RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Biology Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Biology Notes to understand and remember the concepts easily. Browsing through manav janan class 12 in hindi that includes all questions presented in the textbook.

RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत

RBSE Class 12 Biology वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
मेण्डल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से क्या लाभ हुए? 
उत्तर:
मेण्डल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने के निम्न लाभ थे-

  1. किसी एक लक्षण के लिए विपर्यासी वैकल्पिक रूपों वाली अनेक किस्में उपलब्ध थीं। उदाहरण के लिए बीज के रंग के लक्षण के लिए वैकल्पिक रूप पीला बीज व हरा बीज की किस्में उपलब्ध थीं। 
  2. मटर सामान्यत: स्व परागित होता है लेकिन इसमें आसानी से पर परागण कराया जा सकता है। मटर का स्व परागित होना इसके पीढ़ी दर पीढ़ी समान लक्षण बनाये रखने के लिए उत्तरदायी है। 
  3. मटर का पौधा एक वर्षीय व आसानी से उगने वाला है। 
  4. संकरण से मिले संकर पूर्णत: उर्वर (fertile) होते हैं तथा एक पौधे से अनेक बीज प्राप्त होने के कारण परिणामों का विश्लेषण आसान व प्रामाणिक था। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित में अन्तर कीजिए
(क) प्रभाविता और अप्रभाविताः 
(ख) समयुग्मजी और विषमयुग्मजी: 
(ग) एक संकर व द्विसंकर 
उत्तर:
(क) प्रभाविता और अप्रभाविता में अन्तर 

प्रभाविता

अप्रमाविता

1. वह विशेषक या अलील जो विषमयुग्मजी अवस्था में भी अभिव्यक्त हो जाते हैं प्रभावी विशेषक (trait) या अलील कहलाते हैं तथा पटना प्रभाविता कहलाती है।

वह विशेषक जो विषमयुग्मजी अवस्था में अभिव्यक्त नहीं होते अप्रभावी विशेषक/अलील कहलाते हैं तथा यह घटना अप्रभाविता कहलाती है। अप्रभावी विशेषक समयुग्मजी अवस्था में अभिव्यक्त होते हैं।

2. प्रभाविता का कारण इसके जीन/अलील द्वारा पूर्ण रूप से कार्यशील एंजाइम का उत्पादन है।

अप्रभाविता की स्थिति जीन में हुए परिवर्तन के फलस्वरूप अकार्यशील एंजाइम निर्माण के कारण बनती है।


(ख) समयुग्मजी एवं विषमयुग्मजी में अन्तर

समयुग्मजी (Homozygous)

विषमयुग्मजी (Heterozygous)

1. यह किसी विशेषक (trait) के लिए शुद्ध होते हैं।

विषमयुग्मजी किसी विशेषक के लिए शुद्ध नहीं होते, अर्थात संकर होते हैं।

2. इनके अलील समान होते हैं जैसे TT, tt.

इनके अलील असमान होते हैं।

3. यह केवल एक प्रकार के युग्मक बनाते हैं।

इनसे एक जीन की वंशागति में दो प्रकार के युग्मक बनते हैं।

4. इनमें स्वपरागण होने पर केवल स्वयुग्मजी जीव बनते हैं।

स्वपरागण होने पर प्रभावी समयुग्मजी TT, प्रभावी संकर Tt तथा अप्रभावी समयुग्मजी tt प्रकार के जीव बनते है।

5. अतिरिक्त ओज का अभाव होता है।

विषमयुग्मजी जीवों में संकर ओज (hybrid vigour) पाया जाता है।


(ग) एक संकर व द्विसंकर में अन्तर

एक संकर (Monohybrid)

द्विसंकर (Dihybrid)

1. एक लक्षण के विपर्यासी रूपों का विषमयुग्मजी एक संकर कहलाता है जैसे लम्बाई के लक्षण में Tt अर्थात प्रभावी संकर।

दो लक्षणों के विपर्यासी रूपों का विषमयुग्मजी द्विसंकर कहलाता है, जैसे गोल, पौले बीज वाला Rr Yy, अर्थात प्रभावी द्विसंकर।

