RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Psychology Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Psychology Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 11 Psychology Solutions Chapter 7 मानव स्मृति

RBSE Class 11 Psychology मानव स्मृति Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
कूट संकेतन भंडारण तथा पुनरुद्धार का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : 
स्मृति एक प्रक्रिया है जिसमें तीन स्वतंत्र किंतु अंत:संबंधित अवस्थाएँ होती हैं। ये हैं- कूट संकेतन (Encoding), भंडारण (Storage), एवं पुनरुद्धार (Retrieval)। कोई भी सूचना जो हमारे द्वारा ग्रहण की जाती है वह इन अवस्थाओं से अवश्य प्रवाहित होती है।

(अ) कूट संकेतन पहली अवस्था है जिसका तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा सूचना स्मृति तंत्र में पहली बार पंजीकृत की जाती है, ताकि इसका पुनः उपयोग किया जा सके। जब भी कोई बाह्य उद्दीपक हमारी ज्ञानेंद्रियों को प्रभावित करता है तो वह तंत्रिका आवेग उत्पन्न करता है और इन्हें हमारे मस्त्षिक के विभिन्न क्षेत्र में पुनः प्रक्रमण के लिए ग्रहण किया जाता है। कूट संकेतन में आने वाली सूचना को ग्रहण किया जाता है तथा उससे कोई अर्थ व्युत्पन्न किया जाता है, उसे इस प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है कि उसका पुनः प्रक्रमण किया जा सके।

(ब) भंडारण स्मृति की द्वितीय अवस्था है। सूचना, जिसका कूट संकेतन किया गया. उसका भंडारण भी आवश्यक है जिससे उस सूचना का बाद में उपयोग किया जा सके। अत: भंडारण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा सूचना कुछ समय सीमा तक धारण की जाती है।

(स) पुनरुद्धार स्मृति की तीसरी अवस्था है। सूचना का उपयोग तभी किया जा सकता है जब कोई व्यक्ति अपनी स्मृति से उसे वापस प्राप्त करने में समर्थ हो। विभिन्न प्रकार के संज्ञानात्मक कार्यों; जैसे-समस्या समाधान, निर्णयन इत्यादि को करने के लिए जब संचित सूचना को पुनः चेतना में लाया जाता तो इस प्रक्रिया को पुनरुद्धार कहा जाता है।

RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति

प्रश्न 2. 
संवेदी अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक स्मृति तंत्र से सूचना का प्रक्रमण किस प्रकार होता है ?
उत्तर : 
अवस्था मॉडल के अनुसार स्मृति तंत्र तीन प्रकार के होते हैं संवेदी स्मृति (Sensory memory), अल्पकालिक स्मृति (Short term memory) एवं दीर्घकालिक स्मृति (Long term memory)। प्रत्येक तंत्र की अपनी अलग विशेषताएँ होती हैं तथा इनके द्वारा संवेदी सूचनाओं के संबंध में भिन्न-भिन्न प्रकार्य निष्पादित किए जाते हैं।

.RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति 2

संवेदी स्मृति : कोई भी नई सूचना पहले संवेदी स्मृति में पहुँचती है। संवेदी स्मृति की संचयी क्षमता तो बहुत होती है किंतु इसकी अवधि कम होती है, एक सेकेण्ड से भी कम। यह एक ऐसा स्मृति तंत्र है जो प्रत्येक संवेदना को परिशुद्धता से ग्रहण करता है। अक्सर इस तंत्र को संवेदी स्मृति या संवेदी पंजिका कहते हैं, क्योंकि समस्त संवेदनाएँ यहाँ उद्दीपक की प्रतिकृति के रूप में ही संग्रहित की जाती हैं। यदि आपने कभी दृश्य-उत्तर-बिंब (बल्ब बुझने के बाद भी जो छाया रह जाती है) का अनुभव किया हो या आवाज के बंद हो जाने के बाद भी उसकी प्रतिध्वनि सुनी हो तो इसका तात्पर्य है कि आप चित्रात्मक एवं प्रतिध्वन्यात्मक संवेदी पंजिका से परिचित हैं।

