RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Non-fiction Chapter 1 Freedom

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Non-fiction Chapter 1 Freedom Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with job letter class 12 to ensure that students have basic grammatical knowledge. 

RBSE Class 12 English Solutions Kaleidoscope Non-fiction Chapter 1 Freedom

RBSE Class 12 English Freedom Textbook Questions and Answers

Understanding the Text :

Question 1. 
Point out the difference between the slavery of man to Nature and the unnatural slavery of man to Man.
व्यक्ति की प्रकृति के प्रति दासता और मनुष्य की मनुष्य के प्रति अप्राकृतिक दासता में अन्तर बताइए।
Answer:
The writer refers to two types of slavery in the essay. On one part it is the slavery of man to nature that a person very gladly do because nature provides all the amenities to man. Man feels overjoyed being the slave of nature. All the pleasant things are provided by nature to man. Nature provides us different types of delicious food to eat, comfortable bed to sleep. People get married and the enoy their married life which results in the continuance of the universe. 

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But on the contrary, the slavery of man to man is quite unnatural. Neither our body not soul accepts it. The reason of it is that no man is so perfect and God-like that he can become the master of man. Civil war are the outcome of struggle between slaves and their masters. Trade unions fight against employers and there starts a fierce struggle. Thus, the main difference is that on one hand, man wants to become slave to nature with pleasure while he is forced to accept the slavery of man.

लेखक ने निबन्ध में दो प्रकार की दासता का सन्दर्भ दिया है। एक ओर यह मनुष्य की प्रकृति के प्रति दासता है जिसे व्यक्ति अत्यन्त खुशी से करता है क्योंकि प्रकृति मनुष्य को सारी सुख-सुविधाएँ देती है। मनुष्य प्रकृति का दास बनकर अत्यन्त खुशी महसूस करता है। सारी सुखद वस्तुएँ प्रकृति द्वारा मनुष्य को उपलब्ध कराई जाती हैं। प्रकृति हमें विभिन्न स्वादिष्ट भोजन खाने के लिए उपलब्ध कराती है, आरामदायक बिस्तर सोने के लिए उपलब्ध कराती है। 

व्यक्ति शादी करते हैं और अपने वैवाहिक जीवन का आनन्द उठाते हैं जिसका परिणाम सृष्टि के जारी रहने में होता है। इसके विपरीत, मनुष्य की मनुष्य के प्रति दासता पूरी तरह से अस्वाभाविक है। इसे न ही हमारा शरीर और न ही आत्मा स्वीकार करती है। इसका कारण है कि कोई भी व्यक्ति इतना पूर्ण तथा ईश्वरीय नहीं है कि वह मनुष्य का स्वामी बन सके ।

गृहयुद्ध दास और उनके स्वामियों के बीच संघर्ष का परिणाम है। मजदूर संघ नियोक्ताओं के विरुद्ध संघर्ष शुरू कर देते हैं और तीव्र संघर्ष शुरू हो जाता है। इस प्रकार, मुख्य अन्तर यह है कि एक ओर मनुष्य प्रकृति का दास अपनी खुशी से बनना चाहता है जबकि उसे मनुष्य की दासता स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जाता है।

Question 2. 
What are the ways in which people are subjected to greater control in the personal spheres than in the wider political sphere? :
वे कौनसे तरीके हैं जिनमें लोग विस्तृत राजनीतिक क्षेत्र की तुलना में व्यक्तिगत क्षेत्र में ज्यादा नियंत्रित होते हैं?
Answer:
According to Shaw, there are two spheres of working of man. But mostly people are controlled in personal sphere. In personal zone, people can work as per their own choice and requirements. They cast their vote to their own class. They have much time to do work. This is because common people are not interested representing political sphere. 

But in political sphere people are not so free. Common people are generally neglected in the wider political sphere. Apart it, people are fond of living in a safe zone. So they hesitate entering the political zone. They have their own some works which they prefer to do. So people are more tend to be controlled greatly in personal sphere than in political sphere.

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शॉ के अनुसार, मनुष्य के करने के लिए दो क्षेत्र होते हैं। लेकिन अधिकतर लोग व्यक्तिगत क्षेत्र में ज्यादा नियंत्रित होते हैं । व्यक्तिगत क्षेत्र में, व्यक्ति अपनी स्वेच्छा और आवश्यकता के अनुसार कार्य कर सकता है। वे अपना वोट अपने वर्ग को देते हैं। उनके पास कार्य करने के लिए अतिरिक्त समय होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सामान्य व्यक्ति राजनैतिक क्षेत्र में जाने के इच्छुक नहीं होते हैं। लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में लोग बहुत ज्यादा स्वतन्त्र नहीं होते हैं।

सामान्य लोगों की राजनैतिक क्षेत्र में प्रायः अवहेलना होती है । इसके अलावा, लोग सुरक्षित क्षेत्र में कार्य करना ज्यादा पसन्द करते हैं । इसलिए वे राजनैतिक क्षेत्र में प्रवेश करने में संकोच महसूस करते हैं। उनके अपने कुछ कार्य होते हैं, जिन्हें वे प्राथमिकता से करते हैं। अत: लोगों को राजनैतिक क्षेत्र की तुलना में व्यक्तिगत क्षेत्र में ज्यादा नियंत्रित किया जाता है।

Question 3.
List the common misconceptions about 'freedom' that Shaw tries to debunk.
'स्वतन्त्रता' के बारे में उन मिथ्या अवधारणाओं की एक सूची बनाइये जिनका शॉ पर्दाफाश करने की कोशिश करता है।
Answer:
G.B. Shaw wants to debunk many false notions about freedom. He says that in a civilized society we are one bound to follow rules, laws and pay taxes. For this purpose, man works hard to earn his livelihood and they are so indulged in their work that they forget even to take rest. This is why they even don't know what freedom is. 

They even can't enjoy the real freedom. The reason of it that they don't know the real meaning of freedom. They merely consider it only leisure. This misleading conception does not let them enjoy freedom and they keep on roaring for more leisure and more money for their all honest toil. They also think that freedom is enjoyed only by the people who belong to master class not to the slave class.

जी.बी. शॉ स्वतन्त्रता के बारे में अनेकों मिथ्या अवधारणाओं का पर्दाफाश करना चाहता है। वह कहता है कि एक सभ्य समाज में हम नियमों और कानूनों का पालन करने और कर चुकाने के लिए बाध्य हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मनुष्य अपनी आजीविका कमाने के लिए कठोर परिश्रम करता है और वे अपने कार्य में इतने ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं कि वे आराम तक करना भूल जाते हैं। यही कारण है कि उन्हें यह तक नहीं पता होता कि स्वतन्त्रता क्या है। 

वे वास्तविक स्वतन्त्रता का आनन्द तक नहीं उठा पाते हैं। इसका कारण यह होता है कि वे वास्तविक स्वतन्त्रता का अर्थ ही नहीं जानते हैं। वे केवल इसे अवकाश का समय मानते हैं। यह मिथ्या धारणा उन्हें स्वतन्त्रता का आनन्द भी नहीं उठाने देती है और वे अपने ईमानदारी के कठिन परिश्रम के लिए और ज्यादा अवकाश का समय और धन की माँग करते रहते हैं। वे यह भी सोचते हैं कि स्वतन्त्रता का आनन्द केवल उन लोगों के द्वारा उठाया जाता है जो स्वामी वर्ग में आते हैं न कि दास वर्ग में।

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Question 4. 
Why, according to Krishnamurti, are the concepts of freedom and discipline contradictory to one another?
कृष्णामूर्ति के अनुसार स्वतन्त्रता और अनुशासन की अवधारणाएँ एक-दूसरे की विरोधी क्यों हैं?
Answer:
J. Krishnamurti is a renowned personality and great supporter of freedom. He considers that discipline is a great barrier on the way of freedom. He states that our teachers, parents and customs and traditions make an enclosure around us. Thus, discipline and freedom become contradictory to each other. 

The real freedom has certain conditions and until we overcome them, we can it experience a real freedom. But we are afraid of doing certain things because of our society and customs and traditions. Thus, in being disciplined, our sensitivity comes to an end.

That's why Krishnamurti says that to get real charm of freedom, we must be free from all the bondages of customs and traditions but it is also true that freedom and discipline are two sides of a coin and one is useless without the other. Thus, they are interrelated. So, if we want to get the experience of real freedom, we'll have to go through discipline.

जे. कृष्णामूर्ति एक विश्वविख्यात व्यक्ति और स्वतन्त्रता का समर्थक है। वह मानता है कि अनुशासन स्वतन्त्रता के रास्ते में एक बहुत बड़ी बाधा है। वह बताता है कि हमारे अध्यापक, माता-पिता और परम्पराएँ तथा प्रथाएँ हमारे चारों ओर एक चाहरदीवारी बना देती हैं । इस प्रकार अनुशासन और स्वतन्त्रता एक-दूसरे के विरोधी बन जाते हैं। वास्तविक स्वतन्त्रता की कुछ शर्ते होती हैं और जब तक हम उन पर विजय नहीं

पा लेते, हमें वास्तविक स्वतन्त्रता का अनुभव नहीं हो सकता है। लेकिन हम कुछ चीजें करने से डरते हैं क्योंकि समाज और प्रथाओं तथा परम्पराओं का भय होता है। इस प्रकार, अनुशासित होने में हमारी संवेदनशीलता समाप्त हो जाती है। यही कारण है कि कृष्णामूर्ति कहता है

कि स्वतन्त्रता का वास्तविक आकर्षण प्राप्त करने के लिए हमें सभी प्रकार की प्रथाओं और परम्पराओं के बन्धन से मुक्त होना चाहिए लेकिन यह भी सत्य है कि स्वतन्त्रता और अनुशासन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और एक के बिना दूसरा बेकार है। इस प्रकार वे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए यदि हम वास्तविक स्वतन्त्रता का आनन्द लेना चाहते हैं तो हमें अनुशासन में होकर जाना होगा।

Question 5. 
How does the process of inquiry lead to true freedom? 
पूछताछ की प्रक्रिया किस प्रकार वास्तविक स्वतन्त्रता की ओर ले जाती है?
Answer:
It is true that we have a long series of questions that we want to know about. But we do not care to get the answers for each and every question, while the process of inquiry leads us to real freedom because when we want to ask some question, we'll have to think it deeply.

We'll have to peep into the soul of the question. This process creates our sensitivity. It requires our alertness, perceptions, etc. A constant inquiry enables us to think what is right and what is wrong. It enables us to think over true freedom. Thus, the constant inquiry leads us to true freedom.

यह सत्य है कि हमारे पास प्रश्नों की एक लम्बी श्रृंखला होती है जिनके बारे में हम जानना चाहते हैं। लेकिन हम प्रत्येक प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की खुद ही चिन्ता नहीं करते हैं जबकि पूछताछ की प्रक्रिया हमें वास्तविक स्वतन्त्रता की ओर ले जाती है क्योंकि जब हम कोई प्रश्न पूछता चाहते हैं, तो हमें उसे गहराई से सोचना पड़ेगा।

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हमें प्रश्न की आत्मा में झाँकना पड़ेगा। यह प्रक्रिया हमारी संवेदनशीलता को स्थापित करता है। इसे हमारी जागरूकता, दृष्टिकोण इत्यादि की आवश्यकता होती है। एक सतत् पूछताछ हमें यह सोचने योग्य बनाती है कि क्या सही है और क्या गलत है। यह हमें इस योग्य बनाती है कि हम सोच सकें कि वास्तविक स्वतन्त्रता क्या है। इस प्रकार सतत् पूछताछ हमें वास्तविक स्वतन्त्रता की ओर ले जाती है। 

Talking about the Text :

Question 1. 
According to the author, the masses are prevented from realising their slavery; the masses are also continually reminded that they have the right to vote. Do you think this idea holds good for our country too?
लेखक के अनुसार, जनसाधारण को दासता महसूस करने से वंचित कर दिया जाता है; जनसाधारण को लगातार यह भी याद दिलाई जाती है कि उनके पास मतदान का अधिकार है। क्या आप सोचते हैं कि यह विचार हमारे देश के लिए भी सही है ?
Answer:
The writer depicts a true picture of the masses and their voting right. He admits that the master class is not lowest enough to give full rights to the masses. They are prevented from realizing that they have become slaves of the master class. The master class being rich holds the ownership of newspapers, schools, colleges, universities and even parliament. 

So through these institutions, they make every possible effort to prevent the masses from realising their slavery. They make propaganda that the masses are free and our forefathers got freedom for each and one. In return, they have given them right to vote. The slave class becomes happy and forgetful about their rights and the master class takes all the important decisions of the country without consulting the common people. It is a matter of great regret that the situation continues even today in the whole country.

लेखक ने जनसाधारण और उनके मतदान के अधिकार का वास्तविक चित्रण किया है। वह स्वीकार करता है कि स्वामी वर्ग जनसाधारण को पूर्ण अधिकार देने में पर्याप्त ईमानदार नहीं है। उन्हें यह महसूस करने से रोका जाता है कि वे स्वामी वर्ग के दास बन गये हैं। स्वामी वर्ग धनी होने के कारण अखबारों, विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों और यहाँ तक कि संसद पर भी अधिकार रखता है। अतः इन संस्थाओं के माध्यम से वे जनसाधारण को अपनी दासता महसूस करने से हर सम्भव तरीके से रोकते हैं। 

वे यह प्रचार करते हैं कि जनसाधारण स्वतन्त्र है और हमारे पूर्वजों ने उनमें से प्रत्येक के लिए स्वतन्त्रता प्राप्त कर ली है। बदले में, उन्होंने उन्हें मतदान का अधिकार दिया है। दास वर्ग खुश हो जाता है और अपने अधिकारों के बारे में भूल जाता है और स्वामी वर्ग बिना सामान्य जन से सलाह लिए देश के सारे निर्णय लेता है। यह अत्यन्त दुःख की बात है कि यह स्थिति आज भी पूरे देश में जारी है।

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Question 2. 
“Nature may have tricks up her sleeve to check us if the chemists exploit her too greedily.' Discuss.
"प्रकृति के पास हमारे ऊपर प्रतिबन्ध लगाने के संहारक साधन उपलब्ध हैं, यदि रसायनशास्त्री उसका इतना ज्यादा लालच से शोषण करेंगे।" व्याख्या कीजिए।
Answer:
Undoubtedly, nature is so powerful that nothing can challenge the force of nature. But human being seems to do so. He wants to increase the crop production with the help of machines and chemical fertilizers. They are also increasing industrial production. Man does not restrict himself on the earth but he is trying to exploit even the sea and the sky. 

The chemists exploit her too greedily for excess production. But this over exploitation is very hazardous to nature. It is the clear indication of ruins. If we do not control ourselves, we'll have to face severe problems in future. Thus, it is true that nature may have tricks up her sleeve to check us if the chemists exploit her too greedily.

निःसन्देह, प्रकृति इतनी ज्यादा शक्तिशाली है कि कोई भी वस्तु प्रकृति की शक्ति को चुनौती नहीं दे सकती है। लेकिन मनुष्य ऐसा करता हुआ प्रतीत होता है। वह मशीनों और उर्वरकों की सहायता से फसलों का उत्पादन बढ़ाना चाहता है। वे औद्योगिक उत्पादन में भी वृद्धि कर रहे हैं। मनुष्य ने स्वयं को केवल पृथ्वी तक ही सीमित नहीं किया है, बल्कि वह समुद्र और आकाश का भी शोषण करने की कोशिश कर रहा है। 

रसायनशास्त्री अतिरिक्त उत्पादन के लिए उसका भी लालचपूर्वक विदोहन कर रहे हैं। लेकिन यह अतिशोषण प्रकृति के लिए अत्यन्त घातक है। यह नष्ट होने का स्पष्ट संकेत है। यदि हम अपने आप को नियंत्रित नहीं करेंगे तो हमें भविष्य में गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इस प्रकार, यह सत्य है कि प्रकृति के पास हमारे ऊपर प्रतिबन्ध लगाने के संहारक साधन उपलब्ध हैं यदि रसायनशास्त्री उसका भी इतना ज्यादा लालच से शोषण करेंगे।

Question 3. 
Respect for elders is not to be confused with blind obedience. Discuss. 
बड़ों के सम्मान को अन्धआज्ञाकारी के समान मानकर भ्रमित नहीं होना चाहिए। व्याख्या कीजिए।
Answer:
The guiding force in our life is our parents, teachers and elders. We respect all of them of our age long tradition because we follow their orders and advice. We follow their instructions of discipline. But we should not be confused to think that respect for elders and blind obedience are one. 

While respecting them, we only follow the customs and traditions of our society which help to maintain a system in the society. But there is a great difference between both the terms. Respect doesn't mean blind obedience. So whenever a youngster respects his elders, he should rationally follow his precepts. Blind obedience is a slavery not freedom. So we should enjoy our freedom and freedom should not be converted into slavery.

हमारे जीवन में हमारे मार्गदर्शन की शक्ति हमारे माता-पिता, अध्यापक और हमसे बड़े लोग होते हैं । हम उनका सम्मान अपनी युगों पुरानी परम्पराओं का पालन करते हुए करते हैं क्योंकि हम उनके आदेशों का पालन करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। हम उनके अनुशासन के निर्देशों का पालन करते हैं। परन्तु हमें यह सोचकर भ्रमित नहीं होना चाहिए कि बड़ों का सम्मान और अन्धानुकरण दोनों एक ही हैं। 

उनका सम्मान करते समय हम केवल अपने समाज की प्रथाओं और परम्पराओं का पालन करते हैं जो कि समाज में एक व्यवस्था बनाये रखने में सहयोगी होता है। लेकिन दोनों शब्दों में अत्यधिक अन्तर होता है। सम्मान का अर्थ अन्धानुकरण नहीं होता है। अतः एक युवक जब भी अपने से बड़ों का सम्मान करता है, उसे उनकी शिक्षाओं का तार्किक रूप से पालन करना चाहिए। अन्धानुकरण एक दासता है, स्वतन्त्रता नहीं। अतः हमें अपनी स्वतन्त्रता का आनन्द उठाना चाहिए और स्वतन्त्रता हमारी दासता में परिवर्तित नहीं होनी चाहिए। 

Page : 123

Question 1. 
What are the links between natural jobs, labour and slavery? 
प्राकृतिक रोजगार, मजदूरी और दासता में क्या आपसी सम्बन्ध हैं ?
Answer:
According to Shaw, human being need a lot of things to continue life and life process on earth. For survival, human beings need the things to eat and drink, wash, dress and undress. Thus, this rotational work is our natural job but these natural jobs can not be completed without labour because we need so many things everyday like food to eat, clothes to cover our body, bed to sleep, fireplaces etc.

