RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 निर्माण उद्योग

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 निर्माण उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Geography in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Geography Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Geography Notes to understand and remember the concepts easily. Go through these कक्षा 12 भूगोल अध्याय 1 नोट्स and get deep explanations provided by our experts.

RBSE Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

RBSE Class 12 Geography निर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
नीचे दिये चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए। 
(i) कौन-सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारण नहीं है?
(क) बाजार 
(ख) पूँजी 
(ग) जनसंख्या घनत्व 
(घ) ऊर्जा। 
उत्तर:
(ग) जनसंख्या घनत्व 

(ii) भारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कम्पनी निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कम्पनी (आई. आई. एस. सी. ओ.) 
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कम्पनी (टी. आई. एस. सी. ओ.) 
(ग) विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(घ) मैसूर लौह तथा इस्पात कारखाना। 
उत्तर:
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कम्पनी (टी. आई. एस. सी. ओ.) 

(iii) मुम्बई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकि।
(क) मुम्बई एक पत्तन है।
(ख) यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है। 
(ग) मुम्बई एक वित्तीय केन्द्र था।
(घ) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(क) मुम्बई एक पत्तन है।

(iv) हुगली औद्योगिक प्रदेश का केन्द्र है।
(क) कोलकाता - हावड़ा 
(ख) कोलकाता - रिशरा 
(ग) कोलकाता मेदनीपुर 
(घ) कोलकाता-कोन नगर। 
उत्तर:
(क) कोलकाता - हावड़ा 

(v) निम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है? 
(क) महाराष्ट्र 
(ख) उत्तर प्रदेश 
(ग) पंजाब
(घ) तमिलनाडु। 
उत्तर:
(ख) उत्तर प्रदेश 

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 निर्माण उद्योग 

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें। 
(i) लौह - इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है, ऐसा क्यों?
उत्तर:
किसी देश के औद्योगिक विकास हेतु लौह-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग माना जाता है। क्योंकि लगभग सभी प्रकार के उद्योगों के लिए विभिन्न प्रकार की मशीनों, उपकरणों तथा कलपुों की आवश्यकता पड़ती है। ये सभी उपकरण लौह-इस्पात उद्योग से प्राप्त होते हैं। वस्तुतः अपनी मूल आधारिक संरचना के लिए सभी उद्योगों को मुख्य रूप से लौह-इस्पात उद्योगों पर निर्भर रहना होता है।

(ii) सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार से भिन्न हैं? 
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग को निम्नलिखित दो सेक्टरों में विभक्त किया जा सकता है। 

  1. संगठित सेक्टर
  2. असंगठित सेक्टर। 

संगठित सेक्टर में वृहद् स्तर पर सूती वस्त्र मिलों में सूती धागा व सूती वस्त्रों का निर्माण आधुनिक मशीनों की सहायता से किया जाता है, जबकि असंगठित या विकेन्द्रित सेक्टर में हथकरघों तथा विद्युत करघों से लघु स्तर पर सूती धागा व सूती वस्त्र का निर्माण किया जाता है।

(iii) चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर:
चीनी उद्योग का सर्वप्रमुख कच्चा माल गन्ना है। गन्ना वर्ष के एक निश्चित मौसम में उत्पादित किया जाता है। गन्ने को एक दिन से अधिक संग्रह करने पर उसमें सुक्रोज की मात्रा समय के साथ-साथ कम होती जाती है। अत: चीनी मिलों को शीघ्र चीनी उत्पादन का कार्य करना होता है। वस्तुतः कच्चे माल (गन्ना) के मौसमी होने के कारण चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है।

(iv) पेट्रो - रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
पेट्रो - रासायनिक उद्योग का कच्चा माल अशोधित पेट्रोल (खनिज तेल) होता है। प्लास्टिक, पॉलिमर रेशे तथा रेशों से निर्मित संक्रियक, संश्लिष्ट तन्तु (कृत्रिम रेशे) तथा कृत्रिम रबड़ इस उद्योग के प्रमुख उत्पाद हैं।

(v) भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं? 
उत्तर:
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव निम्नवत् हैं। 
(क) भारतीय सॉफ्टवेयर कम्पनियों ने बड़ी संख्या में अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त कर लिया है। 
(ख) सॉफ्टवेयर उद्योग में बड़ी संख्या में नवीन रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है। 
(ग) भारतीय सॉफ्टवेयर और सेवा सेक्टर द्वारा प्रतिवर्ष 780 अरब रुपये मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 3. 
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दें। 
(i) 'स्वदेशी' आन्दोलन सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन दिया? 
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग भारत का एक महत्त्वपूर्ण परम्परागत उद्योग रहा है। ब्रिटिश शासन काल की प्रारम्भिक अवधि में अंग्रेजों ने सूती वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित नहीं किया। अंग्रेज भारत में उत्पादित कच्ची कपास को ब्रिटेन में स्थित मानचेस्टर तथा लिवरपूल नगरों में कार्यरत सूती मिलों को निर्यात कर देते थे। उन मिलों में तैयार सूती वस्त्र को भारत में विक्रय किया जाता था। ब्रिटेन का यह कपड़ा वृहद् स्तर पर मिलों में निर्मित होने के कारण भारत के कुटीर उद्योगों में निर्मित सूती वस्त्रों की तुलना में सस्ता होता था। 