अल्पकालिक स्मृति : आप इस बात से सहमत होंगे कि हम उन सभी सूचनाओं पर ध्यान नहीं देते जो हमारे संवेदी ग्राहकों को प्रभावित करती हैं जिन सूचनाओं पर हम ध्यान देते हैं वे हमारी द्वितीय स्मृति भंडार में प्रवेश करती हैं जिसे अल्पकालिक स्मृति कहा जाता है, जो थोड़ी सूचना को थोड़े समय तक (सामान्यतः 30 सेकेण्ड या उससे कम) ही रख पाती है। एटकिंसन एवं शिफ्रिन के अनुसार अल्पकालिक स्मृति में

सूचना का कूट संकेतन मुख्य रूप से ध्वन्यात्मक होता है। यदि इसका निरंतर अभ्यास न किया जाए तो 30 सेकेण्ड से कम समय में ही अल्पकालिक स्मृति से बाहर चली जाती है। ध्यान दीजिए कि अल्पकालिक स्मृति कमजोर तो होती है लेकिन संवेदी पंजिका की भाँति नहीं, जहाँ एक सेकेण्ड से भी कम समय में सूचना का क्षय हो जाता है।

वीर्घकालिक स्मृति : ऐसी सामग्री, जो अल्पकालिक स्मृति की क्षमता एवं धारण अवधि की सीमाओं को पार कर जाती है, वह दीर्घकालिक स्मृति में प्रवेश करती है जिसकी क्षमता व्यापक है। यह स्मृति का ऐसा स्थायी भंडार है जहाँ सूचनाएँ चाहे वह कितनी भी नई क्यों न हों, जैसे आपने कल क्या नाश्ता किया था? से लेकर इतनी पुरानी जैसे आपने अपना छठा जन्मदिन कैसे मनाया था ? सभी संचित होती हैं। यह प्रदर्शित किया गया है कि कोई सूचना एक बार दीर्घकालिक स्मृति के भंडार में चली जाती है तो उसे हम कभी नहीं भूलते क्योंकि वह शब्दार्थ कूट संकेतन, अर्थात् किसी सूचना का क्या अर्थ है, द्वारा संग्रहित की जाती है। आप जिस सूचना को भूलते हैं, वह पुनरुद्धार की विफलता के कारण होती है।

किसी भी नई सूचना का प्रक्रमण इस बात से संबंधित है कि उसका किस प्रकार से प्रत्यक्षण एवं विश्लेषण किया जा रहा है तथा उसे किस प्रकार से समझा जा रहा है। प्रक्रमण का स्तर यह सुनिश्चित करता है कि किस सीमा तक सूचना धारित की जाएगी। यद्यपि तब से इस दृष्टिकोण में कई संशोधन किए जा चुके हैं, किंतु फिर भी इसके मूलभूत पक्ष समान हैं।

सूचना का कई स्तरों पर विश्लेषण संभव है। कोई भी इसके भौतिक या संरचनात्मक गुणों के आधार पर विश्लेषण कर सकता है। उदाहरणार्थ, 'बिल्ली' शब्द के लिए कोई भी इस बात पर ध्यान दे सकता है कि वह बड़े अक्षरों में लिखा गया है या छोटे अक्षरों में, या उसकी स्याही का रंग कैसा है। यह प्रथम एवं सबसे निम्न स्तर का प्रक्रमण है। मध्य स्तर पर कोई इस शब्द के उच्चारण की ध्वनि पर ध्यान दे सकता है अर्थात् इसकी संरचनात्मक विशेषताओं के आधार पर इसका अर्थ निकाल सकता है कि बिल्ली शब्द में दो पूर्ण अक्षर तथा एक आधा अक्षर है। 