All these things are made by labours. But when a human being employs labour for the production of these things, gradually, he makes them slave. Thus, natural jobs, labour and slavery are inter-related.

शॉ के अनुसार, मनुष्यों को पृथ्वी पर जीवन और जीवन पद्धति को चलाने के लिए अत्यधिक चीजों की आवश्यकता होती है। जीवित रहने के लिए, मनुष्यों को खाने, पीने, धोने, वस्त्र धारण करने इत्यादि के लिए वस्तुओं की आवश्यकता होती है। इस प्रकार यह दैनिक कार्य हमारा प्राकृतिक रोजगार है लेकिन ये प्राकृतिक रोजगार बिना मजदूरी के पूर्ण नहीं हो सकता है क्योंकि हमें प्रतिदिन बहुत सी वस्तुओं की आवश्यकता होती है।

जैसे-खाने के लिए भोजन, शरीर ढकने के लिए कपड़े, सोने के लिए बिस्तर, अग्निकुण्ड आदि। ये सभी वस्तुएँ मजदूरों द्वारा बनाई जाती हैं लेकिन जब एक मनुष्य मजदूरों को इन वस्तुओं के उत्पादन के लिए नियुक्त करता है तो धीरे-धीरे वह उन्हें दास बना लेता है। इस प्रकार प्राकृतिक रोजगार, मजदूरी और दासता आपस में जुड़े हुए हैं।

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Question 2. 
What ought to be the object of all governments, and what do we actually find it to be?
सभी सरकारों का क्या उद्देश्य होना चाहिए, और वास्तव में हम उसे कैसा पाते हैं ?
Answer:
It is the duty of the governments that they should frame their policies which may be beneficial to each and every citizen of the country. The atmosphere should be so free and people may feel free in it without burden. People may fulfil their desires what they require. People should not be burdened with extra work or extra time and if it is necessary, they should be paid properly. 

But the grass root reality of the governments is that they enforce slavery and name it freedom. People are burdened under one employer or the other. They frame such rules and regulations so that people may not raise their voice against it. But if they raise their voice, they are misguided by the Governments in the name of vote. They are advised to vote properly next time so that they may get benefit of it.

यह सरकारों का कर्तव्य है कि वे ऐसी नीतियाँ बनायें जो कि देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए लाभदायक हो सकें। वातावरण इतना स्वतन्त्र होना चाहिए कि लोग उसमें बिना भार के स्वतन्त्र महसूस कर सकें। लोग अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकें जिसकी उन्हें आवश्यकता है। लोगों पर अतिरिक्त कार्य और अतिरिक्त समय नहीं लादा जाना चाहिए और यदि यह आवश्यक हो तो उनका उचित भुगतान किया जाना चाहिए। लेकिन सरकारों की आधारभूत सच्चाई यह है कि वे दासता को थोपते हैं और उसे स्वतन्त्रता का नाम देते हैं। 

लोग एक नियोक्ता अथवा दूसरे नियोक्ता के अधीन रहते हैं। वे ऐसे नियम कानून बनाते हैं ताकि लोग उनके विरुद्ध आवाज न उठा सकें। लेकिन यदि वे आवाज उठाते हैं, तो वे सरकारों के द्वारा वोट के नाम पर दिग्भ्रमित किये जाते हैं। उन्हें सलाह दी जाती है कि अगली बार वे उचित रूप से वोट दें ताकि वे उसका लाभ उठा सकें।

Page : 127

Question 1. 
What causes the master class to be more deluded than the enslaved classes?
स्वामी वर्ग किन कारणों से दास वर्ग से भी ज्यादा धोखा खा जाता है?
Answer:
The master class is generally educated class. They got their education at preparatory school, public school and colleges and universities. They feel themselves to be superior to the slave class. They lead a life of high standard of living. They consider their living conditions and environment around them to be of a high standard in which they feel highly satisfied.

But the people of slave class do not have such feelings. They feel frustrated. And out of their frustration, disgust and despair, they feel discontented. Such adverse circumstances become very dangerous for the master class. This situation causes master class to be more deluded than the enslaved classes.

सामान्य रूप से स्वामी वर्ग पढ़ा-लिखा वर्ग होता है। वे अपनी शिक्षा, प्रारम्भिक स्कूल, पब्लिक स्कूल और महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में प्राप्त करते हैं । वे अपने आप को दास वर्ग से ज्यादा श्रेष्ठ मानते हैं। वे उच्च स्तर का जीवन व्यतीत करते हैं। वे अपनी रहने की स्थितियाँ और अपने चारों ओर के वातावरण को उच्च स्तर का मानते हैं जिसमें वे अत्यधिक संतोष महसूस करते हैं। दास वर्ग में इस तरह की भावनाएँ नहीं होती हैं। वे स्वयं को कुंठित महसूस करते हैं।

और अपनी इसी कुंठा, घृणा और निराशा में वे असन्तुष्ट रहते हैं। इस प्रकार की विपरीत परिस्थितियाँ स्वामी वर्ग के लिए अत्यन्त खतरनाक हो जाती हैं। यह स्थिति स्वामी वर्ग को दास वर्ग की तुलना में ज्यादा हानिकारक होती है।

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Question 2. 
According to Aristotle, what are the conditions to be fulfilled for the common people to accept law and order, and government, and all that they imply?
अरस्तु के अनुसार कौनसी शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए ताकि सामान्य व्यक्ति भी कानून, आदेश, सरकार और अन्य सभी बातें जो वे समझते हैं, को स्वीकार कर सके?
Answer:
G.B. Shaw, very humoursly and mockingly quotes Aristotle. Aristotle says that such conditions should be developed that common man may accept law and order and government. It is true that slave class follows the master class so the people of master class should be well dressed and decorated. They should create an impression in the minds of slave class that they have a god-like appearance. They should pretend to be very rich and superior to slave class. 

They should speak a refined language to impress them. They should get services only at one ringing bell. Everything including their travel, coaches, horses should be full of luxury. All these things will impress the common man and they will work according to the master class.

जी.बी. शॉ अत्यधिक हास्य और मजाक बनाते हुए अरस्तु के कथन का प्रयोग करता है। अरस्तु का कहना है कि इस प्रकार की स्थितियाँ विकसित की जानी चाहिए कि एक सामान्य व्यक्ति कानून, आदेश और सरकार को स्वीकार कर सके। यह सत्य है कि दास वर्ग, स्वामी वर्ग का अनुसरण करता है अतः स्वामी वर्ग के सदस्यों को शानदार और सजावटी वस्त्र धारण करने चाहिए। उन्हें दास वर्ग के मस्तिष्क में ऐसा प्रभाव डालना चाहिए कि वे ईश्वर के समान प्रभावशाली हैं। 

उन्हें धनी प्रदर्शित करना चाहिए और दास वर्ग से श्रेष्ठ दिखना चाहिए। उन्हें प्रभावित करने के लिए शानदार भाषा बोलनी चाहिए। उन्हें केवल एक घण्टी बजाकर अपनी सेवा करवानी चाहिए। उनकी यात्रा, गाड़ी, घोड़े सहित प्रत्येक चीज विलासितापूर्ण होनी चाहिए। ये सारी बातें सामान्य व्यक्ति को प्रभावित करेंगी और वे स्वामी वर्ग की इच्छानुसार कार्य करेंगे।

Question 3. 
How can reasonable laws, impartially administered, contribute to one's freedom?
पक्षपात रहित रूप से लागू किये गये तार्किक कानून व्यक्ति की स्वतन्त्रता में किस प्रकार योगदान करते हैं?
Answer:
Undoubtedly, reasonable laws impartially administered contribute to our freedom a lot. It happens through political weapon of vote. To take benefit of vote, it is necessary that we should exercise our vote with utmost honesty. We should choose the best candidate without keeping in our mind caste, creed or religion. 

If they face any difficulty, they collectively can raise their voice. Thus, we can save ourselves from the clutches of master class. We shall be free. And then, we can do our tasks what we want. Administration should also implement the laws impartially.

निस्सन्देह, पक्षपात रहित तरीके से लागू किये गये तार्किक नियम हमारी स्वतन्त्रता में अत्यधिक योगदान देते हैं। यह राजनीतिक हथियार वोट के माध्यम से होता है। वोट का लाभ प्राप्त करने के लिए, यह आवश्यक है कि हम अपने वोट का प्रयोग सम्पूर्ण ईमानदारी से करें। हमें बिना जाति, पंथ और धर्म का ध्यान किए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार का चयन करना चाहिए।

यदि उन्हें कोई कठिनाई आती है तो वे सामूहिक रूप से अपनी आवाज उठा सकते हैं । इस प्रकार, हम स्वयं को स्वामी वर्ग की पकड़ से बचा सकते हैं। हम स्वतन्त्र होंगे। और तब हम अपने वे कार्य कर सकेंगे जो हम चाहते हैं। प्रशासन को भी कानून निष्पक्ष तरीके से लागू करने चाहिए।

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Question 4. 
What are the ways in which individual freedom gets restricted? 
वे कौन से रूप हैं जिनमें व्यक्तिगत स्वतन्त्रता प्रतिबन्धित हो जाती है?
Answer:
Individual freedom gets restricted in many ways. A person will have to work and earn money for his livelihood. And in doing so, he will have to pass through certain restrictions Restriction of one or the other employer. A free country imposes certain restrictions over its citizens and the police force to obey the rules. We are not free to violate them. 

If we do so, police may imprison us. And the court will punish for doing so. People are forced to pay taxes fixed by the government. But one pleasing thing what doing so is that government takes our responsibility to protect us from assaults. Government also takes responsibility for our smooth functioning and livelihood. 

व्यक्तिगत स्वतन्त्रता अनेकों प्रकार से बाधित हो जाती है। व्यक्ति को अपनी आजीविका के लिए कार्य करना होगा और धन कमाना होगा। और ऐसा करने में, उसे अनेकों बाधाओं से होकर गुजरना होगाएक या अधिक नियोक्ता के प्रतिबन्ध । एक स्वतन्त्र देश अपने नागरिकों पर भी अनेकों प्रतिबन्ध लागू करता है और पुलिस उन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करती है। हम उनकी अवहेलना करने के लिए स्वतन्त्र नहीं हैं।

यदि हम ऐसा करेंगे तो पुलिस हमें जेल में डाल सकती है और न्यायालय ऐसा करने के लिए सजा देगा। लोगों को सरकार द्वारा निर्धारित कर चुकाने के लिए बाध्य किया जाता है। लेकिन ऐसा करने में एक सुखद पहलू है कि सरकार हमें आक्रमण से सुरक्षा का उत्तरदायित्व लेती है। सरकार हमारी बिना बाधा की कार्यपद्धति और आजीविका का भी उत्तरदायित्व लेती है। 

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Question 1. 
Why do most people find it easier to conform, imitate, and follow a selfappointed guru?
अधिकतर लोग कानूनों का पालन करना, नकल करना और स्वयं द्वारा नियुक्त किये गये गुरु का अनुसरण करना सरल क्यों समझते हैं ?
Answer:
J. Krishnamurti is a modern writer. He does not believe in the customs and traditions. He wants that people should adopt something new. He wants that people should not follow others. Instead, they should frame their own rules. We should not accept the traditions otherwise we conform and start to imitate others. 

The writer regrets that there are so many people who never try to find out something new within them. No doubt, it is a hard way to achieve. To get something new, we need dedication, perception and constant inquiry. But we choose a simple way when we choose some body our leader, teacher or Guru. In doing so, people don't want to work hard instead they want their work done by others so that they may lead a carefree life.

जे. कृष्णामूर्ति आधुनिक लेखक हैं। वह प्रथाओं और परम्पराओं में विश्वास नहीं करता है। वह चाहता है कि लोग कुछ नया स्वीकार करें। वह चाहता है लोगों को दूसरों का अनुसरण नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर उन्हें अपने स्वयं के नियम बनाने चाहिए। हमें परम्पराओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए अन्यथा हम दूसरों की आज्ञा का पालन करना और नकल करना शुरू कर देते हैं।

लेखक दुख व्यक्त करता है कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने अन्दर कभी भी कुछ भी नया प्राप्त करने की कोशिश नहीं करते हैं। निःसन्देह, यह प्राप्त करने के लिए एक कठिन रास्ता है। कुछ नया प्राप्त करने के लिए हमें समर्पण, दृष्टिकोण और लगातार पूछताछ की आवश्यकता होती है। लेकिन हम एक सरल रास्ता चुनते हैं जब किसी व्यक्ति को अपना नेता, शिक्षक अथवा गुरु चुन लेते हैं। ऐसा करने में लोग कठिन कार्य करना नहीं चाहते हैं बल्कि इसके स्थान पर वे अपने कार्य को किसी और व्यक्ति से कराना चाहते हैं ताकि वे एक चिन्तामुक्त जीवन व्यतीत कर सकें।

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Question 2. 
What is the inward struggle that the author refers to? 
वह कौनसा आन्तरिक संघर्ष है जिसका लेखक ने सन्दर्भ दिया है?
Answer:
The inward struggle that the author refers to is our hesitation in doing the work that we want to do but we can't. In our society there are a lot of different types of classes. Someone poor and some other are rich. The poor people are always in need of money. The writer asks the question here whether we offer. our helping hand to the people in need. 

The writer says that if we want to help them, we feel a hesitation what the other people will say. We are afraid of status and standard lest it should decline. As a result, we don't offer helping hand to the sufferers. Thus, a person feels an inward struggle in his heart.

आन्तरिक संघर्ष जिसका लेखक ने उल्लेख किया है, वह हमारी हिचकिचाहट है कि हम कार्य करें या न करें जिसको हम करना तो चाहते हैं किन्तु कर नहीं सकते हैं। हमारे समाज में विभिन्न प्रकार के बहुत अधिक वर्ग हैं। कुछ निर्धन हैं और कुछ अत्यन्त गरीब हैं। गरीब लोगों को हमेशा धन की आवश्यकता रहती है।

यहाँ पर लेखक प्रश्न पूछता है कि क्या हम उन लोगों की ओर सहायता का हाथ बढ़ाते हैं जिन्हें हमारी सहायता की आवश्यकता है। लेखक कहता है कि जब हम सहायता करना चाहते हैं तो हमें एक संकोच होता है कि लोग क्या कहेंगे। हमें अपने स्तर का डर रहता है कि कहीं यह गिर न जाये। परिणामस्वरूप, हम कष्ट उठाने वालों के प्रति सहायता का हाथ नहीं बढ़ाते हैं। इस प्रकार, एक व्यक्ति अपने हृदय में आन्तरिक संघर्ष महसूस करता है।

Appreciation :

Question 1. 
Both the texts are on 'freedom'. Comment on the difference in the style of treatment of the topic in them.
दोनों अध्याय 'स्वतन्त्रता' के ऊपर हैं । शीर्षक के व्यवहार की शैली में अन्तर पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
Answer:
Both the texts and penned by the world renowned writers. One from England and the other one from India in which both of them advocate freedom of human beings. In his essay, G.B. Shaw treats freedom as a condition when an individual is free from external control over his thoughts and actions.

We are bound to obey government rules and pay the taxes. He does not consider freedom as only a leisure time. A person must get full freedom to live peacefully and a life free from problems. Otherwise it becomes slavery instead of freedom.

Krishnamurti considers that freedom and discipline are extraordinary to each other. He says that human beings as children are always influenced with their parents, teachers and elders. They percept them what to do and what not to do. Our intellect is bound to their teachings.

We are fully dependent over them. Our customs and traditions, restrict us to share own feelings. Thus, he refers freedom in a wider respect to think. Through his discussion, it becomes apparent that real freedom is beyond the reach of a common man. In this way, both the texts are discussed in different perspectives.

दोनों अध्याय विश्वविख्यात लेखकों द्वारा लिखे गये हैं। एक इंग्लैण्ड से है और दूसरे भारत से हैं, जिनमें दोनों ही मनुष्य की स्वतन्त्रता की वकालत करते हैं। अपने निबन्ध में, जी.बी. शॉ स्वतन्त्रता को एक ऐसी शर्त मानते हैं जब व्यक्ति अपने विचार और कार्यों में बाहरी नियंत्रण से मुक्त हो। हम सरकार के नियम मानने और करों का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं। वह स्वतन्त्रता को केवल एक अवकाश का समय नहीं मानता है। व्यक्ति को शान्तिपूर्वक रहने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिए और उसका जीवन समस्याओं से मुक्त होना चाहिए अन्यथा यह स्वतन्त्रता के स्थान पर दासता बन जाती है।

कृष्णामूर्ति मानते हैं कि स्वतन्त्रता तथा अनुशासन एक-दूसरे के विरोधी गुण हैं । वह कहता है कि मनुष्य बच्चे के रूप में हमेशा अपने माता-पिता, अध्यापक तथा बड़ों से प्रभावित रहते हैं। वे उन्हें बताते हैं कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। हमारी बुद्धि उनकी शिक्षाओं से बँध जाती है।

हम उन पर पूरी तरह से निर्भर हो जाते हैं। हमारी प्रथाएँ तथा परम्पराएँ भावनाओं को एक-दूसरे से साझा करने से रोकती हैं। इस प्रकार, वह स्वतन्त्रता को सोचने के लिए एक बड़े रूप में प्रस्तुत करता है। उसकी व्याख्या के माध्यम से यह स्पष्ट हो जाता है कि वास्तविक स्वतन्त्रता एक सामान्य व्यक्ति की पहुँच से बहुत दूर है। इस प्रकार, दोनों अध्याय दो अलग-अलग उद्देश्यों के रूप में प्रस्तुत किये गये हैं।

Question 2. 
When Shaw makes a statement he supports it with a number of examples. Identify two sections in the text which explain a statement with examples. Write down the main statement and the examples. Notice how this contributes to the effectiveness of the writing.
जब शॉ कोई वक्तव्य देता है तो वह उसे बहुत से उदाहरणों से सिद्ध करता है। अध्याय में दो ऐसे अंश छाँटिये जो कि वक्तव्य की उदाहरण सहित व्याख्या करते हैं । मुख्य वक्तव्य और उदाहरण भी लिखिए। साथ में यह भी बताइए कि यह लेखन प्रभावपूर्णता के लिए क्या योगदान देता है। 
Answer:
The author is in habit of supporting the statements with examples. It is clear at different places in the text.  The two sections are given below :

Example-1 :
"Great men, like Aristotle, have held that the law and order and government would be impossible unless the persons the people have to obey are beautifully dressed and decorated, robed and uniformed, speaking with a special accent, travelling in first-class carriages or the most expensive cars. In these lines, the writer conveys the idea that the master class should look superior to the slave class. Their impressive appearance effect the slave class otherwise they would think the master class to be ordinary class.