2. यह दो प्रकार के युग्मक उत्पन्न करता है T व t।

यह चार प्रकार के युग्मक उत्पन्न करता है RY, Ry rY तथा ry।

3. एक संकर स्वपरागण होने पर 3:1 का फीनोटाइप अनुपात देता है।

द्विसंकर स्वपरागण होने पर 9 : 3 : 3 : 1 फीनोटाइप अनुपात देता है।

4. चूंकि एक ही जीन के अलील वंशागति में भाग लेते हैं। अतः सहलग्नता नहीं पाई जा सकती।

द्विसंकर के जीव सहलग्नता प्रदर्शित कर सकते हैं।


प्रश्न 3. 
कोई द्विगुणित जीव 6 स्थलों के लिए विषमयुग्मजी है, कितने प्रकार के युग्मकों का उत्पादन संभव है? 
उत्तर:
6 स्थलों के लिए विषमयुग्मजी जीव में तीन विभिन्न लक्षणों के 6 विपर्यासी/वैकल्पिक रूपों के अलील होंगे। अर्थात इसका जीनोटाइप Aa Bb Cc होगा। इससे 8 प्रकार के युग्मकों का निर्माण सम्भव है।
ABC, ABc, AbC, Abc, aBC, abC, aBc, abc 

प्रश्न 4. 
एक संकर क्रॉस का प्रयोग करते हुए प्रभाविता नियम की व्याख्या करो। 
उत्तर:
एक संकर क्रॉस (Monohybrid Cross) ऐसा क्रॉस है जिसमें एक समय में एक जीन के दो विपर्यासी विभेदकों (traits) की वंशागति का अध्ययन किया जाता है। इसके तीन पद (steps) हैं। 

  • शुद्ध प्रजननी जनकों का चयन, मटर के पौधे की लम्बाई के लक्षण के दो विभेदकों लम्बा व बौने शुद्ध प्रजननी जनकों का चयन। 
  • इनके बीच संकरण (hybridization) तथा F1 का निर्माण। 
  • F1 के पौधों के स्वपरागण से F2 पीढ़ी का निर्माण। 

लम्बाई को T तथा बौनेपन के लिए t प्रतीकों का चयन करने पर जनकों के अलील होंगे-
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 1
मेण्डल के प्रभाविता के नियम के अनुसार एक जोड़ा विपर्यासी विभेदकों में अन्तर रखने वाले दो शुद्ध प्रजननी पौधों में संकरण कराने पर F1 पीढ़ी में केवल एक जनक के लक्षण प्रकट होते हैं। यह विभेदक प्रभावी तथा दूसरा जो F1 पौड़ी में छिपे रूप में रहता है, अप्रभावी होता है। मेण्डल का प्रभाविता का नियम F2 में अप्रभावी लक्षणों के पुनः प्रकट होने की भी व्याख्या करता है तथा कारकों की विच्छिन्न (discrete) प्रकृति स्पष्ट करता है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत

प्रश्न 5. 
परीक्षार्थ संकरण की परिभाषा लिखो व चित्र बनाओ। 
उत्तर:
परीक्षार्थ संकरण (Test Cross) - "ऐसा संकरण जो यह जानने के लिए किया जाता है कि प्रभावी जीव समयुग्मजी है या विषमयुग्मजी, परीक्षार्थ संकरण कहलाता है। इसमें अज्ञात जीनोटाइप वाले प्रभावी जीव को अप्रभावी जनक से संकरित कराया जाता है।" 
एक संकर परीक्षार्थ परीक्षण-
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 2

प्रश्न 6. 
एक ही जीन स्थल वाले समयुग्मजी मादा और विषमयुग्मजी नर के संकरण से प्राप्त प्रथम संतति पीड़ी के फीनोटाइप वितरण का पनेट वर्ग बनाकर प्रदर्शन करो।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 3

प्रश्न 7. 
पीले बीज वाले लम्बे पौधों (Yy Tt) का संकरण हरे बीज वाले लम्बे (yyTt) पौधे से करने पर निम्न में से किस प्रकार के फीनोटाइप संतति की अपेक्षा की जा सकती है
(क) लम्बे हरे
(ख) बौने हरे।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 4
फीनोटाइप = पीला लम्बा = 3
पीला बौना = 1 
हरा लम्बा = 3
हरा बौना = 1 
अतः लम्बे हरे 3, हरे बौने 1 : 3 : 1 