इन दो स्तरों पर सूचना का विश्लेषण किए जाने पर स्मृति कमजोर रहती है तथा शीघ्र ही उसका क्षय हो जाता है। सूचना का प्रक्रमण एक तीसरे और गहन स्तर पर भी किया जा सकता है। कोई भी सूचना लंबे समय तक हमारी स्मृति में रहे, इसके लिए आवश्यक है कि उसका अर्थ समझकर उस सूचना का विश्लेषण किया जाए। उदाहरणार्थ, आप यह सोच सकते हैं कि बिल्ली एक जानवर है जिसके रोएँ होते हैं, चार पैर होते हैं, एक पूँछ होती है और यह स्तनधारी होती है। आप बिल्ली की प्रतिमा भी अपने मन में ला सकते हैं और उसे अपने अनुभव से जोड़ सकते हैं। संक्षेप में, जब हम सूचना की संरचनात्मक और स्वनिक विशेषताओं पर ध्यान देते हैं तो यह निचले स्तर का प्रक्रमण है जबकि इसके शब्दार्थ के आधार पर कुछ संकेतन करना गहन स्तर का प्रक्रमण है, इससे ऐसी स्मृति बनती है कि उसका विस्मरण अपेक्षाकृत कम होता है।

हम किसी सूचना को जिस तरह से संकेतित करते हैं, हमारी स्मृति उसी का परिणाम होती है। इस तथ्य का महत्त्व अधिगम की प्रक्रिया में सर्वाधिक है। स्मृति के इस पक्ष से आप यह अनुभव करेंगे कि जब भी आप कोई नया पाठ सीख रहे होते हैं तो यथासंभव सामग्री के अर्थ पर विस्तारपूर्वक ध्यान देना आवश्यक होता है न कि केवल रट कर याद करना। इस युक्ति का प्रयोग कीजिए और आप शीघ्र ही महसूस करेंगे कि किसी सूचना के अर्थ को समझना तथा उसे दूसरे संप्रत्ययों, तथ्यों एवं अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ना, दीर्घकालिक धारणा का सुनिश्चित उपाय

RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति

प्रश्न 3. 
अनुरक्षण एवं विस्तृत पूर्वाभास में क्या अंतर है?
उत्तर : 
सूचना अल्पकालिक स्मृति से दीर्घकालिक स्मृति में विस्तारपरक पूर्वाभ्यास के द्वारा प्रवेश करती है। अनुरक्षण पूर्वाभ्यास के विपरीत, जिसमें मूक या वाचिक रूप से दुहराया जाता है, इसमें धारित की जाने वाली सूचना को दीर्घकालिक स्मृति में पूर्व निहित सूचना के साथ जोड़ने का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के लिए 'मानवता' शब्द का अर्थ याद करना सरल होगा, यदि पहले से हम 'करुणा', 'सत्य' और 'सद्भावना' के संप्रत्ययों का आशय जानते हों। नई सूचना के साथ आप कितना साहचर्य उत्पन्न कर सकते हैं, यह उसके स्थायित्व को निर्धारित करेगा। विस्तारपरक पूर्वाभ्यास में व्यक्ति एक सूचना को उससे उद्वेलित विभिन्न साहचर्यों के आधार पर विश्लेषित करता है। इसमें सूचना को विभिन्न संभावित तरीकों से संगठित किया जाता है। सूचना को किसी तार्किक ढाँचे में विस्तृत किया जा सकता है, समान स्मृतियों से जोड़ा जा सकता है, अथवा कोई मानसिक प्रतिमा बनाई जा सकती है।