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Example-2 :
To prove this, we are reminded that, although nine out of ten voters are common workers, it is with the greatest difficulty that a few of them can be persuaded to vote for the members of their own class. When women were enfranchised and given the right to sit in Parliament, the first use they made of their votes was to defeat all the women candidates who stood for the freedom of the workers and had given them years of devoted and distinguished service. In this statement, the author clarifies his statement that it is very difficult to change the mind. For this purpose he gives the example of women who opposed their certain supporters and cast their vote against them.

लेखक की अपने वक्तव्य को उदाहरण देकर सिद्ध करने की आदत है । यह अध्याय में अलग-अलग स्थानों पर स्पष्ट है। दो उदाहरण निम्न प्रकार हैं

उदाहरण-1

"अरस्तू जैसे महान लोगों का मत है कि कानून और व्यवस्था तथा सरकार असम्भव होंगे, जब तक कि वे लोग जिनकी आज्ञा का पालन किया जाना है, शानदार और सजे हुए एक रूप वस्त्र धारण न कराये जायें, वे विशेष उच्चारण से न बोलें, प्रथम श्रेणी की गाड़ी में अथवा सर्वाधिक महंगी कारों में यात्रा न करें।"
इन पंक्तियों में लेखक विचार प्रस्तुत करता है कि स्वामी वर्ग को दास वर्ग से शानदार दिखना चाहिए। उनका दिखावा दास वर्ग को प्रभावित करता है अन्यथा वे स्वामी वर्ग को सामान्य वर्ग मान लेंगे।

उदाहरण-2

"इस बात को सिद्ध करने के लिए, हमें यह याद दिलाया जाता है कि दस में से नौ मतदाता सामान्य मजदूर हैं, यह अत्यधिक कठिन कार्य होता है कि उनमें से कुछ को इस बात के लिए मनाया जाए कि वे अपने वर्ग के सदस्यों के पक्ष में मतदान करें। जब महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया और उन्हें संसद में बैठने का अधिकार मिला तो अपने मत का पहला कार्य उन्होंने यह किया कि उन्होंने उन सभी महिला उम्मीदवारों को हरा दिया जो मजदूरों की स्वतन्त्रता के लिए खड़ी रहीं और उनकी समर्पित भाव से उत्कृष्ट सेवा की।" इस वक्तव्य में, लेखक स्पष्टीकरण देता है कि मानसिकता को बदलना अत्यन्त कठिन कार्य है। इस उद्देश्य के लिए वह महिलाओं का उदाहरण देता है जिन्होंने अपनी महिला सहयोगियों का विरोध किया और उनके विरुद्ध मतदान किया।

Question 3. 
Notice the use of personal pronouns in the two texts. Did this make you identify yourself more with the topic than if it had been written in an impersonal style? As you read the texts, were you able to relate the writer's thoughts with the way you lead your own life?
दोनों अध्यायों में व्यक्तिगत सर्वनामों के प्रयोग को देखिए। क्या इस शीर्षक ने आपको स्वयं को पहचानने में ज्यादा सहायता की उसकी तुलना में जब यह एक तटस्थ शैली में लिखा गया होता? जब आप अध्याय पढ़ते हैं, तो क्या आप लेखक के विचारों से स्वयं का सम्बन्ध स्थापित करने योग्य हुए जिस तरह से आप अपना जीवन व्यतीत करते हैं ?
Answer:
It is true that the use of personal pronouns has enriched the sweetness of both the texts. Both the authors have knowingly put the pronouns. It is true that this personal touch has made us identify ourselves more with the topic than if it had been written in an impersonal style. They help us to find out the real sense of freedom. These personal pronouns make us able to relate the writer's thoughts with the way we lead our own life. While reading the text, it seems that we are experiencing our own life history.

यह सत्य है कि व्यक्तिगत सर्वनामों के प्रयोग ने दोनों अध्यायों के माधुर्य को बढ़ा दिया है। दोनों लेखकों ने सचेत होकर यह कार्य किया है। यह सत्य है कि इस व्यक्तिगत संयोजन ने विषय के साथ हमारे जुड़ाव को और ज्यादा पहचान दी है उससे ज्यादा जब इसे तटस्थ रूप से लिखा गया होता। वे हमें स्वतन्त्रता का वास्तविक अर्थ समझाने में सहायता करते हैं। ये व्यक्तिगत सर्वनाम हमें लेखक के विचारों से जुड़ने में सहायता प्रदान करते हैं जिस प्रकार से हम अपना जीवन व्यतीत करते हैं। अध्याय पढ़ते समय ऐसा लगता है कि हम अपने जीवन के इतिहास का अनुभव कर रहे हैं। 

Language Work :

 A. Grammar

I. Sentence Types 

Task : Split the following sentences into their constituent clauses

Question 1. 
There is no freedom if you are enclosed by self interest or by various walls of discipline.
Answer:
(a) There is no freedom-Subordinate clause 
(b) if you are enclosed by self interest or by various walls of discipline—
Main clause
Explanation : Here we find that 
(b) is a complete sentence. Its sense is clear. This is why it is a main clause. 
While 
(a) is dependent on 
(b) to make its meaning clear. So it is subordinate clause. Here it is to note that the sentences with one main clause and one or more than one subordinate clauses are called to be complex sentences.

Question 2. 
When you see a servant carrying a heavy carpet, do you give him a helping hand?
Answer:: 
When you see a sevant carrying a heavy carpet-main clause. do you give him a helping hand-subordinate clause. 
Explanation-Same as No. 1

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Question 3. 
Very young children will eat needles and matches eagerly - but the diet is not a nourishing one.
Answer:
(a) Very young children will eat needles and matches eagerly - main clause. 
(b) but the diet is not a nourishing one - main clause.
Explanation-In this case (a) and (b) both make sense independent of each other though there is a link. There are two main clauses joined by the conjunction but. Sentences with more than one main clause are called compound sentences.

Question 4. 
We must sleep or go mad: but then sleep is so pleasant that we have great difficulty in getting up in the morning.
Answer:
(a) We must sleep or go mad-main clause
(b) but then sleep is so pleasant that we have great difficulty in getting up in the morning-main clause. Explanation-Same as No. 3

Question 5. 
Always call freedom by its old English name of leisure, and keep clamouring for more leisure and more money to enjoy it in return for an honest share of work.
Answer:
(a) Always call freedom by its old English name of leisure - main clause. 
(b) and keep clamouring for more leisure and more money to enjoy it in return for an honest share of work - main clause.

Explanation - In this case (a) and (b) both make sense independent of each other though there is a link. There are two main clauses joined by the conjuction and. So this is a compound sentence. 

B. Pronunciation 

Task: Write the sound sequences for the following words 
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Answer:
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RBSE Class 12 English Freedom Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions :

Question 1.
Why does Shaw think that no man is perfectly free? 
शॉ क्यों सोचते हैं कि कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से स्वतन्त्र नहीं है?
Answer:
Shaw is an eminent writer and dramatist. He thinks that it is impossible logically that a man can be perfectly freeman. The reason behind it is that human beings sleep for one third of their life time and wash and dress and undress, they spend a couple of hours in eating and drinking and a lot of time in travelling from one place to another. They are slaves to their natural requirement for half of the day which they cannot shirk. Thus, they can never be perfectly free.

शॉ एक महान लेखक और नाटककार हैं। उसका मत है कि यह तार्किक रूप से असम्भव है कि कोई व्यक्ति पूरी तरह से स्वतन्त्र हो जाए। इसका कारण यह है कि मनुष्य अपने जीवन का एक-तिहाई हिस्सा निद्रा में गुजार देते हैं और धोने तथा वस्त्र धारण करने और उतारने में व्यतीत करता है, वे दो घण्टे खाने और पीने में गुजारते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा में अत्यधिक समय व्यतीत करते हैं। वे आधे दिन तक अपनी प्राकृतिक आवश्यकताओं के दास बने रहते हैं जिससे वे बच नहीं सकते हैं। इस प्रकार वे कभी भी पूरी तरह से स्वतन्त्र नहीं हो सकते हैं।

Question 2. 
What is your opinion about the statement that all the social and governmental regulations aim at regulating man's slavery?
आपका इस वक्तव्य के बारे में क्या विचार है कि सभी सामाजिक तथा सरकारी कानूनों का उद्देश्य मनुष्य की दासता को कानूनी रूप प्रदान करना है?
Answer:
Shaw is of the opinion that the object of Governments should be to make man free from slavery. But he regrets that the actual motive of all the governments is just opposite. The government regulates the laws and call it to be freedom but the fact is that it is enforced slavery of man to man. The slave class is not free at all as the government regulates the norms of slavery so man has to choose between this or that master.

शॉ का मत है कि सरकार का उद्देश्य मनुष्य को दासता से मुक्ति होना चाहिए। परन्तु वह दुख व्यक्त करता है कि सभी सरकारों का वास्तविक उद्देश्य इसके ठीक विपरीत होता है। सरकार कानूनों को बनाती है और उसे स्वतन्त्रता कहती है लेकिन वास्तविकता यह है कि यह मनुष्य द्वारा मनुष्य के लिए जबरदस्ती बनाई गई दासता है। दास वर्ग बिल्कुल भी स्वतन्त्र नहीं है क्योंकि सरकार दासता के नियमों को बनाती है इसलिए मनुष्य को इस या उस स्वामी का चुनाव करना पड़ता है।

Question 3. 
What are the views of G.B. Shaw regarding right to vote? 
जी.बी. शॉ के वोट के बारे में क्या विचार हैं?
Answer:
Shaw has a very critical opinion about vote. He considers that the governments only deceive the people with this weapon. The people think that they govern the country by choosing the Government or the representatives through their vote but the fact is that they have to choose one of the rich. candidates who is divorced from the sorrows and sufferings of the common people. Thus, people are not free at all to do whatever they like, though it happens in the name of vote.

शॉ के वोट के बारे में अत्यधिक आलोचनात्मक विचार हैं। वह मानता है कि सरकारें इस हथियार के द्वारा लोगों को केवल धोखा देती हैं। लोग सोचते हैं कि वे सरकार अथवा उसके प्रतिनिधियों का अपने वोट के माध्यम से चयन करके देश का शासन चला रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्हें धनी उम्मीदवारों में से एक को चुनना पड़ता है जो कि सामान्य व्यक्ति के दुखों और कष्टों से पूरी तरह अनजान है। इस प्रकार, लोग वह सब करने के लिए बिल्कुल भी स्वतन्त्र नहीं हैं जो वे करना चाहें, यद्यपि यह सब कुछ वोट के नाम पर होता है।

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Question 4. 
Man's slavery to nature pleases everyone Discuss. 
प्रकृति के प्रति मनुष्य की दासता उसे सुख प्रदान करती है। व्याख्या कीजिए।
Answer:
Shaw is of the opinion that man is also slave to nature but his slavery to nature is for delight for pleasure not for suffering like the slavery of man to man. This is why because nature forces man to eat and drink and makes this eating and drinking pleasurable. It results in some men's habit to live only to eat. This the pleasing slavery of nature that young people get married and help the universe to continue.

शॉ का मत है कि मनुष्य प्रकृति का भी दास है लेकिन प्रकृति के प्रति उसकी दासता खुशियों के लिए है, आनन्द के लिए है न कि मनुष्य की मनुष्य के प्रति कष्टों के लिए दासता की तरह है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रकृति मनुष्य को खाने और पीने के लिए बाध्य करती है और इस खाने-पीने को आनन्ददायक बना देती है। इसका परिणाम कुछ लोगों की केवल खाने के लिए जीने की आदत के रूप में आता है। यह प्रकृति की सुखद दासता है कि युवा लोग शादी करते हैं और ब्रह्माण्ड को चलते रहने में सहायता प्रदान करते हैं।

Question 5. 
What are the factors that reduce the freedom of a common man?
वे कौनसी बातें हैं जो मनुष्य की स्वतन्त्रता को कम करती हैं ?
Answer:
Shaw gives so many factors that reduce the person of a common man. He states that man is a slave of his own needs and desires, he becomes a slave of his master in order to feed himself and his family. He has to obey his landlord, he is slave to government to pay taxes, the education system of the country which depresses him, and his freedom which becomes a subject of mockery by vote which also plunge him into slavery.

शॉ बहुत सारे तथ्य देता है जो एक सामान्य व्यक्ति की स्वतन्त्रता को कम करते हैं। वह कहता है मनुष्य अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं का दास है, वह अपने स्वामी का दास बन जाता है ताकि वह अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण कर सके, उसे अपने मकान मालिक की आज्ञा माननी पड़ती है, वह सरकार का गुलाम होता है क्योंकि कर चुकाता है, वह देश की शिक्षा प्रणाली का दास होता है जो उसे निराश करती है और अपनी स्वतन्त्रता जो कि वोट के कारण मजाक का विषय बन जाती है जो उसे दासता में डुबा देती है।

Question 6. 
What does Shaw say about the freedom achievement of some people in the middle ages?
मध्य युग में कुछ लोगों द्वारा जो स्वतन्त्रता प्राप्त की गई, उसके बारे में शॉ क्या कहता है ?
Answer:
Shaw mocks at attaining the freedom of some people in ancient time. He makes a fun of the countries like America and England that if they were attacked, they protect themselves. When they got victory, they called it to be the glorious triumphs of patriotism.

According to Shaw in a mocking a way, the victory of Waterloo and Trafalgor, the changing of Germany, Austrian, Russian and Ottoman empires into republics, the signing of Magna Carta, defeat of Spanish Armada was the attaining of freedom.

शॉ कुछ लोगों द्वारा प्राचीन समय में स्वतन्त्रता प्राप्ति की मजाक बनाता है। वह अमेरिका और इंग्लैण्ड जैसे देशों की मजाक बनाता है कि यदि इन पर आक्रमण होता था तो वे अपनी सुरक्षा करते थे। जब उन्हें विजय प्राप्त हो जाती थी तो वे इसे देशभक्ति की शानदार विजय कहते थे। एक हास्यास्पद रूप में शॉ के अनुसार, वाटरलू और ट्रेफल्गर की विजय, जर्मनी, आस्ट्रिया, रूस तथा ऑटोमन साम्राज्य का गणतन्त्र बनना, मैग्ना कार्टा पर हस्ताक्षर, स्पेनिश अरमादा की पराजय स्वतन्त्रता की प्राप्ति थी।

Question 7. 
What does Shaw say about the retirement and writing hours of people? 
लोगों के अवकाश ग्रहण करने और कार्यशील घण्टों के बारे में शॉ का क्या कहना है ?
Answer:: 
Shaw is a witty writer so he says that absolute freedom is impossible. He wants his readers to decide weather they would like to work eight hours everyday and retire with a full pension at the age of forty five years or they would like to work only four hours a day and retire at the age of seventy. But he wants that people should not reply to him. Rather they should discuss over it with their wives.

शॉ अत्यन्त बातूनी लेखक है इसलिए वह कहता है कि सम्पूर्ण स्वतन्त्रता असम्भव है। वह अपने पाठकों से चाहता है कि वे निश्चय करें कि क्या वे आठ घण्टे कार्य करके पूरी पेंशन राशि सहित पैंतालीस वर्ष की उम्र में अवकाश ग्रहण करना चाहेंगे अथवा वे एक दिन में चार घण्टे कार्य करके सत्तर वर्ष की उम्र में अवकाश ग्रहण करना चाहेंगे। लेकिन वह यह चाहता है कि लोग उत्तर उसे न दें बल्कि वे इस बारे में अपनी पत्नियों से बात करें।

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Question 8. 
What is the role of a civilized society in protection of its citizens? 
अपने नागरिकों की सुरक्षा में एक सभ्य समाज की क्या भूमिका है?
Answer:
According to Shaw, it is the responsibility of a civilized society to defend it citizens. For this purpose, a civilized society forms a government which frames a constitution which describes the rights and duties of citizens. The constitution restricts the absolute freedom. The citizens are forced to obey the rules and regulations and pay the taxes in time. They are told about do's and don'ts. They are given protection against assault, robbery and theft.

शॉ के अनुसार, यह एक सभ्य समाज का उत्तरदायित्व है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा करे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए, एक सभ्य समाज सरकार की स्थापना करता है जो कि संविधान का निर्माण करती है, जो कि नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों का वर्णन करता है। संविधान सम्पूर्ण स्वतन्त्रता को सीमित करता है। नागरिक नियमों और कानूनों का पालन करने को बाध्य होते हैं और समय पर करों का भुगतान करते हैं। उन्हें करने और नहीं करने के बारे में बताया जाता है। उन्हें आक्रमण, लूट और चोरी के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान की जाती है।

Question 9. 
What do you know about the natural jobs that can not be shirked? 
आप उन प्राकृतिक कार्यों के बारे में क्या जानते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है?
Answer:
According to G.B. Shaw, there are so many natural jobs that a person does gladly. They can't be shirked. Such jobs are eating, drinking, sleeping, washing, dressing and undressing. Shaw calls all these jobs to be man's slavery to nature. If a man wants to survive on the earth, he will have to perform all these jobs.

