RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

RBSE Class 12 Biology वंशागति के आणविक आधार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
निम्न को नाइट्रोजनीकृत क्षार व न्यूक्लियोसाइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए-एडेनीन, साइटीडीन, थाइमीन, ग्वानोसीन, यूरेसिल व साइटोसीन
उत्तर:
नाइट्रोजनीकृत क्षार: एडेनीन, थाएमीन, यूरेसिल, साएटोसीन।
न्यूक्लियोसाइड: साएटिडीन, ग्वानोसीन। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

प्रश्न 2. 
यदि एक विरज्जुकी डी.एन.ए. में 20 प्रतिशत साएटोसीन है तो डी.एन.ए. में मिलने वाले एडेनीन के प्रतिशत की गणना कीजिए। 
उत्तर:
चारगॉफ के नियम के अनुसार-
A = T तथा G = C 
तथा A + G = T + C 
यदि साएटोसीन 20 प्रतिशत है तो ग्वानीन भी 20 प्रतिशत हो होगी (प्यूशन की मात्रा पिरीमिडीन की मात्रा के बराबर होती है)। 
G + C = 40 प्रतिशत, A + T = 100 - 40 = 60%
अतः एडिनौन 60/2 = 30% तथा थाएमीन भी 30 प्रतिशत होगी। 

प्रश्न 3. 
यदि डी.एन.ए. के एक रज्जुक का अनुक्रम निम्नलिखित है।
5' - ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC - 3'
तब पूरक रज्जुक के अनुक्रम को 5' → 3' दिशा में लि। 
उत्तर:
इस डी.एन.ए. का पूरक 3' → 5' दिशा वाला होगा।
3' - TACG TACG TACG TACG TACG TACG TACG - 5' 
अतः पूरक रज्जुक 5' → 3' दिशा में होगा।
5' -GCAT GCAT GCAT GCAT GCAT GCAT GCAT - 3'

प्रश्न 4. 
यदि अनुलेखन इकाई में कूटलेखन रज्जुक के अनुक्रम को निम्नवत् लिखा गया है-
5' - ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC ATGC – 3'
तो दूत आर.एन.ए. के अनुक्रम को लिखें। 
उत्तर:
अनुलेखन इकाई में दूत आर.एन.ए. का निर्माण टेम्पलेट रज्जक से होता है जोकि कूट लेखन रज्जुक का पूरक होता है। टेम्पलेट रज्जुक का अर्थात 3' → 5' दिशा वाले रज्जुक का अनुक्रम होगा
3' - TACG TACG TACG TACG TACG TACG 
इस पर बनने वाले mRNA (दूत आर.एन.ए.) का अनुक्रम होगा- 
5' - AUGC AUGC AUGC AUGC AUGC AUGC AUGC - 3' 
(mRNA का अनुक्रम कूटलेखन (कोडिंग) रज्जुक से समान होता सिर्फ T की जगह U होता है) 

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प्रश्न 5. 
डी.एन.ए. द्विकुण्डली की कौन - सी विशेषता ने वाटसन व क्रिक को डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण के अर्धसंरक्षी या सेमी - कंजरवेटिव का। को कल्पित करने में सहयोग किया? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वाटसन व क्रिक के द्विकुण्डली मॉडल को दोनों पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के बीच के क्षारक युग्मन की विशेषता ने उनको प्रतिकृतिकरण के सेमी-केजरवेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया। यह क्षारक युग्मन पॉलीन्यूक्लियोटाइड शृंखलाओं को पूरकता (complementarity) का एक विशिष्ट गुण प्रदान करता है। अर्थात अगर एक रज्जुक में क्षारकों का क्रम ज्ञात है तो दूसरे रज्जुक में क्षारको के क्रम का अनुमान लगाया जा सकता है। अगर पैत्रिक डी.एन.ए. का प्रत्येक रज्जुक नये रज्जुक के संश्लेषण के लिए साँचे या टेम्पलेट का कार्य करे तो इस प्रकार बने दो डी.एन.ए, अणु पैत्रिक डी.एन.ए. के समान होंगे। प्रत्येक अणु में एक रज्जुक पैत्रिक तथा एक नव संश्लेषित होगा (सेमीकंजरवेटिव)।। यह प्रस्ताव इरविन चारगॉफ के क्षारकों के अनुपात सम्बन्धी प्रेक्षणों तथा मॉरिस विल्किंस व रोजालिन फ्रैंकलिन के एक्स रे डिफेक्शन आँकड़ों पर भी आधारित था। वाटसन व क्रिक ने स्वयं लिखा था "यह हमारे ध्यानेतर नहीं है कि जिस विशिष्ट क्षारक युग्मन को हमने प्रस्तावित किया है, वह तत्काल, आनुवंशिक पदार्थ का प्रतिकृतिकरण सुझाता है"। 

