनिक कार्यक्रम-यशोधर बाबू को किशनदा (कृष्णानन्द पाण्डे) ने नौकरी पर लगाया था। वे 'बॉय सर्विस' से तरक्की करते हुए सेक्शन ऑफिसर बन गये थे। यशोधर अपने व्यवहार में किशनदा का अनुसरण करते थे। वे दफ्तर से लौटते समय रोज़ाना बिड़ला मन्दिर जाते और रास्ते में उस अहाते को देखते, जिसमें किशनदा रहते थे। वहाँ से वे पहाड़गंज निकल जाते और साग-सब्जी खरीदकर लोगों से मिलते हुए रात आठ बजे तक घर पहुँचते थे। वे गोल मार्केट के क्वार्टर को छोड़कर अन्यत्र नहीं गये। जब उनका क्वार्टर तोड़ा गया, तो उन्होंने उसी क्षेत्र का एक अन्य क्वार्टर अपने नाम अलाट करा दिया। 

4. यशोधर का परिवार-यशोधर घर जाते समय किशनदा का स्मरण श्रद्धा से करते थे। जब वे सर्वप्रथम दिल्ली में आये थे, तो किशनदा ने ही उन्हें आश्रय दिया था। किशनदा सेवानिवृत्त होने के बाद कुछ साल राजेन्द्र नगर में किराए के क्वार्टर में रहे फिर अपने गाँव चले गये थे, जहाँ उनका साल भर बाद देहान्त हो गया था। यशोधर के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे और एक बेटी थी। पत्नी से उनका छोटी-छोटी बातों पर मतभेद रहता था। उनका बड़ा लड़का एक विज्ञापन कम्पनी में डेढ हजार रुपये की नौकरी पा गया था। दूसरा बेटा आई.ए.एस. की तैयारी कर रहा था। तीसरा लेकर अमरीका चला गया था। बेटी भी शादी के तमाम प्रस्ताव अस्वीकार कर उच्चतम शिक्षा के लिए अमरीका चले जाने की धमकी देती है। 

यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों के कारण किसी तरह भी आधुनिका नहीं थी, परन्तु वह बच्चों की तरफ़दारी करती थी। वह धर्म-कर्म, कुल-परम्परा आदि को ढकोसला बताती थी और बेटी के कहने पर आधुनिका बनने लगी थी। उसे देखकर यशोधर बाबू मजाक भी उड़ाया करते थे। यशोधर बाबू के बच्चे उनका वैसा सम्मान नहीं करते थे, जैसा कि वे चाहते थे। इस कारण वे ऑफिस से घर कुछ विलम्ब से ही जाते थे और बीच में मन्दिर में कथा सुनने बैठ जाते थे। 

5. यशोधर की मानसिक दशा-यशोधर मन से धार्मिक एवं कर्मकांडी नहीं थे, परन्तु किशनदा की परम्परा का अनुसरण कर वे मन्दिर जाने लगे थे। वहीं पर धार्मिक प्रवचन सुनते थे और गीता प्रेस गोरखपुर की किताबें पढ़ते थे। अपने मन को समझाने का प्रयास करते थे। उनकी आर्थिक दशा एकदम ठीक नहीं थी. फिर भी रिश्तेदारी निभाना. समाज के कामों में खर्च करना आदि में रुचि रखते थे। बच्चों के व्यवहार से वे कुछ परेशान भी रहते थे। उन दिनों उनकी मानसिक दशा कुछ अजीब-सी रहती थी। 

6. यशोधर की अभिलाषा-यशोधर चाहते थे कि समाज उन्हें बुजुर्ग माने, बच्चे पूरा आदर करें और हर बात में उनकी सलाह लें, बच्चे उनकी सलाह को पत्थर की लकीर मानें। परन्तु ऐसा नहीं होता था। उनका बड़ा बेटा अपना वेतन उन्हें नहीं देता था, अपितु घर की चीजें जोड़ने में खर्च कर देता था। इस तरह यशोधर की इच्छाओं का किसी को भी ध्यान नहीं रहता था। 

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7. घर में समारोह का आयोजन-ऑफिस से जब वे घर पहुँचे, तो वहाँ पर की गई सजावट एवं मेहमानों की चहल-पहल में सभी को प्रसन्न देखकर वे पहले तो आश्चर्य में पड़ गये। परन्तु जब उन्हें पता चला कि आज उनकी 'सिल्वर वैडिंग' मनायी जा रही है, यह सब इन्तजाम बच्चों ने किया है, तो यशोधर बाबू को 'सिल्वर वैडिंग' की वह पार्टी 'समहाउ इंप्रॉपर' लगी। सुबह तक इस सम्बन्ध में बच्चों ने उनसे चर्चा भी नहीं की थी, इससे वे लाचार भी थे। बच्चों के आग्रह पर उन्होंने केक काटा, परन्तु उसे खाया नहीं, क्योंकि उसमें अण्डा पड़ा था। इसलिए 'नो फोरमैल्टी' कहकर वे सन्ध्या करने (चले) गये, तो वहीं काफी देर तक बैठे रहे और सभी मेहमानों के जाने की प्रतीक्षा करते रहे। 

8. आयोजन का समापन-सभी मेहमानों के चले जाने के बाद यशोधर बाबू सन्ध्या से उठकर आये। जब उनको मिले प्रेजेन्ट खोलने के लिए कहा जाता है, तो वह कह देते हैं "तुम खोलो, तुम्हीं इस्तेमाल करो।" भूषण उन्हें खोलकर कहता है कि यह ऊनी गाउन है। यह आपके लिए लाया हूँ। उस समय बड़े बेटे द्वारा सुबह रोजाना गाउन पहनकर दूध लाने की बात कहने से यशोधर मन में कुछ सोचने लगे। तब किशनदा की याद में उनकी आँखें नम हो 
गईं। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • सेक्सन ऑफिसर = अनुभाग अधिकारी। 
  • मातहत = अधीनस्थ।
  • शुष्क = रूखा। 
  • धृष्टता = बदतमीजी। 
  • करेक्ट = सही। 
  • दाद = प्रशंसा। 
  • इनसिस्ट = आग्रह। 
  • जुगाड़ = व्यवस्था। 
  • नागवार = अनुचित। 
  • बेहूदा = अनुचित। 
  • अफोर्ड = सहन करना। 
  • इसरार = आग्रह। 
  • नगण्य = तुच्छ। 
  • गप्प = असत्य बातें। 
  • फिकरा = व्यंग्य। 
  • निहायत = अत्यन्त।
  • स्कॉलरशिप = छात्रवृत्ति। 
  • सुभीता = सुविधा। 
  • मातृसुलभ = माताओं की स्वाभाविक भावना। 
  • मॉड = आधुनिक। 
  • डेडीकेट = समर्पित। 
  • विरादर = जाति भाई। 
  • विरासत = उत्तराधिकार में आना। 
  • पुश्तैनी = पैतृक। 
  • कर्मकाण्डी = पूजा-पाठ करने वाला। 
  • गँवई = गाँव का। 
  • ज्वाइंट एकाउण्ट = संयुक्त खाता। 
  • जन्यो पुर्नू = जनेऊ बदलने की पूर्णिमा। 
  • एक्सपीरियंस = अनुभव। 
  • सबस्टीट्यूट = विकल्प।
  • नुक्ताचीनी = आलोचना। 
  • मिसाल = उदाहरण। 
  • इंप्रॉपर = अनुचित। 
  • प्रेजेंट = उपहार। 
  • ना-नुच करना = आनाकानी करना।
Prasanna
Last Updated on Dec. 16, 2023, 10 a.m.
Published Dec. 15, 2023