जी.बी. शॉ के अनुसार, बहुत से ऐसे प्राकृतिक कार्य हैं जो कि व्यक्ति अत्यन्त खुशी से करता है। उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे कार्य खाना, पीना, सोना, धोना, वस्त्र धारण करना, वस्त्र उतारना हैं । शॉ इन कार्यों को मनुष्य की प्रकृति के प्रति दासता कहकर पुकारता है। यदि कोई व्यक्ति पृथ्वी पर जीवित रहना चाहता है, तो उसे ये सारे कार्य करने ही होंगे।

Question 10. 
What do you know about chattel slavery?' 
व्यक्तिगत अधिकार की दासता से आपका क्या अभिप्राय है?
Answer:
G.B. Shaw being a renowned writer and dramatist, had a deep knowledge of everything. So he is bold enough to criticise any thing that he thinks to be wrong. In this regard, he criticizes chattel slavery which means that slaves were considered to be personal property of master class. Earlier even women were regarded as personal property. Negro slaves were regarded as personal property. Thus, chattel slavery is applied for Negro slavery.

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एक विख्यात लेखक और नाटककार होने के कारण जी.बी. शॉ को प्रत्येक बात का गहन ज्ञान था। इसलिए वह किसी भी बात की निडरतापूर्वक आलोचना करता है, जिसे वह गलत मानता है। इस क्रम में, वह व्यक्तिगत अधिकार की दासता की आलोचना करता है, जिसका अर्थ है कि दासों को स्वामी वर्ग की व्यक्तिगत सम्पत्ति माना जाता था। उससे पहले महिलाओं को भी व्यक्तिगत सम्पत्ति माना जाता था। नीग्रो दासों को भी व्यक्तिगत सम्पत्ति के रूप में माना जाता था। इस प्रकार, व्यक्तिगत अधिकार की दासता नीग्रो लोगों की दासता के लिए प्रयुक्त की जाती है। 

Long Answer Type Questions :

Question 1. 
According to G.B. Shaw, most workers cast their vote for their social superiors. Why?
जी.बी. शॉ के अनुसार, अधिकतर मजदूर अपना वोट अपने सामाजिक वरिष्ठों को देते हैं। क्यों?
Answer:
According to G.B. Shaw, human nature is very strange. But the medium to change it is education. Because it is the function of government to educate the peoples, so they never like to educate people. Government is always afraid that educated people think everything rationally. They never follow blindly. 

That's why Shaw is of the opinion that great man like Aristotle were of the opinion that people must be made ignorant idolaters. Then, they become obedient workers and law abiding citizens. If a person behaves or rather pretends to have a God-like superiority, he becomes successful in drawing the attention of their social inferiors. 

Women also follow the same path. Shaw notes that when women were franchised and given right to sit in the Parliament, their first action was to defeat all the women candidates who are great supporters of freedom. It happened due to human nature. Thus, human nature plays a major role in casting their vote.

जी.बी. शॉ के अनुसार, मानवीय प्रकृति अत्यन्त अनोखी होती है। लेकिन इसको बदलने का एक माध्यम शिक्षा है। क्योंकि यह सरकार का कार्य है कि वह नागरिकों को शिक्षित करे, अतः वे कभी भी नागरिकों को शिक्षित करना पसन्द नहीं करते हैं । सरकार हमेशा भयभीत रहती है कि पढ़े-लिखे लोग हमेशा तार्किक रूप से सोचते हैं। वे कभी भी नेत्र बन्द करके किसी का अनुसरण नहीं करते हैं। यही कारण है कि शॉ का मत है कि अरस्तू जैसे महान व्यक्तियों का मत था कि लोगों को अज्ञानता से पूर्ण मूर्तिपूजक बनाया जाए। 

तब, वे आज्ञाकारी श्रमिक और कानूनों को मानने वाले नागरिक बनेंगे। यदि कोई व्यक्ति ऐसा व्यवहार करता है अथवा बहाना करता है कि उसमें ईश्वर जैसी श्रेष्ठता है, तो वह सामाजिक रूप से अपने से छोटे लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में सफल हो जाता है। महिलाएं भी इसी रास्ते का अनुसरण करती हैं। शॉ देखता है कि जब महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया गया और उन्हें संसद में बैठने का अधिकार मिला तो उनका पहला कार्य सभी महिला उम्मीदवारों को हराने का था जो स्वतन्त्रता के बहुत बड़े चिन्तक थे। ऐसा मानवीय प्रकृति के कारण हुआ। इस प्रकार, मानवीय प्रकृति का उनके वोट देने में बहुत बड़ी भूमिका होती है।

Question 2. 
What are the views of Shaw regarding the master class being righteous of human exploitation?
स्वामी वर्ग के मानवीय शोषण में न्यायोचित होने में शॉ के क्या विचार हैं ?
Answer:
Shaw being a humanist always criticizes the exploiting tendency of master class. He regrets that a man is always in the clutches of master class. His mind is formed at a preparatory school which is run and owned by the master class, than he is admitted into a public school which is also owned by the government. Then, he goes to the university courses which are completely under the false notion of created history and dishonest political economy and snobbery taught in these places. 

The person who is the product of these institutions think himself superior to others. So he frames a concept in his mind that he has a right to get his work done by the underprivileged people. He opines that the nation has given him so many favours so he should shed his blood and the blood of others to defend the nation. Thus, he justifies his exploitation of underprivileged people. 

शॉ एक मानवतावादी होने के कारण हमेशा स्वामी वर्ग की शोषण करने की मानसिकता की आलोचना करता है। वह दुख व्यक्त करता है कि व्यक्ति हमेशा स्वामी वर्ग की पकड़ में रहता है। उसका मस्तिष्क प्रारम्भिक तैयारी के विद्यालय में विकसित किया जाता है जिसे स्वामी वर्ग द्वारा चलाया जाता है और स्वामित्व प्रदान किया जाता है। तत्पश्चात् उसे पब्लिक स्कूल में प्रवेश दिया जाता है जिसे सरकार द्वारा चलाया जाता है। 

उसके बाद वह विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में जाता है जो कि पूरी तरह से झूठे विचारों में रहते हैं कि वे इतिहास बनाने और बेईमानी की राजनीतिक अर्थव्यवस्था तथा सनक जो इन स्थानों पर पढ़ाई जाती है, के बारे में सोचते रहते हैं। इन स्थानों पर पढ़-लिखकर निकला व्यक्ति स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझता है। अतः वह अपने मस्तिष्क में एक विचार बना लेता है कि उसे निम्न वर्ग के लोगों से अपने लिए कार्य करवाने का अधिकार है। उसका मत होता है कि राष्ट्र ने उसे बहुत ज्यादा सहयोग दिया है अतः उसे अपना और दूसरों का रक्त राष्ट्र को बचाने में लगा देना चाहिए। इस प्रकार, वह निम्न वर्ग के लोगों के शोषण को न्यायोचित सिद्ध करता है।

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Question 3. 
What does G.B. Shaw say about the master class when they prevent the upheavel of the down troddens who are led by some renowned personalities?
जी.बी. शॉ स्वामी वर्ग के बारे में क्या कहता है जब वे लघु एवं निम्न लोगों में अचानक परिवर्तन को रोकते हैं जिनका नेतृत्व किसी विश्वासी व्यक्तित्व के द्वारा किया जाता है?
Answer:
Shaw very boldly admits that some people stand against the master class time to time but whenever such people fight against the injustice of master class, they begin to teach the innocent people of the country that such people are traitors who want to destroy the unity of the country. Shaw quotes many examples regarding it. 

He says that Voltaire and Rousseau and Tom Paine in the eighteenth century, Cobbet and Shelley, Karl Max and Lassalle in the nineteenth century, Lenin and Tolstoy in the twentieth century were such people. These people were declared atheists, murderers and scoundrels because they were against the so called polity of their time. As a result, their books were also banned and when their disciples revolted against it, England started a war against them to restore slavery.

शॉ बड़ी निडरता से स्वीकार करता है कि समय-समय पर कुछ लोग स्वामी वर्ग के विरुद्ध खड़े होते रहे हैं लेकिन जब भी ऐसे लोग स्वामी वर्ग के अन्याय के विरुद्ध खड़े होते हैं, वे देश के भोले-भाले लोगों को समझाना प्रारम्भ कर देते हैं कि ऐसे लोग देशद्रोही हैं जो देश की एकता को तोड़ना चाहते हैं ।

शॉ इस बारे में अनेकों उदाहरण देता है। वह कहता है कि अठारहवीं शताब्दी में वोल्टेयर और रूसो और टॉम पेन, उन्नीसवीं शताब्दी में कॉबेट और शैली, कार्ल मार्क्स तथा लेजली और बीसवीं शताब्दी में लेनिन और ट्राट्स्की ऐसे ही लोग थे। इन लोगों को नास्तिक, हत्यारे और बदमाश घोषित किया गया था क्योंकि वे अपने समय की तथाकथित राजनीतिक व्यवस्था के विरोधी थे। परिणामस्वरूप उनकी किताबों पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया। जब उनके शिष्यों ने इसके विरुद्ध विद्रोह किया, इंग्लैण्ड ने उनके विरुद्ध युद्ध शुरू कर दिया ताकि दास प्रथा को बनाये रखा जा सके।

Question 4. 
How does the master class maintain the superiority over the slave class? Give a well reasoned answer.
स्वामी वर्ग किस प्रकार दास वर्ग पर अपनी श्रेष्ठता बनाये रखता है ? तार्किक उत्तर दीजिए।
Answer:
While mocking over the political system, G.B. Shaw says that the master class is very cunning to maintain its superiority over the slave class. They do so through parliaments, colleges and universities, schools and newspapers. Through these institutions, the master class applies all the desperate efforts so that the slave class may not be able to realize its slavery. 

The master class directly control their thoughts that the slave class should not form any ill opinion about them. If the people complain, the members of master class tell them that they themselves are responsible for miseries as they have chosen their wrong representatives. To supress their protest regarding voting system, they are told that they have been provided Factory Acts, Wage Boards, Free Education etc. They are made satisfied that they have been already given more than what they need.

राजनीतिक व्यवस्था का मजाक बनाते हुए, जी.बी. शॉ कहता है कि स्वामी वर्ग दास वर्ग पर अपनी श्रेष्ठता बनाये रखने में अत्यन्त चतुर है। वे ऐसा संसद, कॉलेज और विश्वविद्यालय, स्कूल तथा समाचार पत्रों के माध्यम से करते हैं । इन संस्थाओं के माध्यम से स्वामी वर्ग सम्पूर्ण प्रयास करता है ताकि दास वर्ग अपनी दासता को महसूस करने योग्य न हो जाए। स्वामी वर्ग सीधे रूप में उनके विचारों को नियंत्रित करता है कि दास वर्ग उनके बारे में कोई भी दुर्भावना न बना ले। 

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यदि लोग शिकायत करते हैं तो स्वामी वर्ग के सदस्य उन्हें बताते हैं कि वे अपनी दयनीयता के स्वयं ही उत्तरदायी हैं क्योंकि उन्होंने अपने गलत प्रतिनिधि चुने हैं। मतदान पद्धति के विरोध को हतोत्साहित करने के लिए उन्हें बताया जाता है कि उन्हें कारखाना कानून, मजदूरी बोर्ड, मुफ्त शिक्षा आदि पहले ही दे दिये गये हैं। उन्हें संतुष्ट किया जाता है कि उन्हें जितनी आवश्यकता है उससे ज्यादा पहले ही दिया जा चुका है।

Seen Passages

Passage 1. 

What is a perfectly free person? Evidently a person who can do what he likes, when he likes, and where he likes, or do nothing at all if he prefers it. Well, there is no such person, and there never can be any such person. Whether we like it or not, we must all sleep for one third of our lifetime - wash and dress and undress - we must spend a couple of hours eating and drinking - we must spend nearly as much in getting about from place to place. For half the day we are slaves to necessities which we cannot shirk, whether we are monarchs with a thousand slaves or humble labourers with no servants but their wives. 

Questions: 
1. What is the ordinary concept of a free man?
स्वतन्त्र व्यक्ति का सामान्य दृष्टिकोण क्या है ? 

2. What are the necessities that cannot be shirked? 
वे कौन-कौन से आवश्यकताएँ हैं जिनसे बचा नहीं जा सकता है ? 

3. Is there any person who can shirk from these necessities? Why not?
क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो इन आवश्यकताओं से बच सकता है ? क्यों नहीं? 
Answers.
1. The ordinary concept of a free man is if a person can do what he likes, when he likes and where he likes or do nothing at all if he prefers it. 

स्वतन्त्र व्यक्ति का सामान्य सिद्धान्त यह है कि वह जो चाहे कर सके, जब चाहे कर सके और जहाँ चाहे वहाँ कर सके अथवा यदि वह चाहे तो कुछ भी न करे। . 

2. Nobody can shirk from sleeping, eating, drinking or getting about place to place. We become the slaves of these necessities. 

कोई भी व्यक्ति सोने, खाने, पीने अथवा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से नहीं बच सकता। हम इन आवश्यकताओं के दास बन जाते हैं। 

3. No, there is not a single man who can shirk from these necessities because these necessities are natural which everyone will have to fulfill. 

नहीं, कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो इन आवश्यकताओं से बच सके क्योंकि ये आवश्यकताएँ स्वाभाविक हैं जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति को पूरा करना पड़ता है।

Passage 2.

Now, though this prodigious mass of humbug is meant to delude the enslaved masses only, it ends in deluding the master class much more completely. A gentleman whose mind has been formed at a preparatory school for the sons of gentlemen, followed by a public school and university course, is much more thoroughly taken in by the falsified history and dishonest political economy and the snobbery taught in these places than any worker can possibly be.

RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Non-fiction Chapter 1 Freedom 

Questions : 
1. Why are the educational institutions important for master class?
स्वामी वर्ग के लिए शैक्षिक संस्थान क्यों महत्त्वपूर्ण होते हैं ? 

2. What is taught in these institutions?
इन संस्थाओं में क्या पढ़ाया जाता है ? 

3. What educational institutes have been referred in the passage?
पैराग्राफ में कौनसे शैक्षिक संस्थाओं का सन्दर्भ दिया गया है? 
Answers : 
1. The educational institutions are important for master class because in these institutions they study which help them seem to belong to the superior class.

स्वामी वर्ग के लिए शैक्षिक संस्थाएँ इसलिए महत्त्वपूर्ण होती हैं क्योंकि इन संस्थाओं में वे अध्ययन करते हैं जो कि उन्हें श्रेष्ठ वर्ग से सम्बन्धित दिखाई देने में सहायक होता है। 

2. According to the writer, falsified history and dishonest political economy and the snobbery is taught these institutions which install them with superiority complex. 

लेखक के अनुसार, झूठा इतिहास और बेईमानी की राजनीतिक अर्थव्यवस्था तथा सनक इन संस्थाओं में पढ़ाई जाती है जो कि उनमें श्रेष्ठता की भावना भर देती है। 

3. The educational institutes that have been referred are preparatory schools, public schools and university where students study when they make progress.

जिन शैक्षिक संस्थाओं का सन्दर्भ दिया गया है, वे प्रारम्भिक स्कूल, पब्लिक स्कूल और विश्वविद्यालय हैं जहाँ पर छात्र पढ़ते हैं जब वे उन्नति करते हैं।

Passage 3.

It is maintained that human nature is the easiest thing in the world to change if you catch it young enough, and that the idolatry of the slave class and the arrogance of the master class are themselves entirely artificial products of education and of a propaganda that plays upon our infants long before they have left their cradles. An opposite mentality could, it is argued, be produced by a contrary education and propaganda. You can turn the point over in your mind for yourself; do not let me prejudice you one way or the other. 

Questions : 
1. What is the easiest thing in the world?
संसार में सबसे सरल कार्य क्या है ? 

2. What are the artificial products of education and of a propaganda?
शिक्षा और दुष्प्रचार के क्या बनावटी उत्पाद हैं ?

3. How can an opposite mentality be produced?
विपरीत मानसिकता किस प्रकार उत्पन्न की जा सकती है?
Answer:
1. The easiest thing in the world that can be changed easily is human nature if it is changed at quite a younger age.
 
संसार में सबसे सरल कार्य जिसे आसानी से परिवर्तित किया जा सके, वह मानवीय प्रकृति है, यदि उसे युवावस्था में ही परिवर्तित कर दिया जाए। 

2. The artificial products of education and of a propaganda are the idolatry of the slave class and the arrogance of the master class.

शिक्षा और दुष्प्रचार के बनावटी उत्पाद दास वर्ग की मूर्तिपूजा और स्वामी वर्ग का क्रोधी स्वभाव हैं। 

3. It is generally thought that an opposite mentality can be produced by a contrary education and propaganda which a person will have to think himself. 

सामान्य रूप से यह सोचा जाता है कि एक विपरीत मानसिकता विपरीत शिक्षा और दुष्प्रचार के द्वारा उत्पन्न की जा सकती है, जिसे व्यक्ति को स्वयं ही सोचना होगा।

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Passage 4.

We must stop gassing about freedom, because the people of England in the lump don't know what freedom is, never having had any. Always call freedom by its old English name of leisure, and keep clamouring for more leisure and more money to enjoy it in return for an honest share of work. And let us stop singing Rule, Britannia! until we make it true.

Until we do, let us never vote for a parliamentary candidate who talks about our freedom and our love of liberty, for, whatever political name he may give himself, he is sure to be at bottom an Anarchist who wants to live on our labour without being taken up by the police for it as he deserves. 

Questions : 

1. Why does the author call the people of England to be the 'lump'?
लेखक इंग्लैण्ड के लोगों को 'ढेला' क्यों कहता है? 

2. Why do the people of England want more and more leisure?
इंग्लैण्ड के लोग ज्यादा से ज्यादा अवकाश का समय क्यों चाहते हैं? 

3. Why should we not vote to a parliamentary candidate?
हमें संसद के उम्मीदवार के लिए वोट क्यों नहीं करना चाहिए? 
Answers : 
1. The author calls the people of England to be lump because in his opinion they do not know what freedom is and they have never experienced freedom.

