RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय

RBSE Class 12 Economics समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र

समष्टि अर्थशास्त्र

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जिसमें व्यक्तिगत इकाइयों तथा अर्थशास्त्र के छोटे भागों का अध्ययन किया जाता है।

1. समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जिसमें समस्त अर्थ-व्यवस्था से सम्बन्धित बड़े योगों अथवा समूहों का अध्ययन किया जाता है।

2. इसमें वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमत निर्धारण तथा उनका विभिन्न उपयोगों में आवंटन का अध्ययन होता है।

2. इसमें राष्ट्रीय आय के स्तर तथा साधनों के समग्र उपयोग के निर्धारण का अध्ययन होता है।

3. व्यष्टि अर्थशास्त्र वैयक्तिक समस्याओं का समाधान एवं नीतियाँ प्रस्तुत करता है।

3. समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की समस्याओं का समाधान एवं नीतियाँ प्रस्तुत करता है।

4. व्यष्टि अर्थशास्त्र का विश्लेषण सरल एवं सुगम होता है।

4. समष्टि अर्थशास्त्र का विश्लेषण जटिल एवं लम्बा होता है।

5. यह व्यक्तिगत फर्मों, उद्योगों व उत्पादन इकाइयों के उतार - चढ़ाव की व्याख्या करता है।

5. यह सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ावों, आर्थिक मंदी, आर्थिक तेजी आदि को स्पष्ट करता है।

6. व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध कीमत विश्लेषण से है.।

6. समष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध आय विश्लेषण से है।

7. व्यष्टि अर्थशास्त्र में विभिन्न बाजारों का अध्ययन होता है।

7. समष्टि अर्थशास्त्र में समग्र अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है।


RBSE Solutions for Class 12 Economics Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय 

प्रश्न 2. 
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं।

  1. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है।
  2. इस अर्थव्यवस्था में बाजार में निर्गत को बेचने के लिए ही उत्पादन किया जाता है।
  3. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में श्रमिकों की सेवाओं का क्रय-विक्रय एक निश्चित कीमत पर होता है, जिसे मजदूरी की दर कहते हैं।


प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र की दुष्टि से अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख क्षेत्रकों का वर्णन करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख क्षेत्रक निम्न प्रकार हैं:
(1) फर्म: किसी भी अर्थव्यवस्था में उत्पादन इकाई को फर्म कहा जाता है। किसी फर्म के कारोबार के संचालन का दायित्व उद्यमियों के ऊपर होता है। उद्यमी ही श्रमिकों को उत्पादन प्रक्रम में नियोजित करता है। इन आगतों के नियोजन के उपरान्त उद्यमी उत्पादन प्रक्रिया का संचालन करता है। उसका उद्देश्य वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन कर उन्हें बाजार में बेचकर लाभ प्राप्त करना है।

(2) सरकार: विकसित एवं विकासशील दोनों प्रकार के देशों में निजी पूँजीवादी क्षेत्र के अलावा राज्य में उसके अनुरूप एक संस्था होती है। राज्य उत्पादन कार्य भी करता है। राज्य कई प्रकार के कर लगाता है तथा नागरिकों को कई प्रकार की सार्वजनिक सेवाएँ उपलब्ध करवाता है। राज्य को सूचित करने के लिए सरकार शब्द का प्रयोग किया जाता है।

(3) पारिवारिक क्षेत्रक: किसी अर्थव्यवस्था में फर्म व सरकार के अतिरिक्त तीसरा बड़ा क्षेत्रक पारिवारिक क्षेत्रक होता है। यहाँ परिवार से हमारा तात्पर्य एकल व्यक्तिगत उपभोक्ता, जो अपने उपयोग से सम्बन्धित निर्णय अथवा कई व्यक्तियों के समूह जिसके उपभोग से सम्बन्धित निर्णय संयुक्त रूप से लिए जाते हैं, से है। पारिवारिक क्षेत्र द्वारा फर्मों को श्रमिकों की पूर्ति की जाती है जिससे उन्हें मजदूरी प्राप्त होती है जिसके फलस्वरूप वे बाजार में वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग उत्पन्न करते हैं।

(4) बाह्य क्षेत्रक: वर्तमान में वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के लगभग सारे देश बाह्य व्यापार भी करते हैं जिसे बाह्य क्षेत्र कहते हैं, जो कि चौथा महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। बाह्य क्षेत्र से व्यापार तीन प्रकार से हो सकता हैं।

  1. जब कोई देश अपनी घरेलू वस्तु विश्व के अन्य देशों में बेचते हैं, तो उसे निर्यात कहते हैं।
  2. कोई देश जब विश्व के अन्य देशों से वस्तुएँ खरीदता है, तो उसे आयात कहते हैं। आयात और निर्यात के अलावा दूसरी तरह से भी विश्व के अन्य देश किसी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं।
  3. किसी देश की अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी का भी प्रवाह हो सकता है अथवा कोई देश विदेशों में भी पूँजी का निर्यात कर सकता है।

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प्रश्न 4. 
1929 की महामंदी का वर्णन करें।
उत्तर:
कीन्स के पूर्व के अर्थशास्त्री मानते थे कि अर्थव्यवस्था में उन सभी लोगों को रोजगार प्राप्त हो जाता है, जो काम करना चाहते हैं। किन्तु 1929 में पूरे विश्व में महामंदी का दौर आया। 1929 की महामंदी और उसके बाद के वर्षों में देखा गया कि यूरोप और उत्तरी अमरीका के देशों में निर्गत और रोजगार के स्तरों में भारी गिरावट आयी। इसका प्रभाव दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ा। बाजार में वस्तुओं की माँग कम थी और कई कारखाने बेकार पड़े थे, श्रमिकों को काम से निकाल दिया गया था।

संयुक्त राज्य अमरीका में 1929 से 1933 तक बेरोजगारी की दर 3 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई थी। उस अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमरीका में समस्त निर्गत में लगभग 33 प्रतिशत की गिरावट आयी। इन घटनाओं ने अर्थशास्त्रियों को नये तरीके से अर्थव्यवस्था के प्रकार्य के सम्बन्ध में सोचने को प्रेरित किया। यह सच है कि जिस अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी लम्बी अवधि तक विद्यमान होगी, वहाँ एक सिद्धान्त की प्रस्तुति और उसकी व्याख्या की आवश्यकता होगी। कीन्स की पुस्तक 'द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉयमेन्ट, इन्टरेस्ट एंड मनी' इस दिशा में एक प्रयास साबित हुई। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत उनका दृष्टिकोण अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली तथा विभिन्न क्षेत्रों की परस्पर - निर्भरता का परीक्षण करना था। समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का उद्भव हुआ।

Prasanna
Last Updated on Jan. 20, 2024, 9:30 a.m.
Published Jan. 19, 2024