RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Biology Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Biology Notes to understand and remember the concepts easily. Browsing through manav janan class 12 in hindi that includes all questions presented in the textbook.

RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

RBSE Class 12 Biology जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
कुछ जीवाणुओं द्वारा बनाये जाने वाले बीटी आविष (Bt toxin) के रवे स्वयं जीवाणुओं को नहीं मारते क्योंकि
(a) जीवाणु आविष के लिए प्रतिरोधी है। 
(b) आविष अपरिपक्व है। 
(c) आविष निक्रिय होता है। 
(d) आविष जीवाणु की विशेष थैली में मिलता है।
उत्तर:
आविष निष्क्रिय (inactive) होता है, प्रोटॉक्सिन के रूप में पाया जाता है।

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प्रश्न 2. 
पारजीनी जीवाणु क्या है। किसी एक उदाहरण द्वारा वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
किसी भी अन्य पारजीनी (ट्रांसजैनिक) जीव की तरह पारजीनी जीवाणु वह जीवाणु है जिनके आनुवंशिक पदार्थ में कोई विजातीय डी एन ए खण्ड प्रविष्ट करा दिया गया है। जीवाणु ई - कोलाई में मनुष्य के इंसुलिन के A तथा B पेप्टाइड को कोड करने वाली जीन को प्रविष्ट करा के ट्रासजैनिक ई - कोलाई बनाये गये है। यू एस कम्पनी एली लिली इसी प्रकार इंसुलिन प्राप्त करती है। स्यूडोमोनास जीवाणु प्रजाति को समुद्र में तेल रिसाव से होने वाले प्रदूषण को रोकने हेतु ट्रांसजैनिक रूप दिया गया है। 

प्रश्न 3. 
आनुवंशिक रूपांतरित फसलों के उत्पादन के लाभ व हानि का तुलनात्मक विभेद कीजिष्ट। 
उत्तर:
आनवंशिक रूपांतरित फसलों के उत्पादन के लाभ

  1. पीड़क प्रतिरोधी फसल, अत: अधिक उपज, साथ ही रासायनिक पीड़कनाशियों पर निर्भरता कम अत: पर्यावरण प्रदूषण रोकने में योगदाना 
  2. मृदा से खनिजों के दक्षतापूर्ण अवशोषण की क्षमता।
  3. पोषक मान में वृद्धि जैसे गोल्डन राइस (विटामिन A समृद्ध चावल) आदि।
  4. फसल कटाई के बाद होने वाली हानि में कमी जैसे - Flve Savr टमाटर।
  5. प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे - अजैविक लवणों - जैसे सूखा, निम्नताप, अधिक लवणीयता, अधिक ताप को अधिक सहन करने की क्षमता।

अत: तेजी से बढ़ती जनसंख्या की खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आनुवंशिक अभियंत्रित जीवों का प्रयोग आवश्यक है।
आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों के उत्पादन की हानियाँ-

  1. वांछित जीन के साथ आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों में कोई अन्य जीन जैसे एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन आदि उपस्थित हो सकता है जिसके उत्पाद एलर्जी जैसे प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया या अन्य स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकते हैं।
  2.  कोई जौन पराग कणों के माध्यम से लाभदायक कीट जैसे मधुमक्खी तक पहुंचकर विपरीत प्रभाव डाल सकती है।
  3. आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों के मनुष्य व पर्यावरण पर प्रभाव का न अभी पूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है। अत: इनमें दीर्घावधि में कुछ समस्याओं का जन्म हो सकता है। इससे मनुष्य की आंत के सामान्य सूक्ष्म जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 
  4. मनुष्य का फसलों या किसी भी जीन में आनुवंशिक फेर बदल करना नैतिक दृष्टि से उचित नहीं है। मनुष्य पृथ्वी पर अन्य जीवों की तरह एक प्राणिमात्र है। इसका ईश्वर के रूप में प्रकृति को बदलना विध्वंसक हो सकता है।
  5. फसलों के रूपान्तरण से उस फसल पर निर्भर रहने वाले अन्य जीवधारियों के ताने बाने पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इससे नाजुक पारिस्थितिक तंत्र के गड़बड़ाने की सम्भावना है। वहाँ के मूल निवासी जीव भी प्रभावित होते है। 
  6. फसल के वन्य सम्बन्धियों में परागकणों के माध्यम से आनुवंशिक प्रदूषण कर सकती है।