लेखक इंग्लैण्ड के लोगों को 'ढेला' इसलिए कहता है क्योंकि उसके विचार से वे यह नहीं जानते कि स्वतन्त्रता क्या है और उन्होंने कभी स्वतन्त्रता का अनुभव नहीं किया है। 

2. The people of England want more and more leisure because they think leisure to be equal to freedom. So they want.leisure along with money. 

इंग्लैण्ड के लोग ज्यादा से ज्यादा अवकाश का समय चाहते हैं क्योंकि वे अवकाश के समय को स्वतन्त्रता के बराबर मानते हैं । अतः वे अवकाश का समय और धन चाहते हैं। 

3. We should not vote for the parliamentary candidate because he talks about freedom but in fact he is anarchist and he deserves prison not parliament.

हमें संसद के उम्मीदवार को वोट नहीं करना चाहिए क्योंकि वह स्वतन्त्रता के बारे में बात करता है लेकिन वास्तविक रूप में वह अराजकतावादी होता है और वह संसद के स्थान पर जेल का अधिकारी होता है।

Passage 5.

But freedom obviously cannot exist in a frame. And most of us live in a frame, in a world enclosed by ideas, do we not? For instance, you are told by your parents and your teachers what is right and what is wrong.

You know what people say, what the priest says, what tradition says, and what you have learned in school. All this forms a kind of enclosure within which you live; and, living in that enclosure, you say you are free. Are you? Can a man ever be free as long as he lives in a prison? 

Questions : 
1. What is the frame?
फ्रेम क्या है? 

2. What do our teachers and parents teach us?
हमारे माता-पिता और शिक्षक हमें क्या शिक्षा देते हैं ? 

3. What does the author mean by enclosures?
लेखक का दीवार अथवा बाड़े से घिरी हुई जमीन से क्या आशय है? 
Answers : 
1. Frame is an imaginary boundary or barrier which does not let us go or see beyond it. It is the limited circumference of our thoughts and ideas. 

फ्रेम एक काल्पनिक सीमा अथवा बाधा है जो कि हमें उससे आगे नहीं जाने देती अथवा नहीं देखने देती। यह हमारे विचारों और सोच की एक सीमित परिधि है। 

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2. Our teachers and parents teach us what is right and what is wrong. They want us to do the right things and avoid the wrong things. 

हमारे अध्यापक और माता-पिता हमें सिखाते हैं कि क्या सही है और क्या-क्या गलत है। वे हमसे सही बातों का पालन करना और गलत बातों की अवहेलना करवाना चाहते हैं। 

3. By enclosure, the author means limited knowledge. He says that if a person lives in circumscribed thoughts and ideas, he can never experience freedom. 

दीवार अथवा बाड़े से लेखक का आशय सीमित ज्ञान से है। वह कहता है कि यदि कोई व्यक्ति सीमित सोच और विचारों में रहता है तो वह कभी भी स्वतन्त्रता का अनुभव नहीं कर सकता है।

Passage 6

To be really free implies great sensitivity. There is no freedom if you are enclosed by self-interest or by various walls of discipline. As long as your life is a process of imitation there can be no sensitivity, no freedom. It is very important, while you are here, to sow the seed of freedom, which is to awaken intelligence; for with that intelligence you can tackle all the problems of life. 

Questions : 

1. What are the conditions of freedom, according to the author?
लेखक के अनुसार स्वतन्त्रता की क्या शर्ते हैं ? 

2. What is role of sensitivity in getting freedom?
स्वतन्त्रता प्राप्त करने में संवेदनशीलता की क्या भूमिका है ? 

3. How can we tackle all the problems of life?
हम जीवन की समस्याओं का कैसे सामना कर सकते हैं?
Answers:
1. According to the author, freedom can be attained by being free from self interest and various walls of discipline. 

लेखक के अनुसार स्वतन्त्रता स्वार्थ और विभिन्न प्रकार की अनुशासन की दीवारों से मुक्त होकर प्राप्त की जा सकती है। 

2. Sensitivity is the way to freedom. As long as our life passes through imitation, we can never get sensitivity and without sensitivity, there can be no freedom. 

संवेदनशीलता स्वतन्त्रता का साधन है। जब तक हमारा जीवन नकल की प्रक्रिया से गुजरता है, हमें संवेदनशीलता प्राप्त नहीं हो सकती और बिना संवेदनशीलता के कोई भी स्वतन्त्रता नहीं हो सकती। 

3. First of all, we'll have to sow the seeds of freedom which is to awaken intelligence and with the help of this intelligence, we can tackle all the problems of life. 

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सर्वप्रथम, हमें स्वतन्त्रता के बीज बोने होंगे जो हमारी बुद्धि चातुर्य को जाग्रत करेगा और इस बुद्धि और चातुर्य की सहायता से हम जीवन की सभी समस्याओं का सामना कर सकेंगे।

Freedom Summary and Translation in Hindi

About the Author :

George Bernard Shaw was a dramatist and critic. His work as a London newspaper critic of music and drama resulted in The Quintessence of Ibsenism.

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His famous plays include Arms and the Man, Candida and Man and Superman. His works present a fearless intellectual criticism, sugarcoated by a pretended lightness of tone. He rebelled against muddled thinking, and sought to puncture hollow pretensions. G.B. Shaw 1856-1950 

लेखक के बारे में :

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ एक नाटककार और आलोचक थे। लंदन समाचार पत्र में उनका संगीत और नाटक की आलोचना के कार्य का परिणाम उनकी कृति 'The Quintessence of Ibsenism' के रूप में हुआ। उनके प्रसिद्ध नाटकों में 'आर्स एण्ड द मैन', 'कैन्डिडा' और 'मैन एण्ड सुपरमैन' शामिल हैं। उनके लेखकीय कार्य निडर बुद्धिमानी की आलोचना को प्रस्तुत करते हैं, जो कि ध्वनि के बनावटी हल्केपन पर चीनी की चढ़ी हुई परत की तरह है। जी.बी. शॉ ने गलत विचारों के प्रति विद्रोह किया और खोखले आडम्बरों को नष्ट करता हुआ प्रतीत हुआ।

About the Essay :

G.B. Shaw was an eminent writer and dramatist. He was a great supporter of freedom. When he was invited for a radio broadcast, he took the topic on freedom. In the essay, he does not confine himself in any kind of limitations. Shaw was a great believer in democracy and democratic socialism of the country. 

He bitterly condemns the tactics which the elite and rich class adopt to befool the slave class who foster and enrich of false freedom and enslavement of the poor and underprivileged. But the true fact is that behind his humour, he puts a satirical tone throughout the essay. He mocks over the social conditions and their tackling by the master class. Later on, this talk was produced in the essay form. 

निबन्ध के बारे में :

जी.बी. शॉ एक महान लेखक और नाटककार था। वह स्वतन्त्रता का महान पक्षधर था। जब उसे रेडियो पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया तो उसने स्वतंत्रता का विषय उठाया। इस निबन्ध में वह स्वयं को किसी भी प्रकार की सीमाओं के बन्धन में नहीं बाँधता है। शॉ देश के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक समाजवाद पर अत्यधिक विश्वास करता था।

वह उन चालों की कड़ी आलोचना करता है जिन्हें धनी और समृद्ध वर्ग गरीब और दबे-कुचले लोगों को मूर्ख बनाने के लिए झूठी स्वतंत्रता और दासता का पोषण करते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि उसके हास्य के पीछे वह पूरे निबन्ध में व्यंग्यात्मक ध्वनि का प्रयोग करता है। वह सामाजिक स्थितियों और स्वामी वर्ग द्वारा उनका सामना किये जाने का मजाक बनाता है। बाद में, यह बातचीत निबन्ध के रूप में प्रकाशित हुई।

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

What is perfectly.............freedom to yours. (Pages 119-120) 

कठिन शब्दार्थ-Perfectly (पफिट्लि ) = completely, पूरी तरह से। evidently (एविडट्लि ) = clearly, स्पष्ट रूप से। slaves (स्लेव्स्) = a person who works for others, दास, गुलाम । shirk (शक्) = to avoid to do work, काम से जी चुराना। monarchs (मॉनक्स्) = a king or queen, राजा अथवा रानी, शासक। undertake (अन्डटेक्) = to decide to do, कार्य करने का निर्णय लेना। involve (इन्वॉल्व्) = take part in, शामिल होना। trickery (ट्रिकरि) = dishonest method to deceive, धोखा, छल। sacrifice (सैरिफाइस्) = to give up, त्यागना, छोड़ना।

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हिन्दी अनुवाद - पूरी तरह से स्वतन्त्र व्यक्ति कौन है ? स्पष्टतया, एक ऐसा व्यक्ति जो वह कार्य कर सके जो उसे पसन्द है, जब उसे पसन्द है और जहाँ पर उसे पसन्द है, अथवा यदि वह चाहे तो बिल्कुल भी कुछ भी नहीं करे। वास्तव में, ऐसा कोई व्यक्ति होता ही नहीं है, और ऐसा व्यक्ति कभी हो भी नहीं सकता है।

हम चाहे यह पसन्द करें या न करें, हम सभी को अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोना ही पड़ता है-नहाना और कपड़े पहनना और उतारना-हमें दो घण्टे खाने और पीने में गुजराने ही होते हैंहमें लगभग इतना ही समय एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जाने में भी लगाना पड़ता है । आधे दिन तक तो हम अपनी आवश्यकताओं के गुलाम बने रहते हैं जिन्हें हम छोड़ नहीं सकते हैं, चाहे हम हजारों नौकर वाले सम्राट हों अथवा बिना नौकरों वाले सामान्य मजदूर हों तथापि उनकी पत्नियाँ हों। और पत्नियों को बच्चों को जन्म देने की एक अतिरिक्त भारी गुलामी करनी ही होगी यदि संसार में लोग चाहिए।

इन प्राकृतिक कार्यों से हम जी नहीं चुरा सकते। लेकिन इनमें कुछ अन्य कार्य शामिल होते हैं जिन्हें छोड़ा जा सकता है। जब हम खाते हैं, तो हमें सबसे पहले भोजन उपलब्ध होना चाहिए, जब हम सोते हैं, तो हमारे पास बिस्तर होना चाहिए और घरों में बिस्तर अग्निकुण्ड तथा कोयला सहित होना चाहिए। जब हम सड़कों से होकर जाते हैं, तो हमारे पास नग्नता को ढंकने के लिए कपड़े होने चाहिए। अब, भोजन और घर और कपड़े मानवीय मजदूरों द्वारा उत्पादित किए जा सकते हैं। 

लेकिन जब उनका उत्पादन किया जाता है, तो उनको चुराया भी जा सकता है। यदि आपको शहद पसन्द है तो आप 'मधुमक्खियों को उनके श्रम से कि एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपने पैरों पर नहीं जा सकते तो आप एक घोड़े को अपना गुलाम बना सकते हैं । और आप एक घोड़े अथवा मधुमक्खी के साथ जो करते हैं, वही आप एक पुरुष अथवा महिला अथवा बच्चे के साथ भी कर सकते हैं, यदि आप उनको शक्ति द्वारा, छल द्वारा अथवा किसी भी प्रकार के धोखे द्वारा उनको अपने वश में कर सकते हैं, अथवा आप उन्हें ऐसी शिक्षा देकर कर सकते हैं कि यह उनका धार्मिक कर्तव्य है कि वे आपकी स्वतन्त्रता के लिए अपनी स्वतन्त्रता का त्याग कर दें। 

So beware! ......................... believe them. (Page 120) 

कठिन शब्दार्थ-Beware (बिवेअ) = to be careful, सावधाना रहना। comfortably (कम्फ्ट ब्लि ) = relaxed, आराम से । prevent (प्रिवेन्ट्) = to stop, रोकना। imposed (इम्पोज्ड्) = forceful implementation, शक्ति से लागू करना। regulate (रेग्युलेट) = to control by laws or rules, कानून अथवा नियमों से नियंत्रित करना।

bounds (बाउन्ड्स्) = duty to do, कार्य करने को chattel  = bondage labour,  abolish = to end a system, प्रथा को समाप्त कर देना। glorious (ग्लॉरिअस्) = fame or success, यश अथवा सफलता। triumph (ट्राइअम्फ्) = victory, विजय। redeem (रिडीम्) = to prevent from being bad, खराब होने से बचाना। constitutes (कॉन्स्टिट्यूट्स्) = to be considered, किसी के बराबर होना।

हिन्दी अनुवाद-इसलिए सावधान रहें! यदि आप किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के वर्ग को अपने ऊपर हाथ रखने देंगे तो वह अपनी दासता का वह पूर्ण भाग प्रकृति पर डाल देगा जो कि आपके कन्धों पर डाला जा सकता है; और आप अपने आप को आठ से लेकर चौदह घण्टे तक काम करते हुए पाएंगे, यदि आपको केवल अपने आपको

और अपने परिवार का ही भरण-पोषण करना होता हो, आप अत्यधिक आसानी से इससे आधे अथवा उससे भी कम समय में पूरा कर लेते। सभी ईमानदार सरकारों का उद्देश्य इस प्रकार से कार्य को थोपे जाने से बचाने का होना चाहिए। लेकिन अधिकतर वास्तविक सरकारों का कार्य, मैं दुख के साथ कहता हूँ, इसके ठीक विपरीत है। 

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वे आपको गुलामी के लिए बाध्य करते हैं और उसे स्वतन्त्रता कहते हैं। लेकिन वे आपके मालिकों के लालच को एक सीमा तक बनाये रखते हुए आपकी गुलामी को कानूनी रूप से नियमित भी करते हैं । जब किसी नीग्रो की बंधुआ गुलामी उसकी मजदूरी की गुलामी से ज्यादा हो जाती है तो वे बंधुआ गुलामी को समाप्त कर देते हैं और आपको एक रोजगार देने वाले

अथवा एक मालिक से दूसरे मालिक के पास जाने के लिए मुक्त कर देते हैं और इसे वे स्वतन्त्रता के लिए एक शानदार विजय के नाम से बुलाते हैं। यद्यपि आपके लिए यह केवल सड़क पर लाने की एक चाबी है। जब आप शिकायत करते हैं, तो वे वायदा करते हैं कि भविष्य में आप अपने लिए अपने देश का शासन करेंगे। वे इस वायदे को आपको वोट का अधिकार देकर तथा प्रत्येक पाँच वर्ष अथवा इसी प्रकार से चुनाव करवा करके पूरा करते हैं।

चुनाव में, उनके धनी मित्रों में से दो आपसे अपना वोट देने का अनुरोध करते हैं और आप इस बात के लिए स्वतंत्र हैं कि दोनों में से किसे आप वोट देंगे-एक ऐसा चुनाव जिसमें आप जो पहले थे उससे ज्यादा स्वतन्त्र नहीं हुए हैं क्योंकि इससे आपके कार्यशील घण्टों में एक मिनट की भी कमी नहीं आती है। लेकिन समाचार पत्र आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपके वोट ने ही चुनाव का निर्धारण किया है और यह आपको एक लोकतांत्रिक देश में स्वतन्त्र नागरिक के बराबर का स्थान दिलाता है। इस सब में सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है कि आप उन पर विश्वास करके पर्याप्त बेवकूफ बन रहे हैं। 

Now mark another............... anyone else. (Pages 120-121) 

कठिन शब्दार्थ-Resenting (रिजेन्टिङ्) = to feel angry, नाराज होना। sentimental (सेन्टिमेन्ट्ल ) = full of emotions, भावुक । supper (सप(र्)) = the last meal of the day, दिन का अन्तिम भोजन। proclaim (प्रक्लेम्) = to make known, घोषणा करना। continual (कन्टिन्युअल) = again and again, बार-बार होना। canonized (कैनेनाइज्ड) = declare to be saint, संत घोषित करना। Tramp (ट्रैम्प) = homeless or jobless; बेघर, आवारा।

हिन्दी अनुवाद-अब मनुष्य की प्रकृति के प्रति प्राकृतिक दासता और मनुष्य की मनुष्य के प्रति अप्राकृतिक दासता में भी एक बड़ा अन्तर भी देखिए। प्रकृति अपने दासों के प्रति दयालु है। यदि वह आपको खाने और पीने के लिए बाध्य करती है तो यह खाना और पीना इतना सुखद बना देती है कि जब भी हम सहन कर सकें हम अत्यधिक खाते और पीते हैं। हमें सोना पड़ता है अथवा हम पागल हो जाते हैं; लेकिन उसके बाद नींद इतनी सुखद होती है कि हम सुबह जागने पर अत्यधिक कष्ट महसूस करते हैं। 

और युवाओं को अग्निकुण्ड और परिवार इतने ज्यादा सुखद लगते हैं कि वे शादी कर लेते हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए समाज को बनाने में जुट जाते हैं। इस प्रकार, अपनी दासता जैसी स्वाभाविक आवश्यकता से नाराज होने के स्थान पर हम उनकी संतुष्टि में सर्वाधिक आनन्द उठाते हैं। हम उनके बारे में भावुकतापूर्ण गीत लिखते हैं। एक बेघर व्यक्ति घर, मधुर घर (होम, स्वीट होम) गाकर भी अपना भोजन जुटा सकता है।

मनुष्य की मनुष्य के प्रति दासता इसके ठीक विपरीत होती है। यह शरीर और आत्मा के प्रति घृणित होती है। हमारे कवि इसकी प्रशंसा नहीं करते हैं, वे घोषणा करते हैं कि कोई भी व्यक्ति इतना अच्छा नहीं होता कि वह दूसरे का स्वामी बन सके। सर्वाधिक नवीन महान् यूहदी पैगम्बर, मार्क्स नामक सज्जन व्यक्ति, ने अपना जीवन यह सिद्ध करने में लगा दिया कि स्वार्थयुक्त क्रूरता की ऐसी कोई पराकाष्ठा नहीं है जहाँ पर मनुष्य की मनुष्य के प्रति दासता समाप्त हो जाए यदि उसे कानून के द्वारा न रोका जा सके तो। आप स्वयं ही यह देख

