RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम

RBSE Class 12 Biology जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
क्या आप दस पुनर्योगज प्रोटीन के बारे में बता सकते हैं जो चिकित्सीय व्यवहार के काम में लाये जाते हैं? पता लगाइये कि वह चिकित्सीय औषधि के रूप में कहाँ प्रयोग किये जाते हैं। (इण्टरनेट की सहायता लें।) 
उत्तर:

पुनर्योगज प्रोटीन (Recombinant Proteins)

चिकित्सीय प्रयोग (Therapeutic Use)

1. हयूमेन ग्रोथ हामोन (rHGH) (Human Growth Hormone)

बच्चों में वृद्धि से जुड़ी अनियमितताओं, असफलताओं के उपचार में, वृद्धि हामोना

2. स्यूमेन इंसुलिन (Human Insulin)

मधुमेह (diabetes mellitus) टाइप 1 के उपचार में।

3. इण्टरफेरॉन (Interferon)

ऑटो इम्यून डिसोर्डर, कैसर आदि के उपचार में।

4. टिश्यू प्लाज्मोजेन एक्टीवेटर (TPA) (Tissue Plasmogen Activator)

रक्त वाहिकाओं में जमे थक्के (clot) को हटाने में, हृदयाघात (Heart attack) के उपचार में।

5. इरिखोपोइटिन (EPO) (Erythropoietin)

गुदे के रोग से सम्बन्धित एनीमिया के उपचार में, अन्य एनीमिया के उपचार में।

6. एल्फा गैलेक्टोसाइडेज A (Alpha - galactosidase)

पेट रोगों के उपचार में।

7. फैक्टर VIII (Factor VII) तथा फैक्टर IX

इस रक्त स्कंदक का प्रयोग हीमोफीलिया के उपचार में किया जाता है।

8. इन्सुलिन लाइक ग्रोथ फैक्टर (IGF - 1) (Insulin like growth factor)

बृद्धि (growth) में असफलता के उपचार में।

9. फॉलिकिल स्टीमुलेटिंग हामोन (FSH) (Follicle stimulating Hormone)

प्रजनन तन्त्र से जुड़े रोगों के उपचार में, बनभ्यता के उपचार में।

10. रिकाम्बीवेक्स HB हिपेटाइटिस B वैक्सीन (Recombivax HB, Hepatitis B vaccine )

सबयूनिट वाइरल  वैक्सीन - हिपेटाइटिस B की रोकथाम में।


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प्रश्न 2. 
एक सचित्र (चार्टी (आरेखित निरूपण के साथ) बनाइये जो प्रतिबन्धन एंजाइम को जिस क्रियाधार डी एन ए पर यह कार्य करता है उन स्थानों को जहाँ यह डी एन ए को काटता है व इनसे उत्पन्न उत्पाद को दर्शाता है।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम 1

प्रश्न 3. 
कक्षा ग्यारह में जो आप पढ़ चुके हैं उसके आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि आण्विक आकार के आधार पर एंजाइम बड़े हैं या डी एन ए। इसके बारे में आप कैसे पता लगायेंगे? 
उत्तर:
डी एन ए बड़ा अणु है। एक पॉलीपेप्टाइड/प्रोटीन के संश्लेषण से सम्बंधित सारी सूचना एक सिस्ट्रान (जीन) में उपस्थित होती है। एक डी एन ए अणु में हजारों जीन हो सकते हैं। अर्थात हजारों प्रोटीन के संश्लेषण से सम्बंधित सूचना न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम के रूप में डी एन ए में उपस्थित होती हैं। दूसरे एक अमीनो अम्ल तीन क्षारक युग्मों (तीन न्यूक्लियोटाइड) द्वारा कोडित होता है। प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड अमीनो अम्ल से बड़ा अणु है। अतः डी एन ए अणु ही बड़ा होता है। डी एन ए का आण्विक भार भी प्रोटीन से अधिक होता है।