प्रश्न 6. 
टैंपलेट (ही.एन.ए. या आर.एन.ए.) की रासायनिक प्रकृति व इससे संश्लेषित न्यूक्लिक अम्लों (डी.एन.ए. या आर.एन.ए.) की. प्रकृति के आधार पर न्यूक्लिक अम्ल पॉलीमेरज के विभिन्न प्रकारों की सूची बनाइये। 
उत्तर:
डी.एन.ए. टेम्पलेट (DNA template)
प्रतिकृतिकरण (replication): प्रोकैरियोटिक व यूकैरियोटिक दोनों प्रकार की कोशिकाओं में डी.एन.ए. से डी.एन.ए. अणु के बनने अर्थात् प्रतिकृतिकरण हेतु डी.एन.ए. निर्भर डी.एन.ए. पॉलीमरेज की आवश्यकता होती है। अनुलेखन (Transcription) प्रोकरियोट्स में डी.एन.ए. से तीनों प्रकार के RNAS का निर्माण एक ही प्रकार के डी.एन.ए. निर्भर आर.एन.ए. पॉलीमरेज द्वारा होता है। यूकैरियोट्स में अनुलेखन हेतु तीन भिन्न प्रकार के आर.एन.ए. पॉलीमरेज आवश्यक होते हैं:

  1. आर.एन.ए. पॉलीमरेज I - r RNA का अनुलेखन करता है। 
  2. आर.एन.ए. पॉलीमरेज II - m RNA के पूर्ववर्ती अर्थात् अप्रसंस्करित m RNA या hn RNA (हेटेरोजिनस न्यूक्लियर आर.एन.ए.) का अनुलेखन करता है।
  3. आर.एन.ए. पॉलीमरेज III - t RNA, 5 SrRNA तथा SnRNA (स्मॉल न्यूक्लियर आर.एन.ए. का अनुलेखन करता है)।

आर.एन.ए. टेम्पलेट (RNA template) आर.एन.ए. विषाणुओं में प्रतिकृतिकरण आर.एन.ए. निर्भर आर.एन.ए. पॉलीमरेज द्वारा (सामान्यत: प्रतिकृतिकरण नहीं होता,) कुछ RNA विषाणु में प्रतिकृतिकरण होता है तथा रिट्रो विषाणु (Retro viruses) में रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज द्वारा C DNA का निर्माण होता है (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन)। 

प्रश्न 7. 
डी.एन.ए. आनुवंशिक पदार्थ है, इसे सिद्ध करने हेतु अपने प्रयोग के दौरान हर्शे व चेज ने डी.एन.ए. व प्रोटीन के बीच अन्तर कैसे स्थापित किया? 
उत्तर:
हर्शे व चेज ने डी.एन.ए. व प्रोटीन के एक रासायनिक अन्तर (chemical difference) को इस समस्या के समाधान का आधार बनाया। डी.एन.ए. में फास्फोरस उपस्थित होता है लेकिन सल्फर का अभाव होता है। वहीं प्रोटीन में सल्फर उपस्थित होता है लेकिन फास्फोरस नहीं। हरों व चेज ने जीवाणुभोजियों (Bacteriophage) के डी.एन.ए. को विकिरण सक्रिय या रेडियोएक्टिव 32P से चिन्हित किया। इसके लिए उन्होंने विषाणुओं को इस प्रकार के जैविक माध्यम में सम्बर्षित किया जिसमें रेडियोएक्टिव फास्फोरस था। इसी प्रकार जीवाणुभोजियों को रेडियोएक्टिव 35S वाले माध्यम पर सम्बर्धित कर उन्होंने उनके प्रोटीन आवरण को रेडियाएक्टिव सल्फर (35S) से चिन्हित किया। रेडियोएक्टिव समस्थानिक जैविक प्रयोगों में एक चिन्हक (marker) के रूप में कार्य करते हैं क्योंकि मानक प्रयोगशालायी विधियों द्वारा किसी पदार्थ में उपस्थित रेडियो - एक्टिवता की जांच की जा सकती है। जीवाणुभोजी, जीवाणु के संक्रमण के समय जीवाणुओं पर चिपकते हैं तथा अपने आनुवंशिक पदार्थ को जीवाणु कोशिका में प्रविष्ट करा देते है, इनका बाह्य प्रोटीन आवरण (कैप्सिड) बाहर ही रह जाता है।