प्रश्न 4. 
घोषणात्मक एवं प्रक्रियात्मक स्मृतियों में क्या अंतर है?
उत्तर : 
दीर्घकालिक स्मृति का एक प्रमुख वर्गीकरण, घोषणात्मक (Declarative) एवं प्रक्रियामूलक (Procedural) (कभी-कभी अघोषणात्मक) स्मृतियाँ हैं। सभी सूचनाएँ जिनमें तथ्य, नाम, तिथि; जैसे- रिक्शे में तीन पहिए होते हैं, भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ, मेंढक उभयचर प्राणी है तथा आप और आपके मित्र का एक ही नाम है. घोषणात्मक स्मृति के अंग हैं। दूसरी ओर, प्रक्रियामूलक स्मृति उन स्मृतियों से संबंधित है जिनमें किसी कार्य को पूरा करने के लिए किसी प्रकार के कौशल की आवश्यकता होती है। जैसे-साइकिल चलाना. बास्केटबॉल खेलना, चाय बनाना इत्यादि। घोषणात्मक स्मृति से संबंधित तथ्यों का शाब्दिक वर्णन किया जा सकता है जबकि प्रक्रियामूलक स्मृति को सहजता से वर्णित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 5. 
दीर्घकालिक स्मृति में श्रेणीबद्ध संगठन क्या है?
उत्तर : 
दीर्घकालिक स्मृति में सूचना-संगठन से संबंधित अनेक विचार उन प्रयोगों से प्राप्त परिणामों के आधार पर हैं जो आर्थी पुनरुद्धार कार्यों के उपयोग से प्राप्त हुए हैं। आर्थी स्मृति की सामग्री के पुनः स्मरण में कोई त्रुटि नहीं हो सकती। यदि कोई व्यक्ति यह जानता है कि पक्षी उड़ते हैं तो वह कभी इस प्रश्न का गलत उत्तर नहीं देगा कि - क्या पक्षी उड़ते हैं ? उत्तर हमेशा सहमति में होगा, किंतु लोग उन प्रश्नों का उत्तर देने में भिन्न-भिन्न समय ले सकते हैं जिनमें आर्थी निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। क्या पक्षी उड़ते हैं ? इस प्रश्न का उत्तर देने में कोई व्यक्ति एक सेकेण्ड से ज्यादा का समय नहीं लेगा किंतु यदि यह पूछा जाए कि क्या पक्षी जानवर हैं? तो उत्तर देने में समय लग सकता है। इस तरह के प्रश्नों का उत्तर देने में लोगों को कितना समय लगता है. इसके आधार पर दीर्घकालिक स्मृति में संगठन के स्वरूप का अनुमान लगाया गया है।

दीर्घकालिक स्मृति में ज्ञान-प्रतिनिधान की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई संप्रत्यय है। संप्रत्यय (Concepts) उन वस्तुओं और घटनाओं के मानसिक संवर्ग हैं जो कई प्रकार से एक-दूसरे के समान हैं। एक बार जब संप्रत्यय निर्मित हो जाते हैं तो वह वर्गों में संगठित हो जाते हैं। वर्ग स्वयं ही एक संप्रत्यय है किंतु इनका प्रकार्य दूसरे संप्रत्ययों में सामान्य विशेषताओं के आधार पर सामान्यताएँ संगठित करना है। उदाहरणार्थ, आम शब्द एक वर्ग है क्योंकि भिन्न-भिन्न प्रकार के आमों को इस एक वर्ग में रख सकते हैं तथा साथ ही यह एक संप्रत्यय भी है जो फल की श्रेणी में आता है। संप्रत्यय स्कीमा में भी संगठित होते हैं, जो एक मानसिक ढाँचा होता है तथा जो इस वस्तु जगत के बारे में हमारे ज्ञान एवं अभिग्रह का प्रतिनिधान करते हैं। उदाहरणार्थ- हमारे पास बैठक का एक स्कीमा हो सकता है जो हमें यह बताता है कि बैठक में क्या-क्या चीजें हो सकती हैं (जैसे- सोफा, मेज, कुर्सी, टी. वी. आदि) और हमें उन्हें बैठक में कहाँ ढूँढना चाहिए।