प्रश्न 8. 
दो विषमयुग्मजी जनकों RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 5 का क्रॉस कराया गया। मान लें दो स्थल (loci) सहलग्न हैं तो द्विसंकर क्रॉस में F1 पीढ़ी के फीनोटाइप लक्षणों का वितरण क्या होगा? 
उत्तर:
संकल्पनात्मक (Hypothetical) द्विसंकर क्रास। मीठी मटर में माना फूल का नीला रंग (B) लाल रंग (b) पर प्रभावी है तथा लम्बा परागकण (L) गोल परागकण (l) पर प्रभावी है। इनके विषमयुग्मजी जनक होंगे
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 6
अनुपात 3 : 1, / जनकीय अनुपात 100% पुनर्संयोजन अनुपात = 0 

प्रश्न 9. 
आनुवंशिकी में टी एच मॉर्गन के योगदान का संक्षेप में उल्लेख करें। 
उत्तर:
थामस हंट मोर्गन (1866 - 1945) आनुवंशिक विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है तथा इन्हें प्रायोगिक आनुवंशिकी (Experimental Genetics) का जनक कहा जाता है। थामस मोर्गन व उसके काबिल शिष्यों ने ड्रोसोफिला के अनेकानेक उत्परिवर्तियों (mutants) की खोज की। 

  1. उन्होंने ड्रोसोफिला में अनेक एकसंकर (monohybrid) व द्विसंकर संकरण (dihybrid cross) कराये।
  2. उन्होंने ड्रोसोफिला में अनेक सहलग्नता समूहों (linkage groups) की खोज की। 
  3. उन्होंने वंशागति के क्रोमोसोमीय सिद्धान्त को बल प्रदान कर उसका विस्तार किया।
  4. उन्होंने ड्रोसोफिला के महत्त्वपूर्ण सफेद आँख वाले उत्परिवर्ती की खोज की।
  5. उन्होंने लिंग सहलग्न वंशागति (Sex linked inheritance) की हमारी समझ विकसित की।
  6. उनके कार्य से ही जीन मैपिंग सम्भव हो सकी जिसका जीनोम अध्ययन में व्यापक प्रयोग हो रहा है।
  7. मोर्गन को सन् 1933 में आनुवंशिकी में क्रोमोसोम की भूमिका सम्बन्धी उनके कार्य के लिए चिकित्सा कार्यिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत

प्रश्न 10. 
वंशावली विश्लेषण क्या है? यह विश्लेषण किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर:
वंश वृक्ष या आरेख के रूप में कुछ आनुवंशिक विशेषको (traits) का दो या अधिक पीढ़ियों का अभिलेख (record) वंशावली या पेडिग्री कहलाता है। अत: लक्षणों की वंशागति का मनुष्य की अनेक पीढ़ियों में विश्लेषण करना ही वंशावली विश्लेषण है। यह लक्षण सामान्य या बिना किसी महत्त्व के हो सकते है, जैसे जीभ को बेलनाकार (rol) करना या विशेष चिकित्सकीय महत्त्व के लक्षण जैसे, आनुवंशिक विकार। 
वंशावली विश्लेषण का महत्त्व

  1. चूँकि मनुष्यों में अनेक नैतिक व जैविक कारणों से तुलनार्थ संकरण (control hybridization) नहीं कराया जा सकता अत: आनुवंशिक विकारों की वंशागति का अध्ययन वंश वृक्ष की मदद से किया जा सकता है।
  2. किसी दम्पति को, उनकी वंशावली के आधार पर, उनके बच्चों में हो सकने वाली असामान्यताओं के बारे में समय से अवगत कराया जा सकता है।
  3. वंशावली विश्लेषण से मनुष्य के लिंग सहलग्न रोगों की वंशागति सम्बधी हमारा ज्ञान समृद्ध हुआ है। 