हशें व चेज ने यह खोजने का कार्य किया कि संक्रमण के समय जीवाणुभोजी का कौन - सा भाग (प्रोटीन या डी.एन.ए.) जीवाणु में प्रवेश करता है? 32P से चिह्नित जीवाणीभोजी का डी.एन.ए. कोशिका में प्रवेश करता है अत: रेडियोएक्टीविटी सेन्ट्रीफ्यूज करने के बाद पेलेट के रूप में नीचे बैठी जीवाणु कोशिकाओं में मिलती है। 35S से चिह्नित जीवाणुभोजियों का सल्फर युक्त प्रोटीन आवरण जीवाणु कोशिका से बाहर ही रह जाता है अत: सेंट्रीफ्यूज करने के बाद रेडियोएक्टीविटी ऊपरी द्रव में मिलती है, पैलेट में नहीं। इसी से सिद्ध हुआ कि कोशिका में प्रवेश करने वाला 32P युक्त डी.एन.ए. ही आनुवंशिक पदार्थ है तथा सेण्ट्रीफ्यूज नलिका के द्रव में रहने वाला कैप्सिड प्रोटीन है व जीवाणु कोशिका में प्रवेश करने वाला रसायन डी.एन.ए. है। 

प्रश्न 8. 
निम्न के बीच अन्तर बताइये
(क) पुनरावृत्ति डी.एन.ए. एवं अनुषंगी डी.एन.ए. 
(ख) एम - आर.एन.ए. एवं टी - आर.एन.ए.
(ग) टेम्पलेट रज्जु व कोडिंग रज्जु 
उत्तर:
(क) पुनरावत्ति डी.एन.ए. एवं अनुषंगी डी.एन.ए. में अन्तर (Differences between repetitive DNA and satellite DNA)
पुनरावृत्ति डी.एन.ए.: .डी.एन.ए. के ऐसे अनुक्रम जो प्रोटीन को कोड नहीं करते तथा बार-बार दोहराए जाते हैं पुनरावृत्ति डी.एन.ए. कहलाते हैं। अर्थात इनमें क्षारकों के एक से अनुक्रमों की बार - बार पुनरावृत्ति (repetition) होती है। सेटेलाइट डी.एन.ए. इसी प्रकार का डी.एन.ए. है जिसमें पुनरावृत्त अनुक्रम छोटे होते हैं। पुनरावृत्त डी.एन.ए. का एक अन्य वर्ग एलू अनुक्रम व ट्रांसपोजोन बनाता है।

अनुषंगी डी.एन.ए. (Satellite DNA): सैटेलाइट ही.एन.ए. पुनरावृत्त डी.एन.ए. का ही एक प्रकार है। इसका घनत्व मुख्य डी.एन.ए. (Bulk DNA) से अलग होता है तथा यह छोटे - छोटे पुनरावृत्त अनुक्रमों से बना होता है। यह क्रियाशील सेण्ट्रोमियर तथा हेटेरोनोमेटिन का प्रमुख भाग बनाता है। यह क्षारक A,T,G,C की अलग - अलग आवृत्ति प्रदर्शित करता है तथा डी.एन.ए. बहुरूपता (Polymorphism) के लिए भी उत्तरदायी होता है।

(ख) एम - आर.एन.ए. एवं आर.एन.ए. 

लक्षण

एम-आर.एन.ए. (mRNA)

टी-आर.एन.ए. (t RNA)

1. कुल आर.एन.ए. का प्रतिशत

लगभग 5

लगभग 15

2. अणु की लम्बाई

सबसे लम्बा

सबसे छोटा

3. कार्य

डी.एन.ए. से आनुवंशिक सूचना प्रहण कर उसका अनुवाद में प्रयोग अर्थात् दूत (messenger) का कार्य

अमीनो अम्लों को कोशिका द्रव्य से प्रोटीन संश्लेषण स्थल राइबोसोम तक लाना, अर्थात् स्थानान्तरण