प्रश्न 4. 
मानव की एक कोशिका में डी एन ए की मोलर सान्द्रता क्या होती है? अपने अध्यापक से परामर्श कीजिए। 
उत्तर:
मोलर सांद्रता (molar concentration): जिसे मोलेरिटी भी कहा जाता है किसी विलयन में किसी विलेय (Solute) की सान्द्रता का पैमाना है। इसे निश्चित आयतन में पदार्थ की मात्रा के रूप में भी व्यक्त किया जाता है। एक द्विगुणित मानव कोशिका में DNA की मोलर सान्द्रता = कुल क्रोमोसोम संख्या x 6.023 x 1023
= 46 x 6.023 x 1023 
= 2.77x 1018 मोल 
किसी भी पदार्थ का एक मोल एवोग्रेडो संख्या (Avagadro Number) 6.023 x 1023 द्वारा व्यक्त किया जाता है। 
अत: DNA का 1 मोल = 6.023 x 1023 DNA अणु। 

प्रश्न 5. 
क्या सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में प्रतिबन्ध एडोन्यूक्लिष्टज मिलते हैं। अपने उत्तर को सही सिद्ध कीजिए। 
उत्तर:
नहीं सुकेन्द्रकी (Eukaryotic) कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज (restriction endonuclease) नहीं मिलते, रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज जीवाणु कोशिका (प्रोकैरिबोट) का आक्रमण/संक्रमणकारी जीवाणुभोजियों से रक्षा करने का एक तरीका है। यह जीवाणु कोशिका में प्रवेश करने वाले जीवाणुभोजियों के डी एन ए के विशिष्ट अनुक्रमों की पहचान कर उन्हें काटकर अपना बचाव करते हैं। सुकेन्द्रकीय कोशिकाओं में डी एन ए मेथिीलकृत (Methylated) होता है। यह रेस्ट्रिक्शन एंजाइम से डी एन ए की रक्षा करता है। 

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प्रश्न 6. 
अच्छे वातन (aceration) व मिश्रित करने के गुण (Mixing property) के अतिरिक्त स्टिर्ड टैंक जैवरिएक्टर की रोटेटर पर हिलने वाले फ्लास्क (Shake flark) की तुलना में क्या अच्छाइयाँ हैं। 
उत्तर:

  • जैवरिएक्टर में किसी पुनयोंगज प्रोटीन/उत्पाद का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन किया जा सकता है जो पलास्क में संभव नहीं है।
  • जैवरिएक्टर में ताप नियंत्रण, pH नियंत्रण हेतु प्रावधान होते हैं। 
  • प्रदर्श को सैम्पलिंग पोर्ट (sampling port) से निकालकर निरीक्षण कर यथानुसार उपाय किये जा सकते हैं। 
  • फोम ब्रेकर (foam braker) की व्यवस्था होती है। 

प्रश्न 7. 
अपने शिक्षक से परामर्श कर पैलिन्ड्रोमिक अनुक्रम के 5 उदाहरण एकत्रित कीजिए। बेहतर होगा कि क्षारक नियमों का पालन करते हुए आय स्वयं पैलिन्ड्रोम अनुक्रम बनायें।
उत्तर
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम 2

प्रश्न 8. 
अर्धसूत्री विभाजन को ध्यान में रखते हुए क्या आप बता सकते हैं कि पुनर्योगज ही एन ए किस अवस्था में बनाते हैं? 
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन में मीओसिस I की प्रोफेज I की पैकिटीन (Pachytene) अवस्था में समजात क्रोमोसोम (homologous chromosome) के नॉन सिस्टर क्रोमेटिड्स के बीच होने वाले आनुवंशिक पदार्थ के विनिमय (exchange of genetic material) से अर्थात क्रासिंग ओवर से डिप्लोटीन अवस्था के आते - आते पुनर्योगज डी एन ए का निर्माण होता है। दूसरे एलील का स्वतंत्र अपव्यूहन (independent assortment) भी इसके लिए उत्तरदायी होता है। 