19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में सर्वप्रथम मुम्बई औ. अहमदाबाद नगरों में सूती वस्त्र मिलों को स्थापना की गई तथा देश में सूती वस्त्र उद्योग का तेजी से विस्तार होने लगा। उसी समय ब्रिटेन में निर्मित सामान का बहिष्कार करने तथा भारत में निर्मित सामान को उपयोग में लाने के लिए भारत में एक देशव्यापी आन्दोलन चलाया गया। स्वदेशी नामक इस आन्दोलन में विदेशी सामान के बहिष्कार के आह्वान ने भारत के सूती वस्त्र उद्योग को प्रमुख रूप से प्रोत्साहित किया।

देश में निर्मित सूती वस्त्र की तेजी से बढ़ती माँग के कारण देश के विभिन्न भागों में सूती मिलों की स्थापना की जाने लगी। भारत के मध्यवर्ती पश्चिमी भाग में कपास की स्थानीय रूप से पर्याप्त उपलब्धता होने के कारण इन्दौर, नागपुर, शोलापुर, बड़ोदरा तथा अहमदाबाद में सूती मिलों की सफल स्थापना हुई। कोलकाता में पत्तन की सुविधा, तमिलनाडु में जल-विद्युत के विकास तथा कानपुर में स्थानिक निवेश के कारण सूती मिलों की स्थापना की गई। इस प्रकार स्वदेशी आन्दोलन की भारत के सूती वस्त्र उद्योग के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

(ii) आप उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण से क्या समझते हैं ? इन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार से सहायता की है?
उत्तर:
भारत में औद्योगिक नीति की घोषणा सन् 1991 में की गई। इस नीति के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं।

  1. उदारीकरण 
  2. निजीकरण
  3. वैश्वीकरण। 

1. उदारीकरण से आशय आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा पूर्व आर्थिक नियमों व कानूनों में लचीलापन, लाइसेंस प्रणाली को समाप्त करना, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना, उद्योग स्थापना, वाणिज्य व व्यापार क्षेत्रों में छूट सम्बन्धी समस्त प्रयासों को उदारीकरण के नाम से जाना जाता है।

2. निजीकरण से आशय-उदारीकरण नीति निजीकरण को आधार प्रदान करने के लिए बनाई गई है। सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र की ओर स्वामित्व हस्तान्तरित करने की प्रक्रिया को निजीकरण कहा जाता है। निजीकरण घरेलू तथा बहुराष्ट्रीय दोनों पूँजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किया गया है।

3. वैश्वीकरण से आशय-वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत सामान व पूँजी सहित सेवाएँ, श्रम और संसाधन एक देश से दूसरे देश को स्वतन्त्रतापूर्वक पहुँचाए जा सकते हैं। उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण का भारत के औद्योगिक विकास में सहयोग-उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण भारत की औद्योगिक नीति 1991 के प्रमुख लक्ष्य रहे। इन लक्ष्यों के क्रियान्वयन से भारत के औद्योगिक विकास को पर्याप्त प्रोत्साहन मिला। इसके प्रमुख कारण निम्नवत् रहे। 

  1. सुरक्षा, सामरिक अथवा पर्यावरण से सम्बन्धित छह उद्योगों को छोड़कर भारत सरकार ने सभी उद्योगों को लाइसेंस व्यवस्था से मुक्त कर दिया।
  2. सन् 1956 से सार्वजनिक सेक्टर के लिए सुरक्षित उद्योगों की संख्या को 17 से घटाकर 4 कर दिया। इस प्रकार 13 उद्योगों के लिये निजी क्षेत्र के दरवाजे सरकार द्वारा खोल दिए गये। केवल परमाणु-शक्ति तथा रेलवे से सम्बन्धित उद्योग ही सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत बने रहे।
  3. भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्योगों के शेयरों में से कुछ को सामान्य जनता, कामगारों तथा वित्तीय संस्थाओं के लिए आवंटित करने का निश्चय किया।
  4. किसी भी उद्योग में पूँजी निवेश की सीमा को समाप्त कर दिया गया तथा इसके लिए लाइसेन्स व पूर्व अनुमति की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया।
  5. उद्योगों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) को घरेलू निवेश के रूप में मान्यता प्रदान की गई। इससे भारतीय उद्योगों में विदेशी निवेश के दरवाजे खुल गए जिसके परिणामस्वरूप उद्योगों में उन्नत तकनीक, वैश्विक कुशल प्रबन्धन व व्यावहारिकता का अभिगमन तथा प्राकृतिक व मानवीय संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग का समावेश होने से उनके विकास को एक नवीन दिशा प्राप्त हुई।
  6. भारत की औद्योगिक नीति में घरेलू तथा बहुराष्ट्रीय दोनों व्यक्तिगत पूँजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उदारता दिखाई गई। खनन, दूर-संचार, राजमार्ग निर्माण व व्यवस्था को निजी क्षेत्र की कम्पनियों के लिए खोल दिया गया। 
  7.  इन सभी छूटों के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत सरकार की आशाओं के अनुरूप नहीं रहा लेकिन विदेशी निवेश का एक बड़ा भाग घरेलू उपकरणों, वित्त, सेवा, इलेक्ट्रॉनिक, विद्युत उपकरण, खाद्य व दुग्ध जैसे उद्योगों में लगाए जाने से इन उद्योगों के विकास को पर्याप्त प्रोत्साहन मिला है।
Prasanna
Last Updated on Dec. 28, 2023, 9:33 a.m.
Published Dec. 27, 2023