4. अणु का आकार

रैखिक

क्लोवर लीफ, शिविमीय रचना में L आकार

5. जीवन काल

बहुत छोटा कुछ मिनटों से कुछ घण्टों का अनुवाद के बाद अपघटित

लम्बा, अनुवाद में बार - बार उपयोग।

6. क्षारक अनुक्रम

इसके अनुक्रम त्रिक कोडोन बनाते हैं

इस पर एण्टी कोडोन पाया जाता है।


(ग) टेम्पलेट रज्जुक और कोडिंग रज्जुक (Template strand and Coding strand): अनुलेखन (transcription) के समय डी.एन.ए. के दोनों रज्जुकों में से एक टेम्पलेट रज्जुक की तरह व दूसरा कोडिंग रज्जुक की तरह कार्य करता है। इनमें निम्न अन्तर हैं-

टेम्पलेट रज्जुक

कोडिंग रज्जुक

1. इसकी दिशा 3' → 5' होती है।

कोडिंग रज्जुक की दिशा 5'- 3' होती है।

2. आर.एन.ए. के अनुलेखन हेतु टेम्पलेट का कार्य करता है।

यह किसी चीज को कोड नहीं करता सिर्फ नाम कोडिंग रज्जुक होता है।

3. इससे बना एम-आर एन इसका पूरक होता है।

इसका अनुक्रम एम-आर.एन.ए. के अनुक्रम के समान होता है (यूरेसिल) के स्थान पर इसमें थाएमीन होता है।

4. सन्दर्भ बिन्दु (reference points) इससे सम्बन्धित नहीं होते।

अनुलेखन इकाई से सम्बन्धित सभी सन्दर्भ विन्दु जैसे प्रमोटर, टर्मिनेटर इसी को लेकर परिभाषित किये जाते हैं।


प्रश्न 9. 
स्थानान्तरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाओं की सूची बनाइये। 
उत्तर:
स्थानान्तरण (translation) में राइबोसोम की भमिका 

  • राइबोसोम एम - आर.एन.ए. को जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराता है तथा इसके P व A स्थल अमीनो अम्लों को नजदीक आकर पेप्टाइड बन्ध बनाने के लिए स्थान उपलब्ध कराते हैं। 
  • राइबोसोम पेप्टाइड बन्ध निर्माण हेतु उत्प्रेरक (catalyst) का भी कार्य करता है। (जीवाणुओं में 23SrRNA - राइबोजाइम होता है)

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प्रश्न 10.
उस संवर्धन में जहाँ ई कोलाई वृद्धि कर रहा था लैक्टोज डालने पर लैक ओपेरान उत्प्रेरित हो गया। लेकिन लैक्टोज डालने के कुछ देर बाद यह लेक ओपेरान बन्द हो जाता है? व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:
(a) संवर्धन माध्यम में लैक्टोज डालने पर ई.कोलाई इसे पोषक पदार्थ के रूप में (ग्लूकोज की अनुपस्थिति में) प्रयोग करना शुरू करता है। लैक्टोज को माध्यम में डालने से पहले लैक ओपेरान स्विच ऑफ या बन्द होता है क्योंकि इसकी अनुपस्थिति में लैक्टोज के उपापचय सम्बन्धित उत्पादों की आवश्यकता नहीं होती (अत: जीन z, y व a) द्वारा बीटा गैलेक्टोसाइडेज, परमिएज व ट्रांसएसौटाएलेज का निर्माण नहीं होता)। लैक्टोज एक प्रेरक (inducer) कार्य करता है परमिएज के कारण कुछ लैक्टोज कोशिका में प्रवेश पा जाता है यह नियामक, जीन (i) के उत्पाद दमनकारी प्रोटीन (represser) से जुड़कर उसे असक्रिय दमनकारी में बदल देता है। फलस्वरूप वह ओपेरेटर से नहीं जुड़ पाता अत: लैक ओपेरॉन स्विच ऑन' हो जाता है तथा संरचनात्मक जीनों का अनुलेखन प्रारम्भ हो जाता है। लैक ओपेरान एक प्रेरण योग्य (inducible operon) ओपेरॉन है।

(b) जब तक लैक्टोज सम्वर्धन माध्यम में रहता है लैक ओपेरॉन स्विच ऑन रहता है अर्थात चालू रहता है। लैक्टोज के समाप्त हो जाने पर एक बार फिर इसके उपापचय से सम्बन्धित जीन उत्पादों की आवश्यकता नहीं रहती। अत: संसाधनों व ऊर्जा की मितव्यता व बचत के लिए लैक ओपेरॉन बन्द हो जाता है। 