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सकते हैं कि यह दास और स्वामियों के बीच एक प्रकार का संघर्ष प्रारम्भ कर देती है, जिसे वर्ग संघर्ष कहते हैं, जिसमें मजदूर संघ एक ओर होते हैं तथा स्वामियों के संघ दूसरी ओर होते हैं। सन्त टॉमस मोर, जिसे हाल ही में सन्त की उपाधि मिली है, का मत था कि हम कभी भी शान्त और स्थिर समाज में नहीं रह सकते जब तक कि इस संघर्ष का, दास प्रथा को पूरी तरह समाप्त करके, अन्त नहीं कर दिया जाता और प्रत्येक व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जाता कि वह संसार के कार्यों में से अपने हिस्से का कार्य वह स्वयं अपने हाथों और मस्तिष्क से करे और उसे किसी भी दूसरे की जिम्मेदारी पर छोड़ने का प्रयास न करे।

Naturally the master................. they were free. (Pages 121-122)

कठिन शब्दार्थ-Desperate (डेस्परट्) = depression, निराशा । forefathers (फॉफाद()) = one who lived a long time ago, पूर्वज। republics (रिपब्लिक्स्) = elected Government, गणतन्त्र । grumble (ग्रम्ब्ल ) = to complain, शिकायत करना, बड़बड़ाना। dole (डोल्) = to give a little money or food among people, लोगों में थोड़ा-थोड़ा बाँटना।

हिन्दी अनुवाद-स्वाभाविक रूप से, स्वामी वर्ग, अपनी संसद, और विद्यालयों और समाचार पत्रों के माध्यम से, हमें हमारी दासता को महसूस करने से रोकने के लिए सर्वाधिक निराशाजनक कार्य करते हैं। अपने सर्वप्रथम प्रारम्भिक वर्षों से हमें यह सिखाया जाता है कि हमारा देश स्वतन्त्रता का देश है और कि हमारी स्वतन्त्रता को हमारे पूर्वजों के द्वारा अर्जित किया गया जब उन्होंने राजा जॉन से मैग्नाकार्टा पर हस्ताक्षर कराये थे-जब उन्होंने स्पेनिश

अरमादा को पराजित किया जब उन्होंने राजा चार्ल्स के सिर को काट दिया था जब उन्होंने राजा विलियम को अधिकारों का कानून स्वीकार करने के लिए बाध्य किया-जब उन्होंने अमेरिकी स्वतन्त्रता के घोषणा-पत्र को निर्गत किया और स्वीकार किया-जब उन्होंने ईटोन के युद्धक्षेत्र में वाटरलू और ट्रेफल्गर के युद्धों में विजय प्राप्त की-और जब केवल अगले दिन बिना किसी सोच विचार के जर्मन, आस्ट्रियन, रशियन और ऑटोमन साम्राज्यों को गणतन्त्रों में बदल दिया था। 

जब हम शिकायत करते हैं, तो हमें बताया जाता है कि हमारी पूरी दयनीयता हमारे अपने कार्य के कारण है क्योंकि हम वोट देते हैं। जब हम कहते हैं, "वोट देने से क्या लाभ?" तो हमें बताया जाता है कि हमारे पास कारखाना कानून, और मजदूरी बोर्ड और मुफ्त शिक्षा तथा नये समझौते और थोड़ी-सी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं;

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और इससे ज्यादा को समझदार व्यक्ति क्या चाह सकता है? हमें याद दिलाई जाती है कि धनी लोगों पर चौथाई-एक तिहाई-अथवा आधा तक और इससे भी ज्यादा उनकी आय पर कर लगाया जाता है, लेकिन गरीबों को कभी भी यह याद नहीं दिलाई जाती है कि उन्हें अपनी अधिक मजदूरी में से अतिरिक्त किराये के रूप में भुगतान करना है जो प्रतिदिन दुगुना कार्य करने पर उन्हें प्राप्त हुई है और जिसकी उन्हें स्वतन्त्र रूप से कार्य करने देने पर भुगतान करने की आवश्यकता है। 

When ever famous ............. them to dinner. (Page 122) 

कठिन शब्दार्थ-Protest (प्रोटेस्ट) = disagreement, असहमति, विरोध। imposture (इम्पॉस्च()) = trick, छद्म वेश। atheist (एथिइस्ट्) = not following God, ईश्वर को न मानने वाला। libertines (लिबर्टीन्स) = characterless person, व्यभिचारी। scoundrels (स्काउन्ड्रल्स्) = a bad man, दुष्ट। revolution (रेवलूश्न्) = a violentic reaction, क्रान्ति। mourning (मॉनिङ्) = great sadness, अत्यधिक शोक। calumnies (कैलमनिज्) = a false statemnent, झूठा आरोप। denounced (डिनाउन्स्ड् ) = public criticism, सार्वजनिक निन्दा। abominable (अबॉमिनब्ल्) = very bad, घिनौना।।

हिन्दी अनुवाद-जब कभी भी प्रसिद्ध लेखक इस प्रकार छद्म वेश के विरुद्ध विरोध करते हैंजैसे वॉल्टेयर और रूसो तथा टॉम पैन ने अठारहवीं शताब्दी में किया, अथवा कॉबेट और शैली, कार्ल मार्क्स और लैजली ने उन्नीसवीं शताब्दी में किया अथवा लेनिन और ट्रॉट्स्की ने बीसवीं शताब्दी में कियातो आपको सिखाया जाता है कि वे नास्तिक और व्यभिचारी हैं, हत्यारे तथा दुष्ट हैं, और उनकी पुस्तकों को खरीदना अथवा बेचना अपराध बना दिया जाता है। यदि उनके शिष्य विद्रोह करें तो इंग्लैण्ड तुरन्त उनके सकते हैं कि यह दास और स्वामियों के बीच एक प्रकार का संघर्ष प्रारम्भ कर देती है, जिसे वर्ग संघर्ष कहते हैं, जिसमें मजदूर संघ एक ओर होते हैं तथा स्वामियों के संघ दूसरी ओर होते हैं। 

सन्त टॉमस मोर, जिसे हाल ही में सन्त की उपाधि मिली है, का मत था कि हम कभी भी शान्त और स्थिर समाज में नहीं रह सकते जब तक कि इस संघर्ष का, दास प्रथा को पूरी तरह समाप्त करके, अन्त नहीं कर दिया जाता और प्रत्येक व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जाता कि वह संसार के कार्यों में से अपने हिस्से का कार्य वह स्वयं अपने हाथों और मस्तिष्क से करे और उसे किसी भी दूसरे की जिम्मेदारी पर छोड़ने का प्रयास न करे।

Naturally the master.......... they were free. (Pages 121-122)

कठिन शब्दार्थ-Desperate (डेस्परट्) = depression, निराशा । forefathers (फॉफाद()) = one who lived a long time ago, पूर्वज। republics (रिपब्लिक्स्) = elected Government, गणतन्त्र । grumble (ग्रम्ब्ल ) = to complain, शिकायत करना, बड़बड़ाना। dole (डोल्) = to give a little money or food among people, लोगों में थोड़ा-थोड़ा बाँटना।

हिन्दी अनुवाद-स्वाभाविक रूप से, स्वामी वर्ग, अपनी संसद, और विद्यालयों और समाचार पत्रों के माध्यम से, हमें हमारी दासता को महसूस करने से रोकने के लिए सर्वाधिक निराशाजनक कार्य करते हैं। अपने सर्वप्रथम प्रारम्भिक वर्षों से हमें यह सिखाया जाता है कि हमारा देश स्वतन्त्रता का देश है और कि हमारी स्वतन्त्रता को हमारे पूर्वजों के द्वारा अर्जित किया गया जब उन्होंने राजा जॉन से मैग्नाकार्टा पर हस्ताक्षर कराये थे-जब उन्होंने स्पेनिश

RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Non-fiction Chapter 1 Freedom

अरमादा को पराजित किया जब उन्होंने राजा चार्ल्स के सिर को काट दिया था जब उन्होंने राजा विलियम को अधिकारों का कानून स्वीकार करने के लिए बाध्य किया-जब उन्होंने अमेरिकी स्वतन्त्रता के घोषणा-पत्र को निर्गत किया और स्वीकार किया-जब उन्होंने ईटोन के युद्धक्षेत्र में वाटरलू और ट्रेफल्गर के युद्धों में विजय प्राप्त की-और जब केवल अगले दिन बिना किसी सोच विचार के जर्मन, आस्ट्रियन, रशियन और ऑटोमन साम्राज्यों को गणतन्त्रों में बदल दिया था। 

जब हम शिकायत करते हैं, तो हमें बताया जाता है कि हमारी पूरी दयनीयता हमारे अपने कार्य के कारण है क्योंकि हम वोट देते हैं। जब हम कहते हैं, "वोट देने से क्या लाभ?" तो हमें बताया जाता है कि हमारे पास कारखाना कानून, और मजदूरी बोर्ड और मुफ्त शिक्षा तथा नये समझौते और थोड़ी-सी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं; और इससे ज्यादा को समझदार व्यक्ति क्या चाह सकता है? हमें याद दिलाई जाती है कि धनी लोगों पर चौथाई-एक तिहाई-अथवा आधा तक और इससे भी ज्यादा उनकी आय पर कर लगाया जाता है, लेकिन गरीबों को कभी भी यह याद नहीं दिलाई जाती है कि उन्हें अपनी अधिक मजदूरी में से अतिरिक्त किराये के रूप में भुगतान करना है जो प्रतिदिन दुगुना कार्य करने पर उन्हें प्राप्त हुई है और जिसकी उन्हें स्वतन्त्र रूप से कार्य करने देने पर भुगतान करने की आवश्यकता है। 

When ever famous ......... them to dinner. (Page 122)

कठिन शब्दार्थ-Protest (प्रोटेस्ट) = disagreement, असहमति, विरोध। imposture (इम्पॉस्च()) = trick, छद्म वेश। atheist (एथिइस्ट्) = not following God, ईश्वर को न मानने वाला। libertines (लिबर्टीन्स) = characterless person, व्यभिचारी। scoundrels (स्काउन्ड्रल्स्) = a bad man, दुष्ट। revolution (रेवलूश्न्) = a violentic reaction, क्रान्ति। mourning (मॉनिङ्) = great sadness, अत्यधिक शोक। calumnies (कैलमनिज्) = a false statemnent, झूठा आरोप। denounced (डिनाउन्स्ड् ) = public criticism, सार्वजनिक निन्दा। abominable (अबॉमिनब्ल्) = very bad, घिनौना।।

हिन्दी अनुवाद-जब कभी भी प्रसिद्ध लेखक इस प्रकार छद्म वेश के विरुद्ध विरोध करते हैंजैसे वॉल्टेयर और रूसो तथा टॉम पैन ने अठारहवीं शताब्दी में किया, अथवा कॉबेट और शैली, कार्ल मार्क्स और लैजली ने उन्नीसवीं शताब्दी में किया अथवा लेनिन और ट्रॉट्स्की ने बीसवीं शताब्दी में कियातो आपको सिखाया जाता है कि वे नास्तिक और व्यभिचारी हैं, हत्यारे तथा दुष्ट हैं, और उनकी पुस्तकों को खरीदना अथवा बेचना अपराध बना दिया जाता है। यदि उनके शिष्य विद्रोह करें तो इंग्लैण्ड तुरन्त उनके

विरुद्ध युद्ध छेड़ देता है और दूसरी शक्तियों को धन उपलब्ध करा देता है ताकि वे उन क्रान्तिकारियों को गुलाम बनाये रखने के लिए उनकी सैन्य शक्ति में शामिल हो जाएँ। जब यह संयुक्त रूप वाटरलू में सफल हो गया तो विजय को ब्रिटिश की स्वतन्त्रता के लिए एक और विजय के रूप में प्रचारित किया गया; और ब्रिटेन के मजदूर गुलामों को, लार्ड बायरन की तरह शोक मनाते हुए जाने के बजाय, इस सब पर विश्वास हो गया और उन्होंने उत्साहपूर्वक खुशियाँ मनाईं। 

जब विद्रोह जीत जाता है, जैसा कि 1922 में रूस में हुआ, तो लड़ाई समाप्त हो जाती है, लेकिन यह बुराई, झूठे आरोप, झूठ लगातार चलते रहते हैं जब तक कि क्रान्तिकारी राज्य प्रथम श्रेणी की सैनिक शक्ति में नहीं बदल जाता है। तत्पश्चात् हमारे कूटनीतिज्ञ, वर्षों तक क्रान्तिकारी नेताओं की सार्वजनिक निन्दा करने के बाद और उन्हें सर्वाधिक घिनौने दुष्ट तथा तानाशाही शासक मानने के बाद, एकदम मुड़ जाते हैं और उन्हें रात्रि भोज पर आमंत्रित करते हैं। 

Now, though.........is concerned. (Page 123) 

कठिन शब्दार्थ-Prodigious (प्रडिजस्) = very large, powerful, बहुत बड़ा, शक्तिशाली। humbug (हम्बग्) = trickery, छलकपट। delude (डि'लूड्) = to confuse, भ्रमित कर देना। falsified (फैल्सिफाइड्) = to change information to hide the truth, सच्चाई को छिपाने के लिए सूचना में परिवर्तन, जालसाजी। snobbery (स्नॉबरि) = attitude of people, घमण्ड, सनक। rackrented (रैक् रेन्ट्ड्) = on rent, किराये पर। traces (ट्रेस्स्) = very small amount, अति अल्प मात्रा। ballot (बैलट) = a secret written vote, गुप्त लिखित मतदान।

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हिन्दी अनुवाद-अब, यद्यपि छलकपट की यह विशाल मात्रा केवल दास वर्ग के लोगों को भ्रमित करने के लिए है, लेकिन इसका समापन मालिक वर्ग को भ्रमित करने में ही पूरा हो पाता है। एक व्यक्ति जिसका मस्तिष्क अपने मालिकों के बच्चों के लिए प्रारम्भिक स्कूल में तैयार हुआ है जो बाद में पब्लिक स्कूल और विश्वविद्यालय की पढ़ाई के दौरान विकसित हुआ है, उसका मस्तिष्क और ज्यादा गहराई से झूठे इतिहास तथा बेईमान राजनीतिक अर्थव्यवस्था तथा इन स्थानों पर पढ़ाई जाने वाली सनक पर विश्वास करता है 

जितना कोई एक सामान्य कार्यकर्ता नहीं करता है क्योंकि स्वामी की शिक्षा उसे यह सिखाती है कि वह एक बहुत शानदार व्यक्ति है तथा वह सामान्य लोगों से श्रेष्ठ है जिसका कार्य है कि वह उसके कपड़े साफ करे, उसका सामान लाये, और अपनी आय उसी के लिए कमाये और वह अपने इस दृष्टिकोण से पूरी तरह से सहमत होता है। वह ईमानदारी से विश्वास करता है कि जिस व्यवस्था ने उसे इस सहमत होने की स्थिति में रखा है और उसके गुणों के साथ जैसा न्याय किया है, वह सभी सम्भव व्यवस्थाओं में सर्वश्रेष्ठ है 

और यह कि उसे तुम्हारा और अपना खून अन्तिम बूंद तक इसकी सुरक्षा में बहा देना चाहिए। लेकिन बहुत बड़ी संख्या में किराये पर लिए हुए, कम भुगतान पर तैयार, छोटे लोगों की तरह का व्यवहार और छोटी-छोटी सहायता से खुश होने वाले मजदूर जैसे जनसाधारण लोग इस बारे में इतने ज्यादा निश्चिन्त नहीं हो सकते जितना वह सज्जन व्यक्ति हो सकता है। वास्तविकताएँ अत्यन्त कठोरता से इसके विपरीत हैं। कठिनाई के समय में, जिनमें से आजकल हम गुजर रहे हैं, 

उनकी घृणा और निराशा कभी-कभी उन्हें अत्यन्त अल्प मात्रा की ओर ले जाती है, प्रत्येक चीज को नष्ट करती है, और उन्हें किसी नेपोलियन जैसे बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा गुण्डागर्दी से बचाया जाता है। जो कि सम्राट बनने की कल्पना करता है और जिसमें मौका प्राप्त करने का साहस, मस्तिष्क और ऊर्जा भी है। लेकिन वे गुलाम जो कि सम्राट के लिए तीन तालियाँ बजाते हैं, ब्रिटिश अथवा अमेरिकन मतदान पत्र पर केवल क्रास का एक निशान लगाते हैं, जहाँ तक उनकी स्वतन्त्रता की बात है। 

So far I have.......fascinating personality. (Pages 123-124)

कठिन शब्दार्थ-Controversy (कॉन्ट्रावसि) = disagreement, विवाद। decorated (डेकरेट्ड्) = attractive, सजा हुआ। robed (रोब्ड्) = clothes, कपड़े। obligation (ऑब्लिगेश्न्) = to make promise, वचनबद्धता, कर्तव्य भावना। contended (कन्टेन्ड्ड ) = cool, शान्त, सन्तुष्ट। abiding (अबाइडिङ्) = to obey, पालन करना। idolaters (आइडोलेटस्) = worshiper of idols, मूर्तिपूजक। persuaded (पस्वेडेड्) = to make somebody do, कार्य करने के लिए मनाना। enfranchised (इन्फ्रेन्चाइज्ड) = right to vote, मतदान का अधिकार। distinguished (डिस्टिग्विश्ड) = extraordinary, असाधारण, विलक्षण, उत्कृष्ट। fascinating (फैसिनेटिङ्) = attractive, आकर्षक।

हिन्दी अनुवाद-अभी तक मैंने साधारण स्वाभाविक तथा ऐतिहासिक तथ्यों के सिवाय कुछ भी नहीं बताया है। मैं कोई निष्कर्ष नहीं निकालता क्योंकि यह मुझे विवादों में डाल देगा और वह विवाद भी ठीक नहीं होंगे। जब आप मुझे वापस उत्तर न दे सकें। मैं बेतार के तार पर कभी विवाद नहीं करता हूँ। मैं आपसे आपके निष्कर्ष निकालने के लिए भी नहीं कहता हूँ क्योंकि इससे आप कुछ बहुत खतरनाक निष्कर्ष निकाल लेंगे, जब तक आपका मस्तिष्क ठीक प्रकार से सही दिशा में कार्य नहीं करेगा। 