सन् 1969 में एलन कोलिन्स (Allan Collins) एवं रॉस क्विलियन (Ross Quillian) ने एक ऐतिहासिक शोधपत्र प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने बताया कि दीर्घकालिक स्मृति में सूचना श्रेणीबद्ध रूप से संगठित होती है तथा उसकी एक जालीदार संरचना होती है। इस संरचना के तत्त्वों को निष्पंद बिंदु कहा जाता है। निष्पंद बिंदु संप्रत्यय होते हैं किंतु इनके बीच के संबंध को नामपत्रित संबंध कहते हैं जो संप्रत्ययों के गणधर्म या श्रेणी सदस्यता दर्शाते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति

प्रश्न 6. 
विस्मरण क्यों होता है ?
उत्तर : 
विस्मरण के कारण एवं स्वरूप : हम भूलते क्यों हैं ? क्या जो सामग्री हमने दीर्घकालिक स्मृति में रखी थी वह खो गई ? या हमने उसे अच्छी तरह से याद नहीं किया ? या हमने सूचना का सही तरीके से कूट संकेतन नहीं किया ? या भंडारण के समय इसमें कुछ तोड़-मरोड़ हो गई और गलत स्थान पर संचित कर दी गई ? विस्मरण को समझने के लिए कई सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं और हम उनका पुनरावलोकन करेंगे जो संभावित हैं तथा जिन पर समुचित ध्यान दिया गया है।

हर्मन एबिंगहास ने विस्मरण के स्वरूप को समझने के लिए सर्वप्रथम क्रमिक प्रयास किया। उन्होंने निरर्थक शब्दांशों की सूची (जो व्यंजन-स्वर-व्यंजन अक्षरों से बना था तथा जिन्हें cvc ट्राईग्राम कहा गया जैसे NOK या SEP इत्यादि) को याद किया। उस सूची को भिन्न-भिन्न समयांतरालों पर पुनः याद किया तथा प्रत्येक बार प्रयासों की संख्या का मापन किया। उन्होंने पाया कि विस्मरण के क्रम का एक निश्चित प्रारूप होता है जो आप नीचे दिए चित्र में देख सकते हैं।
RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति 1
जैसा कि ग्राफ से प्रतीत होता है कि विस्मरण की दर प्रारंभिक 9 घंटों में, विशेषतः प्रारंभिक पहले घंटे में सबसे ज्यादा है। उसके बाद गति धीमी हो जाती है तथा कई दिनों के बाद भी ज्यादा नहीं भूला गया है। यद्यपि एबिंगहास के प्रयोग प्रारंभिक अन्वेषण थे तथा बहुत परिष्कृत भी नहीं थे, तथापि स्मृति शोधों को इसने कई महत्त्वपूर्ण तरीकों से प्रभावित किया है। अतः यह सर्वसम्मति से माना जाता है कि शुरू में स्मृति में तीव्र ह्रास होता है, उसके बाद अवनति बहुत क्रमिक और धीमी गति से होती है।

प्रश्न 7. 
अवरोध के कारण विस्मरण पुनरुद्धार से सम्बन्धित विस्मरण से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर : 
अवरोध के कारण विस्मरण : यदि विस्मरण चिह्न ह्रास का कारण नहीं है तो यह क्यों होता है ? विस्मरण का सिद्धांत जो संभवतः सर्वाधिक प्रभावकारी है वह अवरोध का सिद्धांत है। इसके अनुसार स्मृति भंडार में संचित विभिन्न सामग्री के बीच अवरोध के कारण विस्मरण होता है। इस सिद्धांत के अनुसार सीखने और याद करने में विभिन्न पदों के बीच साहचर्य स्थापित होता है और एक बार साहचर्य स्थापित हो जाने के बाद यह स्मृति में अक्षत रहता है।