प्रश्न 11. 
निम्न के कार्यों का वर्णन एक या दो पंक्तियों में करो-
(a) उजायक या प्रमोटर 
(b) अन्तरण आर.एन.ए. (ERNA)
(c) एक्जॉन 
उत्तर:
(a) उन्नायक या प्रमोटर (Promoter): प्रमोटर किसी जीन के वह स्थल (डी.एन.ए. अनुक्रम) हैं जो आर.एन.ए, पॉलीमरेज को अनुलेखन हेतु जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराते है। 
(b) अन्तरण आर.एन.ए. (t - RNA): जैसा कि नाम से स्पष्ट है टी - आर.एन.ए, अमीनो अम्लों को कोशिका द्रव्य से प्रोटीन संश्लेषण हेतु, अनुवाद स्थल राइबोसोम से जुड़े एम - आर.एन.ए. तक लाने का कार्य करते है तथा अनुकूलन (adapter) अणु की भाँति कार्य करते हैं। 
(c) एक्जॉन (Exon): यूकैरियोटिक विखण्डित (split) जीनों के असतत कूटलेखन या कोडिंग (Coding) भाग एक्सान कहलाते है। यह अन्तिम एम - आर.एन.ए. के निर्माण में भाग लेते हैं। 

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प्रश्न 12. 
मानव जीनोम परियोजना को महा परियोजना क्यों कहा गया? 
उत्तर:
मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना (mega project) कहे जाने के निम्न कारण ये

  1. मानव जीनोम परियोजना, यू एस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ द्वारा संयोजित एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की परियोजना थी जिसके लिए अनेक देशों के वैज्ञानिकों ने मिलकर कार्य किया। 
  2. यह एक दीर्घावधि परियोजना थी जो 1990 से प्रारम्भ होकर 2003 में पूरी हुई। 
  3. प्रारम्भ में मानव जीनोम के 3 x 10° क्षारक युग्मों के अनुक्रमों को ज्ञात करना, उसका संग्रह करना एक बड़ी चुनौती थी। 
  4. प्रारम्भ में इस पर होने वाला व्यय लगभग 9 बिलियन डॉलर आंका गया था। इतनी विशाल राशि किसी भी परियोजना को महापरियोजना कहलाने का हकदार बना देती है। 
  5. अगर जीनोम के सभी क्षारकों से सम्बन्धित आँकड़ों को मुद्रित पुस्तकों के रूप में रखा जाय तो इसके लिए एक - एक हजार पृष्ठों वाली 3300 पुस्तकों की आवश्यकता थी, जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर 1000 अक्षर हों।
  6. इन वृहद आँकड़ों के संग्रह, पुनप्राप्ति व विश्लेषण के लिए हाई स्पीड कम्प्यूटरों की भी आवश्यकता थी।

इन सभी कारणों से मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना कहा गया। 

प्रश्न 13. 
डी.एन.ए. अंगुलिछापी क्या है? इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर:
डी.एन.ए. अंगुलिछापी (DNA Fingerprinting): डी.एन.ए. फिंगर प्रिटिंग किन्हीं दो व्यक्तियों के डी.एन.ए. अनुक्रमों की तुलना करने का एक त्वरित व सरल उपाय है। दूसरे शब्दों में डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग, व्यक्तियों में डी.एन.ए. स्तर पर पाई जाने वाली विभिन्नताओं की पहचान करने की तकनीक है। डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग का सिद्धान्त - आनुवंशिक बहुरूपता (Genetic polymorphism) जो व्यक्तियों में बी एन टी आर (VNTR) के रूप में परिलक्षित होती है, का विश्लेषण ही इस तकनीक का आधार है। जीनोम का वह स्थान जहाँ एक छोटा न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम (nucleotide sequence) एक के बाद एक क्रम (tandem) में दोहराया जाता है, वी एन टी आर कहलाता है। यह लम्बाई में भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। ऐसी प्रत्येक विविधता एक अलील की तरह वंशागत होती है जिससे उन्हें उस व्यक्ति की या उसके माता - पिता की पहचान के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
डी.एन.ए. फिंगर प्रिटिंग की उपयोगिता:

  1. डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग का अपराध विज्ञान में, रक्त कोशिका, त्वचा, लार, वौर्य, हेयर फॉलिकिल आदि की जाँच द्वारा अपराधी/पीड़ित की पहचान करने में प्रयोग किया जाता है। 
  2. इसका प्रयोग पैत्रिकता विवादों (Paternity disputes) को सुलझाने में किया जाता है। 
  3. आनुवंशिक विविधता (Genetic diversity) के निर्धारण में जेनेटिक प्रोफाइल का प्रयोग होता है। 
  4. जनसंख्या अध्ययन, जैव विकास, मानव इतिहास की खोज आदि हेतु भी इसी तकनीक का सहारा लिया जाता है। 