हमेशा याद रखो कि यद्यपि किसी भी व्यक्ति को दास पुकारा जाना पसन्द नहीं है लेकिन फिर भी वह यह नहीं मानता कि दासता कोई बुरी बात है। अरस्तू जैसे महान व्यक्तियों का भी मत है कि कानून और व्यवस्था और सरकार असम्भव ही होंगे, जब तक कि वे लोग जिनके आदेशों का पालन करना है, को शानदार तरीके से कपड़े न पहनाये जायें और सजाया न जाए, उन्हें शानदार और एक रूप वस्त्र धारण न कराये जायें, वे विशेष उच्चारण से न बोलें, प्रथम श्रेणी की गाड़ी में अथवा सर्वाधिक महंगी कारों में यात्रा न करें अथवा सर्वाधिक स्वस्थ एवं सर्वाधिक शानदार घोड़ों पर सवारी न करें, और वे कभी भी अपने जूतों को नहीं चमकाते हैं और कोई भी कार्य स्वयं नहीं करते हैं, 

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जिसे आसानी से एक घण्टी बजाकर अथवा किसी सामान्य व्यक्ति को आदेश देकर कराया जा सकता है। और वास्तव में इसका अर्थ है कि उन्हें बिना किसी कृतज्ञता के अत्यधिक समृद्ध बनाया जाए सिवाय इसके कि उनके प्रति सामान्य व्यक्ति के मस्तिष्क में लगभग ईश्वर जैसी श्रेष्ठता की भावना न आ जाए। संक्षेप में, यह सन्तोषजनक है कि तुम्हें व्यक्तियों को अन्जान मूर्तिपूजक बनाना होगा इससे पहले ही कि वे आज्ञाकारी मजदूर और कानून का पालन करने वाले नागरिक बन जाएँ।

इस बात को सिद्ध करने के लिए, हमें यह याद दिलाया जाता है कि दस में से नौ मतदाता सामान्य मजदूर हैं, यह अत्यधिक कठिन कार्य होता है कि उनमें से कुछ को इस बात के लिए मनाया जाए कि वे अपने वर्ग के सदस्यों के पक्ष में मतदान करें। जब महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया और उन्हें संसद में बैठने का अधिकार मिला तो अपने मत का पहला कार्य उन्होंने यह किया कि उन्होंने उन सभी महिला उम्मीदवारों को हरा दिया जो मजदूरों की स्वतन्त्रता के लिए खड़ी रहीं और उनकी समर्पित भाव से उत्कृष्ट सेवा की। उन्होंने केवल एक महिला को चुना-एक अत्यधिक समृद्ध और असाधारण से आकर्षक व्यक्तित्व की उपाधियुक्त महिला।

Now this, it is said ...................too greedily. (Pages 124-125)

कठिन शब्दार्थ-Idolatry (आइडोलेट्री) = worship of idols, मूर्तिपूजा। arrogance (ऐरगन्स्) = thinking better than others, घमण्डी। propaganda (प्रॉपगैन्डा) = false information, दुष्प्रचार। infants (इन्फन्ट्स् ) = a very young child, शिशु । cradles (क्रेड्ल्स् ) = a small bed for a baby, बच्चे का पालना। prejudice (प्रेजुडिस्) = a strong unreasonable feeling of not liking, पूर्वाग्रह । cultivate (कल्टिवेट्) = to grow, उगाना। tales (टेल्स्) = an unreal story, काल्पनिक कहानी। reign (रीन्) = to rule, शासन करना। marvellous (मावलस्) = wonderful, आश्चर्यजनक।

हिन्दी अनुवाद-कहा जाता है कि यह मानवीय प्रकृति है और आप मानवीय प्रकृति को बदल नहीं सकते हैं। दूसरी ओर, यह विश्वास किया जाता है कि मानवीय प्रकृति बदलने के लिए संसार में सर्वाधिक सरल वस्तु है यदि आप उसे पूरी तरह से युवावस्था में पकड़ लें और यह कि दास वर्ग की मूर्तिपूजा और स्वामी वर्ग का घमण्ड स्वयं में ही पूरी तरह से शिक्षा और दुष्प्रचार के बनावटी उत्पाद हैं जो कि हमारे शिशुओं पर उनके पालना छोड़ने से बहुत पहले ही अपना खेल दिखाना शुरू कर देते हैं। यह तर्क दिया जाता है कि विपरीत शिक्षा और दुष्प्रचार के माध्यम से एक विपरीत मानसिकता तैयार की जा सकती है। आप इस बारे में स्वयं ही अपने मस्तिष्क में विचार बना सकते हैं; मैं इस बारे में आपको इस और उस तरह से कोई पूर्वाग्रह बनाना नहीं चाहता।

इस सबका आधारभूत प्रायोगिक प्रश्न यह है कि सम्पर्ण देश की आय को दिन-प्रतिदिन किस प्रकार सर्वश्रेष्ठ तरीके से वितरित किया जा सकता है। यदि जमीन को बड़ी-बड़ी मशीनी हलों और रासायनिक उर्वरकों से विशाल कृषि क्षेत्रों में कृषि के अनुसार जोता जाता है और उद्योगों को अत्यधिक विद्युत से संचालित मशीनों, जिन्हें एक बच्ची भी संचालित कर सके, द्वारा संचालित किया जाता है तो उत्पादन इतना शानदार हो सकता है कि इसका एक समान वितरण एक अकुशल मजदूर और प्रबन्धकों तथा वैज्ञानिक लोगों को भी पर्याप्त धनराशि उपलब्ध हो जाएगी।

लेकिन यह मत भूलो कि जब आप आधुनिक मशीनों की कहानियाँ सुनते हैं जो कि एक बच्ची को इतना समर्थ बना देते हैं कि वह अकेली इतना उत्पादन कर सके जितना अच्छी रानी एन के समय में एक हजार व्यक्ति कर पाते थे तो पता चलता है कि इस शानदार वृद्धि में सुइयाँ और स्टील की पिन और माचिस तक भी शामिल हैं, जिन्हें हम न तो खा सकते हैं, न पी सकते हैं और न ही पहन सकते हैं। बहुत छोटे बच्चे सुई और माचिसों को इच्छापूर्वक खायेंगे लेकिन यह भोजन पोषण प्रदान करने वाला नहीं है।

और अब यद्यपि हम आकाश और पृथ्वी को भी जोत सकते हैं, और इसमें से घास की मात्रा और गुण बढ़ाने के लिए इसमें से नाइट्रोजन को निकाल लिया जाता है परिणामस्वरूप हमारे जानवर और दूध और मक्खन और अण्डों के गुण बढ़ जाते हैं लेकिन प्रकृति हमारे ऊपर नियंत्रण लगाने के लिए अपनी चतुराई दिखा सकती है और रसायनशास्त्री इतने लालच से उसका विदोहन करते रहेंगे। 

And now to................. benighted condition. (Pages 125-126) 

कठिन शब्दार्थ-Civilized (सिवलाइज्ड) = high social and cultural level, सभ्य समाज। impartially (इम्पाश्लि ) = fair, निष्पक्ष। administered (अड्मिनिस्ट(र)ड्) = to manage, व्यवस्था करना। assault (असॉल्ट) = a sudden attack, अचानक आक्रमण। intimate (इन्टिमट) = very close, घनिष्ठ। chapel (चैपल्) = a small church, प्रार्थना कक्ष। osteopathy (ऑस्टिअपैथि) = doctor of bones and muscles, अस्थि-चिकित्सक। 

melancholy (मेलन्कलि) = sadness, निराशा, उदासी। remedy (रेमडि) = treatment, इलाज। oriental (ऑरिएन्ट्ल् ) = belongs to east, पूर्व से सम्बन्धित । starve (स्टाव्) = to die of hunger, भूखा मरना। extinguish (इस्टिग्विश्) = to stop burning, आग बुझाना। interfere (इन्टफिअ()) = to come on the way, हस्तक्षेप करना।

हिन्दी अनुवाद-और अब निष्कर्ष रूप में, अपने स्वतन्त्रता के स्वप्नों में से अपनी इच्छानुसार हर समय सारा काम करने में समर्थ होने की योग्यता की आशा को समाप्त कर दो। क्योंकि तुम्हारे दिन के कम से कम बारह घण्टे प्रकृति तुम्हें कुछ निश्चित आदेश देती है और यदि आप उनका पालन नहीं करेंगे तो वह आपकी जान भी ले सकती है। यह आपके लिए बारह घण्टे कार्य करने के लिए छोड़ती है और एक बार फिर प्रकृति आपकी जान ले लेगी जब तक आप या तो अपनी आजीविका कमायेंगे नहीं या कोई अन्य व्यक्ति आपके लिए नहीं कमायेगा। 

यदि आप किसी सभ्य देश में निवास करते हैं तो आपकी स्वतन्त्रता को वहाँ के कानून के द्वारा प्रतिबन्धित कर दिया जाएगा जो कि पुलिस द्वारा शक्ति द्वारा रोका जाएगा जो कि आपको ऐसा करने के लिए और न करने के लिए कहेंगे और आपसे कर चुकाने के लिए कहेंगे। यदि आप इन कानूनों का पालन नहीं करेंगे, तो न्यायालय आपको कारागार में डाल देगा और यदि आप और ज्यादा आगे बढ़ते हैं, तो वह आपकी जान भी ले सकता है। यदि कानून तार्किक हैं और निष्पक्ष रूप से लागू किए जाते हैं तो तुम्हारे लिए शिकायत करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि वे आक्रमण, राजमार्ग पर लूटमार और सामान्य रूप से अव्यवस्था के विरुद्ध आपको सुरक्षा देकर आपकी स्वतन्त्रता में वृद्धि करते हैं।

लेकिन अब वर्तमान समय में समाज की जैसी संरचना है, तो आपके ऊपर इससे भी ज्यादा घनिष्ठ आवश्यकता है : वह तुम्हारे मकान मालिक और तुम्हारे नियोक्ता की। आपका मकान मालिक आपको अपने घर में रहने देने से इनकार कर सकता है यदि आप चर्च के बजाय प्रार्थना कक्ष में जाते हैं, अथवा आप उसके नामांकित व्यक्ति को छोड़कर किसी अन्य को वोट देते हैं, अथवा यदि आप अस्थि चिकित्सा का अभ्यास करते हैं, अथवा आप कोई दुकान खोल लेते हैं। तुम्हारा नियोक्ता तुम्हारे कपड़ों की बनावट, रंग और स्थिति निर्धारित कर सकता है और साथ में तुम्हारे कार्यशील घण्टे भी निर्धारित कर सकता है। वह तुम्हें किसी भी क्षण निराशाजनक लोगों के समूह में सड़क पर शामिल होने के लिए छोड़ सकता है जिसे बेरोजगार व्यक्ति कहते हैं । संक्षेप में, आपके ऊपर उसकी शक्ति किसी भी राजनीतिक तानाशाह से बहुत ज्यादा होती है। 

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आपके पास वर्तमान समय में एक भाग उपचार व्यापार संघ के हड़ताल करने का अधिकार है जो कि एक बहुत प्राचीन यंत्र है जिसमें आप अपने दुश्मन के दरवाजे पर भूखों मरते हैं जब तक वह आपके प्रति न्याय नहीं करता है। अब क्योंकि इस देश में पुलिस आपको अपने नियोक्ता के दरवाजे पर भूख से नहीं मरने देगी तो आपको अपने दरवाजे पर ही मरना होगा, यदि आपके पास कोई दरवाजा हो तो। हड़ताल का उच्चतम स्वरूप-एक ही समय पर सभी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल है-वह भी मनुष्य की मूर्खता की पराकाष्ठा है और यदि उसे पूरी तरह से लागू किया जाये तो यह एक सप्ताह में ही मानव जाति को समाप्त कर देगी। और कर्मचारी नष्ट होने वालों में प्रथम होंगे। सामान्य हडताल व्यापारिक संघ पागलपन है। तार्किक व्यापार संगठन एक समय में एक बड़ी हड़ताल से ज्यादा कभी स्वीकृति नहीं देगा जबकि दूसरे व्यापारी इसके समर्थन में अतिरिक्त समय में कार्य कर रहे होंगे।

अब आओ इस केस को आँकड़ों में रखें। यदि आपको दिनभर में बारह घण्टे कार्य करना होता है तो आपके पास दिन में चार घण्टे अपनी पसन्द के अनुसार कार्य करने के लिए होते हैं, कानून और न्याय के विषयों के लिए होते हैं और एक रोचक पुस्तक को खरीदने के लिए पर्याप्त धन रखने के लिए अथवा किसी चलचित्र की टिकट का भुगतान करने के लिए अथवा किसी आधी छुट्टी वाले दिन किसी फुटबाल मैच का आनन्द लेने के लिए अथवा जो कुछ भी आपकी कल्पनाशीलता कार्य कर सके, उसके लिए होते हैं। लेकिन इसमें भी प्रकृति अत्यधिक हस्तक्षेप करती है क्योंकि यदि आपका आठ घण्टे का कार्य अत्यधिक शारीरिक श्रम के प्रकार का है और जब आप घर पहुँचते हैं, तो आप अपने चार घण्टे के समय को अपना ज्ञान विकसित करने के लिए पुस्तक पढ़ने में व्यतीत करना चाहते हैं, तो आप पायेंगे कि आपको आधी मिनट में ही अत्यधिक तीव्रता से नींद आ गई और आपका मस्तिष्क वर्तमान अन्धकारयुक्त स्थिति में ही बना रहेगा।

I take it......................with your wife. (Pages 126-127)

कठिन शब्दार्थ-Content (कन्टेन्ट्) = satisfied, सन्तुष्ट। lump (लम्प्) = a piece, ढेला,  leisure = free time, ali  clamouring = to demand in an angry way, क्रोधित होकर माँग करना। conundrum (कनन्ड्रम्) = problem, समस्या।

हिन्दी अनुवाद-तब मैं मानता हूँ कि हम में से दस में से नौ लोग और ज्यादा स्वतन्त्रता चाहते हैं, और यही कारण है कि हम इस बारे में बेतार के तार द्वारा बातचीत सुनते हैं। जितने लम्बे समय तक हम वैसे ही रहते हैं जैसे हैं-एक वोट और छोटी-छोटी वस्तुओं की आपूर्ति-तो हम एक-दूसरे को जो एक भाग सलाह दे सकते हैं, वह शेक्सपीयर के इआगो की है-"धन को अपने पर्स में रखो।" लेकिन भुगतान वाले दिन जब हमें अति अल्प धन प्राप्त होता है, और बाकी के पूरे सप्ताह उसमें से धन निकालते रहते हैं, तब इआगो की सलाह बहुत अधिक व्यावहारिक नहीं लगती है। हमें पहले अपनी राजनीति को बदलना होगा तब हम वह प्राप्त कर सकते हैं जो हम चाहते हैं; और इसी समय हमें स्वतन्त्रता के बारे में डींगें भरना बन्द करना होगा, क्योंकि ढेले के रूप में इंग्लैण्ड के लोग नहीं जानते कि स्वतन्त्रता क्या है, क्योंकि यह उन्हें कभी मिली ही नहीं। वे हमेशा स्वतन्त्रता को पुराने अंग्रेजी नाम खाली समय से बुलाते रहे और कार्य

धन तथा खाली समय प्राप्त हो जाये । और अब हमें कानूनों का गाना बन्द कर देना चाहिए ब्रिटेन ! जब तक हम इसे सत्य न बना दें। जब तक हम ऐसा न करें, हमें किसी भी संसदीय उम्मीदवार को वोट नहीं करना चाहिए जो हमारी स्वतन्त्रता और स्वतन्त्रता के प्रति प्रेम के बारे में बात करता है क्योंकि वह अपने आप को कोई भी राजनैतिक नाम क्यों न दे, वह आधार रूप से अराजकतावादी ही होगा जो हमारे परिश्रम पर जीवित रहना चाहता है बिना पुलिस की गिरफ्त में जाए जिसके लिए वह सर्वाधिक योग्य है। और अब मान लो अन्त में हमें उससे अधिक आराम का समय और मुक्त समय प्राप्त हो जाता है, जितने के हम अभ्यस्त हैं तो हम उनका क्या करेंगे? 

मुझे बचपन में सिखाया गया था, शैतान खाली हाथों से करने के लिए अभी भी शरारतें ढूँढ लेगा। मैंने ऐसे लोगों को देखा है, जिन्होंने अत्यधिक धन कमाया और अपनी खुशियों को, अपने स्वास्थ्य को और अन्त में अपने जीवन को भी इसके द्वारा नष्ट कर दिया क्योंकि निश्चित रूप से उन्होंने जैसे शैम्पेन और सिगार के स्थान पर चूहे मारने के जहर की खुराक ले ली हो। यह जानना बिल्कुल भी सरल नहीं है कि आराम के समय का क्या करना चाहिए जब तक कि हमें इस बारे में पूरी तरह से समझाया नहीं जाता। 

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इसलिए मैं आपको इस समस्या के बारे में सोचने के लिए छोड़ दूंगा। यह आपका चयन होगा कि आप प्रतिदिन आठ घण्टे कार्य करेंगे और पैंतालीस वर्ष की आयु में पूरी पेंशन पर अवकाश ग्रहण करेंगे अथवा आप दिन में चार घण्टे कार्य करेंगे और जब तक आप सत्तर वर्ष के न हो जायें, तब तक कार्य करते रहेंगे? अब इसका उत्तर मेरे पास मत भेजना, कृपया इस बारे में अपनी पत्नी से बात करें।

Understanding Freedom and Discipline

Jiddu Krishnamurti was a world renowned writer and speaker on fundamental philosophical and spiritual subjects such as the purpose of meditation, human relationships, and how to bring about positive change in global society.

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His supporters, working through several non-profit foundations, oversee a number of independent schools centred on his views on education, in India, England and the United States. His talks, group and individual discussions, and other writings are published in a variety of formats including print, audio video as well as online, in many languages. 