व्यक्ति बहुत सारे साहचर्य अर्जित करते रहते हैं और ये बिना किसी आपसी द्वंद्व के स्वतंत्र रूप से स्मृति में रहते हैं। तथापि पुनरुद्धार के समय इनमें अवरोध उत्पन्न होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न साहचयों में पनरुद्धार के लिए प्रतिस्पर्धा होती है। एक सरल क्रिया से अवरोध की यह प्रक्रिया स्पष्ट हो जाएगी। आप अपने एक मित्र से निरर्थक शब्दांशों की दो अलग-अलग सूची (सूची A तथा सूची B) एक के बाद एक याद करने को कहिए। 

थोड़ी देर के बाद सूची A के निरर्थक शब्दांशों का प्रत्याह्नान करवाइए। यदि सूची A को दोहराते समय सूची B के कुछ शब्दों का भी प्रत्याह्वान किया जाता है तो यह इसलिए होता है क्योंकि सूची B को याद करते समय जो साहचर्य स्थापित हुआ था, वह सूची A को याद करते समय बने साहचर्य में अवरोध उत्पन्न करता है। विस्मरण न केवल एक समय के बाद स्मृति चिह्नों के ह्रास के कारण होता है (जैसा अनुपयोग सिद्धांत सुझाता है) या प्रत्याह्वान के समय स्वतंत्र रूप से संचित साहचर्यों के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण होता है

(जैसा अवरोध सिद्धांत सुझाता है), बल्कि प्रत्याह्वान के समय पुनरुद्धार के संकेतों के अनुपस्थित रहने या अनुपयुक्त होने के कारण भी होता है। पुनरुद्धार के संकेत वे साधन हैं जो हमें स्मृति में संचित सूचनाओं को पुनः प्राप्त करने में मदद करते हैं। यह विचार टलविंग (Tulving) और उनके साथियों द्वारा प्रतिपादित किया गया था, जिन्होंने यह दिखाने के लिए कई प्रयोग किए कि स्मृति की सामग्री अक्सर हमें इसलिए नहीं प्राप्त होती, क्योंकि पुनरुद्धार के संकेत प्रत्याह्वान के समय या तो अनुपस्थित होते हैं या अनुपयुक्त।

RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति

प्रश्न 8. 
'स्मृत्ति एक रचनात्मक प्रक्रिया है' से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : 
बार्टलेट ने स्मृति को रचनात्मक प्रक्रिया माना है न कि पुनरुत्पादक प्रक्रिया। अर्थपूर्ण सामग्री जैसे कहानियाँ. गद्य, दंतकथाएँ इत्यादि का उपयोग करते हुए बार्टलेट ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि किस प्रकार कोई विशिष्ट स्मृति व्यक्ति के ज्ञान, लक्ष्यों, अभिप्रेरणा, वरीयता तथा अन्य मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं से प्रभावित होती है। उन्होंने सरल प्रयोग किए जिनमें पहले उपरोक्त प्रकार की सामग्री को प्रतिभागी पढ़ते थे, फिर 15 मिनट के अंतराल के बाद जो पढ़ा था उसका प्रत्याह्वान करते थे। 

बार्टलेट ने क्रमिक पुनरुत्पादन विधि का प्रयोग किया जिसमें प्रतिभागी याद की हुई सामग्री को भिन्न-भिन्न समयांतरालों पर प्रत्याह्वान करते थे। इन क्रमिक पुनरुत्पादनों में उनके प्रतिभागियों ने कई प्रकार की गलतियाँ' की जिसे बार्टलेट ने स्मृति की रचनात्मक प्रक्रिया को समझने के लिए उपयोगी माना। उनके प्रतिभागियों ने मूल पाठ को अपने ज्ञान के अधिक अनुकूल बनाने के लिए परिवर्तित कर दिया, अनावश्यक वर्णनों की व्याख्या की, मुख्य कथावस्तु को विस्तृत किया तथा सामग्री को पूर्ण रूप से बदल दिया ताकि वह अधिक तार्किक एवं समनुगत लगे।