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प्रश्न 14. 
निम्न का संक्षिप्त वर्णन कीजिए-
(a) अनुलेखन (Transcription) 
(b) बहुरूपता (Polymorphism) 
(c) स्थानान्तरण (Translation)
(d) जैव सूचना विज्ञान (Bioinformatics)।
उत्तर:
(a) अनुलेखन (Transcription)-
डी.एन.ए. से आर.एन.ए. का निर्माण अनुलेखन कहलाता है। इस प्रक्रिया में डी.एन.ए. का 3' → 5' दिशा वाला एक रज्जुक टेम्पलेट का कार्य करता है। जिस पर डी.एन.ए. निर्भर आर.एन.ए. पॉलीमरेज की मदद से आर.एन.ए. का संश्लेषण होता है। अर्थात् डी.एन.ए. की आनुवंशिक सूचना आर.एन.ए. को स्थानान्तरित हो जाती है। डी.एन.ए. का दूसरा रज्जुक इस प्रक्रिया में भाग नहीं लेता। इस प्रक्रिया को आर.एन.ए. पॉलीमरेज के साथ - साथ कुछ आरम्भन कारक, ऊर्जा व समापन कारकों की भी आवश्यकता होती है जो आर.एन.ए. पॉलीमरेज की उपइकाई के रूप में ही कार्य करते हैं। प्रोकैरियोटिक कोशिका में सभी प्रकार के आर.एन.ए. का निर्माण एक ही आर.एन.ए. पॉलीमरेज द्वारा होता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिका में तीन प्रकार के आर.एन.ए, पॉलीमरेज पाये जाते हैं, जो अलग-अलग प्रकार के आर.एन.ए. के निर्माण में मदद करते हैं। 

(b) बहुरूपता (Polymorphism): एलोलिक बहुरूपता के अतिरिक्त मनुष्यों की एक प्रकार की आनुवंशिक बहुरूपता प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे से अलग बना देती है। इस बहुरूपता का आधार पुनरावृत्ति डी.एन.ए. (repetitive DNA) है आनुवंशिक स्तर की बहुरूपता उत्परिवर्तनों के कारण उत्पन्न होती है। अगर मानव जनसंख्या में 'एक लोकस' पर एक से अधिक अलील 0.01 से अधिक आवृत्ति में पाया जाता है तब इस स्थिति को परम्परागत रूप से डी.एन.ए. बहुरूपता (DNA polymorphism) कहते हैं। सरल शब्दों में किसी जनसंख्या में वंशागत उत्परिवर्तनों का उच्च आवृत्ति में पाया जाना डी.एन.ए. बहुरूपता कहलाती है। बहुरूपता के अनेक प्रकार हो सकते हैं, कुछ केवल एक न्यूक्लियोटाइड बदलाव प्रदर्शित करते हैं जैसे SNP जबकि कुछ व्यापक बदलावों के परिचायक हैं। बहुरूपता जैव विकास व नई प्रजाति की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

(c) स्थानान्तरण (Translation): mRNA अनुलेख की आनुवंशिक सूचना के आधार पर राइबोसोम स्थल पर, टी - आर.एन.ए. द्वारा लाये अमीनो अम्लों के बीच पेप्टाइड बन्ध बनने से हुआ पॉलीपेप्टाइड संश्लेषण स्थानान्तरण या अनुवाद (translation) कहलाता है। अर्थात् इस प्रक्रिया में डी.एन.ए. की आनुवांशिक सूचना का एम - आर.एन.ए. के माध्यम से प्रोटीन (पॉलीपेप्टाइड) के रूप में अनुवाद होता है। यह प्रक्रिया कोशिका द्रव्य में राइबोसोम पर अनेक आरम्भन कारकों, दीर्धीकरण कारकों, ऊर्जा आदि की उपस्थिति में सम्पन्न होती है।

(d) जैव सूचना विज्ञान (Bioinformatics): जीनोम अध्ययन में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का प्रयोग जैव सूचना विज्ञान या बायोइंफोर्मेटिक्स कहलाता है। जीनोमिक्स या प्रोटियोमिक्स से प्राप्त असंशोधित या कच्चे आँकड़ों (raw data) के विश्लेषण से इन आँकड़ों के महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त कराना जैव सूचना विज्ञान का कार्य है।

Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:28 a.m.
Published Nov. 30, 2023