प्रश्न 11.
मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है? 
उत्तर:
मनुष्य में XX - XY प्रकार का लिंग निर्धारण पाया जाता है। स्त्रियों में ऑटोसोम के अतिरिक्त XX लिंग क्रोमोसोम होते हैं, अत: वह समयुग्मकी होती हैं व एक ही प्रकार के युग्मको अण्ड का निर्माण करती है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक युग्मक 22 + X प्रकार का होता है। पुरुषों की प्रत्येक कोशिका में आटोसोम के अतिरिक्त XY लिंग क्रोमोसोम होते हैं। अत: वह विषमयुग्मजी होते हैं व दो प्रकार के शुक्राणु बनाते हैं। आधे शुक्राणुओं में 22 आटोसोम्स के साथ X क्रोमोसोम होता है व शेष 50% में आटोसोम के साथ Y क्रोमोसोम पाया जाता है। इस प्रकार के लिंग निधारण को नरविषम युग्मकता (Male heterogamy) कहा जाता है। अगर अण्ड का निषेचन X क्रोमोसोम धारी शुक्राणु से होता है तो इससे बने जाइगोट से लड़की का जन्म होता है लेकिन जब अण्ड कोशिका Y क्रोमोसोम धारी शुक्राणु से निषेचित होती है तो बना जाइगोट नर शिशु बनाता है। स्पष्ट है एक स्त्री निषेचन हेतु एक ही प्रकार के अण्डों का योगदान करती है। पुरुष के शुक्राणु से ही यह निर्धारित होता है कि जन्म लेने वाला शिशु लड़का होगा या लड़की। 

प्रश्न 12. 
शिशु का रुधिर वर्ग O है। पिता का रुधिर वर्ग A और माता का B है। जनकों के जीनोटाइप मालूम करें और अन्य संततियों में प्रत्याशित जीनोटाइपों की जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
शिशु का रुधिर वर्ग O है। O रुधिर वर्ग अप्रभावी अलील की समयुग्मजी (homozygous) स्थिति से ही उत्पन्न होता है। अत: शिशु का जीनोटाइप ii होगा। इसका अर्थ है उसे प्रत्येक जनक से i अलील प्राप्त होता है। पिता का रुधिर वर्ग A है अत: यह A रक्त समूह विषमयुग्मजी होना चाहिए तभी पिता i का योगदान कर सकेगा। अत: पिता का जीनोटाइप IAi होगा। इसी प्रकार चूँकि माँ भी शिशु को i का योगदान कर रही है तब वह भी विषमयुग्मजी अर्थात IBi प्रकार की होगी। इसे निम्न क्रॉस से समझा जा सकता है-
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 7

प्रश्न 13. 
निम्न शब्दों को उदाहरण समेत समझाएँ-
(अ) सह प्रभाविता 
(ब) अपूर्ण प्रभाविता। 
उत्तर:
(अ) सह प्रभाविता (Codominance)
वंशागति का वह प्रकार जिसमें किसी विषमयुग्मजी (heteroxygous) के दोनों अलील अपना - अपना व बराबर का प्रभाव दिखाते हैं, सह प्रभाविता (codominance) कहलाता है। मानव में ABO रक्त समूह की वंशागति सह प्रभाविता का एक अच्छा उदाहरण है। मनुष्य में रक्त समूह का निर्धारण RBC पर उपस्थित एक एंटीजन द्वारा होता है। एंटीजन A की उपस्थिति से A रक्त समूह, B की उपस्थिति से B रक्त समूह A व B दोनों की उपस्थिति से AB रक्त समूह तथा किसी भी एंटीजन की अनुपस्थिति से O रक्त समूह बनता है। जीन I इन एंटीजनों के निर्धारण से सम्बन्धित है तथा इसके तीन अलील पाये जाते है। IA अलील -A एंटीजन निर्माण हेतु, IB अलील -B एंटीजन निर्माण हेतु जिम्मेदार होता है अलील i से कोई भी एंटीजन नहीं बनता। IA तथा IB प्रभावी तथा i अलील अप्रभावी होता है। किसी भी मनुष्य में कोई से दो अलील पाये जाते है। IAIB संयोजन में दोनों अलील अपना - अपना समान प्रभाव दिखाते हैं तथा A तथा B दोनों प्रकार के एंटीजन बनने के कारण रक्त समूह AB होता है। चूंकि दोनों अलौल के फौनोटाइप की अभिव्यक्ति होती है अतः यह सहप्रभाविता का उदाहरण है। 

(ब) अपूर्ण प्रभाविता (Incomplete Dominance) वंशागति का वह प्रकार जिसमें किसी विषमयुग्मजी (heterozygous) अवस्था में एक अलील अपना पूर्ण प्रभाव दिखाने में असमर्थ होता है, अतः दोनों जनकों के बीच का एक नया फीनोटाइप बन जाता है, अपूर्ण प्रभाविता कहलाता है। स्नेपड्रैगन या एंटीराइनम (Antirrhinum) व मिराबिलिस जालपा (Mirabilis jalapa) इसका अच्छा उदाहरण है। इसमें लाल रंग के पुष्प वाले शुद्ध पौधे RR का सफेद पुष्प वाले पौधे से संकरण कराने पर F1 में गुलाबी रंग के पुष्प (Rr) वाले पौधे मिलते हैं-
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत 8