स्वतन्त्रता तथा अनुशासन को समझना

जिद् कृष्णामूर्ति विश्वविख्यात लेखक और वक्ता थे, जो कि आधारभूत दार्शनिक और आध्यात्मिक विषयों पर लिखा करते थे। जैसे-ध्यान का उद्देश्य, मानवीय सम्बन्ध और विश्वव्यापी समाज में किस प्रकार सकारात्मक परिवर्तन लाये जायें। उनके अनुयायी, जो कि अनेकानेक लाभ रहित संस्थाओं के माध्यम से कार्यरत हैं, अनगिनत स्वतन्त्र विद्यालयों को देखते हैं जो कि भारत, इंग्लैण्ड और अमेरिका में स्थित हैं। उनके वार्तालाप, समूह और व्यक्तिगत वाद विवाद और अन्य लेखन विभिन्न प्रारूपों में प्रकाशित हुए हैं जिनमें छपे हुए, श्रव्य एवं दृश्य तथा साथ में ऑनलाइन संस्करण शामिल हैं, जो कि विश्व की अनेक भाषाओं में हैं।

About the Essay :

In his essay, J. Krishnamurti depicts clearly the difference between freedom and discipline. He says that mostly people live in frame. In this frame, their parents and teacher infuse so many restrictions. And we find ourselves unable to come out of these enclosures. Most of us are blind followers so our intelligence gets frustrated. He claims that freedom and discipline are contrary to each other. These enclosures destroy our sensitivity which is essential for our freedom. Thus, a disciplined man can never be a freeman. If we want to get real freedom, we'll have be free from the bondages of discipline and customs and traditions. 

निबन्ध के बारे में :

अपने निबन्ध में, जे. कृष्णामूर्ति स्वतन्त्रता और अनुशासन में अन्तर को स्पष्ट करता है। वह कहता है कि अधिकतर लोग सीमाओं में रहते हैं। इस सीमा में, उनके माता-पिता और अध्यापक बहुत से प्रतिबन्ध डाल देते हैं। और हम इन चाहरदीवारों में से बाहर आने में असमर्थ हो जाते हैं। हम में से अधिकतर लोग अन्धानुकरण करने वाले होते हैं इसलिए हमारी बुद्धि कुण्ठित हो जाती है। वह दावा करता है कि स्वतन्त्रता तथा अनुशासन एक-दूसरे के विरोधी गुण हैं। ये चाहरदीवारी हमारी संवेदनशीलता को समाप्त कर देती है जो कि हमारी स्वतन्त्रता के लिए आवश्यक है। इस प्रकार, एक अनुशासित व्यक्ति कभी भी स्वतन्त्र व्यक्ति नहीं हो सकता है। यदि हम वास्तविक स्वतन्त्रता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें अनुशासन और प्रथाओं तथा परम्पराओं के बन्धन से मुक्त होना पड़ेगा।

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

The problem of discipline ................ free and happy. (Pages 128-129)

कठिन शब्दार्थ-Complex (कॉम्प्ले क्स्) = complicated, जटिल। eventually (इवेन्चुअलि) = finally, अन्त में। resistance (रजिस्टन्स्) = opposite force, प्रतिरोध। barrier (बैरिअ(र्)) = hinderance, अवरोध, बाधा। obviously (ऑब्विअस्लि ) = clear, स्पष्ट रूप से। frame (फ्रेम्) = a border of wood or metal, चौखट, संकीर्ण रूप से । enclosure (इन्क्लोश()) = a piece of land inside a fence, बाड़ा। tradition (ट्रडिश्न्) = custom, परम्परा। beneficial (बेनिफिश्ल) = useful effect, लाभकारी। conform (कन्फॉम्) = to obey a rule, कानून का पालन करना। imitate (इमिटेट्) = copy, नकल करना/अनुसरण करना।

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हिन्दी अनुवाद-अनुशासन की समस्या वास्तव में अत्यधिक जटिल समस्या है, क्योंकि हम में से ज्यादातर सोचते हैं कि अनुशासन के किसी रूप के माध्यम से हमें अन्त में स्वतन्त्रता प्राप्त हो जाएगी। अनुशासन परिरोधक क्षमता की उपज है, क्या ऐसा नहीं है? अपने अन्दर प्रतिरोध विकसित करके, अवरोध निर्माण करके उसके विरुद्ध जिसे हम गलत समझते हैं, हम सोचते हैं कि हम और ज्यादा समझने में योग्य हो जायेंगे और पूरी तरह जीवन जीने के लिए स्वतन्त्र हो जायेंगे, लेकिन यह वास्तविकता नहीं है, क्या है ? निश्चित रूप से, ऐसा केवल तब होगा जब स्वतन्त्रता होगी, सोचने की, खोज करने की वास्तविक स्वतन्त्रता-जिसमें से आप कुछ भी प्राप्त कर सकें।।

लेकिन स्पष्ट रूप से स्वतन्त्रता किसी संकीर्णता में अस्तित्व में नहीं रह सकती। और हम में से ज्यादातर लोग संकीर्णता में ही रहते हैं, एक ऐसा संसार जो विचारों में संकीर्ण है, क्या हम नहीं हैं ? उदाहरण के लिए-तुम्हें तुम्हारे माता-पिता तथा तुम्हारे अध्यापकों द्वारा यह बताया जाता है कि क्या सही है और क्या गलत है। तुम जानते हो कि लोग क्या कहते हैं, धर्मगुरु क्या कहते हैं, परम्पराएँ क्या कहती हैं, और आपने स्कूल में क्या सीखा है। यह सब कुछ इस प्रकार का बाड़ा बन जाता है जिसके अन्दर आप रहते हैं; और उस बाड़े के अन्दर रहते हुए आप कहते हैं कि आप स्वतन्त्र हैं। क्या आप (स्वतन्त्र) हैं ? क्या कोई व्यक्ति कभी भी इतने लम्बे समय तक स्वतन्त्र रह सकता है, जब वह कारागार में हो? ।

अतः व्यक्ति को परम्पराओं की कारागार की दीवारों को तोड़ना ही होगा। व्यक्ति को प्रयोग करने होंगे और अपने आप खोज करनी होगी, केवल किसी भी व्यक्ति का अनुसरण नहीं करना होगा, चाहे वह व्यक्ति कितना भी अच्छा हो, कितना भी आदर्श हो और कितना भी उत्साही हो और उसकी उपस्थिति में व्यक्ति कितनी भी खुशी महसूस करता हो। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि व्यक्ति परम्पराओं द्वारा स्थापित मूल्यों का परीक्षण कर सके, केवल उन्हें स्वीकार न करे, (क्योंकि) सभी बातें जो लोगों द्वारा कही गई हैं, अच्छी हैं, लाभप्रद हैं, मूल्यवान हैं। जिस क्षण पर आप स्वीकार करते हैं, आप पालन करना शुरू कर देते हैं, नकल करना शुरू कर देते हैं; और पालन करना, नकल करना, अनुसरण करना कभी भी किसी भी व्यक्ति को स्वतन्त्र और खुश नहीं कर सकता है। 

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Our elders say ......... from doing it. (Page 129) 

कठिन शब्दार्थ-imposed (इम्पोज्ड) = to apply by force, शक्ति के बल पर लागू करना। perception (पसेप्शन्) = an opinion, दृष्टिकोण। constant (कॉन्स्टन्ट) = continuous, स्थिर, लगातार। inclination (इन्क्लिनेशन्) = a feeling, झुकाव, लगाव। entity (एन्टटि) = free existence, स्वतन्त्र अस्तित्व। plenty (प्लेन्टि) = more than needed, प्रचुर, भरपूर। integrated (इन्टिग्रेट्ड्) = to become one, एकीकृत। conflict (कॉन्फ्लिक्ट्) = argument, संघर्ष । struggle (स्ट्रगल्) = to fight, संघर्ष।

हिन्दी अनुवाद-हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि आपको अनुशासित अवश्य ही होना चाहिए। अनुशासन आपके द्वारा अपने ऊपर लागू किया जाता है और दूसरों के द्वारा बाहर से लागू किया जाता है। लेकिन जो महत्त्वपूर्ण है वह यह है कि आप सोचने और पूछने के लिए स्वतन्त्र हों ताकि आप स्वयं ही प्राप्त करना शुरू कर दें।

गहनता से सोचना, किसी चीजों में गहराई से प्रवेश करना और यह खोजना कि सत्य क्या है, अत्यन्त कठिन कार्य है। इसमें जागरूक दृष्टिकोण, लगातार पूछताछ की आवश्यकता होती है, और ज्यादातर लोगों में इसके लिए न तो लगाव होता है और न ही शक्ति होती है। वे कहते हैं, "आप मुझसे ज्यादा अच्छा जानते हैं; आप मेरे गुरु, मेरे शिक्षक हैं और मैं आपका अनुसरण करूँगा।"

अतः यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि सर्वाधिक कोमल उम्र से आप प्राप्त करने के लिए स्वतन्त्र हों और क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए ऐसी दीवारों के बन्धन में बंधे हुए न हों; क्योंकि यदि आपको लगातार यह बताया जाए कि तुम्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए तो तुम्हारी अपनी बुद्धि का क्या होगा।

आपका विचारहीन अस्तित्व होगा जो कि केवल एक भविष्य के लिए ही घूमेगा, जिसे उसके माता-पिता द्वारा बताया जाता है कि उसे किससे शादी करनी चाहिए और किससे शादी नहीं करनी चाहिए; और यह स्पष्ट रूप से बुद्धिमानी का कार्य नहीं है। आप अपनी परीक्षाएँ पास कर सकते हैं और अत्यधिक समृद्ध हो सकते हैं, आपके पास श्रेष्ठ वस्त्र हो सकते हैं और अत्यधिक मात्रा में गहने हो सकते हैं, आपके पास मित्र और प्रतिष्ठा हो सकती है; लेकिन जितने लम्बे समय तक आप परम्पराओं से बंधे रहेंगे, तब तक बुद्धिमानी नहीं हो सकती है।

निश्चित रूप से, बुद्धिमानी केवल तब अस्तित्व में आती है जब आप प्रश्न पूछने के लिए स्वतन्त्र होते हैं, बाहर सोचने और खोज करने के लिए स्वतन्त्र होते हैं, तब आपका मस्तिष्क अत्यन्त सक्रिय, अत्यन्त जागरूक और स्पष्ट होता है। तब आप पूरी तरह से एकीकृत व्यक्ति होते हैं-एक भयभीत अस्तित्व के स्वामी नहीं होते हैं, जो यह न जानकर कि क्या करना चाहिए, आन्तरिक रूप से एक बात महसूस करते हैं जबकि बाहरी रूप से किसी दूसरी बात को मानते हैं।

बुद्धिमानी की माँग है कि आप परम्पराओं से दूर रहें और अपने स्वयं के ऊपर जीवित रहें, लेकिन आपको आपके माता-पिता के विचारों के बन्धन में और समाज की परम्पराओं के बन्धन में बाँध दिया जाता है। इसलिए, आन्तरिक रूप से एक संघर्ष चलता रहता है और जब तक आप उस संघर्ष को हल नहीं कर देते, तब तक आप अन्तहीन संघर्षों में, दर्द में, दुखों में फंसे रहेंगे और अन्तिम रूप में आप कुछ करना चाहेंगे लेकिन आपको ऐसा करने से रोक दिया जाएगा। 

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If you go into..........around you? (Page 130) 

कठिन शब्दार्थ-Contradictory (कॉन्ट्र'डिक्टरि) = being opposite, विरोधात्मक। clarification (क्लैरिफिकेश्न्) = to make clear, स्पष्टीकरण। initiative (इनिशटिव्) = to start action, पहल करना। pittance (पिटन्स्) = very low, अति अल्प। indicates (इन्डिकेट्स्) = to say something in indirect way, संकेत करते हैं। dulled (डल्ड्) = boring, अरुचिकर। conscious (कॉन्शस्) = alert, सजग, जाग्रत।।

हिन्दी अनुवाद-यदि आप इस सब में अत्यन्त सावधानी से जायेंगे तो आप देखेंगे कि अनुशासन और स्वतन्त्रता एक-दूसरे के विरोधी हैं और वास्तविक स्वतन्त्रता की खोज में बिल्कुल भिन्न प्रक्रिया होती है जो कि अपने आप में एक स्पष्टीकरण लाती है ताकि आप कुछ बातें बिल्कुल भी न करें।

जबकि आप युवा हैं तो यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने जीवन में वास्तव में क्या चाहते हैं, उसे प्राप्त करने के लिए आप स्वतन्त्रं हों और उसे प्राप्त करने के लिए आपकी सहायता की जाए। यदि आप अपनी युवावस्था में प्राप्त नहीं करेंगे तो आप कभी भी प्राप्त नहीं कर पायेंगे, आप कभी भी स्वतन्त्र और खुश व्यक्ति नहीं होंगे। बीज इसी समय बोया जाना चाहिए, इसलिए पहल करने के लिए अभी से प्रारम्भ कर दो।

सड़कों पर आपने प्रायः ग्रामीणों को भारी वजन ढोते हुए अकसर देखा है, क्या नहीं देखा है? वे गरीब महिलाएँ जो कि फटे पुराने और गन्दे कपड़े पहने हुए, जिनके पास अपार्यप्त भोजन है, अति अल्प मजदूरी के लिए दिन प्रतिदिन कार्य करती हैं-क्या आप में उनके प्रति कोई भावना है ? अथवा आप इतने भयभीत हैं, अपने लिए इतने ज्यादा चिन्तित हैं, अपनी परीक्षाओं के लिए, अपने दृष्टिकोण के लिए, अपनी साड़ियों के लिए इतने चिन्तित हैं कि आप उनकी ओर कभी भी ध्यान ही नहीं देते हैं ? 

क्या आप महसूस करते हैं कि आप उनसे बहुत अच्छे हैं, कि आप उच्च वर्ग में आते हैं और इसलिए उनका सम्मान करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है ? क्या आप उनकी सहायता करना नहीं चाहते हैं ? नहीं? यह संकेत करता है कि आप किस प्रकार सोच रहे हैं। क्या आप शताब्दियों पुरानी परम्परा से इतने नीरस हो गये हैं, जो कुछ तुम्हारे माता-पिता कहते हैं, उससे नीरस हो गये हैं। एक निश्चित वर्ग के प्रति इतने ज्यादा जाग्रत हो गये हैं कि आप ग्रामीणों की ओर देखते तक नहीं हैं ? क्या आप वास्तव में इतने ज्यादा नेत्रहीन हो गये हैं कि आपको यह भी नहीं पता कि तुम्हारे चारों ओर क्या हो रहा है? 

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It is fear .......... problems of life. (Pages 130-131) 

कठिन शब्दार्थ-sensitivity (सेन्सटिवटि) = conscious to feelings, संवेदनशीलता। impressions (इम्प्रेशन्स्) = an opinion, धारणा, प्रभाव। sympathy (सिम्पथि) = understanding of people's feelings, सहानुभूति।affection(अफेक्श्न् ) = a feeling of love, प्रेम की अनुभूति। trodden (ट्रॉड्न्) = people of lower rank, दबे कुचले। exploiters (एक्सप्लॉइटस्) = one who explores, शोषण करने वाला। appreciation (अप्रीशिएश्न्) = praise, प्रशंसा। tackle (टैक्ल्) = to make effort, समस्या का सामना करना।

हिन्दी अनुवाद-यह भय है-यह भय है कि तुम्हारे माता-पिता क्या कहेंगे, अध्यापक क्या कहेंगे, परम्पराओं का भय, जीवन का भय-जो कि धीरे-धीरे संवेदनशीलता को नष्ट करता है, क्या ऐसा नहीं है? संवेदनशील होना महसूस करना है, प्रभाव को स्वीकार करना है, उन लोगों के लिए सहानुभूति रखना है जो कष्ट उठा रहे हैं, प्रेम रखना, उन बातों के प्रति जागरूक रहना कि तुम्हारे चारों ओर क्या हो रहा है।

क्या जब मन्दिर की घण्टी बज रही है तो आप उसके प्रति जाग्रत हैं? क्या आप ध्वनि सुनते हैं? क्या आप कभी पानी पर सूर्य की धूप देखते हैं? क्या आप गरीब लोगों के प्रति जागरूक रहते हैं, वे ग्रामीण जिन्हें शताब्दियों से शोषकों द्वारा नियंत्रित किया गया और दबाया कुचला गया? जब आप किसी नौकर को एक भारी गलीचा ले जाते हुए देखते हैं तो क्या आप उसे सहायता करने के लिए अपना हाथ बढ़ाते हैं ?

यह सब कुछ संवेदनशीलता में शामिल है। लेकिन, आप देखिए, यह संवेदनशीलता उस समय समाप्त हो जाती है जब कोई अनुशासन में होता है, जब कोई भयभीत होता है अथवा अपने स्वयं के प्रति चिन्तित होता है। अपने दिखावे के प्रति चिन्तित होना, अपनी साड़ियों के प्रति चिन्तित होना, हर समय अपने बारे में सोचते रहना-जो हम में से ज्यादातर लोग इस या उस रूप में करते हैं-यह सब संवेदनशीलता है, क्योंकि तब हृदय और मस्तिष्क एक साथ हो जाते हैं और व्यक्ति की सौन्दर्य के प्रति पूरी प्रशंसा भी समाप्त हो जाती है।

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वास्तविक रूप से स्वतन्त्र होने में अत्यधिक संवेदनशीलता है। इसमें कोई स्वतन्त्रता नहीं है यदि आप अपने स्वार्थ से ग्रसित रहते हैं अथवा अनुशासन की विभिन्न दीवारों के अन्दर रहते हैं। जब तक आप का जीवन दूसरों की नकल की प्रक्रिया में रहता है तब तक कोई भी संवेदनशीलता नहीं हो सकती है, कोई भी स्वतन्त्रता नहीं हो सकती है। यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है, जब आप यहाँ पर हैं, कि आप स्वतन्त्रता के बीज बोयें, जिससे बुद्धि-चातुर्य जाग्रत हो जाये; क्योंकि उस बुद्धिमानी से आप जीवन की सभी समस्याओं का हल कर सकते हैं।

Bhagya
Last Updated on Dec. 13, 2023, 9:29 a.m.
Published Dec. 12, 2023