प्रश्न 4. 
क्राई प्रोटीन क्या है? उस जीव का नाम बताओ जो इसे पैदा करता है। मनुष्य इस प्रोटीन को अपने फायदे के लिए कैसे उपयोग में लाता है।
उत्तर:
बेसीलस थूरिन्जिएंसिस (Bacillus thuringiensis) जीवाणु द्वारा उत्पादित एक क्रिस्टलीय प्रोटीन जो विष के रूप में कार्य कर अनेक प्रकार के कीटों को मारने में सक्षम होती है क्राई (Cry) प्रोटीन कहलाती है। इसका उत्पादन जीवाणु की Cry जीन द्वारा होता है। स्पष्ट है क्राई एक कीटनाशी (insecticidal) प्रोटीन है। 
मनुष्य इस बीटी विष को दो प्रकार से उपयोग में लाता है-
1. बी टी विष को औद्योगिक रूप से उत्पादित कर, इसे जैव कीटनाशी (Bio pesticide) के रूप में प्रयोग किया जाता है। (फसल पर छिड़क कर कीटों से छुटकारा पाया जाता है।) 

2. इस Bt जीवाणु की क्राई जीन को फसली पौधों में स्थानान्तरित कर आनुवंशिक रूपान्तरित बीटी फसलें (Bt crops), जैसे - बीटी कपास, बीटी मक्का, बीटी आलू आदि बनाई गई हैं जो कीट प्रतिरोधी होती हैं।
अत: रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम करती है। 

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प्रश्न 5. 
जीन चिकित्सा क्या है? एडीनोसीन डी एमीनेज (ए डी ए) की कमी का उदाहरण देते हुए इसका सचित्र वर्णन करें। 
उत्तर:
रोगों, प्रमुख रूप से आनुवंशिक रोगों का उपचार सामान्य कार्यशील जीन की रोगी की कोशिकाओं में प्रविष्टि द्वारा करना, जीन थेरेपी कहलाता है। आनुवंशिक रोगों में त्रुटिपूर्ण/विकार युक्त जीन के कार्य को प्रतिस्थापित करने के लिए सामान्य जीन स्थानातरित की जाती है। एडीनोसोन डीएमीनेज एंजाइम (ADA) की कमी इस एंजाइम को कोड करने वाली जीन के विलोपन (deletion) से होती है। इससे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर पड़ जाता है तथा इस रोग को SCID (Severe Conbined Immuno Deficieny) नाम दिया गया है। रोग का उपचार हार्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा (Hormone replacement therapy) के अतिरिक्त जीन थेरेपी द्वारा किया जाता है। इस विधि में रोगी के रक्त से प्राप्त की गई लिम्फोसाइट कोशिकाओं को शरीर के बाहर संवर्धित किया जाता है। इन कोशिकाओं में सामान्य ADA को कोडित करने वाले CDNA को एक रिट्रोवाइरस वाहक की मदद से स्थापित कर दिया जाता है। इन सुधारी गई कोशिकाओं को फिर से रोगी
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के शरीर में प्रविष्ट कर दिया जाता है। इन कोशिकाओं की निश्चित जीवन अवधि होती है। अत: आवधिक (periodic) रूप से शरीर में दुरुस्त कोशिकाओं की प्रविष्टि की आवश्यकता होती है। लेकिन अस्थि मज्जा कोशिकाओं से ADA एंजाइम की जीन प्राप्त कर उसे प्रारम्भिक भ्रूणीय अवस्था की कोशिकाओं में प्रतिप्रस्थापित किया जाए तो स्थायी लाभ मिल सकता है। 

प्रश्न 6. 
ई० कोलाई जैसे जीवाणु में मानव जीन क्लोनिंग एवं अभिव्यक्ति के प्रायोगिक चरणों का आरेखीय निरुपण प्रस्तुत करें। 
उत्तर:
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प्रश्न 7. 
तेल के रसायन शास्त्र तथा rDNA तकनीक के ज्ञान के आधार पर बीजों से तेल (हाइड्रोकार्बन) हटाने की कोई एक विधि सुझाओ। 
उत्तर:
तेल, लिपिड होते हैं अर्थात इनको प्रत्यक्ष रूप से कोड करने वाली कोई जीन नहीं पाई जाती। लेकिन तेल का अणु ग्लिसरॉल व वसीय अम्लों के अणुओं से मिलकर बना होता है। जिस विशिष्ट तेल का उत्पादन रोकना हो उसके घटक वसीय अम्ल के संश्लेषण से सम्बंधित एंजाइम का संश्लेषण रोका जा सकता है। जीन टारगेटिंग (Gene targting) द्वारा किसी जीन की क्रिया को बाधित किया जा सकता है। ट्राइग्लिसटाइड के संश्लेषण में सम्बंधित जीन की साइलेंसिंग (Silencing) भी की जा सकती है। 