F2 एक लाल (RR), दो गुलाबी (Rr) तथा एक सफेद अपूर्ण प्रभाविता समिश्र वंशागति (blending inheritance) का खण्डन करती है क्योंकि गुलाबी पुष्पों में स्वपरागण कराने पर जनक रूप लाल व सफेद भी F2 पीढ़ी में प्राप्त हो जाते हैं। इसमें लाल रंग के निर्माण से सम्बंधित अलील (जीन) के किसी परिवर्तन के कारण इससे बना एंजाइम पूर्णरूपेण सक्षम नहीं होता। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत

प्रश्न 14. 
बिन्दु उत्परिवर्तन क्या है? एक उदाहरण दें। 
उत्तर:
किसी जीन के किसी एक क्षारक में हुआ परिवर्तन (प्रतिस्थापन/विलोपन/निवेशन, बिन्दु उत्परिवर्तन (point mutation) कहलाता है। उदाहरण के लिए सिकेल सेल एनीमिया रोग में हीमोग्लोबिन की बीटा ग्लोबिन शृंखला के निर्माण से सम्बंधित जीन के छठवें कोडोन (GAG) के बीच के क्षारक एडीनीन के यूरेसिल द्वारा प्रतिस्थापित हो जाने से कोडोन (GUG) बन जाता है। यह परिवर्तित कोडोन अब ग्लूटेमिक अम्ल की जगह वेलीन को कोडित करता है। इस परिवर्तन से सामान्य हीमोग्लोबिन असामान्य हीमोग्लोबिन में बदल जाता है।

प्रश्न 15. 
वंशागति के क्रोमोसोम वाद को किसने प्रस्तावित किया? 
उत्तर:
वंशागति का क्रोमोसोम वाद (Chromosomal theory of inheritance) 1902 में सटन व बोवेरी (Sutton and Boveri) ने प्रस्तुत किया। 

प्रश्न 16. 
किन्हीं दो अलिंग सूत्री आनुवंशिक विकारों का उनके लक्षणों सहित उल्लेख करो। 
उत्तर:
दात्र कोशिका अरक्तता (sickle cell anaemia) व फिनाइलकीटो - यूरिया दो अलिंग सूत्री आनुवंशिक विकार हैं। इनका वर्णन निम्नलिखित है-

 

सिकेल सैल एनीमिया (Sickle cell Anaemia)

फीनाइल कीटोन्यूरिया PKN (Phenyl Ketonuria)

प्रकृति (Nature)

आटोसोमल अप्रभावी।

आटोसोमल अप्रभावी।

कारण (Cause)

असामान्य प्रकार का हीमोग्लोबिन जिसकी बीटा ग्लोबिन श्रृंखला में छठवाँ अमीनो अम्ल ग्लूटेमिक अम्ल न होकर वेलीन होता है। यह बीटा ग्लोबिन शृंखला को कोड करने वाली जीन के छठवें कोडान GAG के GUG में बदल जाने के कारण होता है।

12वें क्रोमोसोम पर स्थित जीन जो एंजाइम फिनाइल एलेनीन हाइड्रोक्सीजेज (PAH) को कोड करती है, के परिवर्तन से होता है। इस कारण अमीनो अम्ल फिनाइल एलेनीन, टाइरोसिन में परिवर्तित नहीं हो पाता। सामान्य व्यक्तियों के लिवर में यह एंजाइम उपस्थित होता है।

लक्षण (Symptoms)

गम्भीर रक्ताल्पता (anaemia) कमजोरी (general debility), दर्द बुखार, प्लीहा (spleen) की क्षति, बाधित मानसिक कार्य। सिकैल सैल एनीमिया प्लीओट्रापी (pleiotropy) का भी उदाहरण है।

मास्तिष्क में फिनाइल एलेनीन के व्युत्पन्न जमा हो जाने के कारण मन्द बुद्धिता (mental retardation) IQ में कमी, दौरे (fits) मूत्र में फिलाइल एलेनीन के व्युत्पन्नों की उपस्थिति।

Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:28 a.m.
Published Nov. 30, 2023