प्रश्न 9. 
क्या आप बता सकते हैं कि कैसे एक रिपोर्टर एंजाइम का प्रयोग वरण योग्य चिहक के अतिरिक्त, विजातीय डी एन ए पोषी कोशिका के रूपान्तरण को मानिटर करने के लिए किया जा सकता है? 
उत्तर:
B गैलेक्टोसाइडेज एक रिपोर्टर जीन (reporter gene) है। इसका प्रयोग वरण योग्य चिह्नक (Selectable marker) की तरह किया जा सकता है। इससे इस बात का पता लगाया जा सकता है कि कोशिका ने वंछित जीन ग्रहण कर ली है अर्थात वह पुनयोंगित (recombinant) है या नहीं। इन्हें इसलिए वरीयता दी जाती है क्योंकि इनके द्वारा जीव में अभिव्यक्त लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं। यह चिह्नक (रिपोर्टर जीन) रंग पैदा करने वाले आधारी पदार्थ की उपस्थिति में रंग पैदा करते हैं। इस विधि का सिद्धान्त यह है कि एंजाइम बीटा गैलेक्टोसाइडेज क्रोमोजेनिक पदार्थ की उपस्थिति में नीला रंग पैदा करता है। यह इस बात का प्रतीक है कि यह जीन सुरक्षित है तथा उसमें : विजातीय डी एन ए प्रविष्ट नहीं हुआ है। लेकिन इस एंजाइम को कोडित करने वाली जीन में विजातीय डी एन ए फिट हो जाने पर यह जीन असक्रिय हो जाती है। इससे बीटा गैलेक्टोसाइडेज का उत्पादन नहीं होगा। एंजाइम की अनुपस्थिति में नौली कॉलोनी की जगह सफेद कॉलोनी ही बनेगी। यह सिद्ध करता है कि जीन का असंक्रियकरण हो गया है। यह विधि एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता जीन को वरण योग्य चिहक के रूप में प्रयोग करने से कम जटिल है। इसके द्वारा आसानी से जाना जा सकता है कि नीले निवह अपुनर्योगज (non recombinants) के है तथा सफेद निवह पुनर्योगज (recombinant) जीवाणु के। 

प्रश्न 10. 
निम्नलिखित का संक्षिप्त वर्णन कीजिए
(क) प्रतिकृतियन का उद्भव 
(ख) बायोरिएक्टर 
(ग) अनुप्रवाह संसाधन 
उत्तर:
(क) प्रतिकृतिकरण का उद्भव (Origin of replication or 'ori'): किसी प्लाज्मिड या वाहक का वह स्थान जहाँ से प्रतिकृतिकरण (replication) प्रारम्भ होता है प्रतिकृतिकरण उत्पत्ति स्थल या ओरि (ori) कहलाता है। इसकी उपस्थिति किसी वाहक (cloning vector) का आवश्यक गुण है। अगर किसी विजातीय (alien) डी एन ए को इस अनुक्रम के साथ जोड़ दिया जाए जो वह पोषी कोशिका के अन्दर प्रतिकृतिकरण कर सकता है। यह अनुक्रम ही जोड़े गये डी एन ए की प्रतिकृति संख्या (copy number) के लिए भी उत्तरदायी होता है।

(ख) बायोरिएक्टर (Bioreactor): बायोरिएक्टर स्टेनलेस स्टील से बना एक बेलनाकार पात्र है जिसे किसी रिकाम्बीनेट प्रोटीन/उत्पाद को प्राप्त करने के लिए, सूक्ष्मजीवों या अन्य कोशिकाओं के सम्वर्धन हेतु प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग व्यावसायिक स्तर पर बड़ी मात्रा प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। स्टिर्ड टैंक बायोरिएक्टर (Stirred tank Bioreactar) में माध्यम को मिश्रित करने के लिए एक सशक्त विलोडक (Stirrer) के साथ - साथ, ताप नियंत्रक, वातन (Aeration). pH नियंत्रक, फोम नियंत्रक आदि की सुविधा होती है। स्माई रैक रिएक्टर (Sparged tank reactar) में वायु के छोटे छोटे बुलबुले एक स्पार्जर (Sparger) द्वारा माध्यम में प्रवेश कराये जाते है। जो माध्यम का आक्सीजन से बेहतर सम्पर्क स्थापित करने में मदद करते हैं। 

(ग) अनुप्रवाह संसाधन (Downstream Processing) रिकाम्बीनेट प्रोटीन/उत्पाद प्राप्त करने हेतु जैव रासायनिक अवस्था के बाद उत्पाद का पृथक्करण व शुद्धिकरण (Separation and purification) अनुप्रवाह संसाधन (Downstream processing) कहलाता है। इसके बाद किये संरूपणों (Formulation) व कड़े गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों के बाद ही कोई उत्पाद विपणन हेतु तैयार होता है। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम