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प्रश्न 8. 
इन्टरनेट से पता लगाओ कि गोल्डन राइस (गोल्डन चावल) क्या है? 
उत्तर:
सुनहरा चावल या गोल्डन राइस (Golden rice) जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से तैयार की गई चावल की एक किस्म है। इस किस्म को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि बीटा कैरोटिन (B - carotene) जो कि विटामिन A का पूर्ववर्ती है प्रचुर मात्रा में इसके दानों में उपस्थित होता है। बीटा कैरोटिन की उपस्थिति के कारण ही यह पीला या सुनहरा दिखाई पड़ता है। विटामिन A की कमी अन्धता (blindness) का एक बड़ा कारण है। इसका वैज्ञानिक विवरण सन् 2000 में सुविख्यात शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ। सन् 2005 में एक नया गोल्डन राइस बनाया गया जिसमें मूल गोल्डन राइस की तुलना में 23 गुना अधिक बीटा कैरोटिन था। कई परीक्षणों में इससे मनुष्य के लिए सुरक्षित माना गया है लेकिन पर्यावरणविदों व भूमण्डलीकरण के विरोधियों द्वारा इसका विरोध जारी है।

प्रश्न 9. 
क्या हमारे रक्त में प्रोटिएजेज तथा न्यूक्लिएजेज है?
उत्तर:
जी हाँ। रक्त में कुछ प्रोटिएज असक्रिय रूप में पाये जाते हैं। इनमें से प्रमुख हैं - श्राम्बिन जो प्रोग्राम्बिन के रूप में तथा प्लाजिमनोजिन के रूप में पाये जाते हैं। यह रक्त की प्रोटीन फाइब्रिनोजिन को फाइबिन में 3 बदलकर थक्का (clot) बनाते हैं। को - कॉग्युलेशन फैक्टर XII (Co - coagulation factor XII) भी एक प्रोटिएज है। रक्त में कुछ न्यूक्लिएजेज की उपस्थिति भी दर्ज की गई है। सीरम में DNase तथा DNase 11 होते हैं जो डी ए ए के विघटन में भाग लेते हैं। 

प्रश्न 10. 
इण्टरनेट से पता लगाओ कि मुखीय रूप से (orally) ली जाने वाली सक्रिय प्रोटीन औषधि कैसे बनाई जाये? इस कार्य में आने वाली मुख्य समस्याओं का वर्णन करें। 
उत्तर:
इंसुलिन जैसी औषधि रासायनिक रूप से प्रोटीन है। इन्हें मुखीय पिल्स के रूप में नहीं दिया जा सकता क्योकि हमारे पेट के प्रोटिएजेज (proteases) इसका पाचन कर देंगे। यह इसी रूप में शरीर में अवशोषित नहीं हो सकती क्योंकि प्रोटीन आंत्रीय एपीथीलियम के लिए - बड़े अणु होते हैं। इसलिए इंसुलिन को डर्मल इंजैक्शन के रूप में लेना होता है।
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प्रोटीन औषधि को मुखीय रूप से लेने में निम्मलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक हैपहला, इसे एंजाइमों से बचाय जाए। यह आंत की दीवार से रक्त में अवशोषित हो सके। आमाशय की अम्लीय pH से बचाया जाए। ऐसा प्रयास किया गया है कि इसको पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल व फैटीअम्ल जैसे अणुओं के साथ दिया जाए जो इस पर सुरक्षात्मक आवरण बना इसको अम्ल व एंजाइम के प्रभाव से बचाएं व अवशोषित भी हो जाएँ। इस विषय पर शोध कार्य चल रहें हैं तथा शीध्र एक मुखीय इंसुलिन व अन्य मुखीय प्रोटीन औषधियाँ बाजार में उपलब्ध होंगी।

Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:30 a.m.
Published Nov. 30, 2023