इस प्रकार के परिणामों की व्याख्या के लिए बार्टलेट ने 'स्कीमा' शब्द का उपयोग किया जिसका तात्पर्य 'भूतपूर्व अनुभवों और प्रतिक्रियाओं का एक सक्रिय संगठन था'। स्कीमा भूतपूर्व अनुभवों और ज्ञान का एक संगठन है जो आने वाली नई सूचना के विश्लेषण, भंडारण तथा पुनरुद्धार को प्रभावित करता है। अत: स्मृति एक रचनात्मक सक्रिय प्रक्रिया है जहाँ सूचनाएँ व्यक्ति के पूर्व ज्ञान, समझ एवं प्रत्याशाओं के अनुसार संकेतिक एवं संचित की जाती हैं।

प्रश्न 9. 
स्मृति-सहायक संकेत क्या हैं ? अपनी स्मृति सुधार के लिए एक योजना के बारे में सुझाव दीजिए।
उत्तर : 
स्मृति-सुधार की बहुत सारी युक्तियाँ हैं जिन्हें स्मृति-सहायक संकेत कहा जाता है। इनमें से कुछ प्रतिमाओं के उपयोग पर जोर देते हैं तो कुछ अधिगम सामग्री के स्वयं निर्मित संगठन पर। स्मृति-सुधार विधि में याद की जाने वाली सामग्री तथा उसके इर्द-गिर्द सुस्पष्ट प्रतिमाओं की रचना की जाती है। इनमें से दो प्रमुख विधियाँ जो प्रतिमाओं का रोचक उपयोग करती हैं वे हैं- मुख्य शब्द विधि तथा स्थान विधि।

(अ) मुख्य शब्द विधि : मान लीजिए कि आपको अंग्रेजी आती है और आप अन्य किसी विदेशी भाषा को सीखना चाहते हैं तो अंग्रेजी का कोई शब्द जिसकी ध्वनि उस विदेशी भाषा के शब्द से मिलती-जुलती हो, उसकी पहचान कर लीजिए। यही अंग्रेजी शब्द मुख्य शब्द की तरह कार्य करेगा। उदाहरणार्थ, आपको स्पैनिश भाषा का शब्द Pato याद करना है जिसका अर्थ है बत्तख, तो आप अंग्रेजी का Pot शब्द ले सकते हैं। फिर मुख्य शब्द Pot और याद किए जाने वाले शब्द Pato दोनों को एक अंत:क्रिया करते हुए कल्पना कीजिए कि एक पानी के बर्तन (Pot) में एक बत्तख (Pato, स्पैनिश शब्द) है। विदेशी भाषा को सीखने की यह विधि रटने की विधि से अधिक अच्छी होती है।

RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 7 मानव स्मृति

(ब) स्थान विधि : स्थान विधि का उपयोग करने के लिए याद किए जाने वाले पदों को पहले वस्तुओं की दृष्टि प्रतिमा के रूप में एक स्थान में व्यवस्थित कीजिए। एक क्रम में पदों को याद रखने में यह विधि बहुत उपयोगी है। इसके लिए पहले उन वस्तुओं और स्थानों की कल्पना कीजिए जिनके क्रम से आप भली-भांति परिचित हों, फिर जिन वस्तुओं को आप याद रखना चाहते हैं उन्हें एक-एक स्थान से संबंधित कीजिए। उदाहरणार्थ, बाजार जाते समय आपको ब्रेड, अंडा, टमाटर, साबुन याद रखना है तो आप मन में सोचिए कि ब्रेड और अंडा रसोईघर में, टमाटर, मेज पर और साबुन स्नानघर में रखा है। जब आप बाजार पहुँचें तो अपने रसोईघर से स्नानघर तक मानसिक रूप से चलिए और जिन वस्तुओं को खरीदना है उसका पुनः स्मरण करते जाइए।

 

Bhagya
Last Updated on Sept. 23, 2022, 5:08 p.m.
Published Sept. 23, 2022