प्रश्न 11. 
संक्षेप में बताइये
(क) पी सी आर 
(ख) प्रतिबन्धन एंजाइम व डी एन ए
(ग) काइटिनेज। 
उत्तर:
(क) पी सी आर या पॉलीमरेज चेन रिएक्शन, कम मात्रा में उपलब्ध किसी जीन या डी एन ए के आवर्धन (Amplification) की विधि है। थर्मोस्टेबिल डी एन ए पॉलीमरेज एंजाइम टैक (taq), प्राइमर, डिआक्सीराइबोन्यूक्लियोटाइड की उपस्थिति में सम्पन्न होती है। इसमें द्विरज्जुकी डी एन ए का प्रत्येक रज्जुक एक टेम्पलेट का कार्य करता है। इस विधि से डी एन ए की एक अरब तक प्रतियाँ बन सकती हैं। इसके प्रमुख पद हैं-डी एन ए का विप्रकृतिकरण (निष्क्रियण), एनीलिंग व विस्तार। 

(ख) प्रतिबन्धन एंजाइम व डी एन ए: प्रतिबन्धन एंजाइम (Restriction endonuclease) जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न एंजाइम है जो जीवाणु की जीवाणुभोजियों के संक्रमण से रक्षा करते हैं। इन्हें रासायनिक चाकू (Chemical scalpal) या आण्विक कैंची (molecular scissor) कहा जाता है क्योंकि कि यह डी एन ए अणु के विशिष्ट पहचान स्थलों (recognition sites) को पहचान उसे वहाँ से काट देते हैं। अत: यह जीवाणु की सुरक्षा प्रणाली का हिस्सा है। 

(ग) काइटिनेज (chitinase): कवकों (Fungi) में कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है। कवकों की कोशिका भित्ति के पाचन हेतु जिस एंजाइम का प्रयोग किया जाता है उसे काइटिनेज कहते हैं। डी एन ए के
कवक कोशिका से पृथक्करण हेतु इस उपचार की आवश्यकता होती है। 

प्रश्न 12. 
अपने अध्यापक से चर्चा करके पता लगाइये कि निम्नलिखित के बीच कैसे भेद करेंगे
(क) प्लाजिमड डी एन ए और गुणसूत्रीय डी एन ए 
(ख) आर एन ए वही एन ए 
(ग) एक्सोन्यूक्लिएज व एडोन्यूक्लिएज।
उत्तर:
(क) प्लाजिमड डी एन ए व गुणसूत्र डी एन ए में अन्तर:

गुणसूत्रीय डी एन ए

प्लाज्मिड डी एन ए

1. आकार में बड़ा, जीन की संख्या अधिक

आकार में छोटा, जीन की संख्या कम (30 से कम)

2. जीवाणु के जीवन के लिए आवश्यक

प्लामिड की आनुवंशिक सूचना जीवित रहने के लिए आवश्यक नहीं।

3. प्रतिरोधकता जीन अनुपस्थित कोशिका विभाजन के समय ही प्रतिकृतिकरण होता है।

एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता जीन उपस्थित, कोशिका विभाजन के साथ अन्य समय भी प्रतिलिपिकरण हो सकता है।

4. संख्या में एक

संख्या एक से लेकर सैकड़ों हो सकती है।

5. समयुग्मन में भाग नहीं लेते।

समयुग्मन (conjugation) में भाग लेते है


(ख) आर एन ए व डी एन ए अध्याय 6 में देखें। 
(ग) एक्सोन्यूक्लिएज व एण्डोन्यूक्लिएज: एक्सोन्यूक्लिएज (exonuclease) व एन्डोन्यूक्लिएज (andonuclease) नाभिकीय अम्लों को पचाने वाले एंजाइम अर्थात न्यूक्लिएजेज (nucleases) है। एक्सोन्यूक्लिऐज डी एन ए को सिरों (ends) से काटता है जबकि एन्डोन्यूक्लिएज डी एन ए में विशिष्ट पहचान स्थलों की पहचानकर उसे उसी स्थल पर अर्थात बीच के अनुक्रमों पर काटता है। यह विशिष्ट होते हैं तथा केवल जीवाणु में पाये जाते हैं। एडोन्यूक्लिऐज की खोज ने ही आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी या जेनेटिक इंजीनियरिंग की आधारशिला रखी है।

Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:29 a.m.
Published Nov. 30, 2023